सुप्रीम कोर्ट के जज बनने की योग्यता क्या है, कैसे होता है सेलेक्शन

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Qualification for SC Judge in Hindi – आपका कानून के क्षेत्र से कोई जुड़ाव हो या न हो, लेकिन इसमें दिलचस्पी जरूर होगी. कभी-कभी हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट के जज के ऐतिहासिक फैसले सुर्खियों में भी जगह बना लेते हैं. हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट में जज बनने के लिए कई सालों के अनुभव की जरूरत होती है. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के तहत कई अहम फैसले लिए जाते हैं. सरकार को भी इनके फैसले मानने होते हैं. जानिए सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जज की नियुक्ति किस आधार पर की जाती है और इसके लिए जरूरी योग्यता क्या निर्धारित की गई है.

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सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए योग्यता

अनुच्छेद 124(2) के तहत राष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के अन्य जजों की नियुक्ति में भारत के चीफ जस्टिस से परामर्श करने के लिए बाध्य है. हालांकि भारत के चीफ जस्टिस की नियुक्ति में वह किसी से परामर्श करने के लिए बाध्य नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 124(3) में सुप्रीम कोर्ट जजों की योग्यताओं (Qualification for SC Judge) के बारे बताया गया है.

  • वह भारत का नागरिक होना चाहिए.
  • उसके पास एलएलबी/एलएलएम की डिग्री होनी चाहिए.
  • वह कम से कम 5 साल के लिए हाई कोर्ट का जज होना चाहिए या उसे 10 साल के लिए हाई कोर्ट का वकील होना चाहिए.
  • इनके अलावा, एक व्यक्ति भी पात्र है यदि वह राष्ट्रपति के अनुसार एक असाधारण न्यायविद है.
  • राष्ट्रपति के विचार में जाने-माने कानूनविद भी जज बन सकते हैं.

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जुडिशल सर्विस एग्जामिनेशन पास करें

Qualification for SC Judge – भारत में न्यायाधीश बनने के लिए जुडिशल सर्विस एग्जामिनेशन PCS (J) के लिए उपस्थित होना आवश्यक है. यह वह परीक्षा है जिसके माध्यम से लॉ ग्रेजुएट अधीनस्थ न्यायपालिका (subordinate judiciary) के प्रैक्टिसिंग मेंबर बन सकते हैं. नए ग्रेजुएट उम्मीदवारों के लिए अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीश बनने का यही एकमात्र तरीका है.

PCS (J) परीक्षा पास करने के बाद अन्य दो प्रकार की परीक्षाएं होती हैं-

लॉअर जुडिशल सर्विस (LJS)

हायर जुडिशल सर्विस (HJS)

भर्ती प्रक्रिया के बाद प्रत्येक परीक्षा के लिए 3 राउंड होते हैं. जानें- LJS और HJS परीक्षा के लिए तीन राउंड के बारे में.

प्रारंभिक परीक्षा: प्रारंभिक परीक्षा एक वस्तुनिष्ठ आधारित परीक्षा है. इस परीक्षा में प्रश्न बहुविकल्पीय प्रारूपों पर आधारित होते हैं. न्यूनतम उत्तीर्ण प्रतिशत 60 प्रतिशत सामान्य उम्मीदवारों के लिए और 55 प्रतिशत आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए है.

मुख्य परीक्षा: यह सब्जेक्टिव आधारित परीक्षा है. इसमें उम्मीदवारों को लिखित परीक्षा प्रदान की जाती है. उन्हें उत्तर लिखना आवश्यक है. जो प्रत्येक व्यक्तिपरक परीक्षा में न्यूनतम 40 प्रतिशत और कुल मिलाकर 50 प्रतिशत हासिल करने का प्रबंधन करते हैं, उन्हें अगले दौर के लिए आमंत्रित किया जाता है.

वाइवा वॉइस: यह फाइनल राउंड है. जिन लोगों ने प्रारंभिक और मुख्य दोनों परीक्षा पास की है, वे भर्ती पैनल के साथ इंटरव्यू राउंड के लिए उपस्थित होते हैं.

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लॉअर जुडिशल सर्विस (LJS)

लॉअर जुडिशल सर्विस (LJS) परीक्षा राज्य की अदालतों में सिविल जजों की नियुक्ति के लिए आयोजित की जाती है. यह राज्य लोक सेवा आयोग या उच्च न्यायालय द्वारा आयोजित किया जाता है.

हायर जुडिशल सर्विस (HJS)

हायर जुडिशल सर्विस (HJS) सिविल जजों को जिला जजों को प्रमोट करने या एडवोकेट्स को जिला जजों के रूप में नियुक्त करने के लिए आयोजित की जाती है. एक अधिवक्ता एक वकील है जो अदालत के कानून का अभ्यास करता है. अधिवक्ताओं ने अदालत में कानून का अभ्यास करने के लिए पात्र होने के लिए अखिल भारतीय बार परीक्षा (All India Bar Examination) को सफलतापूर्वक पास कर लिया होगा .

सुप्रीम कोर्ट में जजों के नियुक्ति की प्रक्रिया

जब भी सुप्रीम कोर्ट में जज की वेकेंसी होती है तो उस पद को भरने के लिए चीफ जस्टिस के नेतृत्व वाला कॉलेजियम जज के नाम की सिफारिश करता है. यह सिफारिश केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री को भेजी जाती है.

  1. सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति के लिए देश के चीफ जस्टिस की राय सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर मोस्ट जज के     कॉलेजियम के सलाह से होनी चाहिए. यदि देश के अगले सीजेआई चार सीनियर मोस्ट उप-जज में से एक नहीं हैं, तो उन्हें कॉलेजियम का हिस्सा बनाया जाएगा क्योंकि जजो के सेलेक्शन में उनका भी हाथ होना चाहिए जो देश के सीजेआई   के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान कार्य करेंगे.
  2. भारत के चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट के उस सीनियर मोस्ट जज की राय जानेंगे जो, उस हाईकोर्ट से आते हैं जहां से अनुशंसित व्यक्ति आता है. यदि उस जज को उस व्यक्ति की योग्यता और अवगुणों का कोई ज्ञान नहीं है, तो अगले सीनियर मोस्ट सुप्रीम कोर्ट जज से सलाह लेनी होती है.
  3. चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की तरफ से कॉलेजियम की अंतिम सिफारिश प्राप्त होने के बाद, केंद्रीय कानून, न्याय और कंपनी मामलों के मंत्री अपनी सिफारिशों को प्रधान मंत्री के पास रखते हैं. पीएम इस मामले में राष्ट्रपति को सलाह देते हैं.
  4. जैसे ही नियुक्ति को मंजूरी दी जाती है, न्याय विभाग में भारत सरकार के सचिव की तरफ से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को सूचित करते हैं. इसके बाद चुने गए व्यक्ति से सिविल सर्जन या जिला चिकित्सा अधिकारी की तरफ से हस्ताक्षरित फिजिकल फिटनेस का प्रमाण पत्र प्राप्त करना होता है.
  5. नियुक्ति के लिए चयनित सभी व्यक्तियों से मेडिकल सर्टिफिकेट प्राप्त किया जाना होता है चाहे वे नियुक्ति के समय राज्य की सेवा में हों या नहीं. सर्टिफिकेट प्रपत्र (Annex) में संलग्न होना चाहिए.
  6. केंद्र की तरफ से मंजूरी के बाद राष्ट्रपति की तरफ से जजों की नियुक्ति का लेटर जारी किया जाता है.
  7. जैसे ही राष्ट्रपति की तरफ से अप्वाइंटमेंट के वारंट पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, न्याय विभाग में भारत सरकार के सचिव नियुक्ति की घोषणा करते हैं. इसके बाद भारत के राजपत्र में आवश्यक अधिसूचना जारी की जाती है.

सुप्रीम कोर्ट में जज कैसे बनें?

Qualification for SC Judge – संविधान में अनुच्छेद 124 (2) में सुप्रीम कोर्ट के जज की नियुक्ति के बारे में बताया गया है. संविधान के मुताबिक, भारत के राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति कॉलेजियम (Collegium) की सलाह पर करते हैं.

कॉलेजियम में देश के सीजेआई (CJI) और सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जज होते हैं. यही कॉलेजियम हाईकोर्ट जज की भी नियुक्ति करता है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की सलाह सबसे अहम मानी जाती है.

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