Muslim Reservation in Karnataka: योगी आदित्यनाथ ने डीके शिवकुमार और कांग्रेस पर जमकर बोला हमला, धर्म-आधारित आरक्षण को बताया अंबेडकर की विरासत का अपमान

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Muslim Reservation in Karnataka: कर्नाटक में सरकारी ठेकों में 4% मुस्लिम आरक्षण को लेकर विवाद कम होता नजर नहीं आ रहा है। यह मुद्दा अब संसद तक भी पहुंच गया है। इसी बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कर्नाटक में धर्म-आधारित आरक्षण को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार की आलोचना की। योगी आदित्यनाथ ने इसे बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की विरासत और संविधान का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार का धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है, और यह अंबेडकर द्वारा स्थापित संविधान का उल्लंघन है।

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धर्म-आधारित आरक्षण पर योगी आदित्यनाथ की टिप्पणीMuslim Reservation in Karnataka

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एएनआई से विशेष साक्षात्कार में कहा, “संविधान के निर्माण के दौरान, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने धर्म-आधारित आरक्षण को खारिज किया था। कर्नाटक में इस तरह का आरक्षण लागू करना, उनके द्वारा बनाए गए संविधान का सीधा अपमान है।” उन्होंने आगे कहा कि संविधान सभा में जब इस मुद्दे पर चर्चा की गई थी, तो बाबासाहेब ने स्पष्ट रूप से धर्म-आधारित आरक्षण का विरोध किया था।

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आदित्यनाथ ने अंबेडकर की विचारधारा पर विस्तार से बात करते हुए कहा, “बाबासाहेब ने कहा था कि आरक्षण उन लोगों को दिया जाना चाहिए, जो समाज में वंचित और अस्पृश्यता से पीड़ित रहे हैं। इसी वजह से संविधान में उनके लिए विशेष प्रावधान किए गए थे।” उन्होंने यह भी कहा कि संविधान सभा के सभी सदस्य धर्म-आधारित आरक्षण के खिलाफ थे, क्योंकि भारत 1947 में धार्मिक आधार पर विभाजित हुआ था और इस वजह से इस तरह की नीति को अस्वीकार किया गया था।

कांग्रेस पर आरोप और अंबेडकर की विचारधारा को कमजोर करने का आरोप

योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा, “कांग्रेस ने हमेशा बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर की विचारधारा को कमजोर किया है। 1952 से कांग्रेस ने अंबेडकर के संविधान में लगातार हस्तक्षेप किया है, जो उनके विचारों के खिलाफ है।” उन्होंने कांग्रेस की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी ने ‘तीन तलाक’ प्रथा को समर्थन दिया था, जबकि मोदी सरकार ने इसे समाप्त कर महिला सशक्तिकरण का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया है।

डीके शिवकुमार पर हमला

डीके शिवकुमार की टिप्पणियों पर निशाना साधते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा, “कांग्रेस ने जो कुछ भी किया है, डीके शिवकुमार वही दोहरा रहे हैं। कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि जब उसने बाबासाहेब का अपमान किया, संविधान में बदलाव किए और 1976 में क्या किया।” आदित्यनाथ ने शिवकुमार को स्पष्ट रूप से घेरते हुए कहा कि कांग्रेस ने कभी संविधान और अंबेडकर के विचारों का सम्मान नहीं किया, और अब शिवकुमार उन्हीं गलत नीतियों को दोहरा रहे हैं।

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डीके शिवकुमार की प्रतिक्रिया

डीके शिवकुमार ने योगी आदित्यनाथ के आरोपों का जोरदार तरीके से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा उन्हें गलत तरीके से उद्धृत किया गया है और फर्जी खबरें फैलाने का आरोप लगाया। शिवकुमार ने कहा, “मैं इस मामले में विशेषाधिकार हनन का मामला दर्ज करूंगा। मैं मुकदमा लड़ूंगा। वे मुझे जानबूझकर गलत तरीके से उद्धृत कर रहे हैं।” उन्होंने भाजपा पर जानबूझकर गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी टिप्पणियों का गलत अर्थ निकाला जा रहा है।

कर्नाटक सरकार द्वारा किए गए संशोधन पर विवाद

इस बीच, कर्नाटक सरकार द्वारा कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (केटीपीपी) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी देने के बाद भाजपा और जेडीएस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इस संशोधन का उद्देश्य अल्पसंख्यक ठेकेदारों को निविदाओं में चार प्रतिशत आरक्षण प्रदान करना है, जिसे विपक्ष ने विवादास्पद करार दिया है। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों का कहना है कि इस तरह के आरक्षण से राज्य की सामाजिक और आर्थिक संरचना पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

क्या है कर्नाटक सरकार का आरक्षण विधेयक?

कर्नाटक सरकार ने हाल ही में राज्य में आरक्षण के संबंध में एक नया विधेयक पारित किया है, जिसके तहत मुस्लिम समाज को 4% आरक्षण दिया गया है। इस विधेयक को लेकर भाजपा ने पहले ही विरोध दर्ज किया है और विधानसभा में हंगामा भी हुआ था। कर्नाटक सरकार ने इसे पिछड़े वर्गों में बेरोजगारी कम करने और सार्वजनिक कार्यों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से उचित ठहराया है।

कर्नाटक में वर्तमान में एससी-एसटी समाज के ठेकेदारों के लिए 24% आरक्षण, ओबीसी वर्ग-1 के लिए 4% और ओबीसी वर्ग-2A के लिए 15% आरक्षण की व्यवस्था है। ऐसे में अगर कर्नाटक सरकार मुस्लिम समाज को 4% आरक्षण देने का निर्णय लागू करती है, तो सरकारी ठेके में कुल आरक्षण 47% हो जाएगा। भाजपा और अन्य विपक्षी दलों ने इसे विवादास्पद और असंवैधानिक करार दिया है।

संविधान और आरक्षण की व्यवस्था

भारत के संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। संविधान समानता की बात करता है और केवल समाज के वंचित वर्गों को आरक्षण देने का प्रावधान करता है। वर्तमान में मुस्लिमों को ओबीसी कोटे के तहत आरक्षण मिलता है, और देश के विभिन्न राज्यों में मुस्लिम समुदाय के लिए विभिन्न आरक्षण की व्यवस्था है। कर्नाटक में 4% आरक्षण मुस्लिमों को ओबीसी वर्ग में दिया जाता है, जबकि केरल, तमिलनाडु, और बिहार जैसे राज्यों में भी मुस्लिम समुदाय को आरक्षण मिलता है।

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