अम्बेडकर के एकमात्र बेटे यशवंत राव ने किया था पिता के अधूरा काम आगे बढ़ाने का कार्य
अपने पिता के क़दमों का अनुसरण करने वाले यशवंत भीमराव आंबेडकर (Yashwant Bhimrao Ambedkar) का जन्म 12 दिसम्बर 1912 में बॉम्बे शहर में हुआ था. यशवंत अपने पिता की पहली और एकमात्र संतान थे जो बाकी भाइयों में से जिन्दा थे, महाराष्ट्र (Maharashtra) के लोग अक्सर उन्हें ‘सूर्यपुत्र‘ (suryaputr) कहते थे. क्योंकि लोग डॉ. बाबासाहब आंबेडकर (Dr. Babasaheb Ambedkar) को ‘सूर्य’ कहते हैं और यशवंत उनके बेटे थे जिसकी वजह से उन्हें सूर्यपुत्र कहा जाना लगा. यशवंत ने करोड़ों लोगों का जीवन अपने विचारों और महान कार्यों से प्रभावित किया. ऐसे महान सूर्यपुत्र ने बाबासाहब का अधूरा काम आगे बढ़ाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
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व्यक्तिगत जीवन
सूर्यपुत्र के नाम से जाने जाने वाले यशवंत राव एक भारतीय सामाजिक और धार्मिक कार्यकर्त्ता, समाचार पत्र संपादक, और पॉलिटिशियन के साथ-साथ अम्बेडकरवादी बौद्ध आंदोलन कार्यकर्ता (Buddhist movement activist) भी थे. अपने पिता और देश के पहले कानून मंत्री भीमराव की मृत्यु के बाद यशवंतराव ने अपना पूरा जीवन सिर्फ बौद्ध धर्म (Buddhism) को समर्पित कर दिया और सामाजिक समानता के लिए अपने पिता की मुहीम को आगे बढाया और साथ ही अम्बेडकरवादी समाज के को जोड़कर रखने के लिए दलित बौद्ध आन्दोलन में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया. 1956 में पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने ‘बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ‘ के प्रेसिडेंट पद का भर अपने कन्धों पर ले लिया और 1968 में उन्होंने ‘आल इंडिया बुद्धिष्ट सभा’ की स्थापना की. 19 अप्रैल 1953 में यशवंत ने मीरा आंबेडकर से बौद्ध रीति रिवाजों के साथ शादी करी और यशवंत राव की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मीरा ने उनके संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए बुद्धिष्ट सोसाइटी की प्रेसिडेंट बनी .
राजनीतिक क्षेत्र में किए थे कार्य
यशवंत राव अम्बेडकर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (Republican Party of India) के सह संस्थापक थे जो कि भीमराव अम्बेडकर के ‘अनसूचित जाति संघ’ (scheduled caste association) से जुडी हुई थी बात उस वक़्त की है जब 30 सितम्बर 1956 को अम्बेडकरने “अनुसूचित जाति संघ” को ख़ारिज कर “ रिपब्लिक पार्टी ऑफ़ इंडिया” की स्थापना करने की घोषणा की लेकिन 6 दिसम्बर 1956 को उनका देहांत हो गया उनकी मृत्यु के बाद उनके कार्यकर्ताओं ने मिलकर पार्टी को बनाने की योजना बनायीं मृत्यु के अगले साल यानि 1957 में नागपुर में प्रेसीडेंसी की बैठक हुई जिसमे एन. शिवराज, यशवंत अंबेडकर, पीटी बोराले, एजी पवार, दत्ता कट्टी, दादासाहेब रूपवते उपस्थित थे और इस बैठक में रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया का गठन 3 अक्टूबर 1957 को हुआ एन. शिवराज को पार्टी के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था. आरपीआई के अध्यक्ष एन. शिवराज ने 1964 में अंबेडकर को आरपीआई के मुंबई राज्य अध्यक्ष के रूप में चुना.
इस चित्र में डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर अपने बेटे यशवंत (बाएं) और भतीजे मुकुंद (दाएं) के साथ
धार्मिक क्षेत्र में सराहनीय कार्य
14 अक्टूबर 1956 को, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने अपने परिवार के साथ एवं अपने 500000 अनुयायियों के साथ नवयान बौद्ध धर्म अपना लिया। अब आधिकारिक तौर पर यशवंत आंबेडकर भी बौद्ध बन चुके थे और उन्होंने पिता बाबासाहब के इस धार्मिक कार्य को आगे बढ़ाने में सक्रिय रूप से भाग लिया। यशवंतराव बुद्ध भूषण प्रिंटिंग प्रेस चलाते थे. 1944 के वर्ष से वह संपादकीय समाचार पत्र जनता, प्रबुद्ध भारत (Prabuddha Bharat) की तलाश में थे. इस प्रेस में यशवंतराव ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर की ऐतिहासिक किताब ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ प्रकाशित की. इसके अलावा उन्होंने इस प्रेस में भाषाई राज्यों पर फेडरेशन बनाम फ्रीडम एंड थॉट्स प्रकाशित किए थे, साथ ही सुर्यपुत्र अम्बेडकर ने डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर के कई स्मारकों की स्थापना की. साल 1958 में आयोजित बैंकाक और थाईलैंड में आयोजित विश्व बौद्ध सम्मलेन में भारत का प्रतिनिधित्व भी किया था. 2 अगस्त 1958 को पुणे के भीमनगर में, उन्होंने बाबासाहेब अम्बेडकर के एक विशालकाय ब्रोंज स्टेचू को भी स्थापित किया .
साल 1977 में यशवंत राव जी का निधन हो गया और कहतें है की उनकी अंतिम संस्कार में 10 लाख से ज्यादा लोग शामिल हुए थे .
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