'रुद्राक्ष' पहनने मात्र से ही ख़त्म हो जाती हैं ये समस्याएं, धारण कर गलती से भी न जाएं ऐसी जगह

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रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र का अक्ष. यानी भगवान रुद्र की आंखें. हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है. उन्होंने कठोर तप के बाद जब आंखें खोली तो उनके आंखों से जो आंसू भूमि पर गिरे उसे से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई. रुद्राक्ष को पहने के नियम भी है. हिंदू धर्म में रत्नों और मालाओं का बहुत बड़ा महत्व होता है. यह शिव की प्रिय चीज में से एक है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है, उसके सभी कष्ट दूर होते है और नकारात्मक ऊर्जा शरीर के पास नहीं आती.

इतना ही नही, रुद्राक्ष पहनने से भगवान शिव की कृपा भी बनी रहती है. रुद्राक्ष का अर्थ है रुद्र का अक्ष. यानी भगवान रुद्र की आंखें। माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है. उन्होंने कठोर तप के बाद जब आंखें खोली तो उनके आंखों से जो आंसू भूमि पर गिरे उसे से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई. रुद्राक्ष को पहने के नियम भी है. कहते हैं कि 6 जगहों पर रुद्राक्ष पहकर गए तो शिवजी नाराज हो जाएंगे.  रुद्राक्ष धारण करते समय कुछ चीजों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. अगर इन नियमों का पालन न किया जाए, तो महादेव के क्रोध का सामना करना पड़ता है. ऐसे में आइए जानते हैं किन जगहों पर रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाना चाहिए.

श्मशान

रुद्राक्ष की माला या रुद्राक्ष को किसी भी रूप में धारण करके शमशान नहीं जाना चाहिए.  जो शमशान के संत होते हैं वे रुद्राक्ष के नियमों का पालन करते हैं.

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मृत्यु वाले घर

जहां पर किसी की मृत्यु हो गई हो वहां पर भी रुद्राक्ष पननकर न जाएं. यदि आपके घर में किसी परिजन की मृत्यु हो गई है तो रुद्राक्ष को उतारकर किसी उचित स्थान पर रख दें.

शौचालय या स्नानघर

टॉयलेट या बाथरूम में रुद्राक्ष पहनकर नहीं जाते हैं. ऐसा करने से घोर पाप लगता है. यह शिवजी का अपमान माना जाएगा. इसलिए कभी भूल से भी रुद्राक्ष पहनकर ऐसा न करें.

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मांस-मदिरा का सेवन करते समय

रुद्राक्ष धारण करने के बाद मांस मदिरा का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही व्यक्ति को ऐसे स्थान पर भी जानें से बचना चाहिए, जहां नशा किया जा रहा हो. और साथ ही पशुओं के कटान के साथ खाना नहीं चाहिए.

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बच्चे के जन्म होने पर  

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, रुद्राक्ष उस जगह पर बिल्कुल पहनकर न जाएं, जहां किसी का बच्चे का जन्म हुआ होत्र बच्चे के जन्म के सवा महीने तक सौवर मानी जाती है. कहते हैं अगर कोई ऐसे स्थान पर जाता है तो उसका रुद्राक्ष निस्तेज हो जाता है. रुद्राक्ष धारण करते समय इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए. 

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बेडरूम व शयन कक्ष 

सोने से पहले रुद्राक्ष को उतारकर उचित स्थान पर रख देना चाहिए. सोने के दौरान जहां रुद्राक्ष के टूटने का अंदेशा रहता है वहीं इससे रुद्राक्ष अशुद्ध और निस्तेज हो जाता है.

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