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जानें सिख धर्म के 10 गुरुओं के बारें में और उनके महत्वपूर्ण योगदान को

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10 Gurus of Sikhism – सिख धर्म के 10 गुरुओं ने समाज में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए। उनके योगदान से न केवल सिख समुदाय, बल्कि समग्र मानवता को लाभ हुआ। उनके कार्यों, उपदेशों और त्याग के कारण सिख धर्म आज दुनिया भर में प्रचलित है। यहां सिख गुरुओं के कुछ प्रमुख योगदान दिए जा रहे हैं.

सिख गुरुओं के योगदान

1. गुरु नानक देव जी (1469-1539) सिख धर्म की स्थापना: गुरु नानक देव जी ने सिख धर्म की नींव रखी। उन्होंने सिख धर्म के मुख्य सिद्धांतों का प्रचार किया, जैसे ‘एक ओंकार’ (ईश्वर एक है) और ‘नादान’ (ईश्वर का भजन)।वही गुरु नानक जी ने समानता और मानवता के प्रति जातिवाद, धार्मिक भेदभाव और मूर्तिपूजा का विरोध किया। उन्होंने लोगों को प्रेम, भाईचारे और सेवा का महत्व बताया। इसके अलवा उन्होंने लंगर (सामूहिक भोजन) की परंपरा शुरू की, जिससे समाज में समानता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा मिला।

2. गुरु अंगद देव जी (1504-1552) – गुरु अंगद देव जी ने गुरु नानक के उपदेशों को और अधिक विस्तार से फैलायाऔर गुरुमुखी लिपि का विकास किया उन्होंने पंजाबी भाषा के लिए गुरुमुखी लिपि को विकसित किया, जिससे सिख धर्म के ग्रंथों को लोगों तक पहुंचाना आसान हुआ।

3. गुरु अमर दास जी (1479-1574) – गुरु अमर दास जी ने ‘सन्नी’ और ‘जोड़ी’ जैसी प्रथाओं का विरोध किया, जो समाज में भेदभाव पैदा करती थीं। वही  उन्होंने लंगर की परंपरा को और भी विस्तारित किया, ताकि समाज में समानता और एकता बनी रहे।

4. गुरु राम दास जी (1534-1581) –   गुरु राम दास जी ने अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की नींव रखी, जो सिख धर्म का एक प्रमुख केंद्र है। वही  उन्होंने भक्ति और सेवा के महत्व पर जोर दिया और सिखों को ध्यान और साधना की ओर प्रेरित किया।

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5. गुरु अर्जुन देव जी (1563-1606) –  गुरु अर्जुन देव जी ने सिख धर्म के ग्रंथों को एकत्रित किया, जिसमें गुरु नानक देव से लेकर अन्य गुरुओं के वचन शामिल थे। यह ग्रंथ बाद में ‘आदि ग्रंथ’ के रूप में प्रसिद्ध हुआ, जो बाद में ‘Guru Granth Sahib’ के रूप में सिख धर्म का सर्वोच्च धार्मिक ग्रंथ बना। गुरु अर्जुन देव जी ने धर्म के लिए शहादत दी, जो सिख समुदाय के संघर्ष और बलिदान की प्रतीक है।

6. गुरु हरगोबिंद जी (1595-1644) – गुरु हरगोबिंद जी ने सिखों को सैन्य बल के रूप में संगठित किया और उन्होंने अपने समय में सिखों की रक्षा के लिए युद्ध किया। उन्होंने ‘मीरि’ और ‘पीरी’ (धार्मिक और सांसारिक शक्तियों) की अवधारणा को स्वीकार किया।

7. गुरु हर राय जी (1630-1661) –  गुरु हर राय जी ने प्राकृतिक चिकित्सा का प्रचार किया और सिखों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया। वही उनका शासन शांतिपूर्ण और धर्मनिरपेक्ष था, जिसमें सभी धर्मों का सम्मान था।

8. गुरु हर कृष्ण जी (1656-1664) – शहादत का समय: गुरु हर कृष्ण जी का जीवन छोटा था, लेकिन उन्होंने धार्मिक शिक्षा और संघर्ष की महत्ता को दर्शाया। वही उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू उनके द्वारा मानवता की सेवा और समाज के जरूरतमंदों की मदद करना था।

9. गुरु तेग बहादुर जी (1621-1675) – गुरु तेग बहादुर जी ने धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया। उन्होंने इस्लाम के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ संघर्ष किया और शहादत दी। इसके अलवा उनका बलिदान सिखों के लिए साहस और दृढ़ता का प्रतीक बना।

10. गुरु गोबिंद सिंह जी (1666-1708) – खालसा पंथ की स्थापना: गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की, जिसमें सिखों को धर्म की रक्षा, सम्मान और साहस के प्रतीक के रूप में संगठित किया। उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का स्थायी गुरु घोषित किया, ताकि धर्म की शिक्षा स्थिर और निरंतर बनी रहे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगलों के खिलाफ संघर्ष किया और अपनी शहादत दी, जो सिख धर्म के बलिदान और स्वतंत्रता के प्रतीक बने।

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इन सभी गुरुओं ने अपने योगदान से न केवल सिख धर्म को आकार दिया, बल्कि समाज में धर्म, समानता, सेवा और न्याय की नींव भी रखी। उनके उपदेश आज भी सिख समुदाय के जीवन का आधार हैं।

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