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योगी सरकार की नई पहल, मिट्ठी के बर्तन को बढ़ावा देने के लिए माटी कला बोर्ड का किया गठन

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योगी सरकार की नई पहल, मिट्ठी के बर्तन को बढ़ावा देने के लिए माटी कला बोर्ड का किया गठन

माटी कला बोर्ड जानकारी : माटी कला बोर्ड क्या है – केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश के सभी रेलवे स्टेशनों, एयरपोर्ट और मॉल में कुल्हड़ मे चाय की बिक्री को अनिवार्य करने का महत्वपूर्ण सुझाव सरकार को दिया हैं. इसके बाद से ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इसको गंभीरता से लिया है. योगी सरकार ने मिट्टी से बने कुल्हड़ और बर्तनों को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश में माटी कला बोर्ड का गठन किया है. जिसका काम मिट्टी से कुल्हड़ और बर्तन बनाने वाले समाज को मिट्टी के पट्टे आवंटन कराके इस उद्योग को आगे बढ़ाना और इससे अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना हैं.

उत्तर प्रदेश सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को आगे बढ़ाने के लिए शुक्रवार को जिला कलेक्टेट्र सभागार गौतमबुद्धनगर में उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष धर्मवीर प्रजापति ने एक मीटिंग का आयोजन किया. जिसमें उन्होनें मिट्टी से बने बर्तनों, सजावट के समानों, पॉलीथीन के इस्तेमाल से बचने, बाजार में घरों से थैला ले जाने और धरती को प्लास्टिक प्रदूषण से बचाने की लोगों से अपील की.

इस दौरान उन्होनें मिट्टी से बर्तन बनाने वाले लोगों को जमीन के पट्टे आंवटित कराने के निर्देश वहां मौजूद अधिकारियों को दिए. साथ ही उन्होनें अधिकारियों को ये भी निर्देश दिए कि वो गांवो में जाकर लोगों की शिकायतों को सुनने और उसका जल्द से जल्द निपटारा करें. माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष ने बताया कि आने वाली 2 अक्तूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पॉलीथीन के खिलाफ एक नए अभियान की शुरूआत करने वाले है. इसके लिए उन्होनें वहां मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिए कि वो पॉलीथीन का इस्तेमाल करने वाले सभी लोगों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करें.

इस मीटिंग में ग्रामीणों द्वारा बनाए जा रहे मिट्ठी के बर्तनों को बढ़ावा देने के लिए वो अपने साथ कुछ मिट्ठी के बर्तन भी लेकर आए थे. जिसे उन्होनें वहां मौजूद अधिकारियों को दिखाया और बताया कि आज के समय में हर चीज मिट्ठी के द्वारा बनाई जा सकती है. मिट्ठी के बर्तन ना सिर्फ दिखने में बेहद सुंदर होते है बल्कि इसके कई फायदे होते है. उन्होनें बताया कि मिट्ठी के बने बर्तनों का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा होता है.

धर्मवीर प्रजापति ने कहा कि जिन चीजों का अभी हम इस्तेमाल कर रहे है वो हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होती है. इसकी वजह से आजकल  लोग ज्यादातर बीमारियों का शिकार होते है, जबकि अगर हम मिट्ठी के बने बर्तनों का इस्तेमाल करते है तो ये हमारे स्वास्थ्य को बहुत फायदा पहुंचाते है, मिट्ठी में कई तरह के पोषक तत्व होते है जिसका इस्तेमाल करके हम कई बीमारियों से निजात पा सकते हैं. मिट्ठी से बने बर्तनों का इस्तेमाल करने के लिए और जिला कलेक्ट्रेट के अधिकारियों को लोगों को जागरूक करने के निर्देश भी दिए. योगी सरकार की इस योजना से उम्मीद जताई जा रही है कि इससे रोजगार के अवसर पैदा होगे. इसके अलावा लोग मिट्ठी से बने सामानों का आनंद जल्द ही उठा पाएंगें.

जिला ग्रामोद्योग अधिकारी –  “पवन यादव” से EXCLUSIVE बातचीत

इस मींटिग के दौरान जिला ग्रामोद्योग अधिकारी पवन यादव ने बताया कि हमारा विभाग ग्रामीण क्षेत्र से सम्बंधित है। हमारे विभाग मे दो योजनाए चलाई जाती है । प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम और मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजागार योजना । PMEGP के अंतर्गत १ से २५ लाख तक ऋण की सुविधा है । उद्यमी को ये लोन केंद्र सरकार द्वारा दिया जाता है। ग्रामद्योग योजना मे १ से १० लाख तक की ऋण की सुविधा है । इसके अलावा इस योजना मे ब्यूटी पार्लर , सिलाई – कड़ाई जैसी शैली के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। ये ट्रेनिंग १ हफ्ते से १० हफ्ते तक की होती है।

माटी कला बोर्ड जानकारी – इस सुविधा का लाभ उठाने क लिए उन्होंने बताया उद्यमी को विभाग की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होता है । जिसकी सारी जानकारी विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध है । आवेदन मिलने के बाद उद्यमी का इंटरव्यू होगा जिसमे उससे लोन को लेकर विभिन्न प्रकार के सवाल पूछे जायगे । उसके बाद उसका लोन पास किआ जायगा । ग्रामोदय योजना मे ३५ % सब्सिडी दी जायगी और दूसरी योजना मे ३५ % सब्सिडी के साथ साथ ३ साल तक उद्यमी को कोई ब्याज नहीं देना होगा ।

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जब भी शरीर के किसी हिस्से की नस पर नस चढ़े तो करें इन में से कोई एक काम, तुरंत मिलेगी राहत

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जब भी शरीर के किसी हिस्से की नस पर नस चढ़े तो करें इन में से कोई एक काम, तुरंत मिलेगी राहत

नस चढ़े तो क्या करें – आज के समय में ज्यादातर लोगों की जीवनशैली बदल चुकी है जिसका सबसे ज्यादा असर उनके खाने-पीने के बदलावों पर नजर आता है. जिस वजह से तरह-तरह की बीमारियां हमें अपना शिकार बना कब शुरू कर देती हैं पता ही नहीं चलता है. कई बार तो हाथ और पैर या फिर शरीर के किसी भी भाग में अचानक से नस पर नस चढ़ जाती है, जिसमें एक अलग सा ही दर्द महसूस होता है.

बहुत बार तो ये दर्द, असहनीय दर्द का रूप ले लेता है. ऐसे में क्या करना चाहिए इसका भी पता नहीं चल पाता है और हम बस उस दर्द को सहते ही हैं, जो कुछ देर में ठिक तो हो जाता है लेकिन उससे राहत नहीं मिल पाती है. इसलिए आज हम आपके लिए ऐसे उपाय लेकर आए हैं, जिससे आपको इस समस्या से तुरंत राहत मिलने में मदद मिलेगी, तो आइए आपको उन उपायों के बारे में बताते हैं…

बर्फ से सिकाई

अगर आपके पैर, हाथ या फिर शरीर के किसी हिस्से में नस पर नस चढ़ी हो तो ऐसेमें अगर आप उस जगह की सिकाई बर्फ से करेंगे तो आपको कुछ ही देर में राहत मिल जाएगी. इसके लिए आपको एक सूती कपड़े में बर्फ का एक क्यूब बांधकर सेकना होगा.

नाखून

अगर आपके अचानक से नस पर नस चढ़ जाए तो आप अपनी उसी तरह की हाथ की ऊंगली के नाखून और त्वचा के बीच के हिस्से को दबाएं और कुछ देर तक इस तरह से करने पर आपको राहत मिलेगी और आपकी नस उतर जाएगी.

कान का पॉइंट – नस चढ़े तो क्या करें

शरीर के जिस हिस्से पर नस चढ़ी हो उसके विपरीत हिस्से के कान के निचले जोड़ पर ऊंगली से 10 सेकेंड तक दबाकर रखें और फिर ऊंगली को धीरे-धीरे ऊपर-नीचे करें, इस तरह से करने पर आप तनाव मुक्त होते हैं और नस पर नस चढ़ी भी उतर जाएगी.

स्ट्रेचिंग

जिसे हिस्से पर आपकी नस पर नस चढ़ जाए उसी हिस्से को स्ट्रेच करें. ऐसा करने से आपके मांसपेशियों पर खिचाव पढ़ेगा और आपकी ये समस्या ठिक हो जाएगी, लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि आपको उस हिस्से को ज्यादा जोर लगाकर स्ट्रेचिंग नहीं करना है.

और पढ़ें: स्वेच्छा से चोट पहुंचाने पर कौन सी धारा लगती है और क्या है इससे बचने का प्रावधान

राष्ट्रीय खेल दिवस: आज हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का है 114वां जन्मदिन, जानिए इनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

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राष्ट्रीय खेल दिवस: आज हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद का है 114वां जन्मदिन, जानिए इनसे जुड़ी कुछ खास बातें…

Facts about Major Dhyanchand in Hindi – देश के राष्ट्रीय खेल हॉकी के जादूगर कहलाए जाने वाले मेजर ध्यानचंद का आज 114वां जन्मदिन है. इनका जन्म 29 अगस्त, 1905 में इलाहाबाद में हुआ था. खेल की दुनिया में इन्हें ‘दद्दा’ कहकर पुकारते हैं. इनके जन्मदिन को राष्ट्रीय खेल दिवस के तौर पर मनाया जाता है. इसी दिन सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न, ध्यानचंद पुरस्कार,अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार आदि दिए जाते हैं. वहीं इस साल खेल रत्न पुरस्कार पहलवान बजरंग पूनिया और पैरा ऐथलीट दीपा मलिक को दिया जाएगा. आज हम आपको दद्दा के जन्मदिन के अवसर पर इनसे जुड़ी कुछ अहम बताते बताने जा रहे हैं, तो आइए जानते हैं…

Facts about Major Dhyanchand

  • दद्दा यानि ध्यानचंद जब केवल 16 साल के थे, तब वो भारतीय सेना के साथ जुड़ गए. उसके बाद ही वो हॉकी में अपनी किस्मत अजमाने गए. हॉकी में उनका इतना जुनून था कि वो बहुत प्रैक्टिस किया करते थे. इतना ही नहीं वो हॉकी का अभ्यास चांद निकलने तक करते रहते, जिस वजह से उनके साथियों ने उन्हें ‘चांद’ कहने लगे थे.
  • साल 1928 एम्सटर्डम ओलिंपिक गेम्स में ध्यानचंद भारत की तरफ से सबसे ज्यादा गोल करने वाले खिलाड़ी रहे थे. उस दौरान उन्होंने 14 गोल किए, जिसके बाद एक अखबार ने लिखा था कि  ‘ये हॉकी नहीं बल्कि जादू था, ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं.’
  • साल 1932 में भारत ने संयुक्त राज्य अमेरिका के ओलिंपिक फाइनल में 24-1 से अमेरिका को हराया था. उस दौरान ध्यानचंद ने 8 गोल बनाए थे और उनके भाई रूप सिंह ने दस गोल. इतना ही नहीं भारत की ओर से उस टूर्नमेंट में 35 गोलों में से 25 गोल तो इन दो भाइयों ने ही बना डाले थे. जिसके चलते इस 86 साल पुराना रेकॉर्ड को भारतीय हॉकी टीम ने साल 2018 में इंडोनेशिया में खेले गए एशियाई खेलों में भारत ने हॉन्ग कॉन्ग को 26-0 से मात देकर तोड़ा था.
  • आपको बता दें कि विएना के एक स्पोर्ट्स क्लब में ध्यानचंद की मूर्ती लगी हुई है, जिसमें उनके हाथों में हॉकी स्टिक हैं. जो इस बात की ओर इशारा करती हैं कि उनके उनकी स्टिक में कितना ज्यादा जादू था.
  • आप ध्यानचंद की महानता का अंदाजा इसी से लगाया सकते है कि वो दूसरे खिलाड़ियों की तुलना में कितना ज्यादा गोल कर लेते हैं. जिसके चलते उनकी हॉकी स्टिक तक को तोड़ कर जांचा गया था. नीदरलैंड्स में उनकी हॉकी स्टिक तोड़कर इस बात की जांच की गई कि कहीं इसमें चुंबक तो नहीं लगी हुई है.
  • साल 1928, 1932 और 1936 में ध्यानचंद ने ओलिंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया. इन तीनों ही सालों में भारत ने लैंड मेडल जीता.
  • साल 2002 में उनके सम्मान के तौर पर भारत सरकार ने दिल्ली में नैशनल स्टेडियम का नाम ध्यान चंद नैशनल स्टेडियम किया.

स्किन कैंसर होने से पहले दिखते हैं ये लक्षण, तुरंत अपनाए ये घरेलू नुस्खा

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स्किन कैंसर होने से पहले दिखते हैं ये लक्षण, तुरंत अपनाए ये घरेलू नुस्खा

स्किन कैंसर के लक्षण – आज के समय में स्किन कैंसर की समस्या तो लोगों में इतनी तेजी से बढ़ने लगी है कि मानों बारिश में भिगने से बुखार हो जाना, जब व्यक्ति के त्वचा की कोशिकाए असामान्य तरीके से विकसित होना भी स्किन कैंसर होता है. इसके अलावा शरीर के जो भाग सीधे सूर्य की किरणों से संपर्क में आते हैं, उसकी त्वचा पर भी स्किन कैंसर होने का ज्यादा खतरा रहता है.

वहीं अगर इस समस्या का ठिक समय पर इलाज नहीं किया गया तो ये स्किन कैंसर जानलेवा बीमारी का रूप ले सकती है. आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बताने जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर आप अपनी स्किन की समस्या को जड़ से खत्म कर सकते हैं. तो आइए जानते हैं….

सबसे पहले तो आपको स्किन कैंसर के लक्षणों के बारे में बता देते हैं. गर्दन, माथे, गाल और आंखों के आसपास अगर आपको जलन होना, धूप में खुजली होना, कई हफ्तों तक स्किन पर धब्बे पड़े रहना ये सभी स्किन कैंसर के लक्षण होते हैं. तो आइए अब आपको इसके बचावों के बारे में बताते हैं..

हल्दी

हल्दी हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद साबित होती है. खाना बनाते इसमें समय हमेशा हल्दी का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि इसमें करक्यूमिन तत्व मौजूद होते हैं, जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को समाप्त करने में मददगार साबित होती है. हल्दी का असर सबसे ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर, पेट के कैंसर और त्वचा कैंसर पर होता है.

नारियल तेल – स्किन कैंसर के लक्षण

नारियल तेल को त्वचा से संबंधित समस्या से निजात दिलवाने में प्रयोग में लाया जाता है. इसलिए अगर आप रोजाना खाली पेट एक चम्मच नारियल तेल का सेवन करेंगे तो लॉरिक एसिड कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मददगार होता है.

काली रसभरी

स्किन कैंसर रोकने में काली रसभरी के बीज को बहुत सहायक माना जाता है. इसलिए अगर आप रोजाना इसके बीज का सेवन करेंगे तो ये आपको स्किन कैंसर से बचा सकता है. साथ ही इसका बीज इम्यूनिटी को बढ़ाने में मददगार साबित होता हैं.

बैंगन – स्किन कैंसर के लक्षण

बैंगन का सेवन करने से स्किन कैंसर से जुड़ी हर समस्या खत्म हो जाती है. इसलिए हो सके तो हफ्ते में दो से तीन बार बैंगन जरूर खाएं. इसके अलावा टमाटर और शिमला मिर्च का सेवन करने से भी स्किन कैंसर में लाभ होता है.

एप्पल साइडर विनेगर

दोस्तों क्या आप जानते है की एप्पल साइडर विनेगर शरीर को एसिटेट बनता है. इसमें एसिटिक एसिड होता है. अगर आप एक चम्मच एप्पल साइडर विनेगर को एक गिलास पानी में मिलाकर पीते है तो इससे भी स्किन की प्रॉब्लम नहीं होगी.

और पढ़ें: पानी पीते ही तुरंत पेशाब आए तो क्या करें ?

इन घरेलू नुस्खों से चुटकी में ठीक हो जाएगा आपका वायरल फीवर, जानिए…

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इन घरेलू नुस्खों से चुटकी में ठीक हो जाएगा आपका वायरल फीवर, जानिए…

Home remedies for Viral Fever – मौसम में होने वाले बदलाव के वजह से व्यक्ति को कोई न कोई बीमारी अपना शिकार बना ही लेती है, जिनमें से एक है वायरल फीवर जो काफी तेजी से लोगों को अपने गिरफ्त में लेता है. जिसके चलते सिर में दर्द, उल्टी, गले में दर्द, तेज बुखार और अन्य तरह की बीमारियां लग जाती हैं. ये वायरल फीवर कम से कम पांच से आठ दिन तक रहता है, ये आसानी से जाने का नाम नहीं लेता है. वहीं आज हम आपके लिए कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे लेकर आए हैं, जिनकी मदद से शरीर वायरल फीवर से लड़ पाता है और वायरल फीवर से बच जाता है. तो आइए आपको बताते हैं…

1. तुलसी

तुलसी की पत्तियों में एंटीबायोटिक गुण पाया जाता है। जिससे वायरल फीवर को रोकने में मदद मिलती है। आप तुलसी की पत्तियों को पानी में उबाल लें और उसे छान लें। गुनगुना होने पर इस पानी को पिएं। आपको आराम मिलेगा।

2. अदरक

अदरक सर्दी-जुकाम को दूर करने में सहायक होता है। आप अदरक का पेस्ट बना लें और इसमें थोड़ा शहद डालें। फिर इसका सेवन करें, चाहें तो आप अदरक को पका कर भी खा सकते हैं।

3. दालचीनी

इसे खाने से गले के दर्द, खांसी और सर्दी-जुकाम में राहत मिलती है। आप एक कप पानी में एक छोटी चम्मच दाल चीनी पाउडर मिला लें। इस पानी को उबाल लें, फिर इसे छान लें। गुनगुना होने पर इस पानी को पी लें।

हल्दी और अदरक का करें सेवन

हल्दी और अदरक का एक साथ सेवन करने से आपके शरीर को बुखार से लड़ने में मदद मिलती है. इसके लिए आपको एक सूखा अदरक लेना है और उसका पाउडर तैयार कर लें, उसके बाद इसमें थोड़ी सी हल्दी और चीनी मिला दें. इसके बाद इस मिश्रण का सेवन रोजाना हल्के गर्म पानी से करें, ऐसा करने से आपको वायरल फीवर नहीं होगा. इसके अलावा आपका बुखार भी ठिक हो जाएगा.

तुलसी वाली चाय पीएं

Home remedies for Viral Fever – ये तो आप जानते ही होंगें कि तुलसी के पत्तों में एटीबायोटिक गुण होते हैं जो वायरस को खत्म करने में मददगार होते हैं. इसके अलावा चाय भी व्यक्ति को तरोताजा बनाए रखने में मददगार साबित है. वहीं अगर आप तुलसी वाली चाय पीएंगे तो आपके शरीर को कई तरह से लाभ होता है. इसके लिए आप दिन में एक बार जरूर तुलसी वाली चाय का सेवन जरूर करें. वहीं वायरल फीवर होने पर दिन में 2 बार इसका सेवन करें.

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क्या आपके भी पैरों में होते हैं इस तरह के बदलाव, तो जानिए ये किन-किन बीमारियों की ओर करता है संकेत

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क्या आपके भी पैरों में होते हैं इस तरह के बदलाव, तो जानिए ये किन-किन बीमारियों की ओर करता है संकेत

नाखून का रंग बदलना – ये तो आप जानते ही होंगे कि जब भी शरीर में किसी तरह का कोई बदलाव नजर आता है तो हमें कोई न कोई बीमारी अपना शिकार ही बनाने वाली होती है, जिनमें से ज्यादा बदलाव शरीर के अंदरूनी में होते हैं, लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि पैरों के आकार या रंग में बदलाव भी आपको किसी गंभीर बीमारी की ओर संकेत देते हैं, अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में विस्तार से बताते हैं…

गंभीर बीमारी से पहले शरीर देता है ये संकेत

  • अगर आए-दिन आपके पैर के ऐंठन में कोई न कोई परेशानी होती रहती है, तो ये इस बात का संकेत है कि किसी तरह का तरल पदार्थ आपके शरीर में कम हो रहा है. इसके अलावा ये इस बात का भी संकेत देता है कि शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन है.
  • अगर आपकी एड़ियों में आए-दिन दर्द रहता है या फिर आपका पैर ज्यादातर सुन्न रहता है तो ये इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको डायबिटीज या कैलकेनियम की समस्या है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए. साथ ही शरीर के खराब नर्वस सिस्टम की ओर भी ये संकेत होता है.
  • जिन लोगों के पैरों के नाखूनों का रंग ज्यादा ही पीले रंग का होता है तो इसका मतलब है कि आपके शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी हो उत्पन्न हो रही है. इतना ही नहीं पैरों के नाखूनों का पीला होना या फिर फिर मोटे होकर मुड़ जाना, शरीर में स्किन की बीमारी या फिर कैंसर की बीमारी होने का खतरे की ओर संकेत करता है.
  • आपके पूरे पैरों में अगर हमेशा दर्द रहता है तो ये इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में कैल्शियम, पोटेशियम और विटामिन्स की कमी है. इसके अलावा ये गठिया और डायबिटीज की ओर भी संकेत हैं.
  • अगर आपके पैरों के पंजों (नाखून का रंग बदलना) में सूजन आती है तो ये इस बात का संकेत है कि आपको किडनी से जुड़ी कोई परेशानी या फिर एनीमिया हो सकता है. इसके अलावा अगर आपके पैरों में झनझनाहट होती हैं तो ये शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन और डायबिटीज की ओर संकेत करता है.
  • हम तो आपको ये ही कहेंगे कि अगर आप खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को स्वास्थ देखते रहना चाहते हैं तो उन्हें दाल और दूध का सेवन जरूर करने की सलाह दें. रात में सोने से पहले एक गिलास दूध जरूर पीकर सोए.

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जानिए आखिर कैसे अरुण जेटली एक वकील से बने देश के बड़े राजनीतिज्ञ…

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जानिए आखिर कैसे अरुण जेटली एक वकील से बने देश के बड़े राजनीतिज्ञ…

अरुण जेटली, जो कभी एक साधारण वकील हुआ करते थे वो एक दिन बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने का दृढ़ सिपाही बनकर उभरें. साल 2014 में बीजेपी सत्ता में आई और अरुण जेटली को केंद्रीय वित्तमंत्री बनाया गया लेकिन इससे पहले भी जेटली ने एक विपक्षी पार्टी के तौर पर बीजेपी के नेता के रूप में सत्ताधारी कांग्रेस की खूब बखिया उधेड़ी. आज हम उसी दमदार नेता और देश के दमदार पूर्व मंत्रियों में से एक अरुण जेटली के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर,1952 को नई दिल्ली में हुआ था. इनके पिता महाराज किशन जेटली एक वकील थे. इनकी माता का नाम रतन प्रभा जेटली हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि कैसे एक वकील बने देश के बड़े राजनीतिज्ञ…

छात्र के तौर पर प्राप्त किए कई सम्मान

अरुण जेटली ने अपनी स्कूली पढ़ाई साल 1957 से 1969 तक सेंट जेवियर्स स्कूल से पूर्ण की. उसके बाद साल 1973 में उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स की डिग्री प्राप्त की. इसके अलावा दिल्ली विश्‍वविद्यालय के विधि संकाय से साल 1977 में उन्होंने विधि की डिग्री प्राप्त की. आपको बता दें कि जेटली ने छात्र के तौर पर अपने कैरियर के दौरान अकादमिक और पाठ्यक्रम के समय गतिविधियों दोनों में कई तरह के सम्मानों को हासिल किया. इतना ही नहीं ये साल 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं.

जेटली ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध साल 1973 से जय प्रकाश नारायण के ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ के दौरान छात्र और युवा संगठनों की जेपी द्वारा खुद गठित की गई ‘राष्ट्रीय समिति’ के जेटली आप संयोजक थे. आपको बता दें कि साल 1975 से 1977 में 19 महीनों तक आपातकाल के समय जेटली मीसा में बंदी रहने के बाद आप जनसंघ से जुड़े थे. एक वरिष्ट वकील होने के चलते साल 1977 से सुप्रीम कोर्ट और देश के कई उच्च न्यायालयों में जेटली ने वकालत की. वहीं साल 24 मई,1982 को अरुण जेटली ने संगीता जेटली से शादी की. जिसके बाद उनके दो बच्चे हुए, जिनमें बेटे का नाम रोहन है और दूसरी बेटी का नाम सोनाली है. बता दें कि ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ के शासन में अरुण जेटली ने केंद्रीय न्यायमंत्री समेत कई बड़े पदों की कुर्सी भी संभाली.

कानूनी कैरियर

साल 1977 से जेटली ने भारत के सुप्रीम कोर्ट और देश में कई उच्च न्यायालयों के सामने कानूनी अभ्यास किया. जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने साल 1990 में उन्हें वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया. बता दें कि वी.पी. सिंह सरकार ने साल 1989 में जेटली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था, साथ ही बोफोर्स घोटाले में जांच को लेकर कागजी कार्रवाई की थी. उन्होंने कानूनी और कई मामलों पर प्रकाशनों की रचना की.

इतना ही नहीं इन्होंने भारत-ब्रिटिश कानूनी फोरम से पहले भ्रष्टाचार और अपराध से जुड़े कानून पर एक पत्र भी प्रस्तुत किया, जोकि भारतीय सरकार की तरफ से जून 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को लेकर एक प्रतिनिधि था. उस दौरान ड्रग्स एंड मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कानूनों की घोषणा को मंजूरी मिली थी. साल 2002 में पेप्सी का प्रतिनिधित्व किया था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मनाली-रोहतांग रोड पर पारिस्थितिक तौर पर नाजुक चट्टानों पर विज्ञापनों की पेंटिंग के लिए आठ कंपनियों पर अच्छा-खासा जुर्माना लगाया था. जिसके चलते साल 2004 में राजस्थान उच्च न्यायालय के मामले में जेटली कोका कोला की तरफ दिखाई दिए थे.

राजनीतिक कैरियर

साल 1991 से अरुण जेटली बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहें और फिर साल 1999 में होने वाले आम चुनाव से पहले वो बीजेपी के प्रवक्ता बने. उस दौरान जेटली बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार वाजपेयी सरकार में आए और 13 अक्टूबर 1999 को उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री नियुक्त किया गया. राम जेठमलानी ने जब कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दिया, तब 23 जुलाई 2000 को जेटली ने इसी मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला.

आपको बता दें कि अरुण जेटली वाजपेयी सरकार के समय पहले कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने अतिरिक्त कार्यभार के तौर पर बीजेपी सरकार में रक्षा मंत्री के तौर पर काम किया. यूपीए शासन के समय उन्होंने 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर भी काम किया है. बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली ने वित्त मंत्रालय की कुर्सी को बाखूबी संभाला. वहीं अपनी स्वास्थ्य कारणों की वजह से ये मोदी-2 सरकार में शामिल नहीं हुए.

इस वजह से हुआ निधन

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 66 वर्षीय अरुण जेटली का 24 अगस्त को निधन हुआ. वो काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिस वजह से वो अस्पताल में भर्ती थे. दरअसल, वो सॉफ्ट टिशू सरकोमा नामक कैंसर से पीड़ित थे और वो डायबिटीज के भी मरीज थे. इतना ही नहीं उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुका था.

गाय को बचाने के लिए मौत के मुंह में समाया ये युवक, जानें EXCLUSIVE INSIDE स्टोरी

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गाय को बचाने के लिए मौत के मुंह में समाया ये युवक, जानें EXCLUSIVE INSIDE स्टोरी
बिजली विभाग की लापरवाही कब किसके लिए काल बन जाए, कहा नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली खबर का खुलासा हुआ है। यहां एक ग्रामीण हाई टेंशन लाइन की चपेट में आ गया। जिसकी मौत से पूरे इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रामीण की बिजली करंट से मौत के बाद इलाके में विभाग के खिलाफ आक्रोश का माहौल है। मौके की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। आइये जानें क्या है पूरा मामला।

क्या है मामला ? 

ये पूरा मामला थाना पूरनपुर क्षेत्र के ग्राम खमरिया पट्टी का है। क्षेत्र के निवासी रतन पाल अपने घर से कुछ दूरी पर स्थित पास के ढाबे पर घास चर रही गाय को लेने के लिए गया था। तभी अचानक से हाइवे के किनारे खाई में 3 माह से टूट पड़े हाईटेंशन लाइन में उतर रहे करंट की चपेट में गाय आ गई। गाय को तड़पता देख रतनलाल ने उसे बचाने की कोशिश की। जिसके बाद करेंट ने उसे भी अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों ने तत्काल प्रभाव से बिजली विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी और लाइन बंद कराई गई । लेकिन ग्रामीण सहित उसकी गाय की मौके पर ही मौत हो गई।

पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव 

इलाके में मौत की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने शव को कब्ज़े में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। आक्रोशित ग्रामीण लगातार बिजली विभाग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये मौत प्रशासन की लापरवाही के चलते हुई है।

मदद की गुहार लगाते परिजन

म्रतक के संबंधी राम चरन का कहना है कि ”11 हजार की लाइन कई दिनों से सड़क किनारे पड़ी हुई है। बिजली विभाग को कई बार इसकी सूचना दी गई ना तो उन्होंने लाइन को बंद किया और ना ही इसको सही करवाया। इनकी लापवाही से आज मेरे फूफा और उनकी गाय की मौत हो गई।  जिला प्रशासन को बिजली विभाग की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”

वहीं सामुदायिक केंद्र पूरनपुर के डाक्टर छत्रपाल का कहना है “पुलिस के द्वारा रतन पाल को लाया गया था जो म्रत अश्वथा में आया था। म्रत्यु का कारण अभी स्पष्ट नही हो सका है। ”

क्या आपको भी है भूख न लगने की समस्या तो बस आज ही अपनाएं ये घरेलू उपचार, जानिए…

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क्या आपको भी है भूख न लगने की समस्या तो बस आज ही अपनाएं ये घरेलू उपचार, जानिए…

भूख क्यों नहीं लगती – आमतौर पर भूख न लगना अस्‍थायी और प्रतिवर्ती होता है. जो ज्यादातर तनाव, चिंता और अवसाद जैसी तमाम मनोवैज्ञ‍ानिक कारणों से संबंधित होता है. इतना ही नहीं कई मेडिकल समस्‍याएं जैसे हाइपोथायरायडिज्‍म, बैक्‍टीरियल संक्रमण,हैपेटाइटिस, लीवर की समस्‍या, हार्ट फैल्‍योर और डिमेंशिया आदि भी भूख न लगने की वजह होते हैं. जो लोगों दवाईयों का सेवन करते हैं तो उन्हें कुछ दवाईयों की वजह से भी ऐसी समस्या हो सकती है.

बता दें कि भूख कम लगाना या फिर भूख न लगने से शरीर को पूरा और जरूरी आहार नहीं मिल पाता है. जिसके चलते कई तरह के अन्य बीमारी होने का भी खतरा बढ़ जाता है, लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि आज जो हम आपके लिए घरेलू उपाय लेकर आए हैं उन्हें अपनाकर आप अपनी इन समस्याओं से राहत पा सकेंगे, तो आइए आपको बताते हैं…

हरा धनिया का पीएं रस

अगर आपको भूक से संबंधित समस्या है तो आपको रोजाना सुबह के समय हरा धनिया पीस लेना है और उसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीना है. बता दें कि धनिया और नींबू में कई तरह के गुण मौजूद होते हैं जो पाचन तंत्र को सुचारू बनाते हैं. इसका सेवन करने से आपकी भूख न लगने की समस्या पूरी तरह से खत्म हो सकती है और आप की सेहत भी अच्छी रह सकती है.

मूली का सेवन – भूख क्यों नहीं लगती

रोजाना एक से दो मूली का सेवन करें हो सके तो अपने भोजन में मोली को सलाद के तौर पर सेवन करें या फिर इसकी सब्जी भी बनाकर खा सकते हैं. इसकी मदद से आपकी पाचन तंत्र की क्रिया एकदम सुचारू हो जाएगी और आपको भूख भी लगने लगेगी. लेकिन ध्यान रहे कि मूली का सेवन करने के तुरंत बाद आपको पानी नहीं पीना है.

अदरक का सेवन

आपको रोजाना खाना खाने से आधे घंटे पहले अदरक का सेवन करना है. अगर आप इसे ऐसे नहीं खा सकते हैं तो आप अदरक के साथ थोड़ा सा नमक लेकर भी सा सकते हैं. ऐसा करने से आपकी भूख बढ़ेगी और आपके शरीर को कई तरह से फायदा भी होगा, लेकिन ध्यान रहे आपको इसका सेवन हमेशा खाने खाने के आधे घंटे पहले ही करना है.

काला नमक

भूख न लगने की समस्या में काला नमक काफी अच्छा माना जाता है. इसमें कई ऐसे गुण मौजूद होते है जो इस तरह की समस्या को चुटकियों में दूर कर देते हैं. बता दें कि कला नमक पाचन तंत्र को एकदम सुचारू बना देता है. इतना ही नहीं काला नमक बदहजमी की समस्या को भी दूर करने में काफी मददगार साबित है. इसलिए रोजाना एक चम्मच काला नमक का सेवन जरूर करें.

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प्लास्टिक की बोतलों की बजाए बांस की बोतलों की बढ़ी मांग, जानिए इसके फायदे…

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प्लास्टिक की बोतलों की बजाए बांस की बोतलों की बढ़ी मांग, जानिए इसके फायदे…

Bamboo Bottles Price and Detail in Hindi – ज्यादातर हम सभी को अपनी सेहत का ख्याल रहता है जिसके चलते हम उन्ही चीजों का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, जिससे हमारी सेहत ठीक रहे. लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी देखते हुए असम के एक उद्यमी ने ऐसा आ‌विष्कार किया है, जिसे लेकर वो इन दिनों सुर्खियां बटोरने में रहे हैं. दरअसल, उन्होंने बांस की बोतलों का आविष्कार किया है. जिस वजह से इन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी एक जगह बना ली है.

आपको बता दें कि धृतिमान बोरा ने बांस की बोतलों का आविष्कार किया है, जो गुवाहाटी के बिश्वनाथ चाराली के रहने वाले हैं. इन्होंने जो बांस की बोतल बनाई हैं वो सौ प्रतिशत लीक प्रूफ हैं यानि कि इसमें आप पानी रख सकते हैं और जोकि लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है.

धृतिमान (Founder of Bamboo Bottles) का कहना है कि कटाई, सुखाने, पॉलिशिंग जैसे दूसरे प्रोसेस में एक बांस की बोतल बनाने में न्यूतम चार से पांच घंटे लगते हैं. इस तरह की बोतल इसलिए बनाई गई है ताकि प्लास्टिक की बोतलों के उपयोग बंद हो जाए और हर किसी की सेहत अच्छी रहे. उन्होंने आगे कहा कि बांस की बोतलों को बनाने में करीब 17 साल लग गए हैं. जोकि एकदम वॉटर प्रूफ बोतल हैं. फिनिशिंग लुक देने के लिए इन बोतलों की बाहरी परत को वाटरप्रूफ ऑयल से पॉलिश किया गया है. इतना ही नहीं इन बोतलों का ढक्कन भी बांस से ही बनाया गया है.

आपको बता दें कि बांस की ये बोतले पूर्ण रूम में जैविक हैं. ये चिलचिलाती गर्मियों के समय भी पानी को ठंडा रखने में मददगार साबित है. धृतिमान चाहते हैं कि हमारा देश पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त हो जाए, उन्होंने इको फ्रैंडली चीजें, बांस और जूट के उत्पादों का ही प्रयोग करने की सलाह दी है.

Bamboo Bottles Price and Detail in Hindi – जानकारी के लिए बता दें कि आपको ये बांस की बोतले आसानी से ऑनलाइन मिले जाएगी, जिसमें आपको तरह-तरह के आकार और डिजाइन्स भी देखने को मिलेंगे. अगर बात की जाए इन बोतलों के कीमत की तो ये 400 से 600 रुपए की कीमत में आपको मिल जाएगी.

वहीं देश में लगातार पर्यावरण को बचाने के लिए तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण शुद्ध और प्लास्टिक से मुक्त रहे, तो वहीं मोदी सरकार द्वारा मेक इन इंडिया यानि अपनी स्वदेशी चीजों का प्रयोग करने पर भी जोर दिया जा रहा है, जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.

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