नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ आंदोलन करने वाले कई आरोपी इस वक्त जेल में सजा काट रहे हैं। देश में तो उनकी रिहाई की मांग कई लोग उठाते ही रहते हैं। अब विदेशों से भी इसको लेकर आवाजें उठने लगीं।
दरअसल, अमेरिका में CAA के विरोध में हिंसा के 18 आरोपियों के रिहाई की मांग की गई। इस मांग को कई देशों में फैले भारतीयों, विदेशी नागरिकों और नेताओं ने भी समर्थन दिया। इस दौरान ये भी दावा किया गया कि भारत में CAA के खिलाफ लोकतांत्रित तरीके से विरोध करने वाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। इन आरोपियों की लिस्ट में शरजील इमाम, उमर खालिद और सफूरा जरगर जैसे 18 नाम शामिल हैं। इन आरोपियों को दिल्ली 18 का भी नाम दिया गया था।
भारत के रिपब्लिक डे के मौके पर विश्व के कई क्षेत्रों से आने वाले लोगों ने एक बयान जारी कर कहा कि आरोपी बनाए गए 18 छात्रों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमों को वापस लिए जाएं। ‘दिल्ली 18’ की लिस्ट में शरजील इमाम, इशरत जहां, खालिद सैफी, ताहिर हुसैन, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, मीरन हैदर, शादाब अहमद, गुलफिशा फातिमा, तस्लीम अहमद, शिफा उर रहमान, अतहर खान, उमर खालिद, सफूरा जरगर, मोहम्मद फैजान खान, आसिफ इकबाल तनहा, नताशा नरवाल और देवांगना कालिता शामिल हैं। इनमें से 13 मुस्लिम हैं।
ऑस्ट्रेलिया की संसद सदस्य डेविड शूब्रिज ने इस पर कहा कि भारत आज अपना गणतंत्र दिवस मना रहा है। इस अवसर पर मैं दुनियाभर में मानवाधिकारोंसे संबंधित लोगों और नेताओं के साथ 18 बहादुर छात्रों और कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाए जाने के खिलाफ आवाज उठाता हूं। यही नहीं डेविड शूब्रिज ने तो ये तक कहा कि भारतीय सत्ता के द्वारा इन सभी लोगों पर गलत तरीके से आरोप लगाकर आतंकवादी तक कहा जा रहा है। वहीं एमनेस्टी इंटरनेशनल के इंडिया कंट्री स्पेशलिस्ट गोविन्द आचार्य ने छात्रों-कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की आजादी पर आघात करार दिया और इनकी रिहाई की मांग की।
रिहाई की मांग करने वाले दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, नीदरलैंड्स और न्यूजीलैंड में रहने वाले भारतीयों के प्रतिनिधियों ने भी अन्यायपूर्ण तरीके से आरोपी बनाए जाने की निंदा की। इस बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स (अमेरिका), इंटरनेशनल कॉउंसिल ऑफ इंडियन मुस्लिम्स, वर्ल्डवाइड, दलित सोलिडेरिटी फोरम (अमेरिका) आदि संगठनों से जुड़े लोग शामिल रहे।