ट्विन टावर का मालिक हुआ दिवालिया ?
800 करोड़ की 32 मंजिला गगनचुंबी इमारत भ्रष्टाचार की एक अनोखी मिसाल कायम करती है। करप्शन से लैश इस ट्विन टावर का ध्वस्तीकरण आज होगा इससे जुड़े तमाम सवालों के जवाब जैसे कब क्या-क्या हुआ? आखिर इन टावर्स को गिराया क्यों जा रहा है? आखिर 32 मंजिल की इमारत खड़ी कैसे हो गई? बिल्डर ने नियमों को कैसे ताक पर रखा? यहां पढ़ें : आखिर कैसे बनकर खड़ी हो गई 800 करोड़ की 32 मंजिला गगनचुंबी इमारत.
अब मुद्दा ये है की आखिर इतने बड़े करप्शन के पीछे है कौन ?
आखिर कौन है ट्विन टावर का मालिक, जिसने दिया इतने बड़े घोटाले को अंजाम ?
ये बात तो साफ़ है इतना बड़ा घोटाला करने वाला कोई आम इंसान तो नहीं होगा। ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी ने बनाया था। यह एक गैर-सरकारी कंपनी है। इस कंपनी को सात दिसंबर, 1995 में निगमित किया गया था। सुपरटेक कंपनी के मालिक का नाम आरके अरोड़ा है। देखते ही देखते अरोड़ा ने रियल स्टेट में अपना नाम बना लिया। इसके बाद अरोड़ा ने एक के बाद एक 34 कंपनियां खोलीं। ये सभी अलग-अलग कामों के लिए थीं। ये कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं। यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आरके अरोड़ा ने तो कब्रगाह बनाने तक की कंपनी भी खोली है।सुपरटेक लिमिटेड शुरू करने के चार साल बाद 1999 में उनकी पत्नी संगीता अरोड़ा ने सुपरटेक बिल्डर्स एंड प्रमोटर्स प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी खोली थी। इसके अलावा आरके अरोड़ा ने अपने बेटे मोहित अरोड़ा के साथ मिलकर पॉवर जेनरेशन, डिस्ट्रीब्यूशन और बिलिंग सेक्टर में भी काम शुरू किया। इसके लिए सुपरटेक एनर्जी एंड पॉवर प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी बनाई।
सुपरटेक को क्यों किया दिवालिया घोषित ?
जैसे ही ट्विन टावर गिराने के सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया वैसे ही आरके अरोड़ा की स्थिति खराब होने लगी। करीब 200 करोड़ से ज्यादा की लागत से इस ट्विन टावर को बनाया गया था। इनमें 711 फ्लैटों की बुकिंग भी हो चुकी थी। इसके लिए कंपनी ने लोगों से पैसे भी ले लिए थे। लेकिन जब इसे गिराने का आदेश दिया गया तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बुकिंग अमाउंट और 12 प्रतिशत ब्याज की रकम मिलाकर 652 निवेशकों के दावे सेटल कर दिए गए। ट्विन टावर के 59 निवेशकों को अभी तक रिफंड नहीं मिला है। 14 करोड़ रुपये से अधिक का रिफंड दिया जाना बाकी है। इंसोल्वेंसी में जाने के बाद मई में कोर्ट को बताया गया कि सुपरटेक के पास रिफंड का पैसा नहीं है। इसके चलते कंपनी को भारी नुकसान हुआ। इसी साल मार्च में सुपरटेक कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया। सुपरटेक नाम से कई कंपनी हैं जो आरके अरोड़ा की ही हैं लेकिन यहां जो कंपनी दिवालिया हुई है वह रियल एस्टेट में काम करने वाली सुपरटेक है जिसने ट्विन टावरों का निर्माण किया है। सुपरटेक ने यूनियन बैंक से करीब 432 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। कर्ज नहीं चुकाने पर बैंक ने कंपनी के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसके बाद एनसीएलटी ने बैंक की याचिका स्वीकार कर इन्सॉल्वेंसी की प्रक्रिया का आदेश दिया था।