Home Blog

‘बाबू भैया’ की धमाकेदार वापसी! Paresh Rawal ने Akshay Kumar से सुलझाए मतभ...

Hera Pheri 3: ‘हेरा फेरी’ फ्रेंचाइज़ी की दिलचस्प यात्रा में एक नया मोड़ आ चुका है। फैंस जो लंबे समय से ‘हेरा फेरी 3’ को लेकर उत्साहित थे, अब उनके लिए खुशखबरी है। हाल ही में अभिनेता परेश रावल ने यह पुष्टि की है कि वह और अक्षय कुमार के बीच चल रहे विवाद का समाधान हो चुका है और अब फिल्म के प्रोडक्शन में कोई अड़चन नहीं है। परेश रावल ने खुद इस मुद्दे को लेकर खुलकर बात की और फैंस को आश्वस्त किया कि अब सब कुछ ठीक हो चुका है।

और पढ़ें: जब Mithun Chakraborty के एक झूठ से Rishi Kapoor की जान पर बन आई, जानिए पूरा किस्सा

परेश रावल ने किया स्पष्ट बयान- Hera Pheri 3

परेश रावल ने एक इंटरव्यू में ‘हेरा फेरी 3’ से जुड़ी समस्याओं पर बात करते हुए कहा, “यह कोई विवाद नहीं था। जब कोई प्रोजेक्ट इतना बड़ा होता है और लाखों लोग उसे पसंद करते हैं, तो थोड़ा और सतर्क रहना जरूरी हो जाता है। मेरी यही कोशिश थी कि हम सब एक साथ मिलकर इस फिल्म को बेहतरीन बना सकें, और अब सब कुछ सही है।” उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म के सभी क्रिएटिव लोग एक-दूसरे के साथ काम करने में सक्षम हैं, जैसे प्रियदर्शन, अक्षय कुमार, और सुनील शेट्टी।

परेश रावल ने यह भी बताया कि जब कोई प्रोजेक्ट दर्शकों को इस हद तक प्रभावित करता है, तो हम पर जिम्मेदारी बढ़ जाती है। “हमारे दर्शक हमें इतना प्यार देते हैं, तो हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए। यही कारण है कि मेरी चिंता बस यही थी कि हम सब एकजुट होकर इसे बेहतर बना सकें,” उन्होंने आगे कहा।

क्या था विवाद और क्यों हुआ सब कुछ ठीक?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब खबरें आईं कि परेश रावल ने ‘हेरा फेरी 3’ से बाहर निकलने का निर्णय लिया है। यह खबर फैंस के लिए शॉकिंग थी, क्योंकि उन्होंने बाबूराव के किरदार से करोड़ों दिलों में जगह बनाई थी। इसके बाद अक्षय कुमार ने परेश रावल पर कानूनी नोटिस भेजने की बात की थी और यह मामला काफी गंभीर हो गया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अक्षय के प्रोडक्शन हाउस ने 25 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगने के लिए नोटिस भेजा था।

मई 2025 में परेश रावल ने खुद पुष्टि की थी कि उन्होंने फिल्म छोड़ दी है, जिससे इस विवाद ने तूल पकड़ा। लेकिन अब, परेश रावल ने इस मुद्दे पर बात की है और बताया है कि सब कुछ सुलझ चुका है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विवाद सिर्फ एक कंफ्यूजन था और अब सभी कलाकार एक साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार हैं।

बॉलीवुड के इस पॉपुलर विवाद को लेकर अक्षय कुमार का रुख

जब ‘हेरा फेरी 3’ से जुड़ा विवाद मीडिया में छाया था, तो अक्षय कुमार ने इस पर बयान देने से बचते हुए इसे एक गंभीर मामला बताया और कहा कि यह कानूनी प्रक्रिया से सुलझाया जाएगा। हालांकि, जब एक पत्रकार ने यह कहा कि परेश रावल का फिल्म छोड़ना “मूर्खतापूर्ण निर्णय” था, तो अक्षय ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा, “मैं अपने को-एक्टर्स के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं सहन करूंगा। मैंने उनके साथ तीन दशकों से ज्यादा समय काम किया है और वह मेरे लिए एक शानदार एक्टर और प्यारे दोस्त हैं।”

परेश रावल की वापसी और फिल्म का भविष्य

परेश रावल ने कहा कि फिल्म अब पहले की तरह ही बनाई जाएगी और सभी को अपने काम पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने हंसते हुए कहा, “हमें बस कुछ चीजों को फाइन-ट्यून करने की जरूरत थी, क्योंकि हम सभी क्रिएटिव लोग हैं। प्रियदर्शन, अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी मेरे पुराने दोस्त हैं और हम सभी साथ में इस फिल्म को बेहतरीन बनाने के लिए काम करेंगे।”

यह स्पष्ट है कि फिल्म की टीम अब एकजुट होकर ‘हेरा फेरी 3’ को पूरी मेहनत और समर्पण से बनाएगी। फिल्म की तैयारी के दौरान हुए सभी विवादों के बाद, यह अब उम्मीद जताई जा रही है कि फिल्म फैंस को एक बेहतरीन कॉमेडी अनुभव देगी, जैसा कि ‘हेरा फेरी’ और ‘फिर हेरा फेरी’ में देखा गया था।

और पढ़ें: Shefali Jariwala Death: बच्चा गोद लेने की तैयारी में थीं शेफ़ाली जरीवाला, फिर अचानक हुई मौत

Vaishno Devi Pindi: मां वैष्णो देवी के तीन पिंडियों का रहस्य: एक अद्भुत कथा जो आपके द...

0

Vaishno Devi Pindi: मां वैष्णो देवी का मंदिर, जम्मू-कश्मीर के हसीन वादियों में स्थित एक पवित्र स्थल है, जहां लाखों श्रद्धालु अपनी आस्था और श्रद्धा से आते हैं। यह मंदिर उधमपुर जिले के कटरा से लगभग 12 किलोमीटर दूर त्रिकूटा पर्वत पर स्थित है। मां के दर्शन के लिए भक्त कठिन पहाड़ी रास्तों को पार करते हैं, और एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि वैष्णो देवी के मंदिर में तीन पिंडियाँ क्यों स्थित हैं और इनका रहस्य क्या है? आइए जानते हैं इस रहस्यमयी कथा के बारे में।

और पढ़ें: Khatu Shyam Bhajan sandhya: खाटू श्याम भजन संध्या, एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव, जहाँ भावनाएं शब्दों से परे हो जाती हैं

मां वैष्णो देवी से जुड़ी पौराणिक कथा- Vaishno Devi Pindi

माता वैष्णो देवी के अवतरण और मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक दिलचस्प पौराणिक कथा है। एक बार श्रीधर नामक भक्त ने नवरात्रि के दौरान कन्याओं का पूजन आयोजित किया। इस पूजा के दौरान मां वैष्णो देवी ने कन्या रूप में स्वयं को प्रकट किया और पूजा के बाद सभी कन्याएं वहां से चली गईं, लेकिन मां वहीं रुकी रहीं। उन्होंने श्रीधर से कहा, “पूरे गांव को भंडारे का निमंत्रण दे आओ।” श्रीधर को यह कठिन कार्य लगा, क्योंकि वह गरीब थे और इतने सारे लोगों के लिए भोजन का प्रबंध कैसे करेंगे, यह उनके लिए एक चुनौती थी। लेकिन मां के आदेश पर उन्होंने गांव के सभी लोगों के साथ गुरु गोरखनाथ और बाबा भैरवनाथ को भी आमंत्रित कर लिया।

भैरवनाथ का अपमान और मां का त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ना

जब भंडारा शुरू हुआ, तो कन्या रूपी मां एक दिव्य पात्र से सभी को भोजन परोस रही थीं। जब भैरवनाथ की बारी आई, तो उसने वैष्णव भोजन के बजाय मांसाहार और मदिरा की मांग की। मां ने उसे समझाया कि यह ब्राह्मण के घर का भोजन है, लेकिन भैरवनाथ अपनी जिद पर अड़ा रहा। जब उसने मां का अपमान किया और उन्हें पकड़ने की कोशिश की, तो माता ने वायु रूप धारण किया और त्रिकूटा पर्वत की ओर उड़ चलीं। भैरवनाथ उनका पीछा करने लगा।

अर्धक्वारी गुफा और हनुमानजी का पराक्रम

मां ने त्रिकूटा पर्वत पहुंचकर अर्धक्वारी गुफा में नौ महीने तक ध्यान किया। इस दौरान उन्होंने हनुमानजी को बुलाया और भैरवनाथ से युद्ध करने को कहा। हनुमानजी ने भैरवनाथ को रोकने के लिए युद्ध किया, और इस दौरान मां ने अपने धनुष से बाण चलाकर एक जलधारा प्रकट की, जिसे आज “बाणगंगा” के नाम से जाना जाता है।

भैरवनाथ का अंत और मोक्ष

जब भैरवनाथ हनुमानजी से युद्ध में हार गया, तो मां ने महाकाली का रूप धारण कर उसका वध कर दिया। भैरवनाथ का सिर त्रिकूट पर्वत की भैरव घाटी में गिरा, जहां आज भैरवनाथ का मंदिर स्थित है। मरने के समय भैरवनाथ ने मां से क्षमा याचना की, और मां ने उसे न केवल मोक्ष दिया, बल्कि यह भी कहा, “जो भी मेरे दर्शन करने आएगा, उसे भैरवनाथ के मंदिर के दर्शन भी करने होंगे, तभी उसकी यात्रा पूर्ण होगी।” यही कारण है कि आज भी भक्तों को वैष्णो देवी के दर्शन के बाद भैरवनाथ के मंदिर जाना पड़ता है।

मां वैष्णो देवी की तीन पिंडियों का रहस्य

मां वैष्णो देवी ने भैरवनाथ के वध के बाद तीन पिंडियों सहित एक चट्टान का रूप धारण किया और ध्यानमग्न हो गईं। तभी श्रीधर को एक स्वप्न आया, जिसमें त्रिकूटा पर्वत और तीन पिंडियों का दर्शन हुआ। श्रीधर ने इन पिंडियों को खोज निकाला और मां के आदेशानुसार उनकी पूजा शुरू की। इन तीन पिंडियों को आदिशक्ति के तीन रूपों का प्रतीक माना जाता है, जो हैं:

  1. महासरस्वती – विद्या और ज्ञान की देवी
  2. महालक्ष्मी – धन और समृद्धि की देवी
  3. महाकाली – शक्ति और पराक्रम की देवी

इन पिंडियों की पूजा करते समय भक्तों को इन तीनों शक्तियों के प्रति श्रद्धा और भक्ति का अहसास होता है।

और पढ़ें: Jagannath Puri Rath Yatra: सिर्फ रथ नहीं, रस्सियां भी हैं पवित्र! जानिए जगन्नाथ यात्रा की इन रस्सियों से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

नींद की कमी सेहत और रिश्तों दोनों के लिए खतरा! जानिए कितने घंटे सोना है ज़रूरी

Sleep Deprivation: अक्सर लोगों में एक बीमारी आम देखी जाती है, यह बीमारी कोई और नहीं बल्कि नींद की कमी है। नींद की कमी न केवल हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि यह हमारे रिश्तों के लिए भी बहुत हानिकारक हो सकती है। पर्याप्त नींद न लेने से रिश्तों में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। तो चलिए आपको इस लेख में विस्तार से बताते हैं कि कितनी नींद जरूरी है।

नींद की कमी रिश्तों में चिड़चिड़

अक्सर आपने लोगों को चिड़चिड़ा होते देखा होगा, ऐसा तब होता है जब हम पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं, इसका सीधा असर हमारे व्यवहार और इमोशन पर पड़ता है, जिससे रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। नींद पूरी न होने से व्यक्ति अधिक चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता है। उन्हें छोटी-छोटी बातों पर भी गुस्सा आने लगता है, जिससे पार्टनर से झगड़े बढ़ सकते हैं। पर्याप्त नींद न लेने पर भावनाओं पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। मूड स्विंग होना आम बात हो जाती है, जिससे रिश्तों में अस्थिरता आ सकती है।

जब आप थके हुए होते हैं, तो प्रभावी ढंग से संवाद करना मुश्किल होता है। गलतफहमियाँ बढ़ सकती हैं और समस्याओं को सुलझाना मुश्किल हो सकता है। नींद की कमी से सहानुभूति और दूसरों के साथ सहयोग करने की इच्छा कम हो जाती है। आप अपने साथी की ज़रूरतों पर कम ध्यान देते हैं। धीरे-धीरे, नींद की कमी जोड़ों के बीच भावनात्मक और शारीरिक दूरी बढ़ा सकती है। सेक्स लाइफ़ भी प्रभावित हो सकती है। शोध से पता चलता है कि खराब नींद की गुणवत्ता और अकेलेपन के बीच एक संबंध हो सकता है, खासकर युवा वयस्कों में।

कितने घंटे सोना है जरूरी?

आपको बता दें, अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ रिश्तों के लिए पर्याप्त नींद बेहद ज़रूरी है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, विभिन्न आयु वर्गों के लिए नींद की दैनिक आवश्यकता अलग-अलग होती है..जैसे कि

  • नवजात (0-3 महीने): 14-17 घंटे
  • शिशु (4-11 महीने): 12-15 घंटे
  • छोटे बच्चे (1-2 साल): 11-14 घंटे
  • प्रीस्कूल (3-5 साल): 10-13 घंटे
  • स्कूली बच्चे (6-13 साल): 9-11 घंटे
  • किशोर (14-17 साल): 8-10 घंटे
  • वयस्क (18-64 साल): 7-9 घंटे
  • वरिष्ठ नागरिक (65+ साल): 7-8 घंटे

ज़्यादातर वयस्कों के लिए, हर रात 7 से 9 घंटे की नींद ज़रूरी होती है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि कुछ लोगों को अपने डीएनए और व्यक्तिगत ज़रूरतों के आधार पर थोड़ी कम या थोड़ी ज़्यादा नींद की ज़रूरत हो सकती है। सुबह उठने पर आप कैसा महसूस करते हैं, यह इस बात का एक अच्छा संकेत है कि आपको पर्याप्त नींद मिल रही है या नहीं।

अच्छी नींद क्यों है जरूरी?

पर्याप्त और अच्छी गुणवत्तापूर्ण नींद हमें कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है, जैसे: यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है, हृदय रोग और मधुमेह के जोखिम को कम करती है, और एक स्वस्थ चयापचय को बनाए रखती है। यह मूड को बेहतर बनाता है, तनाव और चिंता को कम करता है, और अवसाद के जोखिम को कम करता है। यह याददाश्त, एकाग्रता, तर्क और समस्या-समाधान कौशल में सुधार करता है। इसके अलावा, पर्याप्त नींद लेने के बाद आप अधिक ऊर्जावान और खुश महसूस करते हैं।

Khatu Shyam Bhajan sandhya: खाटू श्याम भजन संध्या, एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव, जहाँ भ...

0

Khatu Shyam Bhajan sandhya: खाटू श्याम भजन संध्या, एक ऐसा अद्वितीय आध्यात्मिक आयोजन है, जो न केवल भक्तों को संगीत और भक्ति की मधुर धुनों से सजीव करता है, बल्कि उनके दिलों में एक ऐसी आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार करता है, जो शब्दों से कहीं अधिक गहरी और अर्थपूर्ण होती है। यह आयोजन केवल एक संगीत सभा नहीं है, बल्कि एक ऐसा पवित्र मंच है जहां भक्तों की भावनाएं सीधे बाबा श्याम के चरणों तक पहुंचती हैं। इस आयोजन के जरिए लाखों श्रद्धालु एक-दूसरे से जुड़े होते हैं, और इसे भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम माना जाता है।

और पढ़ें: Jagannath Puri Rath Yatra: सिर्फ रथ नहीं, रस्सियां भी हैं पवित्र! जानिए जगन्नाथ यात्रा की इन रस्सियों से जुड़ी पौराणिक मान्यताएं

भजन संध्या का दिव्य आकर्षण- Khatu Shyam Bhajan sandhya

हाल ही में, 12 मई 2025 को उदयपुर में श्री श्याम मित्र मण्डल ट्रस्ट द्वारा आयोजित तीन दिवसीय श्री श्याम महोत्सव में भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसने न केवल भक्तों को बाबा श्याम के भजनों में खो जाने का मौका दिया, बल्कि इस आयोजन ने लाखों श्रद्धालुओं को एकजुट भी किया। रातभर भजनों की अविरल धारा में भक्त पूरी तरह से डूबे रहे। प्रसिद्ध भजन गायकों ने बाबा श्याम की महिमा का गुणगान किया, और भक्तों के दिलों में भक्ति की ऐसी लहर दौड़ी कि शब्दों से परे यह अनुभव गहरे तक प्रभावित कर गया।

इसी तरह, 14 जून 2025 को नीमच के उपनगर पुर में आयोजित “एक शाम खाटू वाले बाबा के नाम” भजन संध्या ने एक अनूठी परंपरा का पालन किया। इस आयोजन में भक्तों ने विशेष बक्सों में अपनी अर्जियाँ डाली, जो बाद में खाटू धाम में बाबा श्याम के चरणों में अर्पित की गईं। यह अवसर भक्तों को अपनी मनोकामनाएँ सीधे बाबा श्याम तक पहुँचाने का अवसर प्रदान करता है, जो उनकी आस्था को और भी प्रगाढ़ करता है।

खाटू श्याम भजन संध्या की सांस्कृतिक महत्ता

खाटू श्याम जी, जिन्हें भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है, के भजनों की परंपरा भी बेहद गौरवशाली है। कहा जाता है कि खाटू श्याम के सबसे बड़े भक्त आलू सिंह चौहान ने उनके भजनों को देशभर में फैलाया, और उनके प्रयासों से यह भक्ति परंपरा आज हर घर में लोकप्रिय हो गई है। इन भजन संध्यों में गाए जाने वाले भजनों में प्रेम, समर्पण और आध्यात्मिकता का अद्भुत मिश्रण होता है। भजन के हर स्वर में बाबा के प्रति श्रद्धा और भक्ति की गहरी भावना छिपी होती है, और श्रद्धालु बिना कुछ कहे बाबा के रंग में रंग जाते हैं।

खाटू धाम का माहौल

10 मार्च 2025 को खाटू धाम में आयोजित भजन-कीर्तन ने भी भक्तिमय माहौल का निर्माण किया। इस अवसर पर बाबा श्याम चांदी के रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले, और लाखों भक्तों ने उनका साथ दिया। भजन गायकों ने अपनी मधुर आवाज़ से वातावरण को और भी रसमय बना दिया। इस भजन संध्या ने न केवल भक्तों को बाबा श्याम की भक्ति में लीन किया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि हर श्रद्धालु को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव का आनंद मिले।

समुदायिक एकता और सांस्कृतिक मेलजोल

खाटू श्याम भजन संध्या केवल आध्यात्मिक रूप से नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी एक महत्त्वपूर्ण आयोजन है। यहाँ, भक्त न केवल बाबा श्याम के प्रति अपने श्रद्धा भावों को प्रकट करते हैं, बल्कि एक-दूसरे के साथ अपने अनुभवों और भावनाओं का भी आदान-प्रदान करते हैं। यह आयोजन सामाजिक एकता का प्रतीक बन चुका है, जहाँ विभिन्न पृष्ठभूमियों और विचारधाराओं के लोग एक साथ बाबा श्याम के भजनों में समाहित होते हैं।

इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि खाटू श्याम भजन संध्या एक ऐसी दिव्य यात्रा है, जहां संगीत, भक्ति और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। यह आयोजन केवल शब्दों से परे होता है, क्योंकि यहां की हर धुन और हर शब्द भक्तों के दिलों को सच्ची श्रद्धा से जोड़ा जाता है।

और पढ़ें: Jagannath Rath Yatra 2025: जगन्नाथ रथ यात्रा क्यों है इतनी खास, यहां जानिए इससे जुड़ी रोचक बातें

Himachal Cloud Burst: हिमाचल प्रदेश के मंडी में बादल फटने से भारी तबाही, 800 करोड़ रु...

0

Himachal Cloud Burst: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में हालात इस वक्त बहुत ही गंभीर हैं, जहां 1 जुलाई को भारी बारिश और बादल फटने से बड़े पैमाने पर तबाही मच गई। मंडी के करसोग और धर्मपुर क्षेत्रों में बादल फटने से कम से कम 4 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 16 लोग अभी भी लापता हैं। इस घटना में 117 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है, लेकिन तबाही का पैमाना इतना बड़ा है कि नुकसान का अनुमान करीब 800 करोड़ रुपये लगाया जा रहा है।

और पढ़ें: SBI Foundation Day: SBI की शुरुआत से 200 साल का सफर, नाम में बदलाव और पहला खाता खोलने की दिलचस्प कहानी

कई स्थानों पर बादल फटने की घटना- Himachal Cloud Burst

मंडी जिले के गोहर, करसोग और धर्मपुर क्षेत्रों में बादल फटने की घटनाएं रिपोर्ट की गई हैं। गोहर उपमंडल के स्यांज इलाके में एक घर फ्लैश फ्लड में बह गया, जिसमें सात लोग लापता हो गए। इनमें से कुछ की पहचान भी हो गई है। करसोग में भी बादल फटने के कारण भारी तबाही मची, जहां कई घर और गौशालाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। धर्मपुर में भी बादल फटने के कारण 6 घर और 8 गोशालाएं सैलाब में समा गईं। इसके साथ ही 30 मवेशी भी बह गए हैं।

कई जगहों पर भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति

इस समय मंडी जिले के कई हिस्सों में भूस्खलन और बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। ब्यास नदी का जलस्तर काफी बढ़ चुका है, और पंडोह डैम से 1.57 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जिसके कारण ब्यास नदी में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्रशासन ने यहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है। साथ ही, नदियों और नालों का उफान भी बढ़ गया है, जिससे जान-माल का खतरा बना हुआ है।

800 करोड़ रुपये का नुकसान और मुआवजे का ऐलान

मंडी जिले में हुए इस बड़े नुकसान को लेकर अधिकारियों ने अनुमान जताया है कि अब तक करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। हिमाचल प्रदेश में जून में 37% अधिक बारिश हुई थी और जुलाई के पहले हफ्ते तक बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है। ऐसे में और भी नुकसान हो सकता है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार इस प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता मुहैया कराएगी।

रेस्क्यू ऑपरेशन और प्रशासन की मुस्तैदी

इस घटना के बाद प्रशासन और राहत कार्यों में त्वरित कदम उठाए गए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच चुकी हैं, जो राहत और बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। मंडी शहर और उसके आसपास के इलाके जलमग्न हो गए हैं, जहां पुलिस और प्रशासन ने घरों और दुकानों से पानी और मलबा बाहर निकालने के लिए अभियान शुरू कर दिया है।

मुख्यमंत्री का बयान और आगे की योजना

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि करसोग, धर्मपुर, मंडी सदर, नाचन और सराज क्षेत्रों में हुई घटनाओं के कारण जान-माल का जो नुकसान हुआ है, वह बेहद दुखद है। उन्होंने प्रभावित परिवारों के प्रति अपनी गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्हें आश्वस्त किया कि राज्य सरकार पूरी संवेदनशीलता और गंभीरता से हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि वह जिला प्रशासन के संपर्क में रहकर राहत कार्यों की समीक्षा कर रहे हैं और सुनिश्चित करेंगे कि प्रभावित लोगों को त्वरित मदद मिले।

भारी बारिश और भूस्खलन के चलते कांगड़ा और हमीरपुर में स्कूल बंद

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा और हमीरपुर जिलों में भारी बारिश के मद्देनजर जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर 1 जुलाई को सभी स्कूल बंद रखने का आदेश दिया है। यह फैसला भूस्खलन और बारिश से पैदा हो रहे खतरों के कारण लिया गया है ताकि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

और पढ़ें: Old Vehicles Delhi: दिल्ली में 62 लाख पुरानी गाड़ियों पर कार्रवाई, 350 पेट्रोल पंपों पर सख्त निगरानी, 100 पंपों पर पुलिस तैनात

SBI Foundation Day: SBI की शुरुआत से 200 साल का सफर, नाम में बदलाव और पहला खाता खोलने...

0

SBI Foundation Day: आज 1 जुलाई है, और यह दिन भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के फाउंडेशन डे के रूप में मनाया जाता है। एसबीआई का इतिहास 200 साल से भी ज्यादा पुराना है, और यह देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक होने के साथ-साथ भारत की सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक है। इसकी शुरुआत एक बेहद दिलचस्प कहानी से जुड़ी हुई है। यह बैंक उस समय अस्तित्व में आया जब भारत में ब्रिटिश शासन था, और तब इसका नाम एसबीआई नहीं बल्कि कुछ और था। आइए जानते हैं इस बैंक की यात्रा कैसे शुरू हुई और कैसे वह आज भारत के शीर्ष बैंकों में शामिल हुआ।

और पढ़ें: Old Vehicles Delhi: दिल्ली में 62 लाख पुरानी गाड़ियों पर कार्रवाई, 350 पेट्रोल पंपों पर सख्त निगरानी, 100 पंपों पर पुलिस तैनात

SBI की नींव और प्रारंभिक साल- SBI Foundation Day

स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की शुरुआत 19वीं शताब्दी के पहले दशक में हुई थी, जब भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश शासन था। 2 जून 1806 को कोलकाता (पहले कलकत्ता) में ‘बैंक ऑफ कलकत्ता’ की स्थापना की गई। यह बैंक विशेष रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के वित्तीय कामकाज को संभालने के लिए स्थापित किया गया था। तीन साल बाद, 2 जनवरी 1809 को इस बैंक का नाम बदलकर ‘बैंक ऑफ बंगाल’ कर दिया गया।

इसके बाद बैंक का नाम और रूप लगातार बदलता रहा। जब देश में बैंकिंग सेक्टर में तेजी आई, तो 15 अप्रैल 1840 को बंबई में ‘बैंक ऑफ बॉम्बे’ की स्थापना की गई और 1 जुलाई 1843 को मद्रास (अब चेन्नई) में ‘बैंक ऑफ मद्रास’ अस्तित्व में आया। इन तीनों बैंकों का मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश शासन के वित्तीय मामलों को संभालना था, लेकिन इनमें प्राइवेट सेक्टर के लोगों की रकम भी जमा रहती थी।

इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का गठन

27 जनवरी 1921 को बैंक ऑफ बंबई और बैंक ऑफ मद्रास का विलय बैंक ऑफ बंगाल में हो गया, और इस विलय के बाद ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ का गठन हुआ। यह बैंक अंग्रेजों के शासन के तहत भारतीय बैंकिंग व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।

आजादी के बाद हुआ SBI का गठन

देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया का काम जारी रहा और इसका नाम भी बदलता रहा। 1955 में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ को अधिग्रहित किया और इसके बाद इस बैंक का नाम बदलकर ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ (SBI) कर दिया गया।

30 अप्रैल 1955 को बैंक के नाम में यह बड़ा बदलाव हुआ, और 1 जुलाई 1955 को एसबीआई की आधिकारिक रूप से स्थापना हुई। इस दिन एसबीआई का पहला बैंक अकाउंट भी खोला गया। इसके बाद धीरे-धीरे एसबीआई के अंतर्गत पूरे देश के बैंकों के शाखाएं शामिल होने लगीं। इसके तहत पहले 480 शाखाओं को एसबीआई ऑफिस में बदल दिया गया, जिनमें ब्रांच ऑफिस, सब ब्रांच ऑफिस और लोकल हेडक्वाटर शामिल थे।

विलय और वैश्विक विस्तार

1 अप्रैल 2017 को भारतीय स्टेट बैंक ने अपने पांच सहयोगी बैंकों—स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (SBBJ), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (SBM), स्टेट बैंक ऑफ त्रवाणकोर (SBT), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (SBH), और स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (SBH)—का विलय कर दिया। इस विलय के बाद एसबीआई वैश्विक स्तर पर उभरकर सामने आया। एसबीआई की शाखाओं की संख्या बढ़कर 22,500 हो गई और बैंक का बाजार पूंजीकरण भी बढ़कर 7.32 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

आज का एसबीआई

आज एसबीआई भारत की 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में शामिल है और यह फॉर्च्यून-500 कंपनियों में से एक है। इसकी बाजार पूंजीकरण के हिसाब से एसबीआई भारतीय बैंकों में सबसे बड़ा है। एसबीआई का विकास केवल देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हुआ है, और आज यह एक ग्लोबल बैंक के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।

और पढ़ें: No Fuel Policy: 1 जुलाई से लगेगा ताला! अब इन वाहनों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, जानिए ‘No Fuel’ पॉलिसी के बारे में सबकुछ

ओडिशा में एडिशनल कमिश्नर BMC की लात-घूसों से पिटाई, कई मीटर तक घसीटा, देखिए वायरल वीड...

Ratnakar Sahoo Attacked: ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें कुछ लोगों ने भुवनेश्वर म्युनिसिपल कमिश्नर रत्नाकर साहू की बेरहमी से पिटाई की। यह घटना भुवनेश्वर के एक दफ्तर में घटी, जब कुछ लोगों ने रत्नाकर साहू को लात-घूसों से पीटते हुए दफ्तर से बाहर खींच लिया। इस हमले का रोंगटे खड़ा कर देने वाला वीडियो भी सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। इस घटना ने ओडिशा की राजनीति में तूल पकड़ लिया है और राज्य में सनसनी फैला दी है।

और पढ़ें: T Raja Singh Resigns: BJP के फायरब्रांड नेता टी राजा सिंह ने छोड़ दी पार्टी, कहा- घुट रहा था दम

वीडियो में दिखी बर्बरता- Ratnakar Sahoo Attacked

घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें रत्नाकर साहू को कुछ लोग पकड़कर पीट रहे हैं। वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि उनके पेट में लात मारी जा रही है और मुंह पर थप्पड़ मारे जा रहे हैं। इसके बाद उन्हें खींचकर दफ्तर से बाहर ले जाया जाता है। इस घटना के दौरान रत्नाकर साहू की गाड़ी भी बाहर खड़ी थी, और उन्हें उसी गाड़ी के पास तक खींचा गया। वीडियो के वायरल होते ही ओडिशा में इस घटना पर हंगामा मच गया और सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं का सिलसिला शुरू हो गया।

पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी

इस घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए हमले के आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है, जिसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों में जीवन राउत, रश्मि महापात्र और देबाशीष प्रधान शामिल हैं। भुवनेश्वर के खारवेलनगर पुलिस स्टेशन में यह एफआईआर दर्ज की गई है। पुलिस ने यह भी बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों को कोर्ट में पेश किया जाएगा और इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।

राजनीतिक माहौल गरमाया

रत्नाकर साहू पर हुए इस हमले के बाद ओडिशा में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। विपक्षी दलों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। बीजू जनता दल (BJD) के प्रमुख और ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी इस घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि रत्नाकर साहू पर “बर्बर तरीके से लात-घूंसे बरसाए गए।” उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी से तत्काल कार्रवाई की मांग की और कहा कि इस हमले के पीछे जो भी राजनीतिक नेता हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।

नवीन पटनायक ने कहा, “मैं इस वीडियो को देखकर हैरान हूं। आज एक सीनियर ऑफिसर को उनके ऑफिस से घसीटकर बाहर निकाला गया और एक बीजेपी कॉर्पोरेटर के सामने बुरी तरह पीटा गया। यह घटना दिनदहाड़े, राजधानी के बीचोंबीच हुई, और सबसे बड़ी चिंता यह है कि एक सीनियर ऑफिसर अपने ऑफिस में सुरक्षित नहीं था।”

कांग्रेस ने भी बीजेपी पर साधा निशाना

कांग्रेस पार्टी ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है। कांग्रेस का आरोप है कि बीजेपी के नेताओं और उनके समर्थकों ने रत्नाकर साहू को पीटा और यहां तक कि उन्हें किडनैप करने की कोशिश की। कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी के शासन में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है और अपराधी खुलेआम गुंडागर्दी कर रहे हैं। कांग्रेस के एक पोस्ट में कहा गया, “यह बीजेपी का जंगल राज है, जहां अपराधी सरेआम कानून को ठेंगा दिखा रहे हैं।”

और पढ़ें: Dharam Singh Chhoker: हरियाणा में ED की बड़ी कार्रवाई: पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर की 638 करोड़ की संपत्ति जब्त, मनी लॉन्ड्रिंग में गंभीर आरोप

Old Vehicles Delhi: दिल्ली में 62 लाख पुरानी गाड़ियों पर कार्रवाई, 350 पेट्रोल पंपों ...

0

Old Vehicles Delhi: अगर आप दिल्ली में रहते हैं और आपकी गाड़ी 15 साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी है, तो आज से आपको सड़क पर निकलते वक्त थोड़ी सतर्कता बरतनी होगी। राजधानी दिल्ली में आज से “End-of-Life Vehicles” (EoL) के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गई है। दिल्ली सरकार ने इन पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए कठोर कदम उठाए हैं और अब इनकी धरपकड़ शुरू हो चुकी है।

और पढ़ें: No Fuel Policy: 1 जुलाई से लगेगा ताला! अब इन वाहनों को नहीं मिलेगा पेट्रोल-डीजल, जानिए ‘No Fuel’ पॉलिसी के बारे में सबकुछ

गाड़ियों के मालिकों पर जुर्माना- Old Vehicles Delhi

दिल्ली सरकार ने तय किया है कि 15 साल से अधिक पुरानी पेट्रोल गाड़ियों और 10 साल से पुरानी डीजल गाड़ियों को सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही इन्हें पेट्रोल पंपों से ईंधन भी नहीं मिलेगा। इन गाड़ियों की जब्ती के लिए सख्त प्रावधान लागू किए गए हैं, जिनके तहत अगर कोई वाहन इस श्रेणी में आता है तो उसके मालिक को 10,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ेगा। वहीं, जिन दोपहिया वाहनों की उम्र पूरी हो चुकी है, उनकी जब्ती पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।

पेट्रोल पंपों पर निगरानी

इस अभियान के तहत दिल्ली के 350 पेट्रोल पंपों को चिन्हित किया गया है। इनमें से 100 सबसे व्यस्त पंपों पर दिल्ली पुलिस की टीमों को तैनात किया जाएगा। इसके अलावा, 59 पंपों पर परिवहन विभाग के अधिकारी निगरानी करेंगे। 91 संवेदनशील पंपों पर संयुक्त टीमों की तैनाती की जाएगी, जिसमें दिल्ली पुलिस और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट दोनों शामिल होंगे। बाकी के 100 कम संवेदनशील पंपों की निगरानी नगर निगम (MCD) के कर्मचारी करेंगे। इस कठोर निगरानी के तहत इन वाहनों को ईंधन मिलने पर रोक लगा दी जाएगी, ताकि उनकी सड़कों पर आवाजाही रोकी जा सके।

62 लाख गाड़ियां EoL श्रेणी में

दिल्ली में लगभग 62 लाख वाहन EoL श्रेणी में आते हैं, जिन्हें अब सड़क से हटाना सरकार का प्रमुख उद्देश्य बन गया है। VAHAAN डाटाबेस के अनुसार, इनमें से 41 लाख दोपहिया वाहन और 18 लाख चारपहिया वाहन शामिल हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के अन्य जिलों में भी इन वाहनों की संख्या काफी ज्यादा है। हरियाणा में 27.5 लाख, उत्तर प्रदेश में 12.4 लाख और राजस्थान में 6.1 लाख वाहन EoL श्रेणी में आते हैं।

प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में कदम

दिल्ली सरकार का मुख्य उद्देश्य प्रदूषण पर नियंत्रण पाना और सड़कों से उन वाहनों को हटाना है जो वातावरण में जहरीला धुआं छोड़ते हैं। इन पुराने वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल्ली में वायु प्रदूषण को बढ़ाने का एक प्रमुख कारण है। इन वाहनों को सड़कों से हटा कर सरकार प्रदूषण कम करने की दिशा में एक ठोस कदम उठाने जा रही है।

दिल्ली में आज से शुरू हुए EoL वाहनों के खिलाफ अभियान से न केवल प्रदूषण कम करने की उम्मीद है, बल्कि सड़कों पर सुरक्षित और प्रदूषण-मुक्त परिवहन व्यवस्था की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। अब गाड़ी मालिकों को यह समझने की जरूरत है कि समय सीमा पूरी कर चुके वाहनों को सड़कों पर चलाना न केवल उनके लिए महंगा साबित हो सकता है, बल्कि दिल्ली की हवा को भी और जहरीला बना सकता है।

और पढ़ें: Indian Railways New Rules: IRCTC का बड़ा फैसला: 1 जुलाई से इन यूज़र्स की तत्काल टिकट बुकिंग पर लगेगा प्रतिबंध

 दिल्ली के युवक ने बेंगलुरु में बुजुर्ग दंपती से मांगा नाश्ता, मिला घर जैसा प्यार भरा...

Viral Video: बेंगलुरु में हुई एक दिल को छू लेने वाली घटना ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। दिल्ली के कंटेंट क्रिएटर और पर्कशनिस्ट सदेव सिंह ने बेंगलुरु में एक बुजुर्ग दंपति से मिलने का फैसला किया और न केवल उनसे बात की बल्कि उन्हें अपने घर पर नाश्ता करने के लिए आमंत्रित भी किया। यह मुलाकात न केवल अप्रत्याशित दोस्ती में बदल गई बल्कि सोशल मीडिया पर लोगों के दिलों को भी छू गई।

और पढ़ें: What is Animal Rain: आसमान से गिरने लगते हैं मेंढ़क, कछुए और मछलियां, जानें क्या है एनिमल रेन का रहस्य

वास्तविक स्थानीय भोजन का अनुभव करने की इच्छा- Viral Video

सदेव सिंह ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया, जिसमें उन्होंने लिखा, “POV: मैंने बेंगलुरु में एक अजनबी से नाश्ता खाने का अनुरोध किया।” वीडियो में सदेव बेंगलुरु के एक बुजुर्ग महिला से कहते हैं, “नमस्कार आंटी, मैं दिल्ली से हूं और यहां का स्थानीय खाना खाना चाहता था। क्या कोई तरीका है कि मैं आपके घर पर नाश्ता कर सकूं?”

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sadeev Singh (@sadeevxsingh)

सदेव का यह अनुरोध सुनकर महिला ने उन्हें बहुत ही गर्मजोशी से अपने घर में आमंत्रित किया। उन्होंने सदेव को अपने खाने की मेज़ पर बैठने को कहा और कुछ ही समय में उन्हें घर का बना नाश्ता परोसा गया। सदेव और बुजुर्ग दंपती के बीच भाषा की कोई बाधा नहीं रही और उनका रिश्ता नाश्ते और बातचीत के दौरान गहरा हो गया।

रागी मुद्दे का स्वाद और संगीत का सुख

इस मुलाकात में एक और दिलचस्प पल आया जब बुजुर्ग महिला के पति ने पारंपरिक वाद्य यंत्र निकाला और सदेव को उसे बजाना सिखाया। सदेव ने कहा, “बेंगलुरु के लोग बहुत अच्छे होते हैं,” और इस अनुभव से वह गहरे रूप से प्रभावित हुए।

इस भावुक मुलाकात के बाद, सदेव ने बुजुर्ग दंपती का धन्यवाद किया और उनके साथ तस्वीरें खींची। उन्होंने उनके आशीर्वाद भी प्राप्त किए। बुजुर्ग आदमी ने सदेव से कहा, “आज एक संगीतकार से मिलकर बहुत खुशी हुई। मैं चाहता हूं कि आप जो भी करें, उसमें सफलता हासिल करें।”

खाने के जरिए एकजुटता

सदेव सिंह ने इस मुलाकात को इंस्टाग्राम पर साझा करते हुए लिखा, “भाषाओं में बंटे हुए, खाने से एकजुट।” इस संदेश ने एक सशक्त विचार प्रस्तुत किया कि खाने के जरिए लोग न केवल एक-दूसरे के करीब आते हैं, बल्कि एक दूसरे की संस्कृतियों और परंपराओं को समझने का मौका भी मिलता है।

सोशल मीडिया पर उत्साह

सदेव के पोस्ट पर कई लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की और बेंगलुरु के इस असल और सच्चे रूप को सराहा। एक यूज़र ने लिखा, “यह वही बेंगलुरु है, जिसे आपको अनुभव करना चाहिए,” जबकि दूसरे ने टिप्पणी की, “उन्होंने आपको रागी मुद्दे दिया, यह कितना प्यारा है! वे सच में खुश थे कि आपने उनके घर नाश्ता किया।” एक और यूज़र ने कहा, “अगर कोई आपको रागी मुद्दे देता है तो आप सही जगह पर हैं।”

Viral Video
Source: Google

यह घटना एक सुंदर उदाहरण है कि कैसे दो अलग-अलग शहरों के लोग, विभिन्न भाषाओं और संस्कृतियों के बावजूद, खाना और विनम्रता के जरिए एकजुट हो सकते हैं। बेंगलुरु में सदेव सिंह की यह मुलाकात न सिर्फ एक सजीव उदाहरण है, बल्कि यह सोशल मीडिया पर एक सकारात्मक संदेश फैलाने का भी काम करती है कि दुनिया में अभी भी अच्छाई और मानवता बाकी है।

और पढ़ें: Story of Stone Roti: पाकिस्तान में बनती है ये ‘पत्थर की रोटी’,  कैसे बनती है और क्यों ये खाते हैं लोग?

T Raja Singh Resigns: BJP के फायरब्रांड नेता टी राजा सिंह ने छोड़ दी पार्टी, कहा- घुट...

T Raja Singh Resigns: तेलंगाना की राजनीति में हलचल मचाते हुए गोशामहल विधानसभा सीट से भाजपा विधायक टी राजा सिंह ने हाल ही में भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उनका यह कदम राज्य की राजनीतिक दुनिया में एक बड़ा विवाद खड़ा कर रहा है। इस्तीफा देने के बाद पहली बार मीडिया से बात करते हुए सिंह ने अपनी नाराजगी और भाजपा के प्रति अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त किया।

और  पढ़ें: Dharam Singh Chhoker: हरियाणा में ED की बड़ी कार्रवाई: पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर की 638 करोड़ की संपत्ति जब्त, मनी लॉन्ड्रिंग में गंभीर आरोप 

सिंह ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी से बार-बार कहा था कि तेलंगाना में भाजपा की सरकार बनाई जा सकती है, क्योंकि जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता पूरी मेहनत कर रहे हैं। लेकिन जब प्रदेश अध्यक्ष के चयन की बात आती है, तो पार्टी को यह ध्यान में रखना चाहिए कि किस प्रकार के नेता को यह जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। उन्होंने पार्टी नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल उठाए और कहा कि भाजपा में उनके साथ अन्याय हो रहा था, जिसकी वजह से अब वह पार्टी में अपनी स्थिति से असंतुष्ट महसूस कर रहे थे।

भाजपा में दम घुटने की बात स्वीकार की- T Raja Singh Resigns

टी राजा सिंह ने अपने बयान में यह भी कहा कि उन्हें 2014 में भाजपा में शामिल होने के बाद कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा। उन्होंने यह बताया कि न केवल उन्हें बल्कि उनके क्षेत्र को भी बार-बार निशाना बनाया गया, और ऐसे अन्याय को सहन करना अब उनके लिए मुश्किल हो गया था। सिंह ने कहा, “अब तो पार्टी में दम घुटने लगा है,” इस बयान के जरिए उन्होंने भाजपा में अपनी असहजता और निराशा को व्यक्त किया।

 

View this post on Instagram

 

A post shared by FUN FACTORSS 1M™ (@fun_factorss)

प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव पर असंतोष

सिंह ने अपनी नाराजगी को और स्पष्ट करते हुए कहा कि वह लंबे समय से यह कह रहे थे कि प्रदेश अध्यक्ष के चयन में बूथ स्तर से लेकर वरिष्ठ नेताओं तक की राय ली जानी चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भाजपा को ऐसा नेता चाहिए जो आक्रामक हो और हिंदुत्व की बात करे, क्योंकि तेलंगाना की जनता ऐसे नेताओं को पसंद करती है। उनका मानना था कि भाजपा को अपनी नेतृत्व पंक्ति में बदलाव करने की जरूरत है, ताकि पार्टी का उद्देश्य और दिशा स्पष्ट रहे।

प्रधानमंत्री और अमित शाह के समर्थक बने रहने की बात कही

हालांकि, टी राजा सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थक बने रहेंगे, चाहे वह भाजपा में रहें या नहीं। सिंह ने कहा कि उनका समर्थन इन नेताओं के प्रति हमेशा बना रहेगा, क्योंकि वे हिंदुत्व की विचारधारा में विश्वास रखते हैं।

रामचंद्र राव के नियुक्ति पर आपत्ति

राजा सिंह ने अपने इस्तीफे पत्र में यह भी लिखा कि भाजपा द्वारा रामचंद्र राव को तेलंगाना का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया जाना एक झटका और निराशा की बात है। उन्होंने यह निर्णय को अपने लिए ही नहीं, बल्कि लाखों कार्यकर्ताओं, नेताओं और मतदाताओं के लिए भी निराशाजनक बताया, जो पार्टी के साथ हर उतार-चढ़ाव में खड़े रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को अपनी दिशा पर विचार करना चाहिए, खासकर जब पार्टी तेलंगाना में अपनी पहली सरकार बनाने के करीब है।

भविष्य में भाजपा की स्थिति पर सवाल

टी राजा सिंह के इस्तीफे के बाद भाजपा में हलचल तेज हो गई है। उनका इस्तीफा पार्टी के लिए एक बड़ा झटका है, क्योंकि सिंह पार्टी के एक अहम नेता और मुखर नेता के रूप में जाने जाते थे। उनके इस्तीफे से यह सवाल उठता है कि क्या भाजपा तेलंगाना में अपनी स्थिति को बनाए रख पाएगी, खासकर जब पार्टी को राज्य में अपनी पहली सरकार बनाने का सपना है।

और पढ़ें: Uttarakhand Marriage Law: उत्तराखंड में लागू UCC कानून के बाद पूर्व विधायक की बढ़ीं मुश्किलें, दूसरी शादी पर हुआ भाजपा से निष्कासन, अब जेल जाने का खतरा