Snowy temples of Himachal: हिमाचल प्रदेश के 5 प्रमुख मंदिर, जहां सर्दियों में भी श्रद्धा और पूजा का सिलसिला नहीं रुकता

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Snowy temples of Himachal: अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक महत्व के लिए मशहूर हिमाचल प्रदेश में कुछ ऐसे अनोखे मंदिर हैं, जहां बर्फबारी के बावजूद पूजा-अर्चना जारी रहती है। इतनी ऊंचाई पर और बर्फबारी के बीच इन मंदिरों में पूजा-अर्चना करने से न सिर्फ श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक अनुभूति होती है, बल्कि हिमाचल की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक परंपराएं भी जीवंत रहती हैं। यहां के कुछ प्रमुख मंदिरों में हर साल सर्दियों में बर्फबारी के बावजूद पूजा-अर्चना की जाती है, जो इन जगहों को और भी खास बना देती है। इन मंदिरों के दर्शन करने से न सिर्फ आस्था मजबूत होती है, बल्कि हिमाचल प्रदेश की अनूठी प्राकृतिक खूबसूरती का भी अनुभव होता है।

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 शिकारी देवी मंदिर (Shikari Devi Temple)

  • स्थान: मंडी जिला, हिमाचल प्रदेश
  • उँचाई: 2,850 मीटर
  • विशेषताएँ: शिकारी देवी मंदिर समुद्रतल से काफी ऊँचाई पर स्थित है और यह हिमाचल के सबसे ऊँचे मंदिरों में से एक माना जाता है। बर्फबारी के दौरान भी यहां पूजा होती है, और यह मंदिर ट्रैकिंग द्वारा पहुँचा जा सकता है। यह मंदिर देवी शिकारी को समर्पित है और यहाँ की पूजा पारंपरिक रूप से सर्दियों में भी आयोजित की जाती है।

ममलेश्वर मंदिर (Mamleshwar Temple)

  • स्थान: करसोग क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश
  • विशेषताएँ: ममलेश्वर मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और यहाँ बर्फबारी के बावजूद पूजा जारी रहती है। यह मंदिर सर्दियों के मौसम में विशेष रूप से श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता है। ममलेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना का महत्व सर्दियों में भी निरंतर जारी रहता है, जिससे यहाँ का धार्मिक वातावरण और भी सशक्त बनता है।

 मंगलेश्वर महाराज का मंदिर (Mangleshwar Maharaj Temple)

  • स्थान: बलग, ठियोग, शिमला जिला
  • विशेषताएँ: मंगलेश्वर महाराज का मंदिर हिमाचल प्रदेश के ठियोग उपमंडल में स्थित है, जहां परंपरागत रूप से बर्फबारी के दौरान विशेष पूजा की जाती है। यहां की लोक परंपरा के अनुसार, यदि मंदिर की छत पर तीन दिन बर्फ जमी रहती है, तो मंदिर के कारदारों को विशेष पूजा करनी पड़ती है। इस साल, सात दशकों बाद इतनी भारी बर्फबारी हुई थी, जिससे इस परंपरा का पालन किया गया।

युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर (Yulla Kanda Krishna Temple)

  • स्थान: किन्नौर जिले, हिमाचल प्रदेश
  • उँचाई: 12,000 फीट
  • विशेषताएँ: युल्ला कांडा कृष्ण मंदिर किन्नौर जिले के रोरा घाटी में स्थित है और समुद्रतल से 12,000 फीट की ऊँचाई पर स्थित है। बर्फबारी के दौरान यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए खुला रहता है और यहां पर एक विशेष झील है, जिसे धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ की पूजा विशेष रूप से बर्फबारी के मौसम में भी जारी रहती है।

बैजनाथ शिव मंदिर (Baijnath Shiva Temple)

  • स्थान: बैजनाथ, कांगड़ा जिला, हिमाचल प्रदेश
  • उँचाई: 3,100 फीट
  • विशेषताएँ: बैजनाथ शिव मंदिर, जो 1204 ईस्वी में स्थापित हुआ, हिमाचल के प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मंदिर नागर शैली में निर्मित है और यहाँ बर्फबारी के दौरान भी पूजा होती रहती है। सर्दियों में विशेष रूप से घृतमंडल पूजा की जाती है, जिसमें शिवलिंग पर घी चढ़ाया जाता है।
  • विशेष पूजा: बर्फबारी के दौरान, यहाँ के पुजारी विशेष पूजा विधियों का पालन करते हैं।
  • समय: मंदिर सुबह 4:30 बजे से रात 9:00 बजे तक खुला रहता है।
  • सर्वोत्तम यात्रा का समय: अक्टूबर से मार्च तक का समय यहाँ यात्रा के लिए सर्वोत्तम माना जाता है।
  • धार्मिक महत्व: इस मंदिर को ‘वैद्यनाथ’ के रूप में पूजा जाता है, जो ‘चिकित्सकों के देवता’ माने जाते हैं।

हिमाचल प्रदेश में स्थित ये प्रमुख मंदिर न केवल धार्मिक आस्था के प्रतीक हैं, बल्कि इनका वातावरण और धार्मिक आयोजन बर्फबारी के बीच श्रद्धालुओं को एक अनूठा अनुभव प्रदान करते हैं। यहां की ऊँचाई, बर्फबारी और धार्मिक परंपराएँ इन मंदिरों को विशेष बनाती हैं, जहाँ पूजा अर्चना सर्दियों के मौसम में भी निरंतर जारी रहती है। इन मंदिरों में श्रद्धालुओं का आना-जाना बर्फबारी के बावजूद निर्बाध रहता है, और यह धार्मिक परंपराएँ हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं।

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