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मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे इरफान, अब उनकी आखिरी इच्छा भी नहीं कर पाए पूरी…

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मां के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे इरफान, अब उनकी आखिरी इच्छा भी नहीं कर पाए पूरी…

बॉलीवुड ने आज एक अपना बेहद अनमोल रतन खो दिया है. मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल में दिग्गज एक्टर इमरान खान ने आखिरी सांस ली. उन्हें मंगलवार को ही हॉस्पिटल में भर्ती करवाया गया था. जानकारी के मुताबिक Colon Infection के चलते उन्हें अस्पताल ले जाया गया था. वो ICU में भर्ती थे. इरफान की मौत की खबर से पूरे देश में दुख का माहौल है.

2018 में बीमारी के बारे में चला था पता

अपनी दमदार एक्टिंग के जरिए इरफान खान कभी ना मिटने वाली छाप छोड़ कर गए हैं. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक का उनका सफर काफी संघर्षों से भरा रहा. जितनी मेहनत उन्होनें बॉलीवुड में अपनी पहचान बनाने में की है, उतनी ही मेहनत इरफान ने अपनी बीमारी को हराने में भी की है. साल 2018 में इरफान को न्यूरो एंडोक्रायन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी का शिकार हो गए थे. 2 साल तक इरफान ने इस बीमारी के खिलाफ खूब जंग लड़ी और अब वो हारकर दुनिया छोड़ गए.

4 दिन पहले हुआ था मां का निधन

इरफान खान की मौत से चार दिन पहले उनकी मां का भी निधन हुआ था. इरफान की मां साईदा बेगम ने जयपुर में अंतिम सांस ली थी. लॉकडाउन की वजह से वो अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जयपुर नहीं जा पाए थे. इरफान ने वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए मां को अपनी विदाई दी थी. इरफान ना तो अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल हो पाए और ना ही उनकी आखिरी इच्छा पूरी कर पाए.

मां की आखिरी इच्छा भी नहीं हो पाईं पूरी

दरअसल, इरफान खान की मां की आखिरी इच्छा थी कि उनका बेटा मौत से जंग जीतकर घर लौटेंगे और पूरी तरह से ठीक हो जाएं. निधन से पहले इरफान की मां साईदा बेगम ने कहा था कि ‘मेरा बेटा जल्द ही पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएगा और मौत से जंग लड़कर वापस लौटेगा.’ लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. मां के निधन के चार दिन बाद ही इरफान ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया और उनकी मां की ये आखिरी इच्चा पूरी नहीं हो पाईं.

इरफान का जन्म 7 जनवरी 1967 को हुआ था. इरफान ने ना सिर्फ बॉलीवुड बल्कि हॉलीवुड की भी कई फिल्मों में काम किया है. साल 2011 में इरफान को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है. न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर का पता चलने के बाद इलाज के लिए इरफान लंदन चले गए थे. लंबे समय तक वहां पर उनका इलाज चला था. पिछले साल सितंबर के महीने में ही वो इलाज करवाकर वापस लौटे थे. वापस आने के बाद इरफान दोबारा से अपने काम में जुट गए थे. उन्होनें ‘अग्रेंजी मीडियम’ फिल्म की शूटिंग की. उनकी ये फिल्म 13 मार्च को ही रिलीज हुई है, जिसमें इरफान की एक्टिंग लोगों को खूब पंसद आई. ‘अग्रेंजी मीडियम’ इरफान खान की आखिरी फिल्म बन गईं.

चोकसी-माल्या समेत 50 विलफुल डिफॉल्टर्स पर मेहरबान हुआ RBI, 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज किया माफ

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चोकसी-माल्या समेत 50 विलफुल डिफॉल्टर्स पर मेहरबान हुआ RBI, 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज किया माफ

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टर्स (जानबूझकर कर्ज ना चुकाने वाले) के 68,607 करोड़ रुपये का कर्ज को माफ करने की बात स्वीकार कर ली है. इन टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टर्स में हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) का नाम भी शामिल है. ये जानकारी एक RTI आवेदन से सामने आई है.

50 विलफुल डिफॉल्टर्स का नाम शामिल

प्रमुख RTI कार्यकर्ता साकेत गोखले ने टॉप 50 विलफुल डिफॉल्टर्स और 16 फरवरी तक उनके कर्ज की मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए एक RTI आवेदन दाखिल किया था. साकेत गोखले ने बताया कि उन्होनें RTI दाखिल किया था क्योंकि पिछले बजट सत्र के दौरान संसद में 16 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद RTI के माध्यम से RBI से इसका जवाब मांगा गया.

RBI ने बताया है कि कर्ज की ये राशि 30 सितंबर 2019 के आधार पर है, जिसे माफ किया गया है. हालांकि इस दौरान RBI ने सुप्रीम कोर्ट के 16 दिसंबर 2015 के एक फैसले का हवाला देते हुए विदेशी कर्जदारों के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया है.

लिस्ट में मेहुल चोकसी सबसे ऊपर

इन 50 विलफुल डिफॉल्टर्स में सबसे टॉप पर मेहुल चोकसी की भ्रष्टाचार में फंसी कम्पनी गीतांजलि जेम्स लिमिटेड है और उसकी सहयोगी कम्पनियां गिली इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड्स कम्पनी है, जिन पर 8100 करोड़ रुपये बकाया है. इस समय मेहुल चोकसी एंटीगुआ एंड बारबाडोस आईसलैंड का नागरिक है. वहीं उसका भतीजा और भगोड़ा हीरा व्यापारी नीरव मोदी लंदन में है.

इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर संदीप और संजय झुनझुनवाला की कम्पनी आरईआई एग्रो है, जिसने 4,314 करोड़ रुपये का लोन लिया था. कम्पनी के निदेशक एक साल से ज्यादा समय से ED के जांच के दायरे में है.

ये नाम भी शामिल…

वहीं लिस्ट में अगला नाम भगोड़े हीरा कारोबारी जतिन मेहता की विनसम डायमंड्स एंड ज्वेलरी का है. इस पर 4076 रुपये का बकाया है और केंद्रीय जांच ब्यूरो बैंक धोखाधड़ी के मामले में इसकी जांच कर रही हैं. कानपुर की रोटोमैक ग्लोबेल प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी भी इसमें शामिल है, जो मशहूर कोठारी समूह का हिस्सा है. इस पर 2850 करोड़ रुपये बकाया है, ये कम्पनी 2 हजार करोड़ रुपये के लोन वाली श्रेणी में है.

वहीं इसी श्रेणी में अन्य कम्पनियों की बात करें तो इसमें कुडोस कीमी, पंजाब (2326 करोड़ रुपये), बाबा रामदेव और बालकृष्ण की समूह कम्पनी रूचि सोया इंडस्ट्रीज लिमिटेड, इंदौर (2,212 करोड़ रुपये), और जूम डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, ग्वालियर (2,012 करोड़ रुपये) शामिल हैं.

लिस्ट में 18 कम्पनियां ऐसी हैं जो एक हजार करोड़ रुपये के कर्ज वाली श्रेणी में है. इनमें हरीश आर मेहता की फॉरएवर प्रीसियस ज्वेलरी एंड डायमंड्स प्राइवेड लिमिटेड, अहमदाबाद (1962 करोड़ रुपये) और भगोड़ा शराब कारोबारी विजय माल्या की बंद हो चुकी कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस लिमिटेड (1,943 करोड़ रुपये) शामिल हैं.

वहीं 25 कम्पनियां ऐसी भी हैं, जिनके ऊपर एक हजार करोड़ रुपये से कम का लोन बकाया है, जिसमें 65 करोड़ से 984 करोड़ रुपये का लोन है. ये लोन या तो व्यक्तिगत तौर पर लिया गया है या फिर समूह की कम्पनी के तौर पर.

अब ऐसे दिखते हैं ‘उत्तर रामायण’ के लव-कुश, एक कर चुका है कई फिल्मों-टीवी सीरियल में काम तो दूसरे ने चुन लिया अलग रास्ता

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अब ऐसे दिखते हैं ‘उत्तर रामायण’ के लव-कुश, एक कर चुका है कई फिल्मों-टीवी सीरियल में काम तो दूसरे ने चुन लिया अलग रास्ता

लॉकडाउन की वजह से रामायण का दोबारा से टेलीकास्ट किया जा रहा है. 33 साल पहले जितना इस ऐतिहासिक शो को लोगों ने प्यार दिया था, आज भी उतना ही मिल रहा है. रामायण को छप्पर फाड़ TRP मिल रही है. 19 अप्रैल से दूरदर्शन पर रामानंद सागर की रामायण का आखिरी अध्याय ‘उत्तर रामायण’ टेलीकास्ट किया जा रहा है, जिसमें लव-कुश की कहानी दिखाई गई है.

उत्तर रामायण में जिन दो बच्चों ने लव और कुश का रोल निभाया था, अब वो काफी बड़े हो गए हैं. आइए बताते हैं आपको कि उत्तर रामायण में किन दो बाल कलाकारों ने लव-कुश का रोल निभाया था और अब वो दोनों क्या करते हैं.

स्वप्निल ने निभाया का कुश का किरदार

उत्तर रामायण में कुश का किरदार स्वप्निल जोशी ने निभाया है. इस चेहरे से आप अच्छे से वाकिफ होंगे. जब उन्हें रामायण सागर ने इस रोल के लिए कास्ट किया था, तब वो 9 साल के थे. रामायण सागर स्वप्निल को देखकर काफी प्रभावित हो गए थे, उस दौरान उन्हें लगा कि कुश का रोल वहीं निभा सकते है. इस रोल के बाद स्वप्निल की एक्टिंग को लोगों ने खूब सराहा.

उत्तर रामायण में कुश का किरदार निभाने के बाद रामानंद सागर ने उन्हें ‘कृष्णा’ में भी कास्ट किया. कृष्णा के रोल ने स्वप्निल को स्टारडम दिला दिया. स्वप्निल ने इसके बाद कुछ सालों का ब्रेक लिया और बड़े होने के बाद ‘कैंपस’ शो में वापसी की. इसके बाद वो कई टीवी सीरियल में नजर आए. इसके अलावा स्वप्निल ने कई हिंदी फिल्मों में भी काम किया. अब स्वप्निल मराठी फिल्मों का चर्चित चेहरा बन चुके हैं.

मयूरेश ने चुन लिया अलग रास्ता

वहीं बात अब लव की करते हैं. उत्तर रामायण में लव का किरदार मयूरेश क्षत्रदे ने निभाया था. उत्तर रामायण के बाद वो इस इंडस्ट्री में काम करते हुए नजर नहीं आए. मयूरेश विदेश में रह रहे हैं और वो एक प्राइवेट कम्पनी के सीईओ के पद पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा मयूरेश एक अच्छे राइटर है और वो एक किताब भी लिख चुके हैं.

गौरतलब है कि रामायण के री-टेलीकास्ट को देखकर लोग बहुत खुश है. रामायण की टीआरपी सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी ये ऐतिहासिक शो लगातार सुर्खियों में बना हुआ है.

कोरोना संकट की वजह से देशभर में लॉकडाउन है. कोई फिल्म रिलीज नहीं हो रही, सभी टीवी सीरियल की शूटिंग पर भी ब्रेक लगा हुआ है. ऐसे में लोगों के मनोरंजन के लिए कई पुराने सीरियल दोबारा टेलीकास्ट किए जा रहे है. रामायण के अलावा महाभारत, चाणक्य और शक्तिमान जैसे सीरियल ने भी टीवी पर वापसी कर ली. वहीं अब रामानंद सागर का ‘कृष्णा’ भी जल्द ही दिखाया जाएगा.

पहली नजर में ही सचिन पर दिल हार बैठीं थी अंजलि, 5 साल तक चला था दोनों का अफेयर…

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पहली नजर में ही सचिन पर दिल हार बैठीं थी अंजलि, 5 साल तक चला था दोनों का अफेयर…

क्रिकेट के भगवान’ कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर का आज जन्मदिन है. 24 अप्रैल 1973 को जन्मे सचिन आज 47 साल के हो गए है. सचिन ने 1989 से लेकर 2013 तक क्रिकेट में अपना बहुत बड़ा योगदान दिया. उन्होनें सिर्फ 16 साल की छोटी सी उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रख दिया. 24 सालों के अपने क्रिकेट करियर ने ऐसे कई रिकॉर्ड बनाए, जिसे अभी तक कोई भी खिलाड़ी नहीं तोड़ पाया.

सचिन-अंजलि की लव स्टोरी

जितना दिलचस्प उनका क्रिकेट करियर रहा, उतनी ही मजेदार उनकी लवस्टोरी भी है. कैसे एक लड़की से वो एयरपोर्ट से मिले और देखते ही देखते उनकी ये बात शादी तक आ पहुंची. अंजलि उम्र में सचिन से 6 साल बड़ी है. दोनों का अफेयर 5 सालों तक चला और इसके बाद ये दोनों हमेशा के लिए एक हो गए. सचिन के बर्थडे पर आइए आपको बताते हैं उनकी ये रोमांटिक लव स्टोरी के बारे में…

1990 में हुई थी पहली मुलाकात

बात साल 1990 के अगस्त महीने की है. उस वक्त सचिन इंग्लैंड दौरे से वापस लौटे थे. सचिन उस समय काफी चर्चाओं में आ गए थे, क्योंकि उन्होनें सिर्फ 17 साल की उम्र में टेस्ट में शतक जड़ दिया था. सचिन और अंजलि की पहली मुलाकात मुंबई एयरपोर्ट पर मिले थे. उस दौरान अंजलि एयरपोर्ट पर अपनी दोस्त की मां को रिसी करने के लिए गई थी.

उनकी दोस्त ने सचिन को पहचान लिया था. दोस्त ने अंजलि को सचिन के बारे में बताया कि ये वहीं है जिसने इंग्लैंड में सेंचुरी लगाई है. सचिन को देखते ही अंजलि मानो उनके प्यार में पड़ गई. अंजलि सचिन से उनका ऑटोग्राफ लेने के लिए भी उनके पीछे दौड़ी थीं. बता दें कि अंजलि गुजरात उद्योगपति आनंद मेहता और ब्रिटिश सामाजिक कार्यकर्ता एनाबेल मेहता की बेटी थीं. 

सचिन से मिलने के लिए पत्रकार बन गई थी अंजलि

एयरपोर्ट पर सचिन को देखने के बाद अंजलि उनसे बात करना चाहती थी. अपने दोस्तों की मदद से उन्होनें किसी तरह से सचिन का फोन नंबर निकाल लिया और फिर फोन पर बात की. फोन पर बात करने के बाद दोनों के बीच दोस्ती की शुरूआत हो चुकी थी. इसके बाद अंजलि सचिन के घर जाने के लिए एक पत्रकार तक बन गई थी.

इसके बाद दोनों के बीच की मुलकात बढ़ने लगने लगी. जैसे-जैसे समय बीत रहा था सचिन की पॉपुलैरिटी बढ़ने लगी और वो शहर में अंजलि से नहीं मिल पाते थे. ऐसे में वो उनसे मिलने के लिए वहां जाया करते थे जहां अंजलि डॉक्टर की ट्रेनिंग ले रही थीं. 

जब सरदार बने थे सचिन

सचिन और अंजलि की लव स्टोरी से जुड़ा एक और मजेदार किस्सा है. दरअसल, साथ में एक फिल्म देखने के लिए सचिन सरदार तक बन गए थे. ये किस्सा 1992 का है, वो अंजलि के साथ फिल्म ‘रोजा’ देखने के लिए गए थे, उस दौरान उनको कोई पहचान ना ले इसलिए सचिन ने सरदार के कपड़े पहने और दाढ़ी लगाई. हालांकि इंटरवल के बाद लोगों ने उन्हें पहचान लिया था जिसके बाद उन्हें बीच में फिल्म छोड़कर वहां से जाना पड़ा.

1995 में हुई शादी

सचिन काफी शर्मीले है, ये बात तो बहुत लोग जानते होंगे. यही वजह है कि वो अपने परिवार को अंजलि और अपने बारे में बता नहीं पा रहे थे. फिर अंजलि ने ही उनके परिवारवालों को ये बात बताई. इसके बाद साल 1994 में दोनों ने न्यूजीलैंड में सगाई कर ली. उस दौरान सचिन न्यूजीलैंड के दौरे पर थे. इसके बाद 24 मई 1995 को दोनों ने शादी कर ली.

जब टीम में नहीं चुने जाने पर पूरी रात रोए थे विराट कोहली, शेयर किया पुराना किस्सा

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जब टीम में नहीं चुने जाने पर पूरी रात रोए थे विराट कोहली, शेयर किया पुराना किस्सा

कोरोना वायरस की वजह से इस समय देश की रफ्तार थमी हुई है. इसकी वजह से सभी स्पोर्ट्स टूर्नामेंट भी टाल दिए है. लॉकडाउन के चलते इन दिनों सभी खिलाड़ी अपने घरों में ही है और सोशल मीडिया के जरिए अपने फैन्स के साथ जुड़ रहे है. कई खिलाड़ी कोरोना वायरस को लेकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं तो कुछ ऑनलाइन चैट के जरिए अपने किस्से शेयर कर रहे हैं.

हाल ही में भारतीय कप्तान विराट कोहली भी अपनी पत्नी अनुष्का शर्मा के साथ एक ऑनलाइन सेशन का हिस्सा बने थें, जहां उन्होनें छात्रों के साथ बातचीत करके उनका हौसला बढ़ाया. इस दौरान विराट ने अपने करियर और जिंदगी से जुड़े कई दिलचस्प बाते शेयर की. उन्होनें इस दौरान ये भी बताया कि एक बार जब दिल्ली की टीम में उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया था, तो वो पूरी रात बहुत रोए थे और कोच के कई बार ये सवाल किया कि अगर उन्होनें अच्छा खेला, तो उनका सेलेक्शन क्यों नहीं हुआ.

विराट कोहली ने कहा- ‘जब मेरा सेलेक्शन नहीं हुआ था तो मैं बहुत परेशान हो गया था और पूरी रात रो रहा था. मुझे ये समझ नहीं आ रहा था कि जब मैनें अच्छा प्रदर्शन किया तो मेरा सेलेक्शन क्यों नहीं हआ. मैनें अपने कोच से 2 घंटे तक ये सवाल पूछा कि मेरा सेलेक्शन क्यों नहीं हुआ, लेकिन बाद में मैनें वापसी की और टीम में अपनी जगह बनाई.

इस ऑनलाइन सेशन में विराट ने ये भी बताया कि अनुष्का के उनकी जिंदगी में आने के बाद क्या-क्या बदलवा आए. कोहली ने कहा कि अनुष्का के आने के बाद मैं शांत रहना सीख गया हूं. मुझे पहले गुस्सा बहुत जल्दी आता था, लेकिन अब मैनें धैर्य करना सीख लिया है.

विराट ने आगे कहा कि मैनें अनुष्का को देखकर हालात के मुताबिक खुद को संभालना सीखा. मुझे उनसे बहुत प्रेरणा मिलती है. हमने एक-दूसरे से बहुत कुछ सीखा. अपने अहंकार पर काबू कैसे पाना है और मुश्किल वक्त में शांत कैसे रहना है, ये सब मैनें उन्हीं से सीखा है.’

गौरतलब है कि विराट और अनुष्का लॉकडाउन का ये समय एक-दूसरे के साथ बिता रहे हैं. इस दौरान वो फैन्स के साथ अपनी कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, जो जमकर वायरल हो रही है.

भारत की Hydroxychloroquine टैबलेट का विश्व हुआ मुरीद, जानें इससे पहले कब कब मेडिकल क्षेत्र में हुई वाहवाही

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भारत की Hydroxychloroquine टैबलेट का विश्व हुआ मुरीद, जानें इससे पहले कब कब मेडिकल क्षेत्र में हुई वाहवाही

विश्वभर समेत भारत भी कोरोना संकट से जूझ रहा है. कोरोना से निपटने की भारत की तैयारियों की WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने सराहना भी की है. इसी बीच एक और उपलब्धि है जिसकी वजह से भारत दुनिया का चहेता बन गया है. और ये चमत्कार भारत के मेडिकल सेक्टर की बदौलत हुआ है. जिसकी बनाई गई हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) टैबलेट की तेजी से विश्व भर में मांग बढ़ रही है. दरअसल रिसर्च में ये सामने आया है कि मलेरिया जैसी बीमारी में खायी जाने वाली दवा कोरोना जैसे घातक वायरस से भी लड़ने में कारगर है. लेकिन जान लीजिये ऐसा काफी बार हुआ है जब चिकित्सा क्षेत्र में पूरी दुनिया हमारे देश की मुरीद हुई है. आइये देखें कब कब.

न्यूरोसर्जरी

न्यूरोसर्जरी के क्षेत्र में भारत ने ऐसी टेक्नॉलोजी विकसित की जिसको विश्वभर के डॉक्टरों ने ख़ुशी ख़ुशी अपनाया है. मुंबई के केईएम हॉस्पिटल में काम करने वाले एक न्यूरोसर्जन अतुल गोयल को ये आईडिया आया जिसे बेसिलर इनवेजिनेशन के इलाज में अपनाया गया. ये एक खोपड़ी से संबंधित बीमारी है. अब मुंह की जरिये की जाने वाली सर्जरी की जगह डॉक्टर गोयल की ये तकनीक यूज़ की जाती है.

टीबी की तेज जांच

फरीदाबाद के ट्रांसलेश्नल हेल्थ साईंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट के साइंटिस्ट और दिल्ली एम्स ने मिलकर एक ऐसा सिस्टम बनाया जिससे फेफड़ों और आसपास के अंगों में ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) के इंफेक्शन के पता जल्दी लगाया जा सकता है. इससे पहले इस टेस्टिंग में काफी देरी लगती थी और एंटीबाडीज के इस्तेमाल से इंफेक्शन का पता लगता था.

आटिज्म जांच

आटिज्म एक ऐसी बीमारी है जिससे व्यक्ति का मानसिक विकास रुक जाता है. लेकिन चंडीगढ़ के एक हॉस्पिटल ने एक ऐसा उपकरण इजाद किया जिससे इस बीमारी का पता शुरुआती स्टेज में ही लगाया जा सकता है. ये टूल शहर के गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल द्वारा इजाद किया गया. इस टूल जा नाम चंडीगढ़ आटिज्म स्क्रीनिंग इंस्ट्रूमेंट (CASI) है और इसे आटिज्म की स्क्रीनिंग में काफी मददगार पाया गया है.

आंख की सर्जरी

2007 में चिकित्सा के क्षेत्र में एक नया अध्याय ग्लू से आंख की सफल सर्जरी ने जोड़ा. इसके तहत फिब्रिन ग्लू के इस्तेमाल से आंख की सफल सर्जरी की गई. इस तकनीक में ग्लू से ही एक व्यक्ति की आंखों के सामने पूरे पार्ट का ट्रांसप्लांट का दिया. इस सर्जरी को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान द्वारा किया गया था.

डायबिटीज के लिए सर्जरी

डॉक्टर रमन गोयल और डॉक्टर सुरेन्द्र उगाले ने सर्जरी से डायबिटीज के इलाज का रास्ता साफ़ कर दिया. इलियल ट्रांसपोजिशन मेथड की इस सर्जरी से डॉक्टर मरीज के पेट के पास की टर्मिनल इलियम शिफ्ट कर देते हैं. इससे अनपचे भोजन की मौजूदगी में इन्सूलीन बनने लगता है.

लॉकडाउन, क्वॉरंटाइन, पीपीई…कोरोना काल में खूब बोले जा रहे हैं कुछ शब्द, जान लें मतलब

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लॉकडाउन, क्वॉरंटाइन, पीपीई…कोरोना काल में खूब बोले जा रहे हैं कुछ शब्द, जान लें मतलब

दुनिया भर में अगर यूं कह लें कि कोरोना काल चल रहा है, तो ये कहना बिलकुल भी गलत नहीं होगा. हर रोज़ इस वायरस से जुड़ी तमाम खबरें आपके सामने आती हैं. जिसके चलते इससे जुड़े कुछ ऐसे नए शब्द आम बोलचाल के समय इस्तेमाल होने लगे हैं. जिनका शायद इससे पहले अर्थ भी नहीं पता होगा. ऐसा भी हो सकता है कि इससे पहले शायद ये शब्द आपने कभी सुने ही न हों. अगर अभी भी इन शब्दों को लेकर आके दिमाग में कंफ्यूज़न है तो परेशान न हों, इन सभी शब्दों का मतलब साफ़ सरल भाषा में हम आपको समझायेंगे. जिसके बाद इन शब्दों का मतलब आप अपने दिमाग से भुलाए नहीं भूल पायेंगे.

लॉकडाउन

lockdown

दुनिया भर में कई देशों ने कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन का रास्ता अपनाया है. भारत भी उन में से एक हैं. 24 मार्च की रात 8 बजे पीएम मोदी ने 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी. लॉकडाउन भी कर्फ्यू जैसा ही होता है. इसमें आपको घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी जाती है. इसमें बस जरूरी सेवाओं और जरूरी काम के लिए आप घर से बाहर निकल सकते हैं. हालांकि इसमें कर्फ्यू जितनी सख्ती नहीं होती है.

आइसोलेशन/सोशल डिस्टैंसिंग

social-distancing

आईसोलेशन का मतलब है खुद को दूसरों से अलग रखना जबकि सोशल डिस्टेंसिंग का अर्थ है दूसरों से दूरी बनाकर रखना. ये उन बिमारियों से लड़ने में काफी कारगर होता है जो संक्रमण फैलाने वाली होती है. भीड़भाड़ में रहने से ये बीमारी फैलने का खतरा ज्यादा रहता है. आईसोलेशन का मतलब खुद को अकेले कहीं कैद कर लेना ताकि कोई आ जा न सके. सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब होता है कि आप लोगों से एक निश्चित दूरी बनाएं रखें.

जनता कर्फ्यू

ये शब्द पहली बार 19 मार्च 2020 में लोगों के बीच आया, और आते ही हर की जुबान पर चढ़ गया. पीएम मोदी ने कोरोना से लड़ने के लिए 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू का आह्वान किया था जिसका समय सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक था. हालांकि जनता कर्फ्यू और कर्फ्यू में फर्क होता है, कर्फ्यू प्रशासन द्वारा जबरन लगाया जाता है. इस दौरान इंसान को जरूरी काम के लिए घर से बाहर निकलने की अनुमति होती है. अगर कर्फ्यू का उल्लंघन किया तो आप पर कार्रवाई भी हो सकती है. जबकि जनता कर्फ्यू स्वेच्छा से होता है. इसके बाहर निकलने पर आपको कोई सजा नहीं हो सकती.

क्वॉरंटाइन

quarantine

क्वॉरंटाइन का मतलब होता है किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से पीड़ित को कुछ समय के लिए अलग रखा जाना ताकि ये बीमारी दूसरों में न फ़ैल पाए. बीमारी रोकने के लिए क्वॉरंटाइन सख्ती से किया जाता है. आइसोलेशन और क्वॉरंटाइन में यही फर्क है. आइसोलेशन अपनी मर्जी से भी हो सकता है और जबरन भी लेकिन क्वॉरंटाइन जबरन होता है.

पीपीई

PPE का अर्थ होता है Personal protective equipment या व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण. किसी इंसान के शरीर को जख्म या संक्रमण से बचाने के लिए तैयार किए गए कपड़े, हेलमेट, चश्मा या किसी अन्य कपड़ा या उपकरण को पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट कहा जाता है. जैसे अभी कोरोना से बचने के लिए मास्क, सैनिटाइजर आदि का इस्तेमाल किया जा रहा है. तो ये सभी उपकरण पीपीई के अंतर्गत आते हैं.

3 साल की उम्र में इस लड़की ने निभाया था ‘जय श्री कृष्णा’ में नन्हे कान्हा का रोल, सालों बाद अब दिखतीं है ऐसी…

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3 साल की उम्र में इस लड़की ने निभाया था ‘जय श्री कृष्णा’ में नन्हे कान्हा का रोल, सालों बाद अब दिखतीं है ऐसी…

कोरोना संकट की वजह से देशभर में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू है. लॉकडाउन के चलते सभी फिल्मों और सीरियल की शूटिंग रुकी हुई है, ऐसे में इन दिनों सभी चैनल पुराने सीरियल दिखाने को मजबूर है. लॉकडाउन की वजह से टीवी पर एक बार फिर से रामायण, महाभारत जैसे कई ऐतिहासिक शो ने वापसी की. साथ ही लोगों ने इस शो पर खूब पंसद भी किया.

इसके अलावा इन दिनों कलर्स चैनल पर ‘जय श्री कृष्णा’ का भी री-टेलीकास्ट किया जा रहा है. इस सीरियल में नन्हे कान्हा का किरदार हर किसी को खूब भाया. वो अपनी प्यारी-सी मुस्कान से लोगों को कायल कर देते थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ‘जय श्री कृष्णा’ प्यारे से कान्हा का रोल किसने निभाना है? आइए हम आपको बताते हैं…

धृति भाटिया ने निभाया था किरदार

कलर्स टीवी के मशहूर सीरियल ‘जय श्री कृष्णा’ में धृति भाटिया नाम की लड़की ने इस रोल को निभाया था. जी हां, 3 साल की उम्र में धृति ने इस रोल को काफी अच्छे से निभाया था. श्री कृष्ण के बालरूप का किरदार निभाने वाली धृति को लोगों ने खूब पंसद किया था और अब जब इस शो का दोबारा से चैनल पर इस शो को दिखाया जा रहा है, तब भी लोग उसे उतना ही पंसद कर रहे है.

अब दिखती हैं ऐसी…

साल 2018 में धृति ने इस रोल को निभाया था और अब वो काफी बड़ी हो गई है कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो रहा है. अब भी धृति काफी क्यूट लगती है. सोशल मीडया प्लेटफॉर्म पर धृति के नाम एक अकाउंट है, जो वेरिफाइड नहीं है उस पर उनकी कई सारी फोटोज है. इन तस्वीरों में धृति बहुत प्यारी लग रही है.

बता दें कि ये सीरियल ‘श्री कृष्णा’ का रीमेक था, जिसे रामानंद सागर के बेटे मोती सागर ने बनाया. ये सीरियल 12 साल पहले आया था. जय श्री कृष्णा के अलावा भी धृति ने कई और सीरियल में काम किया है. वो स्टार प्लस के फेमस सीरियल ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ और ‘माता की चौकी’ में भी नजर आईं है. इन दिनों वो अपनी पढ़ाई में बिजी है.

धृति के पिता गगन भाटिया एक बिजनेसमैन हैं, तो वहीं उनकी मां पूनम भाटिया एक्ट्रेस होने के साथ कोरियोग्राफर भी है. धृति भी अपनी मां की ही तरह डांस कोरियोग्राफर बनना चाहती हैं, इसलिए वो क्लासिकल डांस सीख रहीं है.

April Fool Special: इन देशों में ऐसे मनाया जाता है लोगों का मजाक, किस्से सुन छूट जायेगी हंसी

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April Fool Special: इन देशों में ऐसे मनाया जाता है लोगों का मजाक, किस्से सुन छूट जायेगी हंसी

1 अप्रैल के दिन को मूर्ख दिवस के रूप में कई देशों में मनाया जाता है. हर देश में मूर्ख दिवस को लेकर अलग अलग प्रथाएं हैं और लोगों के इस फेस्टिवल को अलग अलग तरीके से सेलिब्रेट करने के तरीके हैं. ऐसे में जानते हैं कि आखिर इसकी शुरुआत कहां से हुई और कब की गई.

ये कहानियां भी प्रचलित

इतिहास पर नज़र डाली जाए, तो 1 अप्रैल के दिन कई फनी घटनाएं हुई जिसके चलते इस दिन को अप्रैल फूल डे के तौर पर मनाया जाने लगा. कहा जाता है कि अप्रैल फूल्स डे (मूर्ख दिवस) की शुरुआत फ्रांस में 1582 में उस वक्त हुई, जब पोप चार्ल्स 9 ने पुराने कैलेंडर की जगह नया रोमन कैलेंडर शुरू किया. वहीं 1539 में फ्लेमिश कवि ‘डे डेने’ ने एक अमीर आदमी के बारे में लिखा, जिसने 1 अप्रैल को अपने नौकरों को मूर्खतापूर्ण कार्यों के लिए भेजा था. ऐसी ही कई अन्य कहानियां भी प्रचलित हैं.

डेनमार्क में इस दिन बनाया जाता है मूर्ख दिवस

ईरानी फारसी नववर्ष के 13वें दिन एक-दूसरे पर तंज कसते हैं, यह 1 या 2 अप्रैल का दिन होता है.  अप्रैल फूल की कहानियों की तरह इसे मनाने के तरीके भी काफी अलग अलग हैं. फ्रांस, इटली, बेल्ज‍ियम में कागज की मछली बनाकर लोगों के पीछे चिपका दी जाती है और मजाक बनाया जाता है. डेनमार्क में 1 मई को यह मनाया जाता है और इसे मज-कट कहते हैं. वहीं स्पेनिश बोलने वाले देशों में 28 दिसंबर को अप्रैल फूल मनाया जाता है, जिसे डे ऑफ होली इनोसेंट्स कहा जाता है.

हिलारिया त्यौहार से भी किया जाता है लिंक

कुछ लोग मानते हैं कि इंग्लैंड के राजा रिचर्ड द्वितीय की एनी से सगाई के कारण अप्रैल फूल डे मनाया जाता है. कुछ लोग इसे हिलारिया त्यौहार से भी जोड़ कर देखते हैं. हिलारिया एक त्यौहार है जो प्राचीन काल में रोम में मनाया जाता था. इस त्यौहार में देवता अत्तिस की पूजा होती थी. हिलारिया त्यौहार में उत्सव का भी आयोजन किया जाता था. इस उत्सव के दौरान लोग अजीब-अजीब कपड़े पहनते थे. साथ ही मास्क लगाकर तरह-तरह के मजाक करते थे. उत्सव में होने वाली इस गतिविधि के कारण ही इतिहासकारों ने इसे अप्रैल फूल डे से जोड़ दिया.

ना ही मरता और ना ही है कोई जिंदा जीव, जानिए कोरोना वायरस से जुड़ी खास बातें…

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ना ही मरता और ना ही है कोई जिंदा जीव, जानिए कोरोना वायरस से जुड़ी खास बातें…

दुनियाभर में कोरोना वायरस का कहर बरकरार है, इसका इलाज ढूंढ़ने के लिए दुनिया के तमाम विज्ञानिक व्यस्त हैं, लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है, इस जानलेवा वायरस का हल अभी तक सिर्फ ये ही है कि आप खुद का ध्यान रखें और घर में ही रहें.

हालांकि, कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी द्वारा कुछ अहम तथ्य शेयर किए गए हैं. जिनमें इस वायरस से जुड़ी खास जानकारियां, इससे बचने का तरीका और क्या-क्या नहीं करना चाहिए ये सभी बताया गया है, आइए आपको भी बताते हैं…

न मरता है और न ही जिंदा जीव है

कोरोना वायरस किसी तरह का कोई जिंदा जीव नहीं है और ना ही ये मरता है, लेकिन हां ये एक प्रोटीन मॉलीक्यूल (DNA) है. जो कि लिपिड (वसा या फैट) की परत से घिरा है. इसे जब नाक या आंख या बुक्कल म्यूकोसा (एक तरह का मुख कैंसर) की सेल्स से सोखा जाता है तो ये इनके जेनेटिक कोड में बदलाव कर आक्रामक और मल्टीप्लायर सेल्स में बदल देता है.

वसा की परत

सिर्फ एक चीज जो इससे बचाती है वो उसकी पतली बाहरी परत या फिर फैट है. इसलिए डिटर्जेंट या साबुन इसका सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि फोम फैट या वसा को काटता है. ऐसे में आपको अपने हाथों को 20 सेकेंड्स या उससे ज्यादा समय के लिए रगड़कर धोना चाहिए जिससे काफी सारा झाग बने.

इसके अलावा आपको ज्यादा गर्म पानी से अपने हाथ, कपड़ों और अन्य दूसरी चीजों को धोना चाहिए. बता दें कि गर्म पानी से ज्यादा से ज्यादा झाग बनता है और ये अधिक कारगर साबित होता है.

सतह पर चिपक जाता है

भूलकर भी इस्तेमाल किए हुए कपड़े या फिर बिना इस्तेमाल किए हुए कपड़ों को न झटकें. वो बात अलग है कि ये पोरस (सरंध्र) सतह पर चिपकता है और फैब्रिक और पोरस चीजों पर 3 घंटे के बाद खत्म होता है. चार घंटों तक ये कॉपर की सतह पर रहता है. ऐसा इस वजह है क्योंकि इसकी नमी इन पदार्थों पर सूखती है.

वायरस का प्रोटीन

आपको बता दें कि वायरस मॉलीक्यूल काफी ठंड होने पर बहुत समय तक रहता है. साथ ही ये बहुत देर तक घर और कार में लगे एयर कंडीशनर्स पर भी टिक रह सकता है. ये स्किन कैंसर और झुर्रियां कर सकता है. हालांकि ये वायरस स्वस्थ त्वचा में नहीं जा सकता है.

इसलिए ध्यान रहे आपको अपने हाथों को बार-बार धोना चाहिए. इसके बाद हाथों को नम करें, क्योंकि मॉलीक्यूल माइक्रो क्रैक्स में छिप सकते हैं. इसके अलावा अपने नाखून को छोटे ही रखें, जिससे कि इनमें वायरस न छिप सके.