महाशिवरात्रि पर शिव जी को लगाएं ये 7 खास भोग, बरसेगी भोलेनाथ की कृपा

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हर वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है भगवान शिव का व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. लोगों के कष्ट दूर होते हैं, भय से मुक्ति मिलती है, भोले कि कृपा से आरोग्य प्राप्त होता है. सुख-सौभाग्य बढ़ता है. महाशिवरात्रि भगवान शिव की आराधना के लिए सर्वोत्तम दिन माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की बारात निकाली जाती है और उन्हें तरह-तरह के भोग लगाएं जाते हैं. भगवान भोले अपने नाम जैसे ही भोले हैं जो केवल एक लोटा जल और बेलपत्र अर्पित करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं. लेकिन महाशिवरात्रि के दिन भगवान को भांग चढ़ाने का भी विशेष महत्व होता है. हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि भांग, भगवान शिव को बेहद प्रिय है और महाशिवरात्रि के मौके पर भगवान भोलेनाथ को भंग का प्रसाद चढ़कर उसका सेवन भी किया जाता है .भांग, भोलेनाथ को चढ़ाकर प्रसाद के रूप में उसका सेवन भी किया जाता है. आज हम आपको भगवान  भोलेनाथ के कुछ खास प्रसाद के बारे में बतायेंगे, जिसे भोग स्वरूप आप भोलेनाथ को अर्पित कर सकते हैं और सभी लोग इसका चाव से सेवन भी कर सकते हैं.

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भोग

इस दिन आप सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें और उसके बाद शिव की पूजा शुरू करने से पहले शिवलिंग को स्नान करवाकर उसका अभिषेक जरूर करें. इसके लिए आपको एक पात्र में केसर, दूध, दही, घी, इत्र, शहद, भांग और चीनी को मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए. भगवान के अभिषेक के साथ-साथ इस दिन कुछ खास और खुशबूदार भोग चंधने का भी विशेष महत्व है. भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाने के बाद गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग जरूर लगाएं. इससे शिवजी बहुत प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही इस दिन भगवान को भांग चढ़ाने का भी विशेष महत्व है. हालांकि सेहत को ध्यान में रखते हुए भोग में भांग की मात्रा बहुत ही कम रखें.

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मालपुआ

मालपुआ भगवान शिव को बहुत पसंद है. ऐसे में अगर इस बार आप महाशिवरात्रि पर मालपुआ बनाने चाहते हैं, तो उसमें थोड़ा सा भांग का पाउडर मिला दें. इससे मालपुए का स्वाद भी बढ़ जाएगा और भोग में भांग भी शामिल हो जाएगी. शिवरात्रि के दिन गुड़ से बना पुआ, हलवा और कच्चे चने का भोग भोलेनाथ को जरूर लगाया जाता है.

भांग ठंडाई

शिवरात्रि आने से पहले ही मौसम में थोड़ी गर्माहट भी आ जाती है. ऐसे में महाशिवरात्रि के भोग के रूप में अधिकतर लोग भगवान शिव को ठंडाई पिलाते हैं. इस ठंडाई में अगर भांग मिला दी जाए, तो क्या कहने.

शिवरात्रि के मौके पर ठंडाई जरूर बनाई जाती है. अगर आप इसे घर में बनाना चाहते हैं, तो दूध, चीनी, बादाम, काजू, पिस्ता, सौंफ, खसखस, इलायची और केसर को अच्छे से पकाकर इसमें 1 चम्मच भांग का पेस्ट मिला दिया जाए तो भांग वाली ठंडाई तैयार हो जाएगी.

भांग लस्सी

ठंडाई के अलावा आप लस्सी में भी भांग का ट्विस्ट देकर इसे और भी मजेदार बना सकते हैं और महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को इसका भोग लगा सकते हैं. इसके लिए आप आधा किलो दही में थोड़ा दूध, चीनी और 1 चम्मच के करीब भांग पाउडर मिला दें और मथनी से या मिक्सी में इसको अच्छे से मिक्स कर लें.

भगवान को भोग के साथ-साथ आप इसे मेहमानों के लिए भी सर्व कर सकते हैं.

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भांग के पकौड़े

मीठे के साथ-साथ शिवरात्रि पर आप भांग से कुछ नमकीन भी बना सकते हैं. इस दिन आप भांग के पकौड़े ट्राई कर सकते हैं. इसके लिए बेसन और सब्जियों को मिलाकर बनने वाले नॉर्मल पकौड़ों में आपको थोड़ा सा भांग का पाउडर मिलाना होगा.

और इसे प्रसाद के तौर पर भगवान शिव को अर्पित करें. याद रखें की भोग लगाने के लिए अगर आप इसे बना रहे हैं, तो इसमें प्याज-लहसुन बिल्कुल न डालें.

हलवा

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को हलवे का भोग जरूर लगाएं. ये हलवा आप कूट्टू के आटे का या फिर सूजी का बना सकते हैं. इसमें ड्राई फ्रूट्स जरूर डालें. भगवान शिव को महाशिवरात्रि के दिन हलवे का भोग लगाने से वह बहुत खुश होते हैं और भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी करते हैं.

मखाने की खीर

आप चाहे तो महाशिवरात्रि पर भोलेनाथ को मखाने की खीर का भोग भी लगा सकते हैं. व्रत के अलावा मखाने की खीर को विशेष अवसरों पर भी बनाया जाता है. इसे बनाना बेहद ही आसान है. साधारण सी दिखने वाली इस खीर को ढेर सारे मेवा डालकर बनाया जाता है.

मखाने की खीर में चावल की जगह भूनें हुए मखाने का इस्तेमाल किया जाता है. इसका स्वाद बढ़ाने के लिए आप चाहे तो इसमें केसर और इलाइची पाउडर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

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भांग की बर्फी

शिवरात्रि के मौके पर भांग खाने की प्रथा है. ऐसे में आप घर पर आसानी से भांग की बर्फी भी बना सकते हैं. इसके लिए मावा को अच्छे उसे भूनें. इसमें घी, भांग, बादाम पाउडर और चीनी डालकर अच्छी तरह से पका लें और ठंडा होने पर एक प्लेट में जमाकर इसकी बर्फी काट लें.

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