मनुस्मृति में महिलाओं के लिए क्या कहा
मनुस्मृति (Manusmriti) जिसे लेकर हर समय विवाद बना हुआ रहता है और ये विवाद (Manusmriti Controversy) इसमें लिखी गयी बातों की वजह से हैं जो कभी भी किसी भी वक़्त विवाद का रूप ले सकती है. वहीं आज बात मनुस्मृति की उन बातों की जो महिलाओं को लेकर कही गयी है और ये बातें पुरषों के अन्दर घमंड पैदा कर सकती है.
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महिलाओं को नहीं है स्वतंत्र रहने का हक
महिलाओं को लेकर मनुस्मृति (Manusmriti ladies) में कहा गया है कि एक पुत्री, पत्नी, माता या कन युवा, वृद्धा किसी भी स्वरूप में नारी स्वतंत्र नहीं होना चाहिए। यानि की एक महिला को हर समय किसी न किसी निर्भर रहना चाहिए उसे स्वतंत्र रहने का कोई हक़ नहीं है. इसी के साथ मनुस्मृति में ये ही कहा गया है एक पति पत्नी को छोड़ सकता है, गिरवी रख सकता है, बेच सकता है, एक पति अपनी पत्नी के साथ कुछ भी कर सकता है लेकिन एक पत्नी इस प्रकार को कोई अधिकार नहीं हैं। वहीं स्त्री को संपत्ति रखने का अधिकार नहीं है.
स्त्रियां हैं अपवित्र
इसी के साथ ये भी कहा गया है कि असत्य जिस तरह अपवित्र है, उसी तरह से स्त्रीयां भी अपवित्र है और महिलाओं को पढने-पढ़ाने , वेद-मंत्र बोलने या उपनयन का अधिकार नहीं हैं। वहीं पति सदाचार हीन हो, अन्य स्त्रियों में आसक्त हो, दुर्गुणो से भरा हो, नपुंसक हो, फिर भी स्त्री को उसे देव की तरह पुजना चाहिए। ये सभी बातें मनुस्मृति महिलाओं को लेकर कही गयी है जो पुरषों के अन्दर घमंड से भर देती है.