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आखिर क्या है जानलेवा कोरोना के नामकरण की कहानी? यहां देखें

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आखिर क्या है जानलेवा कोरोना के नामकरण की कहानी? यहां देखें

कोरोना वायरस ने दुनिया में हाहाकार मचा रखा है. विश्व भर में इस जानलेवा वायरस ने लोगों की जिंदगी की रफ़्तार थाम दी है. इस की रोकथाम के लिए मेडिकल एक्सपर्ट्स कोरोना के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने में जुटे हैं. करीब 16,000 जानें ले चुके कोविड19 नाम के इस वायरस के बारे में मौजूदा समय हर कोई जानना चाहता है. रोजाना घरों में कैद लोग इससे जुड़े तमाम सवाल गूगल पर सर्च करते हैं. किसी को कोरोना के लक्षण के बारें में जानना है तो कोई इसके इलाज के बारे में पता लग रहा है.

क्यों दिया गया कोविड19 नाम ?

चीन के वुहान में दिसंबर 2019 में कोरोना का पहला मामला सामने आया था. शुरुआत में इसे कोरोना वायरस फैमिली के विस्तार के रूप में जाना जाने लगा. वैज्ञानिकों ने आखिरकार इस विस्तार का नामकरण कर दिया और इसे 2019-nCoV नाम दिया गया. 2019 इसका पैदा होने का साल था इसलिए नाम के साथ 2019 जोड़ा गया. ये वायरस नया है, इसका कोई पुराना इतिहास नहीं है इसलिए इसे नोवेल बुलाया गया. ये वायरस कोरोना फैमिली का है जिसे CoV के नाम से डिनोट किया गया है.

चीन के नाम को कलंकित न करने का उद्देश्य

WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) के चीफ ने बताया कि कोरोना का नामकरण करने का मकसद ये भी था ताकि विशेष रूप से इससे किसी देश का नाम कलंकित न हो. उन्होंने कहा, “भविष्य में किसी भी तरह के कोरना वायरस का मामला आता है तो वह उसके लिए स्टैंडर्ड फॉर्मैट होगा.” दरअसल चीन में इसका पहला मामला सामने आने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ‘चीनी वायरस’ करार दिया था. जिसके बाद WHO और यूनिसेफ से उन्हें कड़ी फटकार सुननी पड़ी थी. इन संस्थाओं ने कहा था कि किसी वायरस की कोई नागरिकता नहीं होती और किसी देश को कलंकित नहीं किया जाना चाहिए.

लील चुका है 16,000 जिंदगियां

पूरी दुनिया में अब तक कोरोना से 384,453 लोग संक्रमित हैं. जिनमें करीब 16,591 लोगों की मौत हो गई है. इसमें 102,536 लोग ठीक हो चुके हैं. इसमें से 12,079 पेशेंट्स की स्थिति गंभीर है.

इस बड़ी वजह से इमरान हाशमी की पत्नी उन्हें मानती हैं ‘अनलकी’, कारण जानकर हैरान हो जाएंगे आप!

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इस बड़ी वजह से इमरान हाशमी की पत्नी उन्हें मानती हैं ‘अनलकी’, कारण जानकर हैरान हो जाएंगे आप!

हिन्दी सिनेमा के सीरियल किसर (Serial kisser) नाम से प्रसिद्ध इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) आज अपना 41वां जन्मदिन मना रहे हैं. अपनी पत्नी परवीन और बेटे से काफी प्यार करने वाले इमरान असल जीवन में एक परिवारिक व्यक्ति हैं, लेकिन क्या आपको इस बात की जानकारी है कि इमरान की पत्नी उन्हें अशुभ मानती हैं. आइए आपको बताते हैं कि परवीन, इमरान को अनलकी क्यों मानती है…

आपको बता दें कि इमरान ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि परवीन, अपने पसंदीदा गेम ‘पोकर’ के लिए उनको अशुभ मानती हैं. इंटरव्यू के दौरान इमरान ने कहा था कि “मैंने कभी भी पोकर नहीं जीता, मगर मेरी पत्नी इस गेम में माहिर हैं और वो जब भी अपने दोस्तों के साथ पोकर खेलती हैं तो वो मुझे अपने आसपास नहीं आने देती है क्योंकि वो मुझे इस खेल में खुद के लिए अशुभ मानती हैं.”

आपको बता दें कि साल 2002 में इमरान ने अपने करियर की शुरुआत बतौर सहायक निर्देशक में प्रदर्शित विक्रम भट्ट की फिल्म ‘राज’ से की थी. वहीं, उन्होंने बतौर अभिनेता अपने करियर की शुरुआत साल 2003 में रिलीज हुई फिल्म ‘फुटपाथ’ से की. वो बात अलग है कि इस फिल्म ने खास कमाल नहीं किया, लेकिन इमरान की एक्टींग लोगों को काफी पसंद आई.

इसके बाद साल 2004 में इमरान हाशमी को फिल्म ‘मर्डर’ में काम करने का मौका मिला, जिसके बाद से उन्हें लोगों के बीच काफी पसंद किया जाने लगा. इस फिल्म में इमरान हाशमी की जोड़ी मल्लिका शेहरावत के साथ लोगों को काफी पसंद आई और बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई.

फिल्म ‘मर्डर’ से सफलता मिलने के बाद इमरान की एक नई पहचान फिल्म इंडस्ट्री में किसिंग किंग के तौर पर बन गई. जिसके बाद फिल्मकारों ने उनकी इसी पहचान को अपनी-अपनी फिल्मों में जोड़ना शुरू कर दिया. इसी दौरान साल 2005 में रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म ‘आशिक बनाया आपने’ में इमरान हाशमी और तनु श्री दत्ता के बीच कई बोल्ड और किंसिग सीन्स को फिल्माए गया.

अगर बात करें इमरान हाशमी की आने वाली फिल्मी की तो बता दें कि ये जल्द ही फिल्म ‘चेहरे’ में नजर आने वाले हैं. इसके अलावा इस फिल्म में लीड रोल अभिनेता अमिताभ बच्चन निभाते नजर आएंगे.

अब WhatsApp देगा हर फर्जी खबर की जानकारी, जल्द लॉन्च होगा ये खास फीचर!

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अब WhatsApp देगा हर फर्जी खबर की जानकारी, जल्द लॉन्च होगा ये खास फीचर!

आज के समय ज्यादातर लोग व्हाट्सएप (WhatsApp) का इस्तेमाल करते हैं. चाहे कोई वीडियो शेयर करनी हो या फोटो इसकी मदद से दुनियाभर में अपने दोस्त या संगे संबंधियों को शेयर कर दिया जाता है. इतना ही इसमें कॉलिंग जैसी सुविधा के अलावा अन्य भी कई फीचर्स उपलब्ध हैं.

वहीं, व्हाट्सएप भी अपने ग्राहकों को ध्यान में रखते हुए और उनके अनुभव को बेहतर करने के लिए तरह-तरह के कई नए फीचर्स पेश करता रहता है. हाल ही में कंपनी ने अपना एक नया फीचर डार्क मोड (Dark Mode) लॉन्च किया है. इस मोड को स्टेबल वर्जन में रोलआउट किया गया है.

वहीं, अब कंपनी एक और नए फीचर पर कार्य कर रही है. खबरों के अनुसार सर्च मैसेज ऑन दी वैब (Search Messages on the Web) के नाम से इस फीचर को पेश किया जाएगा. इसे गूगल बीटा प्रोग्राम के तहत देखा गया है. वो बात अलग है कि अभी इस फीचर को WhatsApp Web के लिए ही टेस्ट किया जा रहा है. हालांकि ये ऑपशन सिर्फ Frequently Forwaded Message के सामने ही दिखाई देगा.

WABetaInfo पर दी गई जानकारी की मानें तो इस फीचर को अभी सिर्फ WhatsApp Web के लिए ही टेस्ट कर रहे हैं. जिसका नाम Search Messages on the Web बताया जा रहा है. इस फीचर के जरिए आप ये चेक कर पाएंगे कि जो मैसेज आपके पास आया है वो फेक तो नहीं है. इस फीचर्स के तहत चेक करने के लिए मैसेज के बराबर में एक सर्च बटन दिखाई देगा.

WABetaInfo की मानें तो जब भी कोई आपको मैसेज फॉरवर्ड करेगा तो उस मैसेज के सामने सामने एक सर्च आइकन बनकर आएगा. उस पर टैप करने पर आपको उसमें लिखा देखेगा कि क्या आप ये मैसेज वेब पर सर्च करना चाहते हैं.  आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये फीचर फिलहाल डेवलपमेंट स्टेज पर है. कहा जा रहा है कि इसे जल्द ही यूजर्स के बीच लॉन्च किया जा सकता है.

कोरोना वायरस से संक्रमित सिंगर कनिका कपूर इसलिए करना चाहती थीं आत्महत्या, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान!

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कोरोना वायरस से संक्रमित सिंगर कनिका कपूर इसलिए करना चाहती थीं आत्महत्या, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान!

हाल ही में प्रसिद्ध सिंगर कनिका कपूर (Kanika Kapoor) में कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया, जिसके बाद से वो खूब सुर्खियों में हैं. जहां एक तरफ उन पर कई लोगों को बिमार करने का आरोप है तो वहीं, पीजीआई के डॉक्टर्स उनके नखरों से काफी परेशान हैं. उनके अनुसार कनिका अस्पताल में खुद को आम मरीजों की तरह नहीं बल्कि एक सेलिब्रिटी ही समझती हैं.

हाई-फाई स्टैंडर्ड दिखाने वाली कनिका कपूर भले ही आज फिल्मी दुनिया में अपनी एक बड़ी पहचान बना चुकी हैं, लेकिन क्या आपको ये जानकारी है कि एक समय ऐसा भी था जब उनके पास अपने बच्चों की स्कूल की फीस भरने के भी रुपए नहीं थे. इतना ही नहीं उन्होंने आत्महत्या भी करनी चाही थी. जी हां, ये जानकर भले ही आपको हैरानी हो रही होगी लेकिन ये सच है. आइए आपको पूरा मामला विस्तार से बताते हैं…

लखनऊ में जन्मी सिंगर कनिका कपूर की शादी 18 साल की उम्र में ही हो गई थी. साल 1997 में वो अपने पति राज चंडोक समेत लंदन में रहने के लिए चली गईं. उस दौरान न तो उन्हें सिंगिंग (Singing) के क्षेत्र में कामयाबी हासिल हो रही थी और न ही उनका रिश्ता चल पाया. तीन बच्चों की मां बनने के बाद उनका तलाक हो गया और फिर वो वापस देश आ गईं.

तलाक होने के बाद कनिका पर तीनों बच्चों की जिम्मेदारी आ गई, ऐसे में न अपने बच्चों का पालन-पोषण करने से लेकर पढ़ाने-लिखाई का खर्चा उनके सिरे था और इन सभी खर्चों के लिए पैसों का होना बेहद जरूरी भी था. इसलिए वो लगातार संगीत के क्षेत्र में संघर्ष करती रही, लेकिन कहीं से किसी भी तरह की कुछ उम्मींद हाथ न लगने पर वो बेहद निराश हो गई थीं.

आत्महत्या करना चाहती थी कनिका

तलाक होने के कारण कनिका पहले से ही डिप्रेशन में थीं. इसी दौरान जब उन्हें पता चला की फीस न भरने की वजह से उनके बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया है तो ये जानकर वो पूरी तरह से टूट चुकी थी. इन्हीं सब चीजों से परेशान आकर उन्हें आत्महत्या करने का फैसला लिया था. वो बात अलग है कि परिवार वालों के काफी समझाने पर वो शांत हुईं.

2014 में आए गाने ने बदली कनिका की जिंदगी

साल 2014 में कनिका कपूर ने फिल्म ‘रागिनी एमएमएस 2’ का गाना ‘बेबी डॉल’ गया था, जिसके बाद से वो न केवल प्रसिद्ध हुई बल्कि उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया. वहीं, अब कोरोना वायरस जैसी बढ़ी बीमारी से वो लड़ रही हैं.

48 साल पहले भी थमी थी रेलवे की रफ़्तार, सेना बुलाने की आ पड़ी थी नौबत

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48 साल पहले भी थमी थी रेलवे की रफ़्तार, सेना बुलाने की आ पड़ी थी नौबत

भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए रेलवे ने सभी ट्रेनें कैंसल कर दी हैं, 31 मार्च की रात 12 बजे तक कोई भी ट्रेन नहीं चलेगी. ये कदम सोशल डिसटेंसिंग मेंटेन करने के लिए उठाया गया है. मालगाड़ियों के अलावा सभी ट्रेन रद्द हो चुकी हैं. देखा जाए तो पूरे देश में लॉक डाउन की स्थिति आ चुकी है. रेलवे के इस फैसले जॉर्ज फर्नांडिस के नेतृत्व में 1974 की याद दिला दी जब रेलवे में हुई हड़ताल से पूरे देश की रफ़्तार थम गई थी.

ये थी हड़ताल की वजह

दरअसल हड़ताल रेल कर्मचारियों की सैलरी न बढ़ाने की वजह से हुई थी. दरअसल उस दौर में तीन वेतन आयोग लागू हुआ था लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों की सैलरी में कुछ ख़ास इजाफा नहीं किया गया था. इसके अलावा हड़ताल की दूसरी वजह काम के घंटों की मांग कम करने की थी. 1973 में जॉर्ज फ़र्नांडिस आल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन के अध्यक्ष बने थे. इन्हीं के नेतृत्व में 8 मई 1974 में रेल कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू की थी. दरअसल उस दौरान रेलवे स्टाफ को लगातार काम करना पड़ता था. जिस वजह से वो चाहते थे कि उनके काम करने के घंटे घटाए जायें.

15 लाख लोग हुए थे शामिल

हैरानी की बात तो ये थी कि इस हड़ताल में करीब 15 लाख लोग शामिल थे. जॉर्ज फ़र्नांडिस द्वारा शुरू की गई इस हड़ताल में धीरे धीरे कई यूनियनें भी जुड़ती चलीं गयीं. जिस वजह से ये हड़ताल काफी बड़ी होती चली गई. इस बात में भी सच्चाई की जॉर्ज फ़र्नांडिस की नेशनल लेवल के नेताओं में गिनती इस हड़ताल के विशालकाय रूप लेने के बाद ही हुई थी.

इंदिरा गांधी ने इस वजह से ही लगायी थी इमरजेंसी

बताया जाता है कि इस हड़ताल का आधार ले कर ही तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने पूरे देश में इमरजेंसी घोषित कर दी थी. इस हड़ताल को दबाने के लिए कांग्रेस सरकार ने लाखों लोगो को जेल में डाल दिया था. जिसके बाद रेल कर्मचारी अपने परिवार संग पटरियों पर बैठ गए थे. जिसके बाद प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के सरकार को सख्त रुख अख्तियार करना पड़ा था. कई जगह पर ट्रैक खुलवाने के लिए सेना की तैनाती की गई थी. एक रिपोर्ट के अनुसार करीब 30 हजार मजदूर नेताओं को जेल में डाल दिया गया. हालांकि इसके 3 हफ्ते बाद हड़ताल वापिस ले ली गई जिसकी वजह आज तक नहीं पता चल पायी है.

होली का रंग छुड़ाने के 6 घरेलू नुस्खे़, जो आएंगे आपके काम!

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होली का रंग छुड़ाने के 6 घरेलू नुस्खे़, जो  आएंगे आपके काम!

रंगो का त्योहार होली (Holi) सभी के दिलों में खुशी का उमंग लेकर आता है। लोग दिल खोलकर रंग और गुलाल से होली मनाते है। दिन भर की मस्ती के बाद जब शाम का समय होता है और लोग अपने शरीर पर जमे हुए रंग को छुड़ाने की कोशिश में लग जाते हैं और उनकी मुश्किलें शुरु हो जाती है। रंग से बदरंग हुए लोग रंग छुड़ाने के लिए एक बार दो बार नहीं, बल्कि कई बार साबुन का इस्तेमाल करते है। जिससे रंग तो पूरा नहीं छूट पाता लेकिन उनकी त्वचा खुरदुरी हो जाती है। ऐसे में आज हम आपको कुछ घेरलू नुस्खे के बारे में बताने जा रहे है जिनसे आप होली (Holi 2020) के जिद्दी रंग को घर पर आसानी से छुड़ा सकते हैं।

संतरे के छिलके- संतरे के छिलके, बादाम, दूध और मसूर की दाल को एक साथ मिलाकर उसका पेस्ट तैयार कर लें। फिर उस पेस्ट को चेहरे पर लगा लें। ऐसा करने पर बेहद आसानी से आपके चेहरे से रंग हट जाएगा और चेहरे में निखार भी आएगा।

संतरे के छिलके व मसूर के दाल- अगर आपके चेहरे पर दाने है और आपने होली भी मजे में खेली है। तो रंग हटाने के लिए आप मसूर की दाल, संतरे के छिलके और बादाम को दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आप रंग वाले स्थान पर हल्के हाथों से मसलें और धो लें। इससे आपकी त्वचा साफ हो जाएगी और उसमें चमक भी आयेगी।

मूली- रंग छुड़ाने के लिए हम मूली का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मूली का रस निकाल कर उसमें बेसन या मैदा को दूध के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं और उसे चेहरे पर लगाएं। चेहरे के साथ-साथ आप इस पेस्ट का प्रयोग शरीर के अन्य हिस्सों में भी रंग छुड़ाने के लिए कर सकते हैं।

नींबू और बेसन- रंग छुड़ाने के लिए नींबू और बेसन का भी प्रयोग किया जा सकता है। आप बेसन, नींबू और दूध को मिलाकर उसका पेस्ट तैयार करें और अपनी त्वचा पर लगाए। फिर 15 से 20 मीनट के बाद अपनी त्वचा को गुनगुने पानी से धो लें।

खीरा- खीरे का इस्तेमाल भी रंग छुड़ाने के लिए किया जाता रहा है। अगर आप खीरे का प्रयोग कर रंग छुड़ाना चाहते हैं तो आप खीरे का रस निकालकर उसमें एक चम्मच सिरका और थोड़ा सा गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें और इससे मुंह धोएं। रंग छुड़ाने में यह नुस्खा भी काफी बेहतर साबित होता है।

जौ का आटा और बादाम का तेल- लोग रंग छुड़ाने के लिए जौ का आटा व बादाम के तेल का भी इस्तेमाल करते है। आटा, बादाम का तेल के साथ थोड़ी सी मुल्तानी मिट्टी को एक साथ मिलाकर उसका पेस्ट तैयार करें। उस पेस्ट को आप अपने त्वचा पर लगाएं और कुछ देर बाद ठंडे पानी से धो लें।

नोट- हमने ऊपर आपको जो भी उपाय बताए हैं वो अलग-अलग के सूत्रों से लिए गए हैं, इन्हें अपनाने के लिए नेड्रिक न्यूज सलाह नहीं देता है। इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही उपायों को अपनाएं।

भारत में लॉन्च हुआ मोटोरोला का ये फोल्डेबल स्मार्टफोन, जानिए इसके फीचर्स और कीमत!

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भारत में लॉन्च हुआ मोटोरोला का ये फोल्डेबल स्मार्टफोन, जानिए इसके फीचर्स और कीमत!

पिछले वर्ष मोटोरोला (Motorola) ने यूएस बाजार में मोटो रेजर (Moto Razr) को पेश किया था. इसी के बाद से ये चर्चा है कि इसे भारत में जल्द ही पेश किया जाएगा. वहीं, अब कंपनी ने लंबे इंतजार के बाद अपने फोल्डेबल फोन मोटो रेजर को पेश कर दिया है. इसे आप ई-कॉमर्स वेबसाइट फ्लिपकार्ट (Flipkart) में खरीद सकेंगे. आइए आपको इस फोल्डेबल स्मार्टफोन की कीमत और खासियत के बारे में बताते हैं…

मोटो रेजर की कीमत

मोटो रेजर के एक ही स्टोरेज वेरिएंट को भारत में पेश किया गया है. 6GB रैम और 128GB इंटरनल मेमोरी वाले फोल्डेबल स्मार्टफोन की कीमत 1,24,999 रुपये है. फ्लिपकार्ट में ये फोन आपको 2 अप्रैल से शुरू होने वाली सेल में मिलेगा, जोकि काल रंग में उपलब्ध होगा. ग्राहक अगर इस फोन को Citi Bank के कार्ड से खरीदेगा तो उसे सीधा 10,000 रुपये की छूट मिलेगी. वहीं, रिलाइस जियो ग्राहक को भी इस फोन समेत डबल डाटा ऑफर दिया जाएगा.

मोटो रेजर के स्पेसिफिकेशन्स

दो स्क्रीन के साथ उपलब्ध मोटो रेजर में 6.2 इंच की फ्लैक्सिबल OLED HD+ स्क्रीन है और इसका स्क्रीन रेजोल्यूशन 876 x 2142 पिक्सल है. वहीं, जब इस फोन को फोल्ड कर दिया जाएगा तो इसके स्क्रीन का साइज 2.7 इंच का होता है. इसकी खासियत है कि स्क्रीन पर वॉटर रेपलेंट स्पैल्श प्रूफ नैनो कोटिंग की गई है जिसे ये वॉटर प्रूफ बनता है. साथ ही इसकी सुरक्षा के लिए 3D गोरिल्ला ग्लास 3 का इस्तेमाल किया गया है.

इसके अलावा इसमें Qualcomm Snapdragon 710 प्रोसेसर और Adreno 616 जीपीयू है. बैटरी बैकअप के लिए इसमें 18W टर्बोपावर चार्जर समेत 2510mAh की बैटरी दी गई है. सिक्योरिटी को लेकर इसमें फिंगरप्रिंट सेंसर और फेस अनलॉक है.

फोटोग्राफी के लिए हैं ये खास फीचर्स

अगर बात करें इस फोन की फोटोग्राफी की तो इसके लिए इसमें ड्यूल एलईडी फ्लैश और f/1.7 अर्पचर के अलावा 16MP का मेन कैमरा भी है. इस फोल्डेबल फोन को फोल्ड करने पर आप 5MP का फ्रंट कैमरे का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस फोल्डेबल स्मार्टफोन में ई-सिम की सुविधा भी है, साथ ही इसमें कनेक्टिविटी के लिए ब्लूटूथ 5.0 और वाई-फाई सपोर्ट उपलब्ध है.

International Women’s Day 2020: इस कारण 8 मार्च को ही मनाया जाता है “अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस”, जानिए कब और कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत!

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International Women’s Day 2020: इस कारण 8 मार्च को ही मनाया जाता है “अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस”, जानिए कब और कैसे हुई थी इस दिन की शुरुआत!

हर वर्ष 08 मार्च को दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. यूं तो साल 1908 में महिला दिवस की शुरुआत हुई थी, लेकिन इसे मान्यता साल 1975 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा गई थी. जिसके बाद से पूरे विश्व के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को 8 मार्च के दिन मनाया जाने लगा. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई, इसे 8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है और अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का क्या है महत्व? आइए जानते हैं…

महिला दिवस (Women’s Day) हर साल विभन्न थीम के साथ मनाया जाता है. वहीं, इस बार की थीम “I am Generation Equality: Realizing Women’s Rights” है. इस थीम का मतलब महिला की समानता और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना है.

कब से शुरू हुआ अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ?

अंतरराष्ट्रिय महिला दिवस को सबसे पहले 28 फरवरी,1909 को अमेरिका में मनाया गया था. दरअसल, न्यूयॉर्क में साल 1908 में कई महिलाएं नौकरी के घंटों को कम करने और आय बढ़ाने को लेकर हड़ताल पर थी. जिसके बाद उन्हें सफलता मिली और फिर एक साल बाद यानी साल 1909 में सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने इस दिन को राष्ट्रीय महिला दिवस घोषित कर दिया.

8 मार्च को ही क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?

साल 1917 में पहले विश्व युद्ध के दौरान रूस की महिलाओं ने ब्रेड और पीस को लेकर हड़ताल की थी. इस दौरान उन्होंने अपने पतियों की मांग का समर्थन करने से भी इंकार कर दिया था. यहां तक कि महिलाओं ने उन्हें युद्ध को छोड़ने के लिए भी राजी कराया था. इसके बाद वहां के सम्राट निकोलस को अपना पद छोड़ना पड़ा था और फिर बाद में महिलाओं को मतदान करने का भी अधिकार मिला था. 28 फरवरी को रूसी महिलाओं द्वारा ये विरोध किया गया था. बता दें कि यूरोप में 08 मार्च को महिलाओं ने पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने को लेकर रैलियां की थीं. जिसके चलते दुनियाभर में 8 मार्च के दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत हुई थी.

कैसे मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस?

08 मार्च, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दुनियाभर की माहिलाओं को खास महसूस करवाने के लिए घर या ऑफिस में एक अलग ही अंदाज नजर आता है. कहीं, महिलाओं को गुलाब या गिफ्ट्स दिए जाते हैं तो कहीं उनके लिए खास कार्यक्रम का आयोजन होता है. कुछ तो ऐसे भी दफ्तर हैं जहां इस दिन महिलाओं की छुट्टी या हाफ डे वार्किंग जैसी सुविधा दी जाती है.

Yes Bank की शुरुआत करने वाले राणा कपूर पर ED की कार्रवाई, घर समेत कई अन्य ठिकानों पर की छापेमारी

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Yes Bank की शुरुआत करने वाले राणा कपूर पर ED की कार्रवाई, घर समेत कई अन्य ठिकानों पर की छापेमारी

किसी समय में सबका चेहता बैंक आज बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है. कभी Yes बैंक के शेयर लगातर ऊंचाईयों को छू रहे थे, लेकिन अब वो धड़ाम हो गए हैं. 2004 में शुरू हुआ Yes बैंक की हालात काफी खराब हो गई. इतना ही नहीं भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने भी Yes बैंक के ग्राहकों को झटका देते हुए इस पर वित्तीय पाबंदिया लगा दी है. 3 अप्रैल तक ग्राहक बैंक से सिर्फ 50 हजार रुपये ही निकाल पाएंगे.

हालांकि शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये आश्वासन दिया है कि 30 दिनों में Yes बैंक का पुनर्गठन किया जाएगा. बैंक को इस संकट के दौर बाहर निकालने का जिम्मा स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पूर्व सीएफओ प्रशांत कुमार को सौंपा गया हैं.

ED ने कसा शिकंजा

वहीं इसी बीच Yes बैंक के फाउंडर राणा कपूर पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को ED ने राणा कपूर के घर समेत कई अन्य ठिकानों पर छापेमारी की. साथ ही बैंक के पूर्व CEO राणा कपूर के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस भी दर्ज किया. ED ने राणा के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया है, जिसके बाद अब वो देश से बाहर नहीं जा सकेंगे.

शुक्रवार को की गई छापेमारी के दौरान ED ने Yes बैंक से जुड़े कुछ दस्तावेजों को खंगाला है, जिसकी जांच फिलहाल चल रही है. बता दें कि गुरुवार को वित्त मंत्रालय ने यस बैंक पर वित्तीय पाबंदी लगाई है. 3 अप्रैल तक बैंक के ग्राहक 50 हजार से ज्यादा पैसा नहीं निकाल पाएंगे.

राणा कपूर ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि वो पिछले 13 महीनों से सक्रिय नहीं है, इसलिए वो इस संकट के बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं. बता दें कि साल 2019 के नवंबर में Yes बैंक ने शेयर बाजार को ये बताया था कि राणा कपूर बोर्ड से पूरी तरह से एग्जिट कर चुके हैं.

लोन बांटने का है आरोप

कोई समय ऐसा था जब ये बैंक तेजी से ग्रोथ कर रहा था, लेकिन अब इसकी ये हालत देखकर हर कोई काफी हैरान है. दरअसल, बैंक के खस्ताहाल की वजह से लोन देना बताया जा रहा है. राणा कपूर पर ये आरोप है कि उन्होनें अपने निजी रिश्तों को देखते हुए लोन बांटे.

Yes बैंक ने अनिल अंबानी ग्रुप, आईएलएंडएफएस, सीजी पावर, एस्सार पावर, एस्सेल ग्रुप, रेडियस डिवेलपर्स और मंत्री ग्रुप जैसे कई ग्रूप्स को लोन बांटे हैं. बैंक की हालत तब ज्यादा खराब होनी शुरू हुई जब साल 2018 में राणा कपूर को बैलेंसशीट में गड़बड़ी के आरोप में RBI ने उन्हें चेयरमैन के पद से हटा दिया था.

भारत के इन इलाकों में नहीं मनाई जाती होली, वजहें सुनकर काम करना बंद कर देगा दिमाग !

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भारत के इन इलाकों में नहीं मनाई जाती होली, वजहें सुनकर काम करना बंद कर देगा दिमाग !

होली का त्यौहार आने में अब बस कुछ ही दिन है. जिस वजह से इसको लेकर पूरे देश में लोगों में उत्साह होना तो जायज है. हालांकि जहां देश के ज्यादातर घरों में इसको लेकर जोरों शोरो से तैयारियां चल रहीं है वहीं भारत में कुछ ऐसी भी जगहें जहां ये त्यौहार मनाया ही नहीं जाता. ये बात आपके मन में ये सवाल जरूर कौंधा होगा कि भारत के महापर्व होने के बावजूद भी आखिर इस त्यौहार के न मनाने की वजह क्या हो सकती है. हालांकि इसके पीछे के कारण काफी अजीबोगरीब हैं. लेकिन ये आपको जानने ज़रूर चाहिए.

मध्यप्रदेश के जिले में ये मान्यता

मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में 125 साल से होली नहीं मनाई गयी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 125 साल पहले होली वाले दिन इस गांव के प्रधान बावड़ी में डूब गए थे जिसके चलते उनकी मौत हो गयी थी. इस मौत से गांव वाले बहुत दुखी हुए और उनके इस घटना के बाद जेहन में डर बस गया. अब होली न खेलना यहां की धार्मिक मान्यता बन चुकी है.

झारखंड के इस गांव में 100 साल से नहीं खेली गयी होली

झारखंड के बोकारो के कसमार ब्लॉक स्थित दुर्गापुर गांव में महामारी और आपदा के डर से होली नहीं खेली जाती. एक दशक पहले एक राजा के बेटे की यहां होली के दिन मृत्यु हो गयी थी. जिसके बाद से हर बार होली का आयोजन होने पर गांव महामारी के साए में आ जाता था. इसके बाद से राजा ने यहां होली न मनाने का आदेश दिया. अब उसके बाद से इस गांव में 100 साल से होली नहीं मनाई जाती.

यहां सिर्फ महिलाओं को होली खेलने की इजाजत

उत्तर प्रदेश के कुंडरा गांव में होली के त्यौहार पर सिर्फ महिलाएं होली के रंगों से सराबोर होती हैं. यहां इस दिन पुरुष खेतों पर चले जाते हैं ताकि महिलाएं बेझिझक होकर होली खेल सकें. इस दिन महिलाएं जानकी मंदिर में एकत्र होती हैं और होली खेलती हैं. इस दौरान लड़कियों, पुरुषों और बच्चों को भी होली खेलने की परमिशन नहीं होती है. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि होली के दिन यहां मेमार सिंह नाम के एक डकैत ने ग्रामीण की हत्या कर दी थी. जिसके बाद से लोग होली नहीं खेलते थे. फिर बाद में महिलाओं को होली खेलने की इजाजत मिल गयी थी.