आजकल शादी समारोह के अलावा सरकारी अधिकारी भी बे-मौसम बरसात की तरह नेताओं के घरों पर जमकर बरस रहे हैं. बहुत आसान भाषा में आप सीबीआई और ईडी के कार्यक्रमों का सिलसिला देख लें तो शायद अब उन्हें साल भर छुट्टी नहीं मिलने वाली. कहने को तो लोग यही कह रहे हैं कि ये सारे सरकारी अधिकारी मौजूदा भाजपा सरकार के लंगोटिया यार हैं लेकिन इनकी यारी आजकल कई राज्यों कि राजनीतिक सियासतों की पोल पट्टी भी खोल रही है. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के यहाँ आजकल सीबीआई और ईडी रिश्तेदारों की तरह डेरा जमाये बैठी है. और साथ ही उनसे जुड़े रिश्तेदारों को लपेट रही है. वहीँ उनके बड़े बेटे और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और JDU के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘महागठबंधन’ की कहानी थोड़ा समझ से परे होती जा रही है. एक तरफ नितीश कुमार ने मुख्यमंत्री बनाने का झांसा देकर तेजस्वी को चने की झाड़ पर बैठा दिया है और दूसरी तरफ उन्हीं के घर पर छापे को लेकर नीतीश ने पूरी चुप्पी साध राखी है. जैसे-जैसे 2024 का चुनाव नजदीक आ रहा है नीतीश कथित तौर पर अपने पुराने शकुनी वाले रूप में फिर से वापस आ रहे हैं और अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि जीतनराम मांझी, प्रशांत किशोर जैसे बड़े नेताओं के बाद अब बारी तेजस्वी यादव की है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इस लेख में आपको स्पष्ट हो जाएगा.
तेजस्वी के घर सीबीआई छापे पर अब चुप हैं नितीश
फिलहाल अभी सीबीआई तेजस्वी यादव के घर और रिश्तेदारों से लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रावड़ी देवी से लगातार मैराथन पूछताछ कर रही है. और पोल-पट्टी खोलने में जुटी पड़ी है. वहीँ दूसरी तरफ तेजस्वी को प्रधानमंत्री का सपना दिखने वाले नीतीश कुमार जो कि RJD के गठबंधन से सीएम बने हुए हैं इस कार्यवाही पर पूरी तरह से चुप्पी साध रखी है और इसी वजह से RJD ही नीतीश पर लगातार सवाल उठाते जा रही है. इस बीच सत्र में आरजेडी नीतीश कुमार पर इस बात का दवाब बना रही है.
कि राज्य सरकार की बिना परमिशन CBI और ईडी जैसी जांच एजेंसियों की कार्रवाई पर रोक का कानून इसी चालू सत्र में सरकार बनाए. इसके लिए राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने सीएम नीतीश को पत्र भी लिखा है. इस पत्र की प्रतिलिपि विधानसभा परिसर में मीडिया को भी दिखाई. आरजेडी विधायक ने नीतीश कुमार से कहा कि सीबीआई और ईडी राज्य में करवाई करने से पहले बिहार सरकार से अनुमति ले, इसको कानून बनना चाहिए. ताकि केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग केंद्र सरकार न कर सकें.
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2017 में खेला था पहला दांव
2017 में नीतीश RJD के साथ सरकार चला रहे थे. लालू के छोटे बेटे उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और बड़े बेटे तेजप्रताप कैबिनेट में थे. सावन महीने में नीतीश ने RJD से पल्ला झाड़कर BJP का दामन थाम लिया था. तब नीतीश ने राज्यपाल से मिलकर इस्तीफा दे दिया था. ऐसे में मंत्रिमंडल खुद-ब-खुद भंग हो गया था.
बीजेपी से गठबंधन तोड़ने कि बताई ये वजह
नीतीश कुमार ने सदन में बहुमत साबित करते हुए बिहार विधानसभा में कहा कि, वह 2020 में भाजपा के दबाव में मुख्यमंत्री बने, हालांकि उन्होंने तब कहा था कि भाजपा को अपना मुख्यमंत्री बनाना चाहिए क्योंकि उन्होंने अधिक सीटें जीती हैं. लेकिन बीजेपी की भविष्य को लेकर कुछ और योजना थी. नीतीश कुमार ने कहा कि, ‘हम कुछ नहीं बनाना चाहते हैं’, हमारी सभी विपक्षी राजनीतिक दलों से 2024 के लोकसभा चुनाव में सामूहिक रूप से लड़ने की अपील है.
बीजेपी नेतृत्व पर हमला बोलते हुए नीतीश कुमार ने पार्टी पर समाज में संघर्ष पैदा करने और हिंदू-मुस्लिम झगड़े पैदा करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “वे (भाजपा) केवल समाज में व्यवधान पैदा करना चाहते हैं. सब जानते हैं कि हम 2013 में बीजेपी से अलग क्यों हुए. मुझे अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में तत्कालीन पीएम लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से बहुत सम्मान मिला. उन्होंने मुझे महत्व दिया और मेरी बात सुनी.
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महामाया बाबू के नक़्शे कदम पर चल रहे नितीश
जीतन राम मांझी ने कहा था कि महामाया बाबू बिहार की राजनीति में इसी प्रकार कई बार पाला बदला था. इस पर लोगों ने उनसे पूछा था कि आप इतनी बार पाला क्यों बदल रहे हैं? क्या कारण है? इस पर उन्होंने कहा था कि जनहित में अगर उन्हें 100 बार पाला बदलना पड़ा तो 100 बार पाला बदलेंगे.
उसी प्रकार से अगर नीतीश कुमार अगर सोचेंगे कि पाला बदलने से राज्य को फायदा होगा तो वो इसका स्वागत करेंगे. वहीं तेजस्वी यादव की ओर से फिर स्वास्थ्य विभाग में 1.5 लाख नौकरी देने की घोषणा वाले बयान पर मांझी ने कहा कि बिहार सरकार में बहुत सारी रिक्तियां थीं. सभी को भरने का प्रयास किया जा रहा है. रोजगार देने की दिशा में भी अलग-अलग योजनाओं से लोगों को रोजगार देने का प्रयास किया जा रहा है.
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प्रशांत किशोर को दिया 3 बार धोखा
गोपालगंज में जन सुराज पदयात्रा (Jan Suraj Padyatra) के दौरान प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने एक बड़ा खुलासा किया था. नीतीश कुमार पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने तीन-तीन बार लोगों को ठगा है. सबसे पहले 2015 में छोड़कर भागे. फिर उसके बाद हमने 2019 में दो एमपी के जदयू को 17 एमपी का सीट दिलवाया, भाजपा को बिना लड़े हुए 30 से घटाकर 17 कर दिया.
प्रशांत किशोर ने कहा उस समय पार्टी में हम दूसरे स्थान पर थे, पार्टी में ये तय हुआ था कि लोकसभा के बाद हम बीजेपी का साथ छोड़ देंगे, लेकिन जब मोदी जी जीत कर आ गए तो नीतीश कुमार हमको ही समझाने लगे कि अभी लग रहा है मोदी जी की हवा है, अभी रुकिए थोड़े दिन और रुका जाए भाजपा में, ये दूसरा धोखा था. तीसरा धोखा CAA-NRC को लेकर किया. पार्टी में तय हुआ था कि हम लोग इसके विरोध में हैं, और पार्लियामेंट में जाकर मोदी जी के पक्ष में यानी CAA-NRC के पक्ष में जाकर वोट कर दिए. जनता से पूछते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि अब आप ही लोग बताएं अब नीतीश कुमार पर कितना भरोसा करें.
कभी-कभी तो लगता है की राजनीति में उलझना नहीं चाहिए लेकिन एक नागरिक होने के नाते जब कोई चीज़ गलत दिशा में जा रही हो और वो भी तब, जब आपको पहले से ही खुद पता हो कि ये गलत है तो चुप बैठना भी एक नागरिक को शोभा नहीं देता. आपकी राय में इस बार नितीश तेजस्वी के साथ कौन सा खेला करने वाले हैं और उसके पीछे की असल वजह क्या होगी हमे कमेंट करके जरूर बताएं.