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हाथरस में भगदड़ से मरने वालों की संख्या 121 पर पहुंची, फिर भी हादसे की FIR में ‘भोले बाबा’ का नाम तक नहीं

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उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ से मरने वालों की संख्या 121 पहुंच गई है। जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। हालात का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज हाथरस पहुंचेंगे। हाथरस में सत्संग के दौरान मची इस भगदड़ ने कई सवालों को जन्म दिया है, जिनके जवाब अभी भी तलाशे जा रहे हैं। वहीं इस हादसे को लेकर पहली एफआईआर दर्ज कर ली गई है। लेकिन इस एफआईआर में सत्संग कराने वाले भोले बाबा का नाम शामिल नहीं है। साथ ही पुलिस सत्संग कराने वाले भोले बाबा की तलाश में जुटी हुई है।

और पढ़ें: हाथरस में सत्संग के दौरान भगदड़ में 40 लोगों की मौत, योगी ने जताया दुख

हादसे में कौन-कौन सी धाराएं लगाई गईं

हाथरस भगदड़ मामले में पहली एफआईआर दर्ज की गई है जिसके तहत भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 1, 2023 105 2, 2023 3 110, 2023 126(2) 4, 2023 5 223, 2023 238 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

हाथरस हादसे की FIR में ‘भोले बाबा’ का नाम क्यों नहीं?

एफआईआर में दावा किया गया है कि नारायण साकार हरि बाबा, जिन्हें भोले बाबा के नाम से भी जाना जाता है, के सत्संग में करीब ढाई लाख लोग शामिल हुए थे। सत्संग के बाद कई लोग बाबा की चरण धूल लेने चले गए, जिससे भगदड़ मच गई। बाबा खुद 18 घंटे से लापता हैं। उनके बारे में न तो पुलिस को कुछ पता है और न ही खुफिया एजेंसियों को। इस मामले में पुलिस और सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

एफआईआर में उनका नाम शामिल न करने के पीछे एक कारण यह भी है कि जिस समय यह घटना हुई, उस समय बाबा पंडाल से चले गए थे, इसलिए उनका नाम एफआईआर में नहीं है। दूसरी वजह यह है कि ऐसे आयोजन की जिम्मेदारी आयोजक की होती है। इन सभी कारणों से बाबा के खिलाफ अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।

कितनी भीड़ की अनुमति ली गई थी?

सत्संग से आठ दिन पहले आयोजन समिति के प्रभारी देवप्रकाश मधुकर ने स्थानीय एसडीएम से अनुमति ली थी। प्रशासन का दावा है कि कार्यक्रम में करीब 80 हजार की भीड़ के लिए अनुमति ली गई थी। प्रशासन ने बताया कि आयोजन के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए थे। लेकिन बाद में यह भीड़ 80 हजार से बढ़कर ढाई लाख हो गई। यूपी, राजस्थान और हरियाणा से बड़ी संख्या में लोग जुटे थे। यानी अनुमति से तीन गुना ज्यादा भीड़ जुटी थी। इतनी भीड़ के लिए कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे। दरअसल, घटना के वक्त भी बाबा के सेवादार आगे खड़े थे। जब भीड़ बाबा की चरण धूलि लेने के लिए उमड़ी तो सेवादार उन्हें हटा रहे थे। सत्संग में करीब 12 हजार सेवादारों की ड्यूटी लगाई गई थी। सवाल यह है कि क्या लाखों लोगों को सत्संग वालों के भरोसे छोड़कर प्रशासन सो गया? दावा यह भी किया जा रहा है कि महज 40 पुलिसकर्मियों की मदद से लाखों की भीड़ जुटने दी गई। हालाँकि, यह जांच का विषय है और जांच अभी भी जारी है।

कैसे हुआ हादसा?

उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में मंगलवार (3 जुलाई) को एक सत्संग कार्यक्रम में अचानक भगदड़ मच गई। यह हादसा उस समय हुआ जब बाबा भोलेनाथ का सत्संग खत्म हुआ और वे अपनी गाड़ी में बैठकर लौटने लगे। तभी बड़ी संख्या में लोग उन्हें देखने के लिए दौड़ने लगे और जिस पंडाल में यह कार्यक्रम चल रहा था, वहां की मिट्टी भी गीली थी, जिसकी वजह से लोगों के पैर फिसल गए। लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर भागने लगे। जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई।

और पढ़ें: आखिर राहुल गांधी ने संसद में ऐसा क्या कह दिया कि भाषण पर चल गयी कैंची, उठ रही है माफी की मांग 

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