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NDA Vice President Candidate: देश का अगला उपराष्ट्रपति कौन? एनडीए ने घोषित किया उम्मी...

NDA Vice President Candidate: देश में अब उपराष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। रविवार को एनडीए ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी। अब राधाकृष्णन 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस मौके पर एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री उनके साथ मौजूद रहेंगे।

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विपक्ष की रणनीति पर मंथन आज- NDA Vice President Candidate

एनडीए के ऐलान के बाद INDIA गठबंधन भी एक्टिव हो गया है। आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चैंबर में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। इस मीटिंग में उपराष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार के नाम पर विचार किया जाएगा। हालांकि अब तक विपक्ष की ओर से किसी नाम की घोषणा नहीं हुई है।

वोटिंग का गणित किसके पक्ष में?

उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य हिस्सा लेते हैं। इस समय लोकसभा में कुल 542 और राज्यसभा में 240 सदस्य हैं, यानी कुल 782 सांसद वोट डालेंगे। जीत के लिए जरूरी आंकड़ा 392 है।
एनडीए के पास अभी 422 सांसदों का समर्थन है, जो बहुमत से कहीं ज़्यादा है। ऐसे में सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। यह मुकाबला अब सिर्फ औपचारिक रह गया है।

तमिलनाडु से OBC नेता हैं राधाकृष्णन

सीपी राधाकृष्णन मूल रूप से तमिलनाडु से आते हैं और ओबीसी समुदाय (गाउंडर जाति) से ताल्लुक रखते हैं। 16 साल की उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वे दो बार तमिलनाडु के कोयंबटूर से सांसद रह चुके हैं और राज्य बीजेपी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।

31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। इसके अलावा वे झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल भी रह चुके हैं। यानी उनके पास राजनीति और प्रशासन दोनों का अच्छा अनुभव है।

बीजेपी का दक्षिण भारत में बड़ा दांव

राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने न सिर्फ एक अनुभवी चेहरा उतारा है, बल्कि दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश भी की है। तमिलनाडु में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी के इस कदम को रणनीतिक तौर पर अहम माना जा रहा है।

डीएमके के लिए असमंजस की स्थिति

सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं, ऐसे में राज्य की सत्ताधारी पार्टी डीएमके के लिए उन्हें सीधे तौर पर विरोध करना आसान नहीं होगा। अगर डीएमके राधाकृष्णन का विरोध करती है, तो इसका असर राज्य के वोटर वर्ग पर पड़ सकता है। बीजेपी ने यही दांव खेला है — एक ऐसा उम्मीदवार उतारना, जो विपक्ष के लिए चुनौती बन जाए।

विपक्ष में एक राय नहीं

उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर विपक्ष में अब तक एक राय नहीं बन पाई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने बयान दिया है कि उपराष्ट्रपति को आम सहमति से चुना जाना चाहिए। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि विपक्ष की बैठक में इस पर फैसला होगा। इस बयानबाज़ी से यह साफ है कि विपक्ष के भीतर भी एकजुटता का अभाव है।

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Bihar Voter List: बिहार की वोटर लिस्ट से 65 लाख लोगों के नाम काटे गए, आपका भी नाम तो ...

Bihar Voter List: बिहार की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा चुनावी मुद्दा चर्चा में है – मतदाता सूची से हटाए गए नामों की लंबी फेहरिस्त। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब चुनाव आयोग ने विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के तहत हटाए गए नामों की सूची जिला मजिस्ट्रेटों की वेबसाइट्स पर सार्वजनिक कर दी है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस बात की जानकारी दी और भरोसा दिलाया कि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और कानून सम्मत तरीके से की गई है।

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सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेशBihar Voter List

बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह निर्देश दिया था कि बिहार में मतदाता सूची से हटाए गए करीब 65 लाख नामों का पूरा ब्योरा सार्वजनिक किया जाए। इसके पीछे वजह यह थी कि इस विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर कई याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिनमें पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए थे।

पारदर्शिता का दावा, अफवाहों से सतर्क रहने की अपील

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, “भारत में चुनाव प्रक्रिया एक बहु-स्तरीय और विकेंद्रीकृत प्रणाली पर आधारित है। मतदाता सूची को अपडेट करने का जिम्मा हमारे स्थानीय अधिकारी—इलेक्टोरल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर (ERO) और बूथ लेवल ऑफिसर (BLO)—पर होता है, जो एसडीएम स्तर के होते हैं।”

उन्होंने बताया कि ड्राफ्ट मतदाता सूची 1 अगस्त को प्रकाशित कर दी गई है और यह 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्तियों के लिए खुली रहेगी। इस दौरान कोई भी नागरिक, संगठन या राजनीतिक दल सूची से नाम हटाने या जोड़ने को लेकर फॉर्म भर सकता है।

ज्ञानेश कुमार ने यह भी कहा कि कुछ राजनीतिक दल जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर लोगों से अपील की कि किसी भी अफवाह पर विश्वास न करें और केवल आधिकारिक जानकारी के स्रोतों पर भरोसा करें।

कैसे जांचें कि आपका नाम सूची में है या नहीं?

यदि आप जानना चाहते हैं कि आपका नाम मतदाता सूची में है या नहीं, तो इसके लिए चुनाव आयोग ने बेहद आसान तरीका उपलब्ध कराया है।

  • सबसे पहले voters.eci.gov.in वेबसाइट खोलें
  • अगर आपके पास वोटर आईडी कार्ड है, तो उसमें दिया गया EPIC नंबर डालें और कैप्चा भरकर “Search” पर क्लिक करें
  • अगर EPIC नंबर नहीं है, तो आप अपने नाम, पिता/पति का नाम, जन्म तिथि, लिंग और विधानसभा क्षेत्र की जानकारी डालकर भी खोज सकते हैं

अगर नाम हट गया है तो क्या करें?

अगर सर्च करने पर यह दिखे कि आपका नाम “Deleted” है, तो कारण के साथ (जैसे मृत्यु, स्थानांतरण, डुप्लीकेट या अन्य कारण) यह भी बताया जाएगा। ऐसी स्थिति में आपको घबराने की जरूरत नहीं है। आप Form 7 भरकर 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच आपत्ति दर्ज करा सकते हैं।

  • फॉर्म ऑनलाइन भरने के लिए आप voters.eci.gov.in या ECINet मोबाइल ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं
  • अगर डिजिटल तरीका नहीं आता तो अपने BLO से संपर्क करके ऑफलाइन फॉर्म जमा कर सकते हैं
  • कई जिलों में BLO घर-घर जाकर या WhatsApp से भी फॉर्म स्वीकार कर रहे हैं

ऑफलाइन भी है जानकारी उपलब्ध

सिर्फ ऑनलाइन ही नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब यह जानकारी हर बूथ स्तर के दफ्तर, पंचायत भवन और ब्लॉक विकास कार्यालय में भी नोटिस बोर्ड पर चिपकाई गई है। यानी अगर आपके पास इंटरनेट नहीं है, तो भी आप पास के सरकारी कार्यालय जाकर मतदाता सूची देख सकते हैं।

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Superfood For Kids Eye Health: बच्चों की आंखों की सेहत के लिए जरूरी पांच फूड्स, जिनसे...

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Superfood For Kids Eye Health: आज के डिजिटल युग में बच्चों की आंखों पर बहुत दबाव आता है। मोबाइल, टीवी, लैपटॉप और टैबलेट जैसे उपकरणों के सामने घंटों बैठने की वजह से उनकी आंखों को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में माता-पिता की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों की आंखों की देखभाल करें और उन्हें स्क्रीन टाइम से थोड़ा दूर रखें। साथ ही, बच्चों की डाइट में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जो उनकी आंखों की सेहत को मजबूत बनाएं। आइए हम आपको उन पांच खास फूड्स के बारे में बताते हैं जिन्हें हर बच्चे को खाना चाहिए।

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1. हरी पत्तेदार सब्जियां: आंखों की सुरक्षा का पहला कदम- Superfood For Kids Eye Health

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे पालक, मेथी, सलाद पत्ता, ब्रोकली आदि में ल्यूटिन और जीएक्सैंथिन जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये दोनों शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो रेटिना को नुकसान से बचाते हैं। अगर बच्चे रोजाना इन सब्जियों का सेवन करें तो उनकी आंखें लंबे समय तक स्वस्थ रहती हैं। इसलिए डाइट में इन्हें जरूर शामिल करें।

2. मछली: ओमेगा-3 का भरपूर स्रोत

अगर आपके घर में मछली खाई जाती है तो बच्चे की डाइट में इसे शामिल करना बहुत फायदेमंद होगा। मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो आंखों के लिए बेहद जरूरी है। यह रेटिना की कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करता है और आंखों की रोशनी को बेहतर बनाता है। साथ ही, ओमेगा-3 बच्चों की सामान्य विकास प्रक्रिया के लिए भी जरूरी है।

3. गाजर और पालक: विटामिन A से भरपूर

गाजर, पालक, शकरकंद, आम, पपीता और डेयरी प्रोडक्ट में विटामिन A होता है, जो आंखों के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है। विटामिन A रेटिना को स्वस्थ रखता है और आंखों के सूखेपन से बचाता है। अगर शरीर में विटामिन A की कमी हो जाए तो आंखों का सफेद हिस्सा सूख जाता है, जिसे कंजंक्टाइवल जेरोसिस कहा जाता है। इसलिए बच्चों को गाजर और पालक जैसी चीजें जरूर खिलाएं।

4. अलसी के बीज और सूखे मेवे: ओमेगा-3 के अतिरिक्त स्रोत

अलसी के बीज, अखरोट और अन्य सूखे मेवे भी ओमेगा-3 फैटी एसिड का अच्छा स्रोत हैं। यह रेटिना की फोटोरेसेप्टर कोशिकाओं को मजबूत बनाए रखते हैं, जिससे बच्चों की आंखें स्वस्थ रहती हैं। अगर बच्चे मछली नहीं खाते तो उन्हें जरूर ये सूखे मेवे खिलाएं।

5. संतरे, नींबू और कीवी: विटामिन C और E से भरपूर

आंखों की सुरक्षा में विटामिन C और E भी बहुत जरूरी हैं। ये एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करते हैं और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं। खासकर विटामिन C मोतियाबिंद (कैटरैक्ट) बनने से बचाव करता है। इसके अलावा जिंक नामक मिनरल भी आंखों की देखभाल करता है, जो एज-रिलेटेड मैक्यूलर डिजनरेशन से बचाता है। विटामिन C और जिंक संतरे, नींबू और कीवी जैसे खट्टे फलों में भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। बच्चों को यह फल नियमित खिलाना चाहिए।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से साझा की गई है। इसमें बताई गई बातें किसी पेशेवर डॉक्टर की सलाह का विकल्प नहीं हैं। स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए कृपया संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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High Security Number Plate: महाराष्ट्र में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगवाने की समय सी...

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High Security Number Plate: महाराष्ट्र परिवहन विभाग ने हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (HSRP) लगवाने की अंतिम तारीख को 30 नवंबर 2025 तक बढ़ा दिया है। इससे पहले यह समय सीमा 15 अगस्त थी, जो अब बढ़ाई गई है। विभाग ने साफ किया है कि 1 दिसंबर 2025 से जो भी वाहन हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगवाएगा, उसके खिलाफ एयर स्पीड स्क्वॉड कार्रवाई करेगा। इन वाहनों को जब्त भी किया जा सकता है और नंबर प्लेट लगवाए बिना उसे छोड़ा नहीं जाएगा।

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2019 से पहले के वाहनों पर अनिवार्य नंबर प्लेट- High Security Number Plate

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत महाराष्ट्र में 2019 से पहले रजिस्टर हुए सभी वाहनों पर हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना जरूरी है। खासकर पुणे में करीब 26 लाख से ज्यादा वाहनों को यह नंबर प्लेट लगवानी है। इस काम के लिए रोसमार्टा कंपनी को जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो फिलहाल नंबर प्लेट लगाने का काम कर रही है। लेकिन संख्या ज्यादा होने और पंजीकरण प्रक्रिया में समय लगने की वजह से काम की रफ्तार धीमी पड़ गई है।

पुणे में नंबर प्लेट लगवाने की स्थिति

महाराष्ट्र टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पुणे में अभी तक सिर्फ करीब 8 लाख वाहन चालकों ने ही नंबर प्लेट के लिए पंजीकरण कराया है। इनमें से लगभग 5.5 लाख वाहनों पर नंबर प्लेट लग चुकी है। बाकी लगभग 18 लाख वाहन अभी भी पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं कर पाए हैं। वाहन चालकों ने जो पंजीकरण के लिए तारीख दी थी, वे ज्यादातर सितंबर-अक्टूबर की हैं, जो अब बीत चुकी है। इस वजह से समय सीमा बढ़ाने की मांग उठ रही थी।

आरटीओ ने रोसमार्टा कंपनी को दिए निर्देश

पुणे क्षेत्रीय परिवहन विभाग (आरटीओ) ने हाल ही में इस मामले की समीक्षा की। उन्होंने पाया कि नंबर प्लेट लगाने का काम अपेक्षित गति से नहीं चल रहा है। इसलिए कंपनी को अधिक फिटमेंट सेंटर खोलने और नंबर प्लेट लगने के बाद उसे उसी दिन वाहन पोर्टल पर पंजीकृत करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही, आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने और आवेदन भरने में सुविधा के लिए साप्ताहिक बाजारों, सरकारी और निजी कार्यालयों में कैंप लगाने की भी योजना बनाई गई है।

30 नवंबर के बाद होगी सख्ती

परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार के आदेश के अनुसार, 1 दिसंबर 2025 से बिना हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट वाले वाहनों पर स्पीड स्क्वॉड कार्रवाई करेगी। इस कार्रवाई में वाहन जब्त करना भी शामिल होगा। ऐसे में वाहन मालिकों को अब जल्द से जल्द इस काम को पूरा करना होगा।

प्रमुख आंकड़े

  • पुणे में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट के लिए पंजीकृत वाहन: लगभग 93 लाख
  • नंबर प्लेट लग चुकी वाहनों की संख्या: लगभग 47 लाख
  • पंजीकरण के लिए अभी लंबित वाहन: लगभग 18 लाख
  • पुणे में फिटमेंट सेंटर की संख्या: 206

बता दें, हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न केवल आपके वाहन की सुरक्षा बढ़ाती है बल्कि इससे सड़क सुरक्षा भी बेहतर होती है। विभाग द्वारा बढ़ाई गई समय सीमा के बाद भी यदि वाहन चालक समय पर नंबर प्लेट नहीं लगवाते हैं, तो उन्हें कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। इसलिए वाहन मालिकों से अपील है कि वे जल्द से जल्द अपना पंजीकरण करवा लें और इस नियम का पालन करें, ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।

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Shahid Afridi Dog Meat: “डॉग मीट खाया है, तभी भौंक रहा है…” इरफान प...

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Shahid Afridi Dog Meat: भारतीय क्रिकेट के दिग्गज ऑलराउंडर इरफान पठान अपनी बेबाकी और सीधी-साधी बातों के लिए हमेशा चर्चा में रहते हैं। कभी किसी खिलाड़ी की तारीफ करने से पीछे नहीं हटते, तो वहीं किसी की गलती पर बेबाक टिप्पणी भी करते हैं। 2006 में हुए अपने एक पाकिस्तान दौरे के दौरान, इरफान ने उस समय के पाकिस्तानी कप्तान शाहिद अफरीदी को एक फ्लाइट में ऐसे जवाब दिए कि अफरीदी बस सन्न रह गए। हाल ही में एक इंटरव्यू में इरफान ने उस मज़ेदार और तगड़े मोमेंट का खुलासा किया, जो क्रिकेट फैंस के लिए सुनना मज़ेदार और चौंकाने वाला दोनों था।

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फ्लाइट में हुआ था दिलचस्प मुकाबला- Shahid Afridi Dog Meat

इरफान पठान ने हाल ही में एक इंटरव्यू में उस घटना का जिक्र किया, जब भारतीय और पाकिस्तानी टीम एक ही फ्लाइट से कराची से लाहौर जा रही थी। इस दौरान इरफान के बगल में पाकिस्तानी ऑलराउंडर अब्दुल रज्जाक बैठे थे। तभी पीछे से शाहिद अफरीदी आए और उनका सिर थपथपाते हुए बोले, “बच्चे, कैसा है?”

 

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इरफान ने जवाब दिया, “बच्चों जैसी हरकत है तेरी, तू कब से बाप बन गया? मेरी ना तेरी दोस्ती है, ना कोई खास जान-पहचान। फिर तू क्यों बदतमीजी करता है?” इस पर अफरीदी ने कुछ अपशब्द कहे, लेकिन इरफान ने तुरंत ही पलटवार किया।

कुत्ते के गोश्त पर चुटकी, अफरीदी के हो गए लाल

इरफान ने अब्दुल रज्जाक से पूछा, “यहां किस तरह का गोश्त मिलता है?” रज्जाक ने कुछ नाम बताए। तब इरफान ने मजाक में पूछा, “क्या कुत्ते का भी मिलता है?” रज्जाक ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “इरफान, ऐसा क्यों बोल रहे हो?” इसके जवाब में इरफान ने अफरीदी की ओर इशारा करते हुए कहा, “इसने तो पक्का खाया है, तभी से भौंक रहा है।”

यह सुनकर अफरीदी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया, उनकी आंखें लाल हो गईं, लेकिन वह कुछ बोल नहीं पाए। इरफान ने कहा कि इस घटना के बाद अफरीदी को ये समझ आ गया कि जुबानी लड़ाई में वह उनसे जीत नहीं सकते।

2006 का दौरा था खास, हैट्रिक से मचाई थी सनसनी

यह वही पाकिस्तान दौरा था जब इरफान पठान ने टेस्ट मैच में हैट्रिक लेकर सबका ध्यान अपनी ओर खींचा था। उनकी घातक गेंदबाजी की वजह से पाकिस्तानी बल्लेबाज पूरी सीरीज में दबी-सी नजर आए। इस प्रदर्शन ने उन्हें भारतीय टीम का एक उभरता सितारा बना दिया था।

इरफान की बेबाकी सोशल मीडिया पर भी बरकरार

इरफान पठान मैदान के साथ-साथ सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहते हैं। वे अपनी राय बेबाकी से रखते हैं और हाल ही में उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल भी शुरू किया है, जहां वे खुलकर बातचीत करते हैं। हालांकि उनकी इस बेबाकी ने उन्हें आईपीएल 2025 के कमेंट्री पैनल से बाहर भी किया था, लेकिन फैंस उन्हें इसी सीधे और सच्चे अंदाज में पसंद करते हैं।

करियर के आंकड़े और शानदार प्रदर्शन

इरफान पठान ने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 29 टेस्ट, 120 वनडे और 24 टी20 मैच खेले। टेस्ट में उन्होंने 1105 रन बनाए और 100 विकेट लिए। वनडे में उनके नाम 173 विकेट और 1544 रन दर्ज हैं, जबकि टी20 में उन्होंने 28 विकेट चटकाए। उनके प्रदर्शन ने भारतीय क्रिकेट को कई मोर्चों पर मजबूती दी है।

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Bihar and Caste: जब यादवों ने जनेऊ पहनने की हिम्मत की, और बिहार की जातीय सच्चाई धधक उ...

Bihar and Caste: बिहार और जाति — दो शब्द नहीं, एक ज्वलंत सवाल हैं। किसी चाय की दुकान पर ये शब्द बोल दीजिए, फिर देखिए बहस कैसे भड़कती है। कोई इतिहास टटोलने लगेगा, कोई गुस्से में भर जाएगा, और कोई कहेगा — “अभी भी कुछ बदला है क्या?” लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस बहस की जड़ें कितनी गहरी हैं। कभी जनेऊ पहनने को लेकर लाठी चली, कभी उसे तोड़ने को लेकर हुंकार उठी। और इस पूरी लड़ाई में एक वो दिन भी आया जब बिहार की माटी से निकले लोग खड़े हो गए — सिर्फ़ अपने सम्मान के लिए, अपनी पहचान के लिए।

यह कहानी है उसी लड़ाई की — जब यादवों ने जनेऊ पहनना शुरू किया और बिहार की जातीय व्यवस्था बुनियाद से हिलने लगी। यह सिर्फ़ एक धागा नहीं था, यह स्वाभिमान की गांठ थी। और जब उसे

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यह कहानी है ‘जनेऊ तोड़ो आंदोलन’ की, एक ऐसे संघर्ष की जिसने सिर्फ एक धार्मिक धागे को नहीं, बल्कि सदियों पुरानी सामाजिक श्रेणियों को भी झकझोर दिया।

शुरुआत: जनेऊ पहनने की लड़ाई- Bihar and Caste

बात 1899 से शुरू होती है, जब बिहार की मानेर की गलियों से लेकर मुंगेर के गांवों तक एक नई सोच पनप रही थी। पिछड़ी जातियों में शिक्षा और सामाजिक चेतना का संचार होने लगा था। और उसी चेतना के साथ उठी मांग — “हमें भी वो सम्मान चाहिए जो अभी सिर्फ ऊंची जातियों को मिलता है।”

इस दौर में कायस्थों को भी पिछड़ा ही माना जाता था, और जब आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वती ने एक कायस्थ युवक का उपनयन संस्कार कर दिया, तो जैसे तूफान खड़ा हो गया। यहीं से शुरू हुआ जनेऊ पहनने का आंदोलन, जिसे आगे बढ़ाया डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने — जो आगे चलकर देश के पहले राष्ट्रपति बने।

राजेन्द्र बाबू ने न सिर्फ अछूतोद्वार सम्मेलन की अध्यक्षता की बल्कि एक भंगी के हाथ से पानी पीकर उस दौर की जातिगत दीवारों पर करारा प्रहार किया।

फिर हुआ मानेर में विरोध

पटना के मानेर गांव के हाथीटोला में जब पिछड़ी जातियों ने जनेऊ पहनना शुरू किया तो ऊंची जातियों में गुस्सा फूट पड़ा। फणीश्वर नाथ रेणु ने अपने उपन्यास ‘मैला आंचल’ में इस आंदोलन की पृष्ठभूमि को ‘मैरीगंज’ नाम से दर्ज किया। विरोध इतना तीव्र हुआ कि कई जानें चली गईं, कई गांव जलाए गए, और एक समुदाय को फिर से दबाने की कोशिश की गई।

रास बिहारी मंडल और यादव समाज का उभार

1911 में मधेपुरा के मुरहो गांव से एक नई अलख जगी। यहां के जमींदार रास बिहारी मंडल, जो कांग्रेस के शुरुआती नेताओं में से एक थे, उन्होंने नारा दिया — “यादव भी जनेऊ पहनेंगे”।

यह आंदोलन सिर्फ धार्मिक नहीं था, यह आत्म-सम्मान की बात थी। 1913 में पटना के कंकड़बाग में गोप जातीय महासभा का भव्य आयोजन हुआ। यहां जनेऊ पहनने के साथ ही वर्मा टाइटल अपनाने का फैसला भी हुआ। बाद में यही संगठन अखिल भारतीय यादव महासभा में बदल गया।

रास बिहारी मंडल ने अंग्रेज वायसरॉय से हाथ मिलाकर प्रतीकात्मक तौर पर उस गुलामी को नकारा, जो जाति व्यवस्था के साथ भी जुड़ी थी। उन्होंने अहीर रेजिमेंट की मांग भी की, ताकि यादवों को सेना में प्रतिनिधित्व मिल सके।

लाखोचक: जब जनेऊ धारण करना युद्ध बन गया

अब आते हैं बिहार के जातीय संघर्ष के सबसे खूनी अध्याय पर — लाखोचक की घटना, जिसे इतिहास में पहली जातीय हिंसा के रूप में देखा जाता है।

साल था 1925। मुंगेर जिले के लखीसराय के पास बसे लाखोचक गांव में बड़ी संख्या में यादव समुदाय के लोग जुटे थे। मकसद था – एक साथ जनेऊ पहनकर सामाजिक बराबरी की घोषणा करना।

लेकिन इस पहल को चुनौती मानते हुए वहां के बड़े जमींदार प्रसिद्ध नारायण सिंह (भूमिहार जाति से) ने हजारों की भीड़ के साथ हमला बोल दिया। गोहारा बांधे बाभनों की भीड़, घुड़सवारों की टुकड़ी, हाथियों पर बैठे अगुवा – जैसे कोई युद्ध छिड़ गया हो।

पुलिस ने 118 राउंड फायरिंग की, कई जानें गईं। कितने मरे, इसका आज भी कोई ठोस आंकड़ा नहीं है — 8 से 80 तक की बात होती है। लेकिन इतना तय है कि उस दिन जाति के नाम पर एक पूरा समाज खून में नहा गया।

लड़ाई खत्म नहीं हुई थी, बस दिशा बदल गई

लाखोचक की घटना ने दो बातें तय कर दीं — पहली, पिछड़ी जातियां अब झुकने वाली नहीं थीं। दूसरी, सामाजिक न्याय की लड़ाई अब संगठन बनकर लड़ेगी।

इसी सिलसिले में 1930 के दशक में त्रिवेणी संघ का जन्म हुआ — एक संगठन जिसमें यादव, कुर्मी और कोइरी शामिल थे। त्रिवेणी संघ ने कांग्रेस और ऊंची जातियों के राजनीतिक वर्चस्व को चुनौती दी। यह भारतीय राजनीति में पिछड़ी जातियों की एकजुटता की पहली मिसाल बनी।

जनेऊ से जनआंदोलन तक

साल 1974 — बिहार में एक और तूफान उठा। जेपी आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर नाम के एक युवा ने जेपी के गांव सिताब दियारा में हजारों लोगों को इकट्ठा किया। पीपल के पेड़ के नीचे खड़े हज़ारों लोगों ने अपनी जनेऊ तोड़ दी — ये ऐलान था कि अब जाति का यह प्रतीक नहीं स्वीकारा जाएगा।

यह वही चंद्रशेखर थे, जो बाद में भारत के प्रधानमंत्री बने। लेकिन उस दिन, उन्होंने एक ऐसा काम किया जिससे जाति व्यवस्था की नींव फिर हिल उठी।

जाति, प्रतीक और परिवर्तन

समाजशास्त्री एफ. जी. बेली ने इसे संस्कृतिकरण कहा — यानी जब वंचित समुदाय आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं तो वो सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रतीक भी अपनाते हैं। और बिहार में जनेऊ इसी प्रतीक का हिस्सा बना। कभी सम्मान पाने के लिए उसे पहना गया, तो कभी जाति को नकारने के लिए उसे तोड़ा गया।

आज लाखोचक गांव में शायद ही कोई हो जो उस दिन की कहानी सुना सके। लेकिन इतिहास की किताबों में, जैसे प्रसन्न चौधरी और श्रीकांत की किताब ‘बिहार: सामाजिक परिवर्तन के कुछ आयाम’ में, यह घटना दर्ज है। ये सिर्फ इतिहास नहीं, बिहार की अस्मिता और संघर्ष की पहचान है।

कुल मिलाकर कहें तो, बिहार में जाति सिर्फ एक पहचान नहीं, एक राजनीतिक और सामाजिक परिघटना रही है। जनेऊ, जो कभी उच्च जातियों की निशानी माना जाता था, वह कभी आत्म-सम्मान की चाबी बना और कभी विरोध की मशाल।

लाखोचक, हाथीटोला, मुरहो या सिताब दियारा — ये सिर्फ जगह नहीं, आंदोलन के प्रतीक हैं। यह इतिहास हमें बताता है कि जब लोग अपनी पहचान और सम्मान के लिए खड़े होते हैं, तो प्रतीकों से क्रांति जन्म लेती है।

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Putin’s Poo Suitcase: विदेश जाएं पुतिन, लेकिन अपनी पॉटी तक साथ लाएं! वजह जानकर ...

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Putin’s Poo Suitcase: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शुक्रवार देर रात अमेरिका के अलास्का में नजर आए, जहां उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक अहम मुलाकात की। करीब तीन घंटे चली इस मीटिंग में यूक्रेन युद्ध को लेकर बातचीत हुई। ये पुतिन का 2022 में यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका का पहला दौरा था, और कूटनीतिक लिहाज से इसे बड़ी घटना माना जा रहा है। लेकिन इस मुलाकात से ज्यादा एक और बात सोशल मीडिया पर सुर्खियों में है  और वो है पुतिन के साथ चलने वाला उनका ‘पू सूटकेस’।

जी हां, ये नाम सुनकर शायद आपको थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन पुतिन के विदेशी दौरों की सुरक्षा व्यवस्था में ये सूटकेस काफी अहम माना जाता है। इस खास सूटकेस में कोई दस्तावेज या कोड नहीं, बल्कि पुतिन का मल और मूत्र रखा जाता है, जिसे बाद में रूस वापस ले जाया जाता है।

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आखिर क्यों करते हैं ऐसा? (Putin’s Poo Suitcase)

दरअसल, इस अजीब-सी लगने वाली व्यवस्था के पीछे एक बहुत गंभीर वजह है — पुतिन की सेहत और उनकी निजी जानकारी की सुरक्षा। माना जाता है कि किसी भी इंसान के मल या मूत्र की जांच से उसकी स्वास्थ्य स्थिति, बीमारी, डाइट और जीवनशैली जैसी कई अहम जानकारियां पता की जा सकती हैं। ऐसे में पुतिन नहीं चाहते कि कोई विदेशी खुफिया एजेंसी उनकी सेहत से जुड़ी जानकारी हासिल कर सके। यही वजह है कि वो जब भी विदेश जाते हैं, उनके बॉडीगार्ड्स एक बुलेटप्रूफ सूटकेस के साथ चलते हैं, जिसमें उनका शारीरिक मल एकत्र कर सुरक्षित तरीके से रूस वापस भेजा जाता है।

अफवाहों और हकीकत के बीच

बीते कुछ वर्षों में पुतिन की सेहत को लेकर कई अफवाहें सामने आई हैं। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि उन्हें कैंसर, डिमेंशिया या पार्किंसंस जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। हालांकि, इन दावों की कभी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। लेकिन इन अफवाहों ने इस बात को और मजबूत कर दिया है कि पुतिन अपनी सेहत को लेकर कितने सतर्क हैं और कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।

बाथरूम के बाहर बॉडीगार्ड

2019 में पेरिस में हुए एक सम्मेलन के दौरान पुतिन को छह सुरक्षा कर्मियों के साथ बाथरूम जाते देखा गया था। इनमें से एक गार्ड का काम था कि पुतिन के बाहर आते ही उनका मलमूत्र इकट्ठा करे। इसे एक खास पैकेट में सील कर बुलेटप्रूफ सूटकेस में रखा गया और फिर मॉस्को भेज दिया गया। इतना ही नहीं, उनकी टीम अपने साथ एक पोर्टेबल टॉयलेट भी लेकर चलती है, ताकि पुतिन को सार्वजनिक या होटल के शौचालयों का इस्तेमाल न करना पड़े।

गंभीर सुरक्षा या जरूरत से ज्यादा सतर्कता?

कुछ लोगों को यह सब जरूरत से ज्यादा सतर्कता लगता है, लेकिन रूस के नजरिए से देखें तो पुतिन देश के सबसे अहम व्यक्ति हैं। उनकी सेहत और सुरक्षा से जुड़ा हर पहलू रणनीतिक रूप से अहम हो सकता है।

तो जब अगली बार आप पुतिन को विदेश दौरे पर देखें, तो याद रखिएगा — उनके साथ सिर्फ दस्तावेज और राजनयिक नहीं चलते, बल्कि एक ‘पू सूटकेस’ भी उनकी टीम के पास रहता है, जो उनके शरीर की जानकारी को किसी भी कीमत पर बाहर नहीं जाने देता।

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Shah Rukh Khan wins National Award: शाहरुख खान को मिला देश का सबसे बड़ा सम्मान, बोले ...

Shah Rukh Khan wins National Award: बॉलीवुड के ‘बादशाह’ शाहरुख खान ने हाल ही में अपनी फिल्म ‘जवान’ के लिए 71वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का खिताब जीतकर इतिहास रच दिया है। यह उनकी अब तक की पहली नेशनल अवॉर्ड जीत है, और इस खास मौके पर शाहरुख ने अपने फैंस से सोशल मीडिया पर सीधा संवाद किया।

शाहरुख खान आमतौर पर सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव नहीं रहते, लेकिन जब फैंस से बात करने की बात आती है, तो वह मौका हाथ से नहीं जाने देते। हाल ही में उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर #AskSRK सेशन रखा, जिसमें उन्होंने ना सिर्फ अपनी अवॉर्ड जीत की खुशी जताई, बल्कि अपनी आने वाली फिल्म ‘किंग’ को लेकर भी अहम जानकारी दी।

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“देश के राजा जैसा महसूस हो रहा है” – शाहरुख (Shah Rukh Khan wins National Award)

#AskSRK सेशन की शुरुआत करते हुए शाहरुख ने लिखा,
“बाहर बारिश देखी… ज़्यादातर हल्की… तो मन किया कि अगले आधे घंटे आप सबके साथ बात करूं। अगर आपके पास समय हो तो #AskSRK करते हैं। सिर्फ मजेदार सवाल और जवाब… क्योंकि मैं एक चोट से उबर रहा हूं।”

इस ट्वीट के बाद फैंस ने सवालों की झड़ी लगा दी। एक फैन ने पूछा –
“नेशनल अवॉर्ड जीतने के बाद कैसा लग रहा है? अवॉर्ड ज्यादा अच्छा या जनता का प्यार?”

इस पर शाहरुख ने जवाब दिया –
“वाह!!!! मैं देश के राजा जैसा महसूस कर रहा हूं!!! इतना सम्मान और इतनी जिम्मेदारी कि आगे बढ़ने के लिए मुझे कड़ी मेहनत करनी है!!”

शाहरुख के इस जवाब से साफ है कि उनके लिए ये जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि एक बड़ी जिम्मेदारी का प्रतीक है।

नई फिल्म ‘किंग’ को लेकर क्या बोले?

फैंस की उत्सुकता उनकी आने वाली फिल्म ‘किंग’ को लेकर भी खूब देखने को मिली। एक यूजर ने पूछा –
“नई फिल्म कब आ रही है? किंग या कोई और?”
इस पर शाहरुख ने मजाकिया अंदाज में जवाब दिया –
“सिर्फ किंग… नाम तो सुना होगा?”

वहीं, एक और सवाल में जब उनसे शूटिंग को लेकर पूछा गया तो उन्होंने कहा,
“कुछ अच्छे शॉट लगाए हैं… जल्द ही फिर से शुरू करूंगा। पहले सिर्फ लेग शॉट्स लिए हैं, अब ऊपरी शरीर पर फोकस करूंगा। डायरेक्टर सिद्धार्थ इसे पूरा करने में खूब मेहनत कर रहे हैं। इंशाअल्लाह जल्दी खत्म हो जाएगा।”

शाहरुख का यह जवाब न सिर्फ ह्यूमर से भरा था बल्कि फैंस को इस बात की राहत भी मिली कि उनकी बहुप्रतीक्षित फिल्म ‘किंग’ की शूटिंग तेजी से आगे बढ़ रही है।

फिल्म में सुहाना खान की एंट्री

‘किंग’ फिल्म को लेकर एक और बड़ी बात ये है कि इसमें शाहरुख की बेटी सुहाना खान भी नजर आएंगी। माना जा रहा है कि यह फिल्म उनकी बेटी के साथ उनका पहला ऑन-स्क्रीन सहयोग होगा, जो दर्शकों के लिए एक और बड़ी उत्सुकता का कारण है।

फैंस का मिला भरपूर प्यार

शाहरुख ने अपने इस सेशन में फैंस को उनके प्यार और सपोर्ट के लिए शुक्रिया भी कहा। एक यूजर ने जब उनकी जीत पर एक भावुक वीडियो शेयर किया, तो शाहरुख ने लिखा –
“आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। शुक्रिया!!!”

शाहरुख खान का ये इंटरैक्शन एक बार फिर साबित करता है कि क्यों उन्हें ‘फैंस का बादशाह’ कहा जाता है। चाहे नेशनल अवॉर्ड हो या अगली फिल्म की चर्चा, उनका हर अंदाज उनके चाहने वालों के दिल को छू जाता है। अब सबकी निगाहें उनकी फिल्म ‘किंग’ पर हैं, जिसका इंतजार बेसब्री से किया जा रहा है।

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Trump- Putin Alaska Meeting: जंग का अंत या नई चाल की शुरुआत? अलास्का से लौटे पुतिन, अ...

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Trump- Putin Alaska Meeting: रूस और अमेरिका के बीच बीते शुक्रवार को अलास्का में जो तीन घंटे लंबी बैठक हुई, उसने एक बार फिर दुनिया का ध्यान खींचा है। यह मुलाकात खास इसलिए भी रही क्योंकि यह यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद दोनों देशों के शीर्ष नेताओं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली सीधी बातचीत थी। शनिवार को क्रेमलिन में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करते हुए पुतिन ने इस यात्रा को “मौजूं और बेहद उपयोगी” बताया। उन्होंने कहा कि लंबे समय से दोनों देशों के बीच इतने उच्च स्तर पर सीधे संवाद की कोई गुंजाइश नहीं बनी थी, लेकिन अलास्का में हुई इस बातचीत ने कई बंद दरवाजे खोले हैं।

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पुतिन ने कहा, “हमें अपने रुख को बिना हड़बड़ी और विस्तार से रखने का मौका मिला। अमेरिका की उस सोच की हम कद्र करते हैं, जिसमें युद्ध को जल्द से जल्द खत्म करने की जरूरत समझी जा रही है। यही हमारी भी मंशा है।”

शांति की ओर बढ़ने का संकेत- Trump- Putin Alaska Meeting

रूसी राष्ट्रपति ने यह भी संकेत दिया कि उनका देश अब यूक्रेन संघर्ष के शांतिपूर्ण समाधान की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार है। उन्होंने कहा, “बातचीत बहुत स्पष्ट, ठोस और जरूरी फैसलों के करीब ले जाने वाली रही।”

हालांकि, यह बैठक किसी सीजफायर के ऐलान के साथ खत्म नहीं हुई, लेकिन दोनों पक्षों की ओर से यह माना जा रहा है कि समाधान की दिशा में ये बातचीत एक अहम कड़ी बन सकती है।

यूक्रेन को खल रही अमेरिका-पुतिन मुलाकात

उधर, यूक्रेन में इस बातचीत को लेकर नाराजगी का माहौल है। राष्ट्रपति वलोदिमीर जेलेंस्की अब सोमवार को वॉशिंगटन का दौरा करने वाले हैं, जहां उन पर अमेरिका की तरफ से रूस के साथ समझौते को लेकर दबाव पड़ सकता है।

गौरतलब है कि इससे पहले जब जेलेंस्की की ट्रंप के साथ बैठक हुई थी, तो दोनों के बीच काफी तनावपूर्ण माहौल बन गया था। अब जेलेंस्की कोशिश करेंगे कि इस बार बातचीत कुछ ज्यादा संतुलित और यूक्रेन के हित में हो।

डोनबास पर नहीं माने जेलेंस्की

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछली बातचीत में ट्रंप ने जेलेंस्की से कहा था कि पुतिन ने डोनबास क्षेत्र (डोनेट्स्क और लुहान्स्क) से यूक्रेनी सेना के पीछे हटने पर दूसरे इलाकों में हमला न करने की पेशकश की थी। लेकिन जेलेंस्की ने यह शर्त ठुकरा दी थी, उन्होंने कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यूक्रेनी क्षेत्र को छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।

युद्ध का असर: लाखों विस्थापित, बर्बाद हुआ यूक्रेन

रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था और तब से लेकर अब तक इसने लाखों लोगों को बेघर कर दिया है। युद्ध ने हजारों जानें ली हैं और यूक्रेन के कई इलाके पूरी तरह से तबाह हो चुके हैं।

जेलेंस्की ने भी जताई पुतिन से मिलने की इच्छा

अब जबकि पुतिन शांति की बात कर रहे हैं, तो जेलेंस्की की ओर से भी यह संकेत मिला है कि वह सीधे बातचीत के लिए तैयार हैं। हालांकि, यह तभी मुमकिन होगा जब दोनों पक्ष कुछ ठोस रियायतें देने को तैयार हों।

अलास्का में हुआ ये संवाद भले ही किसी ठोस नतीजे पर न पहुंचा हो, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह माना जा रहा है कि यह एक ऐसा कदम है, जो लंबे समय से बंद पड़ी बातचीत की प्रक्रिया को दोबारा शुरू कर सकता है। अब सबकी नजर सोमवार को वॉशिंगटन में होने वाली जेलेंस्की और अमेरिकी नेतृत्व के बीच होने वाली बातचीत पर टिकी है।

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Elvish Yadav House Firing: गुरुग्राम में यूट्यूबर एल्विश यादव के घर पर ताबड़तोड़ फायर...

Elvish Yadav House Firing: रविवार सुबह गुरुग्राम के सेक्टर 56 इलाके में उस वक्त हड़कंप मच गया जब लोकप्रिय यूट्यूबर एल्विश यादव के घर पर 25 से 30 राउंड फायरिंग की गई। यह घटना सुबह 5:30 से 6:00 बजे के बीच की है। तीन बाइक सवार बदमाश एल्विश के घर के बाहर पहुंचे और बिना कोई देरी किए गोलियों की बौछार कर दी। घटना के वक्त एल्विश यादव घर पर मौजूद नहीं थे, लेकिन उनके परिवार के सदस्य और केयरटेकर घर में ही थे। गनीमत ये रही कि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ।

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एल्विश के ग्राउंड और पहले फ्लोर को बनाया निशाना- Elvish Yadav House Firing

पुलिस जांच में सामने आया है कि बदमाशों ने एल्विश यादव के घर के ग्राउंड और पहले फ्लोर को निशाना बनाया। एल्विश यादव खुद घर के दूसरे और तीसरे फ्लोर पर रहते हैं। मौके पर पहुंची गुरुग्राम पुलिस ने बताया कि 12 राउंड की फायरिंग की पुष्टि अब तक हो चुकी है, लेकिन परिवार का कहना है कि करीब 25 से 30 राउंड गोलियां चलाई गई थीं।

बदमाशों के चेहरे ढके थे, CCTV से सुराग मिलने की उम्मीद

एल्विश के पिता राम अवतार यादव ने मीडिया से बातचीत में बताया कि तीन बदमाश बाइक पर सवार होकर आए थे और गोलीबारी के बाद फरार हो गए। घर के बाहर लगे CCTV कैमरों में तीनों की फुटेज कैद हो गई है। पुलिस ने इस फुटेज को कब्जे में ले लिया है और फोरेंसिक टीम के साथ मिलकर जांच शुरू कर दी है। हालांकि, अब तक एल्विश यादव या उनके परिवार की तरफ से कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है।

भाऊ गैंग ने ली हमले की जिम्मेदारी

वहीं, इस सनसनीखेज हमले की जिम्मेदारी एक आपराधिक गिरोह ने ली है। खुद को हिमांशु भाऊ गैंग बताने वाले कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर कर दावा किया कि उन्होंने ही एल्विश यादव के घर पर हमला कराया। पोस्ट में लिखा गया है:
“जय भोले की! राम-राम सारे भाइयों को। आज जो एल्विश यादव के घर गोली चली है, वो नीरज फरीदपुर और भाऊ रैतोलिया ने चलाई है। इससे हमने अपना परिचय दिया है। बहुत घर बर्बाद कर दिए इसने सट्टे का प्रमोशन करके। अब जो भी सोशल मीडिया पर सट्टे का प्रचार करेगा, वो कॉल या गोली के लिए तैयार रहे।”

इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर अफरा-तफरी मच गई है और कई अन्य डिजिटल कंटेंट क्रिएटर्स ने खुद को असुरक्षित बताया है।

सट्टेबाजी एप का प्रचार बना वजह?

गैंग का दावा है कि एल्विश यादव सट्टेबाजी एप का प्रचार कर रहे थे, जिसकी वजह से कई लोगों को नुकसान पहुंचा है। इसी वजह से उन्हें निशाना बनाया गया। हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस पोस्ट को लेकर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सोशल मीडिया पोस्ट को जांच में शामिल किया जा रहा है।

पहले भी फायरिंग की घटना का शिकार हुए दोस्त

गौरतलब है कि एल्विश यादव के करीबी दोस्त और मशहूर सिंगर राहुल फाजिलपुरिया पर भी कुछ दिन पहले फायरिंग की घटना हुई थी। उस घटना में भी हमलावर फरार हो गए थे और राहुल बाल-बाल बच गए थे। राहुल ने बाद में बयान दिया था कि उनके और दीपक नांदल के बीच पैसे को लेकर कोई लेन-देन नहीं है, और उन्होंने यह भी साफ किया कि पांच करोड़ रुपये वाली बात पूरी तरह झूठ है।

पुलिस क्या कह रही है?

गुरुग्राम पुलिस का कहना है कि जब तक परिवार या एल्विश यादव खुद औपचारिक शिकायत नहीं देते, तब तक मामला दर्ज नहीं किया जाएगा, लेकिन फिलहाल पुलिस अपनी ओर से जांच कर रही है। क्राइम सीन से सबूत जुटाए जा रहे हैं, आस-पास के इलाके के CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं और हमलावरों की पहचान के प्रयास जारी हैं।

लोगों में डर का माहौल

इस हमले के बाद सेक्टर 56 क्षेत्र में दहशत का माहौल है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर अपराधी इतनी आसानी से रिहायशी इलाके में घुसकर फायरिंग कैसे कर सकते हैं, वो भी एक चर्चित यूट्यूबर के घर पर। क्या यह हमला सिर्फ एक चेतावनी था या फिर इसके पीछे और गहरी साजिश है, इसका खुलासा अभी बाकी है।

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