IIT Graduate Abhay Singh: प्रयागराज के महाकुंभ 2025 में छाए इंजीनियर बाबा, जानें युवा संन्यासी की प्रेरक यात्रा

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IIT Graduate Abhay Singh: प्रयागराज में 2025 के महाकुंभ मेले की भव्यता इस बार अद्वितीय है। संगम तट पर सजी विश्व की सबसे बड़ी अस्थाई नगरी, जिसमें श्रद्धालु देश-विदेश से उमड़े हैं, हर किसी को विस्मित कर रही है। इस ऐतिहासिक आयोजन में शामिल हुए साधु-संन्यासियों और विभिन्न अखाड़ों से जुड़े सनातन धर्म के प्रतिनिधियों के बीच एक युवा संन्यासी खास आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।

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कौन हैं इंजीनियर बाबा? (IIT Graduate Abhay Singh)

इस युवा संन्यासी का असली नाम अभय सिंह है। हरियाणा के मूल निवासी अभय सिंह ने अपनी शुरुआती पढ़ाई के बाद आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की। वे 2014 बैच के छात्र थे। सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभय सिंह की यात्रा एक सामान्य इंजीनियर से आध्यात्मिक संन्यासी बनने की कहानी है। उनके इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनके इंजीनियरिंग के दिनों की तस्वीरें और दीक्षांत समारोह की डिग्री देखी जा सकती हैं।

कैसे बदली जिंदगी की दिशा?

इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अभय ने एक प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी शुरू की। लेकिन जल्द ही उन्हें एहसास हुआ कि उनका मन इस कार्य में नहीं लग रहा। उन्होंने नौकरी छोड़ दी और अपने फोटोग्राफी के शौक को आगे बढ़ाने का फैसला किया। इस दौरान, ट्रैवल फोटोग्राफी में रुचि बढ़ी, और उन्होंने इससे संबंधित कोर्स भी किए।

हालांकि, जीवन में इस बदलाव के दौरान दर्शनशास्त्र और आध्यात्मिकता की ओर उनकी रुचि बढ़ने लगी। उन्होंने सुकरात, प्लेटो और नियो-पोस्टमॉडर्निज्म जैसी दर्शनशास्त्रीय पुस्तकों को पढ़ना शुरू किया। इन विचारों ने उनकी सोच में गहरा बदलाव लाया और वे अध्यात्म के मार्ग पर आगे बढ़े।

अध्यात्म में गहराई की तलाश

अभय सिंह, जिन्हें अब लोग इंजीनियर बाबा के नाम से जानते हैं, बताते हैं कि दर्शनशास्त्र पढ़ते हुए उन्हें आध्यात्मिकता में गहरी रुचि हो गई। उनका मानना है कि जीवन का सबसे बड़ा सत्य शिव हैं। उन्होंने अपने जीवन को शिव शंकर को समर्पित कर दिया और अब वे हठयोग, ध्यान और योग के माध्यम से आध्यात्मिकता की गहराई को समझने का प्रयास कर रहे हैं।

उनका कहना है कि विज्ञान और आध्यात्म को जोड़ने की उनकी कोशिश है। वे कहते हैं, “सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है। ज्ञान की खोज में आप अंततः आध्यात्मिकता पर आकर ठहरते हैं।”

महाकुंभ में अनुभव

महाकुंभ 2025 में इंजीनियर बाबा संगम में स्नान कर रहे हैं और इसे एक अद्भुत अनुभव मानते हैं। वे कहते हैं कि यहां आकर उन्हें अपार शांति मिल रही है। उनका मानना है कि संन्यास जीवन का चरमोत्कर्ष बिंदु है, जहां व्यक्ति ईश्वर की प्राप्ति कर सकता है।

सोशल मीडिया पर छाए इंजीनियर बाबा

इंजीनियर बाबा की लोकप्रियता सोशल मीडिया पर भी तेजी से बढ़ रही है। उनके इंस्टाग्राम पर 4,342 फॉलोअर्स हैं और वे 645 पोस्ट कर चुके हैं। उनकी पोस्ट ध्यान, योग और दर्शनशास्त्र से जुड़ी होती हैं। उन्होंने अपनी लिखी एक पुस्तक का लिंक भी शेयर किया है।

उनके एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “आंखें सिर्फ देखने का साधन नहीं हैं, बल्कि वे ऊर्जा को महसूस करने और बदलने की क्षमता रखती हैं।”

हठयोगी के रूप में पहचान

इंजीनियर बाबा हठयोगी भी हैं। वे अपने नाखून और बाल लंबे रखते हैं, जो उनकी आध्यात्मिक साधना का हिस्सा है। बाबा भोले की नगरी काशी में उन्होंने चार महीने बिताए और इसके बाद हरिद्वार और ऋषिकेश में भी समय व्यतीत किया। माथे पर भभूत और गले में रुद्राक्ष की माला पहनने वाले बाबा का मानना है कि ये चीजें उन्हें आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती हैं।

आधुनिकता और आध्यात्म का संगम

इंजीनियर बाबा की सबसे खास बात यह है कि वे फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और आधुनिक विज्ञान के साथ आध्यात्म का संगम प्रस्तुत करते हैं। उनका मानना है कि जीवन के हर पहलू में शिव की मौजूदगी है और इसी से जीवन का असली अर्थ निकलता है।

और पढ़ें: Maha Kumbh 2025: गंगा तट पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, 45 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीदों के साथ शुरू हुआ महाकुंभ

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