Sikhism in Southall: जब लंदन में मिले लस्सी, लंगर और लहजे में पंजाबी – जानिए क्यों साउथॉल को कहा जाता है ‘लिटिल इंडिया’

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Sikhism in Southall: अगर आप लंदन घूमने का प्लान बना रहे हैं और भारतीय संस्कृति की झलक देखना चाहते हैं, तो मैं आपको एक जगह का नाम ज़रूर बताना चाहूंगी जो की है साउथॉल। यह वेस्ट लंदन में पड़ता है, ईलिंग बरो के अंदर, और लंदन के सेंट्रल इलाके से बस सवा 17 किलोमीटर दूर है। लेकिन आप जैसे ही यहां कदम रखेंगे, आपको लगेगा कि आप कहीं दिल्ली, लुधियाना या अमृतसर जैसी किसी जगह में आ गए हैं। इसी वजह से इसे “लिटिल इंडिया” के नाम से भी पहचाना जाता है।

यह इलाका असल में भारतीयों का गढ़ बन चुका है खासकर पंजाबी सिख समुदाय का। बाजार से लेकर मंदिर और गुरुद्वारे तक, हर जगह आपको भारत जैसी ही रौनक दिखेगी।

और पढ़ें: Sikhism in East Midlands: ईस्ट मिडलैंड्स में सिखों का दबदबा, जो बदल रहा है पूरे इलाके का नक्शा

यहां की शुरुआत कैसे हुई? Sikhism in Southall

अब आप सोचेंगे कि लंदन में ऐसा इलाका बना कैसे? तो बात कुछ यूं है कि 1950 के आसपास कुछ भारतीय, खासकर पंजाब से लोग, यहां आकर बसे थे। एक स्थानीय फैक्ट्री में काम करने के लिए उन्हें बुलाया गया था। इसके बाद धीरे-धीरे उनके रिश्तेदार, दोस्त और जान-पहचान वाले भी आकर यहीं बसते चले गए।

Sikhism in Southall
Source: Google

हीथ्रो एयरपोर्ट यहां से पास है, तो वहां भी नौकरी के मौके थे। इससे और लोग जुड़ते चले गए और आज साउथॉल लंदन में सबसे बड़ा साउथ एशियन इलाका बन चुका है।

द ब्रॉडवे — साउथॉल की धड़कन

अब जब आप साउथॉल आएंगे, तो सबसे पहले आपको एक सड़क मिलेगी — The Broadway। ये यहां की मेन रोड है और इसे देख कर आपको लगेगा कि आप किसी इंडियन बाज़ार में आ गए हैं। रंग-बिरंगी साड़ियां, शादी के कपड़े, मिठाई की दुकानें, चाट के ठेले, पंजाबी गाने और भीड़-भाड़ से भरपूर माहौल।

यहां का बाज़ार इतना फेमस है कि फिल्म “बेंड इट लाइक बेकहम” की शूटिंग भी यहीं हुई थी। और एक पब है, नाम है “ग्लासी जंक्शन” बड़ा दिलचस्प है, क्योंकि ये यूके का पहला ऐसा पब था जहां आप इंडियन रुपये से पेमेंट कर सकते थे। आपको बता दें, फिल्म “धन धना धन गोल” की शूटिंग भी यहीं हुई थी।

अब आपको गुरुद्वारा ज़रूर दिखाना है

अगर आप सिख धर्म या पंजाबी संस्कृति से जुड़े हैं — या भले ही नहीं भी हों — तब भी मैं कहूंगी कि गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा साउथॉल जरूर देखिए। यह लंदन का सबसे बड़ा गुरुद्वारा है, और भारत के बाहर भी इसे सबसे बड़े सिख गुरुद्वारों में गिना जाता है।

यह गुरु नानक रोड और पार्क एवेन्यू के पास स्थित है। इसे 2000 में बनाना शुरू किया गया था और 2003 में खोला गया। इसकी लागत करीब £17.5 मिलियन आई थी, और पूरा पैसा स्थानीय सिखों के डोनेशन से जुटाया गया था।

गुरुद्वारे में एक साथ तीन हजार लोग बैठ सकते हैं। साथ में एक कम्युनिटी सेंटर, लाइब्रेरी, और बहुत ही सुंदर लंगर हॉल भी है। यहां पंजाबी भाषा, गुरमत और सिख इतिहास की क्लासेस भी होती हैं, बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के लिए।

यह भी जानना दिलचस्प होगा कि जब ये गुरुद्वारा बनकर तैयार हुआ, तो प्रिंस चार्ल्स (जो अब किंग हैं) खुद यहां आए थे।

सिर्फ पूजा ही नहीं, शिक्षा में भी आगे

गुरुद्वारा कमिटी ने Khalsa Primary School भी शुरू किया है। ये स्कूल साउथॉल के Tentelow Lane में है और इसे £2.8 मिलियन में खरीदा गया था। यहां ना सिर्फ सिख बच्चे, बल्कि दूसरे धर्मों के बच्चे भी पढ़ाई कर सकते हैं। पढ़ाई के साथ-साथ यहां बच्चों को अपनी भाषा, संस्कृति और धर्म की जानकारी भी दी जाती है।

सिर्फ सिख ही नहीं, सब हैं यहां

आपको ये जानकर अच्छा लगेगा कि साउथॉल सिर्फ सिखों तक सीमित नहीं है। यहां हर धर्म के लोग मिलजुल कर रहते हैं। 2021 के आंकड़ों के हिसाब से साउथॉल की धार्मिक आबादी कुछ यूं है:

  • सिख – 36.58%
  • हिंदू – 20.35%
  • मुस्लिम – 18.86%
  • ईसाई – 15.9%
  • अन्य या कोई धर्म नहीं – 7.69%

लेकिन यहां का माहौल, त्योहारों की रौनक और सड़कों पर दिखने वाली संस्कृति में सिख समुदाय की गूंज साफ नजर आती है। गुरुद्वारे में नियमित रूप से अमृत वेला सिमरन (सुबह की अरदास) जैसे कार्यक्रम आयोजित होते हैं जो पूरे समुदाय को एकजुट करते हैं। साथ ही, गुरुद्वारा सामाजिक मुद्दों पर भी मुखर रहता है – जैसे पगड़ी पहनने के अधिकार या युवाओं की शिक्षा।

साउथॉल आज एक ऐसा स्थान बन चुका है, जहां ब्रिटिश संस्कृति और भारतीय विरासत का सुंदर मेल देखने को मिलता है। खासकर सिख समुदाय ने इस इलाके को अपनी मेहनत, संस्कृति और सेवा भाव से एक नई पहचान दी है।

और पढ़ें: Sikhism in Washington: 1907 की राख से उठे सिख, आज वाशिंगटन की पहचान हैं

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