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अपहरण और व्यपहरण क्या है? इसके लिए कैसी सजा का प्रावधान है?

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IPC Section 359 Details – किसी को सरेशाम या दिनदहाड़े या फिर घर में घुसकर अपने साथ ले जाना अपहरण कहलाता है। वहीं 16 वर्ष से कम उम्र का शख्स या लड़का जब 18 वर्ष की उम्र की लड़की को बहला -फुसलाकर या अपनी मर्जी से अपने साथ ले जाता है तो उसे व्यपहरण कहते है लेकिन ज्यातरतर लोग समझते हैं कि अपहरण और व्यपहरण में फर्क नहीं है ये दोनों एक ही है लेकिन ऐसा नही है इन दोनों में बहुत ज्यादा फर्क हैं. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको इस बात की जानकारी देने जा रहे हैं कि अपहरण और व्यपहरण क्या है इसमें  सजा का प्रावधान क्या है.

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जानिए क्या है व्यपहरण और अपहरण

व्यपहरण को अंग्रेजी शब्द में किडनैपिंग कहा जाता है। इसे बालचौर्य भी कहते है, जिसका मतलब होता है, बच्चों की चोरी से। इसमें अगर 16 वर्ष से कम उम्र का लड़का या फिर 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की या किसी भी आयु वर्ग को बहला-फुसलाकर या फिर अपनी मर्जी से कोई अपने साथ ले जाता है तो उसे व्यपहरण कहा जाता है। वहीं 16 वर्ष से अधिक उम्र का लड़का या 18 साल से अधिक उम्र की लड़की को बलपूर्वक या जबरन उसकी इच्छा या मर्जी के विरोध में ले जाया जाता है तो उसे अपहरण कहा जाता है।

व्यपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 359 (section 359) में दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। व्यपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 360 और 361 में परिभाषित किया गया है और अपहरण को भारतीय दंड संहिता की धारा 362 में परिभाषित किया जाता है। इसमें कहा गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को एक स्थान से जाने के लिए विवश करता है तो उसे अपहरण का अपराध किया जाता है।

IPC Section 359 Details

किसी भी आयु वाले व्यक्ति का अपहरण हो सकता है। वहीं व्यपहरण में बच्चे या 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी वर्ग का हो सकता है। अपहरण के मामले में छल, कपट या बल प्रयोग किया जाता है तो वहीं व्यपहरण में बल प्रयोग आवश्यक नहीं, व्यक्ति लालच देकर या प्रेरित करके उसे अपने साथ ले जाने के लिए तैयार करता है।

जानिए क्या है सजा का प्रवधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 365 के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को अनुचित रूप से कैद करने के लिए उसका अपहरण या व्यपहरण करेगा तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा होगी। इसमें आरोपी को सात साल की कैद होने के साथ-साथ भारी जुर्माना भी भरना पड़ता है। अपहरण करने वाले आरोपी को सात साल की सजा सुनाई जाती है और जुर्माने का भी प्रवाधान है। वहीं व्यपहरण में आजीवन कारावास और आर्थिक दंड शामिल है.

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