उड़ीसा की धरती से दिल्ली यादव महासभा के अध्यक्ष ने किया अहीर रेजिमेंट के बलिदान को याद, हजारों लोग हुए कार्यक्रम में शामिल

0
622
उड़ीसा की धरती से दिल्ली यादव महासभा के अध्यक्ष  ने किया अहीर रेजिमेंट के बलिदान को याद,  हजारों लोग हुए कार्यक्रम  में शामिल

उड़ीसा में अहीर रेजिमेंट को लेकर हुए कार्यक्रम में उमड़ी भारी भीड़ 

भारतीय सेना (indian army) में काफी लम्बे से अहीर रेजीमेंट (Ahir Regiment) की मांग चली आ रही है. हाल ही में इस मुहीम को आगे बढ़ाने के लिए आजमगढ़ से भाजपा सांसद (BJP MP from Azamgarh) दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Nirhua) ने संसद में  अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग उठाई और  इस मांग को चर्चा में ला दिया लेकिन इस मांग पर कोई विचार नहीं हुआ. वहीं इस बीच Orissa में अहीर रेजिमेंट को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया और इस आयोजन में दिल्ली यादव महासभा के अध्यक्ष  जगदीश यादव  ने लोगों को सम्बोधित किया. 

Also Read- जानिए राज्यों और जाति के नाम पर क्यों रखे जाते हैं रेजिमेंट के नाम.

कार्यक्रम में शामिल हुए यादव महासभा के अध्यक्ष 

जानकारी के अनुसार, उड़ीसा (Orissa) में अहीर रेजिमेंट के लिए वहाँ की यादव महासभा ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया और उस आयोजन में दिल्ली यादव महासभा के अध्यक्ष जगदीश यादव (Jagdish Yadav) ने शिकरत करी. इस दौरान काफी भारी संख्या में भीड़ इस कार्यक्रम का हिस्सा बनी. 

यादव महासभा के अध्यक्ष ने किया लोगों को सम्बोधित

इस आयोजन दिल्ली यादव महासभा के अध्यक्ष Jagdish Yadav  जी सम्बोधित करते हुए कहा सबसे पहले भारत की माँ की लाज बचने को कोई आया था तो वो यादव समाज आया था. अग्रेजों से लड़ते लड़ते 5 हज़ार सैनिक शहीद हुए थे. इसी के साथ उन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध का भी जिक्र किया और इस युद्ध में शहीद हुए लोगों को याद करते हुए उनके बलिदान के बारे में बताया

क्यों उठ रही है अहीर रेजीमेंट की मांग 

अहीर रेजीमेंट को अपनी अलग पहचान दिलाने की मांग उठाने से पहली अहीर जवानों को पहले से स्थापित कुमायूं, जाट, राजपूत और बाकी  रेजिमेंट में विभिन्न जाति के जवानों  के साथ सेना में शामिल किया जाता है। उन्हें ब्रिगेड ऑफ गार्ड, पैराशूट रेजिमेंट, आर्मी सर्विस कॉर्प, आर्टिलरी इंजीनियर, सिग्नल्स में भर्ती किया जाता है। शुरुआत में अहिरों को हैदराबाद के 19वें रेजीमेंट में उत्तरप्रदेश के राजपूतों, मुसलमानों और अन्य जाति के लोगों के साथ भर्ती किया जाता था   1922 में 19 हैदराबाद रेजिमेंट को डेक्कन मुस्लिम में बदल दिया गया और 1930 में इसमे कुमांयूनी, जाट, अहिर और अन्य जाति के लोगों को शामिल किया गया.

 इस वजह नहीं बन रही नयी रेजिमेंट 

इस वजह से अब नहीं बनाई गई नई रेजिमेंट वहीं जब देश से ब्रिटिश राज से आजाद हुआ उसके बाद से वर्ग, पंथ, क्षेत्र या धर्म के आधार पर सेना में रेजिमेंटों का गठन नहीं किया गया है। इसके पीछे लगभग सरकारों का रुख स्पष्ट रहा है कि उसकी नीति के अनुसार सभी नागरिक, चाहे वे किसी भी वर्ग, पंथ, क्षेत्र या धर्म के हों, भारतीय सेना में भर्ती होने के लिए पात्र हैं। आजादी के बाद भारत सरकार की यह नीति रही है कि किसी वर्ग/समुदाय/धर्म या क्षेत्र विशेष के लिए कोई रेजिमेंट न बनाई जाए. 

Also Read- जानिए क्यों उठ रही है अहीर रेजीमेंट के गठन की मांग, भारत-चीन युद्ध से हैं इसका संबंध.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here