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जब चंडीगढ़ की आग में जला देश का सेमीकंडक्टर ड्रीम, इंदिरा का सपना पल भर मे हो गया खाक, जानें क्या है भारत और सेमीकंडक्टर की कहानी

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Indira Gandhi semiconductor dream
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सेमीकंडक्टर के लिए भारत हमेशा से दूसरे देशों पर निर्भर रहा है। हर साल भारत सेमीकंडक्टर के आयात पर अरबों रुपये खर्च करता था, लेकिन अब भारत सेमीकंडक्टर की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 सितंबर को ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में सेमीकॉन इंडिया 2024 का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में दुनिया भर की चिप बनाने वाली कंपनियों ने हिस्सा लिया है। ताइवान और चीन को खासतौर पर शामिल किया गया है। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब भारत की तरफ से सेमीकंडक्टर को इतनी अहमियत दी गई हो। भारत 34 साल से सेमीकंडक्टर की तरफ आकर्षित हो रहा है। उस वक्त इंदिरा गांधी ने भारत में सेमीकंडक्टर प्लांट लगाने के बारे में सोचा था लेकिन वो सपना आग की लपटों में जलकर राख हो गया। आइए आपको सेमीकंडक्टर की उस अधूरी कहानी के बारे में बताते हैं।

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इंदिरा ने समझी सेमीकंडक्टर की अहमियत

1976-1977 में इंदिरा ने अमेरिका और रूस दोनों देशों में कारखानों का दौरा किया और सेमीकंडक्टर के महत्व को समझा। वह इस निष्कर्ष पर पहुंची कि भारत को इस क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व करना चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद, अमेरिका जैसे देशों ने पहले ही इस क्षेत्र में प्रवेश कर लिया था। सेमीकंडक्टर का निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका में 1956 में शुरू हुआ। 1958 में, चीन ने पहला सिलिकॉन सिंगल क्रिस्टल बनाया। जापान इस दौड़ में एक प्रतियोगी था और उद्योग की तकनीक को साझा करने के लिए तैयार नहीं था।

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अमेरिका के नेतृत्व में ये देश तीसरी दुनिया या औद्योगिक रूप से कम विकसित देशों को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण रोकने के लिए एक कानून लेकर आए, इस कानून का नाम था बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण समन्वय समिति (Coordinating Committee for Multilateral Export Controls)।

इंदिरा ने 40 साल पहले पहल की

भारत में सेमीकंडक्टर का इतिहास 1960 में शुरू हुआ। जब फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर ने पहली बार चिप्स का उत्पादन शुरू किया, तो भारतीय नौकरशाही की उदासीनता और दबाव के कारण कंपनी को मलेशिया में स्थानांतरित होना पड़ा। इसी तरह, सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने 1962 में सिलिकॉन और जर्मेनियम ट्रांजिस्टर बनाने के लिए एक फैब्रिकेशन प्लांट स्थापित किया।

हालांकि, राजनीतिक दबाव और समर्थन की कमी के परिणामस्वरूप, गुणवत्ता और लागत दोनों के लिए अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं को पूरा करने में विफल रहने के बाद BEL को अपने दरवाजे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी तरह, मेटकेम सिलिकॉन लिमिटेड की स्थापना IISc के प्रोफेसर एआर वासुदेव मूर्ति की सहायता से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के सहयोग से सेमीकंडक्टर बनाने के लक्ष्य के साथ की गई थी। हालांकि, सरकारी सहायता के बिना, कंपनी फेल हो गई।

चंडीगढ़ की आग में जल गया भारत का सपना​

भारत सेमीकंडक्टर की रेस में आगे बढ़ना चाहता था, लेकिन सरकार की ओर से समर्थन और विनियमन की कमी के कारण यह विफल होता रहा। इसी बीच सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (Semiconductor Complex Ltd) की स्थापना चंडीगढ़ के मोहाली में 1976 में की गई थी। SCL ने 800 एनएम की एडवांस तकनीक और 5000 एनएम प्रक्रिया के साथ शुरुआत की थी। इस समय तक ताइवान और चीन ने सेमीकंडक्टर उद्योग में कदम भी नहीं रखा था। सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड (SCL) ने 1984 में पंजाब के मोहाली में सेमीकंडक्टर का उत्पादन शुरू किया। हालांकि, सेमीकंडक्टर पावरहाउस बनने की भारत की महत्वाकांक्षा को 1989 में एक और झटका लगा।

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एक रहस्यमयी आग और पूरा जल गया सेमीकंडक्टर प्लांट

भारत अभी सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए अपनी उम्मीदों के अनुसार खिलना शुरू ही कर रहा था। 7 फरवरी, 1989 को एक दुखद घटना घटी। दरअसल मोहाली में सेमीकंडक्टर कॉम्प्लेक्स लिमिटेड में अचानक आग लगने से सब कुछ नष्ट हो गया। इस आग की लपटें भयावह थीं। इस आग ने सेमीकंडक्टर फैक्ट्री को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। यहां उत्पादन शुरू हुए सिर्फ़ पांच साल ही बीते थे और सब कुछ निराशाजनक रूप से नष्ट हो गया। आग की वजह से हर मशीन जलकर राख हो गई। उस समय इस घटना से हुए नुकसान का अनुमान 75 करोड़ रुपये लगाया गया था। आजकल इस राशि को अरबों में व्यक्त किया जाता है। एससीएल प्लांट में आग लगने के कारणों का आज तक पता नहीं चल सका है। यहां तक ​​कि आईबी की जांच में भी आग लगने के कारणों का पता नहीं चल सका है।

आज भारत की स्थिति कुछ और होती

1976 में अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून में छपी एक खबर में कहा गया था कि सेमीकंडक्टर प्लांट की स्थापना को इंदिरा गांधी के प्रशासन से मंजूरी मिल गई थी। उस समय ताइवान, इजरायल, कोरिया और चीन ने सेमीकंडक्टर उद्योग में कदम भी नहीं रखा था। इस विचार को मंजूरी मिलने के आठ साल बाद, SCL लॉन्च किया गया। सरकार की जड़ता और नीतियों की कमी ने भारत को सेमीकंडक्टर पावरहाउस के रूप में अपनी क्षमता का एहसास करने से रोक दिया। यह व्यवसाय भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र की आधारशिला के रूप में काम कर सकता था यदि यह आज भी अस्तित्व में रहता। हालांकि, आग ने भारत से यह अवसर छीन लिया। जब SCL में आग लगी, तो उस समय केंद्रीय राज्य मंत्री केआर नारायणन ने भविष्यवाणी की थी कि SCL का उत्पादन जल्द ही फिर से शुरू हो जाएगा। हालांकि, इसमें भी आठ साल से ज़्यादा का समय लग गया। सरकार की देरी की वजह से सेमीकंडक्टर उद्योग में भारत की प्रगति बाधित हुई। 2006 में SCL की स्थापना एक शोध और विकास संगठन के तौर पर की गई। इसका नया नाम ‘सेमीकंडक्टर लैबोरेटरी’  बन गया।

क्या है सेमीकंडक्टर

सेमीकंडक्टर चिप्स को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का मुख्य घटक माना जाता है। सेलफोन, ऑटोमोबाइल, डेटा सेंटर, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डिवाइस, घरेलू उपकरण, एग्रीटेक, एटीएम और लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज सहित कई वस्तुएं इनसे बनाई जाती हैं। अनुमान है कि 2025 तक भारत 32 बिलियन डॉलर मूल्य के चिप्स आयात करेगा। 2026 तक भारतीय बाजार का मूल्य 63 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है।

सेमीकंडक्टर का हब बनने के लिए भारत ने अब तक क्या-क्या किया?

भारत में कोरोना वायरस के कारण सेमीकंडक्टर की कमी के कारण ऑटोमोटिव उद्योग का उत्पादन धीमा होने तक इस क्षेत्र में काम शुरू नहीं हुआ था। 2023 में भारत-अमेरिका 5वीं वाणिज्यिक वार्ता के दौरान, दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए एक समझौता हुआ। भारत में सेमीकंडक्टर के उत्पादन पर दुनिया भर के चिप निर्माताओं के साथ चर्चा शुरू की गई। भारत में विदेशी निवेश को आकर्षित करने के प्रयास में इन व्यवसायों को प्रोत्साहन भी प्रदान किया जाता है। भारत ने हाल ही में 10 बिलियन डॉलर का प्रोत्साहन सार्वजनिक किया है।

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भर-भरकर घी खाते हैं तो हो जाए सतर्क, आसानी से घी में हो जाती है मिलावट, जानिए तिरुपति का लड्डू विवाद

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Triupati Balaji
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घर-घर में पाया जाने वाला घी, सदियों से इंडियन डिशेज में इस्तेमाल किया जा रहा है. घी सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. किसी भी खाने में थोड़ा सा देसी घी का मिश्रण उसके स्वाद को बढ़ाने का काम करता है. लेकिन अब आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध मंदिर तिरुपति बालाजी में मिलने वाले लड्डू प्रसाद में घी की जगह जानवरों की चर्बी मिलाने की खबर सामने आई है, जिसके बाद सियासी हड़कंप मच गया है. इससे करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंची है और अब इसे लेकर जांच की जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने इसे लेकर रिपोर्ट मांगी है तो वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने पिछली जगन मोहन रेड्डी सरकार पर प्रसाद बनाने में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.

कैसे हो जाती है घी में मिलावट

प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में बनाये जाने वाला लड्डू प्रसादम में जानवरों की चर्बी पाई गयी है. जिसके बाद से सभी के मन में ये सवाल उठने लगे हैं कि बाजार में मिल रहा घी कितना शुद्ध है? जी हाँ, बालाजी का प्रसादम बनाने में जानवरों की चर्बी वाला घी इस्तेमाल करने की लैबोरेटरी से पुष्टि हुई है. घी सप्लाई करने वाली एक कंपनी ने ये भी कह दिया है कि उस समय वाईएसआर सरकार उनसे सस्ती कीमत वाला घी खरीद रही थी. तो अब लोगो के मन में ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सस्ती कीमत वाले घी में जानवरों की चर्बी होती है? क्या हम जो घी खा रहे हैं, कहीं उसमें भी तो मिलावट तो नहीं? क्या हम जिस घी का इस्तेमाल कर रहे हैं कहीं इसमें भी सचमुच एनिमल फैट तो नही है?

भारत में घी में मिलावट का एक प्रमुख कारण दूध और वनस्पति वसा के बीच कीमत में बड़ा अंतर है. रिफाइंड पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल अब 120-125 रुपये प्रति किलो की दर से थोक में बिक रहे हैं. ज्यादा महंगे देसी रेपसीड/सरसों और मूंगफली तेल की थोक कीमत 135-150 रुपये प्रति किलो है. जबकि वसा तेल केवल 80-85 रुपये प्रति किलो है. कीमतों में ज्यादा अंतर होने के कारण कई मैन्युफैक्चरर्स लोगों की आंखों में धूल झोंकते हुए जनवरों की चर्बी घी में मिला देते हैं. कीमतें ज्यादा होने का कारण दूध वसा की उपलब्धता भी है. कॉरपोरेटिव डेयरियां हर रोज 600 लाख किलो दूध खरीदती हैं. इनमें से वे 450 लाख किलो दूध बेच देती हैं. बाकी 50 लाख किलो से दही, लस्सी और अन्य उत्पाद बनाए जाते हैं.

Tirupati Balaji.
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बाजार में कंज्यूमर पैक में बेचे जाने वाले घी का अधिकतम खुदरा मूल्य (12% जीएसटी सहित) 600 रुपये से 750 रुपये प्रति लीटर तक है, जिसमें एक लीटर में केवल 910 ग्राम होता है. इन सब की वजह से टीटीडी (Tirumala Tirupati Devasthanams), जो तिरुपति स्थित भगवान वेंकटेश्वर मंदिर की देखरेख करती है, उसे अपने लड्डुओं और अन्य प्रसादों के लिए असली और हाई क्वॉलिटी वाला घी हासिल करना आसान नहीं होता है. वह सस्ती कीमतों में मिलने वाले घी का इस्तेमाल करते है, जो आसानी से मिल जाता है. बता दे, टीटीडी (TTD) की खुद की सालाना जरूरत 5,000 टन है, जो अपने आप में काफी बड़ी है. लेकिन सस्ती के चक्कर में करोड़ों हिंदुओं की आस्था से खेलना कितना सही है? इसका जवाब किसी के पास नहीं है.

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कहां है वो लैब जिसकी रिपोर्ट पर देश करता है विश्वास

National Dairy Development Board (NDDB) ने अपनी सभी सहकारी और दूध उत्पादन संस्थाओं को ध्यान में रखते हुए CALF लैब की स्थापना 2009 में गुजरात के आणंद में की थी. जहाँ दुनियाभर की डेयरी प्रोडक्ट्स की गुणवत्ता जांच का काम CALF लैब में होता है. यहां दूध, घी, पनीर, मिठाई, के अलावा फल-सब्जियों और पशु आहार की भी जांच होती है. यहां पर आनुवंशिकी से जुड़े विश्लेषण किए जाते है. वही प्रसिद्ध तिरुपति बालाजी मंदिर में बनाया जाने वाला लड्डू प्रसादम में जो जानवरों की चर्बी पाई गयी है, उसका सैंपल टेस्ट भी यही किया गया जिसके बाद से लड्डू विवाद चर्चा का विषय बन गया है. इसके अलवा मिलावट को लेकर जब कोई बड़ा मामला फंसता है, तो अक्सर उसे NDDB CALF लेबोरेटरी में भेजा जाता है. जिसके कड़े मानकों पर टेस्टिंग से आई रिपोर्ट पर पूरा देश भरोसा करता है.

Tirupati Balaji.
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PPF vs NPS वात्सल्य: आपके बच्चे के लिए कौन सी स्कीम रहेगी बेहतर, कौन बनाएगा जल्‍दी करोड़पति? ये है पूरा कैलकुलेशन

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PPF NPS Vatsalya
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केंद्र सरकार बच्चों के कल्याण के लिए एक बहुत ही सुनहरी योजना लेकर आई है। इस योजना के जरिए बच्चे भविष्य में करोड़पति बन सकते हैं। हम बात कर रहे हैं एनपीएस वात्सल्य योजना (NPS Vatsalya) की जिसे हाल ही में केंद्र सरकार ने लॉन्च किया है। इस योजना का मकसद 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) अकाउंट खोलना है, ताकि माता-पिता उनके भविष्य के लिए एक बड़ी रकम बचा सकें। इस योजना में किए गए निवेश पर चक्रवृद्धि ब्याज मिलेगा। इस योजना में बच्चे के नाम पर न्यूनतम 1000 रुपये सालाना से अकाउंट खोला जा सकता है। इसमें निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है। इसमें जमा पैसे बच्चे के 18 साल का होने के बाद निकाले जा सकते हैं।

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क्या है एनपीएस वात्सल्य?

यह रिटायरमेंट के लिए एक योजना है। पहले यह योजना केवल 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए उपलब्ध थी। लेकिन, अब इसे 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए लागू किया जा रहा है। योजना का नाम एनपीएस वात्सल्य है। इसमें वयस्कों को मिलने वाले सभी लाभ दिए जाएँगे। इस योजना के तहत बच्चों के माता-पिता बच्चे के नाम पर निवेश करेंगे। इस कार्यक्रम में बच्चे का खाता कम से कम तीन साल तक सक्रिय होना चाहिए। इसके बाद और बच्चे के 18 साल का होने से पहले इलाज या शिक्षा के लिए कुल राशि का 25% निकाला जा सकता है। अठारह वर्ष की आयु के बाद जमा की गई राशि का बीस प्रतिशत निकाला जा सकता है।

क्या है पीपीएफ स्कीम?

पब्लिक प्रोविडेंट फंड या पीपीएफ एक अन्य प्रकार की निवेश योजना है। अधिकांश निवेशक इस बच्चों की निवेश योजना को पसंद करते हैं। लेकिन, वयस्क अपने नाम से इसमें निवेश कर सकते हैं। इस पर एक निश्चित ब्याज दिया जाता है। यह दीर्घकालिक निवेश के लिए एक योजना है। इसमें कम से कम पंद्रह साल के लिए निवेश की आवश्यकता होती है। हालांकि, इसे संभावित रूप से पांच से सात साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। कोई भी बैंक या डाकघर इस व्यवस्था के तहत खाता खोल सकता है।

पीपीएफ और एनपीएस वात्सल्य में क्या अंतर है?

  • इस समय पीपीएफ में सालाना 7.1 फीसदी ब्याज मिल रहा है। इसमें गारंटीड फिक्स्ड रिटर्न मिलता है। सरकार हर तीन महीने में ब्याज राशि का आकलन करती है। वहीं एनपीएस में सालाना ब्याज दर करीब 10 फीसदी है। यह इक्विटी लिंक्ड रिटर्न है। इसमें फिक्स्ड रिटर्न नहीं मिलता।
  • पीपीएफ में आप 500 रुपए से निवेश शुरू कर सकते हैं। एनपीएस वात्सल्य में शुरुआती निवेश 1000 रुपए सालाना है।
  • पीपीएफ एक निवेश योजना है, जबकि एनपीएस वात्सल्य एक पेंशन योजना है। पीपीएफ में मैच्योरिटी के बाद पेंशन नहीं मिलती। एनपीएस वात्सल्य में आप मैच्योरिटी पर 20% राशि निकाल सकते हैं। बाकी 80% के लिए आपको एन्युटी खरीदनी होगी। इससे पेंशन मिलेगी।
  • पीपीएफ की अवधि 15 साल की होती है। हालांकि, इसे फिर से बढ़ाया जा सकता है, कुल मिलाकर पांच साल के लिए। इसके विपरीत, एनपीएस वात्सल्य में कुछ भी तय नहीं किया गया है। यह कार्यक्रम बच्चे के 60 साल के होने तक चलाया जा सकता है, यहां तक ​​कि 18 साल का होने के बाद भी।

एनपीएस वात्सल्य में आपको कितना पैसा मिलेगा?

अगर आप अपने बच्चे के अठारह साल का होने और तीन साल से कम उम्र का होने तक हर महीने 1,000 रुपये खर्च करते हैं, तो पंद्रह साल बाद यह बढ़कर 1.80 लाख रुपये हो जाएगा। इस पर ब्याज भुगतान, 10% वार्षिक ब्याज दर मानते हुए, लगभग 2.38 लाख रुपये आएगा। इस मामले में, 15 साल की अवधि में पूरा निवेश लगभग 4.20 लाख रुपये होगा। इसका केवल बीस प्रतिशत या 84 हजार रुपये ही मिल पाएंगे। शेष राशि को वार्षिकी के रूप में चुकाना होगा। इस पर लगभग 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज मिलेगा। इस राशि का उपयोग मासिक पेंशन भुगतान शुरू करने के लिए किया जाएगा। हालांकि, पीपीएफ पर 7.1 प्रतिशत रिटर्न के साथ यह कुल राशि 1.80 लाख रुपये हो जाएगी।

कौन सी योजना आपको जल्दी करोड़पति बना देगी?

-एनपीएस वात्सल्य में अगर आप सालाना 10,000 रुपये का योगदान करते हैं तो 18 साल बाद आपका कुल निवेश 5 लाख रुपये हो जाएगा। अगर इसे 60 साल तक रखा जाए और सालाना 10% रिटर्न माना जाए तो यह नकदी बढ़कर 2.75 करोड़ रुपये हो जाएगी। अगर 11.59% का वार्षिक रिटर्न माना जाए तो फंड 5.97 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। इसी तरह, 12.86 प्रतिशत के वार्षिक रिटर्न के साथ यह बढ़कर 11.05 करोड़ रुपये हो सकता है।

– इसके साथ ही, यदि आप पीपीएफ योजना में प्रति वर्ष 1.5 लाख रुपये का योगदान करते हैं और इसे 25 वर्षों तक खुला रखते हैं, तो आपको ब्याज के साथ कुल 1,03,08,015 रुपये प्राप्त होंगे।

प्रत्येक योजना अलग-अलग तरीके से लाभ प्रदान करती है। पीपीएफ एक विश्वसनीय और सुरक्षित निवेश विकल्प है, और एनपीएस वात्सल्य आपके बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए एक उत्कृष्ट दृष्टिकोण है। अपने दीर्घकालिक उद्देश्यों और विशिष्ट वित्तीय परिस्थितियों के लिए सबसे अच्छी योजना का चयन करना महत्वपूर्ण है। इन दो योजनाओं की व्यापक समझ प्राप्त करने से आपको समझदारी से चुनाव करने और अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में मदद मिल सकती है।

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नोएडा प्राधिकरण के आरोपों में घिरे 100 से अधिक अफसरों पर हो सकती है कार्रवाई, बड़ा घोटाला आया सामने

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Noida Authority scandal
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नोएडा अथॉरिटी के पूर्व चेयरमैन और सीईओ मोहिंदर सिंह के घर पर ईडी की छापेमारी में 7 करोड़ से ज़्यादा कीमत के हीरे मिलने के बाद अथॉरिटी एक बार फिर चर्चा में है। अथॉरिटी में काम करने वाले सौ से ज़्यादा अधिकारियों पर लगे आरोपों की जांच चल रही है और उन पर भी कानूनी कार्रवाई की तलवार लटक रही है। हैसिंडा प्रोजेक्ट कंपनी के लोटस-300 प्रोजेक्ट में निवेशकों से जुड़ी धोखाधड़ी के मामले में हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ईडी ने जांच का जिम्मा अपने हाथ में ले लिया है। एक मामले में ईडी ने नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह के घर से करोड़ों की कीमत के हीरे के साथ-साथ चल-अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज़ भी अपने साथ ले लिए।

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सुपरटेक ट्विन टावर मामले में मोहिंदर सिंह भी आरोपी पक्ष के तौर पर शामिल हैं। कैग रिपोर्ट के मुताबिक मोहिंदर सिंह का प्रशासन हजारों करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल रहा है। इनमें आम्रपाली बिल्डर घोटाला, फार्म हाउस आवंटन घोटाला, दलित प्रेरणा स्थल मामला, लीज बैक घोटाला और ग्रुप हाउसिंग आवंटन घोटाला शामिल है। अकेले इन मामलों में ही करीब पचास अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का सुझाव दिया गया है।

20082010 तक फार्म हाउस आवंटन घोटाला

नोएडा प्राधिकरण में 2008 से 2010 के बीच फार्म हाउस आवंटन घोटाला हुआ था। बेहद सस्ते दामों पर 168 फार्म हाउस बांटे गए थे। इस मामले में सीईओ मोहिंदर सिंह और प्राधिकरण के चेयरमैन ललित श्रीवास्तव समेत कई अफसरों को लोकायुक्त की ओर से नोटिस भेजे गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यमुना प्राधिकरण के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता ने स्टाफ, दोस्तों और परिवार के लोगों की मदद से 19 फर्जी फर्म बनाईं। इन कंपनियों के जरिए मथुरा जिले के सात गांवों में 97 हेक्टेयर जमीन खरीदी गई। इसके बाद प्राधिकरण ने जमीन खरीद ली। इससे प्राधिकरण को 126 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

सीबीआई इन मामलों की कर रही जांच

आवासीय भूखंडों के ड्रा में धांधली

वर्ष 2004 में सपा सरकार के दौरान हुए प्लॉट स्कीम ड्रॉ में राजनेताओं और अफसरों के नाम पर प्लॉट आवंटित किए गए थे। शिकायत के बाद सीबीआई ने ड्रॉ का दोबारा ड्रॉ करवाया। इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है।

व्यावसायिक की बजाय होटलों के लिए सस्ती दरों पर दिए गए थे भूखंड

वर्ष 2006 में नोएडा में चौदह होटल प्लॉट आवंटित किए गए थे, हालांकि आवंटन व्यावसायिक दरों पर किया जाना था। प्रति वर्ग मीटर किराया 7400 रुपये था। जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अपने हाथ में लिया और आवंटन दर बढ़ाकर 70,000 रुपये प्रति मीटर कर दी। एक मामले में नोएडा प्राधिकरण के तत्कालीन चेयरमैन, सीईओ और सोलह अन्य कर्मचारियों के खिलाफ सेक्टर-20 थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। सीबीआई इस मामले की भी जांच कर रही है।

टेंडर जारी होने के बाद कागजों में हुई हेराफेरी

बीएसपी के दौर में नोएडा अथॉरिटी में यादव सिंह सबसे चर्चित शख्सियत थे। उन पर 2010 में कई कंपनियों को 954 करोड़ रुपये के ठेके देने का आरोप था। यहां केबल को कागजों पर ही बिछा दिया गया। नोएडा-ग्रेटर नोएडा और यमुना विकास प्राधिकरण के इंजीनियर इन चीफ यादव सिंह पर तब आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप लगा था। सीबीआई उन पर लगे आरोपों की जांच कर रही है।

स्मारक घोटाला

बसपा शासन में हुए स्मारक घोटाले की अब गहन जांच हो रही है। नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण में मात्र 84 करोड़ रुपये का एमओयू हुआ था, लेकिन करीब 1000 करोड़ रुपये खर्च हो गए। लोकायुक्त जांच के दौरान 199 लोगों पर आरोप लगाए गए। इस मामले में बाबू राम कुशवाहा और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई गई है।

स्पोर्ट्स सिटी घोटाला

नोएडा प्राधिकरण में स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में दस हजार करोड़ से अधिक का घोटाला होने का अनुमान है। स्पोर्ट्स सिटी के नाम पर डेवलपर्स को सेक्टर 78, 79, 101, 150 और 152 में सस्ती जमीनें दी गईं। यह योजना अभी पूरी नहीं हुई है। सीएजी की जांच के अनुसार, इस घोटाले की कीमत 10 हजार करोड़ से अधिक है।

राज्यमंत्री कुंवर बृजेश सिंह के अनुसार, संघीय स्तर पर बातचीत के बाद जल्द ही सभी मामलों की जांच पूरी हो जाएगी और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों को सजा मिलेगी। इस योजना में शामिल कोई भी अधिकारी सजा से बच नहीं पाएगा।

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कौन हैं कादंबरी जेठवानी? जिनके आरोपों के चलते 3 IPS अफसर हो गए सस्पेंड, जानें क्या है पूरा मामला

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IPS And Kadambari Jethani
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इन दिनों एक्ट्रेस और मॉडल कादंबरी जेठवानी सुर्खियों में हैं। दरअसल, मुंबई की रहने वाली एक्ट्रेस कादंबरी जेठवानी के आरोपों की जांच के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने तीन सीनियर आईपीएस अफसरों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है। एक्ट्रेस और मॉडल कादंबरी जेठवानी का दावा है कि इन तीनों आईपीएस अफसरों ने उन्हें बिना वारंट या किसी सबूत के गिरफ्तार करने के अलावा धमकाया भी। इस काम में एक डीजी लेवल का अफसर भी शामिल है। आपको याद दिला दें कि इस साल की शुरुआत में वाईएसआर कांग्रेस सरकार के दौरान एक पार्टी पदाधिकारी की शिकायत पर धोखाधड़ी के आरोपों के आधार पर उन्हें हिरासत में लिया गया था। अब अभिनेत्री कादंबरी जेठवानी की शिकायत के बाद आंध्र प्रदेश की चंद्रबाबू नायडू सरकार ने मामले में कार्रवाई करते हुए इन तीनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।

 

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कौन हैं सस्पेंड होने वाले 3 IPS अधिकारी?

कादंबरी जेठवानी और उनके परिवार की गैरकानूनी हिरासत और धमकी पूरी घटना के केंद्र में थी। कादंबरी जेठवानी के कथित उत्पीड़न में उनकी संलिप्तता के खुलासे के बाद, पूर्व खुफिया प्रमुख पी सीताराम अंजनेयुलु (डीजी रैंक), पूर्व विजयवाड़ा पुलिस आयुक्त क्रांति राणा टाटा (आईजी रैंक), और बाद में पुलिस उपायुक्त (विजयवाड़ा) विशाल गुन्नी (एसपी रैंक) को निलंबित कर दिया गया था। कादंबरी ने हाल ही में वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। जिसमें उन्होंने दावा किया कि गिरफ्तार होने के बाद, पुलिस ने उन्हें केस खारिज करने की धमकी दी थी। उन्होंने केस वापस न लेने पर कठोर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। इस आरोप के बाद तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया।

धोखाधड़ी का लगा था केस  

दरअसल, कांग्रेस पार्टी के नेता और फिल्म निर्माता विद्यासागर ने फरवरी 2024 में कादंबरी के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज कराई थी। हालांकि अभिनेत्री को 31 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन आधिकारिक तौर पर मामला 2 फरवरी को दर्ज किया गया। गिरफ्तारी के बाद उन्हें जल्दी से मुंबई से विजयवाड़ा ले जाया गया। इतना ही नहीं, उन्हें जमानत देने से भी मना कर दिया गया। उन्हें बिना किसी जांच के चालीस दिनों तक हिरासत में रखा गया।

कौन हैं कादंबरी जेठवानी? (Who is Kadambari Jethwani)

28 वर्षीय मॉडल-अभिनेत्री कादंबरी जेठवानीअपनी IMDb जीवनी के अनुसार अहमदाबाद में रहती हैं। उन्होंने अहमदाबाद में ही स्कूल की पढ़ाई भी की है। कादंबरी जेठवानी की माँ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) में मैनेजर के पद पर काम करती हैं, जबकि उनके पिता मर्चेंट नेवी में अधिकारी हैं। कदंबरी जेठवानी ने श्रीमती एनएचएल म्युनिसिपल मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई की। मुंबई में अपनी माँ के काम की वजह से कादंबरी जेठवानी वहाँ चली गईं। हिंदी फ़िल्म “सड्डा अड्डा” से कादंबरी जेठवानी के करियर की शुरुआत हुई। यह फ़िल्म 2012 में रिलीज़ हुई थी।

IPS And Kadambari Jethani
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इसके बाद कादंबरी जेठवानी तेलुगु, मलयालम, पंजाबी और कन्नड़ भाषाओं की फ़िल्मों में नज़र आने लगीं। कादंबरी जेठवानी ने ओह यारा ऐनवै ऐनवै लुट गया (पंजाबी), उइजा (कन्नड़), आता (तेलुगु) और आई लव मी (मलयालम) जैसी फिल्मों में अभिनय किया है।

क्यों सस्पेंड हुए 3 IPS अफसर?

औपचारिक अपराध की रिपोर्ट किए जाने से पहले, निलंबित आईपीएस अधिकारियों में से एक पर आरोप है कि उसने कादंबरी जेठवानी की गिरफ्तारी का मौखिक आदेश देकर अपने अधिकार का दुरुपयोग किया। उन पर आरोप है कि उन्होंने अन्य पुलिस को अभिनेत्री को गिरफ़्तार करने का आदेश दिया, जिसके कारण घटनाओं का एक क्रम शुरू हुआ जिसकी अभी जांच चल रही है। उनके निलंबन का आधार गंभीर दुर्व्यवहार और सत्ता के दुरुपयोग के आरोप हैं।

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कोचिंग संचालक विवेक कुमार का तमंचा वाला वीडियो हुआ वायरल, रंगदारी के आरोप भी निकले झूठे! जानें क्या है पूरा सच

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Coaching director Vivek Kumar
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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एक कोचिंग संचालक विवेक कुमार द्वारा एक करोड़ रुपये की रंगदारी मांगने के मामले में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। विवेक ने इस मामले में कुछ 20 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। पुलिस ने इस मामले में राहुल सिंह परिहार और बादल सिंह नाम के दो युवकों को गिरफ्तार किया है। जिन्होंने मामले से जुड़े कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने विवेक पर यह आरोप लगाया कि वह ये सब झूठे आरोप लगाकर फेम हासिल करना चाहता है। उन्होंने आरोप लगाया कि विवेक कुमार दिल्ली में भी इसी तरह की वारदात कर भाग चुका है। वहां भी उसने कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया, इसलिए उसके खिलाफ केस दर्ज किया गया। इसके अलावा विवेक का एक पुराना वीडियो भी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें वह हवा में बंदूक लहरा रहे हैं। जिसे लेकर अब विवेक ने अपनी एक पोस्ट के जरिए सफाई दी है।

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वहीं बादल और राहुल के परिजनों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है। उनका कहना है कि इस मामले के असली दोषियों को सजा मिलनी चाहिए और किसी निर्दोष को फंसाने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।

ये है पूरा मामला

गौरतलब है कि प्रयागराज में कोचिंग संचालक विवेक कुमार से हाल ही में एक करोड़ रुपए की रंगदारी मांगी गई थी। कथित तौर पर कुछ लोग कोचिंग सेंटर में घुसे और अभ्यर्थियों के सामने ही उनसे पैसे वसूलने लगे। इस दौरान आरोपियों ने काफी बदतमीजी भी की। इस पूरे मामले का खुलासा होने के बाद शिक्षक और कोचिंग संचालक विवेक कुमार ने 20 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। जवाब में पुलिस ने दखल दिया और दो आरोपियों को हिरासत में लिया।

छात्रों ने लगाया विवेक कुमार पर आरोप

इस मामले को लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुछ छात्र नेताओं ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। छात्र नेताओं ने यूपी तक से बात करते हुए अपना पक्ष रखा। छात्र नेता राजेश शर्मा ने कहा, विवेक कुमार ने इलाहाबाद को छात्रों के लिए मछली बाजार बना दिया है। विवेक कुमार ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर खुद को मशहूर करने की कोशिश की। अगर छात्र अपनी फीस वापस मांगते हैं तो उन पर रंगदारी मांगने का आरोप लगाया जाता है। यह पूरी तरह से गलत है और छात्रों के अधिकारों के खिलाफ है। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए।”

वायरल वीडियो का सच क्या है?

रंगदारी के झूठे आरोपों के बाद विवेक कुमार का एक वीडियो भी इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें वह हवा में बंदूक लहराते और किसी समारोह का लुत्फ उठाते नजर आ रहे हैं। प्रयागराज में कोचिंग संचालक का यह वीडियो वायरल होने के बाद उनके चरित्र को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। इन सब को लेकर अब विवेक कुमार ने एक पोस्ट शेयर कर कहा है कि उनके चरित्र को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है और उन्होंने इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है।

विवेक कुमार- मुझे बदनाम करने की कोशिश की जा रही

विवेक कुमार ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, ‘सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रही कथित वीडियो के संबंध में मुझे कथित तौर पर एक वाहन पर खड़े होकर किसी सभा में एक गाने पर नृत्य करते हुए दिखाया जा रहा है। इस संबंध में, मैं कहना चाहूंगा कि मुझे इस तरह से चित्रित करना मुझे बदनाम करने और मेरे खिलाफ नेगटिव जनमत तैयार करने के लिए पूरी तरह से दुर्भावनापूर्ण प्रचार है। यह प्रचार उन असंख्य अपराधियों द्वारा किया जा रहा है जो पैसे ऐंठने और मुझे और मेरे स्टाफ को धमकाने के लिए 10 सितमबर 2024 को मेरे कोचिंग सेंटर में घुस आए थे। उसी के संबंध में, मैंने प्रयागराज जिले के जॉर्ज टाउन पुलिस स्टेशन में एक एफआईआर संख्या 223 / 2024 भी दर्ज कराई है, जिसमें जांच चल रही है। मुझ पर अपनी शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाने और मुझ पर दबाव बनाने के लिए उक्त लोग मेरा यह झूठा वीडियो प्रसारित कर रहे हैं। हालाँकि मैं उन लोगों को नहीं जानता जो मुझसे पैसे वसूलने आए थे, तथापि, जरुरत पड़ने पर मैं उनकी पहचान करने की स्थिति में होऊंगा और इस आशय का एक सीसीटीवी फुटेज पहले ही पुलिस प्रशासन को सौंप दिया गया है।’

काफी टाइम पुरानी है वीडियो

उन्होंने आगे कहा, ‘इस संबंध में, मेरे लिए यह बताना महत्वपूर्ण है कि उक्त घटना बहुत पुरानी है जिसमें कथित बंदूक एक खिलौना मात्र है जो लकड़ी से बनी है। उक्त खिलौना मेरा नहीं है और उत्सव के दौरान पास खड़े किसी व्यक्ति ने इसे मुझे सौंप दिया था। उक्त बंदूक अब अस्तित्व में नहीं होगी क्योंकि यह एक खिलौना मात्र था जो केवल मनोरंजन के उ‌द्देश्य से था। उक्त वीडियो के प्रसारित होने का समय अत्यंत महत्वपूर्ण है जो की उपरोक्त एफआईआर की विवेचना के दौरान है तथा विवेचना को बाधित करने के उद्देश्य से वाइरल किया गया है।’

बदनामी के लिए फैलाया जा रहा है वीडियो

विवेक ने आगे कहा, ‘उपरोक्त विडिओ एक नेगटिव जनमत के लिए भी फैलाया गया है जिससे विवेचना बाधित हो जाए। उपरोक्त एफआईआर मेरे द्वारा दर्ज कराई गई थी और वास्तविक दोषी मेरे खिलाफ ऐसी झूठी अफवाह फैला रहे हैं ताकि मैं अपनी शिकायत वापस लेने के लिए उनके दबाव के आगे झुक जाऊं। इस संबंध में, यूपी राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति ने मुझे सुरक्षित महसूस करने और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जानकारी में वास्तविक अपराधियों को सामने लाने में मदद की है। यद्यपि संबंधित घटना काफी पुरानी है और क्योंकि संबंधित घटना के दौरान अधोहस्ताक्षरी को यह नहीं पता था कि इसका उपयोग इस तरीके से किया जाएगा, इसलिए इसे स्पष्ट रूप से याद करना मुश्किल है परंतु अधोहस्ताक्षरी की सर्वोत्तम जानकारी और विश्वास के अनुसार, उक्त वीडियो फरवरी 2021 के आसपास बुलंदशहर का है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं उत्तर प्रदेश राज्य में व्यावसायिक संचालन के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों से भी मदद चाहता हूं तथा अभी तक के कर्तव्य पालन की सराहना करता हूँ। कथित घटना के संबंध में मैं बस यही कहना चाहता हूं।’

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Iphone-16 की बिक्री शुरू, दिल्ली और मुंबई के स्टोर पर लोगों की लंबी लाइन

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iPhone 16
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हाल ही में iphone-16 को लांच किया गया था, जिसकी बिक्री आज यानी 20 सितम्बर से भारत में शुरू हो गई है. आईफोन का क्रेज ऐसा है कि इसे खरीदने के लिए लोग घंटों से कतारों में खड़े हैं. जी हाँ, दिल्ली के साकेत स्थि‍त सेलेक्ट सिटी वॉक में Iphone-16 को खरीदने के लिए लोग लंबी कतार में खड़े दिखे. कुछ इस तरह का क्रेज तब भी देखने को मिला था, जब आईफोन 15 लॉन्च किया गया था. वहीं, एप्पल का स्टोर जब भारत में पहली बार खुला था तब भी लोग काफी उत्साहित नजर आए थे

आईफोन-16 में क्या खासियत है

कंपनी ने 9 सितंबर को अपने इस साल के सबसे बड़े इवेंट ‘इट्स ग्लोटाइम’ में एआई फीचर्स के साथ आईफोन-16 सीरीज लॉन्च किया था. इस series में आईफोन-16, आईफोन-16 प्लस, आईफोन-16 प्रो और आईफोन-16 प्रो मैक्स (iphone-16, iphone-16 plus, iphone-16 pro और iphone-16 pro max) है. आईफोन-16 और आईफोन-16 प्लस के कैमरा डिजाइन में इस बार अंतर देखने को मिलेगा. वैसे ये दोनों मॉडल A18 Bionic चिप के साथ आते हैं. भारत में एप्पल के दो स्टोर नई दिल्ली और मुंबई में हैं, जहाँ से आप Iphone-16, खरीद सकते हैं. इसके अलावा आप iphone-16 को क्रोमा सेंटर, ऑनलाइन स्टोर अमेज़न, फ्लिप्कार्ट से भी आर्डर कर खरीद सकते हैं.

iPhone 16
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बता दें, हर साल की तरह इस बार भी नए आईफोन को खरीदने के लिए लोगों में जबरदस्त क्रेज देखने को मिल रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लोग iPhone खरीदने के लिए दूर-दूर से आये हैं. इसके अलवा एप्पल कंपनी ने भारत समेत दुनिया के 58 देशों में आईफोन-16 की सीरीज की बिक्री शुरू कर दी है.

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आईफोन-16 की कीमत

भारत में आईफोन-16 की शुरुआती कीमत 79,900 रुपये (128 जीबी) और 89,900 रुपये (256 जीबी) है. iPhone 16 Plus के 128 जीबी मॉडल की कीमत 89,900 रुपये, 256 जीबी की कीमत 99,900 रुपये और 512 जीबी की कीमत 1,19,900 रुपये है. iPhone 16 Pro 1,19,00 (128जीबी), 1,29,900 (256जीबी), 1.49,900 (512जीबी) और 1,69,900 (1 TB) में उपलब्ध है.

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कभी मॉडलिंग में थी सबकी ‘गुरू’, जाने फिर कैसे बन गईं साध्वी

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Piya Grace Roy.
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बॉलीवुड इंडस्ट्री में कई खूबसूरत एक्ट्रेस हुयी है जिन्होंने अपनी खूबसूरती और एक्टिंग के दम पर अपनी पहचान बनाई है. वही कुछ एक्ट्रेस ऐसी भी जिन्होंने अपने बने-बनाये करियर को छोड़ कर घुमानामी की जिंदगी जीना पसंद किया. आज इस लेख में हम आपको ऐसी की एक्ट्रेस के बारे में बताएंगे जो कभी मॉडलिंग में सबकी गुरु हुआ करती थी लेकिन बन गई साध्वी ये एक्ट्रेस कोई और नहीं बल्कि पिया ग्रेस रॉय है.

कौन है पिया ग्रेस

90s की सुपरहिट फिल्म आशिकी के राहुल रॉय की बहन पिया ग्रेस रॉय कभी मॉडलिंग की की दुनिया में बड़ा नाम थीं. उन्हें प्रियंका नाम से भी जाना जाता है लेकिन अब वह ब्रह्मचारिणी और लोगों के लिए तो हरी मां बन गयी हैं. वह आध्यात्म के रास्ते पर चल पड़ी हैं. एक वक्त था जब प्रियंका नामी मॉडल हुआ करती थीं. मगर अब वह साध्वी बन चुकी हैं. जी हाँ, उन्होंने शोबिज को छोड़कर अध्यात्म का रास्ता चुना. वह अब साध्वी बन चुकी हैं. उनके काफी फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया पर भी वह हरी मां के नाम से जानी जाती हैं. उनका यूट्यूब पर चैनल भी हैं. जहां वह अपनी लाइफस्टाइल के बारे में भी बताती हैं. वह एक फिलोसॉफर और नॉन कमर्शियल वॉलेंटियर के रूप में काम करती हैं. वह खुद को अध्यात्मिक रास्तों के लिए समर्पित कर चुकी हैं.

Piya Grace Roy
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हाँलांकि, साध्वी बनी पिया ग्रेस रॉय मॉडल-बिजनेसवुमन और फिटनेस ट्रेनर रहीं, यही नहीं, वह डांस और मार्शल आर्ट्स में पारंगत हैं और पहले एक फिटनेस ट्रेनर भी रही हैं। उन्होंने यूट्यूब पर अपनी बायो में लिखा है कि वह शेफ, पर्यावरणविद् और वीगन एक्टिविस्ट भी हैं. लेकिन अब वह तब त्याग चुकी है. हरि मां अब न सिर्फ साध्वी जैसी जिंदगी जी रही हैं, बल्कि उन्होंने वैसा ही खानपान भी अपना लिया है. यहाँ तक की उन्होंने अपनी वेशभूषा भी ब्रह्मचारिणी जैसी अपना ली है. वह अब साधारण जीवन जीती है. हाल ही, में उन्हें अपने भाई राहुल रॉय के साथ एयरपोर्ट स्पॉट किया गया था.

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हरी मां की शादी

कहा जाता है, पिया ग्रेस रॉय ने शादी के लिए अपने मॉडलिंग करियर को छोड़ दिया था. वही पिया ग्रेस रॉय ने साल 2020 में रोमीर सेन से शादी की थी. तब शादी से ठीक एक दिन पहले उन्होंने होने वाले पति के साथ फोटो शेयर कर शादी का ऐलान किया था. उन्होंने बताया था कि वह शादी कर रहे हैं. रोमीर और पिया ग्रेस दोनों ही सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते है, और अक्सर तस्वीरें शेयर करते हैं. कई जगह रोमीर ने प्रियंका के साथ फोटो शेयर फैमिली बताया है. अब दोनों के बीच कैसा रिश्ता है ये तो पता नही पर आज भी दोनों साथ ही नजर आते है.

राहुल रॉय की अगर बात करें

इसके अलवा पिया ग्रेस के भाई और एक्टर राहुल रॉय ने अपने करियर में कई फिल्मो में काम किया लेकिन अब वो फिल्मी दुनिया से दूर हैं. वह बिगबॉस सीजन 1 के विनर भी रह चुके है. पर आज के वक़्त में वो सादगी भरे जीवन में अपनी जिंदगी बिता रहे हैं. बॉलीवुड की फिल्म आशिकी उनके करियर की सबसे सफल फिल्म साबित हुई थी. इस फिल्म को लोग आज भी पसंद करते हैं.

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आर्मी ऑफिसर की मंगेतर के साथ ओडिशा  पुलिस ने की बदसलूकी, पीड़िता की आपबीती सुन सहम जाएंगे आप

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Odisha police misbehaves with army officer's fiancée
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पुलिस जनता की सेवक होती है। जनता के कल्याण और जनता की सुरक्षा के लिए काम करती है, लेकिन जनता के रक्षक ही अब जनता के भक्षक बन गए हैं। दरअसल, ओडिशा पुलिस का एक खौफनाक चेहरा जनता के सामने आया है। जिसके बाद हर आम नागरिक ये सवाल पूछ रहा है कि अगर पुलिस के जवान उनके साथ ऐसा व्यवहार करेंगे तो वो कैसे सुरक्षित रहेंगे। यहां मामला सेना के अधिकारी की महिला मित्र से जुड़ा है, जिसे भुवनेश्वर में पुलिस के साथ कथित तौर पर बदसलूकी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। महिला ने गुरुवार को दावा किया कि हिरासत में लेने के बाद उसके साथ यौन उत्पीड़न किया गया।

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14 सितंबर की है घटना

यह घटना तब हुई जब वह 14 सितंबर को घर लौटते समय बदमाशों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने भरतपुर थाने गई थी। लेकिन शिकायत लिखने की बजाय पुलिस ने उसे प्रताड़ित किया। महिला ने जो कहानी बताई वह हैरान करने वाली है। सेना के अधिकारी की मंगेतर ने पुलिस पर न केवल उसके हाथ-पैर बांधने बल्कि उसे पीटने का आरोप लगाया है, बल्कि ये भी दावा किया है कि पुलिस ने उसके साथ बलात्कार करने की धमकी भी दी।

हाईकोर्ट ने दी जमानत

पुलिस द्वारा गिरफ्तार की गई महिला के आरोपों की गंभीरता को देखते हुए ओडिशा हाईकोर्ट ने गुरुवार को पीड़िता को जमानत दे दी। इस घटना से पूरे देश में आक्रोश फैल गया, जिसके बाद ओडिशा पुलिस ने भरतपुर थाने के प्रभारी निरीक्षक समेत पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया।

पीड़ित महिला ने सुनाई अपनी आपबीती

आर्मी ऑफिसर की मंगेतर ने बताया, जब हम भरतपुर थाने पहुंचे तो वहां सिविल ड्रेस में एक महिला कांस्टेबल मौजूद थी। हमने कांस्टेबल से एफआईआर दर्ज करने और बदमाशों को पकड़ने के लिए गश्ती वाहन भेजने का अनुरोध किया। लेकिन हमारी मदद करने के बजाय महिला कांस्टेबल ने हमारे साथ बदसलूकी शुरू कर दी। थोड़ी देर बाद कुछ और पुलिसकर्मी भी थाने पहुंचे और सेना के अधिकारी से शिकायत दर्ज करने को कहा।

आर्मी ऑफिसर को डाला लॉकअप में

महिला ने आगे कहा, ‘पुलिसवाले किसी बात पर नाराज़ हो गए। उन्होंने मेरे मंगेतर (सेना अधिकारी) को लॉकअप में डाल दिया। मैंने पुलिसवालों से कहा कि यह अवैध है, पुलिस सेना के अधिकारी को हिरासत में नहीं रख सकती। जैसे ही मैंने यह कहा, दो महिला पुलिसकर्मियों ने मुझे पीटना शुरू कर दिया। जब उन्होंने मेरी गर्दन पकड़ने की कोशिश की, तो मैंने उनके हाथ पर काट लिया।’

सीने पर मारीं एक के बाद एक लातें

यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोप लगाते हुए महिला ने एजेंसी को बताया, मेरी पिटाई करने के बाद महिला पुलिसकर्मियों ने मेरे हाथ-पैर बांध दिए और मुझे एक कमरे में बंद कर दिया। कुछ देर बाद एक पुरुष पुलिसकर्मी ने दरवाजा खोला। उसने एक के बाद एक कई बार मेरी छाती पर लात मारी। उसने मेरी पैंट उतार दी। इसके बाद पुलिसकर्मी ने अपनी पैंट उतारी और मुझे अपने प्राइवेट पार्ट्स दिखाने लगा। पुलिसकर्मी ने मुझसे पूछा कि तुम कब तक चुप रहना चाहती हो?

इसके अलावा महिला ने पुलिसकर्मी पर दुष्कर्म की धमकी देने का भी आरोप लगाया है। आपको बता दें कि आर्मी अफसर की मंगेतर वकील और उद्यमी हैं। उनके पिता रिटायर्ड ब्रिगेडियर हैं।

क्राइम ब्रांच ने शुरू की केस की जांच

घटना की जांच डीएसपी नरेंद्र कुमार बेहरा के नेतृत्व में क्राइम ब्रांच की पांच सदस्यीय टीम कर रही है, जो भरतपुर पुलिस स्टेशन पहुंची। चार घंटे से अधिक समय तक टीम ने कर्मचारियों से पूछताछ की। लेकिन जांच में कुछ दिक्कतें आईं। दरअसल, पूछताछ के लिए आईआईसी दीनकृष्ण मिश्रा मौजूद नहीं थे और पुलिस स्टेशन में कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं लगा था।

घटना पर अब तक लिए गए ये एक्शन

– भरतपुर पुलिस स्टेशन ने पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। निलंबित अधिकारियों में आईआईसी दीनकृष्ण मिश्रा, सब इंस्पेक्टर बैसलिनी पांडा, एएसआई सलिलामयी साहू, सागरिका रथ और कांस्टेबल बलराम हांडा शामिल हैं।

– डीजीपी से कार्रवाई रिपोर्ट मांगी गई है, जिस पर राष्ट्रीय महिला आयोग ने संज्ञान लिया है। डीजीपी को तीन दिन के भीतर रिपोर्ट मांगने का औपचारिक पत्र मिला है। इन पुलिस अधिकारियों से संबंधित जांच की गई है। ओडिशा पुलिस ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। सीआईडी ​​इस मामले की जांच करेगी।

– सेना के उच्च अधिकारियों ने ओडिशा के डीजीपी और प्रशासन से इस मुद्दे पर चर्चा की है। सेना के अनुसार, किसी सक्रिय सैन्य अधिकारी को निकटतम सैन्य इकाई को सूचित किए बिना हिरासत में लेना कानून के विरुद्ध है।

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पेजर और वॉकी-टॉकी तो छोड़िए, अब चॉकलेट खाई तो भी आपको उड़ा देगा ये चॉकलेट बम

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पेजर बम और वॉकी-टाकी बम तो हमने हाल ही में देखा और सुना लेकिन अब चॉकलेट बम का वीडियो काफी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि रूस की आर्मी के सैनिकों ने यह वीडियो बनाया है. बताया गया कि कैसे दांत के नीचे दबाते ही चॉकलेट बम में धमाका कर किसी की भी जान ली जा सकती है.

क्या है पूरा मामला

इजराइल और फिलिस्तीनी के बीच काफी समय से युद्ध चल रहा है. इसकी शुरुआत तब हुई जब हमास के बंदूकधारियों ने गाजा से इजरायल पर हमला किया, जो इजरायल के इतिहास का सबसे घातक हमला था. इसके बाद इजरायली सैन्य अभियान शुरू हुआ, जिसमें फिलिस्तीनी क्षेत्र में अभी तक 40 हजारो से ज्यादा लोग मारे गए. वही, अब इजरायल-हमास युद्ध के बीच लेबनान की धरती पर पेजर और वॉकी-टॉकी धमाकों से बवाल मच गया है. ऐसे कई वीडियो सामने आए जिसमें इजरायल की शातिर साइबर यूनिट ने हिजबुल्‍लाह को सबक सिखाने के लिए कई हमलों को अंजाम दिया. लेबनान में इन धमाकों के बाद से ही दहशत का माहौल है. इस घटना के बाद दुनिया भर में नए-नए वीडियो सामने आ रहे हैं. कथित तौर पर रूस के एक सैनिका का वीडियो इस वक्‍त काफी तेजी के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वो चॉकलेट बम का डेमो देता दिख रहा है.

इजराइल और फिलिस्तीनी
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दरअसल, रूस इस वक़्त यूक्रेन से जंग में उलझा है. अपना एनर्जी लेवल बनाए रखने के लिए युद्ध के मैदान में सैनिक अक्‍सर चॉकलेट खाना पसंद करते हैं. इसी बीच रूस के सैनिकों ने सोशल मीडिया पर एक विडियो शेयर किया जिसमे दिख रहा है कि किस तरीके से एक चॉकलेट को चॉकलेट बम के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. चॉकलेट के बीच में छोटे आईईडी बम को रखकर उसे पैक किया जा सकता है और फिर जैसे ही उसे खाने वाला व्यक्ति जैस ही उसे खाने के लिए खोल कर अपने दांतों के बीच में दबाएगा तो प्रेशर पड़ने पर आईईडी सक्रिय होकर फट जाएगी और उसका मुंह उड़ जाएगा.

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चॉकलेट के बीच IED का इस्‍तेमाल

छद्म युद्ध का नया रुप अब दुनिया को देखने को मिल रहा है, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सामानों के माध्यम से भी दुश्मनों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है. ठीक उसी तरह से अब चॉकलेट के बीच IED का इस्‍तेमाल करके लोगों को मारने की साजिश भी रची जा रही है. जी हाँ, एक मामूली सी चॉकलेट जिसे सैनिक एनर्जी बार के रूप में खाते है.

Chocolate
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अब उसी चॉकलेट पर मौजूद आईईडी में बारूद इतना है कि खाने वाले के मुंह को भारी नुकसान पहुंच जाए. फिलहाल अपने दुश्मनों को नुकसान पहुंचाने के लिए दुनिया के देश एक से एक नई तरकीब खोज रहे हैं.

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