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हनुमान चालीसा पढ़ते वक़्त बचे इस गलती से वरना भयानक परिणाम भुगतने को तैयार रहे

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Mistakes in Hanuman Chalisa – गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जो एक शिक्षक, विद्वान और लेखक हैं और उन्हें विशाल ज्ञान और हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों की गहरी समझ है. रामभद्राचार्य को 22 भाषा आती हैं साथ ही संस्कृत और हिंदी के अलावा अवधि, मैथिली सहित अन्य भाषाओं में कविता कहते हैं. रामभद्राचार्य जन्म के दो महीने बाद अंधे हो गये लेकिन इसके बाद भी उन्होंने सुनकर शिक्षा हासिल की और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाई. वहीं इस बीच श्री गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा को लेकर एक बात कही है.

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हनुमान चालीसा के इन शब्दों का उच्चारण है गलत 

गुरु स्वामी रामभद्राचार्य (Swami Rambhadracharya) ने बताया है कि कई लोग हनुमान चालीसा के कई शब्द गलत पढ़ते हैं या बोलते हैं. वहीं गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने हनुमान चालीसा कई चौपाई को लेकर बताया कि इनका सही उच्चारण क्या है.

शंकर सुवन केसरी नंदन ।

तेज प्रताप महा जगवंदन ॥

गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने बताया कि जो लोग जिस चौपाई शंकर सुवन केसरी नंदन कहा गया है वो गलत है ये सुवन नहीं स्वयं है.

सब पर राम तपस्वी राजा ।

तिनके काज सकल तुम साजा ॥

गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने ये भी कहा कि इस सब पर राम तपस्वी राजा । तिनके काज सकल तुम साजा ॥ चौपाई को गलत पढ़ा जाता है तपस्वी राजा नहीं बल्कि सब पर राम तपस्वी राजा नहीं बल्कि सब पर राम राय सिर ताजा है.

राम रसायन तुम्हरे पासा ।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥ इस चौपाई को लेकर गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि सदा रहो रघुपति के दासा नहीं बल्कि सदर रहो रघुपति के दासा है.

जो सत बार पाठ कर कोई ।

छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

वहीं जो सत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥ इस चौपाई को लेकर गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि जो सत बार पाठ कर सोई नहीं है बल्कि यह सत बार पाठ कर कोई है।

कहा जाता है कि अगर हनुमान चालीसा (Mistakes in Hanuman Chalisa) का गलत उच्चारण किया जाता है तो हनुमान चालीसा पढ़ते गलती करने से बचना चाहिए. अगर आप ऐसी गलती करते हैं तो आपको भयानक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.

कौन हैं स्वामी रामभद्राचार्य – Who is Rambhadracharya

रामभद्राचार्य का बहुत ज्ञानी हैं लेकिन वो जन्म से अंधे हैं. रामभद्राचार्य का जन्म मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के शांडीखुर्द गांव में हुआ था और स्वामी भद्राचार्य ने 24 मार्च 1950 को ट्रेकोमा के संक्रमण के कारण अपनी दृष्टि खो दी. वहीं अंधे होने केव बाद भी उन्होंने कई सारी उपलब्धि हासिल की

रामभद्राचार्य को मिला है पद्मविभूषण सम्मान 

रामभद्राचार्य ने तीन वर्ष की उम्र में अपनी प्रारंभिक कविता अवधी भाषा में लिखी थी और 5 साल की उम्र में भगवत गीता के 700 श्लोक याद कर लिए थे और सात साल की उम्र में 60 दिनों में तुलसीदास के रामचरितमानस के 10,900 श्लोकों को याद किए. वहीं रामभद्राचार्य, जगद्गुरु, श्री राम जन्मभूमि विवाद केस के दौरान चर्चा में आए थे. वहीं वो एक मुकदमेबाज के रूप में प्रकट हुए. जहाँ रामभद्राचार्य, जगद्गुरु को कई भाषा का ज्ञान है और सुनकर शिक्षा हासिल की और बोलकर अपनी रचनाएं लिखवाई. वहीं उनके ज्ञान को पाने के इस परिश्रम को लेकर भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2015 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया था.

Also Read- How to Meet Guru Rambhadracharya : जानिए कैसे कर सकते हैं गुरु रामभद्राचार्य से मुलाकात.

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