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shani vakri 2025: शनि वक्री 2025, दिवाली पर शनि की उल्टी चाल से इन राशियों को मिलेगा ...

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shani vakri 2025: इस बार दिवाली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन प्रभु श्रीराम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। ज्योतिष के जानकार इस बार की दिवाली को बेहद खास मान रहे हैं। वजह है 500 साल बाद शनि ग्रह का दिवाली पर वक्री होना। यानी शनि इस समय अपनी उल्टी चाल में रहेंगे, जो कि किसी भी सामान्य घटना से कम नहीं है।

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ज्योतिष शास्त्र में शनि को कर्मों का देवता माना जाता है। कहा जाता है कि शनि व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। जब शनि वक्री होते हैं, तो उनकी चाल धीमी हो जाती है और इसका असर जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर गहराई से दिखता है। शनि की यह उल्टी चाल सभी राशियों पर अलग-अलग तरह से असर डालती है, कभी सकारात्मक तो कभी नकारात्मक। आइए, जानते हैं इस बार दिवाली पर शनि की वक्री चाल से किन राशियों को विशेष लाभ मिलेगा।

मिथुन राशि – करियर और व्यापार में प्रगति | shani vakri 2025

मिथुन राशि वाले लोगों के लिए शनि की वक्री चाल काफी शुभ साबित होगी। लंबे समय से रुके हुए काम पूरे होने के योग बन रहे हैं। नौकरीपेशा लोगों को प्रमोशन मिल सकता है और व्यवसाय में साझेदारी से लाभ के नए रास्ते खुलेंगे। नई योजनाओं के कारण आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। परिवार में भी मान-सम्मान और सम्मान बढ़ेगा, जिससे मन को खुशी मिलेगी।

मकर राशि – शिक्षा और करियर में सफलता

मकर राशि के जातकों के लिए शनि वक्री का समय शिक्षा और करियर के लिहाज से बेहद अनुकूल रहेगा। जो छात्र परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें सफलता मिलने की संभावना है। साथ ही, नई नौकरी के मौके भी सामने आ सकते हैं। विदेश यात्रा की योजना पूरी होने के आसार हैं। आर्थिक स्थिति में अचानक सुधार होगा और परिवार में शुभ समाचार के कारण खुशियों का माहौल बनेगा।

कुंभ राशि – जिम्मेदारियों के साथ सफलता

कुंभ राशि शनि की अपनी राशि है, इसलिए वक्री शनि का प्रभाव यहां विशेष होगा। इस दौरान कुंभ राशि वाले जीवन में अधिक जिम्मेदारियां संभालेंगे, लेकिन साथ ही सफलता भी हाथ लगेगी। करियर में अचानक बड़े अवसर मिल सकते हैं, साथ ही निवेश के मामले में लाभ होगा। समाज में उनकी प्रतिष्ठा बढ़ेगी और परिवार में खुशी का माहौल रहेगा।

शनि वक्री का सामान्य प्रभाव

शनि की वक्री चाल में धीमी गति के कारण जीवन में कई बदलाव आते हैं। कुछ मामलों में यह परेशानी और बाधाएं भी ला सकती है, लेकिन जो लोग धैर्य और संयम रखते हैं, उन्हें इस दौर में सफलता जरूर मिलती है। शनि की ऊर्जा नकारात्मक भी हो सकती है, लेकिन साथ ही यह हमें हमारे कर्मों की सजा या इनाम भी देती है। इसलिए इस समय संयमित रहना और अपने कामों को सही दिशा में मोड़ना बेहद जरूरी होता है।

दिवाली और शनि वक्री का खास मेल

500 साल बाद शनि का दिवाली के दिन वक्री होना इसे खास बनाता है। ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि ऐसे समय पर शनि के प्रभाव में आने वाले जातकों को खास सावधानी बरतनी चाहिए। वहीं, यह समय नई शुरुआत और अपने पुराने कष्टों से छुटकारा पाने का भी माना जाता है।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं और समाज में प्रचलित विश्वासों पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि वे किसी भी धार्मिक या ज्योतिषीय उपाय को अपनाने से पहले अपनी व्यक्तिगत समझ और विशेषज्ञ सलाह जरूर लें।

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Georgia Protests: जॉर्जिया में विरोध प्रदर्शन तेज़, हजारों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्र...

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Georgia Protests: जॉर्जिया की राजधानी त्बिलिसी में शनिवार को हजारों की संख्या में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन (ओर्बेलियानी पैलेस) के बाहर जमकर हंगामा मचाया। प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेडिंग तोड़कर भवन के परिसर में घुसने की कोशिश की, जिसके बाद पुलिस ने वाटर कैनन, आंसू गैस और पेपर स्प्रे का इस्तेमाल कर उन्हें तितर-बितर किया। इस दौरान हिंसक झड़पें देखने को मिलीं और माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया।

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यह विरोध प्रदर्शन इस साल के स्थानीय निकाय चुनावों के खिलाफ है, जिनका अधिकांश विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था। ये विपक्षी दल मुख्य रूप से यूरोपीय संघ (EU) के समर्थक माने जाते हैं। वहीं, जॉर्जिया की मौजूदा सरकार ने यूरोपीय संघ पर देश में दंगे भड़काने का आरोप लगाया है। प्रधानमंत्री इराकली कोबाखिद्ज़े ने कहा कि दंगाई लोग यूरोपीय संघ के झंडे लेकर आए थे और उन्होंने राष्ट्रपति भवन के बाहर बैरिकेड्स में आग लगा दी। उन्होंने यूरोपीय संघ के राजदूत पर भी आरोप लगाया कि वे ‘संवैधानिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने’ में प्रदर्शनकारियों की मदद कर रहे हैं।

चुनावों में धांधली का आरोप और बढ़ता राजनीतिक संकट- Georgia Protests

जॉर्जिया पिछले साल संसदीय चुनावों के बाद से ही राजनीतिक संकट से जूझ रहा है। विपक्ष ने सत्तारूढ़ ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी पर चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली का आरोप लगाया है। अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी चुनाव में अनियमितताओं, धमकियों और हिंसा की बात कही है और इसे दोषपूर्ण बताया है। इसके बाद प्रधानमंत्री कोबाखिद्ज़े के नेतृत्व वाली सरकार ने यूरोपीय संघ में शामिल होने की बातचीत स्थगित कर दी, जिससे देश में असंतोष और गहराया।

शनिवार को प्रदर्शनकारी त्बिलिसी के फ्रीडम स्क्वायर और रुस्तवेली एवेन्यू से मार्च करते हुए राष्ट्रपति भवन पहुंचे। इस प्रदर्शन का नेतृत्व मशहूर ओपेरा सिंगर पाता बरचुलाद्जे ने किया, जिन्होंने सरकार से मांग की कि गृह मंत्रालय के कर्मचारी जनता की इच्छाओं का सम्मान करें और छह वरिष्ठ नेताओं को तुरंत गिरफ्तार किया जाए, जिनमें प्रधानमंत्री कोबाखिद्ज़े भी शामिल हैं।

प्रदर्शनकारियों की मांगें और सरकार का रुख

विपक्ष नए सिरे से चुनाव कराने और लगभग 60 राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहा है। प्रारंभिक चुनाव परिणामों के अनुसार, ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी ने 80 प्रतिशत से अधिक वोट हासिल किए और राजधानी समेत सभी 64 नगर पालिकाओं में जीत दर्ज की, लेकिन विपक्ष ने इसे अवैध और एकतरफा बताया है। यूरोपीय संसद और अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी 2024 के संसदीय चुनाव परिणामों को मान्यता देने से इनकार कर दिया है और नए चुनाव की जरूरत पर जोर दिया है।

सरकार ने पिछले महीनों में प्रदर्शनकारियों, मीडिया और प्रो-वेस्टर्न विपक्षी नेताओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए हैं। कई विपक्षी नेताओं और पत्रकारों को जेल में डाल दिया गया है। वहीं, ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी प्रदर्शनकारियों को विदेशी साजिश का हिस्सा बता रही है और खुद को रूस समर्थक होने के आरोपों से साफ कर रही है।

जॉर्जिया का यूरोपियन संघ के साथ बदलता रिश्ता

जॉर्जिया कभी यूरोपीय संघ में शामिल होने का एक मजबूत दावेदार माना जाता था, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से देश और पश्चिम के बीच दूरी बढ़ती जा रही है। विवादित संसदीय चुनावों के बाद सरकार ने यूरोपीय संघ में शामिल होने की वार्ता स्थगित कर दी, जिससे विरोध प्रदर्शनों को और बल मिला। आलोचकों का कहना है कि ‘जॉर्जियन ड्रीम’ पार्टी, जिसके पीछे अरबपति संस्थापक और पूर्व प्रधानमंत्री बिद्जिना इवानीशविली का प्रभाव माना जाता है, देश को पश्चिमी मंच से दूर कर रूस के करीब ले जा रही है।

इस समय त्बिलिसी की सड़कों पर राजनीतिक तनाव चरम पर है और सरकार तथा विपक्ष के बीच संवाद की कमी देश की स्थिति को और जटिल बना रही है।

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Winter Preparations: सर्दियां आने से पहले इन आसान तरीकों से करें गर्म कपड़ों की तैयार...

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Winter Preparations: सर्दी का मौसम धीरे-धीरे दस्तक देने लगा है। अक्टूबर के आखिरी हफ्ते और नवंबर की शुरुआत के साथ ही सुबह-शाम की ठंड हल्की-हल्की महसूस होने लगती है। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम अपने गर्म कपड़ों, रजाई-कंबल को वक्त रहते तैयार कर लें। क्योंकि एक बार ठंड ज़ोर पकड़ ले तो इन चीजों की जरूरत हर दिन पड़ती है। अगर आप चाहते हैं कि आपके ऊनी कपड़े, रजाई और कंबल न सिर्फ साफ-सुथरे बल्कि लंबे वक्त तक टिकाऊ भी रहें, तो कुछ आसान से टिप्स को आजमाकर उन्हें पहले से ही ठीक-ठाक कर लें।

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गर्म कपड़े धोने का सही तरीका- Winter Preparations

ऊनी कपड़े आमतौर पर नाजुक होते हैं। इसलिए इन्हें धोते वक्त बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए। सबसे पहले ये याद रखें कि कभी भी हार्ड डिटर्जेंट या केमिकल युक्त साबुन का इस्तेमाल न करें। इसके बजाय, बाजार में उपलब्ध माइल्ड या लिक्विड डिटर्जेंट को चुनें जो खासतौर से वूलन फैब्रिक के लिए बने होते हैं।

धोते वक्त एक और बात का खास ध्यान रखें हमेशा ठंडे पानी का ही इस्तेमाल करें। गर्म पानी से ऊन सिकुड़ सकती है और कपड़ों का साइज बदल सकता है। ठंडे या हल्के गुनगुने पानी में थोड़ा डिटर्जेंट मिलाकर कपड़ों को 10 मिनट तक भिगोकर रखें। इससे अंदर की गंदगी और बदबू अपने आप निकल जाएगी।

कपड़ों को उल्टा करके धोएं

रंग और कपड़े की क्वालिटी बनी रहे, इसके लिए एक आसान ट्रिक है कपड़ों को धोने से पहले अंदर से पलट दें। इससे उनकी बाहरी सतह डिटर्जेंट और घर्षण से सुरक्षित रहती है और रंग भी ज्यादा दिनों तक नया जैसा बना रहता है।

निचोड़ना पड़ सकता है भारी

ऊनी कपड़े धोने के बाद हम अक्सर उन्हें निचोड़कर पानी निकालने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है। इससे ऊन के रेशे खिंच सकते हैं और कपड़े का शेप बिगड़ सकता है। बेहतर है कि आप उन्हें हल्के हाथों से झटकें और फिर सुखने के लिए टांग दें।

धूप में सुखाने के कुछ जरूरी टिप्स

कपड़ों को सुखाने के लिए तेज धूप से बचें, क्योंकि इससे उनके रंग फीके पड़ सकते हैं। सुबह की हल्की धूप या फिर छांव में हवा के साथ सुखाना सबसे बेहतर तरीका है। कोशिश करें कि कपड़े को उल्टा करके सुखाएं, ताकि धूप सीधे उसकी बाहरी सतह पर न पड़े।

रजाई-कंबल की भी करें सफाई

रजाई और कंबल अक्सर लंबे समय तक स्टोर में बंद रहते हैं, जिससे उनमें नमी और बदबू आ सकती है। इन्हें धूप में कुछ घंटों के लिए फैला दें और फिर हल्के हाथ से ब्रश कर लें। अगर बहुत ज्यादा गंदगी है, तो ड्राई क्लीन कराना बेहतर रहेगा।

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Samrat Chaudhary पर उठा सियासी तूफान, हत्या केस से फर्जी डिग्री तक आरोपों की भरमार

Samrat Chaudhary: बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी इन दिनों राजनीति की सुर्खियों में हैं। भाजपा के बड़े चेहरे माने जाने वाले वे अक्सर प्रधानमंत्री मोदी या पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की सभाओं में अगली पंक्ति में बैठे दिखते हैं। कुल मिलाकर उनकी छवि मजबूत मानी जाती है और कई बीजेपी समर्थक उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार भी बताते हैं। लेकिन इन हालिया दिनों में उन पर लगे गंभीर आरोपों ने उनके राजनीतिक भविष्य और छवि पर तूल पकड़ लिया है।

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आरोपों की लंबी श्रंखला- Samrat Chaudhary

सम्राट चौधरी पर समय-समय पर कई तरह के आरोप लगाए जाते रहे हैं जैसे फर्जी दस्तावेज, हत्या में संलिप्तता, नाम-उम्र में फेरबदल और शैक्षिक प्रमाणपत्रों की वैधता पर सवाल।

फर्जी मार्कशीट और डिग्री के सवाल

आपको बता दें, प्रशांत किशोर ने एक आरोप यह लगाया कि चौधरी ने कभी मैट्रिक पास नहीं किया। उनका दावा है कि बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि “सम्राट कुमार मौर्य” नाम से उन्होंने परीक्षा दी थी जिसमें 234 अंक मिले थे और वह फेल हुए। किशोर यह भी कहते हैं कि किसी प्रकार से बाद में चौधरी ने अमेरिकी कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से डी.लिट. डिग्री का दावा कर लिया जबकि मैट्रिक पास किए बिना यह संभव नहीं हो सकता।

तारापुर हत्याकांड का आरोप

इतना ही नहीं, प्रशांत किशोर का आरोप है कि 1995 के तारापुर हत्याकांड में करीब 6–7 लोगों की हत्या हुई थी, और तब सम्राट चौधरी का नाम (तब वे राकेश कुमार / मौर्य के नाम से थे) आरोपी के रूप में सामने आया था। उस समय उन्हें नाबालिग बताया गया और कोर्ट में हलफनामा देकर रिहा कर दिया गया। किशोर का तर्क है कि उन्होंने अपने बचाव के लिए उम्र बदलने या दावे बदलने की कोशिश की।

शिल्पी गौतम मामला

एक अन्य आरोप है कि शिल्पी गौतम हत्याकांड में चौधरी का नाम संदिग्ध अभियुक्तों में था। कहते हैं कि जांच के दौरान उन्हें सैंपल देने या जांच में सहयोग करने की पहल नहीं की गई। जबकि अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था, आलोचक कहते हैं कि उनकी भूमिका साफ नहीं हुई।

नाम और उम्र में फेरबदल

वहीं, तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि सम्राट चौधरी ने अलग-अलग चुनावों में अलग-अलग जन्म प्रमाण पत्र पेश किए हैं।  2005 में 26 वर्ष, 2010 में 28 वर्ष और 2020 में 51 वर्ष बताई गई। इसी तरह, नाम परिवर्तित करने की आदत भी उन पर आरोपों में आई है मूल नाम सम्राट कुमार मौर्य, फिर राकेश कुमार, अंततः सम्राट चौधरी। तेजस्वी यादव का कहना है कि यह सब सुविधा और लाभ लेने के लिए किया गया।

हलफनामों और चुनावी दावों की पड़ताल

आपको जनक्री हैरानी होगी कि सम्राट चौधरी के विधानसभा चुनावी हलफनामों में ये विवरण देखने को मिलते हैं:

  • 2005: चुनावी नाम अशोक कुमार, उम्र 26 वर्ष, शिक्षा सातवीं पास
  • 2010: नाम दिया “सम्राट चौधरी / राकेश कुमार”, उम्र 28 वर्ष, शिक्षा सातवीं पास
  • 2020: उम्र 51 वर्ष बताई गई, शिक्षा विवरण में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से D.Litt सहित अन्य संस्थानों का उल्लेख

इन हलफनामों में भारी असंगति दिखाई देती है इच्छा के अनुसार नाम, उम्र और शैक्षिक विवरण बदलते रहे हैं।

सम्राट चौधरी की प्रतिक्रिया और बचाव

अलग‑अलग आरोपों के सामने आने पर सम्राट चौधरी ने अपनी सफाई में कहा है कि ये सभी आरोप दुर्भावनापूर्ण हैं। उनका कहना है कि 1995 में उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को राजनीतिक प्रतिशोध के तहत जेल में बंद किया गया था। उन्होंने दावा किया कि उस समय पुलिस और सरकार द्वारा हो रही कार्रवाई अन्यायपूर्ण थी।

शिल्पी गौतम हत्याकांड पर उन्होंने कहा कि इसकी जांच सीबीआई ने पूरी तरह से की है और उनका नाम आरोपी सूची में नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत किशोर पर 241 करोड़ रुपये की कमाई और उसकी जवाबदेही की बात करनी चाहिए, बजाय उनकी छवि पर वार करने के।

राजनीतिक पृष्ठभूमि और महत्व

वहीं, सम्राट चौधरी के राजनीतिक सफर की बात करें, तो उनके राजनीतिक सफर की शुरुआत उनके परिवार से है। उनके पिता, शकुनी चौधरी, समता पार्टी से जुड़े एक कुशवाहा समाज के बड़े नेता रहे। राजनीति में कदम रखते ही सम्राट चौधरी ने कई मोड़ देखे आरजेडी से शुरुआत, जेडीयू से समर्थन, और अंततः बीजेपी में शामिल हो जाना।

बीजेपी ने 2017 में उन्हें पार्टी में शामिल किया और जल्द ही उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया। छह साल बाद उपमुख्यमंत्री पद मिला। उनके सामने अभी एक बड़ा राजनीतिक अवसर है पार्टी उन्हें उत्तराधिकारी मुख्यमंत्री के रूप में देख सकती है। कुर्शवाहा (कोइरी) समुदाय, जिसकी आबादी बिहार में लगभग 4.2% है, उन्हें एक सामाजिक आधार देता है। कुर्मी-कोइरी वोट बैंक को साधने में उनकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है।

आज की चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

इन तमाम आरोपों और विवादों के बीच सम्राट चौधरी का राजनीतिक भविष्य परीक्षण में है। यदि ये आरोप सही ठहरते हैं, तो उन्हें पार्टी पदों तथा जनता की विश्वसनीयता खोनी पड़ सकती है। दूसरी ओर, अगर वे इन आरोपों का सफल बचाव कर लेते हैं, तो उनका सियासी कद और भी मजबूत हो सकता है।

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IND A vs AUS A: कानपुर में होटल का खाना पड़ा भारी, पेट दर्द से जूझते ऑस्ट्रेलियाई खिल...

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IND A vs AUS A: भारत के दौरे पर आई ऑस्ट्रेलिया-ए टीम को उस वक्त झटका लगा, जब टीम के चार खिलाड़ियों की तबीयत अचानक खराब हो गई। पेट में तेज दर्द और इन्फेक्शन की शिकायत के बाद चारों को कानपुर के रीजेंसी अस्पताल ले जाया गया। शुरुआती जांच में पता चला कि इनमें से तीन खिलाड़ियों की तबीयत ज्यादा गंभीर नहीं थी, उन्हें कुछ समय बाद छुट्टी दे दी गई। लेकिन टीम के तेज़ गेंदबाज़ हेनरी थॉर्नटन को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, क्योंकि उनकी हालत बाकी खिलाड़ियों के मुकाबले ज़्यादा खराब थी।

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होटल के खाने पर शक, लेकिन ठोस वजह साफ नहीं- IND A vs AUS A

इन सभी खिलाड़ियों के बीमार पड़ने के पीछे होटल के खाने को वजह बताया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया-ए की टीम कानपुर के एक बड़े होटल में रुकी हुई है और दावा है कि वहीं का खाना खाने के बाद इन खिलाड़ियों की तबीयत बिगड़ी। हालांकि होटल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन इस बात से इनकार कर रहे हैं।

रीजेंसी अस्पताल के डॉक्टरों के मुताबिक, हेनरी थॉर्नटन को पेट में तेज इन्फेक्शन की वजह से भर्ती किया गया था। हालांकि अब उनकी हालत स्थिर है और कुछ समय बाद उन्हें भी छुट्टी दे दी गई। डॉक्टरों ने कहा कि थॉर्नटन की मैदान पर वापसी कब होगी, यह कहना अभी मुश्किल है।

पहले से था पेट की तकलीफ का असर?

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, टीम मैनेजमेंट ने बताया है कि थॉर्नटन को पेट से जुड़ी समस्या पहले से थी। लेकिन कानपुर पहुंचने के बाद उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। इसी को ध्यान में रखते हुए बाकी खिलाड़ियों की डाइट में बदलाव किया गया है और उन्हें खाने-पीने को लेकर अतिरिक्त सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

टीम के सूत्रों का कहना है कि बीमार खिलाड़ी पहले वनडे मुकाबले का हिस्सा थे, ऐसे में उनके बाहर होने से टीम की रणनीति पर थोड़ा असर जरूर पड़ा है। लेकिन मैनेजमेंट का फोकस खिलाड़ियों के स्वास्थ्य पर है और उनकी मेडिकल टीम लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

होटल और खाद्य विभाग की सफाई

इस घटना के बाद खाद्य विभाग ने उस होटल के खाने के सैंपल लिए हैं जहां खिलाड़ी ठहरे हुए हैं। शुरुआती जांच में खाने में कोई खराबी या आपत्तिजनक तत्व नहीं पाया गया है। होटल के मैनेजर ने भी कहा कि उनकी ओर से सभी जरूरी सावधानियां बरती जाती हैं और ऐसा कोई मामला नहीं है जो सीधे तौर पर होटल के खाने से जुड़ा हो। उनका कहना है कि हो सकता है मौसम में बदलाव या सफर की थकान से खिलाड़ियों की तबीयत बिगड़ी हो।

BCCI की प्रतिक्रिया

इस पूरे मामले पर BCCI के वाइस प्रेसिडेंट राजीव शुक्ला ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “जहां खिलाड़ी ठहरे हैं वो होटल शहर का सबसे अच्छा होटल है। अगर खाने में कोई खराबी होती तो सिर्फ चार नहीं, बाकी खिलाड़ी भी बीमार पड़ते। हम इस पूरे मामले की जांच कर रहे हैं कि आखिर असली वजह क्या रही।”

फिलहाल स्थिति नियंत्रण में

फिलहाल राहत की बात ये है कि सभी चारों खिलाड़ी अब खतरे से बाहर हैं और टीम मैनेजमेंट उनकी सेहत को लेकर कोई भी जोखिम नहीं उठाना चाहता। आगे के मैचों में वे खेल पाएंगे या नहीं, यह उनकी रिकवरी पर निर्भर करेगा। टीम को सलाह दी गई है कि लोकल खाने और पानी से बचें और हाईजीन का पूरा ध्यान रखें।

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Chhindwara Cough Syrup Death: कोल्ड्रिफ कफ सिरप से गई 11 जानें, MP में बड़ा एक्शन, डॉ...

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Chhindwara Cough Syrup Death: हाल ही में मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन से 11 बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। इस घटना ने जहां बच्चों के माता-पिता को गहरे सदमे में डाला है, वहीं राज्य सरकार ने भी इस मामले में कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स के सभी उत्पादों पर बैन लगा दिया है और इसके खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

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डॉक्टर की गिरफ्तारी और पुलिस की कार्रवाई- Chhindwara Cough Syrup Death

मध्य प्रदेश पुलिस ने इस मामले में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है। डॉक्टर सोनी, जो छिंदवाड़ा के परासिया में एक प्रसिद्ध बाल रोग विशेषज्ञ हैं, बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप पिलाने की सलाह दे रहे थे। हालांकि वह सरकारी अस्पताल में काम करते हैं, लेकिन उनका निजी क्लीनिक भी है। जांच में यह खुलासा हुआ है कि उन्होंने सिरप को बच्चों को देने की सलाह दी थी, जिसके बाद उनकी तबियत बिगड़ने लगी और कई बच्चों की मौत हो गई। पुलिस ने डॉक्टर सोनी पर कार्रवाई करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया है और एफआईआर में कई गंभीर धाराएं जोड़ी गई हैं, जिनमें ‘एडल्ट्रेशन ऑफ ड्रग’ (दवाओं में मिलावट) और ‘हत्या’ जैसी धाराएं शामिल हैं।

डायएथिलीन ग्लाइकॉल की खतरनाक मात्रा

सिरप में एक खतरनाक तत्व डायएथिलीन ग्लाइकॉल की अत्यधिक मात्रा पाई गई थी, जो बच्चों के लिए जानलेवा साबित हुआ। दरअसल, इस सिरप में 48.6 प्रतिशत डायएथिलीन ग्लाइकॉल था, जबकि इसे महज 0.1 प्रतिशत होना चाहिए था। यह तत्व शरीर के लिए बेहद हानिकारक होता है, खासकर बच्चों के लिए। इसके सेवन से किडनी पर असर पड़ता है, जिससे इन्फेक्शन और अंततः मौत हो सकती है।

पीड़ित परिवारों की आपबीती

इस घटनाक्रम ने कई परिवारों को झकझोर कर रख दिया है। पीड़ित परिवारों के मुताबिक, उनके बच्चों को सर्दी, जुकाम और बुखार था। जब वे डॉक्टर के पास गए, तो डॉक्टर ने उन्हें कोल्ड्रिफ कफ सिरप पिलाने का सुझाव दिया। कुछ दिनों बाद बच्चों की हालत और भी बिगड़ गई, और उनकी तबियत गंभीर हो गई। अंततः बच्चों में किडनी इंफेक्शन के लक्षण दिखाई दिए, और वे अस्पताल में इलाज के दौरान मौत के मुंह में समा गए। यह सभी घटनाएं बताती हैं कि डॉक्टर और दवा कंपनियों की लापरवाही का खामियाजा मासूमों को भुगतना पड़ा।

राज्य सरकार की सख्त कार्रवाई और अन्य राज्य

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस घटना को बेहद गंभीर बताते हुए कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स और इसके उत्पादों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने इस सिरप को बेचने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी है।

इतना ही नहीं, मध्य प्रदेश के अलावा दिल्ली, केरल, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में भी कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर बैन लगा दिया गया है। इस सिरप की जांच के लिए इसे चेन्नई स्थित ड्रग टेस्टिंग लैब भेजा गया, जहां यह पाया गया कि सिरप की गुणवत्ता मानक से कहीं नीचे है।

नागपुर में कई बच्चे वेंटिलेटर पर

मध्य प्रदेश में हुई इस घटना ने न केवल राज्य, बल्कि देश भर में हलचल मचा दी है। नागपुर में भी कई बच्चे सिरप का सेवन करने के बाद गंभीर हालत में हैं और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। यह स्थिति और भी भयावह हो सकती है अगर इस सिरप के अन्य मामले सामने आएं।

सख्त सजा का प्रावधान

पुलिस ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है, जिसमें दवाओं में मिलावट करने और हत्या के आरोप लगाए गए हैं। छिंदवाड़ा एसपी अजय पांडेय के अनुसार, इस मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत कार्रवाई की जा रही है, और दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी। मिलावट करने और बच्चों की जान जोखिम में डालने जैसे गंभीर अपराधों के लिए अधिकतम सजा आजीवन कारावास तक हो सकती है।

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PNB Scam Update: 13.5 हज़ार करोड़ का आरोपी, फिर भी नहीं होगी पूछताछ? भारत का ब्रिटेन ...

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PNB Scam Update: 13,500 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी और भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी एक बार फिर चर्चा में है। भारत सरकार ने हाल ही में ब्रिटेन को एक अहम भरोसा दिलाया है कि अगर नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित किया जाता है, तो उससे कोई पूछताछ नहीं की जाएगी और न ही उसे किसी एजेंसी की हिरासत में लिया जाएगा। उसे केवल उसी मामले में कोर्ट में पेश किया जाएगा, जिसके आधार पर प्रत्यर्पण की अनुमति पहले ही दी जा चुकी है यानी PNB धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग।

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अदालत में फिर से शुरू हुई प्रत्यर्पण की लड़ाई- PNB Scam Update

नीरव मोदी की प्रत्यर्पण प्रक्रिया अब तक कई चरणों से गुजर चुकी है। ब्रिटेन की अदालतों ने पहले ही उसके भारत भेजे जाने पर सहमति दे दी थी, लेकिन यह मामला फिलहाल ब्रिटिश सरकार के पास लंबित है। इसी बीच लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने एक नई याचिका स्वीकार कर ली है, जिसमें नीरव मोदी ने अपने प्रत्यर्पण को फिर से चुनौती दी है।

नीरव मोदी की दलील है कि अगर उसे भारत भेजा गया तो वहां उसे विभिन्न एजेंसियों द्वारा पूछताछ का सामना करना पड़ेगा और संभव है कि उसे मानसिक या शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाए। इसी आधार पर उसने पूरी प्रत्यर्पण प्रक्रिया को दोबारा शुरू करने की मांग की है।

भारत का जवाब: पूछताछ नहीं, सिर्फ कोर्ट की कार्यवाही

इस याचिका को देखते हुए भारत सरकार ने तुरंत ऐक्शन लिया और ब्रिटेन को एक आधिकारिक आश्वासन पत्र भेजा। इस पत्र में साफ कहा गया है कि नीरव मोदी को न हिरासत में लिया जाएगा और न ही उससे किसी भी एजेंसी द्वारा पूछताछ की जाएगी। इस आश्वासन में पांच बड़ी एजेंसियों का नाम भी शामिल है CBI, ED, SFIO, सीमा शुल्क विभाग और आयकर विभाग।

भारत ने यह भी स्पष्ट किया कि नीरव मोदी पर केवल उन्हीं अपराधों के तहत मुकदमा चलेगा, जिनके लिए प्रत्यर्पण की मांग की गई थी यानी बैंक धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग। कोई नया केस या अलग जांच उसके खिलाफ नहीं की जाएगी।

जेल की स्थिति पर भी दिया भरोसा

भारत ने ब्रिटेन को एक और भरोसा दिया है कि नीरव मोदी को मुंबई की आर्थर रोड जेल में रखा जाएगा, जहां अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक सुविधाएं हैं। खासतौर पर बैरक नंबर 12 का हवाला देते हुए कहा गया कि इससे पहले भी इस बैरक की स्थिति को लेकर 2019 और 2020 में दिए गए वीडियो प्रमाणों की ब्रिटिश अदालतों ने सराहना की थी।

कोर्ट में पेश होगा भारत का पक्ष

भारत की ओर से भेजा गया यह आश्वासन अब ब्रिटेन की क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (CPS) अदालत में पेश करेगी। भारतीय अधिकारियों को पूरी उम्मीद है कि नीरव मोदी की नई याचिका को कोर्ट शुरुआती सुनवाई में ही खारिज कर देगा, जिससे उसका प्रत्यर्पण रास्ता साफ हो जाएगा।

नीरव मोदी का अब तक का सफर

नीरव मोदी 19 मार्च 2019 से लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद है। उसे भारत के अनुरोध पर स्कॉटलैंड यार्ड ने गिरफ्तार किया था। उस पर आरोप है कि उसने पंजाब नेशनल बैंक से 6,498 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की, जो कि कुल 13,578 करोड़ रुपये के घोटाले का हिस्सा है। इस घोटाले में उसका मामा मेहुल चोकसी भी शामिल है, जिस पर करीब 7,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के आरोप हैं।

नीरव मोदी को पहले ही भारत में FEO एक्ट, 2018 के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया जा चुका है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उसकी करीब 2,598 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की है और बैंकों को अब तक 981 करोड़ रुपये की राशि वापस मिल चुकी है।

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MAN COMMIT SUICIDE DUE TO RAPE ALLEGATION: सोशल मीडिया पर एक 29 साल के युवक की आत्महत्या की खबर सुर्खियों में है। उसने अपने सुसाईड नोट में लिखा- मुझे प्यार में धोखा मिला है, और उसने ट्रेन के आगे कूदकर अपनी जान दें दी। दो टुकड़ो में बंटा उसका शव जब उसके घर पहुंचा तो वहां मौजूद न केवल परिवार वाले बल्कि आस पड़ोसियों का भी कलेजा फट गया। एक हंसमुख खुशमिजाज लड़का, जिसके आंखों में कई बड़े सपने थे, जो उंचे पद पर इंजीनियर था, लेकिन ऐसा क्या हुआ कि उसने इतना बड़ा कदम उठाया। जानते है क्या है उसकी आपबीती।

क्या है पूरा मामला

दरअसल 29 साल के गौरव सवन्नी जो कि बिलासपुर छत्तीसगढ़ के रहने वाले थे, पेशे से इंजीनियर गौरव की नौकरी के सिलसिले में पिछले कुछ सालों से यूपी के नोएडा में रह रहे थे। इस बीच गौरव की मुलाकात मैट्रीमोनियल साइट के जरिए एक लड़की से हुई थी। दोनो ने बातचीत शुरु कर दी और दोनो का रिश्ता काफी मजबूत हो गया। गौरव लड़की से शादी करना चाहता था। जिसके लिए बातचीत करने के लिए लड़की ने उसे एक होटल के कमरे में बुलाया था। लेकिन वहां जाकर गौरव को एहसास हुआ कि उसने जो लड़की के बारे में सोचा था, वो सबकुछ एक भ्रम था।

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लड़की ने लगाया रेप का आरोप

गौरव के सुसाईड नोट के मुताबिक गौरव लड़की से शादी करना चाहता था, लेकिन होटल पहुंच कर लड़की ने उसके साथ संबंध स्थापित करके फंसाने की कोशिश की। गौरव ने साफ कह दिया कि वो शादी करना चाहता है, अगर वो तैयार है तो ठीक, नहीं तो वो जा रहा है। लेकिन लड़की ने तभी उसे धमकी दी कि वो उस पर रेप का इल्जाम लगा देगी। घबराये गौरव ने पुलिस को फोन कर दिया, और कमरे से बाहर निकल आया, तभी लड़की ने भी पुलिस को फोन किया कहा कि उसके साथ गौरव ने मारपीट की है औऱ उसका बलात्कार किया है। पुलिस ने तुंरत लड़की की बात सुनी और गौरव की बात सुने बिना ही उसे जेल में डाल दिया।

15 दिन पहले लौटा था जेल से

गौरव इस घटना से काफी आहत था। पुलिस स्टेशन में प्रताड़ना और पुलिस स्टेशन के माहौल के कारण जब 15 दिन पहले गौरव जेल से जमानत पर बाहर आया तो बिल्कुल बदल गया। वो पहले की तरह खुशमिजाज नहीं था, हंसमुख नहीं था और न ही किसी से बात करता था। जेल से आने के बाद से गौरव बिलासपुर के अग्रसेन चौक पर स्थित साकेत अपार्टमेंट में रहता था। वापिस आने के बाद से ही वो काफी डिप्रेशन में जी रहा था, लेकिन 29 सितंबर की रात को गौरव चुपचाप घर से निकला और उसलापुर रेलवे ट्रेक पर ट्रेन के सामने कूद कर जान दे दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने इस आत्महत्या की जांच शुरु कर दी है।

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बेटे के जेल जाने से गौरव की मां पहले से ही आईसीयू में भर्ती थी, लेकिन गौरव की आत्महत्या ने पूरे परिवार को हिला कर रख दिया है। त्यौहारो  के बीच बेटी की मौत ने पूरे परिवार की खुशियो को मातम में बदल दिया। फिलहाल पुलिस सख्ती से इस मामले में जांच में जुट गई है।      

 

 

GST SCAM CASE: GST के नाम पर बड़े अधिकारियों ने किया 200 करोड़ का घोटाला, 50 अधिकारिय...

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Shocking revelation in GST SCAM Case: बीते महीने 22 सितंबर को केंद्र सरकार ने देश भर में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स की दरों में कटौती करते हुए कई चीजों पर राहत दी है। इससे आम जनता को तो भले ही राहत मिली हो लेकिन अब ऐसा लगता है कि जीएसटी ने कई सरकारी अधिकारियों की नींदें उड़ा दी है। दरअसल अभी हाल में एक रिपोर्ट आई है जिसमें लॉकडाउन के दौरान जीएसटी वसूलने के नाम पर करीब 200 करोड़ का बड़ा घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इतना ही नहीं इस घोटाले में उत्तर प्रदेश के 50 उच्च अधिकारी के शामिल होने की भी खबर है। आइए जानते है क्या है ओर मामला।

क्या है पूरा मामला

दरअसल अभी कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक गुमनाम शिकायत सरकार को मिली थी, जिसमें जीएसटी वसूलने के नाम पर अरबों रुपये की रजिस्ट्री के दस्तावेजों के बारे में बात की गई थी, जो कि कई अफसरो की काली कमाई को सफेद करने का तरीका था। साथ ही स्टेट जीएसटी विभाग के करीब 50 अधिकारियों पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की बेनामी संपत्ति होने का दावा करते हुए इसकी शिकायत की गई थी, शिकायत को देखकर शासन के कान खड़े हुए और तुरंत जांच शुरु की गई, और सच्चाई बेहद ही चौंकाने वाली निकली।

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जांच में मिले पुख्ता सबूत

सरकार की तरफ से जांच एजेंसियों ने जब रजिस्ट्री कार्यालयों  में इसकी जांच की तो पता चला कि मोहनलालगंज और सुल्तानपुर रोड पर सरकारी अफसरों की अरबों की बेनामी संपत्ति होने के दस्तावेज बरामद हुए। इन बेनामी संपत्ति में अब तक 11 अधिकारियों के नाम सामने आ चुके है और धीरे धीरे और भी नाम सामने आ सकते है। जिससे पूरे महकमे में हड़कंप मच चुका है।

उंचे पद के अधिकारी है शामिल

जांच में पाया कि ज्यादातर घोटाला करने वाले अधिकारी एसआईबी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन ब्रांच) से जुड़े थे जो कि गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, , मिर्जापुर, लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, आजमगढ़ और नोएडा जैसे कई जिलों में तैनात थे। लेकिन कोविड 19(covid19) के दौरान अधिकारी कई कई साल एक ही जगह पर थे, और इसका फायदा उठा कर उन लोगो ने काफी संपत्ति बनाई। जिसमें 50 अधिकारी शक के घेरे में है। इन बेनामी संपत्ति को काले से सफेद कमाई में बदलने के लिए एक बिल्डर का सहारा लिया जाता जो कि एक अधिकारी का करीबी रिश्तेदार भी है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार केवल बेनामी संपत्ति का ही मामला नही है बल्कि 2020 से लेकर 2023 तक के बीच में इन अधिकारियों ने कई बड़े व्यापारियों को फायदा पहुंचाने के लिए जीएसटी रिटर्न और इनपुट टैक्स क्रेडिट का भी फर्जीवाड़ा किया था। जिसके बदले रिश्वत और बेनामी संपत्ति ली गई।

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आयकर विभाग भी हुआ सक्रिय

करीब 200 करोड़ के घोटालों के सामने आने के बाद आयकर विभाग की बेनामी संपत्ति सेल भी सकते में आ गया है। आयकर विभाग ने एक लिस्ट बनाई है जिसमें करीब 242 सरकारी अधिकारियों के साथ साथ कई नेता भी शामिल है। इन सभी की जांच की जायेगी। जांच में जो भी अधिकारी इसमें संलिप्त पाया गया उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाई की जायेगी। बताते चले कि बीते 2 सालो में यूपी के कई बड़े जीएसटी फर्जीवाड़े और घोटालों के सच्चाई का खुलासा हुआ है। जिसमें हापुड़ में 21 करोड़ का घोटाला सामने आया और इस मामले में 3 अधिकारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। 200 करोड़ के घोटाले के मामले में जांच तेजी से जारी है, देखने ये है कि आगे इस मामले में कौन कौन शामिल पाया जाता है।    

SAMRAT CHAUDHARY CONTROVERSY: फर्जी डिग्री मामले में बिहार के डिप्टी सीएम पर प्रशांत ...

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SAMRAT CHAUDHARY FAKE PHD DEGREE CONTROVERSY: बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आ रहे है। विपक्ष, सत्ता के बैठी जेडीयू और बीजेपी की सरकार पर काफी हमलावर हो रही है। बीते कुछ समय से शिल्पी गौतम बलात्कार और मर्डर केस में विवादों में फंसे बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी(DEPUTY CM SAMRAT CHAUDHARY) को अभी तक राहत भी नहीं मिली थी कि जन सुराज पार्टी के मुखिया प्रशांत किशोर(PRASHANT KISHOR) ने कुछ ऐसा धमाका कर दिया है, जिससे लगता है कि अब सम्राट चौधरी ज्यादा दिनों तक डिप्टी सीएम कुर्सी पर टिक नहीं पाएंगे।

प्रशांत किशोर ने लगाये संगीन आरोप

दरअसल जन सुराज पार्टी(JAN SURAJ PARTY) के अध्यक्ष और संस्थापक प्रशांत किशोर ने बीजेपी के दिगग्ज नेता और बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर संगीन आरोप लगाते हुए उन्हें फर्जी डिग्री होल्डर कहा है। पीके ने खुलासा करते हुए कहा कि सम्राट चौधरी असल में केवल सातवी पास है। कभी मैट्रिक पास न करने वाले सम्राट चौधरी डॉक्टरेट की डिग्री भी हासिल कर सकते है। पीके ने आगे कहा कि सम्राट चौधरी अब तक अपने मतलब के लिए कई नाम तक बदल चुके है, कभी वो सम्राट कुमार मौर्य, फिर राकेश कुमार और बाद में सम्राट चौधरी। रिपोर्ट बताते है कि सुप्रीम कोर्ट में सम्राट चौधरी द्वारा जमा दस्तावेजों के अनुसार वो मैट्रिक की परिक्षा में फेल हो गए थे, जबकि 2010 के शपथपत्र में उन्होंने खुद को सातवी तक पढ़ा लिखा बताया था। प्रशांत किशोर ने सीधे तौर पर सम्राट चौधरी से पूछा है कि वो खुद से इस बात को मीडिय़ा के सामने बताये कि उन्होंने दसवी कब पास की थी।

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जब नाबालिक बता कर हुए बरी

प्रशांत किशोर के आरोपो का सिलसिला यहीं नहीं रूका। उन्होंने चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि 2010 के विधानसभा चुनाव में उनकी उम्र 28 साल थी औऱ 2020 के विधान परिषद चुनाव में वो अचानक 51 साल के हो गए। 28 साल की आदमी 10 सालो में 51 साल का कैसे हो गया। वहीं 28 मार्च, 1995 के लौना परसा नरसंहार को कोई कैसे भुला सकता है। जिसमें अपने पिता शकुनी चौधरी के साथ साथ सम्राट चौधरी का नाम भी शामिल था, इसमें कुशवाहा समुदाय के छह लोग मारे गए थे, लेकिन हैरानी की बात है कि उस समय सम्राट चौधरी ने अपने आप को नाबालिक बता कर इस मामले से खुद का बचाव कर लिया। यहां तक कि 1999 में जब उन्हें कृषि मंत्री बनाया गया तो राज्यपाल ने 25 साल पूरे न होने का हवाला देकर पद से हटा दिया। यहां तक कि 2000 में उनका विधानसभा चुनाव भी 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया गया लेकिन वहीं जब  2010 में चुनावी हलफनामां दायर किया तो उन्होंने उसमें अपना जन्म साल 1969 बताया था। अब दोनो में से किसे सच माने। क्योंकि 1969 के आधार पर तो 1995 में नरसंहार में उनकी उम्र 26 साल पूरी हो गई थी फिर वो नाबालिक कैसे हो गए.. और अगर वो सच है तो फिर वो अभी 51 साल के कैसे हो गए।

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प्रशांत किशोर के इन खुलासों के बाद विपक्ष ने भी सम्राट चौधरी को बुरी तरह से घेरना शुरु कर दिया। सम्राट चौधरी को उनके पद से बर्खाश्त करने का मांग कर रहे है। एक के बाद एक सम्राट चौधरी पर लगे संगीन आरोपो को लेकर अभी तक बीजेपी या जदयू की तरफ से की प्रतिक्रिया नहीं आई है, वहीं प्रशांत किशोर ने सीधा इशारा किया कि वो सम्राट चौधरी को पद से बर्खास्त करने के लिए चिट्ठी लिखेंगे। वहीं सम्राट चौधरी को 1995 के नरसंहार मामले में झूठे दस्तावेज देने के लिए गिरफ्तार करने की मांग कर रहे है।