मैं तो आरएसएस का सदस्य हूं,… विदाई समारोह में हाई कोर्ट जज ने कह डाली दिल की बात

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कलकत्ता हाई कोर्ट के जज चितरंजन दास बीते दिन यानी सोमवार को रिटायर हो गए। अपने विदाई भाषण में उन्होंने कई बड़ी बातें कहीं जिसकी वजह से वह अब सुर्खियों में हैं। उन्होंने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य थे, हैं और अब संघ के लिए काम करने को तैयार हैं। चितरंजन दास ने कहा कि अगर संगठन उन्हें किसी भी सहायता या किसी ऐसे काम के लिए बुलाता है, जिसको करने में वह सक्षम हैं तो वह आरएसएस में वापस जाने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि RSS का मुझ पर बहुत एहसान है। मैं बचपन से लेकर युवावस्था तक वहां रहा हूं। दास ने यह बात अपने पूर्व सहयोगी अभिजीत गंगोपाध्याय के न्यायाधीश के पद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने और तामलुक लोकसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार बनने के दो महीने बाद कही।

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RSS को लेकर कही दिल की बात

जस्टिस दास ट्रांसफर पर उड़ीसा हाईकोर्ट से कलकत्ता हाईकोर्ट आए थे और वहां से सोमवार को रिटायर हो गए। उनके इस विदाई समारोह में हाईकोर्ट के सभी जज और बार मेंबर्स भी मौजूद थे। जस्टिस दास ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, ‘कुछ लोगों को भले ही अच्छा न लगे, मुझे यहां स्वीकार करना होगा कि मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का सदस्य था और हूं।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आरएसएस अगर उन्हें किसी भी मदद या किसी ऐसे काम के लिए बुलाता है जो वह कर सकते हैं तो वह ‘संगठन में वापस जाने के लिए तैयार हैं।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने साहसी, ईमानदार होना और दूसरों के प्रति समान का नजरिया रखना तथा देशभक्ति की भावना और काम को लेकर प्रतिबद्धता के बारे में संघ से ही सीखा है। अब मैं फिर से आरएसएस के लिए काम करने के लिए स्वतंत्र हूं। मुझे अपने काम की वजह से 37 वर्षों तक खुद को संगठन से अलग रखना पड़ा, जबकि वैचारिक रूप से मैं अभी भी इससे जुड़ा हुआ हूं। मैंने कभी भी संगठन की सदस्यता का इस्तेमाल अपने करियर में उन्नति के लिए नहीं किया क्योंकि यह इसके सिद्धांतों के खिलाफ है।’

दास बोले मैंने सभी का माना समान

न्यायमूर्ति दास ने कहा कि वह सभी के साथ समान व्यवहार करते हैं, चाहे वह अमीर व्यक्ति हो, कम्युनिस्ट हो, भाजपा, कांग्रेस या तृणमूल कांग्रेस से हो। उन्होंने कहा, ‘मेरे सामने सभी समान हैं, मैं किसी के लिए या किसी राजनीतिक दर्शन या तंत्र के लिए कोई पूर्वाग्रह नहीं रखत।’

उन्होंने कहा, ‘चूंकि मैंने अपने जीवन में कुछ भी गलत नहीं किया है, इसलिए मुझमें यह कहने का साहस है कि मैं संगठन से जुड़ा हूं क्योंकि यह भी गलत नहीं है।’

ऐसा रहा वकील से जज बनने तक का सफर

ओडिशा के रहने वाले जस्टिस दास ने 1986 में बतौर वकील अपना करियर शुरू किया था। 1999 में वे ओडिशा न्यायिक सेवा में शामिल हुए और राज्य के विभिन्न हिस्सों में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के तौर पर काम किया। इसके बाद उन्हें ओडिशा उच्च न्यायालय का रजिस्ट्रार (प्रशासन) नियुक्त किया गया। जस्टिस दास ओडिशा उच्च न्यायालय से तबादले पर कलकत्ता उच्च न्यायालय आए थे। 10 अक्टूबर 2009 को उन्हें ओडिशा उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के तौर पर पदोन्नत किया गया और 20 जून 2022 को उनका तबादला कलकत्ता उच्च न्यायालय में कर दिया गया।

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