10 Geeta Mantras in Hindi – महाभारत का युद्ध पांडवों और कौरवों के बीच हुआ था. द्वारप युग के एक कालखंड में हुआ यह युद्ध 18 दिनों तक चला था. अधर्म पर धर्म की विजय हुई थी. पांडवों की ओर से श्रीकृष्ण थे, जबकि उनकी विशाल सेना कौरवों की ओर से थी. लेकिन फिर भी श्रीकृष्ण की माया और चाल के आगे सारे परास्त हो गए. वासुदेव रणक्षेत्र में अर्जुन के सारथी बने थे. जब युद्ध क्षेत्र में अपनों को सामने देख, उन पर हमला करने को लेकर अर्जुन के हाथ पांव कांपने लगे थे, तब श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धर्म, अधर्म और नीति निर्धारण का पाठ पढ़ाया था.
उन्होंने अपना विकराल रूप दिखाया था और अर्जुन को उपदेश दिया था. जिसके बाद अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हुए थे.कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश ही गीता के उपदेश के रुप में जाना गया. गीता में आत्मा, परमात्मा, भक्ति, कर्म, जीवन आदि का वृहद रूप से वर्णन किया गया है. आइए आज हम आपको गीता के 10 ऐसे श्लोक से परिचित कराते हैं, जो आपके सोचने का नजरिया ही बदल देगा.
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गीता के 10 श्लोक
- यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब जब धर्म की ग्लानि या लोप होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब तब मैं धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं यानी अवतार लेता हूं.
- परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे
वासुदेव कहते हैं कि सज्जन पुरुषों के कल्याण के लिए,दुष्कर्मियों के विनाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युगों-युगों में जन्म लेता आया हूं.
- यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते
10 Geeta Mantras in Hindi – श्रीकृष्ण कहते हैं कि श्रेष्ठ पुरुष जैसा आचरण करते हैं, दूसरे मनुष्य भी वैसा ही आचरण करते हैं. श्रेष्ठ पुरुष जो उदाहरण प्रस्तुत करता है, समस्त मानव समाज उसी का अनुसरण करता है.
- नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक:
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत:
भगवान कहते हैं कि आत्मा अजर अमर है. आत्मा के न शस्त्र काट सकते हैं, न आग उसे जला सकती है, न पानी उसे भिगा सकती है और न ही हवा उसे सुखा सकती है.
- हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:
इस श्लोक के माध्यम से वासुदेव कहते हैं कि वर्तमान कर्म से श्रेयस्कर कुछ नहीं है. वह अर्जुन से कहते हैं कि यदि तुम युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हें स्वर्ग मिलेगा और यदि विजयी होते हो तो धरती का सुख भोगोगे. इसलिए हे कौन्तेय उठे और निश्चय करके युद्ध करो.
- श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति
श्रीकृष्ण कहते हैं कि श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य, साधनपारायण हो अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त करते हैं. ऐसे मनुष्य ज्ञान प्राप्ति के शीघ्र बाद परम शान्ति को प्राप्त होते हैं.
- कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि
भगवान कहते हैं कि कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है लेकिन कर्म के फलों पर नहीं.इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो.
- क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति
श्रीकृष्ण कहते हैं कि क्रोध से मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है, जिसके कारण स्मृति भ्रमित होती है. स्मृति के भ्रमित होने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट होती है और बुद्धि के नाश होने पर मनष्य खुद का ही नाश कर बैठता है.
- सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज अ
हं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:
अर्जुन को उपदेश देते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं कि हे अर्जुन, सभी धर्मों को त्याग कर यानी हर आश्रय को त्याग कर केवल मेरी शरण में आओ, मैं तुम्हें सभी पापों से मुक्ति दिला दूंगा, इसलिए शोक मत करो.
- देहिनोऽस्मिन्यथा देहे कौमारं यौवनं जरा
तथा देहान्तरप्राप्तिधीरस्तत्र न मुह्यत
अर्थात् – एक आत्मा जिस तरह से शरीर में बाल्यावस्था से युवावस्था और युवावस्था से वृद्धावस्था तक रहती है, उसी तरह मृत्यु के बाद जीवात्मा दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है. इस बात को समझने और मानने वाला धैर्यशील इंसान कभी विचलित नहीं होता.
गीता में कितने श्लोक हैं – 10 Geeta Mantras
आपको बता दें कि महाभारत का युद्ध आज से करीब 4500 वर्ष पूर्व लड़ा गया था. भगवत गीता हमारे जीवन का मार्गदर्शन है. यह ग्रंथ हमें जीवन जीने का सही तरीका बताता है. इसमें मनुष्य के जीवन की हर छोटी से बड़ी समस्याओं का समाधान है. श्रीमद भगवद गीता में कुल 18 अध्याय है और उन 18 अध्यायों में 700 श्लोक हैं. इन 700 श्लोकों में से भगवान श्रीकृष्ण ने 574 श्लोक, अर्जुन ने 85 श्लोक, संजय ने 40 श्लोक और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहे हैं. ध्यान देने वाली बात है कि जब धृतराष्ट्र ने महाभारत के युद्ध को देखने की इच्छा व्यक्त की थी, तब महर्षि वेद व्यास ने उन्हें दिव्य दृष्टि दी थी, जिसके जरिए वह धृतराष्ट्र के पास बैठकर उन्हें महाभारत की लड़ाई की हर एक लाइव बात बताते थे.