महाराष्ट्र की राजनीति में बदलाव: शिवसेना और एनसीपी के गुटों के बीच पहली बार सीधा मुकाबला

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Maharashtra Chunav result: महाराष्ट्र की राजनीति इन दिनों बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है। राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां, शिवसेना और एनसीपी, अब दो गुटों में विभाजित हो चुकी हैं। यह पहली बार है जब इन दोनों पार्टियों के अलग-अलग गुट विधानसभा चुनाव में आमने-सामने हैं (Real Shiv Sena vs NCP)। चुनावी परिणाम न केवल राज्य सरकार के गठन को तय करेंगे, बल्कि यह भी स्पष्ट करेंगे कि जनता किस गुट को ‘असली पार्टी’ के रूप में स्वीकार करती है।

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शिवसेना का विभाजन और संघर्ष- Maharashtra Chunav result

शिवसेना में विभाजन (Shiv Sena Split) के बाद, एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) गुट को पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न ‘धनुष-बाण’ मिला है। वहीं उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) गुट ने ‘मशाल’ चिह्न के साथ अपनी नई पहचान बनाई है। यह चुनाव शिवसेना के दोनों गुटों के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। कोपरी पचपाखड़ी सीट पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और ठाकरे गुट के केदार दिघे के बीच मुकाबला इस संघर्ष का मुख्य केंद्र है। यह सीट न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि दोनों गुटों के लिए प्रतिष्ठा की दृष्टि से भी अहम है।

Maharashtra Chunav result, Shiv Sena Split
Source: Google

अगर शिंदे गुट इस चुनाव में जीत हासिल करता है, तो यह साबित होगा कि शिवसेना का नाम और उसके प्रतीक चिन्ह के साथ उनका गुट जनता के बीच अधिक स्वीकार्य है। वहीं, ठाकरे गुट की जीत यह दिखाएगी कि शिवसेना का असली प्रभाव ठाकरे ब्रांड के साथ ही जुड़ा हुआ है।

एनसीपी के भीतर संघर्ष

एनसीपी भी शिवसेना की तरह विभाजित है। अजित पवार गुट को चुनाव चिह्न ‘घड़ी’ मिला है, जबकि शरद पवार गुट ने ‘तुरही बजाते आदमी’ का चिह्न अपनाया है। दोनों गुटों के बीच बारामती सीट पर कड़ा मुकाबला है, जहां शरद पवार के पोते युगेंद्र पवार और अजित पवार आमने-सामने हैं। बारामती सीट एनसीपी के लिए एक ऐतिहासिक सीट है, जहां दशकों से पवार परिवार का दबदबा रहा है। इस बार इस सीट पर चुनावी नतीजे तय करेंगे कि जनता शरद पवार के अनुभव को तरजीह देती है या अजित पवार के नए नेतृत्व को।

Maharashtra Chunav result, Shiv Sena Split
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बारामती सीट का महत्व

बारामती की सीट महाराष्ट्र की राजनीति में बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। शरद पवार के परिवार की यह गढ़ मानी जाने वाली सीट पर इस बार पवार परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। अगर अजित पवार इस सीट पर जीत दर्ज करते हैं, तो यह उनके गुट को एनसीपी का ‘असली’ प्रतिनिधि होने का प्रमाण देगा। वहीं, युगेंद्र पवार की जीत शरद पवार गुट को मजबूत आधार प्रदान करेगी।

बीएमसी चुनावों पर असर

विधानसभा चुनाव के नतीजे (Maharashtra Chunav result 2024)केवल राज्य सरकार के गठन तक सीमित नहीं रहेंगे। ये नतीजे मुंबई नगर निगम (बीएमसी) चुनावों पर भी गहरा प्रभाव डालेंगे। बीएमसी शिवसेना की राजनीति की जड़ मानी जाती है। अगर शिंदे गुट को विधानसभा चुनाव में बढ़त मिलती है, तो बीएमसी में ठाकरे गुट को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। दूसरी ओर, ठाकरे गुट की सफलता से बीएमसी में उनकी पकड़ मजबूत हो सकती है।

नतीजे और भविष्य की दिशा

इन चुनावों के नतीजे महाराष्ट्र की राजनीति की दिशा तय करेंगे। शिवसेना और एनसीपी के दोनों गुटों के लिए यह चुनाव अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। अगर शिंदे गुट और अजित पवार गुट जीत दर्ज करते हैं, तो यह दिखाएगा कि जनता ने उन्हें असली प्रतिनिधि के रूप में स्वीकार किया है। वहीं, ठाकरे गुट और शरद पवार गुट की जीत जनता के उनके नेतृत्व पर विश्वास को दर्शाएगी।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इस बार केवल सरकार बनाने की लड़ाई नहीं है। यह चुनाव राज्य की दो प्रमुख पार्टियों, शिवसेना और एनसीपी, के भविष्य को निर्धारित करेगा। जनता का फैसला यह तय करेगा कि असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन हैं। इन नतीजों से न केवल वर्तमान बल्कि आने वाले चुनावों में भी महाराष्ट्र की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

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