Home Blog Page 60

नहीं कम हुई तिरुपति लड्डू, की बिक्री जारी हो गया चौंकाने वाला आंकड़ा

0
Tirupati Balaji Mandir
Source: Google

तिरुपति मंदिर (Tirupati Balaji Mandir) दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित मंदिरों में एक प्रमुख मंदिर है. करोड़ों श्रद्धालु यहां हर साल आते हैं. वही विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले लड्डू प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलने की खबर सामने आई है. जिसके बाद देशभर में सियासी हड़कंप मच गया है. इससे करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंची है. लेकिन इन सब के बीच भी दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का प्रसाद को लेकर आस्था कम नहीं हुई है. पिछले चार दिनों में तिरुपति मंदिर ने 14 लाख से अधिक लड्डू बेचे हैं. तो चलिए आपको इस लेख में तिरुपति लड्डू विवाद के बारे में बताते है.

नहीं पड़ा भगवान वेंकटेश्वर के प्रसाद की बिक्री पर कोई असर

प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में बनाये जाने वाला लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी पाए जाने के बाद काफी विवाद हुआ. कई बड़े मंदिरों में तो प्रसाद की जांच भी करवाई गयी. साथ ही कई बड़े मंदिरों में बाहरी प्रसाद चढ़ाने पर भी रोक लगा दी गयी है. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इतना विवाद होने के बाद भी लोगो की आस्था पर कोई फर्क नहीं पड़ा और लड्डूओं की बिक्री पर कोई असर अभी नहीं देखा जा सका है. श्री वेंकटेश्वर मंदिर में रोजाना 60,000 से ज्यादा श्रद्धालु आते हैं. मंदिर प्रशासन ने बताया कि लड्डू प्रसाद की बिक्री पर कोई असर नहीं पड़ा है. बीते चार दिनों में 14 लाख से अधिक तिरुपति लड्डू बिके हैं.

तिरुपति मंदिर प्रशासन के मुताबिक, 19 सितंबर को कुल 3.59 लाख लड्डू बेचे गए, 20 सितंबर को 3.17 लाख लड्डू, 21 सितंबर को 3.67 लाख और 22 सितंबर को 3.60 लाख लड्डू बिके. यहां औसत साढ़े तीन लाख लड्डू रोजाना बेचे जाते हैं और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. दरअसल, तिरुपति मंदिर आने वाले अधिकतर श्रद्धालुओं का मानना है कि तिरुपति लड्डू विवाद राजनीति का खेल है. यह राजनीतिक पार्टी का पॉलिटिकल एजेंडा है कि वह किस तरह लोगों को दूसरे दल के प्रति भड़काए और देश की शांति को भंग करें. एक श्रद्धालु ने कहा कि तिरुपति भगवान के भक्तों की आस्था इतनी कमजोर नहीं है कि राजनीति उसे हिला सके. कुछ श्रद्धालुओं का कहना है कि काफी पुरानी बातें हैं लड्डू में मिलावट, इस समय उसको लेकर क्यों प्रसाद पर शक किया जाए.

Tirupati Balaji Mandir..
Source: Google

क्या था तिरुपति लड्डू का मामला ?

करोड़ों श्रद्धालुओं के आस्था के केंद्र तिरुपति मंदिर के लड्डू में गाय की चर्बी, सूअर की चर्बी का अंश, मछली के तेल मिलाने संबंधी आरोपों की जांच के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि हमने मामले को संज्ञान में लेकर जांच रिपोर्ट तलब किया है. मंदिर के प्रसाद की भी जांच कराई गई है.

Also Read: भर-भरकर घी खाते हैं तो हो जाए सतर्क, आसानी से घी में हो जाती है मिलावट, जानिए तिरुपति का लड्डू विवाद.

वहीं, इस मसले को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली वाईएसआर कांग्रेस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर तिरुपति मंदिर के लड्डू (Tirupati Laddu) में जानवरों की चर्बी मिलाए जाने संबंधी मामले की जांच के लिए कमेटी बनाने की मांग की है. कोर्ट 25 सितंबर (यानी आज) को सुनवाई करेगा जिसके बाद ही कोई फैसला लिया जायेगा.

क्या है Tirupati Balaji Mandir का इतिहास

प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चितूर जिले के तिरुमला पर्वत पर है. यह मंदिर भारत के सबसे प्रमुख और मंदिरों में से एक है. इस मंदिर के मुख्य देवता श्री वेंकटेश्वर स्वामी हैं. भगवान वेंकटेश के इस पवित्र मंदिर में बनने वाले श्री वारी लड्डू का इतिहास 300 साल पुराना है.

Tirupati Balaji Mandir.
Source: Google

यह प्राचीन पोटू किचन में बनाया जाता है. वर्तमान में रोज यहां 3.5 लाख लड्डू बनते हैं. शुद्ध देसी घी में बनने वाले इन लड्डूओं को ब्राह्मण एक विशेष अनुष्ठान के साथ तैयार करते हैं. मंदिर के इस प्रसाद से ही अकेले सालाना 500 करोड़ रुपये की आय होती है.

Also Read: गुरु नानक देव जी से लेकर गुरु राम दास जी तक, शुरूआती 4 गुरुओं के द्वारा किए गए सबसे महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानें.

कौन है ये एक्ट्रेस जिसने करियर के पीक होने के बाद तलाकशुदा एक्टर से की शादी

0
Kareena Kapoor
Source: Google

टीवी से लेकर बॉलीवुड तक, आज ऐसी कई एक्ट्रेस हैं जिन्होंने अपनी ख़ूबसूरती के साथ अपनी एक्टिंग से खूब नाम कमाया है. लेकिन करियर के पीक पर कई एक्ट्रेसेस ने ऐसा फैसला लिया, जिसके बाद उनके करियर पर ग्रहण लगने जैसी बातें होने लगी थी. कुछ एक्ट्रेस ने शादी कर ली और बॉलीवुड से दूर हो गईं तो वहीं कई एक्ट्रेस ऐसी भी रहीं जिन्होंने शादी के बाद भी जबरदस्त वापसी की और बॉलीवुड में धूम मचा दिया. आज हम आपको बी-टाउन की एक ऐसी ही एक्ट्रेस के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने तलाकशुदा एक्टर से शादी की, जिस पर जमकर सवाल उठे लेकिन उसके बाद कई सुपरहिट्स देकर उन्होंने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया था.

बॉलीवुड की टॉप एक्ट्रेसेस में हैं शुमार

एक्ट्रेस करीना कपूर ने साल 2012 में बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान ने शादी की थी. करीना की लव लाइफ भी काफी सुर्खियों में रही थी. दरअसल, करीना कपूर के साथ सैफ की दूसरी शादी थी. उनकी पहली पत्नी अमृता सिंह थीं, लेकिन दोनों सालों पहले अलग हो गए थे, जिसके बाद उनकी जिंदगी में बेबो यानी (करीना कपूर) की एंट्री हुई. सैफ से शादी के बाद करीना कपूर दो बेटों की मां बनीं, तैमूर अली खान और जहांगीर अली खान. हालांकि, करीना को शादी के लिए बहुत से लोगों ने मना किया था. उनका कहना था कि शादी के बाद एक्ट्रेस का करियर खत्म हो जाएगा लेकिन करीना ने किसी की नहीं सुनी और अपनी डगर में आगे बढ़ती रही. वो आज भी बॉलीवुड फिल्मो में काम कर रही हैं.

Kareena Kapoor.
Source: Google

करीना कपूर को आज बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में 24 साल हो चुके हैं. उन्होंने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत साल 2000 आई फिल्म रिफ्यूजी से की थी. करीना ने अपने इतने सालों के करियर में अब तक 74 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुकी हैं. हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में करीना ने बताया कि जब उन्होंने सैफ अली खान से शादी करने का फैसला किया तब लोगों ने ऐसा न करने की सलाह देना शुरू कर दिया था. कई लोगों ने उन्हें कहा कि शादी के बाद उनका करियर खत्म हो जाएगा. आगे बात करते हुए करीना ने बताया कि सैफ काफी अंडरस्टैंडिंग हैं. हम दोनों अक्सर अपनी-अपनी फिल्मों के बारे में डिस्कशन करते हैं.

Kareena Kapoor And Saif
Source: Google

हालांकि, शादी के बाद भी उन्होंने इंडस्ट्री में अपने काम को जारी रखा और अपनी पहचान बनाई. शादीशुदा जिंदगी और करियर को बैलेंस करते हुए वो आज भी एक सफल एक्ट्रेस हैं. करीना कपूर की शादी को अब 12 साल हो गए हैं और आज भी वो इंडस्ट्री में काम कर रही हैं. इतना ही नहीं, शादी के बाद भी करीना ने कई हिट फिल्मों में काम किया. करीना कपूर बी-टाउन की क्वीन कही जाती हैं. उनके स्टारडम के आगे सभी फेल हैं.

Also Read:मिस यूनिवर्स इंडिया 2024 का खिताब जीती गुजरात की रिया सिंघा.

करीना का वर्कफ्रंट

अगर हम करीना के वर्कफ्रंट की बात करें तो वो आखिरी बार फिल्म ‘द बकिंघम मर्डर्स’ में नजर आई थी, जो हाल ही में रिलीज हुई एक सस्पेंस-थ्रिलर फिल्म है. करीना इस फिल्म की को-प्रोड्यूसर भी हैं. दूसरी ओर, सैफ अली खान के फैंस उनकी अगली आने वाली फिल्म ‘देवरा’ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, जो 27 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी. फिल्म में सैफ विलेन के किरदार में दिखेंगे.

Also Read: Biswajit Chatterjee: दोस्त की सलाह से डूब गया हिंदी सिनेमा के हैंडसम हंक का करियर

 

BJP के गले में फंसी ‘माफीवीर’ कंगना? न घर की रहीं न घाट के….

0
Kangana vs BJP
Source- Google

“1947 में भारत को भीख में आजादी मिली थी, देश को असली आजादी साल 2014 में मिली.”

“राहुल गांधी की जांच होनी चाहिए कि क्या वो ड्रग्स लेते हैं.”

“प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भगवान विष्णु के अवतार हैं.”

“मोदी जी भारत का इतिहास दोबारा लिख रहे हैं.”

“किसान आंदोलन में खालिस्तानी बैठे हैं.”

ऐसे कई बयान हैं जिसके जरिए कंगना हमेशा लाइम लाइट में बनी रहीं…शायद इन्हीं बयानों का प्रभाव था कि उन्हें भाजपा की ओर से टिकट  मिला और मंडी से सांसद बन गईं…लेकिन राजनीति में आने के बाद अब ऐसा लग रहा है कि कंगना न घर की रहीं न घाट के.

हमको मिटा सके ये जमाने में दम नहीं…जमाना हमसे है जमाने से हम नहीं….राजनीति में आने से पहले एक्ट्रेस कंगना रनौत में यही अकड़ देखने को मिलती थी…सरकार के समर्थन में कभी भी किसी के खिलाफ कोई भी टिप्पणी करना इनके लिए आम बात हो गई थी…ऐसे कई मौके आए जब कंगना के बयान सुर्खियों में रहे…भाजपा ने पार्टी में शामिल करा कर सांसद बना दिया लेकिन अब भाजपा की स्थिति ऐसी हो गई है कि वो कंगना को न निगल पा रही है और न ही उगल पा रही है….बार बार पार्टी की ओर से चेतावनी मिलने के बावजूद कंगना वही बोल रही हैं जो उनका मन कर रहा है. इस लेख में हम यह समझने का प्रयास करेंगे कि आखिर कंगना रनौत, अपनी ही पार्टी और अपनी ही सरकार की नैया डुबाने का प्रयास क्यों कर रही हैं? इसके पीछे के कारण क्या हो सकते हैं?

समझिए क्या है पूरा मामला?

दरअसल, पिछले दिनों अभिनेत्री और हिमाचल प्रदेश के मंडी से सांसद कंगना रनौत ने एक अखबार को दिये इंटरव्यू में कहा था कि अगर हमारा शीर्ष नेतृत्व मजबूत नहीं रहता तो किसान आंदोलन के दौरान पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता। कंगना ने आगे कहा था कि किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवी हिंसा फैला रहे थे। वहां रेप और हत्याएं हो रही थीं. उनके इस बयान पर जमकर हंगामा मचा था…विपक्षी पार्टियों ने इसे लेकर भाजपा पर हमला बोला था और कई संगठनों ने भी सरकार पर सवाल उठाए थे.

आनन फानन में पार्टी की ओर से कंगना रनौत के बयान पर असहमति जताते हुए एक प्रेस रिलीज जारी किया गया और कंगना से पार्टी से संबधित मुद्दों पर ना बोलने का ताकीद की गई. लेकिन कंगना तो कंगना ठहरी…इस नोटिस को एक महीने भी नहीं हुए थे कि फिर से किसानों के मसलों पर ही उन्होंने एक टिप्पणी कर दी. कंगना ने अपने बयान में कहा कि “किसानों से जुड़े तीन कानून वापस आने चाहिए. तीन किसान कानून सिर्फ राजनीति की भेंट चढ़ गए और अब किसानों की बेहतरी के लिए खुद किसानों को इनकी वापसी की डिमांड करनी चाहिए.”

और पढ़ें: RSS vs BJP की लड़ाई में घी डालकर अपना हाथ क्यों सेंक रहे हैं अरविंद केजरीवाल? इससे AAP का फायदा होगा या नुकसान 

सोची समझी रणनीति के तहत दिया गया बयान

मजे की बात तो यह है कि अपने बयान में खुद कंगना ये कहते दिख रही हैं ये बयान कंट्रोवर्शियल यानी विवादित हो सकता है. इससे यह स्पष्ट होता है कि ये बयान गलती से नहीं सोची समझी रणनीति के तहत दिया गया था. अब भाजपा ने एक बार फिर से कंगना रनौत के बयान से पल्ला झाड़ते हुए उसे उनका निजी विचार बता दिया है…यानी सांसद बनने के करीब 4 महीने के भीतर ही 2 बार भाजपा कंगना रनौत को उनकी औकात दिखा चुकी है!

किसान आंदोलन पर टिप्पणी के कारण पिछले दिनों एयरपोर्ट पर उन्हें थप्पड़ भी पड़ा था…हालांकि, हम किसी भी तरह की हिंसा का समर्थन नहीं करते…बात खुली है तो हम सिर्फ पैटर्न समझाने का प्रयास कर रहे हैं…थप्पड़ कांड से यह तो स्पष्ट हो गया था कि किसान कहीं से भी कंगना को देखना पसंद नहीं करते हैं.

वहीं, इस समय हरियाणा में चुनाव प्रचार जोर शोर से चल रहा है…भाजपा अपनी सरकार बचाने की कोशिशों में लगी है…हरियाणा किसान बेल्ट है और किसानों को नाराज करने का सीधा मतलब है सरकार गंवाना…यह सब जानने और समझने के बावजूद चुनाव से ठीक पहले किसानों पर दिए जा रहे कंगना रनौत के बयान के पीछे कुछ तो झोल नजर आ रहा है…उन्हें पता है कि उनके बयानों से किसान नाराज होंगे…भाजपा को नुकसान होगा लेकिन फिर भी वह अपने आप को ऐसे बयान देने से रोक नहीं पा रही हैं.

अपनी ही सरकार के खिलाफ केस लड़ रही हैं कंगना ?

कारण पर नजर डालें तो पहला कारण उनकी फिल्म इमरजेंसी पर भाजपा सरकार की इमरजेंसी लगी हुई है…यानी केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की ओर से उनकी फिल्म को क्लीयरेंस नहीं मिल पा रहा है, जिसके कारण फिल्म रिलीज नहीं हो रही. मजे की बात तो यह है कि केंद्र में सरकार भाजपा की है…केंद्रीय फिल्म प्रमाण बोर्ड सरकार के अंतर्गत आता है…फिल्म भी इंदिरा गांधी के ऊपर है यानी भाजपा को इससे बहुत कुछ नुकसान भी नहीं है….लेकिन इसके बावजूद फिल्म को क्लीयरेंस न मिल पाना…कंगना को भी पच नहीं पा रहा है…आपको जानकर हैरत होगी कि यह मामला कोर्ट में चल रहा है…यानी कंगना रनौत अपनी ही सरकार के अंतर्गत आने वाले CBFC के खिलाफ केस लड़ रही हैं.

दूसरा कारण यह हो सकता है कि राजनीति में आने से पहले उन्हें जिन टिप्पणियों पर भाजपा नेताओं और शीर्ष नेतृत्व से वाहववाही मिलती थी…सरकार के समर्थक उनके बयानों को धड़ल्ले से शेयर करते थे…उनके समर्थन में ट्विटर ट्रेंड चलाए जाते थे…अब भाजपा में शामिल होकर, भाजपा की टिकट पर सांसद बनने के बाद उनके बयानों को तवज्जों नहीं मिल रही…अब कंगना कुछ बोल भी रही हैं तो पार्टी उनसे पल्ला झाड़ ले रही है..5 साल के टर्म में शुरुआती 4 महीनें में 2 बार ये घटना घटित हो चुकी है…ऐसे में आने वाले समय में स्थिति क्या होगी…कुछ कहा नहीं जा सकता है.

अब क्या होगा कंगना का भविष्य ?

हमने फिल्मों में लगातार फ्लॉप हो रहे ऐसे तमाम एक्टर्स को देखा है जो बाद में हिट हुए हैं…कंगना भी फ्लॉप पर फ्लॉप दे रही थीं लेकिन इसका ये मतलब नहीं था कि वो वापसी नहीं कर सकती थीं…लेकिन उन्होंने सियासत का हाथ पकड़ लिया और इसके जरिए अपनी ऑडियंस को टारगेट करने का प्रयास किया लेकिन कुछ नहीं हुआ और वो मात्र हंसी की पात्र बनकर रह गई हैं…फिल्मों में फ्लॉप होने के बाद लोग वापसी कर लेते हैं लेकिन राजनीति में एक बार दाग लग जाए तो वापसी करना या लोगों के दिलों में फिर से जगह बना पाना…काफी कठिन होता है.

कंगना के अब तक के करियर ग्राफ को देखें तो वो माफी मांगने वालों में से नहीं हैं…वो अपनी लड़ाई लड़ती आई हैं और चीजों पर अपना स्टैंड क्लीयर रखते आई हैं…लेकिन सांसद बनने के 4 महीने के भीतर वो 2 बार माफी मांग चुकी हैं…यानी कभी भी अपनी आंखें न झुकाने वाली कंगना आज सहम गई हैं…वह चाह कर भी कुछ कर नहीं पा रही…अपनी फिल्म को अपनी ही सरकार से सर्टिफिकेशन नहीं दिलवा पा रही…अपने बयानों पर अपना स्टैंड नहीं ले पा रहीं…फिल्मी दुनिया से आंशिक रूप से दूर हो चुकी कंगना का अब भविष्य क्या होगा…राजनीति में वो टिक पाएंगी या शुरु होने से पहले ही उनका राजनीतिक करियर समाप्त हो जाएगा…ऐसे कई सवाल अब लोगों के दिमाग में घर करने लगे हैं.

और पढ़ें: Online Gaming में 96 लाख का भयंकर नुकसान, जिम्मेदार कौन? सरकार, सेलिब्रिटी या इंफ्लुएंसर्स

RSS vs BJP की लड़ाई में घी डालकर अपना हाथ क्यों सेंक रहे हैं अरविंद केजरीवाल? इससे AAP का फायदा होगा या नुकसान

0
BJP vs RSS and Arvind Kejriwal
Source- Nedrick News

भाजपा को RSS ने बनाया…नरेंद्र मोदी को RSS ने बनाया…देश में 2014 में भाजपा की सरकार बनाने में RSS का योगदान काफी ज्यादा रहा…2019 तक सरकार में और भाजपा में RSS का हस्तक्षेप प्रत्यक्ष तौर पर देखने को मिला लेकिन 2019 के बाद मोदी की महामानव वाली छवि के प्रचार ने काफी कुछ बदल कर रख दिया…मोदी का कद बढ़ता जा रहा था और पार्टी से RSS का असर समाप्त होता जा रहा था…लोकसभा चुनाव 2024 आते आते भाजपा में RSS का हस्तक्षेप न के बराबर हो गया…यही कारण था कि जो RSS चुनाव से काफी पहले ही जमीनी स्थिति को जानने समझने के लिए अपनी तैयारियों में जुट जाती थी…2024 के चुनाव से पहले RSS की ओर से ऐसे कोई कदम नहीं उठाए गए और लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का हश्र क्या हुआ, यह आप भलि भांति जानते हैं.

भाजपा और RSS के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं, जिसे नकारा नहीं जा सकता है…अब इन्हीं मुद्दों को अरविंद केजरीवाल ने सार्वजनिक करते हुए मोहन भागवत से सवाल पूछ लिए हैं….ऐसे में सवाल उठते हैं कि आखिर भाजपा और RSS के बीच क्या मतभेद हैं? मोहन भागवत पिछले लंबे समय से मोदी सरकार पर क्यों हमलावर हैं? अरविंद केजरीवाल RSS से क्यों गुहार लगा रहे हैं…इससे उनका क्या फायदा होगा?

केजरीवाल के सवाल से बढ़ जाएगी BJP vs RSS की खाई ?

दरअसल, अरविंद केजरीवाल इस समय जमानत पर बाहर हैं और चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं..इसी दौरान उन्होंने सीधे तौर पर RSS प्रमुख मोहन भागवत से ऐसे समय पर सवाल पूछ लिए है, जब संघ और भाजपा के बीच संबंधों में कड़वाहट की खबरें सामने आ रही है. भागवत ने बीते दिनों ऐसे कई बयान दिए, जिसके बाद ये कहा गया कि भागवत पीएम मोदी को निशाने पर ले रहे हैं. हालांकि भागवत ने अपने बयानों में पीएम मोदी का नाम नहीं लिया था.

अब केजरीवाल ने मोहन  भागवत से सवाल करते हुए पूछा है कि –

  • जिस तरह से मोदी जी देशभर में लालच देकर ईडी और सीबीआई की धमकी देकर दूसरी पार्टी के नेताओं को तोड़ रहे हैं, ये भारत के लोकतंत्र के लिए सही है या हानिकारक है?
  • जिन नेताओं को मोदी-शाह ने भ्रष्टाचारी कहा, उनको बीजेपी में शामिल कर लिया गया. क्या मोहन भागवत जी ने ऐसी राजनीति की कल्पना की थी?
  • बीजेपी RSS की कोख से पैदा हुई थी तो यह देखना RSS की ज़िम्मेदारी है कि बीजेपी पथभ्रष्ट ना हो. मोहन भागवत जी बताएं कि क्या आपने मोदी जो को ये सब करने से रोका?
  • जेपी नड्डा जी ने लोकसभा चुनाव के दौरान कहा कि बीजेपी को अब RSS की ज़रूरत नहीं है. RSS बीजेपी की मां समान है तो क्या बेटा इतना बड़ा हो गया है कि मां को आंख दिखाने लगा. जब नड्डा जी ने ये कहा तो आपके दिल पर क्या गुज़री? क्या आपको दुख नहीं हुआ?
  • अमित शाह जी कह रहे हैं कि 75 साल में रिटायर होने वाला नियम नियम मोदी जी पर लागू नहीं होगा. मोहन भागवत जी से पूछना चाहता हूं कि जो नियम आडवाणी जी और अन्य कई नेताओं पर लागू हुआ वो मोदी जी पर लागू नहीं होगा?

ये कुछ ऐसे सवाल हैं, जो  अंदरखाने काफी लंबे समय से चल रहे हैं..जिसे केजरीवाल ने सार्वजनिक कर दिया है….इससे पहले भी केजरीवाल के कई बयानों ने भाजपा और RSS की मुश्किलें बढ़ाई है…इसके पहले मई 2024 में जेल से बाहर निकलते ही केजरीवाल ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ को सीएम पद से हटा दिया जाएगा…वहीं, एक चुनावी रैली में उन्होंने ये भी कहा था कि अगले साल पीएम मोदी 75 साल के हो रहे हैं. 2014 में पीएम मोदी ने ख़ुद नियम बनाया था कि जो 75 साल का हो जाएगा, उसे रिटायर कर दिया जाएगा.

केजरीवाल के इस बयान का तब ये असर हुआ था कि अमित शाह को 75 की उम्र में रिटायरमेंट वाली बात पर सफाई देनी पड़ी थी. लेकिन तब भी योगी आदित्यनाथ को लेकर केजरीवाल ने जो दावा किया था, भाजपा की ओर से उसका खंडन नहीं किया गया. ध्यान देने वाली बात है कि सीएम योगी RSS के करीबी हैं, और संघ के एजेंडे में एकदम फीट बैठते हैं. जानकारों के मुताबिक यही कारण है कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व यानी मोदी-शाह और नड्डा की तिकड़ी इन्हें पसंद नहीं करती…हालांकि, सच्चाई क्या है कोई नहीं जानता.

और पढ़ें: Hamas से लड़ते-लड़ते हिजबुल्लाह पर काल बनकर क्यों टूट पड़ा Israel? जानिए फिलिस्तीन का लेबनान और Hezbollah कनेक्शन

सुर्खियों में रहे मोहन भागवत के ये बयान

अब आपके मन में भी यह सवाल आ रहा होगा कि आखिर मोदी और शाह की शिकायत मोहन भागवत से अरविंद केजरीवाल क्यों कर रहे हैं…इस सवाल के मायने समझेंगे उससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 के ठीक बाद मोहन भागवत के उन बयानों पर गौर करते हैं, जो सीधे तौर पर मोदी और संघ के बीच खटास को दर्शाता है-

4 जून 2024 को आम  चुनाव के नतीजे सामने आने के कुछ ही दिन बाद मोहन भागवत ने कहा था कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह गरिमा बनाए रखते हुए लोगों की सेवा करता है. लोकसभा चुनावों को जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि प्रचार के दौरान सदाचार बरकरार नहीं रखा गया.

उन्होंने कहा था जो मर्यादा का पालन करते हुए काम करता है. गर्व करता है लेकिन अहंकार नहीं करता, वही सही अर्थों में सेवक कहलाने का अधिकारी है. उनके इस बयान को भाजपा के अहंकार पर प्रहार बताया गया था..

वहीं, एक बयान में मोहन भागवत ने कहा कि आत्म-विकास के क्रम में एक मनुष्य सुपरमैन, फिर देवता और भगवान बनना चाहता है और विश्वरूप की आकांक्षा कर सकता है लेकिन यह निश्चित नहीं है कि आगे क्या होगा. उनके इस बयान को भी सीधे तौर पर मोदी पर प्रहार माना गया.

इसके अलावा झारखंड में गैर सरकार संगठन विकास भारती द्वारा आयोजित बैठक में मोहन भागवत ने कहा, लोगों को कभी भी अपनी उपलब्धियों से संतुष्ट नहीं होना चाहिए और मानव जाति के कल्याण के लिए लगातार काम करना चाहिए क्योंकि विकास और मानव महत्वाकांक्षा की खोज का कोई अंत नहीं है.

कांग्रेस ने भागवत के इस बयान को हाथों हाथ उठाया और जयराम रमेश ने इसे पीएम मोदी पर निशाना बताया था.

जेपी नड्डा के बयान से मचा था बवाल

वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के ठीक बाद RSS के दिग्गज नेता इंद्रेश कुमार के बयानों ने भी सुर्खियां बटोरी थी. उन्होंने कहा था कि “2024 में राम राज्य का विधान देखिए, जिनमें राम की भक्ति थी और धीरे-धीरे अहंकार आ गया, उन्हें 240 सीटों पर रोक दिया. जिन्होंने राम का विरोध किया, उनमें से राम ने किसी को भी शक्ति नहीं दी, कहा- तुम्हारी अनास्था का यही दंड है कि तुम सफल नहीं हो सकते.”

इन सारे बयानों से निष्कर्ष यही निकलता है कि RSS, भाजपा से खुश नहीं है….RSS का टॉप लीडरशिप भाजपा से खुश नहीं है…वहीं, भाजपा के टॉप लीडर भी RSS को देखना पसंद नहीं करता….इसका उदाहरण उस समय भी देखने को मिला था जब इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने RSS पर टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि “शुरू में हम अक्षम होंगे, थोड़ा कम होंगे. RSS की ज़रूरत पड़ती थी. आज हम बढ़ गए हैं. सक्षम हैं तो बीजेपी अपने-आपको चलाती है.”

उनके इस बयान के बाद संघ में काफी नाराजगी देखने को मिली थी…अजीत पवार जैसे नेताओं को अपने पाले में लाना या फिर दूसरी पार्टी से आए लोगों को तुरंत ही राज्यसभा में भेज देना…जैसे तमाम मुद्दे संघ के नैरेटिव में फिट नहीं बैठते..

संघ और भाजपा के बीच खींचातानी लंबे समय से चल रही है लेकिन अब केजरीवाल ने इस खींचातानी को सार्वजनिक कर दिया है…हरियाणा चुनाव से ठीक पहले केजरीवाल ने ये सवाल पूछ कर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी है…अब समझते हैं कि आखिर संघ और भाजपा की लड़ाई में केजरीवाल हाथ क्यों सेंक रहे हैं.

इससे केजरीवाल को क्या लाभ होगा?

जिस तरह से विपक्ष के नेता राहुल गांधी संघ  पर चोट करते रहे हैं…अरविंद केजरीवाल की रणनीति उनसे थोड़ी अलग है…केजरीवाल चाहते हैं कि RSS की शुचिता बची रहे….उनके सवाल करने के लहते से ऐसा प्रतीत हुआ कि वो शिकायत कर रहे हैं और शायद अंदर ही अंदर यह भी बताने का प्रयास कर रहे हैं कि भाजपा अगर आपकी बात नहीं मानती है तो हम तो हैं ही….बीबीसी के एक रिपोर्ट में कुछ ऐसा ही दावा किया गया है…

आपने गौर किया होगा कि केजरीवाल पिछले कुछ वर्षों से हिंदुत्व की राजनीति को प्राथमिकता देते आ रहे हैं..दिल्ली में कई जगहों पर सुंदरकांड करवाने की बात हो या तिरंगा लगवाने की बात हो. केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेता ख़ुद को ”कट्टर देशभक्त” की छवि वाला पेश करते रहे हैं. 2021 में केजरीवाल ने एलान किया था कि उनकी सरकार का मकसद ”राम राज्य” लाना है.

अगर अन्ना आंदोलन से देखे तो अन्ना हजारे का संबंध नानाजी देशमुख से बताया गया था..हालांकि, बाद के सालों में केजरीवाल ही अन्ना से दूर हो गए…ऐसे में इस बात की संभावना भी जताई जा रही है कि केजरीवाल दबे स्वर में RSS से खुद पर भरोस बनाने की बात कर रहे हैं. इससे इतर यह भी हो सकता है कि केजरीवाल संघ और भाजपा के बीच चल रही खींचातानी में घी डालने का काम कर रहे हैं….जिससे इनके बीच दूरियां बढ़ती जाए और अन्य पार्टियां इसका राजनीतिक लाभ उठा सके.

और पढ़ें: Online Gaming में 96 लाख का भयंकर नुकसान, जिम्मेदार कौन? सरकार, सेलिब्रिटी या इंफ्लुएंसर्स

मिस यूनिवर्स इंडिया 2024 का खिताब जीती गुजरात की रिया सिंघा

0
Rhea Singha
Source: Google

जैसे की आप जानते है हर लड़की का सपना होता है खूबसूरत दिखना और उस खूबसूरती से सबको अपना कायल बनाना. यह सच कर दिखाया है गुजरात के अहमदाबाद की रहने  वाली रिया सिंघा ने. उन्होंने Miss Universe India 2024 का ख़िताब अपने नाम कर लिया है. तो चलिए आपको इस लेख में Miss Universe India रिया सिंघा के बारे में बताते हैं.

मिस यूनिवर्स इंडिया प्रतियोगिता (Miss Universe India)

हाल ही में, बीते रविवार जयपुर में 22 सितंबर को Miss Universe India प्रतियोगिता का फाइनल आयोजित हुआ. इस प्रतियोगिता का आयोजन हर साल किया जाता है और इसकी विजेता (Miss Universe India 2024 Winner) इंटरनेशनल स्तर पर आयोजित मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करती हैं. इस साल यह अवसर रिया सिंघा को मिला है. उन्होंने मिस यूनिवर्स इंडिया की प्रतियोगिता के दौरान अपनी अद्भुत सूझबूझ और खूबसूरती का परिचय दिया है. अब वह मैक्सिको में होने वाले मिस यूनिवर्स 2024 प्रतियोगिता में इंडिया को रिप्रेजेंट करेंगी.

इस साल आयोजित हुए इस प्रतियोगिता में 2015 में मिस यूनिवर्स इंडिया रह चुकीं उर्वशी रौतेला, बतौर जज शामिल हुईं और उन्होंने अपने हाथों से यह ताज रिया सिंघा के सिर पर सजाया. आज से 9 साल पहले उर्वशी ने भी इस ताज को पहना था. इसे रिया को पहनाते समय उर्वशी के चेहरे पर गजब की खुशी देखने को मिली, जिसके बारे में बाद में उन्होंने बताया कि वो भी इन लड़कियों जैसा ही महसूस कर रही हैं और उन्हें उम्मीद है कि भारत इस साल फिर मिस यूनिवर्स का ताज अपने नाम करेगा.

Rhea Singha.
Source: Google

आइए जानें कौन हैं रिया सिंघा 

आपको बता दें कि रिया सिंघा, गुजरात के अहमदाबाद की रहने वाली हैं और अभी महज 19 साल की हैं. इस वक्त रिया गुजरात की एसएल यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई कर रही हैं. फैशन (Fashion) चॉइसेस से लेकर ग्रेसफुल पर्सनैलिटी तक, हर चीज ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है. रिया स्‍कूल टाइम से ही मॉडलिंग और पेजेंट प्रतियोगिताओं में एक्टिव रही हैं. कम उम्र से ही रिया ने मॉडलिंग करना शुरू कर दिया था. और मिस टीन गुजरात का खिताब भी जीता था. वही साल 2023 में रिया ने भारत का मिस टीन यूनिवर्स प्रतियोगिता में भी प्रतिनिधित्व किया था. यह प्रतियोगिता  मैड्रिड में आयोजित की गई थी, जिसमें 25 अन्य महिलाओं ने भी भाग लिया था.

Also Read: कभी मॉडलिंग में थी सबकी ‘गुरू’, जाने फिर कैसे बन गईं साध्वी.

इस प्रतियोगिता में रिया ने टॉप 6 में अपनी जगह बनाई थी. जिसके बाद इस सफ़र में एक कड़ी और जुड़ गयी है. मिस यूनिवर्स इंडिया का ताज हासिल करने के बाद रिया ने बताया कि वह खुद को इस खिताब के काबिल समझती हैं और वो पूर्व मिस यूनिवर्स विजेताओं से काफी प्रेरणा भी लेती हैं. इसके अलावा रिया सिंघा मैक्सिको में आयोजित होने वाले मिस यूनिवर्स प्रतियोगिता में वे इंडिया प्रतिनिधित्व करेंगी. इसमें 100 से ज्यादा प्रतिभागी शामिल होंगे, जिनमें से किसी एक के सिर मिस यूनिवर्स का ताज सजेगा.

Also Read: सिर्फ एक रोल ने बदल दी किस्मत; रातों-रात बन गईं सुपरस्टार जानिए कौन है ये एक्ट्रेस.

बेंगलुरु में श्रद्धा जैसा हत्याकांड! 29 साल की महिला की हत्या, फ्रिज में मिले शव के टुकड़े

0
Mahalaxmi Murder Case
Source: Google

कर्नाटक के बेंगलुरु से दिल्ली की श्राद्ध जैसा सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां 29 वर्षीय महिला की बेरहमी से हत्या कर दी गई और उसके शव को कई टुकड़ों में काटकर फ्रिज में रख दिया गया। व्यालिकावल पुलिस स्टेशन के अंतर्गत मुनेश्वरनगर में यह चौंकाने वाली हत्या की घटना हुई है। पुलिस के अनुसार, नेपाली महिला महालक्ष्मी महिला इलाके में स्थित घर की पहली मंजिल पर रहती थी, जहां उसकी हत्या की गई। जांच में महिला के शादीशुदा होने की बात भी सामने आई है। महिला निजी परिस्थितियों के कारण, पिछले पांच महीनों से अपने पति से अलग किराए के घर में रह रही थी।

और पढ़ें: श्रद्धा को चल गया था पता, आफताब करने वाला है उसके ‘टुकड़े-टुकड़े’

पति से अलग रहती थी महालक्ष्मी

पुलिस के अनुसार, महिला शादीशुदा थी, लेकिन निजी कारणों से वह अपने पति हुकुम सिंह राणा और अपने बच्चे से मुनेश्वरनगर में अलग रह रही थी। बच्चे नेलमंगला में रहते थे। घटना का पता तब चला जब महिला की मां और परिवार के अन्य सदस्य घर लौटे और उन्होंने देखा कि महिला ने अपना फोन बंद कर रखा है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और एफएसएल टीम फिलहाल इलाके का दौरा कर जांच कर रही है।

पुलिस ने दी जानकारी 

इस हत्याकांड के बाद एडिशनल पुलिस कमिश्नर सतीश कुमार ने घटनास्थल पर पत्रकारों को घटना के बारे में जानकारी दी। पुलिस अधिकारी के अनुसार, यह घटना पास के एक घर की पहली मंजिल पर हुई। उनका मानना ​​है कि हत्या को चार या पांच दिन हो चुके हैं। पुलिस के अनुसार महिला बेंगलुरु में रहती थी और दूसरे राज्य से आई थी। अधिकारियों के अनुसार, घटना की पूरी जांच होने तक पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाएगी।

Mahalakshmi murder case
Source: Google

बदबू रोकने के लिए किया केमिकल का इस्तेमाल 

पुलिस की प्रारंभिक जांच के अनुसार, महिला की हत्या कुछ दिन पहले की गई थी। आरोपी हत्यारे ने शव को कई टुकड़ों में काटकर फ्रिज में रख दिया था। बदबू को रोकने के लिए कटे हुए शरीर के टुकड़ों पर केमिकल छिड़का गया था। अधिकारियों के अनुसार, आरोपी ने महिला की हत्या की, घर को बंद किया और भाग गया। हत्या की शिकार महिला का फोन 2 सितंबर को बंद था। पुलिस जांच से पता चलता है कि हत्या उसी दिन की गई होगी।

महालक्ष्मी की दोस्त ने क्या कहा?

स्थानीय निवासी मैरी ने बताया कि हाल ही में उसकी दोस्ती महालक्ष्मी से हुई थी। वह घर में अकेली रहती थी और ज्यादा बातचीत नहीं करती थी। मैरी के मुताबिक महिला का बड़ा भाई कुछ दिन यहां रुका था। उसके जाने के बाद वह घर में अकेली रह रही थी। उसने बताया कि उसे हाल ही में पता चला कि महालक्ष्मी शादीशुदा है।

Mahalakshmi murder case
Source: Google

मैरी ने आगे बताया, ‘महालक्ष्मी ने यहां पांच महीने गुजारे। वह सुबह करीब साढ़े नौ बजे घर से निकलती थी और रात करीब दस बजे वापस आती थी। आज उसकी मां और बड़ी बहन आई थीं। घर के अंदर जाते ही परिवार को एक बुरी गंध महसूस हुई। जैसे ही मां और बड़ी बहन घर के अंदर आईं, तो उन्हें कुछ समझ में नहीं आया। मां और बहन ने फ्रिज खोला तो चीख पड़ीं। जब पूछा गया कि क्या हुआ तो उन्होंने बताया कि शव को टुकड़ों में काटकर फ्रिज में रखा गया है।’

वहीं मृत महिला की मां के मुताबिक, आखिरी बार उनकी बेटी से फोन पर बात 2 सितंबर को हुई थी, जब महालक्ष्मी ने उनसे कहा था कि वह जल्द ही अपने पति से मिलने जाएंगी। उसके बाद से उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

महालक्ष्मी के पूर्व पति हेमंत ने जताया अशरफ पर शक

महालक्ष्मी के पूर्व पति हेमंत दास को संदेह है कि नेलमंगला में एक सैलून में काम करने वाला अशरफ इस हत्या के लिए जिम्मेदार है। हेमंत ने दावा किया कि अशरफ और महालक्ष्मी के बीच अवैध संबंध थे और उसने अशरफ को ब्लैकमेल किया था। हेमंत का आरोप है कि अशरफ ने उत्पीड़न के तौर पर महालक्ष्मी को बार-बार ब्लैकमेल किया। हेमंत ने बताया कि अशरफ उत्तराखंड में रहता है।

हालांकि पुलिस अभी भी मामले की जांच कर रही है और घटना से जुड़े हर पहलू पर काम कर रही है।

और पढ़ें: सुल्तानपुर डकैती केस में मंगेश यादव के बाद STF ने अब किया अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर, यहां पढ़ें गुनहगारों का पूरा ‘हिसाब’

अभी तक 23 बार हो चुकी है ट्रेन को पलटाने की साजिश ? कौन है इसके पीछे, क्या कर रही है सरकार?

0
train accident, Attempt to derail train
Source- Google

भारत की लाइफ लाइन है रेलवे….रेलवे के द्वारा हर रोज 13 हजार से ज्यादा ट्रेनें संचालित की जाती है…जिसमें हर दिन भारत में करीब ढाई करोड़ लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं….लेकिन पिछले कुछ समय से ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों की जान के पीछे अनजान शक्तियां पड़ी हुई हैं…जो कभी भी और कहीं भी उनकी जान ले सकती हैं… सवाल वही है कि आखिर इन सब के पीछे कौन है? आखिर कौन है जो देश की आम जनता की जान के पीछे हाथ धो कर पड़ा हुआ है? कौन है जो ट्रेन को निशाना बनाकर भारत को दहलाने का प्रयास कर रहा है? क्या कोई विदेशी या आतंकी साजिश है या देश में रहने वाले लोग ही किसी के बहकावे में आकर ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं…? ऐसी घटनाओं पर सरकार लाचार क्यों है? सरकार ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या कर रही है? साथ ही ऐसी घटनाओं को अंजाम देने वालों के लिए देश में किस तरह के कानून हैं?

घटनाओं के पैटर्न को समझिए

अगर पूरे पैटर्न को देखें तो ऐसी घटना देश में सबसे पहले 5 जून 2023 में ओडिशा में देखने को मिली थी..ओडिशा के भद्रक में मंजुरी रोड की रेलवे क्रॉसिंह पर एक लकड़ी का बड़ा टुकड़ा देखने को मिला था. यह वही समय था जब मोदी सरकार अपने कार्यकाल के 9 सालों की उपलब्धियां गिना रही थी…देश को मोदी सरकार द्वारा पिछले 9 सालों में किए गए काम बताए जा रहे  थे…उसी दौरान ओडिशा में यह घटना देखने को मिली थी…

उसके बाद 2 अक्टूबर 2023 को राजस्थान में गंगरार-सोनियाना स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक पर लोहे के 2 प्लेट पिन और पत्थर रखे गए थे…यह वह समय था जब देश गांधी जयंती मना रहा था..उसी दिन देश को दहलाने का प्रयास किया गया था. ध्यान देने वाली बात है कि इस घटना से मात्र 15 दिन पहले ही मोदी सरकार ने 13000 करोड़ की पीएम विश्वकर्मा योजना लॉन्च की थी और उसका जमकर प्रचार किया जा रहा था.

फिर 4 फरवरी 2024 को तमिलनाडु के मदुरै में वांची मनियाची जंक्शन और तिरुनेलवेली जंक्शन के बीच वंदे भारत ट्रेन पर पत्थर फेंके गए थे, जिसमें ट्रेन के 9 शीशे टूट गए थे.. चौथी घटना 12 जुलाई 2024 को देखने को मिली…जब पश्चिम बंगाल में दुबराजपुर- चिनियाल सेक्शन के पास रेलवे ट्रैक पर कब्जा और रेलवे ट्रैक तोड़ने की कोशिश की गई..इस केस में शेख  लादेन नाम के शख्स को गिरफ्तार किया गया.

और पढ़ें: Online Gaming में 96 लाख का भयंकर नुकसान, जिम्मेदार कौन? सरकार, सेलिब्रिटी या इंफ्लुएंसर्स

अगस्त 2024 में हुई सबसे ज्यादा घटनाएं

इसके बाद अगस्त 2024 में कुल 12 बार ट्रेन को निशाना बनाने का प्रयास किया गया और उत्तर प्रदेश में ये मामले ज्यादा देखने को मिले…1 अगस्त को लखनऊ डिवीजन के लालगोपालगंज स्टेशन के पास ट्रैक पर साइकिल और गैस सिलेंडर रखा मिला…इस केस में गुलजार नाम का आरोपी गिरफ्तार किया गया…5 अगस्त को फिर से उसी एरियार में रेलवे ट्रैक पर गैस सिलेंडर और साइकिल मिली..जिसमें गुफरान नाम  का आरोपी पकड़ा गया…17 अगस्त को कानपुर में साबरमती एक्सप्रेस के 20 डब्बे उतर गए…मौके से पुरानी पटरी का टुकड़ा और लोहे का क्लैंप मिला…18 अगस्त को मध्य प्रदेश के जबलपुर में रेलवे लाइन पर लोहें की छड़ें मिली…20 अगस्त को प्रयागराज में रेलवे ट्रैक पर बाइक का अलॉय मिला और पास में ही झाड़ियों से एक बैग मिला.

20 अगस्त को ही भदोहरा रेलवे स्टेशन के पास कॉन्सटेबल प्रमोद कुमार और मोहम्मद जावेद की डेडबॉडी मिली…मर्डर का केस दर्ज किया गया और एजेंसियों ने इसे साजिश माना…24 अगस्त को राजस्थान के अजमेर में रेलवे ट्रैक पर पत्थर रखे मिले…23 अगस्त को फर्रुखाबाद में रेलवे ट्रैक पर लकड़ी का बड़ा टुकड़ा मिला…28 अगस्त को राजस्थान के बारां में रेलवे ट्रैक पर बाइक का एक स्क्रैप मिला…जिससे मालगाड़ी टकरा गई…30 अगस्त को तेलंगाना में रेलवे ट्रैक पर लोहे की रॉड मिली…इस दिन झारखंड के पलामू में रेलवे ट्रैक से 100 पेंड्रोल क्लिप चोरी कर ली गई….

अगर आप इसे समझें तो अगस्त का महीना मोदी सरकार का पसंदीदा रहा है…अगस्त महीने में ही 2019 में धारा 370 को निरस्त किया गया था..अगस्त महीने में ही 2020 में पीएम नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन कर आधारशिला रखी थी…इसके अलावा 15 अगस्त की धूमधाम के बीच देश विरोधियों ने ऐसी घटनाओं की साजिश रची थी. ये घटनाएं लगातार घटित हो रही हैं और अब 22 सितंबर तक करीब करीब हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबरें सामने आई हैं.

भारतीय अर्थव्यवस्था की लाइफ लाइन है रेल

जैसा कि आप जानते हैं कि ट्रेनें भारत की लाइफ लाइन है…देश की एक बड़ी आबादी ट्रेन से सफर करती है और देश की अर्थव्यवस्था को सुचारू रुप से चलाने में भी ट्रेन का बहुत बड़ा योगदान है…भारत के रेलवे क्षेत्र की कुल रेल पटरी की लंबाई 126,366 किलोमीटर है, जिसमें 67,956 किलोमीटर मार्ग पर 7,335 स्टेशन हैं..वहीं, रेलवे प्रतिदिन लगभग 13,523 यात्री रेलगाड़ियां और 9,146 मालगाड़ियां चलाता है…हर दिन करीब 2.4 करोड़ से ज्यादा लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं..इसके अलावा 1.3 मिलियन यानी 13 लाख से अधिक कर्मचारियों के साथ, भारतीय रेलवे भारत का सबसे बड़ा तथा विश्व का आठवां सबसे बड़ा नियोक्ता है…

दुनिया में भारतीय रेलवे की मिशाल दी जाती है…रेलवे के महत्व को उकेरा जाता है…रेलवे समाज के हर तबके के लोगों का सहारा है….यह सब जानने और समझने के बावजूद शरारती तत्वों द्वारा ट्रेन के जरिए लोगों को निशाना बनाने वाले निश्चित तौर पर मानसिक दिवालियापन के शिकार हैं… या तो ऐसे लोगों के दिमाग में धर्मांन्धता के बीज डाल दिए गए हैं… या फिर इन्हें इस तरह से हेप्नोटाइज किया गया है कि इन्हें किसी भी चीज की सूझ बूझ ही नहीं है.

ऐसे मामलों में लाचार क्यों दिख रही है सरकार?

गौर फरमाइए कि भारत में एक ट्रेन में औसतन 22 से 24 डब्बे होते हैं और हर डब्बे में 150 से लेकर 300 लोग तक यात्रा करते हैं…ऐसे में अगर कोई रेल दुर्घटना होती है तो इससे कितनी बड़ी क्षति होगी इसका अंदाजा आप लगा सकते हैं….अगर दूसरे पहलू के जरिए इसे समझने का प्रयास करें तो देश की स्थिति पिछले कुछ समय में काफी बेहतर हुई है…सीमा पार आतंकवाद पर प्रहार से लेकर उनके समूल नाश तक के प्रयास हुए है…देश में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई बढ़ी है…एक एक कर एजेंसियां उन पर शिकंजा कसती जा रही है…

शायद यही चीज देश विरोधी पचा नहीं पा रहे हैं..यही कारण है कि अंदरुनी ताकतें देश को दहलाने की साजिश रच रही है…इसके अलावा कुछ सोशल मीडिया पर इसे लेकर तमाम संगठनों के ऊपर भी आरोप लग रहे हैं, जिन संगठनों पर सरकार लगाम लगाने का प्रयास कर रही है…हालांकि, सीधे तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है. कुछ लोग इसके पीछे विदेशी ताकतों और आतंकी संगठनों का भी हाथ बता रहे हैं.

अगर इसके पीछे आतंकी संगठन हैं तो यह सरकार की विफलता है….क्योंकि सरकार लंबे समय से आतंकवाद के रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों पर अपनी पीठ थपथपाती आ रही है…

हालांकि, अब ऐसी घटनाओं को लेकर सरकार सख्त हो गई है. इन पर लगाम लगाने के लिए रेल मंत्रालय के अनुसार अब एक ट्रेन में कुल 8 कैमरे लगाए जाएंगे. रेल मंत्रालय पटरियों की सुरक्षा के लिए खुफिया तंत्र को और बेहतर बनाना चाहता है. सभी राज्यों के डीजीपी को रेलवे ट्रैक की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा गया है. रेलवे ट्रैक की सुरक्षा और ट्रेन को हादसों से बचाने के लिए जल्द ही देशभर में ट्रेन के इंजन के सामने, कोच के कॉरिडोर में और ट्रेन के बाहर कैमरे लगाए जाएंगे. कैमरे लगाने के लिए टेंडर प्रक्रिया 3 महीने के अंदर पूरी कर ली जाएगी.

रेलवे एक्ट में बदलाव की तैयारी में सरकार

आपको बता दें कि रेलवे एक्ट के मौजूदा प्रावधानों में रेलवे अधिनियम-1989 की धारा 151 के तहत रेल हादसे की साजिश सिद्ध होने पर अधिकतम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। अब सरकार इस अधिनियम में उपधारा जोड़कर इसे देशद्रोह की श्रेणी में लाने की तैयारी में है।

गृह मंत्रालय के खबरों के मुताबिक रेल पटरियों पर अवरोधक रखना हादसे की साजिश है। इससे यदि हादसा होता है और जानमाल का नुकसान होता है तो आरोपी के खिलाफ सामूहिक हत्या की धारा भी लग सकती है। वहीं, अगर अधिनियम में बदलाव हुआ तो उम्रकैद से लेकर मृत्यु दंड तक का प्रावधान हो सकता है। इसे लेकर कानूनी सलाह-मशविरा किया जा रहा है। जल्द ही इस बारे में नए प्रावधान अधिसूचित हो सकते हैं।

निष्कर्ष

रेलवे ट्रैक पर मिल रहे अवरोधक और लगातार बढ़ रही इन घटनाओं के कारण लोगों के मन में डर बैठता जा रहा है…ट्रेन की यात्रा से पहले अब हर किसी के मन में इसे लेकर सवाल उठ रहे हैं…कब क्या हो जाए किसी को पता नहीं है…देश में जब भी विकास की बात आती है तो मोदी सरकार और उनके समर्थकों द्वारा रेलवे का नाम लिया जाता है…वंदे भारत, बुलेट ट्रेन और न जाने क्या क्या गिना दिए जाते हैं…लेकिन जो चीज हमारे पास पहले से है उसे संवारने और उसे सुरक्षित संरक्षित करने के सरकार के प्रयास धरातल पर नजर नहीं आते …अब ऐसी घटनाएं बढ़ी हैं तो सरकार ट्रेन में कैमरा लगाने के बारे में सोच रही है…हर बार कुछ होने के बाद ही अगर कदम उठाने हैं तो फिर मंत्रालय के इतने थिंक टैंक और सलाहकार समितियों का क्या ही फायदा? सबको निरस्त कर देना चाहिए और देश में घटनाओं के घटित होने का इंतजार करना चाहिए!

और पढ़ें: Hamas से लड़ते-लड़ते हिजबुल्लाह पर काल बनकर क्यों टूट पड़ा Israel? जानिए फिलिस्तीन का लेबनान और Hezbollah कनेक्शन

सैलरी, सेविंग्स, पत्नी के गहने..सबकुछ गंवाया, अब शेयर बाजार से डेली 2 Cr तक इनकम

0
Trading
Source: Google

दुनियाभर में आज कई ऐसे लोग हैं जो शेयर बाजार में पैसा इन्वेस्ट करते है. कुछ लोग तो ऐसे भी है जिन्होंने शेयर बाज़ार से खूब पैसा कमाया और आज के टाइम पर करोड़ो में खेल रहे है. हालांकि, मार्केट की राह इतनी आसान भी नहीं है. शुरुआती दौर में बिना जानकारी के लोग, कई बार इसमें अपनी जमा पूंजी भी लुटा बैठते हैं. जी हाँ, ऐसा ही कुछ हुआ यूपी के देवरिया के रहने वाले एक युवक घनश्याम यादव के साथ लेकिन गलतियों से सबक लेते हुए उन्होंने वो कर दिखाया, जो हर ट्रेडर का सपना होता है. चलिए इस लेख में आज हम आपको घनश्याम यादव की कहानी के बारे में बताते हैं.

कैसे गंवाये पत्नी के गहने और सब कुछ

देवरिया के रहने वाले घनश्याम यादव ने शेयर बाजार में शुरुआती नुकसान के बाद भी हार नहीं मानी और अपनी रणनीति बदलकर एक ही दिन में 2 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया. जी हाँ, घनश्याम यादव ने एक इंटरव्यू में बताया कि शेयर बाजारी से दूर-दूर तक उनका लेना-देना नही था. उनके पिता एक फैक्ट्री में काम करते थे. यूपी में स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद घनश्याम आगे की पढ़ाई के लिए मुंबई में अपने कजिन के पास चले गए थे. यहाँ तक जब कॉलेज की फीस भरने के पैसे नहीं थे तो उन्होंने मुंबई में ही एक कंपनी में चौकीदार की नौकरी शुरू की, जहाँ उन्हें हर महीने 2000 रुपए मिलते थे.

आगे घनश्याम यादव ने बताया कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो मुंबई की एक आईटी कंपनी में जॉब करने लगे थे. अब तक उन्हें शेयर बाज़ार के बारे में कोई जानकारी नही थी. हालांकि, कॉलेज के दौरान उनका एक दोस्त बना था. कई बार घनश्याम जब दोस्त के घर जाते तो उसके पिता घर पर ही मिलते थे. एक दिन उन्होंने अपने दोस्त से पूछा कि क्या उसके पापा नौकरी नहीं करते? इस पर दोस्त ने जवाब दिया कि “वो शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करते हैं”. और “उससे घर बैठे ही अच्छा पैसा कमा लेते हैं” बस फिर क्या था जब घनश्याम ने अपने दोस्त के पिता के घर बैठे ठाठ देखे तो उसके मन में भी ये ख्याल आया कि इससे वो कैसे पैसा बना सकते हैं. इसके बाद घनश्याम शनिवार-रविवार को छुट्टी के दिनों में दोस्त के घर जाने लगे और वहां उनके पिता से इसकी कुछ-कुछ बारीकियां सीखने लगे. धीरे-धीरे कुछ साल ऐसे ही निकल गए और अब घनश्याम ने शेयर बाज़ार में पैसा लगाना शुरू कर दिया था.

वह बताते हैं कि तब मुझे 25-30 हजार सैलरी मिलती थी, उसमें 15-20 हजार के शेयर खरीदता था. एक बार तो पूरे पैसे ही जीरो हो गए थे. तब मैं बिना किसी रिसर्च के जो मन में आया वही स्टॉक खरीद लेता था. जिस वजह से कई बार तो मुझे भारी नुकसान भी हो जाता था. मैंने डेढ़-दो साल में शेयर बाजार में काफी पैसे गवां दिए.

आगे पढ़े : Online Gaming में 96 लाख का भयंकर नुकसान, जिम्मेदार कौन? सरकार, सेलिब्रिटी या इंफ्लुएंसर्स.

पत्नी के गहने तक बेचने पड़े

आगे बात करते हए घनश्याम ने बताया कि ट्रेडिंग में हुए नुकसान की भरपाई के लिए उन्होंने अपनी पत्नी के गहने बेचकर 2.20 लाख रुपए इकट्ठे किए. एक के बाद एक नुकसान की वजह से घनश्याम ने सोचा कि आखिर वो क्या गलतियां कर रहे हैं. नुकसान की भरपाई के लिए वो नौकरी छोड़कर सारा दिन ट्रेडिंग करने लगे थे, इसमें ही उन्होंने अपनी सारी सेविंग खत्म कर दी थी. पर जब उन्हें कोई सुधार नही दिखा तो कुछ दिन ट्रेडिंग छोड़कर उन्होंने शेयर मार्केट की बारीकियां सीखीं. जब खुद पर कॉन्फिडेंस आया तो उन्होंने उन गलतियों से सबक लिया और फिर से थोड़ा-थोड़ा पैसा लगाना शुरू किया. शुरुआत मे कम प्रॉफिट हुआ लेकिन ज्यादा लालच नहीं किया और कुछ दिन बाद घनश्याम ने बैंक निफ्टी ऑप्शन में ट्रेडिंग शुरू की. चूंकि ऑप्शन्स में ट्रेडिंग के लिए पैसा कम लगता है और प्रॉफिट का प्रतिशत अधिक होता है.

जब एक ही दिन में छाप दिए 2.65 करोड़

घनश्याम यादव बताते हैं कि मैंने अपनी गलतियों से सीखकर ट्रेडिंग जारी रखी और अब मुझे धीरे-धीरे मुनाफा होने लगा. मैंने एक दिन में 2.65 करोड़ रुपए तक कमाए हैं. हालांकि, कई बार एक झटके में 40 लाख रुपए तक का घाटा भी हुआ है. घनश्याम यादव का कहना है कि आज के समय में वो उतना ही टैक्स भरते हैं, जितना बॉलीवुड एक्ट्रेस कैटरीना कैफ या आलिया भट्ट भरती हैं.

सुल्तानपुर डकैती केस में मंगेश यादव के बाद STF ने अब किया अनुज प्रताप सिंह का एनकाउंटर, यहां पढ़ें गुनहगारों का पूरा ‘हिसाब’

0
Sultanpur robbery case
Source: Google

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में पिछले महीने एक ज्वैलर्स की दुकान में सेंध लगाई गई थी। सोमवार को उन्नाव में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के साथ हुई मुठभेड़ में इस मामले का एक और आरोपी मारा गया। ज्वैलर्स की दुकान को निशाना बनाने वाले गिरोह में चौदह लुटेरे शामिल थे। इनमें से ग्यारह अपराधी गिरफ़्तार किए जा चुके हैं। जबकि मंगेश यादव और अनुज प्रताप सिंह को यूपी एसटीएफ ने मुठभेड़ में मार गिराया था। इसी दौरान आरोपी मंगेश यादव के एनकाउंटर को लेकर व्यापक राजनीतिक विवाद सामने आया था। समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस ने इस मामले को उठाते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा था।

और पढ़ें: सुल्तानपुर एनकाउंटर पर गरमाई सियासत, सरेंडर करने वाले विपिन सिंह और मंगेश यादव की क्राइम हिस्ट्री आई सामने

28 अगस्त को दिनदहाड़े सुल्तानपुर के ठठेरी बाजार में ओम ऑर्नामेंट नामक दुकान में हथियारबंद नकाबपोश लुटेरों ने लूटपाट की। इस दौरान दुकानदार और अन्य ग्राहकों को बंदूक की नोक पर बंधक बनाकर लूटपाट की गई। ज्वैलर के मुताबिक लुटेरे करीब दो करोड़ रुपये लूटकर ले गए।

29 अगस्त को एक आरोपी ने कर दिया था सरेंडर

इस गैंग के सरगना विपिन सिंह ने इस वारदात के अगले ही दिन यानी 29 अगस्त को रायबरेली कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। मीडिया से बातचीत में विपिन सिंह ने कहा था कि उसे डर है कि कहीं उसका एनकाउंटर न हो जाए। इसके बाद 3 सितंबर को सुल्तानपुर कोतवाली में मुठभेड़ के बाद पुष्पेंद्र सिंह, त्रिभुवन कोरी और सचिन सिंह को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। ये तीनों ही अपराधी बैकअप टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने वारदात की टोह ली और घटना वाले दिन बोलेरो से भाग निकले।

5 सितंबर को हुआ मंगेश यादव का एनकाउंटर  

एसटीएफ से मुठभेड़ के बाद आरोपी लुटेरे मंगेश यादव की 5 सितंबर को मौत हो गई थी। यह मुठभेड़ सुल्तानपुर के देहात थाने के हनुमानगंज बाईपास पर पुलिस ने की थी। फरार चल रहे अपराधी पर पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया था। जौनपुर के बक्श थाना क्षेत्र के रहने वाले मंगेश यादव की गोली लगने के बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में फायरिंग की थी। मंगेश यादव पर पहले से ही दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं।

Sultanpur robbery case
Source: Google

पांच और बदमाशों को किया गया गिरफ्तार 

इसके बाद सुल्तानपुर पुलिस ने बिना किसी परेशानी के चार और अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया। 11 सितंबर को सुल्तानपुर पुलिस ने मंगेश यादव के एनकाउंटर के बाद विवेक सिंह, विनय शुक्ला, अरविंद यादव और दुर्गेश सिंह को हिरासत में लिया। इसके बाद 20 सितंबर को अजय यादव और एसटीएफ ने मुठभेड़ की, जिसमें दुर्गेश के पैर में गोली लगी। जिला अस्पताल में इलाज के बाद उसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

मंगेश के बाद अनुज प्रताप सिंह का हुआ एनकाउंटर 

इस घटना के तीन दिन बाद एसटीएफ ने आरोपी अनुज प्रताप सिंह और उसके साथी का एनकाउंटर कर दिया। यह घटना उन्नाव के अचलगंज थाने के पास हुई थी। इस घटना में एक अपराधी घायल हो गया, जबकि दूसरा मौके का फायदा उठाकर भागने में सफल रहा। घायल अपराधी को नजदीकी अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। यहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान अमेठी के मोहनगंज थाना क्षेत्र के मूल निवासी धर्मराज सिंह के बेटे अनुज प्रताप सिंह के रूप में हुई।

Sultanpur robbery case
Source: Google

दुकान के अंदर घुसे थे 5 बदमाश 

यूपी पुलिस के मुताबिक, पांच चोर ज्वेलरी की दुकान में लूटपाट के इरादे से घुसे थे। इनमें फुरकान, अनुज प्रताप सिंह, मंगेश यादव, अरबाज और अंकित यादव शामिल थे। मंगेश यादव और अनुज प्रताप सिंह दुकान में घुसने वाले दो बदमाश थे, जिन्हें मारपीट में मार गिराया गया। इसके अलावा फुरकान, अरबाज और अंकित यादव नाम के तीन बदमाश फरार हैं। यूपी पुलिस ने इन तीनों पर एक-एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया है।

और पढ़ें: Maharashtra Murder Mystery: पत्थर से बंधे हुए हाथ पैर, पुलिस को नाले में मिली एक महिला की लाश, बेटी की खोज में जुटी पुलिस

जानें कौन थी देश की पहली महिला जासूस नीरा आर्या, जिन्होंने सुभाष चंद्र बोस को बचाने के लिए अपने पति की हत्या कर दी

0
India female spy Neera Arya
Source: google

देश को आजादी दिलाने के लिए कई वीरों और वीरांगनाओं ने अपने प्राणों की आहुति दी है। और उनका बलिदान आज भी भारत की किताबों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आज उन्हीं इतिहास की किताबों में से हम आपके लिए एक ऐसी ही वीर महिला की कहानी लेकर आए हैं, जिसने बचपन से ही स्वतंत्रता आंदोलनों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था और भारत की पहली महिला जासूस बनी। इतना ही नहीं, इस महिला ने नेता जी सुभाष चंद्र बोस की जान बचाने के लिए अपने ही पति की हत्या कर दी थी। आइए आपको बताते हैं देश की महान बेटी नीरा आर्या के बारे में।

और पढ़ें: पाकिस्तान में आज भी मौजूद हैं भगत सिंह से जुड़ी निशानियां, जानें किस हाल में सहेज कर रखी गई हैं उनकी यादें

उत्तर परदेश में जन्मी नीरा आर्य

नीरा आर्य का जन्म 5 मार्च, 1902 को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के खेखरा में हुआ था। जब वह छोटी बच्ची थी, तभी उनके माता-पिता का देहांत हो गया था। प्रसिद्ध उद्योगपति सेठ छज्जूमल ने उन्हें और उनके इकलौते भाई को गोद ले लिया था। नीरा ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा कलकत्ता में पूरी की। नीरा ने हिंदी, संस्कृत और अंग्रेजी में शिक्षा प्राप्त की, हमेशा अपने देश के प्रति गहरा लगाव रखती थी और उन्होंने कम उम्र में ही स्वतंत्रता की गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया था।

काम उम्र में हो गई शादी

बहुत कम उम्र में ही उनकी शादी एक ब्रिटिश राज अधिकारी से हो गई थी। सीआईडी ​​अधिकारी होने के साथ-साथ उनके पति श्रीकांत जयरंजन दास अंग्रेजों के कट्टर समर्थक थे। अंग्रेज से शादी करने के बाद भी नीरा का भारत के प्रति लगाव अटूट रहा। इस दौरान वह ‘आजाद हिंद फौज’ की ‘झांसी रेजिमेंट’ में भी शामिल हुईं। इस दौरान उन्हें तत्कालीन बर्मा (म्यांमार) में काम करने का भी मौका मिला। इस बारे में उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है।

नेताजी ने नीरा को कहा नागिन

माना जाता है कि ब्रिटिश जासूसी के लिए एक सेक्शन था, जिसे ‘झांसी रेजिमेंट’ कहा जाता था। इस दौरान उनके पति को सुभाष चंद्र बोस की जासूसी करने और मौका मिलते ही उनकी हत्या करने का आदेश दिया गया था। यह जानने के बाद नीरा उनसे नाराज़ हो गईं। एक दिन उनके पति ने नेताजी को गोली मार दी थी, जिसके बाद नीरा ने अपने पति के पेट में चाकू घोंपकर उनकी हत्या कर दी। इसके लिए नेताजी ने उन्हें ‘नागिन’ कहा था।

जासूसी करते वक्त अंग्रेजों ने किया गिरफ्तार

नेताजी की करीबी नीरा को जासूसी के आरोप में अंग्रेजों ने हिरासत में लिया था और बाद में हत्या के आरोप में अंडमान के कालापानी में ले जाया गया था। उन्होंने अपनी आत्मकथा में बताया, ‘अंधेरे बंद छोटे कमरों में महिला कैदियों को यहां रखा गया था।’ वह अपनी सारी कठिनाइयों को भूल गई और केवल इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि वह इस द्वीप जेल में स्वतंत्रता सेनानियों से कैसे मिलेगी, उनका समर्थन करेगी और अपने देश को ब्रिटिश शासन से कैसे मुक्त करेगी।

अंग्रेजों ने यातना देते हुए काटा दाहिना स्तन

कारावास के दौरान अंग्रेजों ने उन्हें तरह-तरह की यातनाएं दीं। उन्हें लोहे की जंजीरों में बांधकर रखा जाता था। उनकी गरिमा का लगातार हनन किया जाता था। एक अंग्रेज जेलर ने उनसे पूछा, ‘नेताजी कहां हैं?’ उन्होंने जवाब दिया, ‘सब जानते हैं कि उनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में हुई थी।’ लेकिन अंग्रेज नहीं माने और बार-बार पूछते रहे, जिस पर नीरा ने कहा, ‘वे हमारे दिलों में हैं।’ इस पर अंग्रेज जेलर ने पहले उनकी गरिमा का हनन किया और फिर एक लोहार की मदद से उनका दाहिना स्तन काट दिया।

आजादी के बाद मिली जमानत

इतिहासकारों का कहना है कि अगर नीरा ने सुभाष चंद्र बोस के बारे में जानकारी दी होती तो उसे जमानत मिल जाती। लेकिन उसने उनका साथ नहीं छोड़ा। आजादी के बाद जेल से रिहा होने के बाद उसने अपना पूरा जीवन फूल बेचने में बिताया। उसने सरकारी पेंशन की पेशकश ठुकरा दी। यह शानदार आत्मा 1998 में इस दुनिया से चली गई। पत्रकार तेजपाल सिंह धामा ने अपने साथियों के साथ मिलकर उनका अंतिम संस्कार किया।

और पढ़ें: पाकिस्तान का वो गांव जो 1971 के युद्ध में उसने खो दिया था और अब बन चुका है भारत का हिस्सा