हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का दिन बेहद ही खास माना जाता है। इस दिन श्रद्धालु भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। कई लोग महाशिवरात्रि पर शिव जी का व्रत भी रखते हैं। शिवपुराण के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि कहते हैं। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो शिवरात्रि की रात आध्यात्मिक शक्तियां जागृत होती हैं। इस बार महाशिवरात्रि का ये खास पर्व 1 मार्च मंगलवार के दिन पड़ रहा हैं। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि से जुड़ी कुछ खास बातें? इसे मनाया की वजह क्या है? महाशिवरात्रि की पूजा करने का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि क्या है?
क्यों मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व?
महाशिवरात्रि मनाने को लेकर बहुत सारी कथाएं जुड़ी हुई हैं। कुछ लोगों का मानना है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। महाशिवरात्रि से जुड़ी एक और कथा ये भी है कि एक बार मां पार्वती ने भगवान शिव से सबसे श्रेष्ठ और सरल व्रत-पूजन के बारे में पूछा था, जिसका जवाब देते हुए शिव जी ने पार्वती मां से कहा कि ‘शिवरात्रि’ का व्रत सबसे श्रेष्ठ व्रत होता है। इस व्रत को करने से शिव जी की विशेष कृपा मिलती है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने वाले अविवाहिता को सच्चा जीवन साथी मिलता है।
पूजा का शुभ मुहूर्त…
एक मार्च को महाशिवरात्रि सुबह 3 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी, जो 2 मार्च को सुबह 10 बजे तक रहेगी।
प्रथम प्रहर की पूजा- 1 मार्च 2022 शाम 6.21 बजे से रात 9.27 बजे
द्वितीय प्रहर की पूजा- 1 मार्च रात 9.27 बजे से 12.33 बजे
तीसरे प्रहर की पूजा- 1 मार्च दोपहर 12.33 बजे से 3.39 बजे
चतुर्थ प्रहर की पूजा- 2 मार्च को सुबह 3:39 बजे से 6.45 बजे
पारण का समय- 2 मार्च, बुधवार 6.45 मिनट बाद
महाशिवरात्रि की पूजा विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद साफ कपड़े पहन लें, ध्यान रहे इस दिन आपको काले वस्त्रों को धारण नहीं करना है। इसके बाद अपने घर के नजदीक शिव मंदिर जाएं और वहां शिवलिंग का अभिषेक करें। सबसे पहले शिवलिंग पर जल अर्पित करें और फिर घी, शकर, दही और शहद भी शिवलिंग पर अर्पित करें। ऐसा करने के बाद दूध से अभिषेक करें और फिर जल से शिवलिंग को साफ करें। इसके बाद चंदन से शिवलिंग को तिलक लगाएं। फिर बेल पत्र, फल-फूल अर्पित करें और एक घी का दीपक जलाएं।
महाशिवरात्रि और शिवरात्रि में अंतर
भोले शंकर की पूजा करने के लिए हर दिन ही शुभ और अच्छा होता है। लेकिन सावन का सोमवार, शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का अलग महत्व होता है। इस दौरान पूजा करने वाले भक्तों को विशेष लाभ की कृपा होती है।
वैसे तो कई लोग महाशिवरात्रि को ही शिवरात्रि बोलते हैं, लेकिन ऐसा है नहीं। दोनों पर्व अलग हैं। ये अलग महीने और अलग दिन में पड़ते हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के बीच अंतर ये है कि महाशिवरात्रि साल में एक बार ही आती है, जो फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को पड़ती है। वहीं शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर आती है।
महाशिवरात्रि के मौके पर करें कुछ खास उपाय…
महाशिवरात्रि के दिन पूजा अर्चना करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और जिंदगी में चली आ रही तमाम परेशानियां भी खत्म हो सकती हैं। नौकरी पाने से लेकर तमाम संकट दूर करने तक के लिए आपको महाशिवरात्रि के खास अवसर पर कुछ उपाय करने चाहिए, जिससे भोलेनाथ आपसे प्रसन्न होंगे और आपकी सारी मनोकामना पूरी करेंगे। चलिए जानते हैं इसके बारे में…
– अगर आप नौकरी पाना चाहते हैं या फिर व्यापार में सफलता चाहिए, तो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का चांदी के लोटे से अभिषेक करें। इसके साथ ही ऊं नम: शिवाय मंत्र का भी जाप करें। शिव जी को सफेद फूल अर्पित करें और उनसे नौकरी या व्यापार में सफलता की प्रार्थना करें।
– अच्छी सेहत और बीमारियों से दूर रहने के लिए आप महाशिवरात्रि के लिए एक खास उपाय कर सकते हैं। इसके लिए मंदिर में मिट्टी के दीए में गाय का घी भरकर उसमें कपूर डालें। फिर कलावे की 4 बातियां लगाकर जलाएं। इसके अलावा भोलेनाथ को जल में चावल दूध मिश्री मिलाकर अर्पण करें और कम से कम 108 बार ऊं नमः शिवाय मंत्र का जाप करें।
– आपके विवाह में अगर देरी हो रही है तो महाशिवरात्रि के मौके पर एक उपाय करें। इस दिन शाम को 5 से 6 बजे के बीच पीले कपड़े पहनकर मंदिर जाएं। अपनी उम्र के बराबर बेलपत्र लें, उनपर चंदन लगाएं और फिर शिवलिंग पर अर्पित कर दें। हर बेलपत्र को अर्पित करते हुए ऊं नमः शिवाय कहें। धूप जलाकर और शिव जी से जल्दी विवाह कराने के लिए प्रार्थना करें।
– रुका हुआ धन पाने या फिर आय बढ़ाने के लिए भोलेनाथ से प्रार्थना करें। इसके लिए महाशिवरात्रि के दिन सुबह स्नान के बाद पंचामृत से भगवान शिव का अभिषेक करें। एक-एक करके सभी चीजें शिवलिंग पर अर्पित करें और आखिर में जल से अभिषेक करें। इस दौरान ऊं नम: शिवाय और ऊं पार्वतीपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
महाशिवरात्रि पर भूलकर भी ना करें ये काम…
– महाशिवरात्रि के दिन देर तक ना सोएं।
– भूलकर भी काले रंग के वस्त्र धारण न करें।
– महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर चढ़ाई गई चीजों को बिल्कुल भी ग्रहण न करें।
– भगवान शिव की पूजा में तुलसी का प्रयोग भूल से भी ना करें।
– इस दिन भगवान शिव की पूजा में केतकी और चंपा के फूलों का भी इस्तेमाल ना करें।
– शिवलिंग पर नारियल का इस्तेमाल करना गलत है।
– भोलेनाथ की पूजा में हल्दी और कुमकुम का भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
– इस दिन किसी को अपशब्द नहीं बोलने चाहिए।
– शराब और मांसाहार से दूर रहें।
– इस दिन भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। आपने व्रत रखा है तो दूध और केले का सेवन करें। हो सके तो पूरा दिन सिर्फ फल ही खाएं। अगर आपसे ये नहीं हो पा रहा, तो एक समय आप भोजन कर सकते हैं।
इस दिन जागरण करने का महत्व…
महाशिवरात्रि के इस खास मौके पर जागरण करने का भी काफी महत्व है। महाशिवरात्रि की पूरी रात जागकर महादेव की आराधना की जाती है। इसके पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही वजह है। आइए इसके बारे में जान लेते हैं…
धार्मिक महत्व देखें तो महाशिवरात्रि की रात को शिव और माता पार्वती के विवाह की रात माना जाता है। शिव जी ने वैराग्य जीवन से गृहस्थ जीवन में कदम रखा। मान्यता है कि जो श्रद्धालु रात में जागरण कर शिव और पार्वती की आराधना और भजन करते हैं, तो उन भक्तों पर विशेष कृपा होती है। उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के तमाम कष्ट दूर हो जाते हैं।
वैज्ञानिक लिहाज से भी महाशिवरात्रि की रात काफी खास होती है। दरअसल बताया जाता है कि इस रात ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार अवस्थित होता है कि मनुष्य के अंदर की ऊर्जा प्राकृतिक रूप से ऊपर की ओर जाने लगती है। प्रकृति खुद मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक जाने में मदद करती है। इसलिए अगर इस दिन हम शरीर को सीधा रखें जैसे कि योग की मुद्रा में बैठे या फिर खड़े रहें तो हमें शिव की ऊर्जा मिलती है। यही कारण है कि महाशिवरात्रि के दिन सोने से मना किया जाता है।
भोलेनाथ को चढ़ाई जाने वाली अनोखी चीजें…
भोलेनाथ के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उनका व्यवहार नाम की ही तरह भोला हैं। कोई भक्त उनको जो कुछ भी श्रद्धा के साथ चढ़ाता है, वो उसको खुशी खुशी स्वीकार लेते हैं। शिव जी को चढ़ावे में कई अनोखी चीजें चढ़ाई जाती हैं। आप भांग से लेकर धतूरा तक चढ़ाने की बात तो आप जानते होंगे। लेकिन क्या आपको ये मालूम है कि शिव जी को कई ऐसी चीजें भी चढ़ाई जाती है, जिसके बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती। आइए आज हम आपको ऐसी ही कुछ चीजों के बारे में बताते हैं…
जिंदा केकड़ा
कभी किसी भगवान को क्या जिंदा केकड़ा प्रसाद के रूप में अर्पित करने की आप सोच सकते हैं? नहीं ना…लेकिन गुजरात के सूरत शहर के एक गांव में कुछ ऐसा ही होता है। यहां के उमरा गांव में एक भगवान शिव का मंदिर स्थित है जहां भक्त प्रसाद के रूप में उन्हें जिंदा केकड़ा चढ़ाते हैं। यहां शिव को सोमनाथ घेला महादेव के नाम से भी जाना जाता है। ये केकड़ा शिव को साल में सिर्फ एक बार षडतिला एकादशी के दिन चढ़ाया जाता है। इस 200 साल पुराने मंदिर में मान्यता है कि भगवान शिव पर जिंदा केकड़ा चढ़ाने से सभी तरह के रोगों से मुक्ति मिलती है।
सिगरेट
जहां एक तरफ हम सिगरेट को सेहत के लिए किसी जहर से कम नहीं मानते हैं। वहीं दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश के अर्की सोलन के एक मंदिर में ये भगवान शिव को अर्पित की जाती है। यहां लुटरू महादेव का मंदिर है जिसमें गुफा के अंदर मध्य भाग में 8 इंच लंबी प्राचीन प्राकृतिक शिवलिंग मौजूद है। आपको ये जानकर काफी आश्चर्य होगा कि इस स्वनिर्मित शिवलिंग में कई छेद हैं और इसकी प्रसिद्धि इसलिए भी है क्योंकि ये सिगरेट पीता है। भक्त शिवलिंग के गड्ढों में सिगरेट फंसा देते हैं और ये सिगरेट खुद ही सुलगने लगती है जैसे इसे कोई पी रहा होऔर तो और ये सिगरेट पूरी सुलग कर खुद ही बुझ जाती है। इसे कोई बुझाता नही।
मक्खन
हिमाचल के कुल्लू में ही एक और पुराना मंदिर है जिसको बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। ब्यास और पार्वती नदी के संगम के पास एक ऊंचे पर्वत पर स्थित इस मंदिर की मान्यता है कि यहां हर साल महादेव पर बिजली गिरती है। हर बार इस बिजली के प्रकोप से मंदिर को तो कुछ नहीं होता लेकिन हर बार शिवलिंग खंडित हो जाता है। जिसके बाद इस खंडित शिवलिंग को मक्खन से जोड़ा जाता है।
झाड़ू
उत्तर प्रदेश के संभल में एक ऐसा भी शिवमंदिर है जहां भोलेनाथ को झाड़ू चढ़ाई जाती है। ये शायद दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर होगा जहां भगवान शिव को झाड़ू अर्पित की जाती है। इसके पीछे मान्यता है कि इसे चढ़ाने से त्वचा के रोगों से निजात मिलती है। पातालेश्वर नाम के इस मंदिर में भक्त एक हाथ में जल और दूसरे हाथ में झाड़ू लेकर मंदिर जाते हैं।
सिंदूर
मध्य प्रदेश में एक अनोखा मंदिर है। इटारसी से 17 किमी. दूर भगवान शिव का एक धार्मिक स्थल है, जिसका गौंड जनजाति का जुड़ाव है। मंदिर का नाम तिलक सिंदूर है। ऐसा कहा जाता है कि यहां शिवजी की प्रतिमा का सिंदूर से स्नान कराकर श्रृंगार किया जाता है।
नाग-नागिन करते हैं पूजन
हरियाणा के पेहोवा के पास अरुणाय स्थित श्री संगमेश्वर महादेव का मंदिर है। बताया जाता है कि हर साल महाशिवरात्रि के त्योहार पर यहां एक नाग नागिन का जोड़ा आता है और शांति से शिवलिंग की पूजा करके चला जाता है। खास बात ये है कि आज तक इस नाग नागिन ने किसी को नुकसान नहीं पहुंचाया। बताया जाता है कि देवी सरस्वती ने शाप से मुक्ति के लिए यहां शिव आराधना की थी।