“मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है”, ऐसी ही एक कहानी हैदराबाद की रहने वाली सय्यदा फातिमा की है. आखिर एक साधारण बेकरी कर्मचारी की बेटी फातिमा कभी पायलट बनने का सपना कैसे देखती है? जब उसकी शादी भी हो गयी हो और दो बच्चे भी हों. एक कार्यक्रम में ऐलान करते हुए फातिमा ने कहा कि वह पायलट बनना चाहती है, तब शायद किसी ने सोचा नहीं होगा कि यह छोटी लड़की एक दिन अपने सपने को हकीकत में बदल महाद्वीपों की उड़ान भरेगी. आज हम इस कहानी से उन लोगों को प्रोत्साहित करने की कोशिश करेंगे जो ये कहते हैं की यार पैसों और घर की मजबूरियों के चलते हमारा सपना अधूरा रह गया.
बचपन में इकठ्ठा करती थी विमानों की तस्वीरें
पुरूषों के वर्चस्व वाले इस पेशे में एयरबस 320 की कमान संभालने वाली फातिमा को सबसे कम उम्र की महिला पायलट बनने का गौरव हासिल है. और हो भी क्यों न जब आप अपनी मेहनत पर कुछ कर दिखाते हैं तो आपको भी अपने ऊपर गर्व करने का हक़ तो बनता है. अपने इस सफ़र के बारे में बताते हुए फातिमा कहती हैं कि मैं बहुत कम उम्र में आसमान की ओर देखती थी और मैं बादलों को और करीब से देखना चाहती थी. मैं बचपन में अलग-अलग विमानों की तस्वीरें इकट्ठा करती थी.
सपना सुन लोगों ने उड़ाया मजाक
बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद उसने एक उर्दू सैनिक द्वारा आयोजित इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा के लिए कोचिंग के लिए एडमिशन लिया. जब लोगों को उसके इस सपने के बारे में पता चला तो उन्होंने मेरा मजाक उड़या. अपनी कोचिंग के दौरान एक कार्यक्रम में, उर्दू सैनिक के संपादक जाहिद अली खान ने उससे पूछा कि वह क्या बनना चाहती हैं? तो उसने कहा कि वह पायलट बनना चाहती है.
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पिता कहते है ‘Miracle Girl’
सैयदा सल्वा फातिमा नारी सशक्तिकरण की मिसाल हैं. फातिमा ने आर्थिक तंगी के बावजूद पायलट बनने का अपना सपना पूरा किया. हैदराबाद की रहने वाली फातिमा भारत की उन चुनिंदा मुस्लिम महिलाओं में शामिल हैं जिनके पास कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस है.
उनके पिता और पूरे परिवार ने उनको बहुत सपोर्ट भी किया. पिता प्यार से उन्हें ‘Miracle Girl’ कहते हैं. वहीं फातिमा ने पहली बार तेलंगाना एविएशन एकेडमी में सेसना स्काईवॉक पर आसमान में उड़ान भरी थीं. वर्तमान में वह एयरबस 320 उड़ाती हैं. वे एक टॉप प्राइवेट एयरलाइन की ऑफिसर हैं.
गल्फ एविशन अकादमी ने की सराहना
फातिमा बताती है कि मैंने भारत और विदेशों में ट्रेनिंग के दौरान हिजाब पहना था. हिजाब के कारण उसे कभी कोई समस्या नहीं हुई. उन्होंने बताया कि बहरीन में गल्फ एविशन अकादमी में उनकी सराहना की गई. उनकी हिजाब और पायलट की वर्दी की तस्वीरें एक पत्रिका में प्रकाशित हुई.
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हिजाब पहनकर उड़ाती है हवाई जहाज
एक इंटरव्यू में फातिमा बताती हैं कि फ्लाइंग एक टफ प्रोफेशन है. पायलट को अपनी सारी समस्याओं को कॉकपिट के दरवाजे के बाहर रखकर आना होता है.
मुझे मेरे पैरेंट्स, पति और ससुराल वालों का बहुत सपोर्ट मिला. जिसकी वजह से मैं अपने सपने को साकार कर पा रही हूं. फातिमा का कहना है कि “हिजाब, जो मैं हवाई जहाज उड़ाते समय पहनती हूं उसे मुझे मेरी एयरलाइन ने बतौर उपहार हमें दिया था. मेरे साथ कभी किसी तरह का धार्मिक भेदभाव नहीं किया गया.”
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तेलंगाना सरकार ने भी किया सपोर्ट
फातिमा को अपने सपनों को हासिल करने में तेलंगाना सरकार ने भी मदद की थी. न्यूजीलैंड और बहरीन में फॉरेन एविएशन एकेडमी से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने पायलट का लाइसेंस हासिल किया और एक टॉप एयरलाइन में नौकरी कर रही हैं. उनका कहना है किमेरी बड़ी बेटी मरियम फातिमा शाकिब मेरे लिए एक आशीर्वाद है, क्योंकि मुझे उसके जन्म के ठीक बाद सरकारी स्कॉलरशिप मिली थी.