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मानव के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, जानिए इससे होने वाले दुष्प्रभाव, बीमारियां और बचाव…

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मानव के लिए बेहद घातक है वायु प्रदूषण, जानिए इससे होने वाले दुष्प्रभाव, बीमारियां और बचाव…

वायु प्रदूषण से नुकसान – यूं तो प्रदूषण कई प्रकार के होते हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा घातक वायु प्रदूषण होता है. व्यक्ति से लेकर जीव-जंतुओं के जीवन पर ये अपना बुरा असर डालता है. आज के समय में हवा में प्रदूषण की मात्रा हर जगह मिलेगी, चाहे घर हो या घर के बाहर हर तरफ जहरीली हवाओं ने अपना कब्जा कर रखा है. जिस वजह से वायु प्रदूषण से बचना हमारे लिए काफी मुश्किल तो है लेकिन नामुमकिन नहीं. आज हम आपको वायु प्रदूषण से होने वाली दुष्प्रभाव, बीमरियों और बचाव के बारे में बताने जा रहे हैं, तो आइए आपको बताते हैं…

मानव के स्वास्थ्य पर प्रभाव

व्यक्ति अपने जीवन को बनाए रखने के लिए कम से कम 8,000 लीटर वायु अंदर और बाहर करता है. वहीं अगर वायु में अशुद्धि या प्रदूषक तत्वों का समावेश है तो वो सांस लेते वक्त व्यक्ति के शरीर में पहुंच कर कई तरह से प्रभावित करती है और फिर नतीजा ये होता है कि वो अनेक भयंकर रोग बन जाती है.

दुष्प्रभाव और बीमारियां

वायु प्रदुषण के दौरान कुछ उपायों को अपनाकर और इससे बचकर हम इससे पड़ने वाले दुष्प्रभाव और बीमरियों से अपने आपको और अपने परिवार का बचाव कर सकते हैं. इस घातक प्रदूषण से व्यक्ति के शरीर में बहुत जल्दी प्रभाव पड़ता हैं क्योंकि ये सांस द्वारा हवा के तौर पर शरीर मे पहुंचता है. इतना ही नहीं इससे दमा, खांसी,सिरदर्द रहना, आंखों की रोशनी कमजोर होना और फेफड़ों में संक्रमण होने जैसी बीमारियों का सामना करना पड़ कर सकता है.

बचाव ही उपाय – वायु प्रदूषण से नुकसान

वायु प्रदूषण से बचने के लिए आपको रोजाना सबसे पहले जल्दी उठना चाहिए और टहलना चाहिए, इससे आपके शरीर में ताजी हवा अंदर जाएगी. इसके लिए आप घर के पास किसी भी गार्डन या फिर ऐसी जगह जा सकते हैं जहां हरियाली या पेड़ हो और फिर वहां खड़े होकर लंबी सांस अंदर खींचे और बाहर छोड़ें. जिसके चलते पेड़ों से निकलने वाला ऑक्सीजन जब शरीर में जाता है तो वो शरीर में नई स्फूर्ति भर देता है.

योग से होगा ज्यादा लाभ

वहीं, अगर आप योग करते हैं तो ये आपके शरीर के लिए काफी अच्छा रहेगा, क्योंकि योग में स्वच्छ हवा शरीर में लेने की कई मुद्राएं बताई गई हैं. इसकी मदद से आप सवेरे जल्दी उठकर इन योगाओं में से कोई एक योग को अपनाते हुए अपने शरीर में स्वच्छ हवा ले सकते है.

मास्क पहनकर करें बचाव

अगर आपके आसपास वायु प्रदूषण की ज्यादा मात्रा है तो अपने चेहरे को मास्क से ढककर रखिए. इसकी मदद से प्रदूषित हवा को आपके शरीर मे जाने से रोक मिलेगी. इतना ही नहीं, आपको ज्यादा भीड़भाड़ वाली जगह, ज्यादा यातायात का दबाव वाली जगह और जहां फैक्टियों की तादाद ज्यादा होती है उन जगह पर जाना नहीं चाहिए, क्योंकि यहां पर वायु प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होती है, जो शरीर में पहुंचकर बीमारियां पैदा करता है.

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एक रिलेशनशिप के चलते मैकडोनाल्ड के सीईओ को गंवानी पड़ी नौकरी, मांगी माफ़ी

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एक रिलेशनशिप के चलते मैकडोनाल्ड के सीईओ को गंवानी पड़ी नौकरी, मांगी माफ़ी

मैकडोनाल्ड (McDonald’s) ने अपने ही सीईओ स्टीव ईस्टरब्रुक को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। उन्हें एक कर्मचारी के साथ रिलेशनशिप के चलते अपनी नौकरी की कुर्बानी देनी पड़ी। रविवार को कंपनी ने ये कहते हुए इस बात की जानकारी दी कि स्टीव ने कंपनी के नियमों का उल्लंघन किया था और ये उनकी पॉलिसी के खिलाफ है। जिस वजह से उन्हें सीईओ और कंपनी के अध्यक्ष पद दोनों से निकाल दिया गया। बता दें कि 52 साल के ईस्टरब्रुक को  2015 में मैकडोनाल्ड का सीईओ बनाया गया था और तब से वो उसी पद पर कार्यरत थे।

बोर्ड ने लगाया गलत फैसले लेने का आरोप 

बोर्ड का आरोप है कि उन्होंने अपनी कर्मचारी के साथ संबंध होने के चलते कुछ गलत फैसले लिए। फ़िलहाल ईस्टरब्रुक ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है जिसके बाद उन्होंने बोर्ड के सदस्य पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया। उन्होंने कर्मचारियों को ईमेल द्वारा बोर्ड के इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘मैंने गलती की। मैंने कंपनी को हमेशा महत्व दिया लेकिन बोर्ड का फैसला सही है। अब मेरा जाने का वक़्त है।‘

#MeToo कैंपेन के दौरान दिखा था असर

अमेरिका के कॉर्पोरेट सेक्टर में ऐसे कई पहले भी मामले सामने आये हैं जिनके रिलेशनशिप की वजह से नौकरी पर बात बन आई। सोशल मीडिया पर चले #MeToo कैंपेन के दौरान भी इसका असर देखने को मिला था। इस दौरान बड़ी कंपनियों के कर्मचारियों और अधिकारियों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। जून 2018 में इंटेल कॉर्प के सीईओ ब्रायन को भी रिलेशनशिप के चलते अपना पद छोड़ना पड़ा था। अब ईस्टरब्रूक के बाद क्रिस केंपिजिंस्की को मैकडोनाल्ड यूएसए का सीईओ बनाया गया है।

ईस्टरब्रुक के नेतृत्व में कंपनी को हुआ था फायदा 

हालांकि ईस्टरब्रुक के कार्यकाल के दौरान कंपनी को काफी फायदा हुआ। साल 2015 के बाद से सीईओ बनते ही कंपनी के स्टॉक डबल हो गए हैं। बता दें कि ईस्टरब्रुक की पढ़ाई यूनिवर्सटी ऑफ़ ऑक्सफ़ोर्ड के बिजनेस स्कूल से हुई थी और इससे पहले उनका तलाक भी हो चुका है। आज नए नवेले सीईओ ने केंपजिंस्की में अपने सन्देश में ईस्टरब्रूप को धन्यवाद दिया। केंपजिंस्की ने कहा कि वो इस्टरब्रुक के कामों को आगे बढ़ाने पर फोकस करेंगे।

हनीमून के लिए सबसे बेस्ट है भारत की ये 5 लग्जरी ट्रेन, सफर के दौरान खुद को राजा-रानी से कम नहीं समझेंगे आप!

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हनीमून के लिए सबसे बेस्ट है भारत की ये 5 लग्जरी ट्रेन, सफर के दौरान खुद को राजा-रानी से कम नहीं समझेंगे आप!

Top 5 trains for Honeymoon – कहते हैं शादी एक ऐसा बंधन है जिसमें में ज्यादातर हर कोई बंधना चाहता है, इतना ही नहीं आजकल तो शादी एक ट्रेंड बनती जा रही है. हर कोई इस खास अवसर पर सेलीब्रीटी या राजा महाराजा के समय होने वाले रिती रिवाजों को अपनाने की सोचते हैं, जिसे वो खुद को लोगों की भीड़ में अलग समझे. इतना ही नहीं शादी के बाद जब हनीमून की बात आती है तो इसे लेकर भी कपल्स में एक अलग उत्साह रहता है वो तरह-तरह की नई जगह घूमने का प्लान बनाते हैं.

वहीं अगर आप भी एक कपल हैं और अपने हनीमून को शाही बनाना चाहते हैं तो आइए आपको राजा और रानी का अहसास दिलवाने वाली उन भारतीय लग्जरी ट्रेंनों के बारे में बताते हैं जो आपको किसी राजा महाराजा के महलों से कम नहीं लगेंगी, तो आइए आपको बताते हैं…

महाराजा एक्सप्रेस

सबसे पहले बात करते हैं महाराजा एक्सप्रेस की इस ट्रेन को दुनियां की 5 सबसे अधिक लग्जरी ट्रेन का खिताब भी मिल चूका हैं. इसकी साज-सजावट काफी अच्छी है. इसमें शानदार रूम है और वेटर की सर्विस भी मौजूद हैं. अक्टूबर से अप्रैल के बीच में चलने वाली इस ट्रेन के पांच अलग रूट्स हैं और यहां एक व्यक्ति का किराया दो से चार लाख के करीब है.

रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स

रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स ट्रेन में आपको ताज महल, हवा महल,सिटी पैलेस, खजुराहो मंदिर जैसी अन्य वस्तु देखने को मिलता है. ये ट्रेन जोधपुर, सवाई माधोपुर, जयपुर, खजुराहो, उदयपुर, चित्तोरगढ़, वाराणसी और आगरा जैसे रूट्स पर जाती है. इसमें स्पा, रेस्तरां के साथ-साथ कई सुविधाएं भी हैं, इन सभी सुविधा का लाभ उठाने के लिए एक व्यक्ति का किराया चार लाख के करीब है.

द डेक्कन ओडिसी

पांच स्टार रेटिंग वाली द डेक्कन ओडिसी ट्रेन के डिब्बे किसी राजा महाराजाओं के महलों कम नहीं हैं. इसमें रेस्तरां, स्पा जैसे कई सुविधाएं है. इसके कुल 6 रूट्स हैं और एक व्यक्ति का किराया करीब तीन लाख रुपये के आसपास है.

सुनहरा रथ

एशिया की सबसे लग्जरी ट्रेन का खिताब साल 2013 में सुनहरा रथ ट्रेन को मिला था. 7 राते और 8 दिनों का समय लेने वाली ये ट्रेन अक्टूबर से मार्च में चलती हैं. ये ट्रेन मुख्य तौर पर दो रूट्स पर चलती हैं. इसमें सफर करने के लिए एक व्यक्ति का किराया टैक्स के अलावा 3 लाख रुपये तक है.

फेयरी क्वीन एक्सप्रेस

वहीं अगर आपका बजट कम है और आप छोटा सा लग्जरी सफर करना चाहते हैं तो आप साल 1855 में बनी भारत की बहुत पुरानी इस लग्जरी ट्रेन में सफर कर सकते हैं. केवल अक्टूबर से मार्च में चलने वाली ये ट्रेन इन महीनों के भी केवल दूसरे और चौथे शनिवार ही चलती हैं. ये ट्रेन केवल दो जगह के रूट्स तय करती हैं जो अलवर और सरिस्का है. अगर बात करें इस ट्रेन के सफर की तो ये 1 रात और 2 दिन ही हैं. अन्य चार लग्जरी ट्रेनों की तुलना में इस ट्रेन की जर्नी छोटी और सस्ती भी हैं. इसमें सफर करने के लिए एक व्यक्ति का किराया टैक्स के अलावा 8,600 रुपये है.

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सावधान: देशव्यापी सर्वे ने किया पैकेज्ड दूध को लेकर चौंकान वाला खुलासा, ये है कच्चे दूध से दोगुना जहरीला!

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सावधान: देशव्यापी सर्वे ने किया पैकेज्ड दूध को लेकर चौंकान वाला खुलासा, ये है कच्चे दूध से दोगुना जहरीला!

ये तो हम सभी जानते हैं कि हमारी सेहत के लिए दूध काफी फायदेमंद साबित होता है, जिस वजह से बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े तक को डॉक्टर्स रोजाना दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं. वहीं अब देश में मिलने वाले पैकेज्ड दूध को लेकर खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया गया है.

देशभर में किए गए सर्वे के अनुसार कहा जा रहा है कि कच्चे दूध से दोगुना जहरीला पैकेज्ड दूध होता है. कई प्रमुख ब्रांड के कच्चे दूध और पैकेज्ड दूध के नमूने तय मानकों और निर्धारित गुणवत्ता पर खरे नहीं उतरे हैं. जिसके चलते पैकेज्ड दूध (प्रोसेस्ड मिल्क) के 10.4 प्रतिशत नमूने सुरक्षा मानकों पर नाकाम रहे और ये कच्चे दूध की तुलना में बहुत ज्यादा हैं. इतना ही नहीं इनमें एंटीबायोटिक, कीटनाशक और एफ्लाटॉक्सिन- एम 1 जैसे जहरीले पदार्थ पाए गए हैं. प्रोसेस्ड दूध में एफ्लाटॉक्सिन ज्यादा, जो पशु आहार में प्रयोग होता है.

FSSAI के सीईओ पवन अग्रवाल ने 18 अक्टूबर, शुक्रवार को कहा कि लोगों का मानना है कि दूध में मिलावट अधिक गंभीर समस्या है, मगर इससे बड़ी परेशानी तो दूध का दूषित होना है. प्रोसेस्ड दूध के 2,607 नमूनों ऐसे निकले जिनमें 37.7 प्रतिशत नमूनों में फैट, माल्टोडेक्सट्रिन,एसएनएफ और शुगर की मात्रा तय सीमा से अधिक मिला. विशेषज्ञों के अनुसार पशु आहार में एफ्लाटॉक्सिन का लंबे वक्त से प्रयोग किया जा रहा है, जो व्यक्ति की सेहत के लिए काफी खतरनाक है.

उठाए जा सकते हैं कड़े कदम

आपको बता दें कि नवंबर 2018 में एफएसएसएआई ने राष्ट्रीय दुग्ध सर्वे 2018 के दौरान एक रिपोर्ट जारी की गई थी. जिसमें मिलावटी दूध को लेकर बहुत सारे चौंकाने वाले खुलासे  सामने आए थे. वहीं बीते शुक्रवार को एफएसएसएआई ने राष्ट्रीय दुग्ध सर्वे 2018 की आखिरी रिपोर्ट जारी की है. जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी सौंप गया है. मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट को देखते हुए मिलावटी दूध को रोकने के लिए जल्द ही कड़े कदम उठाए जाएंगे.

दिल्ली में लगभग 65 प्रतिशत पैकेट वाले दूध का प्रयोग

सर्वे के अनुसार दिल्ली में 60 से 65 प्रतिशत तक पैकेट दूध का इस्तेमाल होता है. बाहरी दिल्ली को छोड़ने के अलावा मध्य दिल्ली में लगभग 95 प्रतिशत तक पैकेट दूध का ही इस्तेमाल होता है. बता दें कि दिल्ली के 262 नमूने लिए गए थे, जिनमें 194 प्रोसेस्ड और 68 त्वरित दूध के नमूने थे. इनमें 38 नमूनों की जांच में एफ्लाटॉक्सिन एम1 पाया गया और इन 38 में से सर्वाधिक 36 नमूने पैकेट दूध के शामिल हैं. सिर्फ दो नमूने ऐसे थे, जो त्वरित दूध (पशू से निकला दूध) मिले थे.

दिल्ली के साथ ही कई राज्यों के सैंपल में रसायन

सर्वे के मुताबिक 6432 में से 368 सैंपल में एफ्लाटॉक्सिन एम-1 रसायन हैं, जिनमें सबसे इनमें सबसे अधिक 227 पैकेट वाले दूध के सैंपल हैं. ये सैंपल दिल्ली, पंजाब, यूपी, महाराष्ट्र,केरल, तमिलनाडु और ओडिशा से लिए गए थे जहां से ये घातक रसायन मिला है. अगर बात करें एंटीबॉयोटिक्स दवाओं की तो उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के सैंपल में इनकी मौजूदगी मिली है.

फफूंद से पैदा होता है यह रसायन

डेयरी फार्मिंग में अक्सर एफ्लाटॉक्सिन B-1, B-2 और M-1 और M-2 की चर्चा होती रहती है. वहीं अगर पशु एफ्लाटॉक्सिन बी-1 वाला आहार खा लेता है तो ये सामान्य उपचय द्वारा एफ्लाटॉक्सिन M-1 के तौर पर उनके दूध या पेशाब में निकलने लगता है. बता दें कि एफ्लाटॉक्सिन में ऐसे माइकोटॉक्सिन पाए जाते हैं, जो एस्पर्जिलस फ्लेवस या एस्पर्जिलस पैरासाइटिक्स नामक फफूंद से उत्पन्न होते हैं. इसे फंफूद से पैदा होने वाला जहर भी कहा जाता है. जो मानव के साथ-साथ पशुओं के लिए भी घातक साबित होता है. पशुपालन विभाग के मुताबिक बहुत बार एफ्लाटॉक्सिन नमी और कीटों के जरिए फसलों की खराबी होने पर भी पैदा हो सकता है.

पिता के ये शब्द बने जहीर के लिए प्रेरणा, ऐसे क्रिकेट वर्ल्ड को मिला तेज गेंदबाज

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पिता के ये शब्द बने जहीर के लिए प्रेरणा, ऐसे क्रिकेट वर्ल्ड को मिला तेज गेंदबाज

Zaheer Khan Biography in Hindi – भारत के सबसे सफल गेंदबाज जहीर खान अपना 41वां जन्मदिन मना रहे है। बाएं हाथ के तेज गेंदबाज ने अपने संटीक लाइन- लेंथ के साथ विरोधी टीमों के पसीने छुड़ा दिये है। भारतीय टीम के तेज गेंदबाज ने छोटे से कस्बे से निकलकर देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने विश्व कप दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान निभाया है। जहीर खान ने 14 साल तक अतंरराष्ट्रीय किक्रेट खेला है। खान ने अपने इस नाबाद पारी में 311, वनडे में 282 और टी-20 शामिल है। इस गेंदबाज ने 610 अंतरराष्ट्रीय विकेट लिया है।

पिता ने कहा इंजीनयर ओर मिलेंगे, क्रिकेटर नहीं

पूर्व क्रिकेटर सुधीर नाईक ने जहीर से क्रिकेट में आने को कहा था। जिसके बाद जहीर के पिता ने कहा था कि देश को इंजीनियर ओर मिल जाएंगे, क्रिकेट खेलो, देश का नाम रोशन करो। उनका जन्म 7 अक्टूबर 1978 में महाराष्ट्र के श्रीरामपूर कस्बे के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता फोटोग्राफर और मां टीचर थी। हालांकि जहीर मेकैनिकल इंजीनियरिंग ड्रिगी कोर्स में दाखिला लिया था।

17 साल की उम्र में पहुंचे मुबंई – Zaheer Khan Biography in Hindi

जहीर खान महज 17 साल की उम्र में मुबंई गए थे। जहीर ने क्रिकेटर जिमखाना के खिलाफ फाइनल में 7 विकेट लेने पर उन्हें एका एक सुर्खियों में ला दिया था। जहीर ने मुबंई वेस्ट जोन की अंडर19 टीम में शामिल हुए थे। इसके बाद जहीर ने एमआरएफ पेस अकादमी से होते हुए तेजी से आगे बढ़े और भारतीय टीम में सफलता की सीढ़िया चढ़ने लगे थे। बता दें कि देश के चौथे सबसे सफल गेंदबाज है। इस लिस्ट में अनिल कुंबले, कपिल देव और हरभजन सिंह है। भारतीय पूर्व खिलाड़ी और पूर्व  कप्तान कपिल देव के बाद ऑलरांउडर जहीर खान है। उन्होंने अपने दमदार पारी में 237 बार बाएं हाथ के बल्लेबाजों को आउट किया था।

 कौन है उनकी लाइफ पार्टनर

जहीर खान (Life Partner of Zaheer Khan) की शानदार क्रिकेट पारी के साथ- साथ लव- लाइफ भी काफी इंटरेस्टिंग है। 2017 में उन्होंने बॉलीवुड की एक्ट्रेस सागरिका घाटगे से शादी कर ली थी। सागरिका और जहीर कई सालों तक रिलेशनशिप में थे। कई बार सागरिका जहिर को आईपीएल मैच के दौरान चीर्यस करती नजर आई थी। दोनो एक साथ युवराज सिंह और हेजल की शादी पर नजर आए थे। सागरिका घाटगे को चक दे इंडिया की प्रीती संबरवाल के किरदार को पसंद किया था। इससे पहले जहीर बॉलीवुड एक्ट्रेस ईशा शरवानी के साथ रिलेशनशिप में थे।

विश्व कप में दमदार प्रदर्शन – Zaheer khan in World Cup

2007 में वर्ल्ड कप के दौरान शानदार प्रदर्शन किया था। 2003 में गांगुली की अगुवाई में जबरदस्त प्रदर्शन किया था। इतना ही नहीं जहीर खान ने वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा विकेट लेकर इतिहास रच दिया था। वहीं 2011 में भारतीय टीम को विश्व कप दिलाया था। इसके अलावा जहीर ने कल 44 विकेट लिए थे। विश्व कप में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले पाचंवे खिलाड़ी बन गए थे। वहीं भारतीयों में सबसे आगे है।

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टीसीआईएल का अफ्रीका फोकस फायदे का सौदा है: निदेशक कामेंद्र कुमार

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टीसीआईएल का अफ्रीका फोकस फायदे का सौदा है: निदेशक कामेंद्र कुमार

भारतीय व्यापारिक संस्थाओं में से टेलीकम्युनिकेशंस कंसल्टेंट्स इंडिया लिमिटेड (TCIL) एक है, जिन्होंने अफ्रीका पर ध्यान केंद्रित किया है। विशेष तौर पर अफ्रीका में दूरसंचार में भारत की उपस्थिति गहरी और व्यापक है। भारत के एयरटेल का कुछ अफ्रीकी देशों में परिचालन है। एयरटेल नाइजीरिया के शेयरों को लागोस स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया था। कई विश्लेषकों का मानना ​​है कि दूरसंचार एक प्रमुख क्षेत्र होगा जहां भविष्य में भारतीय उपस्थिति बढ़ेगी।  ट्रेंड अफ्रीका और Africa4U की संपादक शीला सुधाकरण ने ने TCIL के निदेशक (तकनीकी) कामेंद्र कुमार  भारत-अफ्रीका आर्थिक जुड़ाव के भविष्य के बारे में उनकी राय ली। विशेष रूप से उनसे आईसीटी सहित कौशल विकास क्षेत्र में अलंकृत करने के तरीके और साधन समेत कई अन्य मुद्दे पर बातचीत की। 

सवाल- आप भारत-अफ्रीका आर्थिक जुड़ाव के वर्तमान स्तर का आकलन कैसे करते हैं?

कामेंद्र कुमार ने कहा कि मैं महसूस करता हूं कि हाल के दिनों में अफ्रीकी क्षेत्र के साथ भारत के संबंधों में अभूतपूर्व गति आई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी दोनों क्षेत्रों को जोड़ने को विशेष महत्व दे रहे हैं। पिछले 5 वर्षों में, दोनों क्षेत्रों में उच्च-स्तरीय जुड़ावों की संख्या में वृद्धि हुई है। अब मुझे लगता है कि संभावित बाजार का आकलन करने और उस बाजार में प्रवेश करने के तरीकों की रणनीति बनाने के लिए अधिकांश भारतीय कंपनियों के बोर्ड रूम में अफ्रीका पर चर्चा की जाती है। ये भारत और अफ्रीका में शीर्ष राजनीतिक तंत्र द्वारा सौंपे जा रहे महत्व का एक संकेत है, जो अब कॉर्पोरेट क्षेत्र में प्रवेश कर रहा है।

सवाल- आपको क्या लगता है कि भारत की अफ्रीका केंद्रित नीति में कब बदलाव आया है?

इस पर कामेंद्र कुमार ने कहा कि मुझे लगता है कि 2015 एक महत्वपूर्ण साल था जब भारत ने भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन आयोजित किया था।  हमारी पिछली नीति कुछ देशों पर ध्यान केंद्रित करने की थी, जहां हमारे पारंपरिक व्यापारिक संबंध थे। अब, अलग-अलग देशों के साथ तालमेल की दृष्टि खोए बिना, अफ्रीका को समग्र रूप से देखने की रणनीति है, जिसमें विकास के अलग-अलग दृष्टिकोण हो सकते हैं। उभरते हुए AFCATA के आलोक में ये नीति अच्छी है, जो दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारिक ब्लॉक होगा। जैसा कि अफ्रीका के देश अपने व्यापार बाधाओं को दूर कर रहे हैं, इसका कारण यह है कि भारत को एक एकीकृत दृष्टिकोण और एक देश-विशिष्ट रणनीति की दोहरी नीति बनानी चाहिए।

सवाल- टीसीआईएल अपनी अफ्रीका नीति कैसे विकसित करता है?

इस पर कामेंद्र कुमार ने कहा कि उस प्रश्न का उत्तर देने से पहले, मैं भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ जाने के अपने सौभाग्य के बारे में बता दूं। रामनाथ कोविंद जी तीन पश्चिम अफ्रीकी देशों के एक प्रतिनिधिमंडल में था, जब वो बेनिन, गाम्बिया और गिनी गए थे। ये इन देशों की भारत की अब तक की सबसे ऊंची यात्रा है। टीसीआईएल की ओर से, मैंने बेनिन और गिनी की सरकारों के साथ समर्थन के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए थे। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के निर्देशन में TCIL ने पैन अफ्रीका ई-नेटवर्क परियोजना का दूसरा चरण शुरू किया है – ई-विद्याभारती (टेली-एजुकेशन) और ई-आरोग्यभारती (टेली-मेडिसिन) नेटवर्क प्रोजेक्ट (ई -वीबीएबी)। इस परियोजना का उद्देश्य 4000 छात्रों को 5 साल की मुफ्त टेली-शिक्षा और 1000 डॉक्टरों/नर्सों/पैरामेडिक्स को मुफ्त चिकित्सा परामर्श प्रदान करना है।

भारत के राष्ट्रपति की यात्रा के दौरान, इन परियोजनाओं में TCIL की भागीदारी के लिए बेनिन और गिनी के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए थे। इसके अलावा, परियोजना अफ्रीकी युवाओं को शिक्षा प्रदान करने के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करेगी।

सवाल: बेनिन और गिनी ही ध्यान क्यों?

इसके जवाब में TCIL के कामेंद्र कुमार ने कहा कि हम खुद को दोनों देशों तक सीमित नहीं रख रहे हैं। हमारा एक अखिल अफ्रीका एजेंडा है। चूंकि आपने मुझसे पूछा है कि हम इन दोनों देशों पर ध्यान क्यों देते हैं, इसलिए मैं आपको अफ्रीका में अपनी गतिविधियों पर ले जाता हूं। बेनिन पश्चिम अफ्रीका में भारत के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों में से एक है। ये इस क्षेत्र की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। गिनी के मामले में, भारत ने हाल ही में अपने राजनयिक मिशन को फिर से खोला है और कौशल विकास सहित क्षेत्रों में वहां की सरकारों के साथ मिलकर काम करेगा। 

दूसरा देश गाम्बिया है। नई दिल्ली ने गाम्बिया को कई तरह का ऋण दिया है, जिसमें 2006 में ट्रैक्टर असेंबली प्लांट के लिए 6.7 मिलियन डॉलर और नेशनल असेंबली बिल्डिंग कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए लगभग 27 मिलियन डॉलर शामिल हैं, जिसका उद्घाटन अक्टूबर 2014 में हुआ था। भारत ने अपने अधिकारी में वरिष्ठ गैम्बियन अधिकारियों को भी प्रशिक्षित किया है। भारत में प्रशिक्षण अकादमियों अपनी अखिल अफ्रीका दृष्टि के एक हिस्से के रूप में, नई दिल्ली ने महाद्वीप के साथ अपने जुड़ाव को बढ़ाने के लिए अफ्रीका में 18 नए मिशन खोले हैं। इन सभी देशों में टीसीआईएल के पदचिन्ह होंगे।

सवाल: हाल ही में, उच्च शिक्षा और कौशल विकास से संबंधित मामलों पर काम करने के लिए अफ्रीका और भारत के बीच एक बैठक हुई थी। उस बैठक से टीसीआईएल के क्या निष्कर्ष हैं?

कामेंद्र कुमार ने बताया कि 29 अगस्त को नई दिल्ली में एक बैठक हुई थी। हमने घाना, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और मलावी और कोटे डी आइवर गणराज्य जैसे विभिन्न देशों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। TCIL भारत में कौशल आधारित ‘अनुभव केंद्र’ विकसित करने के लिए एमसीआईटी (संचार और आईटी मंत्रालय) मिस्र के साथ भी बातचीत कर रहा है, जो भारतीय युवाओं को नई और उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ प्रयोग करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। टीसीआईएल की भारत साइबर अकादमी मिस्र के युवाओं और नीति निर्माताओं को साइबर अपराध से उत्पन्न चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण प्रदान करेगी।

सवाल: सिर्फ स्किल डेवलपमेंट में ही क्यों?

कामेंद्र कुमार ने अपने जवाब में कहा कि बेशक, कौशल विकास हमारी ताकत है। इसका मतलब ये नहीं है कि हम केवल उसी से चिपके हुए हैं। हम सौर ऊर्जा में भी हैं। भारत अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) का प्रस्तावक और हिलानेवाला है, जिसमें लेने की बहुत बड़ी क्षमता है। आईएसए फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर और पुष्टि करने वाले 48 देशों में से 25 देश अफ्रीकी महाद्वीप से हैं। हमारा प्रयास गठबंधन की बैठक में निर्णयों का पालन करना और अफ्रीकी देशों के साथ काम करना होगा ताकि वे इस क्षेत्र में अपनी क्षमता का एहसास कर सकें। अधिकांश अफ्रीकी देश बिजली की कमी से जूझ रहे हैं। उन्हें अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों, जो कि स्वच्छ ऊर्जा भी है, का दोहन करना होगा। साथ ही, अधिकांश देश अच्छी धूप का आनंद लेते हैं, एक ऐसी स्थिति जो सौर ऊर्जा के दोहन के लिए आदर्श है।

सवाल- अफ्रीका के लिए आपकी अन्य योजनाएं क्या हैं?

इसके बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जैसा कि मैंने पहले कहा  भारत सरकार ने व्यापार और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए 2018-2021 के बीच अफ्रीका में 18 नए भारतीय मिशनों को खोलने की मंजूरी दी है, जिससे अफ्रीका में निवासी भारतीय मिशनों की संख्या 29 से 47 हो गई है। पहला जुलाई 2018 में रवांडा में खोले गए इन रेजिडेंट मिशनों में से। टीसीआईएल इस साल 5-6 अगस्त को आयोजित रवांडा के किगाली में भारतीय अफ्रीका आईसीटी एक्सपो का एक अभिन्न सदस्य था। तत्कालीन TCIL के CMD ए शेषगिरी राव ने रवांडा के प्रधान मंत्री माननीय डॉ. Édouard Ngirenteऔर रवांडा के आईसीटी मंत्री सुश्री पाउला इंगबीरे से मुलाकात की और साइबर सुरक्षा प्रशिक्षण, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई), इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IOT) और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कनेक्टिविटी पर समर्थन का वादा किया। राव ने एक्सपो के दौरान मलावी और जिम्बाब्वे के प्रधानमंत्रियों से भी मुलाकात की और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण संपर्क और डिजिटल डाकघरों में दोनों देशों को समर्थन देने की पुष्टि की।

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World Tourism Day: इन 5 जगहों पर मनाएं अविस्मरणीय दिवाली, चाह कर भी नहीं भुला पाएंगे हसीं यादें

Top 5 tourist place in India – घुमक्कड़ों के लिए किसी नई जगह घूमना एक एहसास है। वो एहसास जिसे अगर शब्दों में बयां किया जाए तो शायद उसकी ख़ूबसूरती फीकी पड़ जायेगी। आज का दिन यानि वर्ल्ड टूरिज़्म डे उन्हीं ट्रेवलर्स के लिए बेहद खास है। यूं तो घूमने के शौक़ीन लोग ट्रैवल करने के लिए किसी ख़ास पल के मोहताज़ नहीं हैं।

लेकिन डेली लाइफ में काम की व्यस्तता के चलते ऑफिस से छुट्टी न मिल पाना या कई अन्य मज़बूरियां इन उड़ान भरे पंखों में बेड़ियां लगा देती हैं। लेकिन इस बार मौका है दिवाली की छुट्टियों का जिसमें आप आराम से दो तीन दिनों के टूर का प्लान बना सकते हैं। आज हम आपको सैर सपाटा कराते हैं उन जगहों का जहां का ग्रैंड दिवाली सेलिब्रेशन आपके दिल में एक अविस्मरणीय स्मृति की तरह ठहर जाएगा।

वाराणसी 

अपनी दिवाली ख़ास बनानी हो तो इस बार देव भूमि वाराणसी में ज़रूर कदम रखें। पवित्र नदी गंगा में डुबकी लगाने के बाद यहां के खूबसूरत बाज़ारों का आनंद लेना न भूले। यहां आपको पारंपरिक कपड़ों से लेकर मिठाइयों तक हर चीज़ की वैरायटी मिल जायेगी। यहां सूर्यास्त के समय नाव की सवारी का एक अलग ही आनंद है।

धार्मिक मंत्र और गीतों के माहौल में ये लैंप की रौशनी में झिलमिलाती नगरी की रौनक देख आपको ऐसा लगेगा मानों आप स्वर्ग में आ गए हों। अगर आप दिवाली के त्यौहार पर गए हैं, तो ये आपके लिए सोने पे सुहागा वाली बात है। गंगा महोत्सव फेस्टिवल में मनाई जाने वाली देव दीपावली देख आपका मन करेगा कि मानों वो पल वहीं ठहर जाए। क्योंकि यही तो है बनारस का असली मज़ा।

अमृतसर – 5 tourist place in India 

दिवाली के पावन अवसर के दौरान जाने के लिए अमृतसर भी एक अत्यंत सुंदर जगह है। दिवाली का त्यौहार यहां बंदी चोर दिवस के साथ मनाया जाता है, जो सिखों के लिए काफी बड़ा त्यौहार है। इस दिन गुरु गोबिंद सिंह कारावास से लौटकर आये थे। पूरे शहर में भजन और कीर्तन की मधुर आवाज़ें गूंजती है। यहां के स्वर्ण मंदिर की रौशनी में छटा अद्भुत हो जाती है। आप शांत मौसम, सुंदर सरसों के खेतों और स्थानीय लोगों के संक्रामक उत्साह का भी आनंद ले सकते हैं। इसके अलावा यहां के व्यंजनों का स्वाद आपके सफर का मज़ा दोगुना कर देगा। इन्हें खाकर आप उंगलियां चाटने पर मज़बूर हो जाएंगे।

जयपुर-उदयपुर 

आपको निश्चित रूप से जयपुर में लुभावने समारोहों का गवाह बनना चाहिए जो धनतेरस से शुरू होते हैं। नाहरगढ़ का किला और कुछ अन्य लोकप्रिय स्थलों से आप पूरे शहर का मनोरम दृश्य देख सकेंगे। इस दौरान पूरा शहर प्रकाश में डूबा होता है। आतिशबाजियों के गगन में विस्तृत पैटर्न्स देख आपकी इन नज़ारों से नज़रें हटाना मुश्किल हो जाएगा।

इसके अलावा बाज़ारों में लोक गीत गाते संगीतकार लैंप की अद्भुत कलाकृतियां माहौल में चाशनी घोलने का काम करेंगी।  बेहतरीन मारवाड़ी व्यंजनों का लुत्फ उठाएं और जयपुर के रास्ते अपने आकर्षक स्थानों पर आकर्षक स्मृति चिन्ह और हस्तशिल्प की खरीदारी करें। उदयपुर की खूबसूरत झीलों के साथ आपको भी प्यार हो जाएगा, जो आतिशबाजी और महलों की रोशनी के साथ चमकती है।

कोलकाता 

सिटी ऑफ़ जॉय नाम से मशहूर कोलकाता पर दिवाली के दौरान ये नाम बिल्कुल सटीक बैठता है। काली पूजा और दिवाली का कॉम्बो जब यहां एक साथ पड़ता हो, तो भला आने वाली खुशियों को कौन रोक सकता है। कोलकाता में देवी काली की पूजा की जाती है और आप मांस, मछली, फूल, और मिठाई सहित देवी को चढ़ाये जाने वाले अनगिनत प्रसाद के साक्षी बन सकते हैं।

पूरा शहर चकाचौंध करने वाले दीयों, मोमबत्तियों और दीपकों से जीवंत हो उठता है, और आप हर कोने पर कुछ अद्भुत आतिशबाजी भी देख सकते हैं। आप शहर के प्रसिद्ध काली पूजा पंडालों का भी भ्रमण कर सकते हैं या कालीघाट मंदिर या दक्षिणेश्वर मंदिर जैसे सबसे बड़े धार्मिक मंदिरों की यात्रा कर सकते हैं, जहाँ देवी काली की पूजा हजारों भक्त करते हैं।

गोवा – 5 tourist place in India 

गोवा दीवाली के दौरान घूमने के लिए एक और अद्भुत जगह है। यह उत्सव नरका चतुर्दशी से शुरू होता है जब लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों को लालटेन से सजाते हैं। स्थानीय लोग पटाखों और घास से भरे कई बड़े आकार के नरकासुर पुतलों का निर्माण करते हैं और फिर अगली सुबह उन्हें जला देते हैं। ये इस उत्सव को और भी हसीं बना देता है। यहां के समुद्री तट, कैसीनो और रेस्तरां या लाउन्ज आपके सेलिब्रेशन में चार चांद लगाने का काम करेंगे।

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थॉमस कुक: कुछ ऐसे अर्श से फर्श पर आई 178 साल पुरानी ट्रेवल कंपनी, दुनियाभर में फंसे हैं 1,40,000 टूरिस्ट

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थॉमस कुक: कुछ ऐसे अर्श से फर्श पर आई 178 साल पुरानी ट्रेवल कंपनी, दुनियाभर में फंसे हैं 1,40,000 टूरिस्ट

Real Story of Thomas Cook in Hindi– अर्श से फर्श पर आई दुनिया की सबसे पुरानी ब्रिटिश टूर और ट्रेवल कंपनी थॉमस कुक अब मार्केट से विलुप्त हो चुकी है। किसी ने सोचा भी न होगा कि इस 178 साल पुरानी कंपनी का रातोंरात शटर डाउन हो जाएगा। करीब डेढ़ अरब पाउंड (13,226 करोड़ रुपये) के कर्ज तले डूबी कंपनी की मदद करने से अब ब्रिटिश सरकार ने भी अपने हाथ पीछे कर लिए हैं। जिसके चलते अब कंपनी में कार्यरत दुनियाभर के 9 हज़ार कर्मचारी पल भर में बेरोज़गार हो गए हैं। साथ ही उन 9 लाख लोगों की खुशियों पर ग्रहण लग गया है जो इस कंपनी से बुकिंग कराकर घूमने निकले हैं। आइये जानें इस सबसे पुरानी ब्रिटिश कंपनी के अब तक के सफर की पूरी कहानी। कैसे जमीं से आसमां पर और फिर आसमां से धरती पर धड़ाम हुई थॉमस कुक?

1841 में रखी गई थी नींव

ये ब्रिटेन की सबसे पुरानी ट्रैवल कंपनी है जिसकी नींव 1841 में एक स्थानीय नागरिक थॉमस कुक द्वारा रखी गई थी। इसकी शुरुआत मार्केट हारबोरफ में की गई थी। ये ऐसी पहली कंपनी थी जिसने परिवार सहित टूर पैकेज का कांसेप्ट रखा। ये कंपनी उस दौरान एक टूरिज्म क्षेत्र में क्रांति लेकर आई थी। रेलवे लाइन के बिछाये जाने के बाद से ही ये ब्रिटेन के दोनों वर्ग कामगार और कुलीन के लिए छुट्टियां बिताने का एक बेहतरीन जरिया बन गई थी। ये समय के साथ धीरे धीरे अपने आकर्षक पैकेजों का दायरा बढ़ा रही थी। 1855 में कंपनी ने लोगों के लिए यूरोप ट्रिप का ऑफर शामिल किया तो वहीं 1866 तक ये पर्यटकों को अमेरिका के सफर पर भी ले चल पड़ी।

1955 में दिया हॉलिडे पैकेज 

कंपनी धीरे धीरे तरक्की की ओर बढ़ रही थी। 1955 में कंपनी अपनी इंटरनेशनल हो गई और दुनिया के अलग अलग शहरों में अपने पांव पसार लिए। उस दौरान कंपनी ने लंदन से पेरिस ट्रिप का एलान किया जिसमें पूरे हॉलिडे पैकेज की पेशकश की गई। थॉमस कुक ऐसी पहली कंपनी बनी जिसने  दर्शकों को टूर कराने से लेकर उनके खाने पीने और रहने के भी इंतज़ामात किये। 1892 में कंपनी के संस्थापक थॉमस कुक के निधन के बाद उनके बेटे जॉन मैसन कुक ने अपने पिता की विरासत को आगे संभाला। जिसके बाद 1928 में ये जिम्मेदारी थॉमस के पोते फ्रैंक और अर्नेस्ट पर आई।  लेकिन इसको संभाल न पाने के चलते उन्होंने इसे बाहरी मालिकों को बेचने का फैसला किया।

1948 में सरकार ने किया अधिग्रहण 

द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद थॉमस कुक की हालत काफी बदतर हो गई थी। लेकिन इसको फिर से पटरी पर लाने के लिए 1948 में इस कंपनी को ब्रिटिश सरकार ने अपने हाथों ले लिया। हालात संवरने के बाद 1972 में फिर ये कंपनी सरकारी से प्राइवेट बन गई। और कंपनी मिडलैंड बैंक, होटलियर ट्रंस्ट हाउस फोर्ट और ऑटोमोबाइल असोसिएशन के हाथों आ गई।

Real Story of Thomas Cook – उस वक़्त ब्रिटेन में मजदूरों की हड़ताल से जहां बाकि कंपनियों की हालत पतली हो गई वहीं थॉमस कुक का ये सारी परेशानियां बाल भी बांका न कर पाईं। धीरे धीरे कंपनी का फिर ग्लोबलाइज़ेशन होना शुरू हुआ। ये कंपनी धीरे धीरे अलग अलग हाथों में ट्रांसफर होती रही। 1992 में  जर्मन कंसोर्टियम के पास तो वहीं 2001 में जर्मन कंपनी C&N टूरिस्टिक एजी को इसकी कमान मिली। जिसके बाद इसका नाम थॉमस कुक एजी में तब्दील हो गया।

2007 में माई ट्रैवल का विलय साबित हुआ आत्मघाती 

2007 में कंपनी ने  यूके बेस्ड पैकेज ट्रैवल कंपनी माइ ट्रैवल से हाथ मिलाया और वहीं से इसके पतन की शुरुआत हुई।  कंपनी पर साल दर साल इतना कर्ज का भार चढ़ता गया कि वो उससे चाह कर भी उबर पाने में नाकामयाब रही। इसके अलावा मार्केट में आई जेट2हॉलिडे से कंपनी को तगड़ा कंपटीशन मिला।

पिछले महीने चीन की एक इन्वेस्टमेंट कंपनी फोसन थॉमस कुक के लिए एक आशा की किरण लेकर आई और 1. 1 अरब डॉलर की रेस्क्यू  डील साइन की। लेकिन ये भी बेअसर रही। इसके अलावा कंपनी को तबाह करने की बची कसर इंटरनेट ने पूरी कर दी। जिसके जरिये लोगों को अन्य कंपनियों से सस्ती हवाई सेवा से लेकर सभी सुविधाएं मद्दे दामों में मिलने लगी। जिसके चलते कंपनी के कस्टमर्स का झुकाव दूसरी कंपनियों की ओर होने लगा।

बंद होने के बाद ऐसे हैं हालात 

Real Story of Thomas Cook  – आख़िरकार थॉमस कुक कंपनी ने खुद को मौत देना ज्यादा सटीक समझा। और अपना शटर डाउन कर लिया। इसके बाद ब्रिटेन में खलबली मच गई है। 22,000 लोगों पर बेरोजगारी का साया मंडरा रहा है। दुनियाभर में 6 लाख यात्री फंसे हुए हैं। जर्मनी में करीब 1,40,000 पर्यटक फंसे हुए हैं। इसके अलावा इन यात्रियों के वापिस लौटने का जरिया अचानक से छूमंतर हो गया है। इन सबको देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने ये साफ़ कर दिया है कि वो ब्रिटेन गए लोगों को तो वापिस ले आएगी लेकिन किसी दूसरे देश कूच करने वाले लोगों को अपना इंतज़ाम खुद करना पड़ेगा।

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Alzheimer Diseases: क्या आपको भी चिड़चिड़ापन और भूलने की है बीमारी?

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Alzheimer Diseases: क्या आपको भी चिड़चिड़ापन और भूलने की है बीमारी?

Alzheimer Disease remedies – आजकल ज्यादातर लोगों में गुस्सा, चिड़चिड़ापन और धीरे-धीरे रोजमर्रा की छोटी-छोटी चीजें भूलने जैसे लक्ष्ण देखने को मिल रहे हैं, अगर आप में भी कुछ ऐसे ही लक्ष्ण है तो इसे हल्के में न ले क्योंकि ये सभी अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. अल्जाइमर और डिमेंशिया से बच ने के लिए आप हेल्दी लाइफ स्टाइल, माइंड मैनेजमेंट और नशे से दूरी जैसे एहतियात बरत सकते हैं.

आपको बता दें कि अल्जाइमर्स डिजीज, डिमेंशिया का ही एक प्रकार है. जैसे डिमेंशिया में मरीज को किसी भी चीज, व्यक्ति या घटना को याद रखने में दिक्कत महसूस होती है, उसी तरह अल्जाइमर्स में भी होता है. जिससे उन्हें अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी मुश्किल महसूस होती है. तो आइए आपको बताते हैं इस मर्ज के अलग-अलग पहलुओं के बारे में…

क्या है अल्जाइमर

अल्जाइमर एक तरह की भूलने की बीमारी है. याददाश्त की कमी होना, बोलने में दिक्कत आना, निर्णय न ले पाना आदि इसके लक्ष्णों में शामिल हैं. इस बीमारी के होने की आशंका तब बढ़ जाती है जब आधुनिक जीवनशैली, रक्तचाप, मधुमेह और सिर में चोट लग जाती है. हालांकि 60 साल की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का अभी तक किसी तरह का कोई सही इलाज नहीं है.

कई बीमारियां भी एक बड़ा कारण

अल्जाइमर होने की कई वजह होती हैं. इसमें सबसे ज्यादा रिस्क उन लोगों को होता है जो पहले से ही डायबिटीज, थायराइड, हाइपरटेंशन और किसी भी तरह की क्रॉनिक डिजीज हो. इतना ही नहीं अव्यवस्थित जीवनशैली जैसे समय से खाना न खाना, शराब, सिगरेट, तनाव, परिवार में किसी की अल्जाइमर होने की हिस्ट्री. इसके अलावा कई पोषण जुड़े फैक्टर जैसे विटामिन B की कमी, अकेलापन, मानसिक तौर पर किसी बीमारी से ग्रसित होना.

अल्जाइमर के खतरे को कम करने में ये मददगार

जिन लोगों में अल्जाइमर के जैसे लक्ष्ण मौजूद है उन्हें गुणों से भरपूर्ण हल्दी का सेवन करना चाहिए. एक शोध ने ये दावा किया है कि भारत में आमतौर पर प्रयोग में लाने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को ठीक करने के साथ-साथ इसके खतरे को कम किया जा सकता है.

लक्षणों पर रखें नजर – Alzheimer Disease remedies

अगर किसी व्यक्ति को अल्जाइमर्स डिजीज का कोई भी एक लक्ष्ण खुद में नजर आता है तो उन्हें जल्द से जल्द विशेषज्ञ डॉक्टर (न्यूरोफिजीशियन या न्यूरो सर्जन) से जरूर सलाह लेनी चाहिए. जिसके बाद डॉक्टर सबसे पहले इसका निश्चित करेंगे कि क्या वास्तव में ये लक्षण डिमेंसिया के ही प्रकार अल्जाइमर्स का है या फिर इसका कोई और कारण है.

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क्या आप भी अपने कमजोर शरीर को ताकतवर और मजबूत बनाना चाहते हैं?, तो आज से शुरू करें इस एक चीज का सेवन

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क्या आप भी अपने कमजोर शरीर को ताकतवर और मजबूत बनाना चाहते हैं?, तो आज से शुरू करें इस एक चीज का सेवन

हर कोई अपने शरीर को मजबूत और ताकतवर बनाने के लिए तरह-तरह के उपायों को अपनाते भी है. जिससे उनका शरीर न केवल मजबूत और ताकतवर बने बल्कि सेहतमंद भी रहे. ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो ये कहे कि हमें कमजोर शरीर पसंद है, लेकिन शरीर को ताकतवर बनाना भी कोई आसान बात नहीं है. वहीं आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं वो आपके शरीर को तो ताकतवर बनाने के साथ-साथ सेहतमंद तो बनाएगा ही इसके अलावा कई बीमारियों से भी दूर करेगा, तो आइए आपको बताते हैं…

ये तो आप जानते ही होंगे की हमारे शरीर को ताकतवर बनाने के लिए दूध बहुत फायदेमंद माना जाता है, लेकिन आज हम आपको जिस एक चीज के बारे में बताने जा रहे हैं वो आपको दूध से भी ज्यादा लाभ पहुंचा सकता है. इसमें कई ऐसे गुन मौजूद है जो शरीर को ताकतरवर, मजबूत और बीमारियों से भी दूर रखता है. हम जिस एक चीज के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वो है सिंघाड़ा. सिंघाड़ा एक ऐसा फल है जो कमजोर से कमजोर शरीर वाले व्यक्ति को भी ताकतवर बना सकता है, सिर्फ जरूरत है तो इसे सही तरीके से खाने की.

आपको बता दें कि सिंघाड़ा का सेवन करने से शुगर, हृदय रोग,अल्सर जैसी बीमारियों में राहत मिलती है. ऐसे लोग जिनका शरीर काफी कमजोर है और वो इससे बहुत परेशान है तो उन्हें अपनी कमजोरी को दूर करने के लिए सिघाड़े के आटे का हलवा बनाकर खाना चाहिए. इसके लिए आप चाहे तो बाजार से सिंघाड़ा का आटा खरीद सकते हैं या फिर आप खुद भी घर में कच्चे सिंघाड़े को सुखाकर पीसवाने के बाद आटा बना सकते हैं. इसके बाद इस आटे का हलवा बनाकर रोजाना सुबह सेवन करें, इस तरह से लगातार कुछ ही दिनों तक करने पर ही आपको अपने शरीर में फर्क नजर आने लगेगा और आपका शरीर ताकतवर और मजबूत बन जाएगा.

पानी में उगने वाला ये सिंघाड़ा हमारे सेहत के लिए पौष्टिकता से भरपूर्ण होता है. जिसका सेवन करने से कई बीमारियों में भी फायदा होता है. इसमें विटामिन E और C, प्रोटीन,  मैग्नीशियम,कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम और फॉस्फोरस जैसे तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं. इतना ही नहीं इसमें दूध से भी अधिक खनिज लवण होते हैं. ये ही वजह है कि इसे ताकतवर और पौष्टिक तत्वों का खजाना भी कहा जाता है.