बागेश्वर धाम महाराज को 7 साल की सजा! … इसलिए दावा सच करने से चूके धीरेंद्र शास्त्री?

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बागेश्वर धाम के महाराज पर की गयी करवाई की मांग 

इन दिनों मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र शास्त्री (Maharaj Dhirendra Shastri of Bageshwar Dham)  चर्चा का विषय बने हुए हैं और ये चर्चा उनके द्वारा किया जाने वाला चमत्कार है. दरअसल, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित श्री धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Bageshwar Dham Maharaj Dhirendra Krishna Shastri) के दरबार में आए लोगों के बारे में किसी के बिना बताए ही मन की बात कागज के एक पर्चे पर लिख देते हैं और इस समस्या का निवारण भी बताते हैं और इस दौरान ही पंडित शास्त्री कस्बों-शहरों में जाकर श्रीराम कथा के साथ अपना दरबार (Darbar) लगाते हैं। वहीं इस बीच ये खबर मिली है कि महाराष्ट्र (Maharashtra) के नागपुर (Nagpur) में लगाया गया बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र शास्त्री का दरबार के आयोजन दो दिन पहले ही खत्म कर दिया और अगर ये आयोजन खत्म नही किया जाता तो वो जेल जा सकते थे क्योंकि यहाँ पर एक कानून है जिसकी वजह से बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र शास्त्री यहां से भाग गए.

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जानिए क्या है पूरा मामला


महाराष्ट्र के नागपुर में बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र शास्त्री का दरबार का आयोजन हुआ, लेकिन यह दो दिन पहले ही खत्म हो गया। दरबार को 13 जनवरी तक चलना था, लेकिन यह अचानक 11 जनवरी को ही खत्म हो गई। इसका कारण अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (Superstition Eradication Committee) को बताया जा रहा है। दरअसल, समिति के सदस्य और प्रसिद्ध एक्टिविस्ट श्याम मानव (Shyam manav) ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को चमत्कारिक शक्तियों का दावा साबित करने की चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि पंडित शास्त्री सबके सामने अपनी शक्तियां साबित करके दिखाएं। ऐसा नहीं करने पर उन्होंने महाराष्ट्र में लागू The drugs and Magic Remedies कानून के तहत एफआईआर दर्ज कराने की धमकी भी दी थी। 

महाराज पर लगा था ये आरोप


महाराष्ट्र के नागपुर की अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने बागेश्वर धाम के महाराज पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया है. जहाँ धीरेंद्र शास्त्री का दावा है कि अपनी दैवीय शक्तियों से वह लोगों के मन की बात पढ़ लेते हैं. तो वहीं नागपुर में अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति ने उनके दावों को साबित करने की चुनौती दी जिसके बाद बाबा अंध श्रद्धा उन्मूलन कानून के डर से रायपुर चले आए. जिसके बाद समिति ने धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई है.

महाराष्ट्र में अंधविश्वास को लेकर बना है कानून 

जानकारी के अनुसार, अंधविश्वास और जादू-टोना को लेकर महाराष्ट्र में एक कानून बनाया है और इस कानून को लेकर कहा जाता है कि यहाँ पर अंधविश्वास और जादू-टोना को लेकर लंबे समय तक आंदोलन हुआ. इसमें कई लोगों की जानें भी गईं. इसके बाद वहां 2013 में महाराष्ट्र मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्य की रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम पारित किया गया. इसके जरिए राज्य में अमानवीय प्रथाओं, काला जादू आदि को प्रतिबंधित किया गया. इस कानून का एक खंड विशेष रूप से ‘godman’ (स्वयंभू भगवान या उनका अवतार) के दावों से संबंधित है. यह उनके लिए है जो दावा करते हैं कि उनके पास अलौकिक शक्तियां हैं. वहीं इस कानून के तहत धीरेंद्र शास्त्री पर करवाई की जा सकती थी. वहीं अब नागपुर से भाग जाने पर धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ इसी कानून के तहत कार्रवाई की मांग हो रही है.

क्या है सजा का प्रावधान

महाराष्ट्र मानव बलि और अन्य अमानवीय कृत्य की रोकथाम एवं उन्मूलन अधिनियम में कुल 12 क्लॉज हैं. ये अलग-अलग अपराधों को चिन्हित करते हैं. अगर कोई इसमें दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम छह महीने और ज्यादा से ज्यादा सात साल तक की सजा का प्रावधान है. इसके अलावा पांच हजार से 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का भी प्
रावधान है. ये अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय हैं.

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