गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में लागू होगा कमिश्नर प्रणाली, जानिए क्या है कमिश्नर प्रणाली और उसकी शक्तियों के बारे में  

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राज्य के तीन और शहरों में कमिश्नर प्रणाली लागू करने को हरी झंडी 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) राज्य में कानून-व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए रोज नए प्रयोग करते रहते हैं।  इसी को लेकर राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में तीन और शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली (Police Commissionerate System)  लागू करने को मंजूरी दी है। योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को एक कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया। राज्य के तीन अतिरिक्त शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने के प्रस्ताव को हरी झंडी दे दी गई है।

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गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में लागू होगा कमिश्नरी सिस्टम 

इस तीन शहरों में गाजियाबाद (Ghaziabad), आगरा ( Agra) और प्रयागराज (Prayagraj) शामिल है। इन तीनों शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू कर दी गई है। यह फैसले  मुख्यमंत्री योगी के सरकारी आवास पर शुक्रवार सुबह 10 बजे हुई कैबिनेट बैठक के बाद ली गई। अभी राज्य के केवल चार जिलों लखनऊ, कानपुर, गौतमबुद्ध नगर और वाराणसी में कमिश्नर सिस्टम लागू है। इस प्रस्ताव पर सैद्धांतिक सहमति पहले ही बन गई थी और अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी ने इसे स्वीकृति दे दी। 

क्या बदलेगा कमिश्नर प्रणाली लागू होने से?

इन तीन अतिरिक्त शहरों में कमिश्नर प्रणाली लागू होने से राज्य के कानून व्यवस्था को और मजबूती मिलेगी। अब बहुतों के मन यह सवाल आ रहा होगा कि पुलिस कमिश्नर प्रणाली व्यवस्था क्या है? इसका पुलिसिंग और कानून पर क्या असर पड़ता है? जानकारों के अनुसार कमिश्नर प्रणाली के लागू होने से पुलिस की शक्तियां बढ़ जाती हैं। क्षेत्र का कमिश्नर कानून व्यवस्था के मुद्दे पर सीधे निर्णय ले सकता है। किसी आयोजन की अनुमति भी कमिश्नर ही देते हैं। इसके बाद से निरोधात्मक कार्रवाई भी सीधे कर सकेंगे।

पुलिस को मिलेंगी ये शक्तियां

अब तक यह क़ानूनी प्रणाली केवल बड़े शहरों में ही लागू थी। अब गाजियाबाद, आगरा और प्रयागराज में भी यह व्यवस्था लागू होगी। इसके बाद से शांति भंग और 107-116 की कार्रवाई में आरोपियों को एसीपी (ACP) के कोर्ट में पेश होना होगा। आईपीएस (IPS) अधिकारियों की संख्या बढ़ेगी। इस सिस्टम के लागू हो जाने से आपात स्थिति में कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी सहित अन्य अधिकारियों के आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। क्षेत्र के पुलिस कमिश्नर खुद फैसला लेकर कार्रवाई के लिए निर्देशित कर सकेंगे। दंगा होने पर कितनी फोर्स लगाई जानी चाहिए, लाठीचार्ज करना है या नहीं, इसकी अनुमति भी नहीं लेनी पड़ेगी। होटल, बार और हथियार के लाइसेंस देने का अधिकार भी पुलिस कमिश्नर के पास होता है। जमीन विवाद को सुलझाने का भी अधिकार पुलिस के पास ही पहुंच जाएंगे।

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