Nimisha Priya Execution: निमिषा की फांसी 16 जुलाई को तय, भारत सरकार की आखिरी कोशिशें; क्या ब्लड मनी से मिलेगी राहत?

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Nimisha Priya Execution: भारत सरकार, एक भारतीय नागरिक निमिषा प्रिया की फांसी को टालने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। निमिषा को यमन में अपने बिजनेस पार्टनर की हत्या के आरोप में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है। यमन के अधिकारियों के मुताबिक, उनकी फांसी 16 जुलाई को निर्धारित की गई है। इस मामले को लेकर भारत सरकार कूटनीतिक और मानवीय स्तर पर अपनी कोशिशों को तेज कर चुकी है, ताकि उनकी जान को बचाया जा सके।

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मामला क्या है? (Nimisha Priya Execution)

निमिषा प्रिया को जुलाई 2017 में यमन के सना शहर में उनके बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। 2020 में यमनी अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई। नवंबर 2023 में यमन की सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल ने उनकी अपील खारिज कर दी थी। इस समय निमिषा सना की एक जेल में बंद हैं, जो हूती विद्रोहियों के नियंत्रण में है।

भारत सरकार की पहल

भारत सरकार इस मामले को बेहद गंभीरता से ले रही है। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “जब से निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई, हम इस मामले पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। हम यमनी अधिकारियों और उनके परिवार से लगातार संपर्क में हैं और हरसंभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। हम फांसी को रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।” निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले के कोल्लेंगोड की रहने वाली हैं।

कूटनीतिक समस्याएं और “ब्लड मनी” की पेशकश

मामले की जटिलता इस कारण और बढ़ गई है क्योंकि भारत की हूती विद्रोहियों से कोई आधिकारिक बातचीत नहीं है। निमिषा की मां, प्रेमकुमारी ने पिछले साल यमन यात्रा की थी ताकि मृतक के परिजनों से बातचीत कर समझौता किया जा सके। इस प्रयास में यमन में बसे कुछ अनिवासी भारतीयों ने उनकी मदद की। निमिषा की जान बचाने की उम्मीद अब यमनी कानून के तहत “दियात” (ब्लड मनी) पर टिकी है, जिससे पीड़ित के परिवार को मुआवजा देकर सजा माफ कराई जा सकती है।

सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल जेरोम बास्करन, जिन्होंने निमिषा की मां के पावर ऑफ अटॉर्नी धारक हैं, ने बताया कि पीड़ित परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपये) की पेशकश की गई है, लेकिन परिवार ने अभी तक इस प्रस्ताव का जवाब नहीं दिया है। जेरोम ने बताया, “मैं बुधवार को यमन पहुंच रहा हूं ताकि तलाल के परिवार से बातचीत फिर से शुरू कर सकूं।”

क्या हुआ था?

निमिषा प्रिया 2008 में अपने माता-पिता की आर्थिक मदद के लिए यमन गई थीं। उन्होंने सना में कई अस्पतालों में नर्स के रूप में काम किया और 2015 में तलाल अब्दो मेहदी के साथ मिलकर एक क्लिनिक खोला। यमनी कानून के अनुसार, विदेशी नागरिकों को स्थानीय भागीदार के बिना व्यवसाय शुरू करने की अनुमति नहीं है। निमिषा के परिवार का दावा है कि तलाल ने धोखाधड़ी की और उनकी आय का हिस्सा नहीं दिया, साथ ही उनका पासपोर्ट भी जब्त कर लिया। इसके बाद, निमिषा ने तलाल को बेहोश करने के लिए सेडेटिव इंजेक्शन दिया, ताकि उनका पासपोर्ट वापस मिल सके। हालांकि, ओवरडोज़ के कारण तलाल की मौत हो गई। इसके बाद, निमिषा और उनकी सहकर्मी हनन ने तलाल के शव को टुकड़ों में काटकर एक पानी की टंकी में फेंक दिया।

परिवार और समर्थकों की कोशिशें

निमिषा की मां, प्रेमकुमारी, पिछले साल से यमन में हैं और अपनी बेटी की रिहाई के लिए अथक प्रयास कर रही हैं। उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय से यमन की यात्रा की विशेष अनुमति ली थी। “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” ने भी ‘ब्लड मनी’ के लिए धन जुटाने की कोशिश की, जिसमें जून 2024 तक 40,000 अमेरिकी डॉलर इकट्ठा किए गए। हालांकि, भारतीय दूतावास द्वारा नियुक्त वकील अब्दुल्ला अमीर ने 40,000 डॉलर की अतिरिक्त फीस मांगी, जिससे बातचीत में देरी हुई।

वकील द्वारा फीस की मांग

निमिषा के लिए न्याय की मांग करने वाले वकील सुभाष चंद्रन ने बताया कि निमिषा की मां ने केस लड़ने के लिए अपना घर तक बेच दिया। रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2024 में बातचीत अचानक रुक गई जब वकील अब्दुल्ला अमीर ने प्री-नेगोशिएशन फीस के रूप में 20,000 डॉलर की मांग की। हालांकि, “सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल” ने क्राउडफंडिंग के जरिए अमीर की फीस की पहली किस्त जुटाने में सफलता प्राप्त की, लेकिन बाद में पारदर्शिता को लेकर चुनौतियां सामने आईं।

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