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Charanjit Singh Channi controversy: चरणजीत सिंह चन्नी अकेले नहीं! सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वाले ये विपक्षी नेता भी हैं शामिल

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Charanjit Singh Channi controversy: भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बढ़ते तनाव के बीच, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस सांसद चरणजीत सिंह चन्नी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाकर नया विवाद खड़ा कर दिया है। चन्नी का बयान पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद आया, जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों ने भारतीय पर्यटकों को निशाना बनाया था। चन्नी ने कहा, “हमारे देश में कोई बम गिरेगा तो हमें पता नहीं चलेगा, कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। मैं आज भी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांग रहा हूं।” उनका यह बयान भाजपा के लिए नाराजगी का कारण बना, जिसने कांग्रेस को भारतीय सेना का अपमान करने का आरोप लगाया।

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चन्नी का बयान और विवाद- Charanjit Singh Channi controversy

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद यह बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने आज तक सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत नहीं दिए हैं, और यह बयान उठाया कि “अगर यहां बम गिरेगा तो हमें पता नहीं चलेगा।” उनका यह बयान पुलवामा हमले के संदर्भ में था, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस हमले में भारत ने पीओके में आतंकवादी लॉन्च पैड्स को नष्ट किया था, लेकिन चन्नी ने इसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाया।

चन्नी का यह बयान न केवल कांग्रेस पार्टी के अंदर बल्कि समूचे देश में राजनीतिक हलचल पैदा कर गया। भाजपा ने इस बयान का कड़ा विरोध किया, और कांग्रेस पर भारतीय सेना का अपमान करने का आरोप लगाया। भाजपा के प्रवक्ताओं ने कहा कि कांग्रेसी नेता बार-बार सेना के प्रयासों को नकारने की कोशिश करते हैं।

कांग्रेस के अंदर उठते सवाल

यह पहली बार नहीं था जब कांग्रेस के नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाया था। इससे पहले भी पार्टी के कुछ अन्य नेता इस मुद्दे पर विवादित बयान दे चुके हैं। कर्नाटका के मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री भी इस प्रकार के बयान दे चुके हैं, जो पार्टी की स्थिति से अलग थे। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पहले ही पार्टी के नेताओं को विवादित बयान से बचने की सलाह दी थी, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के कुछ बड़े नेता इस मुद्दे पर आलोचना का शिकार हो रहे हैं।

चन्नी ने बाद में अपने बयान से पलटते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी सरकार के साथ खड़ी है और आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हम सरकार के साथ खड़े हैं, चाहे वो पानी, हवा बंद करे, हम सरकार के साथ हैं। हमें कड़ा से कड़ा एक्शन चाहिए और मारे गए परिवारों को इन्साफ चाहिए।”

विपक्षी नेताओं के बयान

चरणजीत सिंह चन्नी का बयान केवल उनका व्यक्तिगत विचार नहीं था, बल्कि इस प्रकार के विचार पहले भी विपक्षी नेताओं से सामने आ चुके हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण पर सवाल उठाए थे। उन्होंने 2023 में जम्मू में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में अब तक संसद या जनता को कोई जानकारी नहीं दी गई। इसके बाद कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह से दूरी बनाई और इसे उनके व्यक्तिगत विचार के रूप में प्रस्तुत किया।

इसके अलावा, कांग्रेस नेता रशीद अल्वी ने भी सर्जिकल स्ट्राइक के वीडियो की मांग की थी, जिससे पार्टी को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी 2016 में इस मुद्दे पर सवाल उठाया था और कहा था कि सरकार को सर्जिकल स्ट्राइक के प्रमाण सार्वजनिक करने चाहिए थे, हालांकि उन्होंने भारतीय सेना की वीरता पर सवाल नहीं उठाया।

भाजपा का पलटवार

इन बयानों के बाद भाजपा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और विपक्षी नेताओं को भारतीय सेना का अपमान करने का आरोप लगाया। भाजपा ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक जैसे संवेदनशील मुद्दों पर इस प्रकार के बयान सेना के मनोबल को प्रभावित कर सकते हैं और देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकते हैं।

सर्जिकल स्ट्राइक का इतिहास

सर्जिकल स्ट्राइक की घटना 29 सितंबर 2016 को घटी, जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। यह कार्रवाई 18 सितंबर 2016 को उरी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें भारतीय सेना के 19 जवान शहीद हो गए थे। भारतीय सेना ने इस ऑपरेशन के तहत सात आतंकवादी लॉन्च पैड्स को नष्ट किया और 38 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया।

सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारतीय सेना ने इसका विवरण प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया था, लेकिन विपक्षी नेताओं ने इसके प्रमाण की मांग की। इस दौरान भारतीय सेना के डीजीएमओ, लेफ्टिनेंट जनरल रनबीर सिंह ने कहा था कि इस ऑपरेशन को पूरी तरह से सटीक तरीके से अंजाम दिया गया था और आतंकवादियों को कड़ा संदेश दिया गया।

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