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US Airstrike Syria: अमेरिकी सेना की एयर स्ट्राइक में अलकायदा से जुड़े आतंकी संगठन का ...

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US Airstrike Syria: उत्तर-पश्चिमी सीरिया में अमेरिकी सेना ने एक सटीक हवाई हमले में अलकायदा से जुड़े आतंकी संगठन हुर्र-अल-दीन के एक वरिष्ठ कमांडर को मार गिराया। अमेरिकी सेंट्रल कमांड (CENTCOM) ने रविवार को जारी बयान में इस हमले की पुष्टि की। सेना के मुताबिक, यह ऑपरेटिव आतंकी संगठन में वित्त और रसद मामलों का वरिष्ठ अधिकारी था। यह हमला क्षेत्र में आतंकवाद को बाधित करने और अमेरिका व उसके सहयोगियों की सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया।

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आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी सेना का बड़ा कदम US Airstrike Syria

सेंट्रल कमांड ने कहा कि यह ऑपरेशन आतंकवादियों द्वारा अमेरिका, उसके सहयोगी देशों और सैन्य कर्मियों पर संभावित हमलों को रोकने के लिए किया गया था। अमेरिकी सेना की इस कार्रवाई को आतंकवाद के खिलाफ चल रही वैश्विक मुहिम का हिस्सा बताया जा रहा है। यह हमला अमेरिका की उस नीति को भी दर्शाता है, जिसमें वह आतंकवादियों को उनके ठिकानों पर ही खत्म करने का प्रयास करता है।

US Airstrike Syria Al Qaeda
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सेंट्रल कमांड का बयान

सेंट्रल कमांड के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने इस ऑपरेशन को लेकर कहा, “हम अपनी मातृभूमि और क्षेत्र में अमेरिका, उसके सहयोगी और साझेदार कर्मियों की रक्षा के लिए आतंकवादियों का लगातार पीछा करना जारी रखेंगे।” उन्होंने आगे कहा कि यह हमला केवल एक शुरुआत है और आतंकवाद को खत्म करने के लिए अमेरिका की कार्रवाई जारी रहेगी।

इराक में भी आतंकियों पर हमला

यह हमला इराक के रावा इलाके में इराकी सुरक्षा बलों द्वारा किए गए हवाई हमले के तीन दिन बाद हुआ, जिसमें ISIS के पांच ऑपरेटिव मारे गए थे। यह दर्शाता है कि अमेरिका और उसके सहयोगी देश आतंकवाद के खिलाफ आक्रामक रणनीति अपना रहे हैं और आतंकी संगठनों को कमजोर करने के लिए लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं।

US Airstrike Syria Al QaedaUS Airstrike Syria Al Qaeda
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सीरिया में बढ़े अमेरिकी हमले

पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी सेना ने सीरिया में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाकर कई हमले किए हैं। इससे पहले 30 जनवरी को अमेरिकी सेना ने उत्तरी-पश्चिमी सीरिया में एक एयर स्ट्राइक की थी, जिसमें हुर्र-अल-दीन के एक अन्य वरिष्ठ कमांडर मुहम्मद सलाह अल-जबीर मारा गया था। इस हमले के बाद आतंकवादी संगठनों में हलचल मच गई थी।

हुर्र-अल-दीन पर अमेरिका की सख्ती

हुर्र-अल-दीन को अमेरिका ने 2019 में एक आतंकवादी संगठन घोषित किया था और इसके कई सदस्यों पर इनाम भी रखा गया है। यह संगठन सीरिया में अल-कायदा से संबद्ध है और विभिन्न आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त रहा है। अमेरिकी सेना का मानना है कि इस तरह के ऑपरेशनों से आतंकवादी नेटवर्क को कमजोर किया जा सकता है।

अमेरिकी सेना की यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ उसकी कठोर नीति को दर्शाती है। अमेरिका ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि वह आतंकवादी संगठनों को पनपने नहीं देगा और वैश्विक सुरक्षा बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाता रहेगा। इस हमले के बाद क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति पर और कड़े कदम उठाए जाने की संभावना जताई जा रही है।

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Elon Musk’s DOGE funding News: पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा के बाद बड़ा फैसला, च...

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Elon Musk’s DOGE funding News: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिकी यात्रा के कुछ ही दिनों बाद एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। अमेरिकी सरकार के कार्यदक्षता विभाग (DOGE) ने सरकारी खर्चों में भारी कटौती की घोषणा की है, जिसमें भारत के चुनावों में मतदाता भागीदारी बढ़ाने के लिए दिए जाने वाले 2.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग भी शामिल है। इसके अलावा, बांग्लादेश और नेपाल सहित कई अन्य देशों की फंडिंग भी रोक दी गई है।

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ट्रंप के फैसले से कटी चुनावी फंडिंग- Elon Musk’s DOGE funding News

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में मशहूर उद्योगपति और टेस्ला-एक्स के मालिक एलन मस्क को DOGE विभाग का प्रमुख नियुक्त किया था। इस विभाग का मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में कमी करना और फिजूलखर्ची को रोकना है। शनिवार को इस विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर विभिन्न परियोजनाओं की फंडिंग में कटौती की जानकारी दी। इसमें भारत में चुनावों से जुड़ी फंडिंग का जिक्र भी किया गया, जिससे बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।

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बीजेपी ने जताई चिंता, ‘बाहरी हस्तक्षेप’ बताया

अमेरिकी सरकार द्वारा भारत की चुनावी प्रक्रिया में दी जाने वाली फंडिंग पर रोक लगाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने इसे भारत के चुनावों में ‘बाहरी हस्तक्षेप’ करार दिया। उन्होंने सवाल किया कि इस राशि का असल लाभार्थी कौन था और क्या यह भारतीय लोकतंत्र के लिए उचित था?

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मालवीय ने ‘एक्स’ पर लिखा, “चुनाव में मतदाताओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए 2.1 करोड़ अमेरिकी डॉलर? यह निश्चित रूप से भारत की चुनावी प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप है। इससे किसे लाभ होगा? निश्चित रूप से सत्तारूढ़ पार्टी को नहीं!” उन्होंने इस फंडिंग को संप्रग (यूपीए) सरकार की कथित नीति से जोड़ते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार के समय भारत के हितों के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को संस्थानों में घुसपैठ करने में मदद मिली थी।

प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा और मस्क से मुलाकात

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब कुछ दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर गए थे। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और एलन मस्क से भी मुलाकात की थी। मस्क ने अपने परिवार के साथ पीएम मोदी से मुलाकात की और दोनों ने अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा क्षेत्र में अवसरों पर चर्चा की। इस यात्रा के तुरंत बाद DOGE द्वारा भारत समेत कई देशों के लिए फंडिंग में कटौती किए जाने से विभिन्न राजनीतिक अटकलों को बल मिला है।

बांग्लादेश और नेपाल की फंडिंग भी बंद

DOGE विभाग ने न केवल भारत बल्कि बांग्लादेश और नेपाल की कई परियोजनाओं की फंडिंग को भी बंद करने का ऐलान किया है। अमेरिकी पोस्ट के अनुसार, बांग्लादेश में ‘राजनीतिक परिदृश्य को मजबूत करने’ के लिए दी जाने वाली 2.9 करोड़ डॉलर की फंडिंग को रद्द कर दिया गया है। वहीं, नेपाल में ‘राजकोषीय संघवाद’ के लिए 2 करोड़ डॉलर और ‘जैव विविधता संरक्षण’ के लिए 1.9 करोड़ डॉलर की फंडिंग भी रोक दी गई है।

अन्य देशों की फंडिंग पर भी चला ‘हथौड़ा’

DOGE विभाग ने सिर्फ भारत, बांग्लादेश और नेपाल ही नहीं, बल्कि कई अन्य देशों की परियोजनाओं की फंडिंग पर भी कैंची चला दी है।

  • मोज़ाम्बिक: ‘स्वैच्छिक चिकित्सा पुरुष खतना’ के लिए 1 करोड़ डॉलर की फंडिंग रोक दी गई।
  • कंबोडिया: ‘स्वतंत्र आवाज को मजबूत करने’ के लिए 23 लाख डॉलर की फंडिंग भी कट गई।
  • सर्बिया: ‘सार्वजनिक खरीद में सुधार’ के लिए 1.4 करोड़ डॉलर की फंडिंग को भी रोक दिया गया।
  • एशिया: ‘सीखने के परिणामों में सुधार’ के लिए 4.7 करोड़ डॉलर की फंडिंग को भी समाप्त कर दिया गया।

USAID की वेबसाइट हुई बंद, बड़ा बदलाव संभव

इस पूरे घटनाक्रम से पहले ही अमेरिकी एजेंसी USAID ने अपने सभी मानवीय कार्यों को रोकने की घोषणा कर दी थी। 7 फरवरी को एबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, USAID अधिकारियों ने बताया कि दुनियाभर में इसके सभी मानवीय कार्य रोक दिए गए हैं। मस्क की इस घोषणा के बाद एजेंसी की वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया था। वहीं, ट्रंप की ओर से नामित एक न्यायाधीश ने एक अस्थायी निषेधाज्ञा आदेश जारी कर दिया, जिससे राष्ट्रपति और विभाग को 2,200 कर्मचारियों को प्रशासनिक अवकाश पर भेजने से रोक दिया गया।

अमेरिकी सरकार द्वारा भारत में चुनावी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली 2.1 करोड़ डॉलर की फंडिंग पर रोक लगाना एक बड़ा कदम है, जो प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी यात्रा के बाद आया है। बीजेपी ने इसे बाहरी हस्तक्षेप के रूप में देखा है, जबकि इस कटौती का असल प्रभाव आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। इसके अलावा, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य देशों की फंडिंग पर भी रोक लगाने से यह सवाल उठ रहा है कि क्या अमेरिका अपने सरकारी खर्चों में बड़े बदलाव करने की दिशा में बढ़ रहा है?

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New Delhi Railway Incident: नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़, 18 की मौत खिड़की-गेट से ...

New Delhi Railway Incident: शनिवार रात को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयागराज महाकुंभ जाने वाली भीड़ के कारण भगदड़ मच गई। इस हादसे में 10 महिलाओं, 3 बच्चों समेत 18 लोगों की मौत हो गई। तो चलिए आपको इस लेख में पुरे मामले के बारे में बताते है।

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जानें क्या है पूरा मामला ? 

बीती रात प्रयागराज महाकुंभ में जा रहे यात्रीयो की भीड़ के कारण शनिवार रात नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मच गई। इस हादसे में 10 महिलाओं और 3 बच्चों समेत 18 लोगों की मौत हो हाई है। घायलों को इलाज के लिए एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वही दिल्ली के एलजी ने अस्पताल में घायलों से मुलाकात की। इससे पहले पीएम मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हादसे पर दुख जताया।

आपको बता दें, इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस की ओर से जारी की गई। डीसीपी ने बताया कि सीएमआई के अनुसार स्टेशन पर हर घंटे 1,500 जनरल टिकटों की भी बिक्री हुई और ये यात्री भी प्लेटफॉर्म पर पहुंच गए। इसके चलते प्लेटफॉर्म 14 और प्लेटफॉर्म 16 पर एस्कलेटर के पास भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई।

भीड़ को देखते हुए विशेष ट्रेनें

दिल्ली अग्निशमन सेवा के प्रमुख अतुल गर्ग ने कहा कि बचाव कार्य में मदद के लिए अधिकारियों ने तुरंत मौके पर बचाव दल और दमकल की चार गाड़ियों को भेजा गया। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) हिमांशु शेखर उपाध्याय ने कहा कि भारी भीड़ के कारण कुछ यात्रियों ने एक-दूसरे को धक्का दे दिया, जिससे कुछ यात्रियों को चोटें आईं। प्राथमिक उपचार के लिए उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
वहीं, सोशल मीडिया पोस्ट में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने भी कहा कि स्टेशन पर हालात नियंत्रण में हैं। दिल्ली पुलिस और सेंट्रल रिजर्व पुलिस बल के जवान मौके पर हैं। घायलों को अस्पताल ले जाया गया है। भीड़ को देखते हुए विशेष ट्रेनें चलाई जा रही हैं।

तेजस्वी यादव ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा

तेजस्वी यादव ने घटना पर दुख जताया और रेलवे स्टेशन पर की गई व्यवस्थाओं पर भी सवाल उठाए. तेजस्वी यादव ने सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ से मची अव्यवस्था और असामयिक मौतों से मन दुखी है. इतने सरकारी संसाधनों के बावजूद भगदड़ में श्रद्धालु अपनी जान गंवा रहे हैं और डबल इंजन की सरकार इन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं पर लीपापोती कर पीआर करने में व्यस्त है. आम लोगों और श्रद्धालुओं की बजाय सरकार का ध्यान मीडिया मैनेजमेंट, वीआईपी लोगों की सुविधाओं और व्यवस्थाओं तक सीमित है.” उन्होंने आगे कहा कि दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवारों के साथ हैं.

Sikhism in Kenya: केन्या में सिख समुदाय का ऐतिहासिक सफर!  प्रवास से समृद्धि तक, संघर्...

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Sikhism in Kenya: केन्या में सिख समुदाय की अनुमानित संख्या लगभग 20,000 है। यह समुदाय दशकों से यहां बसा हुआ है और इसने देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। केन्या में कई गुरुद्वारे स्थित हैं, जो सिख समुदाय की धार्मिक आस्था और एकजुटता का प्रतीक हैं।

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केन्या में सिखों का आगमन और इतिहास- Sikhism in Kenya

सिखों का पूर्वी अफ्रीका में आगमन 1890 के दशक में शुरू हुआ। उस समय भारतीय उपमहाद्वीप से कई लोग रेलवे निर्माण परियोजनाओं के तहत काम करने के लिए यहां आए थे। सिखों को उनकी मजदूरी, ईमानदारी, कड़ी मेहनत और कुशलता के लिए जाना जाता था। उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष से खुद को एक सम्मानित समुदाय के रूप में स्थापित किया।

 

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केन्या में सिखों की प्रमुख भूमिका तब शुरू हुई जब ब्रिटिश सरकार ने युगांडा रेलवे निर्माण के लिए भारत से मजदूरों और कारीगरों को बुलाया। सिखों को कुशल बढ़ई, लोहार और राजमिस्त्री के रूप में जाना जाता था। रेलवे के निर्माण के दौरान कई शेरों के हमलों और कठिनाइयों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने अपना काम जारी रखा और रेलवे को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई।

सिखों को उनकी बहादुरी और अनुशासन के कारण जल्द ही पुलिस बलों और प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किया गया। उन्होंने पूर्वी अफ्रीका में कानून और व्यवस्था बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सिख समुदाय का विस्तार और योगदान

रेलवे निर्माण पूरा होने के बाद, कई सिख वापस भारत लौट गए, लेकिन कई अन्य केन्या में ही बस गए। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में काम किया, जिनमें शामिल हैं:

  • निर्माण और सिविल इंजीनियरिंग
  • फर्नीचर निर्माण
  • कृषि और व्यापार
  • स्वास्थ्य सेवाएं
  • शिक्षा और प्रशासन

सिख समुदाय ने गुरुद्वारों का निर्माण किया, जो न केवल धार्मिक गतिविधियों के केंद्र बने बल्कि सामाजिक मेलजोल और शिक्षा का भी केंद्र बने। कई खालसा स्कूलों की स्थापना की गई, जिनमें सभी जातियों और धर्मों के बच्चों को शिक्षा दी जाती थी।

केन्या में सिखों का धार्मिक जीवन

केन्या में सिखों ने अपने धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखा है। उन्होंने कई गुरुद्वारे बनाए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख इस प्रकार हैं:

  1. ईस्ट अफ्रीका रामगढ़िया बोर्ड
  2. सीरी गुरुद्वारा बाजार
  3. नामधारी संगत
  4. सीरी गुरु सिंह सभा
  5. बाल्मीकि मंदिर
  6. रामगढ़िया रेलवे गुरुद्वारा

गुरुद्वारे केवल पूजा स्थलों के रूप में सीमित नहीं हैं; ये सामुदायिक सभाओं, शिक्षा और सामाजिक कार्यों के लिए भी उपयोग किए जाते हैं।

सिखों का आर्थिक और सामाजिक योगदान

सिखों ने केन्या की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने कौशल और ज्ञान का उपयोग करके कई क्षेत्रों में योगदान दिया, जैसे:

  • इंजीनियरिंग और मैकेनिक्स: सिखों ने शुरुआती दिनों में बैलगाड़ियों और फिर मोटर वाहनों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • स्वास्थ्य सेवाएं: सिखों ने अस्पतालों, क्लीनिकों और डिस्पेंसरियों की स्थापना की, जिससे स्थानीय समुदाय को स्वास्थ्य सेवाएं मिलीं।
  • शिक्षा: सिख समुदाय ने कई विद्यालय और कॉलेज स्थापित किए, जिससे हजारों विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला।
  • खेल: सिखों ने हॉकी, क्रिकेट, टेबल टेनिस और अन्य खेलों में भाग लिया और कई प्रतियोगिताएं जीतीं।

राजनीतिक और सामाजिक जीवन में भूमिका

सिख समुदाय ने केन्या की राजनीति में भी योगदान दिया है। नैरोबी सिटी काउंसिल में सिखों ने उच्च पदों पर कार्य किया। नैरोबी के पहले एशियाई डिप्टी मेयर भी एक सिख थे (अल्डरमैन मोहन सिंह)।

हालांकि, राजनीति में उनकी भागीदारी सीमित रही है। अधिकांश सिखों ने खुद को व्यापार और प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त रखा है।

सिखों का वर्तमान और भविष्य

आज, केन्या में सिख समुदाय एक मध्यम आय वर्ग के रूप में स्थापित है। वे अब व्यवसाय, चिकित्सा, शिक्षा, इंजीनियरिंग और प्रशासन जैसे क्षेत्रों में सफलता प्राप्त कर चुके हैं। केन्या में सिख समुदाय सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।

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Ashutosh Gowariker 5 Top Movies: हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देशक और उनकी 5 बेहतरीन फि...

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Ashutosh Gowariker 5 Top Movies: हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध निर्देशक आशुतोष गोवारिकर का नाम उन फिल्ममेकर्स में शुमार है, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को ऐतिहासिक और पीरियड ड्रामा फिल्मों की एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। 15 फरवरी 1964 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर में जन्मे गोवारिकर ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता की थी। उन्होंने शाहरुख खान के टीवी शो ‘सर्कस’ और मशहूर क्राइम शो ‘CID’ में भी काम किया। हालांकि, बाद में उन्होंने निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा और अपनी अलग पहचान बनाई।

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आशुतोष गोवारिकर का सिनेमा इतिहास, भारतीय संस्कृति और देशभक्ति से जुड़ा रहा है। उनकी फिल्मों को दर्शकों और क्रिटिक्स दोनों की सराहना मिली है। आज उनके 61वें जन्मदिन के मौके पर हम उनकी 5 बेहतरीन फिल्मों पर नजर डालते हैं, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसी हुई हैं।

जोधा अकबर (2008) -Ashutosh Gowariker 5 Top Movies

ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय बच्चन अभिनीत यह फिल्म मुगल सम्राट अकबर और राजपूत राजकुमारी जोधा बाई की प्रेम कहानी पर आधारित थी। भव्य सेट, ऐतिहासिक सटीकता और बेहतरीन निर्देशन के कारण यह फिल्म हिंदी सिनेमा की बेहतरीन पीरियड ड्रामा फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म को ‘साओ पाउलो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल’ में ‘बेस्ट विदेशी भाषा फिल्म’ का अवॉर्ड भी मिला था।

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प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स

खेलें हम जी जान से (2010)

यह फिल्म भारत के स्वतंत्रता संग्राम की सच्ची घटना ‘चिट्टागांव विद्रोह’ पर आधारित थी। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन, दीपिका पादुकोण और सिकंदर खेर मुख्य भूमिका में थे। फिल्म में स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायकों की कहानी दिखाई गई थी। हालांकि, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन इसके देशभक्ति से भरपूर विषय और निर्देशन को खूब सराहा गया।

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प्लेटफॉर्म: यूट्यूब

लगान (2001)

आमिर खान स्टारर ‘लगान’ 2001 में रिलीज हुई थी और यह भारतीय सिनेमा की सबसे महत्वपूर्ण फिल्मों में से एक मानी जाती है। इस फिल्म में अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय किसानों के संघर्ष को एक क्रिकेट मैच के रूप में दिखाया गया था। फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और यह ब्लॉकबस्टर साबित हुई।

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इस फिल्म को 2002 के ऑस्कर अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज फिल्म’ के लिए नामांकित किया गया था। हालांकि, यह ‘नो मैन्स लैंड’ से पीछे रह गई, लेकिन इसने 8 फिल्मफेयर अवॉर्ड्स जीते थे।

प्लेटफॉर्म: नेटफ्लिक्स

मोहनजोदड़ो (2016)

ऋतिक रोशन और पूजा हेगड़े अभिनीत यह फिल्म सिंधु घाटी सभ्यता की पृष्ठभूमि पर आधारित थी। फिल्म के लिए काफी रिसर्च की गई थी और इसे एक भव्य ऐतिहासिक फिल्म के रूप में पेश किया गया। हालांकि, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर पाई, लेकिन इसमें ऋतिक रोशन के अभिनय को समीक्षकों की सराहना मिली।

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प्लेटफॉर्म: डिज्नी प्लस हॉटस्टार

स्वदेस (2004)

शाहरुख खान स्टारर ‘स्वदेस’ भारतीय सिनेमा की एक संवेदनशील और प्रेरणादायक फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म में एक NRI वैज्ञानिक की कहानी दिखाई गई है, जो अमेरिका से भारत लौटता है और अपने गांव के विकास और बदलाव के लिए प्रयास करता है। इस फिल्म के भावनात्मक दृश्यों, सामाजिक संदेश और मधुर संगीत ने इसे हिंदी सिनेमा की मील का पत्थर बना दिया।

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हालांकि, बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म बहुत बड़ी हिट नहीं रही, लेकिन समय के साथ यह एक कल्ट क्लासिक बन गई। फिल्म के गाने ‘ये जो देश है तेरा’ और ‘पल पल है भारी’ आज भी लोगों के दिलों में बसे हैं।

प्लेटफॉर्म: प्राइम वीडियो

आशुतोष गोवारिकर ने हिंदी सिनेमा को कई ऐतिहासिक और प्रेरणादायक फिल्में दी हैं। उनकी फिल्में भारतीय इतिहास, संस्कृति और समाज के गहरे पहलुओं को छूती हैं। चाहे वह ‘लगान’ हो या ‘स्वदेस’, उनकी कहानियां आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं।

उनकी फिल्मों की भव्यता, रिसर्च, और गहराई उन्हें अन्य निर्देशकों से अलग बनाती है। उनकी अगली फिल्म का दर्शकों को बेसब्री से इंतजार रहेगा।

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American Aircraft F-35: प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिकी दौरे पर एफ-35 ऑफर, एलन मस्क की आ...

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American Aircraft F-35: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को अत्याधुनिक एफ-35 फाइटर जेट देने की पेशकश की। यह विमान दुनिया के सबसे घातक लड़ाकू विमानों में गिना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में इसके साथ हुई दुर्घटनाओं और तकनीकी खामियों ने इस पर कई सवाल खड़े किए हैं।

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एफ-35: एक महंगा लेकिन विवादास्पद फाइटर जेट- American Aircraft F-35

एफ-35 को अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने विकसित किया है। यह एक सिंगल-इंजन, सिंगल-सीट स्टील्थ मल्टीरोल फाइटर जेट है, जिसे हवा से हवा में युद्ध, हवा से जमीन पर हमला और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए डिजाइन किया गया है।

हालांकि, इस विमान की कीमत और रखरखाव खर्च बहुत अधिक है। इसके अलावा, 2018 से अब तक 12 एफ-35 दुर्घटनाग्रस्त हो चुके हैं। हाल ही में, नवंबर 2024 में, अमेरिका के अलास्का एयरफोर्स बेस पर एक एफ-35 क्रैश हो गया था, हालांकि पायलट सुरक्षित बच गए थे।

एलन मस्क की आलोचना: एफ-35 को बताया बेकार

दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति और टेक उद्योग के दिग्गज एलन मस्क भी एफ-35 की आलोचना कर चुके हैं। उनके पुराने ट्वीट्स अब फिर से वायरल हो रहे हैं, जिनमें उन्होंने कहा था:

  • “कुछ बेवकूफ अभी भी मानवयुक्त लड़ाकू जेट बना रहे हैं, जबकि ड्रोन टेक्नोलॉजी बेहतर विकल्प है।”
  • “एफ-35 का डिज़ाइन खराब है, यह बहुत महंगा है और किसी भी क्षेत्र में महारत नहीं रखता। यह इतिहास का सबसे खराब सैन्य निवेश है।”

डोनाल्ड ट्रंप का बयान: भारत को एफ-35 देने की योजना

डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि भारत-अमेरिका की रक्षा साझेदारी को और मजबूत किया जाएगा। ट्रंप ने कहा, “इस वर्ष से हम भारत को कई अरब डॉलर की सैन्य बिक्री बढ़ाएंगे और एफ-35 विमान की आपूर्ति का मार्ग प्रशस्त करेंगे।”

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार विवाद: टैरिफ पॉलिसी

पीएम मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को लेकर भी चर्चा हुई। ट्रंप प्रशासन ने भारत समेत कई देशों पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लागू कर दिया। इसका मतलब है कि अगर कोई देश अमेरिकी सामानों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो अमेरिका भी उस देश के सामान पर उतना ही टैरिफ लगाएगा।

टैरिफ क्या होता है?

टैरिफ यानी आयात शुल्क किसी भी देश द्वारा अपने घरेलू उद्योगों को बचाने के लिए लगाया जाता है। यह किसी उत्पाद की कीमत को बढ़ा सकता है। उदाहरण के लिए:

  • अगर किसी वस्तु की कीमत 100 है और उस पर 10% टैरिफ लगता है, तो उसकी कीमत 110 हो जाएगी।
  • टैरिफ अप्रत्यक्ष कर होता है, जिसका असर आम उपभोक्ताओं पर पड़ता है।

क्या भारत वास्तव में ‘टैरिफ किंग’ है?

डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर उच्च टैरिफ लगाने का आरोप लगाते हुए उसे ‘टैरिफ किंग’ कहा। लेकिन ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, अमेरिका खुद कई उत्पादों पर ऊंचे टैरिफ लगाता है। उदाहरण के लिए:

  • अमेरिका में डेयरी उत्पादों पर 188%
  • फल और सब्जियों पर 132%
  • अनाज और फूड प्रोडक्ट्स पर 193%
  • तंबाकू पर 150% टैरिफ लगाया जाता है।

डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुरूप भारत का टैरिफ

भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों के तहत टैरिफ लागू करता है, जबकि अमेरिका कई बार अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन करता है।

पीएम मोदी का अमेरिकी दौरा रक्षा और व्यापार दोनों पहलुओं से महत्वपूर्ण रहा। एफ-35 को लेकर भारत को सावधानीपूर्वक निर्णय लेना होगा, खासकर जब एलन मस्क और अन्य विशेषज्ञ इसकी आलोचना कर चुके हैं। वहीं, भारत-अमेरिका व्यापार विवाद को भी हल करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों देशों के आर्थिक संबंध और मजबूत हो सकें।

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Rishabh Pant life saviour Rajat news: ऋषभ पंत के लिए जान बचाने वाले रजत की जिंदगी अब ...

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Rishabh Pant life saviour Rajat news: दिसंबर 2022 की कड़ाके की ठंड वाली रात थी जब रजत कुमार और निशु कुमार ने दिल्ली-देहरादून हाईवे पर रुड़की के पास एक जली हुई मर्सिडीज को देखा। कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुकी थी और उलटी पड़ी थी। दोनों युवक बिना किसी देरी के कार की ओर बढ़े और उसमें फंसे घायल व्यक्ति को बाहर निकाला। उन्हें तब तक यह नहीं पता था कि वह घायल कोई और नहीं बल्कि भारतीय क्रिकेट टीम के स्टार खिलाड़ी ऋषभ पंत थे।

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ऋषभ पंत को बचाने वाले बने थे हीरो- Rishabh Pant news

रजत और निशु को बस इतना पता था कि किसी को मदद की जरूरत है। उन्होंने पुलिस को फोन किया और मदद आने तक ऋषभ के पास रुके। बाद में, जब ऋषभ को होश आया और उन्हें इस घटना की पूरी जानकारी मिली, तो उन्होंने रजत और निशु को अपना जीवन बचाने के लिए धन्यवाद दिया। ऋषभ पंत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा था कि “जिन हीरोज़ ने मेरी मदद की, मैं उनका हमेशा आभारी और ऋणी रहूंगा।”

Rishabh Pant life saviour Rajat news
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कृतज्ञता में दी थी स्कूटी, अब खुद फंसे संकट में

ऋषभ पंत ने अपनी जान बचाने वाले इन युवकों को स्कूटी गिफ्ट की थी। लेकिन इस घटना के कुछ महीनों बाद ही रजत खुद जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। उत्तराखंड के झबरेड़ा अस्पताल में भर्ती रजत अब एक गंभीर आरोप का सामना कर रहा है, जिसका वह सिरे से खंडन करता है।

प्रेम में असफलता और आत्महत्या की कोशिश

25 वर्षीय रजत और उसकी 21 वर्षीय प्रेमिका मनु कश्यप के बीच लंबे समय से प्रेम प्रसंग चल रहा था। हालांकि, अलग-अलग जाति और परिवारों की असहमति के कारण वे एक नहीं हो सके। दोनों के परिवार ने उनकी शादियां कहीं और तय करनी शुरू कर दी। इस सामाजिक बंधन और प्रेम में असफलता ने दोनों को इतना निराश कर दिया कि उन्होंने आत्महत्या करने का फैसला कर लिया।

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रविवार की शाम को, रजत और मनु ने अपने गांव बुच्चा बस्ती के बाहरी इलाके में गन्ने के खेत में जाकर जहर खा लिया। कुछ देर बाद एक ग्रामीण ने उन्हें तड़पते हुए देखा और शोर मचाया। जब तक परिवार वाले पहुंचे, तब तक जहर पूरे शरीर में फैल चुका था। उन्हें तुरंत स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया।

मनु के परिवार ने उसे दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया, लेकिन मंगलवार की सुबह उसकी मौत हो गई। वहीं, रजत की हालत गंभीर बनी हुई है, लेकिन डॉक्टरों के अनुसार उसकी स्थिति में सुधार हो रहा है।

मनु की मां ने लगाया रजत पर हत्या का आरोप

मनु के अंतिम संस्कार के कुछ ही घंटे बाद, उसकी मां ने पुरकाजी पुलिस स्टेशन पहुंचकर रजत के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने आरोप लगाया कि रजत ने मनु को जहर दिया और उसकी हत्या कर दी।

अब वह गांव, जिसने कभी रजत की बहादुरी और मानवता की मिसाल दी थी, वहीं अब इस मामले को लेकर चर्चा में है। जाति और परिवार से बगावत कर प्रेम प्रसंग में शामिल होने का मामला अब दो समुदायों के बीच विवाद का कारण बन रहा है।

पुलिस ने शुरू की जांच

मुजफ्फरनगर के एसपी सत्यनारायण प्रजापत ने बताया कि मनु की मां की शिकायत आने से पहले तक कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था। अब थाना प्रभारी जयवीर सिंह की अगुवाई में स्थानीय पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है।

जयवीर सिंह ने बताया, “हम मामले के सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। महिला के परिवार से हमें लिखित शिकायत मिली है, जिसमें रजत पर मनु को जहर देने का आरोप लगाया गया है। जांच के आधार पर ही अगला कदम तय किया जाएगा।”

डॉक्टरों ने दी जानकारी

झबरेड़ा के प्रज्ञा अस्पताल के डॉक्टर दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि दोनों ने एक खतरनाक कीटनाशक पी लिया था।
“हमने तुरंत इलाज शुरू किया। मनु का परिवार उसे दूसरे अस्पताल ले गया। वहीं रजत की हालत अब बेहतर हो रही है।”

जिस युवक रजत कुमार ने एक समय स्टार क्रिकेटर ऋषभ पंत की जान बचाई थी, वही आज खुद अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। अब पुलिस की जांच से ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि रजत निर्दोष है या दोषी। लेकिन एक बात तो साफ है कि जिस गांव ने एक समय रजत की बहादुरी पर गर्व किया था, आज वही गांव उसकी प्रेम कहानी और कानूनी उलझनों पर चर्चा कर रहा है।

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Kottayam nursing college ragging case: कोट्टायम नर्सिंग कॉलेज में जूनियर छात्रों पर ब...

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Kottayam nursing college ragging case: केरल के कोट्टायम जिले में एक नर्सिंग कॉलेज से रैगिंग की एक भयावह घटना सामने आई है। इस घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। कॉलेज के सीनियर छात्रों ने अपने जूनियर साथियों के साथ ऐसी अमानवीय हरकत की, जिसकी कल्पना भी मुश्किल है। रैगिंग के दौरान सीनियर्स ने जूनियर्स को शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना दी, जिससे वे बुरी तरह घायल हो गए। मामला पुलिस तक पहुंचने के बाद आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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कैसे हुआ बर्बर रैगिंग कांड? (Kottayam nursing college ragging case)

यह घटना गांधीनगर पुलिस थाना क्षेत्र में स्थित एक नर्सिंग कॉलेज की है। तीन जूनियर छात्रों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनके सीनियर छात्रों ने उनके कपड़े उतरवा दिए और उनके प्राइवेट पार्ट पर भारी डंबल बांध दिए। इस भयानक यातना के कारण पीड़ित छात्र असहनीय दर्द से तड़प उठे। लेकिन, सीनियर्स को इनकी कोई परवाह नहीं थी। उन्होंने उन पर कंपास और नुकीली चीजों से हमला किया, जिससे उनके शरीर पर कई गहरे घाव हो गए। जब पीड़ित छात्र दर्द से चीखने लगे, तो सीनियरों ने उनके जख्मों पर जबरदस्ती लोशन लगा दिया। किसी तरह वहां से भागने के बाद, पीड़ित छात्रों ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई।

Kottayam nursing college ragging case
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पुलिस ने तीन आरोपी गिरफ्तार किए, अन्य की तलाश जारी

घटना की सूचना मिलने के बाद गांधीनगर पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की और तीन आरोपी छात्रों को गिरफ्तार कर लिया, जबकि दो अन्य फरार बताए जा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि जल्द ही बाकी आरोपियों को भी पकड़ लिया जाएगा। इस घटना के बाद कॉलेज प्रशासन ने पांच आरोपियों को निलंबित कर दिया और जांच के आदेश दिए।

कॉलेज प्रशासन की प्रतिक्रिया

कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य डॉ. लिनी जोसेफ ने बताया कि शुरुआत में छात्रों ने इस घटना के बारे में कुछ नहीं बताया। लेकिन, जब एक पीड़ित छात्र के माता-पिता ने क्लास टीचर को फोन करके जानकारी दी, तब प्रशासन को इस रैगिंग के बारे में पता चला। मामले की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज ने तुरंत आंतरिक जांच शुरू की।

प्राचार्य ने कहा कि एंटी-रैगिंग एक्ट के तहत आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और इस मामले की गहन जांच के लिए एक विशेष समिति बनाई जाएगी।

केरल में पहले भी हुए हैं रैगिंग के खौफनाक मामले

केरल में यह पहला मामला नहीं है जब रैगिंग के कारण किसी छात्र को प्रताड़ित किया गया हो। इससे पहले भी कई मामलों में रैगिंग के कारण छात्रों की जान जा चुकी है या वे गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

Kottayam nursing college ragging case
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एर्णाकुलम का मामला

पिछले साल केरल के एर्णाकुलम में 15 वर्षीय छात्र की आत्महत्या ने पूरे राज्य को हिला दिया था। मृतक की मां रंजना पीएम ने सोशल मीडिया पर खुलासा किया था कि उनके बेटे को स्कूल में खतरनाक रैगिंग और धमकियों का सामना करना पड़ा, जिससे वह मानसिक रूप से टूट गया और आत्महत्या करने के लिए मजबूर हुआ।

कन्नूर में भी हुई थी रैगिंग की वारदात

2022 में कन्नूर जिले में एक छात्र को सिर्फ इसलिए पीटा गया, क्योंकि उसने अपने बाल लंबे कर रखे थे। 12वीं के सीनियर छात्रों ने इस बात को लेकर उसे बुरी तरह मारा और उसे सार्वजनिक रूप से अपमानित किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

केरल यूनिवर्सिटी में छात्र की मौत

2024 में केरल यूनिवर्सिटी ऑफ वेटरनरी एंड एनिमल साइंसेज में जेएस सिद्धार्थ नाम के छात्र की लाश बाथरूम में मिली थी। पुलिस जांच में पता चला कि कुछ सीनियर छात्रों ने उसे हॉस्टल में पीटा था और उस पर एक लड़की से दुर्व्यवहार करने का झूठा आरोप लगाया था। इस मानसिक प्रताड़ना के कारण सिद्धार्थ ने आत्महत्या कर ली।

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Unified Pension Scheme: 1 अप्रैल से लागू होने जा रही है UPS, केंद्र सरकार की नई पहल स...

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Unified Pension Scheme: केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) का ऐलान कर दिया है। यह स्कीम अगस्त 2024 में घोषित की गई थी और इसे 1 अप्रैल 2025 से लागू किया जाएगा। UPS का उद्देश्य सरकारी कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। यह स्कीम उन कर्मचारियों के लिए उपलब्ध होगी जो 1 जनवरी 2004 या उसके बाद नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के तहत शामिल हुए थे।

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क्या है यूनिफाइड पेंशन स्कीम? (Unified Pension Scheme)

यूनिफाइड पेंशन स्कीम सरकार की एक नई योजना है, जो सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना (OPS) की मांग को देखते हुए लाई गई है। यह योजना NPS के तहत कवर किए गए कर्मचारियों को एक नया विकल्प देती है, जिससे वे अपने पेंशन लाभ को बढ़ा सकते हैं। UPS के तहत, सरकार कर्मचारियों के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते (DA) का 18.5% योगदान देगी, जबकि कर्मचारी 10% योगदान जारी रखेंगे।

Unified Pension Scheme UPS
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UPS के तहत मिलने वाले लाभ:

  1. गारंटीड पेंशन: रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को पिछले 12 महीनों की औसत सैलरी का 50% पेंशन के रूप में मिलेगा।
  2. महंगाई के अनुसार वृद्धि: पेंशन में महंगाई के हिसाब से समय-समय पर वृद्धि की जाएगी।
  3. फैमिली पेंशन: कर्मचारी की मृत्यु के बाद, उनके परिवार को 60% पेंशन मिलेगी।
  4. रिटायरमेंट बेनिफिट्स: ग्रेच्युटी और एकमुश्त राशि का भुगतान किया जाएगा।
  5. मिनिमम पेंशन: कम से कम 10 साल की नौकरी करने वाले कर्मचारियों को ₹10,000 प्रति माह पेंशन की गारंटी मिलेगी।
  6. वॉलंटरी रिटायरमेंट का विकल्प: 25 साल की सेवा पूरी करने के बाद कर्मचारी वॉलंटरी रिटायरमेंट ले सकते हैं। उनकी पेंशन निर्धारित रिटायरमेंट उम्र से शुरू होगी।

UPS के लिए कौन पात्र होगा?

इस योजना का लाभ वही कर्मचारी उठा सकते हैं जिन्होंने कम से कम 10 साल की सरकारी सेवा पूरी कर ली है। इसके अलावा, जो कर्मचारी पहले से NPS में शामिल हैं, वे UPS में शिफ्ट हो सकते हैं। हालांकि, एक बार UPS में आने के बाद वापस NPS में नहीं जाया जा सकता।

Unified Pension Scheme UPS
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UPS में कैसे ट्रांसफर किया जाएगा फंड?

यदि कोई कर्मचारी NPS से UPS में आना चाहता है, तो उसे अपना पूरा NPS फंड UPS में ट्रांसफर करना होगा। यदि NPS में जमा राशि UPS के लिए तय न्यूनतम रकम से कम होगी, तो कर्मचारी को अंतर की राशि खुद भरनी होगी। यदि NPS में जमा राशि तय सीमा से अधिक होगी, तो अतिरिक्त राशि कर्मचारी को वापस कर दी जाएगी।

DA और DR का गणना कैसे होगी?

UPS के तहत,

  • सरकार का योगदान 14% से बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है।
  • कर्मचारी का योगदान बेसिक वेतन और महंगाई भत्ता (DA) का 10% बना रहेगा।
  • महंगाई राहत (DR) की गणना उसी तरह की जाएगी जैसे वर्तमान कर्मचारियों के लिए DA की जाती है। DR का भुगतान रिटायरमेंट के बाद ही शुरू होगा।
  • रिटायरमेंट के बाद हर 6 महीने की सेवा पर, बेसिक वेतन और DA का 10% एकमुश्त भुगतान किया जाएगा।

UPS vs NPS: कौन-सी योजना बेहतर?

विशेषता NPS UPS
गारंटीड पेंशन ❌ नहीं ✅ हां
सरकार का योगदान 14% 18.5%
कर्मचारी का योगदान 10% 10%
पेंशन की गणना मार्केट-आधारित अंतिम वेतन का 50%
फैमिली पेंशन उपलब्ध उपलब्ध
DA & DR समायोजन ❌ नहीं ✅ हां

UPS उन कर्मचारियों के लिए बेहतर विकल्प है, जो पुरानी पेंशन योजना (OPS) जैसी गारंटीड पेंशन चाहते हैं।

यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) केंद्र सरकार द्वारा 23 लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए एक बड़ी पहल है। यह योजना रिटायरमेंट के बाद वित्तीय सुरक्षा को मजबूत करेगी और पुरानी पेंशन स्कीम (OPS) की मांगों को भी आंशिक रूप से पूरा करेगी। हालांकि, एक बार UPS में शामिल होने के बाद कर्मचारी वापस NPS में नहीं जा सकते। यह योजना 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी, जिससे लाखों कर्मचारियों को बेहतर पेंशन और सुरक्षा मिलेगी।

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Sambhal violence case: जामा मस्जिद की दीवारों पर लगे हिंसा के 74 उपद्रवियों के पोस्टर...

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Sambhal violence case: उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद सर्वे के दौरान 24 नवंबर को भड़की हिंसा के मामले में पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है। फरार चल रहे उपद्रवियों की धर-पकड़ के लिए पुलिस ने एक नया तरीका अपनाया है। 74 उपद्रवियों की पहचान कर उनके पोस्टर शहर भर में चिपकाए गए हैं, जिससे आम जनता से उनकी पहचान करने में मदद मांगी गई है। पुलिस ने जानकारी देने वालों के लिए इनाम की भी घोषणा की है।

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पोस्टर लगाने पर विवाद, एएसपी ने सुनाई खरी-खरी- Sambhal violence case

शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद पुलिस ने जामा मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर भी पोस्टर लगाए, जहां हिंसा सबसे ज्यादा भड़की थी। कुछ ही देर बाद जामा मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली सहित अन्य लोग वहां पहुंच गए और मस्जिद की दीवारों पर पोस्टर लगाने का विरोध करने लगे।

मौके पर पहुंचे अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) श्रीश चंद्र ने विरोध करने वालों को कड़ी फटकार लगाई और स्पष्ट शब्दों में कहा कि अपराधियों की पहचान के लिए लगाए गए पोस्टर नहीं हटेंगे। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जब उपद्रवियों ने पत्थरबाजी और आगजनी की थी, तब मस्जिद कमेटी के लोगों ने उन्हें रोकने का प्रयास क्यों नहीं किया।

क्या है हिंसा का मामला?

24 नवंबर 2023 को संभल की जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान भारी हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान पथराव और आगजनी की घटनाएं सामने आई थीं। पुलिस ने अब तक कई आरोपियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन 74 उपद्रवी अभी भी फरार हैं। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य डिजिटल सबूतों के आधार पर इनकी पहचान की है और पोस्टर जारी किए हैं।

मस्जिद कमेटी ने जताया विरोध, एएसपी का सख्त रुख

जब मस्जिद कमेटी के लोगों ने मस्जिद की दीवार पर पोस्टर लगाने का विरोध किया, तो एएसपी ने साफ कहा कि “यह संपत्ति आपकी नहीं, बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की है। जो निर्णय लेना होगा, वह ASI लेगा।” उन्होंने यह भी पूछा कि जब हिंसा हो रही थी, तब मस्जिद कमेटी के लोगों ने उपद्रवियों को रोकने की कोई कोशिश क्यों नहीं की।

पोस्टर नहीं हटेंगे: पुलिस का कड़ा संदेश

मस्जिद कमेटी के सदर जफर अली ने पोस्टर हटाने की मांग करते हुए कहा कि पुलिस चाहे तो एक बोर्ड लगा सकती है, लेकिन दीवारों पर इस तरह पोस्टर लगाना सही नहीं है। इस पर एएसपी ने सख्त लहजे में कहा कि “हमें अपराधियों के खिलाफ क्या कार्रवाई करनी है, यह हमें कोई नहीं बताएगा। यह पोस्टर नहीं हटाए जाएंगे। जिन लोगों ने हिंसा की, वे किसी भी हाल में बख्शे नहीं जाएंगे।”

हिंसा के मुख्य आरोपी अब भी फरार

संभल हिंसा में शामिल 74 आरोपियों की तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है। पोस्टर लगाने के बाद पुलिस को कुछ अहम सुराग मिले हैं और जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। पुलिस ने साफ किया कि इस हिंसा में शामिल कोई भी दोषी कानून से बच नहीं पाएगा।

संभल हिंसा मामले में पुलिस की सख्ती लगातार जारी है। 74 उपद्रवियों के पोस्टर जारी कर पुलिस ने जनता से उनकी पहचान के लिए मदद मांगी है। मस्जिद कमेटी द्वारा पोस्टर लगाने का विरोध करने पर पुलिस ने स्पष्ट कर दिया कि कानून के तहत हर कार्रवाई होगी और कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा।

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