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सुषमा स्वराज की वो जिद जिसके आगे घरवालों ने भी टेक दिए थे घुटने

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सुषमा स्वराज की वो जिद जिसके आगे घरवालों ने भी टेक दिए थे घुटने

भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज ने मंगलवार को 67 की उम्र में दुनिया से अलविदा कह दिया। मंगलवार को हार्ट अटैक आने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। जहां सुषमा ने अपनी अंतिम सांसें ली। बीजेपी की ऐसी कुशल नेता का यूं आकस्मिक तरीके से चले जाना, एक अविश्वसनीय घटना प्रतीत होती है। अपनी मनमर्ज़ी की मालिक, एक ज़िंदादिल इंसान, और एक सशक्त नेता ये सभी गुण किसी दुर्लभ व्यक्ति में ही मिलते हैं। और सुषमा उन्ही शख्सियतों में से एक थीं। बतौर विदेश मंत्री जहां पूरी दुनिया में उन्होंने बेबाक होकर भारत का पक्ष रखा, वहीं अपनी निजी जिंदगी के कुछ बड़े फैसले भी उन्होंने अपने मनमुताबिक ही लिए।

दर्ज हैं कई कीर्तिमान

सुषमा स्वराज

सुषमा का जीवनकाल एक से बढ़कर एक कीर्तिमानों से भरा हुआ है। वो दुनिया से तो चली गईं, लेकिन इनकी उपलब्धियां हमेशा देश को याद रहेंगी। 14 फरवरी 1952 में सुषमा स्वराज का जन्म हुआ। उनकी कुशलता के चलते 25 साल की उम्र में ही उन्हें सबसे युवा कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल चुका था। 1977 से 1979 तक इनको कल्याण, श्रम जैसे कई मंत्रालय मिले। कैबिनेट मंत्री बनने के महज दो साल बाद  हरयाणा में उन्हें जनता पार्टी का राज्य अध्यक्ष बना दिया गया। इसके अलावा उनके पास नेशनल पार्टी की पहली महिला सीएम, कैबिनेट मंत्री और पहली महिला प्रवक्ता के रूप में पहचान मिली। इंदिरा गांधी जैसी महान नेता के बाद विदेश मंत्री का पद संभालने वाली सुषमा दूसरी महिला थीं।  ये सात बार सांसद भी रह चुकी हैं।

माना जाता था आडवाणी कैंप का नेता

सुषमा स्वराज और लाल कृष्ण आडवाणी

अपने काम और स्वभाव के चलते सिर्फ जनता में ही नहीं बल्कि पार्टी के अंदर भी वे काफी लोकप्रिय थीं। उनकी परिपक्वता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीजेपी के कई दिग्गज नेता जैसे लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी के साथ उन्होने काफी समय तक काम किया। हमेशा से ही उन्हें आडवाणी कैंप का नेता माना जाता था। न ही सिर्फ सत्ता के दौरान बल्कि विपक्ष के तौर पर भी उन्होंने सबका दिल जीता।

सुषमा ने की थी लव मैरिज

सुषमा स्वराज की शादी

इस बात से काफी लोग अनजान होंगे कि सुषमा की लव मैरिज हुई थी। आजकल के समय ये बात कहने या सुनने में भले ही सरल और स्वाभाविक लग रही है। लेकिन उस दौर में लड़कियों को अपनी मनमुताबिक शादी करने की इज़ाज़त नहीं थी। लोग लड़कियों को पर्दे में रखना पसंद करते थे। लेकिन सुषमा का स्वभाव शुरुआत से ही आज़ाद पंछी जैसा था। समाज की बेड़ियों में बंधकर रहना ,उनका शौक नहीं था। नतीजतन उन्होंने अपने घरवालों के सामने हिम्मत दिखाई और अपनी बात रखी। ये बात सच है कि परिवार को मनाने में उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा लेकिन आख़िरकार सुषमा अपनी कोशिशों में सफल रहीं। 13 जुलाई 1975 में उन्होनें सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील स्वराज कौशल से शादी करी। और ऐसे दोनों की प्रेम कहानी को एक नई मंजिल मिली।

जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज और क्या है इसका महत्व…

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जानिए क्यों मनाई जाती है हरियाली तीज और क्या है इसका महत्व…

Hariyali Teej Kaise Manaye full process in Hindi – हिन्दू धर्म में तीज त्यौहार का काफी महत्व होता है. ये शिव जी और पर्वती के अटूट प्रेम को दर्शाता है. हर साल सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ने वाले हरियाली तीज को देशभर में मनाया जा रहा है. सावन में हर तरफ हरियाली छाई होती है इसी बीच तीज पड़ता है, जिसे हरियाली तीज कहा जाता है.

वहीं जो सुहागन महिलाएं पहली बार इस त्यौहार पर व्रत रख रही हैं, उन्हें कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो आइए आपको बताते हैं हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है और ये सुहागिन महिलाओं के लिए क्यों खास होता है, साथ ही किन पांच बातों का ध्यान रखना चाहिए…

क्यों मनाया जाता है हरियाली तीज ?

कहा जाता है कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मां पार्वती ने शिव जी को कठिन तपस्या के बाद पाया था. जिनके तप से खुश होने के बाद शिव जी ने उन्हें पत्‍नी के तौर पर स्‍वीकार किया था. इसलिए इस पर्व को मां पार्वती को समर्पित है.

मान्यता है कि अगर किसी लड़की की शादी नहीं हो पा रही है और किसी न किसी तरह से विवाह में अड़चन आ रही है, तो उसे इस दिन मां पार्वती की पूजा-अर्चना और व्रत करना चाहिए. वहीं, सुहागिन महिलाओं को शिव जी और मां पार्वती दोनों की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.

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सुहागिनों के लिए है खास त्योहार 

हरियाली तीज सुहागिनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है. अगर आपकी इसी साल शादी हुई है और ये आपका पहला हरियाली तीज पड़ रहा है, तो इस व्रत जरूर रखें. इसके अलावा नवविवाहित महिलाएं इस त्यौहार को अपने मायके में ही मनाती हैं. इस दिन विवाहित महिलाओं को नई चूड़ियां, पैरों में अल्ता और मेहंदी सहित सोलह श्रृंगार जरूर करना चाहिए.

इन बातों का रखें ध्यान – Hariyali Teej Kaise Manaye

  • हरियाली तीज के दिन महिलाओं का सबसे पहले नहा लेना चाहिए, उसके बाद एक पटरे पर लाल कपड़ा बिछाकर मां पार्वती की मूर्ति को रेशमी वस्त्र और गहने से सजा दें. देवी के इस रूप को तीज माता भी कहा जाता है.
  • ध्यान रहें माता की मूर्ति अर्धगोले आकार वाली ही हो, ये आपको आसानी से बाजार में मिल जाएगी. जिन्हें आपको पूजा स्थान में रखकर पूजा करनी हैं.
  • इस त्यौहार की पूजा में विशेष महत्व व्रत कथा का है, जिसके चलते हरियाली तीज व्रत कथा जरूर सुनें और इस दौरान अपने घर-परिवार और खासतौर पर अपने पति का ध्यान करें.
  • आपको बता दें कि इस तीज में व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता है. साथी महिलाओं को पूरी तरह दुल्हन के जैसे ही सजना होता है.
  • वहीं जब शाम होने वाली होती है तब सभी महिलाएं नाचती और गाती हैं. कुछ महिलाएं तो इस मौके पर झूला भी झूलती हैं.

भूलकर भी न करें पति-पत्नी ये 4 गलतियां, वरना आ जाएगी तलाक तक की नौबत

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भूलकर भी न करें पति-पत्नी ये 4 गलतियां, वरना आ जाएगी तलाक तक की नौबत

तलाक क्यों होता है – ज्यादातर लड़के-लड़कियों का ये सपना होता है कि उनकी शादी जिससे भी हो वो उनके साथ प्यार से रहें और उनकी हर बात को समझे, लेकिन जब किसी को उनके मन मुताबिक पार्टनर नहीं मिलता है और उनकी हर उम्मीद पर पानी फिर जाता है तो ऐसेमें में रिश्ते बनने से पहले ही बिखर जाते हैं और फिर दोनों के बीच प्यार कम लाड़ाई-झगड़ा ज्यादा देखने को मिलता है. जिनके साथ हमें पूरा जीवन काटना होता है उनके साथ प्यार और विश्वास होना भी बेहद जरूर होता है, लेकिन अगर किसी रिश्ते में शक की बुनियाद खड़ी हो जाती हो जाती है, तो पार्टनर्स के बीच झगड़े हर समय होने लगते हैं, जो एक दिन तलाक की वजह बन जाते हैं.

वहीं आज हम आपको ऐसी वजह बताने जा रहे हैं जिसके चलते पति-पत्नी के बीच तलाक होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है, तो आइए बताते हैं आपको बाते हैं ऐसी 4 वजह जिसे जानने के बाद आप अपने बिगड़ते रिश्ते को बचा सकते हैं…

एक दूसरे का ख्याल न रखना

शादी के कुछ दिनों तक तो पति-पत्नी एक-दूसरे का बहुत अच्छे से ख्याल रखते हैं, हर छोटी सी छोटी चीजों के बारे में जानकारी लेते हैं लेकिन शादी के बाद जैसे-जैसे समय बीतता चला जाता है तो वैसे-वैसे पार्टनर भी एक दूसरे का ख्याल रखना छोड़ देते हैं, जोकि बेहद गलत है आपको जिनके साथ पूरी जिंदगी गुजारनी है और आप उनका ही ख्याल नहीं रखोंगे तो ये आगे आकर तलाक का कारण बन जाता है.

रोजाना लड़ाई-झगड़ा होना – तलाक क्यों होता है

जो पति-पत्नी एक-दूसरे के साथ छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगड़ा करने लगते हैं, तो दोनों के संबंधों में दरार पड़ने में देर नहीं लगती है और बाद में फिर तलाक तक की नौबत आन पड़ती है. इसलिए हो सके तो एक-दूसरे को समझिए और हल निकालने की कोशिश करें कि आखिर आपके बीच में ऐसी लड़ाईयां क्यों होती हैं.

ज्यादा उम्मीद रखना

शादी से पहले और बाद में पार्टनर्स एक-दूसरे को लेकर काफी उम्मीद लगाने लगते हैं, जोकि बेहद गलत है क्योंकि बाद में जब आपकी उम्मीदें पूरी नहीं हो पाती हैं तो तलाक की नौबत आ जाती है.

जबरदस्ती में हुई शादी – तलाक क्यों होता है

ऐसा देखा गया कि जब किसी लड़के या फिरी लड़की की शादी घर वाले जबरदस्ती कर देते हैं तो वो दवाब में आकर तो शादी कर लेते हैं लेकिन इसका भुगतान उनके पार्टनर को देना पड़ता है और वो शादियां सफल नहीं हो पाती हैं. दोनों के बीच लड़ाईयां होने लगती हैं और प्यार तो रहता ही नहीं हैं जिसके चलते एक दिन तलाक होने पर सब खत्म हो जाता है.

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20 सालों में कुछ इतना बदल गया कारगिल, इन 5 जगहों पर अद्भुत हैं नज़ारे

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20 सालों में कुछ इतना बदल गया कारगिल, इन 5 जगहों पर अद्भुत हैं नज़ारे

Tourist Places in Kargil – कारगिल युद्ध, हमारे जवानों की बहादुरी का वो किस्सा जो पीढ़ी दर पीढ़ी देशवासियों को सुनाया जाएगा। 1999 से अब तक इस शौर्य गाथा को 20 बरस बीत चुके हैं। हालांकि इन सालों में ये रणभूमि कई बदलावों के दौर से गुजरी। लेकिन शहीदों के उस अदम्य साहस की कहानी आज तक कारगिल की हर एक दीवार बयां करती हैं। यहां कदम रखते ही आपके दिल में खुद ब खुद देशभक्ति की लौ जाग्रत हो उठेगी। यहां मौजूद युद्धपोतों और शहीद रणबाकुरों को देखकर आपका सीना गर्व से फूल जायेगा।

जम्मू कश्मीर के मुख्य पर्यटन स्थलों में शुमार आज के कारगिल को देखकर ये कहना थोड़ा मुश्किल होगा कि कभी ये भारत-पाकिस्तान के बीच हुए महासंग्राम का अखाड़ा बन गया था। इसका नवीनीकरण सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने में पूरी तरह से सफल रहा है। तो आइये देखें तब से अब तक कितना बदल गया कारगिल

वॉर मेमोरियल

वॉर मेमोरियल इस क्षेत्र के द्रास में स्थित है। ये उन शूरवीरों और अधिकारियों की याद में बनाया गया है जो कारगिल युद्ध में देश के लिए हंसते हंसते कुर्बान हुए थे। ये सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है। यहां पर देश विदेशों से तमाम लोग आ कर फोटोशूट करवाते हैं। कई फिल्मों की शूटिंग भी इन खूबसूरत वादियों में हो चुकी है। यहां की मनोज पांडेय वॉर गैलरी में पाकिस्तानी सेना के वो हथियार और तोपें मौजूद हैं, जो युद्ध स्थल से बरामद हुए थे। यहां आप जून से सितंबर के महीने में आराम से घूम सकते हैं।

सुरु वैली – Tourist Places in Kargil

हिमालय पर्वतमाला में बसी सुरु वैली की तो छटा ही अद्भुत है। ये प्रकृति के उस खूबसूरत सपने जैसा है जिसके दीदार के लिए बार बार आंखें तरसती हैं। जब यहां से लहलहाती हुई सुरु नदी पर्वतों से निकलती है, तो वो दृश्य वाकई देखने लायक होता है। वसंत के महीने में इस जगह का आकर्षण दुगुना हो जाता है जब चारों ओर यहां खुबानी और सेब के पेड़ फलते फूलते नज़र आते हैं। मई के महीने में जा रहे लोग इन पेड़ों में पिघलती बर्फ को देख सकते हैं, जो यकीन मानिये आपके शानदार अनुभवों में से एक होगा। ट्रैकिंग और रॉक क्लाइम्बिंग के लिए भी ये जगह मशहूर है।

लामायुरू मोनेस्ट्री

ये लद्दाख के सबसे पुराने और सबसे बड़े मठों में से एक है। इस मठ का इतिहास 11वीं सदी से शुरू होता है जब बौद्ध भिक्षु अर्हत मध्यन्तिका ने लामायुरु में मठ की नींव रखी थी। माना जाता है कि महिद्ध नरोपा गुफा के पास साधना करने आए और झील सूख गई, इसके बाद यहां लामायुरु मठ की स्थापना हुई। शहर की चकाचौंध और शोर शराबे से दूर, इस जगह पर आपको बिल्कुल शांत वातावरण की अनुभूति होगी।

मुलबेख मोनेस्ट्री – Tourist Places in Kargil 

ये जगह यहां बसे एक मुलबेख नामक गांव में स्थित है जो कारगिल से लेह की ओर गुज़रते वक़्त रास्ते में पड़ता है। ये मठ रोड से 200 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है। मठ में मौजूद मैत्रीय बौद्ध की मूर्तियों से जुड़ी लोगों की बड़ी ही रोचक धारणा है। लोग मानते है कि ये मूर्तियां लद्दाख के उन मिशनरीज द्वारा लाई गईं हैं, जिन्होंने इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म की शुरुआत की थी। इन मूर्तियों की कलाकृतियों से ये प्रतीत होता है, कि वो मिशनरीज तिब्बत से नहीं बल्कि किसी दूसरी जगह से आये थे।

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सनी मठ – Tourist Places in Kargil

सनी मठ सबसे पुराना और बौद्दों का प्रसिद्द धार्मिक स्थलों में से एक है। इसका निर्माण कुषाण राजा, कनिष्कब ने किया था। मठ के परिसर में एक छोटे सा पुस्तकगृह है जिसमें बौद्द और तिब्बती धर्म की पौराणिक किताबें रखी है। हर साल जुलाई- अगस्त के महीने में यहां आयोजित किया जाने वाला मास्क डांस आकर्षण का केंद्र है।

ICC के इस नियम पर नहीं थम रहा विवाद, मामले में आया एक नया ट्विस्ट

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ICC के इस नियम पर नहीं थम रहा विवाद, मामले में आया एक नया ट्विस्ट

साल 2019 का क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल मैच। इंग्लैंड और न्यूजीलैंड जैसी दो धुरंधर टीमों के बीच बोले तो पैसा वसूल मैच का ज़बरदस्त पैकेज।  जिसमें एक्शन, इमोशन, ड्रामा, थ्रिलर और मैच के आखिरी सेकंड तक सस्पेंस यानि कि सब कुछ था।  मैच तो खत्म हो गया. लेकिन अपने पीछे खड़े कर गया सुपर ओवर बाउंड्री नियम को लेकर कुछ सवाल। जिनके जवाब तलाशने में अब तक ICC माथापच्ची कर रही है। आइये देखें क्या हैं इस विवाद में आया नया ट्विस्ट और क्या कहता है नियम।

ज़ाहिर सी बात है कि अगर दो टीमें विश्व कप फाइनल मैच के मैदान में एक दूसरे से टकराने उतरी हैं, तो इसके पीछे इनकी खून पसीने की मेहनत एक ठोंस वजह है।  लेकिन जब फाइनल के मुकाम तक पहुंचकर रनों का लक्ष्य हासिल करने के बाद भी प्रतिद्वंदी टीम को हार का मुंह देखना पड़े , तो फैंस का खून खौलना तो लाज़मी है।

कहां से उगे विवाद के बीज 

दरअसल इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के बीच खेला गया विश्व कप फाइनल का मैच टाई हो गया। वर्ल्ड कप की चमकती ट्रॉफी का सरताज किसी एक को ही चुना जाना था। इसीलिए नौबत सुपर ओवर करवाने की आ गई। फैंस की दिल की धड़कनों ने स्पीड तब पकड़ी जब सुपरओवर भी टाई हो गया। अब बारी थी मैच के परिणाम की। फिर क्या था , ICC क्रिकेट बोर्ड का फैसला आया जिसने न्यूजीलैंड के वर्ल्ड कप चैंपियन बनने के सपनों को अपने एक नियम के तले रौंद दिया।

क्या है ICC का नियम

दरअसल मैरीलिबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने क्रिकेट के कुछ नियम स्थापित किये हैं, जो  इस खेल को खेलने के विषय में जानकारी देते हैं।  इन नियमों में किसी टीम के जीतने और बल्लेबाज के आउट होने के तरीकों से लेकर पिच को तैयार करने और उसके रख-रखाव तक के सभी पहलुओं की जानकारी शामिल है।

ICC के नियमानुसार, अगर किसी टूर्नामेंट का फाइनल या सेमीफाइनल का मैच टाई हो जाता है, तो विजेता तय करने के लिए एक सुपर ओवर का प्रावधान है। इस ओवर में भी अगर मैच टाई की स्थिति बरक़रार रहती है, तो मैच का विजेता ओवर में लगाई गई बाउंड्री से घोषित किया जाता है।  इसमें जिस भी टीम की बाउंड्री ज्यादा है , वो ही मैच विनर होगा। इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के विश्व कप फाइनल मैच में भी कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला था। इंग्लैंड की बाउंड्री ज्यादा थी इसलिए उसे विजेता बनाया गया।

कई खिलाड़ियों ने उठाये सवाल

इस नियम पर बवाल तब शुरू हुआ जब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर समेत विश्व के कई दिग्गज खिलाड़ियों ने इस पर सवाल उठाने शुरू किये।  सचिन ने कहा , “मुझे लगता है कि दोनों टीमों की बाउंड्री पर विचार करने के बजाय एक अन्य सुपर ओवर से विजेता का फैसला होना चाहिए था। केवल विश्व कप फाइनल ही नहीं, प्रत्येक मैच महत्वपूर्ण है। “

नियम से नाराज़ पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर ने भी इसे मूर्खतापूर्ण नियम करार दिया।  गौतम ने ट्वीट किया, “ये कैसा नियम है, जहां बाउंड्री के आधार पर वर्ल्ड चैंपियन का फैसला हो रहा है।  ये मैच टाई होना चाहिए था। ये बिल्कुल मूर्खतापूर्ण नियम है।

न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान स्टीफन फ्लेमिंग ने भी इस नियम के खिलाफ ट्वीट कर अपनी नाराज़गी जताई थी। अब इस विवाद को सुलझाने का जिम्मा पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान अनिल कुंबले को सौंपा गया है। कुंबले की अगुआई में ICC की अगली बैठक होगी, जहां इस वर्ल्ड कप के दौरान उठे सभी मुद्दों पर गहनता से विचार किया जायेगा।

कारगिल विजय दिवस: आज ही के दिन भारत को हुई थी विजय हासिल, जानें क्या था ‘ऑपरेशन विजय’

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कारगिल विजय दिवस: आज ही के दिन भारत को हुई थी विजय हासिल, जानें क्या था ‘ऑपरेशन विजय’

ऑपरेशन विजय क्या था – कारगिल युद्ध को आज 20 साल पूरे हो गए है. 1999 में आज ही के दिन भारतीय सैनिकों के पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. ये युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच में 4 मई से लेकर 26 जुलाई तक चला था जिसमें 26 जुलाई को भारतीय सेना को जीत हासिल हुई थी. जिस वजह से हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

ये दिन हर भारतीय के लिए काफी खास होता है. इस दिन को पूरे देश में काफी उत्साह के बाद मनाया जाता है. साथ ही युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर उनके बलिदान को याद भी किया जाता है. इसका सबसे खास कार्यक्रम कश्मीर के द्रास में बने वॉर मेमोरिल में होता था. जिसको हर साल इस दिन काफी अच्छे से सजाया जाता है. हर साल इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के कई बड़ी-बड़ी हस्तियां आती है.

आखिर क्यों हुआ था दोनों देशों के बीच युद्ध?

आजादी के बाद से ही दोनों देशों के बीच काफी तनातनी चल रही थी. इसी बीच 1982 में भारत और पाकिस्तान के बीच एक शिमला समझौता हुआ था जिसमें ये तय किया गया था कि ठंड के मौसम में ज्यादा बर्फ वाली जगहों पर दोनों देशों की सेनाओं को काफी दिक्कतें होती थी. तो इसलिए दोनों देशों की सेनाएं सर्दी के मौसम में जम्मू-कश्मीर में बेहद बर्फीले वाली जगहों पर मौजूद LoC को छोड़कर कम बर्फीले वाले जगह पर चली जाएंगी.

भारतीय पोस्ट पर पाकिस्तानी सेना ने की घुसपैठ

हर साल की तरह 1998 में भी भारतीय सेना ठंड के मौसम में कम बर्फीली जगह पर चली गई जिसके बाद पाकिस्तान ने धोखे से भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया. पाकिस्तानी सेना के 5 हजार जवानों ने घुसपैठियों की तरह सैकड़ों भारतीय पोस्टों पर कब्जा कर लिया. जब भारतीय सेना 1999 में गर्मी का मौसम आने पर दोबारा अपनी पोस्टों पर गई तो उन्हें तब पाकिस्तान के घुसपैठ के बारे में पता चला. पाकिस्तान ने 150 किलोमीटर तक डुमरी से लेकर साउथ ग्लेशियर तक कब्जा कर रखा था.

इसके बाद भारतीय सेना के 5 जवान जब वहां गए तो पाकिस्तानी सैनिकों ने उनकी हत्या कर दी. जिसके बाद अपनी पोस्ट को खाली करवाने के लिए भारतीय सेना ने एक अभियान शुरू किया जिसको ‘ऑपरेशन विजय’ का नाम दिया गया.

527 सैनिक हुए थे शहीद

पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पहाड़ो के ऊपर से बैठकर भारतीय सेना पर गोलीबारी की. वहीं भारतीय सेना ने निचले इलाकों से ही पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया. इस अभियान को भारतीय सेना और वायुसेना ने संयुक्त रूप से चलाया. इसमें 2 लाख जवानों ने हिस्सा लिया. जिसमें 527 जवान शहीद हो गए और 1300 से ज्यादा जवान घायल हो गए. इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को भारत से कही ज्यादा नुकसान हुआ. आखिरकार अंत में जब घुसपैठिए भारतीय सेना का मुकाबला नहीं कर पाई तो वो लोग भागने को मजबूर हो गए. इतना ही नहीं पाकिस्तान ने तो अपने सैनिकों की लाशें तक देने से इनकार कर दिया.

वायुसेना के मिग 27 और मिग 29 विमान का हुआ था इस्तेमाल

इस युद्ध में भारतीय सेना का मिग 27 और मिग 29 का भी इस्तेमाल किया गया. इन विमानों ने जहां पर पाकिस्तान ने कब्जा किया था उन जगहों पर बम गिराए. इसके अलावा भारतीय सेना ने आर-77 मिसाइल का इस्तेमाल करके हमला भी किया.

अटल बिहारी वाजपेयी ने फोन पर नवाज शरीफ से की थी बात

ऑपरेशन विजय क्या था – इस युद्ध से कुछ दिन पहले भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने लाहौर को दौरा किया था. जिसके बाद से ये कयास लगाए जा रहे थे भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में कुछ सुधार हो सकता है. लेकिन पाकिस्तान द्वारा की गई इस तरह की घुसपैठ ने सभी को हैरान करके रख दिया. उस वक्त अटल बिहारी वाजपेयी ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को फोन करके काफी लताड़ा भी थ. उन्होनें नवाज शरीफ को फोन पर कहा कि आपने हमारे साथ बहुत ही बुरा सुलूक किया है. एक तरफ तो आप लाहौर में हमसे गले मिल रहे थे, दूसरी तरफ आपके सैनिक कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमा रहे थे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शेयर की खास तस्वीरें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कारगिल विजय दिवस के 20 साल पूरे होने पर एक खास तस्वीर शेयर की है. प्रधानमंत्री ने युद्ध के दौरान उस क्षेत्र के अपने दौरे की तस्वीरें शेयर की है. जिसमें वो जवानों के साथ बातचीत करते हुए भी दिखाई दे रहे है. तस्वीरें शेयर करते हुए उन्होनें लिखा- साल 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान मुझे कारगिल जाने और हमारे बहादुर सैनिकों के साथ एकजुटता दिखाने का अवसर मिला,  कारगिल का दौरा और सैनिकों के साथ बातचीत अविस्मरणीय है.

राजनाथ ने वॉर मेमोरिल में शहीदों को दी श्रद्धांजलि

ऑपरेशन विजय क्या था – हर भारतीय कारगिल विजय दिवस को अपने-अपने तरीके से मना रहा है. कई मशहूर हस्तियां सोशल मीडिया के जरिए शहीद सैनिकों के बलिदान को याद करके नमन किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वॉर मेमोरिल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसके अलावा तीनों सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीरेंद्र सिंह धनोआ, आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत और नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह ने इस मौके पर द्रास के करिवर वॉर मेमोरिल में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके अलावा  कांग्रेस पार्टी की ओर से कारगिल विजय दिवस पर देशवासियों को शुभकामनाएं दी गई.

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इन गलतियों के वजह से झड़ते हैं आपके बाल, 92% लड़कियां हैं इससे अनजान, जानिए…

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Hairfall Solution in Hindi – लंबे, काले और घने बाल ज्यादातर हर लड़की को पसंद होते हैं, जिसके चलते वो अपने बालों का भी बहुत अच्छे से ख्याल रखती हैं. वहीं बाजारों में भी तरह-तरह के तेल और शैम्पू भी मौजूद हैं, जिनका इस्तेमाल करने के बाद भी न जाने क्यों उनके बालों की झड़ने की समस्या कम होने की बजाए बढ़ती ही जाती हैं. क्या आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता है? अगर हां, तो आइए आपको बताते हैं आपकी खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ाने वाले बाल झड़ने के पीछे आपकी कौन सी भूल होती हैं.

आपको शायद ये ही पता होगा कि शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने की वजह से बाल झड़ते हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कई ऐसी भी गलतियां जिसकी वजह से महिलाओं के बाल झड़ना शुरु हो जाते हैं, जिसके बाद वो अपने झड़ते बालों को लेकर बहुत परेशान सी रहने लगती है.

शैम्पू और ज्यादा कंडीशनर का इस्तेमाल

जो महिलाएं अपने बालों को शाइनी और सिल्की करने के लिए हफ्ते में दो से तीन बार शैम्पू करती है. साथ ही कंडीशनर का भी ज्यादा इस्तेमाल करती हैं, तो आपकी ये भूल ही आपके बाल झड़ने की वजाहों में से एक है, क्योंकि बालों को अधिक धोने से स्कैलप का नेचुरल ऑयल खत्म हो जाता है. इसके रुट्स भी कमजोर होने लगते हैं.

ब्लो-ड्रायर का इस्तेमाल- Hairfall Solution in Hindi

ज्यादातर लड़कियां अपने बालों को सुखाने के लिए ब्लो ड्रायर का इस्तेमाल करती हैं, लेकिन आप शायद ये नहीं जानती की इससे आपके बाल कमजोर हो जाते हैं, क्योंकि ऐसा करने से बालों को पूरा न्यूट्रिएंट नहीं मिल पाता है और वो टूटने लगते हैं.

टाइट हेयरस्टाइल बनाना 

आपको अपने बालों को टाइट नहीं बांधना चाहिए, क्योंकि इससे आपके बालों की जड़ें कमजोर हो जाती है और फिर आपके बाल झड़ने लगते हैं.

स्ट्रेटनिंग मशीन का इस्तेमाल

बहुत सी लड़कियां अपने बालों को स्ट्रेट करने के लिए बार-बार प्रेसिंग मशीन का प्रयोग करती है, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे न केवल आपके बाल जल जाते हैं बल्कि वो कमजोर होकर टूटने भी लगते हैं.

तेल लगाकर सोना – Hairfall Solution in Hindi

ज्यादातर लड़कियां रात के समय अपने बालों में तेल लगाकर सोती हैं और सुबह वॉश करती हैं, लेकिन आपको बता दें कि ऐसा करने से बालों के झड़ने और डस्ट लगने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए आप अपने बालों को धोने से कम से कम दो से तीन घंटे पहले ही तेल लगाएं.

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