Jharkhand Election Result 2024: झारखंड, एक युवा राज्य, 24 साल की उम्र में राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की राजनीति के लिए जाना जाता है। राज्य ने अपने छोटे से जीवन में 13 मुख्यमंत्री (Jharkhand CM History) देखे हैं, तीन बार राष्ट्रपति शासन का सामना किया है और यहां तक कि एक निर्दलीय विधायक को मुख्यमंत्री बनते भी देखा है। यह राज्य न केवल अपनी प्राकृतिक संपदा और सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता और जोड़-तोड़ की राजनीति के लिए भी जाना जाता है।
झारखंड विधानसभा: बहुमत का जादुई आंकड़ा– Jharkhand Election Result 2024
झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) की कुल सीटें 81 हैं, और किसी भी दल को बहुमत हासिल करने के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है। लेकिन राज्य की सियासत का गणित ऐसा रहा है कि यह आंकड़ा किसी भी दल के लिए एक कठिन चुनौती बनकर उभरता है।
झारखंड के चुनावी इतिहास (Jharkhand politics history) में 2014 को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, जब बीजेपी ने 37 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह राज्य में किसी भी दल का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था, लेकिन फिर भी बहुमत से दूर रहा। 2005 और 2020 के चुनाव भी यही कहानी दोहराते हैं, जहां झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने क्रमशः 17 और 30 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का दर्जा तो हासिल किया, लेकिन सरकार बनाने के लिए गठबंधन की जरूरत पड़ी।
गठबंधन का गणित
झारखंड की राजनीति में गठबंधन की भूमिका हमेशा से अहम रही है।
- 2014 में बीजेपी ने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू), जनता दल (यूनाइटेड), और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा।
- 2020 में जेएमएम ने कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), और वामपंथी दलों के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई।
हर चुनाव में छोटे दलों और क्षेत्रीय पार्टियों की भूमिका निर्णायक रही है। बड़े दल इन छोटे दलों के समर्थन से ही सत्ता तक पहुंचते हैं।
2020: जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की जीत
2020 के विधानसभा चुनाव में जेएमएम 30 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी। कांग्रेस ने 16 सीटों के साथ गठबंधन में शामिल होकर अपनी स्थिति मजबूत की। गठबंधन ने मिलकर बहुमत का आंकड़ा पार किया, और झारखंड में हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने।
बारामती सीट पर अजित पवार की जीत की तरह, झारखंड में भी कई सीटें सत्ता संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इस गठबंधन की सफलता ने यह साबित किया कि छोटे दलों के समर्थन के बिना झारखंड में सत्ता हासिल करना मुश्किल है।
राजनीतिक अस्थिरता के कारण
झारखंड की राजनीति में अस्थिरता का बड़ा कारण है किसी भी दल का बहुमत तक नहीं पहुंच पाना।
- चुनावी अस्थिरता: चार विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को एकतरफा बहुमत नहीं मिला।
- जोड़-तोड़ की राजनीति: सरकार बनाने के लिए गठबंधनों और राजनीतिक सौदेबाजी का सहारा लिया गया।
- राष्ट्रपति शासन: राज्य ने तीन बार राष्ट्रपति शासन का सामना किया, जो राजनीतिक अस्थिरता को दर्शाता है।
आगामी चुनाव: 2024 की उम्मीदें
23 नवंबर 2024 को होने वाले विधानसभा चुनावों में झारखंड की राजनीति का नया अध्याय लिखा जाएगा।
- मुख्य दल: बीजेपी और जेएमएम एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं।
- गठबंधन की रणनीति: दोनों दल छोटे वोटबैंकों को साधने और छोटे दलों के साथ गठबंधन करने में जुटे हैं।
- क्या कोई दल बहुमत तक पहुंचेगा?: यह सवाल झारखंड की राजनीति के हर चुनाव में उठता है।
अगर इस बार कोई दल बहुमत हासिल करने में कामयाब होता है, तो यह झारखंड के लिए एक नई शुरुआत होगी। लेकिन अगर गठबंधन और जोड़-तोड़ की राजनीति फिर से हावी होती है, तो राज्य को एक बार फिर अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें, 2024 का चुनाव (Jharkhand Election Result 2024) राज्य की राजनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। अगर जनता किसी एक पार्टी को बहुमत देती है तो झारखंड राजनीतिक (Jharkhand politics) स्थिरता की ओर बढ़ सकता है। लेकिन अगर गठबंधन की राजनीति जारी रही तो अस्थिरता का यह अध्याय लंबा खिंच सकता है।
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