National Tourism Day: सैलानियों के दिलों में अमिट छाप छोड़ देते हैं भारत के पर्यटन स्थल

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अपनी सांस्कृतिक और भौगोलिक स्वरुप से दुनिया के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाला हमारा देश भारत दिन-प्रतिदिन विकास के पथ  पर अग्रसर होते जा रहा है। भारत की ऐतिहासिक ईमारतें और तमाम ऐतिहासिक स्थल सैलानियों के पसंद बने हुए है।

भारत के पर्यटन स्थल मनमोहक है जो लोगों को काफी पसंद भी आते है। भारत में पर्यटन सेवा का सबसे बड़ा उद्योग है। देश की अर्थव्यवस्था में भी पर्यटन बहुत बड़ा योगदान है। पर्यटन का देश की जीडीपी में औसतन 6.23 प्रतिशत और भारत के कुल रोजगार में 8.78 प्रतिशत योगदान है। हमारे देश की ऐतिहासिक विरासत को देखने और परखने के लिए दुनिया से हर साल लगभग 50 लाख से ज्यादा सैलानी भारत भ्रमण पर आते है।

जबकि भारत के लगभग 56.2 करोड़ लोग प्रतिवर्ष देश के पर्यटन स्थलों की सैर करते है। हमारे देश में हर साल 25 जनवरी को भारतीय पर्यटन दिवस या नेशनल टूरिज्म डे के रुप में मनाया जाता है। आज पूरा देश भारतीय अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण घटक को शालीनता के साथ मना रहा है।

भारत की हसीन वादियां सैलानियों को लुभाती है

पर्यटन के क्षेत्र में भारत विश्व में 34 वें नंबर पर है। भारत में ऐसे कई पर्यटन स्थल मौजूद हैं जो दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। देश की अर्थव्यवस्था और पर्यटन के महत्व के बारे में जागरुकता बढ़ाने के इरादे से भारत सरकार ने पर्यटन दिवस मनाने की शुरुआत की। भारत में लोगों को सम्मोहित करने वाले, लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले तमाम पर्यटन स्थल है। इसलिए हमारा देश दिन-प्रतिदिन सैलानियों का पसंदीदा टूरिस्ट प्लेस बनता जा रहा है।

यहां की वादियां, यहां की घाटियां, यहां की ऐतिहासिक इमारतें, यहां की विरासतें, यहां की नदियां, यहां के झरने, यहां के मनमोहक दृश्य दुनिया को लुभाते है। दुनिया के कई हिस्सों से पर्यटक भारत की संस्कृति और भौगोलिक विविधता के साथ-साथ भारत के गौरवशाली इतिहास को जानने के लिए आते है।

WEF की रिपोर्ट में 6 अंक ऊपर आया भारत

बता दें, वैश्विक यात्रा एवं पर्यटन प्रतिस्पर्धा सूचकांक में भारत 40 वें से 34 वें स्थान पर आ गया है। साल 2017 में भारत 40 वें स्थान पर था। वहीं, साल 2019 में आई विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट में भारत 6 पायदान ऊपर चढ़ते हुए 34 वें स्थान पर आ गया। इसकी अहम वजह प्राकृतिक और सांस्कृतिक संसाधन के मामले में भारत का समृद्ध होना और कीमत के लिहाज से बेहद प्रतिस्पर्धी होना है।

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