क्या बाबा साहेब अंबेडकर के पास सचमुच ऐसी डिग्री है जो आज तक किसी भारतीय ने हासिल नहीं की?

Table of Content

भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की योग्यता और शिक्षा की आज भी मिसाल दी जाती है। जातिगत भेदभाव के कारण उन्हें बचपन से ही काफी कष्ट सहना पड़ा। लेकिन उन्होंने शिक्षा के प्रति अपने जुनून को कभी कम नहीं होने दिया। अपनी शिक्षा के बल पर उन्होंने देश में इतना बदलाव किया जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। उन्होंने समाज के लिए भी काफी योगदान दिया है। उन्होंने दलितों व दलित आदिवासियों के मंदिरों में प्रवेश, पेयजल, सामाजिक व धार्मिक योगदान, छुआछूत, जाति प्रथा, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक बुराइयों जैसे सामाजिक व धार्मिक मानवाधिकारों को मिटाने के लिए मनुस्मृति दहन (1927), महार सत्याग्रह (1928), नासिक सत्याग्रह (1930), चवेला की गर्जना जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया। 1927 से 1956 के दौरान उन्होंने मूकनायक, बहिष्कृत भारत, समता, जनता और प्रबुद्ध भारत नामक पांच साप्ताहिक समाचार पत्रों व पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके अलावा उन्होंने करीब 21 साल तक दुनिया के सभी धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया। उनके पास दुनिया की सबसे बड़ी निजी लाइब्रेरी भी थी। इतना कुछ हासिल करने के बाद भी बाबा साहेब की शिक्षा के प्रति भूख कभी कम नहीं हुई। उन्हें बचपन से ही किताबें पढ़ने का बहुत शौक था। यही वजह है कि उनकी बुद्धिमत्ता के आगे अच्छे-अच्छे विद्वान भी फेल हो गए। ये सब हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि बाबा साहेब के पास ऐसी डिग्री है जो आज तक कोई हासिल नहीं कर पाया। आइए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

और पढ़ें: कड़वाहट में क्यों बदल गई थी डॉ अंबेडकर और दिलीप कुमार की पहली मुलाकात

अंबेडकर की शुरुआत पढ़ाई

भीमराव अंबेडकर के लिए शुरुआती शिक्षा आसान नहीं थी। दलित समुदाय से होने के कारण उन्हें हर जगह भेदभाव का सामना करना पड़ा। लेकिन इस भेदभाव के चलते उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि वे इस भेदभाव को इस समाज से हमेशा के लिए खत्म कर देंगे। रिपोर्टों के अनुसार, 1894 के आसपास, उनके पिता सेवानिवृत्त हो गए और दो साल बाद परिवार सतारा चला गया। थोड़े समय बाद उनकी माँ की मृत्यु हो गई। उनका परिवार 1897 में मुंबई चला गया, जहाँ उनका दाखिला एलफिंस्टन हाई स्कूल में हुआ और वे अपने समुदाय से वहाँ दाखिला लेने वाले एकमात्र व्यक्ति थे। उन्होंने 1907 के आसपास मैट्रिक की परीक्षा पास की और अगले वर्ष, उन्होंने एलफिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया। यह बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। उनके अनुसार, वे ऐसा करने वाले महार जाति के पहले व्यक्ति थे। उन्होंने 1912 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में डिग्री हासिल की। इसके बाद डॉ.भीमराव अंबेडकर ने वर्ष 1915 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए की डिग्री प्राप्त की। सन् 1917 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर ली। आपको बता दें कि उन्होंने ‘नेशनल डेवलपमेंट फॉर इंडिया एंड एनालिटिकल स्टडी’ विषय पर शोध किया था। उन्होंने वर्ष 1917 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रवेश लिया था, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वे अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर सके।

कुछ समय बाद वे लंदन चले गए और ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ से अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी की। इसके साथ ही उन्होंने एमएससी और बार एट लॉ की डिग्री भी हासिल की। साथ ही उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया।

किसी के पास नहीं है बाबा साहब की ये डिग्री

अब बात करते हैं उस डिग्री की जो सिर्फ़ बाबा साहब के पास है। खबरों के मुताबिक भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के पास 32 डिग्रियां थीं और वे 9 भाषाओं के अच्छे जानकार थे। उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में 8 साल की पढ़ाई सिर्फ़ 2 साल 3 महीने में पूरी कर ली थी। बाबा साहब को लेकर ये दावा किया जाता है की वे भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हैं जिन्हें लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से ‘डॉक्टर ऑफ ऑल साइंसेज’ नामक दुर्लभ डॉक्टरेट की डिग्री मिली है। कई बुद्धिमान छात्रों ने इसके लिए प्रयास किया, लेकिन वे अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।

हालांकि, यह दावा किया जाता है कि बाबासाहेब इस उपाधि को पाने वाले अकेले व्यक्ति नहीं हैं। रिपोर्टों के अनुसार, पूर्व भारतीय राष्ट्रपति के.आर. नारायणन को 1987 में टोलेडो विश्वविद्यालय से मानद डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि मिली थी। वहीं उनके अलावा कई भारतीय वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों और अन्य लोगों को भी यह सम्मान मिला है।

और पढ़ें: जब भरी महफिल में आमिर खान ने की डॉ अंबेडकर की तारीफ, तालियों से गूज़ उठा था पूरा ऑडिटोरियम 

vickynedrick@gmail.com

vickynedrick@gmail.com https://nedricknews.com

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Recent News

Trending News

Editor's Picks

Ahan Pandey News

Ahan Pandey News: ‘सैयारा’ के बाद बदल गई ज़िंदगी, 28 की उम्र में बॉलीवुड का नया सेंसेशन बने अहान पांडे

Ahan Pandey News: बॉलीवुड में बहुत कम ऐसे चेहरे होते हैं जो आते ही माहौल बदल देते हैं। ज्यादातर कलाकारों को पहचान पाने में सालों लग जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनके लिए पहली ही फिल्म गेमचेंजर साबित होती है। अहान पांडे उन्हीं नामों में शामिल हो चुके हैं। हाल ही...
Who is CR Subramanian

Who is CR Subramanian: 1600 स्टोर, 3500 करोड़ का खेल… और फिर ऐसा मोड़ कि आज जेल में पाई-पाई को तरस रहा है ये कारोबारी

Who is CR Subramanian: देश में ऐसे कई बिजनेसमैन रहे हैं जिन्होंने बिल्कुल जीरो से शुरुआत कर अरबों की दुनिया खड़ी की। लेकिन कुछ कहानियां ऐसी भी हैं, जहां सफलता जितनी तेजी से मिली, उतनी ही तेजी से सब कुछ हाथ से निकल गया। भारतीय कारोबारी सीआर सुब्रमण्यम (CR Subramanian) की कहानी भी कुछ ऐसी...
Bath in winter

Bath in winter: सर्दियों में नहाने से डर क्यों लगता है? जानिए रोज स्नान की परंपरा कहां से शुरू हुई और कैसे बनी आदत

Bath in winter: उत्तर भारत में सर्दियों का मौसम आते ही नहाना कई लोगों के लिए सबसे बड़ा टास्क बन जाता है। घना कोहरा, जमा देने वाली ठंड और बर्फ जैसे ठंडे पानी को देखकर अच्छे-अच्छों की हिम्मत जवाब दे जाती है। यही वजह है कि कुछ लोग रोज नहाने से कतराने लगते हैं, तो...
Sikhism in Odisha

Sikhism in Odisha: जगन्नाथ की धरती पर गुरु नानक की विरासत, ओडिशा में सिख समुदाय की अनकही कहानी

Sikhism in Odisha: भारत में सिख समुदाय की पहचान आमतौर पर पंजाब से जोड़कर देखी जाती है, लेकिन देश के पूर्वी हिस्सों, खासकर ओडिशा में सिखों की मौजूदगी का इतिहास उतना ही पुराना, जटिल और दिलचस्प है। यह कहानी केवल धार्मिक प्रवास की नहीं है, बल्कि राजनीति, औपनिवेशिक शासन, व्यापार, औद्योगीकरण और सामाजिक संघर्षों से...
Ambedkar and Christianity

Ambedkar and Christianity:आंबेडकर ने ईसाई धर्म क्यों नहीं अपनाया? धर्मांतरण पर उनके विचार क्या कहते हैं

Ambedkar and Christianity: “मैं एक अछूत हिंदू के रूप में पैदा हुआ था, लेकिन हिंदू के रूप में मरूंगा नहीं।” डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर की यह पंक्ति सिर्फ एक व्यक्तिगत घोषणा नहीं थी, बल्कि सदियों से जाति व्यवस्था से दबे समाज के लिए एक चेतावनी और उम्मीद दोनों थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन जाति प्रथा...

Must Read

©2025- All Right Reserved. Designed and Developed by  Marketing Sheds