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ये हैं वो 6 कारण जिनकी वजह से फ्लॉप हो गया Shamita Shetty का करियर, शादीशुदा एक्टर से प्यार करना पड़ा भारी

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Shamita Shetty and Manoj Bajpayee
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बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी(Shilpa Shetty) का करियर जितना हिट रहा, उनकी छोटी बहन शमिता का करियर उतना ही फ्लॉप रहा। शमिता शेट्टी का बॉलीवुड करियर (Shamita Shetty’s career) शुरुआती सफल शुरुआत के बाद ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया। इसकी मुख्य वजह सीमित भूमिकाएं, टाइपकास्टिंग और फिल्म इंडस्ट्री में लगातार सक्रियता की कमी थी। हालांकि, रियलिटी शो और दूसरे टीवी प्रोजेक्ट के जरिए उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी है। शमिता शेट्टी का बॉलीवुड करियर उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं रहा और इसके कई कारण हैं। आइए आपको उन कारणों के बारे में बताते हैं.

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सफल शुरुआत, लेकिन सीमित अवसर- Shamita Shetty’s career

शमिता शेट्टी ने 2000 में फिल्म “मोहब्बतें” से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, जो एक बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म में उनके अभिनय की सराहना की गई और इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड भी मिला। हालांकि, इसके बाद वह उसी स्तर की फिल्मों में नजर नहीं आईं। उन्हें फिल्मों में ज्यादातर सपोर्टिंग रोल या ग्लैमरस रोल ही दिए गए, जिसकी वजह से उनका करियर ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका।

टाइपकास्ट रोल्स

शमिता को कई फिल्मों में केवल ग्लैमरस और डांस आधारित भूमिकाएं ही मिलीं। उदाहरण के लिए, उनके गाने “शरारा शरारा” को तो खूब सराहा गया, लेकिन उन्हें ऐसे दमदार रोल नहीं मिले जो उन्हें अभिनय की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकें। इस वजह से उन्हें टाइपकास्ट कर दिया गया और उनकी एक्टिंग स्किल्स का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया।

प्रतिस्पर्धा का दबाव

शमिता शेट्टी का करियर उस समय शुरू हुआ जब बॉलीवुड में पहले से ही कई स्थापित अभिनेत्रियाँ थीं, और नई अभिनेत्रियाँ भी लगातार आ रही थीं। शमिता का करियर इस प्रतिस्पर्धा में खुद को बनाए रखने में सक्षम नहीं था। इसके आलवा शमिता ने अपने करियर में कम ही फिल्मों का चयन किया। उन्होंने लगभग 10-12 फिल्मों में काम किया, जो एक लंबी अवधि में फिल्म इंडस्ट्री में सफल करियर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं था।

फिल्म इंडस्ट्री में सीमित सक्रियता

शमिता ने अपने करियर के शुरुआती सालों में कुछ फ़िल्में कीं, लेकिन बाद में वे फ़िल्मों से दूर हो गईं। उन्होंने रियलिटी शो और टीवी पर ज़्यादा ध्यान दिया, ख़ास तौर पर “बिग बॉस” और “झलक दिखला जा” जैसे शो। फ़िल्मों में कम सक्रियता के कारण उनका करियर फ़िल्म इंडस्ट्री में आगे नहीं बढ़ पाया।

शिल्पा शेट्टी से तुलना- Shamita Shetty Comparison with Shilpa Shetty

शमिता की बड़ी बहन शिल्पा शेट्टी बॉलीवुड में पहले से ही एक सफल अभिनेत्री थीं। कई बार तुलना के कारण भी शमिता के करियर को नुकसान हो सकता है, क्योंकि दर्शकों की अपेक्षाएँ बहुत अधिक थीं, और उनकी फिल्मों में उन्हें उस स्तर की भूमिकाएं नहीं मिलीं।

मनोज बाजपेयी संग रिलेशनशिप- Shamita Shetty Relationship with Manoj Bajpayee

शमिता के करियर के फ्लॉप होने के पीछे कई कारण थे लेकिन एक कारण ये भी था कि उन्हें एक ऐसे एक्टर से प्यार हो गया था जो शादीशुदा था। शादीशुदा एक्टर से प्यार होने की वजह से शमिता के करियर को काफी नुकसान हुआ। दरअसल ये एक्टर मनोज बाजपेयी थे, शमिता शेट्टी और मनोज बाजपेयी के रिलेशनशिप (Shamita Shetty and Manoj Bajpayee relationship) की खबरें एक समय मीडिया में खूब सुर्खियों में रही थीं। कहा जाता है कि मनोज के साथ फिल्म ‘फरेब’ और ‘बेवफा’ में नजर आईं शमिता शूटिंग के दौरान एक दूसरे के प्यार में पड़ गई थीं, हालांकि दोनों ने हमेशा इन खबरों पर चुप्पी साधे रखी। इन खबरों के सामने आने के बाद शमिता विवादों से घिर गईं। इसकी वजह थी शादीशुदा एक्टर से अफेयर।

हालांकि, यह रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और दोनों का ब्रेकअप हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनोज ने शमिता के लिए अपने परिवार को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया था, जिसके चलते दोनों का ब्रेकअप हो गया। बताया जाता है कि शमिता मनोज से इतना प्यार करती थीं कि उन्होंने अभी तक शादी नहीं की।

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Lucknow News: जेपी की जयंती पर लखनऊ में मचा हंगामा, भारी फोर्स की तैनाती के बीच क्या नजरबंद रहेंगे अखिलेश यादव?

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Akhilesh Yadav and JN birth anniversary Controversy
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समाजवादी चिंतक जयप्रकाश नारायण की जयंती (Jay Prakash Narayan’s birth anniversary) से पहले राजधानी लखनऊ का सियासी तापमान बढ़ गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav) शुक्रवार सुबह गोमती नगर स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के कार्यक्रम में बिना अनुमति शामिल होने पर अड़े हैं। इसके लिए उन्हें प्रशासन से अनुमति नहीं मिली। सपा प्रमुख को घर से निकलने से रोकने के लिए लखनऊ प्रशासन ने घेराबंदी शुरू कर दी है। उनके घर के बाहर की सड़क को बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया है। एक तरह से उन्हें नजरबंद करने की तैयारी है।

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इस मौके पर अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर योगी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा, ये भाजपा राज में आजादी का दिखावटी अमृतकाल है, जनता श्रद्धांजलि न दे सके इसके लिए दीवार खड़ी कर दी गई।

सपा का योगी सरकार पर हमला- SP vs Yogi government

इस पूरे मामले पर सपा ने सीएम योगी (CM Yogi) से सवाल किया है। पार्टी ने सवाल किया कि क्या अखिलेश को नजरबंद किया जा रहा है? योगी जी को इस पर विस्तार से बताना होगा। समाजवादी आंदोलन के प्रेरणास्रोत, लोकतंत्र के लोकनायक और स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी जेपी जी की प्रतिमा को सजाने से सरकार क्यों रोक रही है? सपा के अनुसार, कायस्थ समाज के प्रतिष्ठित नेता जयप्रकाश नारायण जी को भाजपा सरकार (BJP Government) अपमानित कर रही है। जातिवादी ठाकुर योगी शासन में सेंगर और चिन्मयानंद जैसे बलात्कार करने वाले उसी जाति के लोगों का सम्मान किया जाता है जबकि क्रांतिकारियों और डेमोक्रेट्स का उपहास किया जाता है। क्या सीएम और सरकार को अब भी कोई शर्म बची है?

 “सरकार क्या छिपा रही है”

इसके अलावा अखिलेश यादव ने कहा, “यह जेपीएनआईसी समाजवादियों का संग्रहालय है, इसके अंदर जयप्रकाश नारायण की मूर्ति है और ऐसी प्रदर्शनी है जो समाजवाद को समझने में हमारी मदद करती है।” इन टिन की चादरों के साथ सरकार क्या छिपा रही है? क्या यह किसी को उपहार देने का इरादा है या जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी है? लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Loknayak Jayprakash Narayan) की जयंती पर क्रांतिकारी नायक के इर्द-गिर्द राजनीति गरमा गई है। अखिलेश यादव एक तरफ दावा कर रहे हैं कि केंद्र के बाहर टिन की चादरें लगाई जा रही हैं और भाजपा सरकार उन्हें जेपीएनआईसी में जाने से रोक रही है। हालांकि, एलडीए ने जेपीएनआईसी बंद करने के पीछे की वजहें बताई हैं।

LDA का बयान आया सामने

जयप्रकाश नारायण की जयंती पर जेपीएनआईसी जाने की अखिलेश यादव की योजना के बारे में लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) ने एक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि जेपीएनआईसी में अभी निर्माण कार्य चल रहा है, निर्माण सामग्री लापरवाही से बिखरी हुई है और हाल ही में हुई बारिश के कारण बड़ी संख्या में कीड़े होने की संभावना है। पत्र के अनुसार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए सुरक्षा कारणों से जेपीएनआईसी जाना और स्मारक पर माल्यार्पण करना उनके लिए न तो उचित है और न ही सुरक्षित।

अखिलेश यादव ने शेयर की तस्वीरें

गुरुवार को जब अखिलेश यादव जेपीएनआईसी के गेट पर पहुंचे तो वहां टिन की चादरें लगाई गई थीं। उसके बाद एक वीडियो सामने आया जिसमें अखिलेश यादव ने पेंटर से टिन पर ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद’ लिखने को कहा, जिसके बाद अखिलेश यादव ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें टिन पर ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद’ लिखा हुआ था।

2016 में बनवाया गया था केंद्र

इससे पहले पिछले साल भी सपा को जेपी जयंती पर माल्यार्पण नहीं करने दिया गया था, जिसके बाद अखिलेश यादव ने दीवार से कूदकर माल्यार्पण किया था। अखिलेश यादव ने 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए जेपीएनआईसी का उद्घाटन किया था। हालांकि, 2017 में जब सत्ता बदली और योगी सरकार बनी तो भवन का काम रोक दिया गया। इस केंद्र में जयप्रकाश नारायण संग्रहालय के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी हैं।

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Mahesh Langa case: मशहूर अखबार के पत्रकार महेश लांगा को क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार, लगे गंभीर आरोप

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journalist Mahesh Langa arrested
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वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा (Senior Journalist Mahesh Langa) को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच (Ahmedabad Crime Branch) ने फर्जी कंपनियों के जरिए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) हासिल करने से जुड़े जीएसटी धोखाधड़ी मामले में मंगलवार को गिरफ्तार किया। लांगा का नाम सीधे तौर पर एफआईआर में नहीं था, लेकिन उनकी पत्नी और उनके एक रिश्तेदार का नाम कथित धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल कंपनियों से जुड़ा पाया गया। सूत्रों ने बताया कि लांगा के घर से 20 लाख रुपये नकद, कुछ सोने के आभूषण और जमीन के कागजात भी बरामद किए गए हैं।

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अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक लैंगा के खिलाफ आरोपों की जांच अभी भी जारी है। यह मामला आर्थिक अपराध से जुड़ा है और इसमें कई अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। इस मामले से जुड़ा कोई अंतिम फैसला अभी तक सामने नहीं आया है।

महेश लांगा केस- Journalist Mahesh Langa case

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय जीएसटी विभाग ने शिकायत दर्ज की और इसके परिणामस्वरूप अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में 14 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप गिरफ्तारियां हुईं। क्राइम ब्रांच के अनुसार, उन्हें व्यापक धोखाधड़ी के बारे में पता चला है। क्राइम ब्रांच का दावा है कि इसमें 200 से अधिक बेनामी संस्थाओं का नेटवर्क शामिल है। कहा जाता है कि इन कंपनियों ने फर्जी नामों और दस्तावेजों का उपयोग करके कर चोरी को सक्षम किया है। इसके अतिरिक्त, यह दावा किया जाता है कि यह नेटवर्क “इनपुट टैक्स क्रेडिट” का लाभ उठाने और सरकार के खजाने को चुराने के लिए फर्जी लेनदेन का उपयोग कर रहा था।

इसके अलावा, महेश लंगा के पिता और पत्नी के नाम से फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। ऐसी अफवाहें हैं कि इन फर्जी कंपनियों में संदिग्ध लेनदेन के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था। क्राइम ब्रांच की ओर से जारी बयान के अनुसार, “शुरुआती जांच से पता चलता है कि फर्जी बिलिंग, फर्जी दस्तावेज और झूठे बयानों के जरिए सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने की साजिश रची गई थी।” पुलिस उपायुक्त (अपराध) के अनुसार, ‘द हिंदू’ अखबार के वरिष्ठ पत्रकार अजीत राजियन को गहन पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया। मामले के संबंध में, क्राइम ब्रांच ने ध्रुवी एंटरप्राइज, ओम कंस्ट्रक्शन, राज इंफ्रा, हरीश कंस्ट्रक्शन कंपनी और डीए एंटरप्राइज सहित कई व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ औपचारिक शिकायत (एफआईआर) भी दर्ज की है।

 द हिंदू की ओर से आया रिएक्शन

मामले में ‘द हिंदू’ के संपादक सुरेश नंबथ ने सोशल मीडिया ब्लू स्काई पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की है। उन्होंने कहा- ‘हमारे एक पत्रकार महेश लांगा को अहमदाबाद सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सेंट्रल जीएसटी की शिकायत पर गिरफ्तार किया है। हमें मामले की मेरिट के बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि, यह द हिंदू में प्रकाशित उनकी रिपोर्ट से जुड़ा मामला नहीं है।’

One of our journalists, Mahesh Langa, has been arrested by the Crime Branch of the Ahmedabad City Police on a complaint registered by the Central GST. While we have no details about the merits of the case, we are given to understand that this is not related to his reports published in The Hindu.

— Suresh Nambath (@nambath.bsky.social) October 9, 2024 at 11:35 AM

सुरेश नंबथ ने आगे कहा- हम अहमदाबाद स्थित गुजरात संवाददाता के रूप में द हिंदू के लिए उनके (महेश लंगा) पेशेवर काम की सराहना करते हैं। हमें उम्मीद है कि कहीं भी किसी पत्रकार को उसके काम के लिए निशाना नहीं बनाया जाएगा, और हमें उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और तेजी से की जाएगी। सुरेश नंबथ, संपादक

इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है?

अब सवाल यह है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) क्या है? दरअसल, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) वह टैक्स है जो एक कारोबारी अपनी खरीद पर चुकाता है और जिसका इस्तेमाल वह बेचते समय अपने टैक्स को कम करने के लिए कर सकता है।

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ये हैं भारत में बौद्ध धर्म के विनाश के 6 कारण, जिनकी वजह से देश में इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम होता गया

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Buddhism destruction vs India
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प्राचीन काल में बौद्ध धर्म भारत का एक प्रमुख धर्म था, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव कम होता गया और यह लगभग लुप्त हो गया। बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत के कोने-कोने में थे लेकिन फिर अचानक बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या कम होने लगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में बौद्ध धर्म का विनाश (Destruction of Buddhism) कई सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों का परिणाम था। हिंदू धर्म का पुनरुत्थान, मुस्लिम आक्रमण, बौद्ध संस्थाओं का पतन और आंतरिक मतभेद जैसे कारकों ने धीरे-धीरे बौद्ध धर्म को विलुप्त (The extinction of Buddhism) कर दिया। हालांकि, आज भी दक्षिण एशिया और अन्य देशों में बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

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हिंदू धर्म का पुनरुत्थान- Revival of Hinduism

आदि शंकराचार्य जैसे हिंदू धर्म के प्रमुख संतों ने अद्वैत वेदांत की स्थापना के माध्यम से बौद्ध धर्म के विचारों को चुनौती दी। शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के वैदिक विचारों को पुनर्जीवित किया और बौद्ध धर्म के अस्तित्व (The existence of Buddhism) को कमजोर किया। उन्होंने बौद्ध धर्म की आलोचना की और हिंदू धर्म के वेदांत दर्शन का प्रचार किया, जिससे बौद्ध धर्म के अनुयायियों में कमी आई।

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गुप्त और मौर्य काल के बाद हिंदू राजाओं का उदय

मौर्य और कुछ अन्य शासकों ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, लेकिन गुप्त साम्राज्य के उदय के साथ, हिंदू धर्म को फिर से शाही संरक्षण मिला। गुप्त काल में हिंदू धर्म सुरक्षित रहा, जबकि बौद्ध धर्म के प्रति शासकों की उदासीनता बढ़ती गई। इससे बौद्ध धर्म के प्रभाव में कमी आई।

मुस्लिम आक्रमण- Muslim Invasions in India

भारत में बौद्ध धर्म के विनाश का एक प्रमुख कारण मुस्लिम आक्रमण भी थे। 11वीं और 12वीं शताब्दी में महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी और अन्य मुस्लिम शासकों के आक्रमणों के दौरान कई बौद्ध मठों और संस्थानों को नष्ट कर दिया गया था। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे बौद्ध शिक्षा केंद्रों को लूट लिया गया और जलाकर राख कर दिया गया। परिणामस्वरूप, बौद्ध धर्म के अनुयायियों में गिरावट आई और इसका प्रभाव कमज़ोर हो गया।

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संस्थागत और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धा

बौद्ध धर्म के मठ और शैक्षणिक केंद्र जैसी संस्थाएँ धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावशीलता खोती चली गईं। कुछ बौद्ध मठ धीरे-धीरे भ्रष्ट हो गए और सामाजिक और धार्मिक संगठनों के रूप में कमज़ोर हो गए। इसके कारण लोगों का बौद्ध धर्म में विश्वास खत्म हो गया और इसके अनुयायी धीरे-धीरे हिंदू धर्म में लौटने लगे।

बौद्ध धर्म का विभाजन

समय के साथ बौद्ध धर्म में महायान और हीनयान जैसे कई संप्रदाय बन गए। इन विभाजनों ने बौद्ध धर्म की एकता को भी कमजोर कर दिया। आंतरिक मतभेदों और धार्मिक विभाजनों ने बौद्ध धर्म के प्रभाव को और कमजोर कर दिया।

आर्थिक और सामाजिक कारण

बौद्ध मठों और भिक्षुओं पर समाज की बढ़ती आर्थिक निर्भरता भी एक कारण थी। धीरे-धीरे बौद्ध भिक्षु समाज से अलग-थलग पड़ गए और आर्थिक संसाधनों के अभाव में बौद्ध मठ और संस्थाएं कमजोर हो गईं।

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सपने में बारिश को देखने का क्या होता है मतलब? जानिए स्वप्न शास्त्र में इसे शुभ माना जाता है या अशुभ

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seeing rain dream
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सपने देखना आम बात है। लेकिन इन सपनों के पीछे छिपे रहस्य को समझ पाना एक आम इंसान के लिए संभव नहीं है। कई बार आपने सपने में ऐसी चीजें देखी होंगी, जिन्हें देखने के बाद आपके मन में कई सवाल उठे होंगे कि इन सपनों का क्या मतलब है और ये सपने क्यों आए, तो आज हम आपको इस सवाल का जवाब बताएंगे। दरअसल कुछ लोगों को बारिश से जुड़े सपने(Seeing rain in a dream) भी आते हैं, जो एक आम बात है लेकिन यह एक गहरा प्रतीक है जिसकी कई तरह से व्याख्या की जा सकती है। यह सपना जीवन में बदलाव, शुद्धि या भावनाओं के प्रवाह का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं कि ऐसे सपने देखने का क्या मतलब होता है। इस तरह सपने शुभ या अशुभ होते हैं।

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सपने में बारिश देखना-Seeing Rain in a Dream

बारिश को अक्सर सफाई और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। अगर आप सपने में बारिश (Rain Dream)देखते हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका जीवन किसी भी नकारात्मक अनुभव या भावनाओं से मुक्त हो रहा है और आप एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं।

भावनाओं का प्रकटीकरण

बारिश को भावनाओं का प्रतीक भी माना जाता है, खासकर तब जब हम आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं। सपने में बारिश देखना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की आवश्यकता महसूस हो रही है या आपके भीतर कोई गहरी भावना छिपी हुई है जिसे आप खुलकर व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।

Rain Dream
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सकारात्मक बदलाव और समृद्धि

बारिश का एक और सकारात्मक अर्थ यह हो सकता है कि जीवन में समृद्धि और उन्नति के संकेत हैं। यह सपना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके जीवन में कुछ अच्छा और सकारात्मक बदलाव होने वाला है, जैसे कि पेशेवर या व्यक्तिगत सफलता।

Rain Dream
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तनाव या उदासी का संकेत

दूसरी ओर, अगर बारिश भारी और लगातार हो रही है, तो यह चिंता, तनाव या उदासी का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति या भावनात्मक दबाव का सामना कर रहे हैं।

बाधाएँ और रुकावटें

कभी-कभी सपने में बारिश देखना इस बात का भी प्रतीक हो सकता है कि आपके जीवन में कोई कार्य या उद्देश्य बाधित हो रहा है। खासकर अगर बारिश तूफानी हो, तो यह संकेत दे सकता है कि आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

प्राकृतिक संबंध और शांति

अगर बारिश हल्की और शांत है, तो यह आंतरिक शांति और प्राकृतिक संबंध का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में संतुलन और शांति महसूस कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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‘केजरीवाल के बंगले’ पर क्या है विवाद, जानें आतिशी को सीएम आवास जाने से क्यों रोका गया?

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Arvind Kejriwal's bungalow controversy
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दिल्ली में हाल ही में मुख्यमंत्री आवास से जुड़ा एक बड़ा विवाद सामने आया, जब आतिशी को उस बंगले में जाने से रोका गया, जो पहले अरविंद केजरीवाल के आधिकारिक निवास के रूप में इस्तेमाल होता था। यह बंगला दिल्ली के सिविल लाइन्स में 6, Flagstaff Road पर स्थित है। केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद आतिशी ने मुख्यमंत्री का पद संभाला और इस बंगले में शिफ्ट हो गईं। लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब PWD (Public Works Department) ने यह दावा किया कि बंगले को आधिकारिक रूप से हैंडओवर की प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी, और इसे ठीक से सरकार को सौंपा नहीं गया था। इससे बाद से एक बार फिर आम आदमी पार्टी और एलजी के बीच तकरार बढ़ गई है।

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PWD ने सीएम आवास को किया सील- PWD sealed the CM residence

उपराज्यपाल (LG) के निर्देश पर, PWD ने सीएम आवास को सील कर दिया और वहां डबल ताला लगा दिया गया, जिससे आतिशी को वहां से बाहर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। आम आदमी पार्टी (AAP) ने आरोप लगाया कि यह कदम भारतीय जनता पार्टी (BJP) के दबाव में उठाया गया, और इसे राजनीतिक बदले के रूप में देखा गया। वहीं, BJP ने आतिशी पर बिना आधिकारिक आवंटन के बंगले में शिफ्ट होने का आरोप लगाया, जो नियमों का उल्लंघन था।

इस घटना के बाद राजनीतिक हलकों में काफी तनाव पैदा हुआ, और AAP ने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया का अपमान बताया। वहीं, उपराज्यपाल कार्यालय ने अब तक इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे विवाद और गहराता जा रहा है​

बंगले को लेकर क्या हैं आरोप?

भाजपा ने सीएम आवास के जीर्णोद्धार में अनियमितताओं का आरोप लगाया था। पिछले एक साल से इसकी जांच चल रही है। तब से सतर्कता विभाग पूरे मामले की जांच कर रहा है। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के 10 अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और निलंबन की कार्रवाई हो चुकी है। अब इस मामले की जांच सीबीआई भी कर रही है। 8 अक्टूबर को जारी अपने कारण बताओ नोटिस में सतर्कता विभाग (विजिलेंस) ने कहा कि 6 फ्लैग स्टाफ रोड स्थित आवास को कभी भी दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के रूप में चिह्नित नहीं किया गया है। यह मामला सीपीडब्ल्यूडी, सीबीआई और सतर्कता निदेशालय, जीएनसीटीडी के अधीन है।

सारा विवाद चाबियों को लेकर

पूरा विवाद चाबियों को लेकर है। इसके जीर्णोद्धार में कथित अनियमितताओं का मामला भी लंबित है। पहले यह बंगला तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आवंटित था। वे इसमें अपने परिवार के साथ रहते थे। नोटिस के मुताबिक, केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सीएम के अतिरिक्त सचिव रामचंद्र एम ने 4 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव को एक नोट दिया था। इसमें कहा गया था कि बंगला मौजूदा मुख्यमंत्री आतिशी को आवंटित किया जाए।

इसके बाद केजरीवाल ने अपने कर्मचारियों को मुख्यमंत्री आवास छोड़ने और पीडब्ल्यूडी को चाबियाँ देने से जुड़ी कागजी कार्रवाई और अन्य कानूनी औपचारिकताओं को संभालने के लिए भेजा। पीडब्ल्यूडी के निर्देशों के बावजूद, विशेष सचिव ने चाबियाँ नहीं सौंपी हैं, जबकि पीडब्ल्यूडी ने उन्हें इस बारे में एक पत्र लिखा था। यह संबंधित अधिकारियों को सरकारी सुविधा का स्वामित्व न देने के समान है, जब उनसे चाबियाँ छीन ली जाती हैं, और इसका असर इमारत की सूची और उसमें मौजूद वस्तुओं पर पड़ सकता है।

क्या लगे हैं आरोप?

दरअसल, यह सब तब स्पष्ट हुआ जब विजिलेंस ने पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को एक अधिसूचना भेजी। पीडब्ल्यूडी के अनुसार, पिछले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर छोड़ने के बाद चाबियाँ वापस कर दी गईं। इसके बाद, सीएम कार्यालय के उप सचिव सतिंदर मोहन ने भी पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता को एक पत्र भेजा। रिपोर्ट के अनुसार, केजरीवाल 4 अक्टूबर को घर से बाहर चले गए।

उस दौरान सीएम कैंप कार्यालय में मौजूद अनुभाग अधिकारी मुकेश कुमार को चाबियां सौंपी गईं। अगले दिन यानी 5 अक्टूबर को पीडब्ल्यूडी के जूनियर इंजीनियर करम सिंह यादव ने सीएम कैंप कार्यालय के अनुभाग अधिकारी विजय कुमार को सरकारी आवास खाली करने की रिपोर्ट पेश की। 6 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री आतिशी सीएम आवास पर पहुंचीं। इसके बाद पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने सीएम आतिशी को चाबियां सौंपीं।

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क्या रतन टाटा ने वाकई पाकिस्तान को टाटा सूमो बेचने से किया था इनकार? जानिए इस वायरल पोस्ट का सच

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Ratan Tata refused sell Tata Sumo
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मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Passed Away) हो गया है। बुधवार को 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन के बाद सोशल मीडिया पर उनसे जुड़ी कुछ खबरें वायरल हो रही हैं। इन्हीं में से एक खबर यह है कि टाटा ने 26/11 मुंबई हमलों के बाद पाकिस्तान के साथ व्यापार करने से इनकार कर दिया था और कांग्रेस के एक नेता को आईना दिखाते हुए कहा था, ‘आप बेशर्म हो सकते हैं, लेकिन मैं नहीं हूं… आइए आपको बताते हैं इस खबर की सच्चाई।

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आइए जानते हैं क्या है वह वायरल मैसेज-Ratan Tata Viral Post

26/11 के हमलों के बाद रतन टाटा ने भारत और विदेशों में अपने होटलों की श्रृंखला के पुनर्निर्माण के लिए निविदाएं जारी कीं, जिसके लिए कुछ पाकिस्तानी कंपनियों ने भी आवेदन किया। अपने दावे को मजबूत करने के लिए, दो पाकिस्तानी उद्योगपति बिना अपॉइंटमेंट के बॉम्बे हाउस (टाटा समूह का मुख्यालय) भी आ गए, क्योंकि रतन टाटा ने उन्हें अपॉइंटमेंट नहीं दिया था। पहले तो उन्हें बॉम्बे हाउस के रिसेप्शन पर काफी देर तक इंतजार कराया गया, फिर उन्हें बताया गया कि रतन टाटा बहुत व्यस्त हैं और बिना पूर्व अपॉइंटमेंट के किसी से नहीं मिल सकते।

Ratan Tata refused sell Tata Sumo
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इससे नाराज होकर दोनों उद्योगपति दिल्ली गए और अपने उच्चायुक्त के माध्यम से केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा से मिले। आनंद शर्मा ने टाटा को फोन किया और उनसे दोनों पाकिस्तानी उद्योगपतियों को अपॉइंटमेंट देने और उन्हें टेंडर देने का अनुरोध किया। इस पर रतन टाटा ने कहा, ‘आप बेशर्म हो सकते हैं, लेकिन मैं नहीं हूं…’ और फोन काट दिया।

रत्न टाटा ने टाटा सूमो बेचने से किया मना- Ratna Tata refused to sell Tata-Sumo

रतन टाटा द्वारा पाकिस्तान को टाटा सूमो (Ratna Tata Tata-Sumo) बेचने से इनकार करने का दावा सोशल मीडिया पर कई बार प्रसारित किया गया है, लेकिन यह पूरी तरह से झूठ और झूठी अफवाह है। इस अफवाह के अनुसार, रतन टाटा ने कथित तौर पर सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए पाकिस्तान को टाटा सूमो वाहन बेचने से इनकार कर दिया था क्योंकि इसका इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में किया जा सकता था। हालांकि, यह दावा पूरी तरह से झूठा है और इसका कोई वास्तविक सबूत या सत्यता नहीं है।

रतन टाटा द्वारा पाकिस्तान को टाटा सूमो बेचने से इनकार  करने की खबर पूरी तरह से अफवाह है और इसका कोई वास्तविक प्रमाण या सच्चाई नहीं है। ऐसी खबरें गलत सूचना के रूप में फैलाई जाती हैं, इसलिए उन पर विश्वास करने से पहले उनकी पुष्टि कर लेना ज़रूरी है।

अफवाह की सच्चाई

सोशल मीडिया पर कई बार ऐसी अफवाहें फैलती रहती हैं, लेकिन टाटा समूह या खुद रतन टाटा की ओर से कभी भी कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, जिसमें पाकिस्तान को टाटा सूमो बेचे जाने की बात से इनकार किया गया हो। रतन टाटा और टाटा समूह ने कभी भी सार्वजनिक रूप से ऐसा कोई बयान नहीं दिया है, और यह पूरी तरह से एक मिथक है जिसे बिना किसी आधार के बार-बार फैलाया जाता है।

तथ्य की पुष्टि

खबरों की मानें तो, यह अफवाह पहली बार करीब छह साल पहले सोशल मीडिया पर सामने आई थी, और इसके बाद से इसे समय-समय पर दोहराया जाता रहा है। लेकिन यह एक गलत जानकारी है, जिसका कोई आधार नहीं है।

ऐसी पोस्ट 2012 से शेयर की जा रही है, जिसे 6 साल पहले ही खारिज किया जा चुका है। लेकिन फिर भी यह पोस्ट समय-समय पर सोशल मीडिया पर दिखाई देती है। दरअसल, भारत और पाकिस्तान (India and Pakistan Relation) के बीच किसी भी तरह के उच्च स्तरीय व्यापार पर भारत सरकार ने पहले ही प्रतिबंध लगा रखा है। इसलिए पाकिस्तान सरकार और टाटा समूह के बीच इस तरह का कोई व्यापार प्रस्ताव संभव नहीं है।

आपको बता दें कि यह खबर सबसे पहले BharathAutos की वेबसाइट पर पोस्ट की गई थी। लेकिन सच्चाई सामने आने के बाद कंपनी ने उस पोस्ट को अपनी वेबसाइट से हटा दिया और माफी भी जारी की।

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Punjab School: पंजाब के इस सरकारी स्कूल के सामने बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूल भी फीके, कुलजीत सिंह गोसल को जाता है इसका सारा श्रेय

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Government Secondary School Naranwali
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पंजाब के गुरदासपुर में एक ऐसा स्कूल है (Government School in Gurdaspur), जिसके सामने वहां के बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूल भी फीके पड़ जाते हैं। आज इस स्कूल में वो सभी तरह की सुविधाएं हैं जो छात्रों के भविष्य निर्माण के लिए जरूरी हैं। लेकिन ये स्कूल शुरू से ऐसा नहीं था। कुछ साल पहले स्कूल के नाम पर बंजर जमीन पर बने छोटे-छोटे कमरे ही थे। लेकिन आज इस स्कूल में बच्चों के खेलने के लिए मैदान और पढ़ाई के लिए कंप्यूटर लैब है। इस स्कूल की कायापलट के पीछे कुलजीत सिंह गोसल (Kuljit Singh Gosal) का हाथ है। कुलजीत सिंह अब ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। वो 1996 में ऑस्ट्रेलिया गए थे, लेकिन हमेशा से उनका सपना था कि वो अपना स्कूल बदलें और अब उनका ये सपना हकीकत में बदल गया है।

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कुलजीत सिंह गोसल ने बदल दी स्कूल की सूरत- Government Secondary School, Naranwali

किसी भी प्राइवेट स्कूल को कड़ी टक्कर देने वाला सरकारी प्राइमेरी स्मार्ट स्कूल, नारनवाली (Government Secondary School Naranwali) अब आस-पास के इलाकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बदलाव का श्रेय इस स्कूल में पढ़ने वाले कुलजीत सिंह गोसल को जाता है। कुलजीत सिंह अब ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं। वे 1996 में ऑस्ट्रेलिया चले गए थे, लेकिन उनका हमेशा से सपना था कि वे अपने स्कूल को बदलें और अब उनका यह सपना हकीकत में बदल गया है। इस काम में उन्होंने 1.5 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

Kuljit Singh Gosal
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स्कूल की स्थिति में बदलाव

बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस स्कूल के जीर्णोद्धार की घोषणा 2016 में की गई थी। इसके बाद 2017 में काम शुरू हुआ और 2019 में जीर्णोद्धार का काम पूरा हुआ। इसके बाद 2021 में मिडिल स्कूल का जीर्णोद्धार शुरू हुआ और 2023 में यह काम पूरा हुआ। उनकी उदारता और योगदान से स्कूल की संरचना, बुनियादी ढांचे और शिक्षा के स्तर में व्यापक सुधार हुआ है। इस बदलाव में निम्नलिखित प्रमुख पहल शामिल हो सकती हैं:

– नवीनतम शिक्षण उपकरणों की उपलब्धता

– इंफ्रास्ट्रक्चर का सुधार (जैसे स्कूल बिल्डिंग, कक्षाओं का नवीनीकरण)

– छात्रों के लिए आधुनिक सुविधाओं की व्यवस्था (जैसे कंप्यूटर लैब, स्मार्ट क्लासरूम्स)

योगदान की प्रेरणा:

कुलजीत सिंह का अपने स्कूल के प्रति यह भाव उनके जड़ों से जुड़े रहने और अपने समुदाय के प्रति कृतज्ञता की भावना को दर्शाता है। भले ही वे विदेश में रहते हैं, लेकिन उनका अपने गांव और स्कूल के प्रति जुड़ाव कभी कम नहीं हुआ। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि गांव के बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त कर सकें और उन्हें अच्छी सुविधाएं मिलें।

Government Secondary School Naranwali
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स्कूल में किए गए बदलाव

कुलजीत सिंह ने स्कूल की पुरानी और जीर्ण-शीर्ण इमारतों का जीर्णोद्धार कर उन्हें आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया। इसके तहत स्कूल की कक्षाओं का जीर्णोद्धार किया गया, दीवारों की रंगाई-पुताई की गई और बैठने की बेहतर व्यवस्था की गई। उन्होंने स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम की व्यवस्था की, जिसमें प्रोजेक्टर, कंप्यूटर और अन्य डिजिटल उपकरण लगाए गए। इससे बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाई का अनुभव मिल रहा है और वे आधुनिक तकनीक का लाभ उठा रहे हैं। कुलजीत सिंह ने स्कूल में अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब भी स्थापित की, ताकि छात्र कंप्यूटर शिक्षा प्राप्त कर सकें और आधुनिक युग की तकनीक में पारंगत हो सकें।

Government Secondary School Naranwali
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कुलजीत सिंह की इस उदारता और उनके प्रयासों से यह साबित होता है कि विदेश में बसने के बाद भी व्यक्ति अपने समाज के विकास में अहम योगदान दे सकता है। उनका यह कदम न केवल उनके स्कूल बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बन गया है।

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अजय देवगन ने पहली ही फिल्म से मचा दिया था गर्दा, एक्टर का एक्शन देख धर्मेंद्र भी खुद को नहीं रोक पाए, बोले ‘ये मेरा तीसरा बेटा है…’

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Ajay Devgan Phool Aur Kaante film
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अजय देवगन (Ajay Devgan) बॉलीवुड के सबसे सफल और प्रतिभाशाली अभिनेताओं में से एक हैं, जो अपने दमदार अभिनय, एक्शन और विविध भूमिकाओं के लिए जाने जाते हैं। बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका असली नाम विशाल वीरू देवगन (Vishal Veeru Devgan) है। अजय देवगन के पिता वीरू देवगन (Ajay Devgan’s father Veeru Devgan) बॉलीवुड के मशहूर एक्शन डायरेक्टर थे। जिस वजह से अजय भी बॉलीवुड की तरफ आकर्षित हुए और एक्टर बनने की राह चुनी। अजय देवगन ने 1991 में फिल्म ‘फूल और कांटे’ (Phool Aur Kaante) से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। यह एक एक्शन रोमांस फिल्म थी और काफी हिट रही थी। एक्टर का एक्शन देख धर्मेंद्र भी खुद को रोक नहीं पाए थे।

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अजय देवगन का एक्शन- Ajay Devgan Action

अजय देवगन का जन्म 2 अप्रैल 1969 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। अजय ने अपने करियर की शुरुआत 1991 में फिल्म “फूल और कांटे” से की थी जो सुपरहिट साबित हुई थी। फिल्म में दो मोटरसाइकिलों पर खड़े होकर किए गए उनके स्टंट ने उन्हें रातों-रात “एक्शन हीरो” के रूप में मशहूर कर दिया। इस फिल्म ने न सिर्फ अजय देवगन को बॉलीवुड में एक एक्शन हीरो के तौर पर स्थापित किया, बल्कि इसमें उनकी दमदार एंट्री और एक्टिंग ने उन्हें रातों-रात स्टार बना दिया।

फूल और कांटे के लिए मिला अवार्ड- Phool Aur Kaante Award

खबरों की मानें तो अजय देवगन को उनके करियर का पहला अवार्ड फिल्म “फूल और कांटे”  के लिए मिला था, और यह अवार्ड उन्हें धर्मेंद्र के हाथों प्राप्त हुआ। यह घटना बॉलीवुड के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पल मानी जाती है, क्योंकि धर्मेंद्र ने उस समय अजय देवगन को सिर्फ एक उभरते सितारे के रूप में नहीं देखा, बल्कि उन्हें अपने बेटे की तरह सम्मानित किया।

धर्मेन्द्र- ये मेरा तीसरा बेटा है

धर्मेंद्र ने अजय देवगन को फिल्म “फूल और कांटे” के लिए अवॉर्ड देते हुए बेहद खास और भावुक शब्दों का इस्तेमाल किया। अजय देवगन को अवॉर्ड देते हुए धर्मेंद्र ने कहा, “यह मेरा तीसरा बेटा है।” यह कथन अजय देवगन के लिए एक बड़ी तारीफ और प्रेरणा थी, क्योंकि धर्मेंद्र खुद बॉलीवुड के आइकॉनिक एक्शन हीरो माने जाते हैं ।

अजय देवगन का फिल्म करियर- Ajay Devgan’s Film Career

अजय के करियर के लिए उनकी डैब्यू फिल्म टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसके बाद  अजय देवगन ने अपने करियर में कई तरह की फिल्मों में काम किया है, जिसमें एक्शन, कॉमेडी, ड्रामा और रोमांस शामिल हैं। उन्होंने कई यादगार और प्रतिष्ठित फिल्मों में अपनी पहचान बनाई है, जैसे “ज़ख्म”, “हम दिल दे चुके सनम”, “गंगाजल”, “दृश्यम” और “सिंघम”।

बता दें, अजय देवगन को दो बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, जो उनकी अद्भुत अभिनय प्रतिभा का प्रमाण है। अपने करियर में, उन्होंने न केवल अभिनय किया है, बल्कि फिल्म निर्माण और निर्देशन में भी कदम रखा है।

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ये है रतन टाटा की पहली और आखिरी फिल्म, जमकर बहाया पैसा लेकिन बड़े स्टार्स भी नहीं बचा पाए थे लाज

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Ratan Tata Film Aitbar
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भारत के दिग्‍गज उद्योगपति रतन टाटा 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए. उन्होंने बीती रात मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्‍पताल में आखिरी सांस ली. रतन टाटा के निधन की खबर जानकर देशभर में शोक की लहर है. बॉलीवुड सेलेब्स ने सोशल मीडिया पर रिएक्ट करते हुए रतन टाटा के ना रहने पर दु:ख जताया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रतन टाटा को फिल्में भी काफी पसंद थी. उन्होंने एक फिल्म भी बनाई थी, जो उनके करियर की पहली और आखिरी फिल्म बन गई थी. इस फिल्म में उनका पैसा भी डूब गया था.

कौन सी थी वो फिल्म

जैसा कि आप सब यह तो जानते हैं कि रतन टाटा ने हर फील्ड में अपना बिज़नेस खड़ा किया है. वो जिस फील्ड में उतरे उस फील्ड में सफलता उनके कदमों में रही. लेकिन आपको यह नहीं मालूम होगा कि उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में भी हाथ अजमाया लेकिन उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनका ये पैसा डूब जाएगा. इस फिल्म को बिजनेस टाइकून रतन टाटा ने “टाटा इन्फोमीडिया” के बैनर तले बनाया था. इस फिल्म को डायरेक्टर विक्रम भट्ट ने डायरेक्ट किया था. यह फिल्म रोमांटिक साइकोलॉजिकल फिल्म थी.

इसमें बॉलीवुड के कई बड़े सितारों को कास्ट किया गया था. लेकिन फिर भी यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर जादू नहीं चला सकी और रिलीज होते ही बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गई. ये फिल्म कोई और नहीं बल्कि ‘ऐतबार’ थी. इसमें बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन के अलावा एक्ट्रेस बिपाशा बसु और एक्टर जॉन अब्राहम मुख्य किरदार में थे.

रतन टाटा की प्रोड्यूस की गई ये फिल्म साल 1996 में आई अमेरिकन मूवी ‘फियर’ से इंस्पायर्ड थी. इस फिल्म में अमिताभ एक ऐसे पिता भूमिका निभा रहे थे, जो अपनी बेटी को सिरफिरे आशिक से बचाने करे लिए हर कीमत चुकाने को तैयार था. इस फिल्म में बेटी का रोल बिपाशा बसु ने निभाया था जबकि साइको लवर का रोल जॉन अब्राहम ने निभाया था. लेकिन ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर आते ही औंधे मुंह गिरी जिसका जरा सा भी अनुमान नहीं था.

फिल्म का टोटल कलेक्शन 

इस फिल्म की इतनी बुरी हालत हुई कि हर कोई शॉक्ड रह गया. वही  अगर इस फिल्म के टोटल कलेक्शन की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस फिल्म ने भारत में 4.25 करोड़ का कलेक्शन किया, जबकि इसका वर्ल्डवाइड कलेक्शन 7.96 करोड़ था. ये फिल्म अपना बजट भी नहीं निकाल पाई. फिल्म का बजट करीबन 9.50 करोड़ था. इस फिल्म की बुरी हालत देखने के बाद रतन टाटा ने फिर दोबारा फिल्म के बिजनेस में पैसा नहीं लगाया.

रतन टाटा के निधन से बॉलीवुड में शोक

बॉलीवुड स्टार्स सलमान खान, प्रियंका चोपड़ा, अनुष्का शर्मा, अनन्या पांडे, गौहर खान, रणवीर सिंह, धर्मेंद्र, रोहित शेट्टी, भूमि पेडनेकर, करण जौहर, सुष्मिता सेन, अर्जुन कपूर समेत कई बड़े स्टार्स ने नम आँखों से रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी है. और सब ने रतन टाटा को रियल हीरो बताया है. वही रतन टाटा की करीबी दोस्त रहीं सिमी ग्रेवाल भी दुख में हैं. अपने दोस्त के जाने का उन्हें बेहद गम है. सिमी ने पोस्ट में लिखा- वो कहते हैं तुम चले गए, तुम्हारे जाने के नुकसान की भरपाई करना मुश्किल होगा, मेरे दोस्त को फेरवेल.. इसके अलावा सदी के नायक अमिताभ बच्चन ने रतन टाटा को याद करते हुए x पर लिखा- बस अभी रतन टाटा के निधन की जानकारी मिली देर तक काम कर रहा था. एक दौर का अंत हो गया है. वो सबसे सम्मानजनक, हंबल और विजिनरी लीडर थे.