NDA Vice President Candidate: देश में अब उपराष्ट्रपति चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। रविवार को एनडीए ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान करते हुए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में उनके नाम पर सहमति बनी। अब राधाकृष्णन 21 अगस्त को नामांकन दाखिल करेंगे। इस मौके पर एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री उनके साथ मौजूद रहेंगे।
विपक्ष की रणनीति पर मंथन आज- NDA Vice President Candidate
एनडीए के ऐलान के बाद INDIA गठबंधन भी एक्टिव हो गया है। आज कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के चैंबर में विपक्षी दलों की बैठक बुलाई गई है। इस मीटिंग में उपराष्ट्रपति पद के लिए साझा उम्मीदवार के नाम पर विचार किया जाएगा। हालांकि अब तक विपक्ष की ओर से किसी नाम की घोषणा नहीं हुई है।
वोटिंग का गणित किसके पक्ष में?
उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य हिस्सा लेते हैं। इस समय लोकसभा में कुल 542 और राज्यसभा में 240 सदस्य हैं, यानी कुल 782 सांसद वोट डालेंगे। जीत के लिए जरूरी आंकड़ा 392 है।
एनडीए के पास अभी 422 सांसदों का समर्थन है, जो बहुमत से कहीं ज़्यादा है। ऐसे में सीपी राधाकृष्णन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। यह मुकाबला अब सिर्फ औपचारिक रह गया है।
तमिलनाडु से OBC नेता हैं राधाकृष्णन
सीपी राधाकृष्णन मूल रूप से तमिलनाडु से आते हैं और ओबीसी समुदाय (गाउंडर जाति) से ताल्लुक रखते हैं। 16 साल की उम्र से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। वे दो बार तमिलनाडु के कोयंबटूर से सांसद रह चुके हैं और राज्य बीजेपी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल चुके हैं।
31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल पद की शपथ ली थी। इसके अलावा वे झारखंड, तेलंगाना और पुडुचेरी के राज्यपाल भी रह चुके हैं। यानी उनके पास राजनीति और प्रशासन दोनों का अच्छा अनुभव है।
बीजेपी का दक्षिण भारत में बड़ा दांव
राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर बीजेपी ने न सिर्फ एक अनुभवी चेहरा उतारा है, बल्कि दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की कोशिश भी की है। तमिलनाडु में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी के इस कदम को रणनीतिक तौर पर अहम माना जा रहा है।
डीएमके के लिए असमंजस की स्थिति
सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से हैं, ऐसे में राज्य की सत्ताधारी पार्टी डीएमके के लिए उन्हें सीधे तौर पर विरोध करना आसान नहीं होगा। अगर डीएमके राधाकृष्णन का विरोध करती है, तो इसका असर राज्य के वोटर वर्ग पर पड़ सकता है। बीजेपी ने यही दांव खेला है — एक ऐसा उम्मीदवार उतारना, जो विपक्ष के लिए चुनौती बन जाए।
विपक्ष में एक राय नहीं
उपराष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर विपक्ष में अब तक एक राय नहीं बन पाई है। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने बयान दिया है कि उपराष्ट्रपति को आम सहमति से चुना जाना चाहिए। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि विपक्ष की बैठक में इस पर फैसला होगा। इस बयानबाज़ी से यह साफ है कि विपक्ष के भीतर भी एकजुटता का अभाव है।