ये हैं भारत में बौद्ध धर्म के विनाश के 6 कारण, जिनकी वजह से देश में इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम होता गया

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प्राचीन काल में बौद्ध धर्म भारत का एक प्रमुख धर्म था, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव कम होता गया और यह लगभग लुप्त हो गया। बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत के कोने-कोने में थे लेकिन फिर अचानक बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या कम होने लगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में बौद्ध धर्म का विनाश (Destruction of Buddhism) कई सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों का परिणाम था। हिंदू धर्म का पुनरुत्थान, मुस्लिम आक्रमण, बौद्ध संस्थाओं का पतन और आंतरिक मतभेद जैसे कारकों ने धीरे-धीरे बौद्ध धर्म को विलुप्त (The extinction of Buddhism) कर दिया। हालांकि, आज भी दक्षिण एशिया और अन्य देशों में बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

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हिंदू धर्म का पुनरुत्थान- Revival of Hinduism

आदि शंकराचार्य जैसे हिंदू धर्म के प्रमुख संतों ने अद्वैत वेदांत की स्थापना के माध्यम से बौद्ध धर्म के विचारों को चुनौती दी। शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के वैदिक विचारों को पुनर्जीवित किया और बौद्ध धर्म के अस्तित्व (The existence of Buddhism) को कमजोर किया। उन्होंने बौद्ध धर्म की आलोचना की और हिंदू धर्म के वेदांत दर्शन का प्रचार किया, जिससे बौद्ध धर्म के अनुयायियों में कमी आई।

Buddhism destruction vs India
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गुप्त और मौर्य काल के बाद हिंदू राजाओं का उदय

मौर्य और कुछ अन्य शासकों ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, लेकिन गुप्त साम्राज्य के उदय के साथ, हिंदू धर्म को फिर से शाही संरक्षण मिला। गुप्त काल में हिंदू धर्म सुरक्षित रहा, जबकि बौद्ध धर्म के प्रति शासकों की उदासीनता बढ़ती गई। इससे बौद्ध धर्म के प्रभाव में कमी आई।

मुस्लिम आक्रमण- Muslim Invasions in India

भारत में बौद्ध धर्म के विनाश का एक प्रमुख कारण मुस्लिम आक्रमण भी थे। 11वीं और 12वीं शताब्दी में महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी और अन्य मुस्लिम शासकों के आक्रमणों के दौरान कई बौद्ध मठों और संस्थानों को नष्ट कर दिया गया था। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे बौद्ध शिक्षा केंद्रों को लूट लिया गया और जलाकर राख कर दिया गया। परिणामस्वरूप, बौद्ध धर्म के अनुयायियों में गिरावट आई और इसका प्रभाव कमज़ोर हो गया।

Buddhism destruction vs India
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संस्थागत और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धा

बौद्ध धर्म के मठ और शैक्षणिक केंद्र जैसी संस्थाएँ धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावशीलता खोती चली गईं। कुछ बौद्ध मठ धीरे-धीरे भ्रष्ट हो गए और सामाजिक और धार्मिक संगठनों के रूप में कमज़ोर हो गए। इसके कारण लोगों का बौद्ध धर्म में विश्वास खत्म हो गया और इसके अनुयायी धीरे-धीरे हिंदू धर्म में लौटने लगे।

बौद्ध धर्म का विभाजन

समय के साथ बौद्ध धर्म में महायान और हीनयान जैसे कई संप्रदाय बन गए। इन विभाजनों ने बौद्ध धर्म की एकता को भी कमजोर कर दिया। आंतरिक मतभेदों और धार्मिक विभाजनों ने बौद्ध धर्म के प्रभाव को और कमजोर कर दिया।

आर्थिक और सामाजिक कारण

बौद्ध मठों और भिक्षुओं पर समाज की बढ़ती आर्थिक निर्भरता भी एक कारण थी। धीरे-धीरे बौद्ध भिक्षु समाज से अलग-थलग पड़ गए और आर्थिक संसाधनों के अभाव में बौद्ध मठ और संस्थाएं कमजोर हो गईं।

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