बात जब भगवान कृष्ण की होती है तब राधा रानी का नाम अपने आप ही जुबान पर आ जाता है. सच तो ये है कि हम राधा कृष्णा या कृष्णा राधा ही बुलाते हैं . यह बात जगजाहिर है कि बरसाने कि रानी राधा भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करती थी और भगवान कृष्ण भी. इनकी अलौकिक प्रेमकथा को कौन नहीं जानता होगा. यहाँ तक कि कुछ पुराणों में तो उनके विवाह का भी जिक्र है. और ये विवाह स्वयं भगवान ब्रह्मा ने स्वप्न्लीला में करवाया था. लेकिन प्रेम से हटकर जब श्री कृष्ण की पत्नी का जिक्र होता है तब सिर्फ एक ही नाम आता है रुक्मणि. लेकिन आपके मैन में अभी भी ये जिज्ञासा होगी होगी कि आखिर क्यों श्रीकृष्ण ने राधा से विवाह न कर रुक्मणि से विवाह किया? आज आपको इसी विषय पर समझाने और संशय खत्म करने के लिए ये खबर लेकर आये हैं.
लक्ष्मी जी पहले सीता बनकर धरती पर हुई अवतरित
आप और मैं यह अच्छी तरह से जानते हैं कि श्रीकृष्ण ने पृथ्वी पर कई जन्म लिए हैं. देवी लक्ष्मी इस स्थिति में अपने निवास स्थान पर अकेले रहती थी. तभी उन्होंने श्रीकृष्ण से अपनी मानसा जाहिर कर कहा कि आप मुझे भी यह आज्ञा दें की मैं आपके साथ पृथ्वी लोक पर जन्म लूं. श्री विष्णु की आज्ञा से पहली बार अयोध्या में भगवन राम के साथ देवी लक्ष्मी सीता बनकर धरती पर अवतरित हुई.
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द्वापर में लिया रुक्मणि के रूप में जन्म
माता लक्ष्मी ने द्वापर युग में श्री कृष्ण के साथ रुक्मणी के रूप में जन्म लिया था, रुकमणी के रूप में देवी लक्ष्मी ने विदर्भ देश के राजा भीष्मक के यहां एक पुत्री के रूप में जन्म लिया था. रुकमणी के जन्म से राजा भीष्मक बहुत खुश हो गए थे. लेकिन रुकमणी के जन्म के कुछ ही समय बाद पूतना नाम की एक राक्षसी ने रुकमणी को राजा भीष्मक के राज्य से उठाकर आकाश के रस्ते से अगवा कर के ले गई तब रुक्मणी ने आकाश में जाते हुए अपने वजन बढ़ाना शुरू किया एक समय ऐसा आया कि पूतना देवी रुक्मणि को संभाल नहीं पाई और उसने रुक देवी रुक्मणी को छोड़ दिया.
इस तरह रुक्मणि से बनी ‘राधा’
जब पूतना के छोड़ने के बाद विदर्भ की राजकुमारी देवी रुक्मणि मथुरा के एक छोटे से गांव बरसाना में एक तालाब में एक कमल के फूल के ऊपर गिरीं तो उसी समय बरसाना के एक वृषवान नाम के निवासी अपनी पत्नी कृति देवी के साथ उस तालाब के किनारे से गुजर रहे थे तब उन्होंने देखा कि एक बच्ची कमल के फूल पर लेटी हुई है तो उन्होंने इस बच्ची को उठा लिया और उसे राधा नाम दे दिया.
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लड़कपन में राधा को कृष्ण से होता है प्रेम
राधा जी जब बड़ी होती हैं तो श्री कृष्ण और राधा के बीच में प्रेम हो जाता है ये बात तो हम सभी जानते हैं कि श्री कृष्ण और राधा का प्रेम कितना अटूट और कितना गहरा था लेकिन एक समय ऐसा आता है, जब कृष्ण अपनी राधा जी से और गोकुल से रूठकर वृंदावन चले जाते ये सोचते हुए कि जब मैं वापस आऊंगा तो राधा से शादी कर लूंगा. लेकिन श्रीकृष्ण के जाने के कुछ समय बाद ही विदर्भ राज्य के राजा भीष्मक को यह पता चल जाता है कि राधा उनकी बेटी रुकमणी है, तब वह उसे लेकर विदर्भ राज्य चले जाते हैं.
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हरण कर रुक्मणि से करते हैं विवाह
विदर्भ राज्य और गोकुल एक दूसरे के दुश्मन थे इसलिए वह किसी भी स्थिति में गोकुल में रुकमणी की शादी नहीं करना चाहते हैं. और जब वो रुक्मणि की शादी किसी और से करने लगते हैं तो श्री कृष्ण को पता चल जाता है की उनकी राधा जो अब रुकमणि उसकी शादी कही और हो रही है. तब उसी वक़्त श्रीकृष्ण वहां आकर रुक्मणी का हरण कर लेते हैं और उनसे शादी कर लेते हैं.
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एक ही हैं रुक्मणि और राधा ?
पुराणों के अनुसार देवी रुक्मणि का जन्म अष्टमी तिथि को कृष्ण पक्ष में हुआ था और श्रीकृष्ण का जन्म भी कृष्ण पक्ष में अष्टमी तिथि को हुआ था व देवी राधा, वह भी अष्टमी तिथि को अवतरित हुई थीं. राधा जी के जन्म और देवी रुक्मणि के जन्म में बस एक यही अंतर है कि देवी रुक्मणि का जन्म कृष्ण पक्ष में हुआ था और राधाजी का शुक्ल पक्ष में. राधाजी को नारदजी के शाप के कारण विरह सहना पड़ा लेकिन शायद यही वजह थी कि देवी रुक्मणि कि शादी श्री कृष्ण से हुई. राधा और रुक्मणि यूं तो दो हैं, परंतु दोनों ही माता लक्ष्मी के ही अंश हैं. उम्मीद है कि अब भगवान श्रीकृष्ण और राधा के प्रेम और विवाह को लेकर आपके मन में कोई संदेह नहीं होगा .
इस लेख में दी हुई जानकारी को कई स्रोतों से लिया गया है. हालांकि श्रीकृष्ण और रुक्मणि के विवाह को लेकर बहुत सारी प्रचलित कथाएँ हैं कि भगवन श्री कृष्ण ने क्यों राधा से विवाह न करके रुक्मणि से किया.