जापान सरकार क्यों जनता को शराब पिलाने पर दे रही ज्यादा ध्यान ?
जापान सरकार आज कल जापान की जनता को शराब पिलाने पर ज्यादा ध्यान दे रही है। अगर भारत जैसे देश में ऐसा होता तो जनता ख़ुशी के मारे पागल ही हो जाती। दरअसल बात यह है कि इन दिनों जापानी सरकार शराब की बिक्री को बढ़ाने के लिए कैंपेन निकाल रही है और युवाओं से भी शराब की इंडस्ट्री में जान डालने के लिए नए नए विचार मांग रही है।
दो साल के कोरोना महामारी के बाद बहुत सारे जापानी लोगों ने शराब से दूरी बना ली है। दो सालों से लोगों से कम मिलना जुलना और ना के बराबर पार्टी कल्चर के भी बहुत सारे फायदे हैं। जिन्हें देखकर जापान के युवाओं में शराब को लेकर अब उतनी आकर्षक नहीं रही। इस कारण जापान की सरकार ने कैंपेन और नए नए बिज़नेस आईडिया के जरिए जनता को शराब पिने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
यहां तक की जापानी सरकार ने शराब के बिज़नेस और मांग को बढ़ाने के लिए 20 से 39 साल के युवाओं के बिच प्रतियोगिता भी रखी है। जापान की राष्ट्रीय कर एजेंसी (national tax agency) ने युवाओं से लोगों को अधिक शराब पिने तथा प्रोत्साहित करने के लिए विचार प्रस्तुत करने की प्रतियोगिता रखी है। इस प्रतियोगिता का नाम जापान के राष्ट्रीय पेय “सेंक वाइवा” के नाम पर रखा गया है।
शराब बिक्री पर हुए सर्वे में क्या आया ?
कुछ समय पहले जापान की सरकार ने शराब के उपभोग पर एक सर्वे कराया था। सर्वे में यह पता चला था की जापान की जनता 2020 में 1995 की तुलना से कम शराब का सेवन कर रही है। जापान की राष्ट्रीय कर एजेंसी का कहना है कि कम शराब के सेवन की वजह से शराब से आने वाली कर में भी बहुत तेज़ी से कमी आई है।
इस सर्वे के अनुसार पहले जापान में शराब पीने का औसत प्रति व्यक्ति सालाना 100 लीटर था पर अब यह औसत घटकर प्रति व्यक्ति सालाना 75 लीटर हो गया है। जिस कारण से शराब से आने वाले सरकारी कर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। जापान की एक अखबार के अनुसार 1980 में शराब से मिलने वाला राजस्व 5% था जबकि 2020 में यह घटकर केवल 1.7% हो गया है। ऐसी स्थिति किसी भी सरकार के लिए चिंताजनक है क्यूंकि किसी भी देश में शराब से बहुत बड़ा राजस्व का हिस्सा आता है।
इस सर्वे के अनुसार पहले जापान में शराब पीने का औसत प्रति व्यक्ति सालाना 100 लीटर था पर अब यह औसत घटकर प्रति व्यक्ति सालाना 75 लीटर हो गया है। जिस कारण से शराब से आने वाले सरकारी कर पर भी इसका असर देखने को मिल रहा है। जापान की एक अखबार के अनुसार 1980 में शराब से मिलने वाला राजस्व 5% था जबकि 2020 में यह घटकर केवल 1.7% हो गया है। ऐसी स्थिति किसी भी सरकार के लिए चिंताजनक है क्यूंकि किसी भी देश में शराब से बहुत बड़ा राजस्व का हिस्सा आता है।
इस पर आलोचकों का क्या कहना है ?
हालांकि, शराब किसी भी सरकार के लिए एक बहुत हीं बड़ा राजस्व का जरिया है। पर शराब पिने के लिए जनता को प्रोत्साहित करना यह कहां तक ठीक है। इसी बात पर जापान सरकार को घेरते हुए आलोचकों ने निशाना साधा है। विपक्ष और सरकार के आलोचकों का कहना है कि सरकार इस कोरोना काल में लोगो के सेहत पर कम ध्यान दे रही है और अपनी तिजोरी भरने पर जायदा। पिछले गुरुवार को जापान में कोरोना के 255,000 नए मामले मिले हैं। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बताया है कि किसी भी राज्य या देश का 10 से 15 फीसदी कर शराब के व्यपार से आता है। सरकार सबसे जायदा राजस्व जीएसटी से वसूलती है। पर कोविड महामारी में लॉकडाउन के दौरान कई देशों तथा राज्यों की स्थिति खराब हो गई थी। इससे यह साफ़ दीखता है की किसी भी राज्य या देश के लिए शराब से मिलने वाला राजस्व कितना महत्वपूर्ण होता है.