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क्या आपके भी पैरों में होते हैं इस तरह के बदलाव, तो जानिए ये किन-किन बीमारियों की ओर करता है संकेत

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क्या आपके भी पैरों में होते हैं इस तरह के बदलाव, तो जानिए ये किन-किन बीमारियों की ओर करता है संकेत

नाखून का रंग बदलना – ये तो आप जानते ही होंगे कि जब भी शरीर में किसी तरह का कोई बदलाव नजर आता है तो हमें कोई न कोई बीमारी अपना शिकार ही बनाने वाली होती है, जिनमें से ज्यादा बदलाव शरीर के अंदरूनी में होते हैं, लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि पैरों के आकार या रंग में बदलाव भी आपको किसी गंभीर बीमारी की ओर संकेत देते हैं, अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको कुछ ऐसे ही संकेतों के बारे में विस्तार से बताते हैं…

गंभीर बीमारी से पहले शरीर देता है ये संकेत

  • अगर आए-दिन आपके पैर के ऐंठन में कोई न कोई परेशानी होती रहती है, तो ये इस बात का संकेत है कि किसी तरह का तरल पदार्थ आपके शरीर में कम हो रहा है. इसके अलावा ये इस बात का भी संकेत देता है कि शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन है.
  • अगर आपकी एड़ियों में आए-दिन दर्द रहता है या फिर आपका पैर ज्यादातर सुन्न रहता है तो ये इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको डायबिटीज या कैलकेनियम की समस्या है. ऐसे में आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए. साथ ही शरीर के खराब नर्वस सिस्टम की ओर भी ये संकेत होता है.
  • जिन लोगों के पैरों के नाखूनों का रंग ज्यादा ही पीले रंग का होता है तो इसका मतलब है कि आपके शरीर में किसी तरह की कोई बीमारी हो उत्पन्न हो रही है. इतना ही नहीं पैरों के नाखूनों का पीला होना या फिर फिर मोटे होकर मुड़ जाना, शरीर में स्किन की बीमारी या फिर कैंसर की बीमारी होने का खतरे की ओर संकेत करता है.
  • आपके पूरे पैरों में अगर हमेशा दर्द रहता है तो ये इस बात का संकेत है कि आपके शरीर में कैल्शियम, पोटेशियम और विटामिन्स की कमी है. इसके अलावा ये गठिया और डायबिटीज की ओर भी संकेत हैं.
  • अगर आपके पैरों के पंजों (नाखून का रंग बदलना) में सूजन आती है तो ये इस बात का संकेत है कि आपको किडनी से जुड़ी कोई परेशानी या फिर एनीमिया हो सकता है. इसके अलावा अगर आपके पैरों में झनझनाहट होती हैं तो ये शरीर में खराब ब्लड सर्कुलेशन और डायबिटीज की ओर संकेत करता है.
  • हम तो आपको ये ही कहेंगे कि अगर आप खुद को और अपने परिवार के सदस्यों को स्वास्थ देखते रहना चाहते हैं तो उन्हें दाल और दूध का सेवन जरूर करने की सलाह दें. रात में सोने से पहले एक गिलास दूध जरूर पीकर सोए.

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जानिए आखिर कैसे अरुण जेटली एक वकील से बने देश के बड़े राजनीतिज्ञ…

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जानिए आखिर कैसे अरुण जेटली एक वकील से बने देश के बड़े राजनीतिज्ञ…

अरुण जेटली, जो कभी एक साधारण वकील हुआ करते थे वो एक दिन बीजेपी को सत्ता तक पहुंचाने का दृढ़ सिपाही बनकर उभरें. साल 2014 में बीजेपी सत्ता में आई और अरुण जेटली को केंद्रीय वित्तमंत्री बनाया गया लेकिन इससे पहले भी जेटली ने एक विपक्षी पार्टी के तौर पर बीजेपी के नेता के रूप में सत्ताधारी कांग्रेस की खूब बखिया उधेड़ी. आज हम उसी दमदार नेता और देश के दमदार पूर्व मंत्रियों में से एक अरुण जेटली के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.

पूर्व केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली का जन्म 28 दिसम्बर,1952 को नई दिल्ली में हुआ था. इनके पिता महाराज किशन जेटली एक वकील थे. इनकी माता का नाम रतन प्रभा जेटली हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि कैसे एक वकील बने देश के बड़े राजनीतिज्ञ…

छात्र के तौर पर प्राप्त किए कई सम्मान

अरुण जेटली ने अपनी स्कूली पढ़ाई साल 1957 से 1969 तक सेंट जेवियर्स स्कूल से पूर्ण की. उसके बाद साल 1973 में उन्होंने श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से कॉमर्स की डिग्री प्राप्त की. इसके अलावा दिल्ली विश्‍वविद्यालय के विधि संकाय से साल 1977 में उन्होंने विधि की डिग्री प्राप्त की. आपको बता दें कि जेटली ने छात्र के तौर पर अपने कैरियर के दौरान अकादमिक और पाठ्यक्रम के समय गतिविधियों दोनों में कई तरह के सम्मानों को हासिल किया. इतना ही नहीं ये साल 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे चुके हैं.

जेटली ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध साल 1973 से जय प्रकाश नारायण के ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ के दौरान छात्र और युवा संगठनों की जेपी द्वारा खुद गठित की गई ‘राष्ट्रीय समिति’ के जेटली आप संयोजक थे. आपको बता दें कि साल 1975 से 1977 में 19 महीनों तक आपातकाल के समय जेटली मीसा में बंदी रहने के बाद आप जनसंघ से जुड़े थे. एक वरिष्ट वकील होने के चलते साल 1977 से सुप्रीम कोर्ट और देश के कई उच्च न्यायालयों में जेटली ने वकालत की. वहीं साल 24 मई,1982 को अरुण जेटली ने संगीता जेटली से शादी की. जिसके बाद उनके दो बच्चे हुए, जिनमें बेटे का नाम रोहन है और दूसरी बेटी का नाम सोनाली है. बता दें कि ‘राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन’ के शासन में अरुण जेटली ने केंद्रीय न्यायमंत्री समेत कई बड़े पदों की कुर्सी भी संभाली.

कानूनी कैरियर

साल 1977 से जेटली ने भारत के सुप्रीम कोर्ट और देश में कई उच्च न्यायालयों के सामने कानूनी अभ्यास किया. जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने साल 1990 में उन्हें वरिष्ठ वकील के तौर पर नामित किया. बता दें कि वी.पी. सिंह सरकार ने साल 1989 में जेटली को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया था, साथ ही बोफोर्स घोटाले में जांच को लेकर कागजी कार्रवाई की थी. उन्होंने कानूनी और कई मामलों पर प्रकाशनों की रचना की.

इतना ही नहीं इन्होंने भारत-ब्रिटिश कानूनी फोरम से पहले भ्रष्टाचार और अपराध से जुड़े कानून पर एक पत्र भी प्रस्तुत किया, जोकि भारतीय सरकार की तरफ से जून 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र को लेकर एक प्रतिनिधि था. उस दौरान ड्रग्स एंड मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कानूनों की घोषणा को मंजूरी मिली थी. साल 2002 में पेप्सी का प्रतिनिधित्व किया था, जहां सुप्रीम कोर्ट ने मनाली-रोहतांग रोड पर पारिस्थितिक तौर पर नाजुक चट्टानों पर विज्ञापनों की पेंटिंग के लिए आठ कंपनियों पर अच्छा-खासा जुर्माना लगाया था. जिसके चलते साल 2004 में राजस्थान उच्च न्यायालय के मामले में जेटली कोका कोला की तरफ दिखाई दिए थे.

राजनीतिक कैरियर

साल 1991 से अरुण जेटली बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहें और फिर साल 1999 में होने वाले आम चुनाव से पहले वो बीजेपी के प्रवक्ता बने. उस दौरान जेटली बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार वाजपेयी सरकार में आए और 13 अक्टूबर 1999 को उन्हें सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री नियुक्त किया गया. राम जेठमलानी ने जब कानून, न्याय और कंपनी मामलों के केंद्रीय मंत्री के तौर पर इस्तीफा दिया, तब 23 जुलाई 2000 को जेटली ने इसी मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभाला.

आपको बता दें कि अरुण जेटली वाजपेयी सरकार के समय पहले कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. उन्होंने अतिरिक्त कार्यभार के तौर पर बीजेपी सरकार में रक्षा मंत्री के तौर पर काम किया. यूपीए शासन के समय उन्होंने 2009 से 2014 तक राज्यसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर भी काम किया है. बता दें कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में अरुण जेटली ने वित्त मंत्रालय की कुर्सी को बाखूबी संभाला. वहीं अपनी स्वास्थ्य कारणों की वजह से ये मोदी-2 सरकार में शामिल नहीं हुए.

इस वजह से हुआ निधन

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में 66 वर्षीय अरुण जेटली का 24 अगस्त को निधन हुआ. वो काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिस वजह से वो अस्पताल में भर्ती थे. दरअसल, वो सॉफ्ट टिशू सरकोमा नामक कैंसर से पीड़ित थे और वो डायबिटीज के भी मरीज थे. इतना ही नहीं उनका किडनी ट्रांसप्लांट भी हो चुका था.

गाय को बचाने के लिए मौत के मुंह में समाया ये युवक, जानें EXCLUSIVE INSIDE स्टोरी

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गाय को बचाने के लिए मौत के मुंह में समाया ये युवक, जानें EXCLUSIVE INSIDE स्टोरी
बिजली विभाग की लापरवाही कब किसके लिए काल बन जाए, कहा नहीं जा सकता। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से एक ऐसी ही दिल दहला देने वाली खबर का खुलासा हुआ है। यहां एक ग्रामीण हाई टेंशन लाइन की चपेट में आ गया। जिसकी मौत से पूरे इलाके में हड़कंप मचा हुआ है। ग्रामीण की बिजली करंट से मौत के बाद इलाके में विभाग के खिलाफ आक्रोश का माहौल है। मौके की सूचना मिलते ही पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। आइये जानें क्या है पूरा मामला।

क्या है मामला ? 

ये पूरा मामला थाना पूरनपुर क्षेत्र के ग्राम खमरिया पट्टी का है। क्षेत्र के निवासी रतन पाल अपने घर से कुछ दूरी पर स्थित पास के ढाबे पर घास चर रही गाय को लेने के लिए गया था। तभी अचानक से हाइवे के किनारे खाई में 3 माह से टूट पड़े हाईटेंशन लाइन में उतर रहे करंट की चपेट में गाय आ गई। गाय को तड़पता देख रतनलाल ने उसे बचाने की कोशिश की। जिसके बाद करेंट ने उसे भी अपनी चपेट में ले लिया। ग्रामीणों ने तत्काल प्रभाव से बिजली विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दी और लाइन बंद कराई गई । लेकिन ग्रामीण सहित उसकी गाय की मौके पर ही मौत हो गई।

पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव 

इलाके में मौत की सूचना मिलते ही मौके पर पुलिस पहुंची। पुलिस ने शव को कब्ज़े में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। आक्रोशित ग्रामीण लगातार बिजली विभाग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि ये मौत प्रशासन की लापरवाही के चलते हुई है।

मदद की गुहार लगाते परिजन

म्रतक के संबंधी राम चरन का कहना है कि ”11 हजार की लाइन कई दिनों से सड़क किनारे पड़ी हुई है। बिजली विभाग को कई बार इसकी सूचना दी गई ना तो उन्होंने लाइन को बंद किया और ना ही इसको सही करवाया। इनकी लापवाही से आज मेरे फूफा और उनकी गाय की मौत हो गई।  जिला प्रशासन को बिजली विभाग की लापरवाही पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।”

वहीं सामुदायिक केंद्र पूरनपुर के डाक्टर छत्रपाल का कहना है “पुलिस के द्वारा रतन पाल को लाया गया था जो म्रत अश्वथा में आया था। म्रत्यु का कारण अभी स्पष्ट नही हो सका है। ”

क्या आपको भी है भूख न लगने की समस्या तो बस आज ही अपनाएं ये घरेलू उपचार, जानिए…

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क्या आपको भी है भूख न लगने की समस्या तो बस आज ही अपनाएं ये घरेलू उपचार, जानिए…

भूख क्यों नहीं लगती – आमतौर पर भूख न लगना अस्‍थायी और प्रतिवर्ती होता है. जो ज्यादातर तनाव, चिंता और अवसाद जैसी तमाम मनोवैज्ञ‍ानिक कारणों से संबंधित होता है. इतना ही नहीं कई मेडिकल समस्‍याएं जैसे हाइपोथायरायडिज्‍म, बैक्‍टीरियल संक्रमण,हैपेटाइटिस, लीवर की समस्‍या, हार्ट फैल्‍योर और डिमेंशिया आदि भी भूख न लगने की वजह होते हैं. जो लोगों दवाईयों का सेवन करते हैं तो उन्हें कुछ दवाईयों की वजह से भी ऐसी समस्या हो सकती है.

बता दें कि भूख कम लगाना या फिर भूख न लगने से शरीर को पूरा और जरूरी आहार नहीं मिल पाता है. जिसके चलते कई तरह के अन्य बीमारी होने का भी खतरा बढ़ जाता है, लेकिन आपको घबराने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि आज जो हम आपके लिए घरेलू उपाय लेकर आए हैं उन्हें अपनाकर आप अपनी इन समस्याओं से राहत पा सकेंगे, तो आइए आपको बताते हैं…

हरा धनिया का पीएं रस

अगर आपको भूक से संबंधित समस्या है तो आपको रोजाना सुबह के समय हरा धनिया पीस लेना है और उसमें एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर पीना है. बता दें कि धनिया और नींबू में कई तरह के गुण मौजूद होते हैं जो पाचन तंत्र को सुचारू बनाते हैं. इसका सेवन करने से आपकी भूख न लगने की समस्या पूरी तरह से खत्म हो सकती है और आप की सेहत भी अच्छी रह सकती है.

मूली का सेवन – भूख क्यों नहीं लगती

रोजाना एक से दो मूली का सेवन करें हो सके तो अपने भोजन में मोली को सलाद के तौर पर सेवन करें या फिर इसकी सब्जी भी बनाकर खा सकते हैं. इसकी मदद से आपकी पाचन तंत्र की क्रिया एकदम सुचारू हो जाएगी और आपको भूख भी लगने लगेगी. लेकिन ध्यान रहे कि मूली का सेवन करने के तुरंत बाद आपको पानी नहीं पीना है.

अदरक का सेवन

आपको रोजाना खाना खाने से आधे घंटे पहले अदरक का सेवन करना है. अगर आप इसे ऐसे नहीं खा सकते हैं तो आप अदरक के साथ थोड़ा सा नमक लेकर भी सा सकते हैं. ऐसा करने से आपकी भूख बढ़ेगी और आपके शरीर को कई तरह से फायदा भी होगा, लेकिन ध्यान रहे आपको इसका सेवन हमेशा खाने खाने के आधे घंटे पहले ही करना है.

काला नमक

भूख न लगने की समस्या में काला नमक काफी अच्छा माना जाता है. इसमें कई ऐसे गुण मौजूद होते है जो इस तरह की समस्या को चुटकियों में दूर कर देते हैं. बता दें कि कला नमक पाचन तंत्र को एकदम सुचारू बना देता है. इतना ही नहीं काला नमक बदहजमी की समस्या को भी दूर करने में काफी मददगार साबित है. इसलिए रोजाना एक चम्मच काला नमक का सेवन जरूर करें.

और पढ़ें: गर्भवती महिलाओं की आत्मरक्षा के लिए क्या कहता है देश का कानून

प्लास्टिक की बोतलों की बजाए बांस की बोतलों की बढ़ी मांग, जानिए इसके फायदे…

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प्लास्टिक की बोतलों की बजाए बांस की बोतलों की बढ़ी मांग, जानिए इसके फायदे…

Bamboo Bottles Price and Detail in Hindi – ज्यादातर हम सभी को अपनी सेहत का ख्याल रहता है जिसके चलते हम उन्ही चीजों का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं, जिससे हमारी सेहत ठीक रहे. लोगों में अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधानी देखते हुए असम के एक उद्यमी ने ऐसा आ‌विष्कार किया है, जिसे लेकर वो इन दिनों सुर्खियां बटोरने में रहे हैं. दरअसल, उन्होंने बांस की बोतलों का आविष्कार किया है. जिस वजह से इन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी एक जगह बना ली है.

आपको बता दें कि धृतिमान बोरा ने बांस की बोतलों का आविष्कार किया है, जो गुवाहाटी के बिश्वनाथ चाराली के रहने वाले हैं. इन्होंने जो बांस की बोतल बनाई हैं वो सौ प्रतिशत लीक प्रूफ हैं यानि कि इसमें आप पानी रख सकते हैं और जोकि लंबे समय तक सुरक्षित रह सकता है.

धृतिमान (Founder of Bamboo Bottles) का कहना है कि कटाई, सुखाने, पॉलिशिंग जैसे दूसरे प्रोसेस में एक बांस की बोतल बनाने में न्यूतम चार से पांच घंटे लगते हैं. इस तरह की बोतल इसलिए बनाई गई है ताकि प्लास्टिक की बोतलों के उपयोग बंद हो जाए और हर किसी की सेहत अच्छी रहे. उन्होंने आगे कहा कि बांस की बोतलों को बनाने में करीब 17 साल लग गए हैं. जोकि एकदम वॉटर प्रूफ बोतल हैं. फिनिशिंग लुक देने के लिए इन बोतलों की बाहरी परत को वाटरप्रूफ ऑयल से पॉलिश किया गया है. इतना ही नहीं इन बोतलों का ढक्कन भी बांस से ही बनाया गया है.

आपको बता दें कि बांस की ये बोतले पूर्ण रूम में जैविक हैं. ये चिलचिलाती गर्मियों के समय भी पानी को ठंडा रखने में मददगार साबित है. धृतिमान चाहते हैं कि हमारा देश पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त हो जाए, उन्होंने इको फ्रैंडली चीजें, बांस और जूट के उत्पादों का ही प्रयोग करने की सलाह दी है.

Bamboo Bottles Price and Detail in Hindi – जानकारी के लिए बता दें कि आपको ये बांस की बोतले आसानी से ऑनलाइन मिले जाएगी, जिसमें आपको तरह-तरह के आकार और डिजाइन्स भी देखने को मिलेंगे. अगर बात की जाए इन बोतलों के कीमत की तो ये 400 से 600 रुपए की कीमत में आपको मिल जाएगी.

वहीं देश में लगातार पर्यावरण को बचाने के लिए तरह-तरह के अभियान चलाए जा रहे हैं, जिससे पर्यावरण शुद्ध और प्लास्टिक से मुक्त रहे, तो वहीं मोदी सरकार द्वारा मेक इन इंडिया यानि अपनी स्वदेशी चीजों का प्रयोग करने पर भी जोर दिया जा रहा है, जिससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी.

और पढ़ें: ड्राइविंग लाइसेंस गुम हो जाए तो क्या करें? ये रहे उपाय

जानिए रुद्राभिषेक की महिमा से लेकर इससे जुड़ी खास बातें, शिव जी की बनेगी विशेष कृपा

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जानिए रुद्राभिषेक की महिमा से लेकर इससे जुड़ी खास बातें, शिव जी की बनेगी विशेष कृपा

Importance of Rudrabhishek in Hindi – सावन में विशेषतौर पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है. माना जाता है जो व्यक्ति सचे मन से शिव जी की आराधना करता है, उन पर भगवान शिव की विशेष कृपा होती है, लेकिन क्या आपको इस बारे में जानकारी है कि भगवान शिव अपने भक्तों पर रुद्राभिषेक से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं. अगर आप शिव जी का सबसे प्रिय रुद्राभिषेक करना भूल गए हैं, तो अभी भी देर नहीं हुई है आप सावन माह में किसी भी दिन या फिर सोमवार के दिन भी रुद्राभिषेक कर सकते हैं, तो आइए आपको रद्राभिषेक की महिमा से लेकर उससे जुड़ी सभी जरूरी बातें बताते हैं…

पुराणों के मुताबिक शिव जी की आराधना करने मानव को अपने कई जन्मों के पुण्य का फल प्राप्त होता है. ज्योतिष की मानें तो जो लोग सावन में महादेव को जल्दी से प्रसन्न करना चाहते हैं उनके लिए रुद्रभिषेक सबसे अचूक उपाय है. बता दें कि शिव और रूद्र एक दूसरे के पर्यायवाची शब्द हैं, रूद्र शिव जी का प्रचंड रूप है. इनकी कृपा जिस पर हो जाए उसका साभी ग्रह बाधाओं और समस्याओं का नाश हो जाता है.

आपको बता दें कि जब शिवलिंग पर मंत्रों के साथ खास तौर पर सभी चीजें चढ़ाईं जाती हैं, तो इस पद्धति को ही रुद्राभिषेक कहा जाता है. जिसमें शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का खासतौर पर पाठ किया जाता है.

किस शिवलिंग पर करना चाहिए रुद्राभिषेक ?

वैसे तो मंदिर के शिवलिंग पर ही अगर आप रुद्राभिषेक करेंगे तो ऐसा करना बहुत उत्तम होता है, लेकिन अगर आप घर में ही पार्थिव शिवलिंग पर अभिषेक कर सकते हैं. इसके अलावा आप शिवलिंग के अभाव में अंगूठे को भी शिवलिंग मानते हुए अभिषेक कर सकते हैं. शिवलिंग का अभिषेक करने की ये परंपरा बहुत पुरानी है. तो आइए आपको आगे बताते हैं कि रुद्राभिषेक किन-किन चीजों की जरूरत पड़ती है…

कल्याणकारी है रुद्राभिषेक – Importance of Rudrabhishek in Hindi

    • गाय के दूध से शिवलिंग पर अभिषेक करने से आरोग्य प्राप्त होता है.
    • शिवलिंग पर शहद से अभिषेक करने से हर तरह की बीमारियां सम्पात हो जाती हैं.
    • घी से शिवलिंग का अभिषेक करने से वंश का विस्तार होता है.
    • दूध में शक्कर मिलाकर अभिषेक करने से व्यक्ति विद्वान हो जाता है.
    • संतान की प्राप्ति के लिए जल में शक्कर मिलकर अभिषेक करने चाहिए.
    • भस्म से शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्त होती है.
    • इक्षुरस से शिवलिंग का अभिषेक करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

रुद्रभिषेक कब करना रहता है अच्छा

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ज्यादातर हर पूजा के लिए एक शुभ मुहूर्त जरूर होता है, ऐसमें आपको तिथियों का खास ध्यान रखना चाहिए, लेकिन सावन के महीने में तो सभी दिन शिव जी की पूजा के लिए शुभ है. माना जाता है कि सावन में रुद्राभिषेक करने से शिव की खास कृपा मिलती है.

और पढ़ें: खाटू श्याम जी का इतिहास क्या है? पांडवों से जुड़ा है कनेक्शन

इस दिन झाड़ू खरीदने और लगाने पर रातों-रात चमक सकती है आपकी किस्मत

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इस दिन झाड़ू खरीदने और लगाने पर रातों-रात चमक सकती है आपकी किस्मत

झाड़ू कब खरीदना चाहिए – हिन्दू धर्म में झाड़ू को मां लक्ष्मी का रूप माना जाता है. इसलिए ज्यादातर घरों में झाड़ू का काफी आदर भी किया जाता है, ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में झाड़ू का अपमान होता है उस घर में मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है. जिस घर में सुबह के 5 बजे और शाम के 5 बजे से पहले झाड़ू लगती है, उस घर में सदैव मां लक्ष्मी का वास रहता है. इतना ही नहीं जिस घर में झाड़ू हर किसी की नजर से दूर छुपाकर रखी जाती है. उनके घर में कभी भी धन की कमी नहीं होती है.

आपको बता दें कि गलती से भी कभी झाड़ू पर पैर नहीं लगाना चाहिए, ऐसा करना भी मां लक्ष्मी का अपमान माना जाता है, ऐसा करने से आपको घर में कई तरह की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इतना ही नहीं जिस अलमारी या तिजोरी में आप पैसा या अन्य कीमती चीज रखते हैं तो उसके पास कभी भी झाड़ू नहीं रखनी चाहिए, वरना आपको धन हानि हो सकती है. जैसे हिन्दू शास्त्र में घर में झाड़ू लगाने का समय बताया गया है वैसे ही पुरानी झाड़ू खराब होने पर नई झाड़ू लगाने के लिए उचित दिन बताया गया है. इसके अलावा नई झाड़ू खरीदने के लिए भी उचित दिन बताया गया है तो आइए आपको बताते हैं…

झाड़ू कब खरीदना चाहिए

वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में नई झाड़ू को शुक्रवार के दिन खरीदना चाहिए, इससे घर में मां लक्ष्मी का भी वास होता है, वहीं पुरानी झाड़ू को बदलकर नई झाड़ू का प्रयोग करने के लिए शनिवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है. इसके अलावा कृष्ण पक्ष में भी नई झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है, जबकि शुक्ल पक्ष में झाड़ू खरीदने से आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए ध्यान रहे गलती से भी शुक्ल पक्ष में झाड़ू नहीं खरीदें.

आपको जानकारी के लिए बता दें कि कभी भी टूटी हुई झाड़ू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, अक्सर कई लोग झाड़ू टूट जाने के बाद भी उसे जोड़-तोड़ के अपने घर या दफ्तर में इस तरह की झाड़ू का प्रयोग करते हैं, लेकिन ऐसा करना वास्तु की दृष्टि से बिल्कुल गलत है. जैसे ही आपकी झाड़ू टूट जाती है उसे तुरंत बदल देना चाहिए, क्योंकि घर की सफाई टूटी हुई झाडू से करने पर आपको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.

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इतने करोड़ की सम्पत्ति की मालकिन थीं सुषमा स्वराज, जानें अब किसका होगा इसपर हक?

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इतने करोड़ की सम्पत्ति की मालकिन थीं सुषमा स्वराज, जानें अब किसका होगा इसपर हक?

बीजेपी की वरिष्ठ नेत्री और पूर्व विदेश मंत्री मंगलवार रात इस दुनिया को अलविदा कह चुकी है. उन्होनें दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली. सुषमा स्वराज उन नेताओं में से थी जिसकी सिर्फ पक्ष ही नहीं विपक्ष भी तारीफ करता था. उन्होनें अपने काम करने के तरीके से सबका दिल जीत लिया था. उनके इस तरह अचानक दुनिया छोड़ कर जाने की खबर ने हर किसी को हैरान कर दिया. हर कोई उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहा है.

सुषमा स्वराज ने बतौर विदेश मंत्री अपना काम काफी अच्छे से किया. वो अपने भाषणों के जरिए लोगों को देश ही नहीं पूरी दुनिया में वाह-वाही लूट चुकी है. संयुक्त राष्ट्र भी उनकी तारीफ कर चुका है. सुषमा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहा करती थी. उन्होनें ट्विटर के जरिए कई लोगों की मदद की है जो काफी सुर्खियों में भी रहे है. आइए आपको बताते है सुषमा स्वराज की संपत्ति के बारे में..कि आखिर उनके पास क्या-क्या था जिसे वो छोड़ कर गई है?

32 करोड़ की है सम्पत्ति

बता दें कि एडीआर इंडिया की वेबसाइट से मुताबिक 2018 के आखिरी एफिडेविट के अनुसार सुषमा और उनके पति के पास 32 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति थी. मिली हुई जानकारी के अनुसार उनके पास 19 करोड़ से ज्यादा की सेविंग है. जिसमें 17 करोड़ के एफडीआर शामिल हैं. इसके अलावा सुषमा और उनके पति के बैंक अकांउट में 30 लाख रुपये है. अगर गाड़ी की बात करें तो सुषमा स्वराज के पास कोई निजी गाड़ी नहीं थी. उनके पति के पास 36 लाख की कीमत की 2017 मॉडल की मर्सिडीज गाड़ी है.

सुषमा को था गहनों का शौक

2018 में राज्यसभा चुनाव के लिए सुषमा स्वराज ने जो इनकम एफिडेविड दिया था. उसके मुताबिक उनको गहनों का काफी शौक था. उनके पास सोने-चांदी के कुल 29 लाख से ज्यादा के आभूषण थे.

इतने करोड़ की है प्रॉपर्टी

अगर उनकी प्रॉपर्टी की बात करें तो सुषमा और उनके पति दोनों के पास मिलाकर करोड़ो की प्रॉपर्टी है. उनके पास हरियाणा के पलवल में खेती की अच्छी खासी जमीन है. जिसकी कीमत 98 लाख तक बताई जाती है. इसके अलावा दिल्ली के पॉश इलाके में सुषमा स्वराज का एक 3 बीएचके फ्लैट भी है. जिसकी कीमत 2 करोड़ के करीब की बताई जाती है.

सुषमा के पति के नाम पर दिल्ली और मुंबई में 2 फ्लैट है. मुंबई वाले फ्लैट की कीमत 6 करोड़ और दिल्ली वाले फ्लैट की कीमत 2 करोड़ रुपये तक है. लेकिन इन सब में बड़ी बात ये है कि सुषमा या उनके पति के ऊपर किसी भी तरह का कोई भी कर्ज नहीं है. सुषमा स्वराज के निधन के बाद अब इन सब सम्पितयों के मालिक उनके पति ही होंगे.

सुषमा स्वराज की वो जिद जिसके आगे घरवालों ने भी टेक दिए थे घुटने

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सुषमा स्वराज की वो जिद जिसके आगे घरवालों ने भी टेक दिए थे घुटने

भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज ने मंगलवार को 67 की उम्र में दुनिया से अलविदा कह दिया। मंगलवार को हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां सुषमा ने अपनी अंतिम सांसें ली। बीजेपी की ऐसी कुशल नेता का यूं आकस्मिक तरीके से चले जाना, एक अविश्वसनीय घटना प्रतीत होती है। अपनी मनमर्ज़ी की मालिक, एक ज़िंदादिल इंसान, और एक सशक्त नेता ये सभी गुण किसी दुर्लभ व्यक्ति में ही मिलते हैं। और सुषमा उन्ही शख्सियतों में से एक थीं। बतौर विदेश मंत्री जहां पूरी दुनिया में उन्होंने बेबाक होकर भारत का पक्ष रखा, वहीं अपनी निजी जिंदगी के कुछ बड़े फैसले भी उन्होंने अपने मनमुताबिक ही लिए।

दर्ज हैं कई कीर्तिमान

सुषमा स्वराज

सुषमा का जीवनकाल एक से बढ़कर एक कीर्तिमानों से भरा हुआ है। वो दुनिया से तो चली गईं, लेकिन इनकी उपलब्धियां हमेशा देश को याद रहेंगी। 14 फरवरी 1952 में सुषमा स्वराज का जन्म हुआ। उनकी कुशलता के चलते 25 साल की उम्र में ही उन्हें सबसे युवा कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल चुका था। 1977 से 1979 तक इनको कल्याण, श्रम जैसे कई मंत्रालय मिले। कैबिनेट मंत्री बनने के महज दो साल बाद  हरयाणा में उन्हें जनता पार्टी का राज्य अध्यक्ष बना दिया गया। इसके अलावा उनके पास नेशनल पार्टी की पहली महिला सीएम, कैबिनेट मंत्री और पहली महिला प्रवक्ता के रूप में पहचान मिली। इंदिरा गांधी जैसी महान नेता के बाद विदेश मंत्री का पद संभालने वाली सुषमा दूसरी महिला थीं।  ये सात बार सांसद भी रह चुकी हैं।

माना जाता था आडवाणी कैंप का नेता

सुषमा स्वराज और लाल कृष्ण आडवाणी

अपने काम और स्वभाव के चलते सिर्फ जनता में ही नहीं बल्कि पार्टी के अंदर भी वे काफी लोकप्रिय थीं। उनकी परिपक्वता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी के कई दिग्गज नेता जैसे लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उन्होने काफी समय तक काम किया। हमेशा से ही उन्हें आडवाणी कैंप का नेता माना जाता था। न ही सिर्फ सत्ता के दौरान बल्कि विपक्ष के तौर पर भी उन्होंने सबका दिल जीता।

सुषमा ने की थी लव मैरिज

सुषमा स्वराज की शादी

इस बात से काफी लोग अनजान होंगे कि सुषमा की लव मैरिज हुई थी। आजकल के समय ये बात कहने या सुनने में भले ही सरल और स्वाभाविक लग रही है। लेकिन उस दौर में लड़कियों को अपनी मनमुताबिक शादी करने की इज़ाज़त नहीं थी। लोग लड़कियों को पर्दे में रखना पसंद करते थे। लेकिन सुषमा का स्वभाव शुरुआत से ही आज़ाद पंछी जैसा था। समाज की बेड़ियों में बंधकर रहना ,उनका शौक नहीं था। नतीजतन उन्होंने अपने घरवालों के सामने हिम्मत दिखाई और अपनी बात रखी। ये बात सच है कि परिवार को मनाने में उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन आख़िरकार सुषमा अपनी कोशिशों में सफल रहीं। 13 जुलाई 1975 में उन्होनें सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील स्वराज कौशल से शादी करी। और ऐसे दोनों की प्रेम कहानी को एक नई मंजिल मिली।

जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज और क्या है इसका महत्व…

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जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज और क्या है इसका महत्व…

Hariyali Teej Kaise Manaye full process in Hindi – हिन्दू धर्म में तीज त्यौहार का काफी महत्व होता है. ये शिव जी और पर्वती के अटूट प्रेम को दर्शाता है. हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ने वाले हरियाली तीज को देशभर में मनाया जा रहा है. सावन में हर तरफ हरियाली छाई होती है इसी बीच तीज पड़ता है, जिसे हरियाली तीज कहा जाता है.

वहीं जो सुहागन महिलाएं पहली बार इस त्यौहार पर व्रत रख रही हैं, उन्हें कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो आइए आपको बताते हैं हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है और ये सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों खास होता है, साथ ही किन पांच बातों का ध्यान रखना चाहिए…

क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज ?

कहा जाता है कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मां पार्वती ने शिव जी को कठिन तपस्या के बाद पाया था. जिनके तप से खुश होने के बाद शिव जी ने उन्हें पत्‍नी के तौर पर स्‍वीकार किया था. इसलिए इस पर्व को मां पार्वती को समर्पित है.

मान्यता है कि अगर किसी लड़की की शादी नहीं हो पा रही है और किसी न किसी तरह से विवाह में अड़चन आ रही है, तो उसे इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना और व्रत करना चाहिए. वहीं, सुहागिन महिलाओं को शिव जी और मां पार्वती दोनों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

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सुहागिनों के लिए है खास त्योहार 

हरियाली तीज सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है. अगर आपकी इसी साल शादी हुई है और ये आपका पहला हरियाली तीज पड़ रहा है, तो इस व्रत जरूर रखें. इसके अलावा नवविवाहित महिलाएं इस त्यौहार को अपने मायके में ही मनाती हैं. इस दिन विवाहित महिलाओं को नई चूड़ियां, पैरों में अल्ता और मेहंदी सहित सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान – Hariyali Teej Kaise Manaye

  • हरियाली तीज के दिन महिलाओं का सबसे पहले नहा लेना चाहिए, उसके बाद एक पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर मां पार्वती की मूर्ति को रेशमी वस्त्र और गहने से सजा दें. देवी के इस रूप को तीज माता भी कहा जाता है.
  • ध्यान रहें माता की मूर्ति अर्धगोले आकार वाली ही हो, ये आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगी. जिन्हें आपको पूजा स्थान में रखकर पूजा करनी हैं.
  • इस त्यौहार की पूजा में विशेष महत्व व्रत कथा का है, जिसके चलते हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें और इस दौरान अपने घर-परिवार और खासतौर पर अपने पति का ध्यान करें.
  • आपको बता दें कि इस तीज में व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता है. साथी महिलाओं को पूरी तरह दुल्हन के जैसे ही सजना होता है.
  • वहीं जब शाम होने वाली होती है तब सभी महिलाएं नाचती और गाती हैं. कुछ महिलाएं तो इस मौके पर झूला भी झूलती हैं.