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Ratan Tata Love Story: जानिए कैसे रतन टाटा की प्रेम कहानी का खलनायक बना चीन, शादी होते-होते रह गई थी

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Ratan Tata Love Story
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देश के दिग्गज कारोबारी समूह टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Tata Sons former chairman Ratan Tata) का बुधवार (9 अक्टूबर 2024) को निधन हो गया। रतन टाटा के जीवन में कई ऐसे पहलू हैं जो उन्हें एक आम उद्योगपति से अलग बनाते हैं, जिसमें उनकी सादगी, परोपकार के साथ-साथ उनका निजी जीवन भी शामिल है। खासकर उनकी प्रेम कहानी, जो अधूरी रह गई, उसका जिक्र उन्होंने कई बार किया है। रतन टाटा की अधूरी प्रेम कहानी (Ratan Tata Love Story) उनके जीवन का एक ऐसा पहलू है जो उनके सच्चे प्यार को दर्शाता है। लेकिन उन्होंने इस अधूरे प्यार को अपने जीवन की दिशा बदलने का कारण नहीं बनने दिया, बल्कि इसके बाद उन्होंने खुद को टाटा समूह और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया।

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रतन टाटा का निजी जीवन- Life of Ratan Tata

रतन टाटा हमेशा से ही अपनी निजी जिंदगी को लेकर काफी निजी रहे हैं। हालांकि, उनके प्रेम संबंध, जिसे उन्होंने एक महत्वपूर्ण जीवन अनुभव के रूप में याद किया, से पता चलता है कि उनका निजी जीवन भी चुनौतियों और त्याग से भरा था। भले ही उन्होंने अपने जीवन में शादी न करने का फैसला किया, लेकिन फिर भी उन्होंने अपने परिवार, कंपनी और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा से निभाया।

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रतन टाटा की अधूरी प्रेम कहानी- Ratan Tata Love Story

रतन टाटा ने एक इंटरव्यू में बताया कि जब वे युवा थे, तो उनके जीवन में एक ऐसा समय भी आया जब वे शादी करने के बहुत करीब थे। 1962 में जब रतन टाटा अमेरिका में काम कर रहे थे, तो उन्हें वहां एक लड़की से प्यार हो गया। वह लड़की और रतन टाटा शादी के बारे में भी सोच रहे थे, लेकिन उसी समय भारत-चीन युद्ध (1962) (India-China War) की स्थिति पैदा हो गई और रतन टाटा को भारत लौटना पड़ा।

Ratan Tata Love Story
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अपने इंटरव्यू में रतन टाटा ने बताया कि लड़की जल्द ही भारत आकर उनसे शादी भी करने वाली थी, लेकिन उसके परिवार ने उसे भारत आने से रोक दिया। उस समय युद्ध के कारण अनिश्चितता और चिंता का माहौल था और इसी वजह से रतन टाटा की यह प्रेम कहानी अधूरी रह गई।

रतन टाटा का निर्णय

इस प्रेम कहानी के अधूरे रह जाने के बाद रतन टाटा ने कभी शादी न करने का फैसला किया। उन्होंने अपना जीवन अपने करियर और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा है कि उन्हें इस फैसले पर कोई पछतावा नहीं है और वह अपने जीवन में जिस तरह का काम कर रहे हैं, उससे संतुष्ट हैं।

शादी न करने के अन्य कारण:

रतन टाटा के जीवन में विवाह न करने का निर्णय केवल इस अधूरी प्रेम कहानी तक सीमित नहीं है। उन्होंने अपने जीवन में शादी न करने के बारे में कई कारण बताए हैं:

– परिवार और जिम्मेदारियाँ: रतन टाटा ने हमेशा अपने परिवार और काम को प्राथमिकता दी। उन्होंने कहा है कि वे अपनी जिम्मेदारियों और पेशेवर जीवन में इतने व्यस्त थे कि उन्हें शादी के लिए समय नहीं मिल पाया।

– समर्पण और जीवन संतुलन: रतन टाटा ने अपना जीवन टाटा समूह और समाज सेवा को समर्पित कर दिया। उनका मानना ​​था कि अपने व्यस्त करियर के कारण वे शादी और परिवार को ज़रूरी समय और ध्यान नहीं दे पाए।

– व्यक्तिगत पसंद: उन्होंने कई बार कहा है कि उन्हें शादी न करने के फ़ैसले पर कोई पछतावा नहीं है। वे जिस तरह से अपना जीवन जीते आए हैं, उससे पूरी तरह संतुष्ट और खुश हैं।

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Ratan Tata Successor: टाटा साम्राज्य को संभालने के लिए आगे आए ये तीन नाम, जानिए किसकी दावेदारी सबसे पक्की

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Ratan Tata Successor Maya Tata
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देश के सबसे सम्मानित कारोबारियों में से एक और दिग्गज कारोबारी समूह टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Tata Sons former chairman Ratan Tata) का बुधवार (9 अक्टूबर 2024) को निधन हो गया। 86 वर्षीय रतन टाटा के जाने के बाद अब टाटा समूह की कमान कौन संभालेगा (Ratan Tata Successor), यह अहम सवाल अब खड़ा हो गया है। रतन टाटा ने कभी शादी नहीं की और उनके कोई बच्चे भी नहीं हैं, ऐसे में उनके निधन के बाद उनकी संपत्ति का वारिस कौन होगा, यह सवाल हर किसी के मन में है। टाटा समूह के नेतृत्व को लेकर पिछले कुछ सालों में कई नाम सामने आए हैं, लेकिन इसके लिए टाटा समूह का फोकस उस व्यक्ति पर है जो रतन टाटा की सोच और मूल्यों को आगे बढ़ा सके। आइए आपको बताते हैं उन लोगों के नाम जो टाटा समूह को संभालने के लिए आगे आए हैं।

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रतन टाटा का परिवार-Ratan Tata’s family

रतन टाटा की मृत्यु के बाद उनकी कंपनी का नेतृत्व कौन संभालेगा, इस प्रश्न का उत्तर जानने से पहले हमें उनके परिवार के बारे में जानना चाहिए। रतन टाटा के माता-पिता नवल टाटा और सोनी थे, जो 1940 के दशक में अलग हो गए थे। इसके बाद नवल टाटा ने 1955 में स्विस महिला सिमोन से शादी की। नोएल टाटा उनके बेटों में से एक है, और चूंकि रतन टाटा निःसंतान हैं, इसलिए यह बहुत संभव है कि अरबों डॉलर नोएल टाटा के परिवार के हाथों में चले जाएँ। माया, नवल और लिया टाटा नोएल टाटा के तीन बच्चों के नाम हैं। इन तीनों का नाम ही टाटा साम्राज्य को संभालने के लिए सबसे आगे है।

माया टाटा (Maya Tata)

रतन टाटा की सौतेली बहन माया टाटा को उनकी संपत्ति विरासत में मिलने की सबसे अधिक संभावना है। 34 वर्षीय माया ने वारविक यूनिवर्सिटी और बेयस बिजनेस स्कूल से स्नातक किया है। उन्होंने टाटा डिजिलॉट में स्थानांतरित होने से पहले टाटा ऑपर्चुनिटी फंड में अपना पेशेवर करियर शुरू किया, जहाँ उन्होंने टाटा न्यू ऐप के निर्माण और परिचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वह वर्तमान में अपने भाई-बहनों के साथ टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट बोर्ड में बैठती हैं। माया टाटा की माँ दिवंगत अरबपति पल्लोनजी मिस्त्री की बेटी और टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय साइरस मिस्त्री की बहन हैं।

Maya Tata
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नेविल टाटा (Neville Tata)

माया टाटा के 32 वर्षीय भाई नेविल टाटा भी पारिवारिक कंपनी के लिए काम करते हैं। इसके अलावा, उन्हें रतन टाटा के साम्राज्य का उत्तराधिकारी माना जाता है। उनका एक बेटा जमशेद टाटा है और उनकी शादी टोयोटा किर्लोस्कर समूह की उत्तराधिकारी मानसी किर्लोस्कर से हुई है। नेविल टाटा ट्रेंट लिमिटेड के स्टार बाज़ार हाइपरमार्केट व्यवसाय के प्रभारी हैं। वे पहले पैकेज्ड फ़ूड और बेवरेज डिवीज़न के प्रभारी थे, और अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के बाद, उन्हें ज़ूडियो और वेस्टसाइड की अतिरिक्त ज़िम्मेदारी दी गई। कई विशेषज्ञों का यह भी मानना ​​है कि वे टाटा समूह के उत्तराधिकारी के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार थे।

Neville Tata
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लिया टाटा (Leah Tata)

टाटा की 39 वर्षीय बहन नेविल और माया लीह टाटा, पारिवारिक होटल कंपनी के लिए काम करती हैं। उन्होंने स्पेन में IE बिजनेस स्कूल में पढ़ाई की है। वह वर्तमान में भारतीय होटल कंपनी के संचालन की देखरेख करती हैं, इससे पहले वह ताज होटल रिसॉर्ट्स एंड पैलेस में काम कर चुकी हैं। 2010 में, उन्होंने लुई वुइटन में एक संक्षिप्त इंटर्नशिप भी की, लेकिन उनका पूरा ध्यान आतिथ्य क्षेत्र पर था।

Leah Tata
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Rest In Peace Ratan Tata: बीमार कुत्ते को छोड़कर न जाना पड़े, इसलिए रतन टाटा ने ठुकरा दिया था ये बड़ा अवार्ड

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Ratan Tata.
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बीती रात देश के सबसे बड़े उद्योगपति रतन टाटा इस दुनिया को अलविदा कह गए. लेकिन उनकी यादें और उनके महान काम हमेशा आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी. रतन टाटा के ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के कई किस्से है. चलिए आज हम आपको इस लेख में बिज़नेस टाइकून रतन टाटा के जीवन का एक बेहद दिलचस्प किस्सा बताते हैं

राजघराने के बुलावे पर नहीं पहुंचे

भारत के दिग्‍गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का बुधवार रात को निधन हो गया. यह बात सुनते ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग कई बड़े बिजनेसमैन ने उन्हें श्रदांजलि दी और उनसे जुड़े बेहतरीन किस्सों को शेयर किया..मशहूर बिजनेसमैन सुहैल सेठ ने उनकी इंसानियत से जुड़ा एक दिल छू लेने वाला किस्सा शेयर किया. सुहैल सेठ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2018 में ब्रिटिश राजघराना, रतन टाटा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करना चाहता था. खुद प्रिंस चार्ल्स उन्हें इस खिताब से नवाजने वाले थे. लेकिन, रतन टाटा ने आने से इनकार कर दिया और उसके पीछे जो वजह दी, जो प्रिंस चार्ल्स के दिल को छू गई.

सुहैल सेठ ने यह दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए कहा, 6 फरवरी 2018 को ब्रिटेन में प्रिंस चार्ल्स, रतन टाटा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करने जा रहे थे. यह भव्य आयोजन बकिंघम पैलेस में होने वाला था. मैं 3 फरवरी को लंदन एयरपोर्ट पर उतरा. इस दौरान मैंने फोन चेक किया तो मेरे मोबाइल पर रतन टाटा के 11 मिस्ड कॉल थे.”  जब मैंने उन्हें कॉल बैक किया तो रतन टाटा ने कहा, सुहैल मैं इस अवार्ड फंक्शन में नहीं आ पाऊंगा. टैंगों और टिटो बीमार हैं इसलिए मैं इस अवार्ड फंक्शन में नहीं आ सकता. क्योंकि मैं उन्हें इस हालत में अकेला नहीं छोड़ सकता हूं.” मै यह बात सुनकर हैरान हो गया कि इतने बड़े आयोजन में रतन टाटा इसलिए नहीं आ रहे हैं कि उनके डॉग्स बीमार हैं. सुहैल सेठ ने आगे बात करते हुए कहा जब मैंने यह बात प्रिंस चार्ल्स को बताई तो उन्होंने कहा कि ‘That’s a Man.

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रतन टाटा की बेइज्जती

वही, एक किस्सा यह भी है जब टाटा की कार के कारोबार को बेचने के लिए रतन टाटा साल 1999 में अमेरिका की बड़ी कार कंपनी फोर्ड के साथ डील के लिए अमेरिका पहुंचें. तब फोर्ड के साथ डील की बातें चल रही थी. फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने भरी मीटिंग में रतन टाटा की बेइज्जती ये कहते हुए किया कि कार बनाना आपके बस की बात नहीं. आपको इसका ज्ञान नहीं तो इसका बिजनेस शुरू ही नहीं करना चाहिए था. फोर्ड का कहना था कि वे यह डील कर के टाटा पर एहसान ही करेंगे. बिना कुछ बोले रतन टाटा अपमान का घूंट पीकर चुपचाप वहां से चले आए. साल बदले और दिन भी. उन्होंने इस अपमान तो सफलता की सीढ़ी बना ली और रतन टाटा ने फैसला लिया कि वे कार प्रोडक्शन यूनिट नहीं बेचेंगे. और आज के समय में टाटा ऑटो सेक्टर में कहाँ पहुंच चुका है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है.

लेकिन आज बात सिर्फ रतन टाटा की ही नहीं बल्कि उस कंपनी की भी होनी चाहिए जिसके लिए उन्होंने दिग्गज कंपनी आईबीएम का ऑफर तक ठुकरा दिया था. यह कंपनी रतन टाटा के बेहद करीब थी. इसी के जरिए उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की थी. टाटा ग्रुप की ये कंपनी कोई और नहीं बल्कि टाटा स्टील है. फ्लोर शॉप से शुरूआत करने वाले रतन टाटा को साल 1991 में पूरे टाटा ग्रुप की कमान सौंपी गई. उसके बाद से रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप भारत के साथ-साथ दुनिया में भी अपना कद बढ़ाते गया. करीब-करबी हर क्षेत्र में टाटा ग्रुप के विस्तार के पीछे रतन टाटा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.

रतन टाटा ने क्यों नहीं की शादी

आपको बता दें कि प्यार होने के बाबजूद भी रतन टाटा ताउम्र अविवाहित रहे. वह चार बार शादी करने के करीब आए, लेकिन विभिन्न कारणों से शादी नहीं कर सके. उन्होंने एक बार स्वीकार किया था कि जब वह लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था. लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के विरोध में थे. जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की.

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Ratan Tata Quotes in Hindi: रतन टाटा की इन बातों को जीवन में उतार लिया तो बदल जाएगी आपकी जिंदगी

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Ratan Tata
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‘घड़ी की टिक-टिक बंद हो गई. टाइटन नहीं रहे. जी हाँ, बिज़नस टाइकून टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन नवल टाटा का 86 साल की उम्र में निधन हो गया. उन्होंने बीती रात करीब 11 बजे अंतिम सांस ली. वे मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल की इंटेसिव केयर यूनिट (ICU) में भर्ती थे और उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे. वही रतन टाटा के पार्थिव शरीर को नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (NCPA) में रखा गया है. यहां लोग शाम 4 बजे तक अंतिम दर्शन कर सकेंगे. शाम को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.

रतन टाटा ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के प्रतीक थे।’ उनके अनमोल विचारों से सफल होने और मजबूत बनने की प्रेरणा मिलती है. आप भी उनके विचारों को जीवन में अमल कर अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं. कुछ इस तरह है उनके प्रेरणादायक और अनमोल विचारों के बारे में-

रतन टाटा के अनमोल विचार (Ratan Tata Quotes in hindi)

  • जीवन में सिर्फ अच्छी शैक्षिक योग्यता या अच्छा करियर ही काफी नहीं है. बल्कि हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि एक संतुलित और सफल जिंदगी जिएं। संतुलित जीवन का मतलब है हमारा अच्छा स्वास्थ्य, लोगों से अच्छे संबंध और मन की शान्ति, यह सब कुछ अच्छा होना चाहिए.
  • अगर लोग आप पर पत्थर मारते हैं तो उन पत्थर का उपयोग अपना महल बनाने में कर लें.
  • अगर आप तेजी से चलना चाहते हैं तो अकेले चलिए. लेकिन अगर आप दूर तक चलना चाहते हैं तो साथ मिलकर चलिए.
  • Ratan Tata.
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  • हमारी गलती सिर्फ हमारी है, हमारी असफलता सिर्फ हमारी है, किसी को इसका दोष नहीं देना चाहिए. हमें गलती से सीखना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए.
  • लोहे को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता, लेकिन इसकी खुद की ही जंग इसे नष्ट कर देती है. इसी प्रकार एक व्यक्ति को कोई भी नष्ट नहीं कर सकता है, लेकिन खुद की मानसिकता उसे बर्बाद कर सकती है.
  • दुनिया में इंसान सिर्फ एक मोबाइल के रिचार्ज जैसा है, जो अपनी वैलिडिटी के बाद खत्म हो जायेगा. हर किसी की वैलिडिटी है. अगर आप भाग्यशाली रहे तो कम से कम 50 साल तो जिएंगे ही. इन 50 सालों में सिर्फ 2500 सप्ताहांत होते हैं. क्या तब भी सिर्फ काम ही काम करने की जरुरत है? जीवन को इतना भी कठिन नहीं बनाना चाहिए कि खुशियां हमसे दूर रहें.
  • Ratan Tata
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  • दूसरों की नकल करने वाला इंसान थोड़े समय के लिए सफलता तो प्राप्त कर सकता है, लेकिन वह जीवन में बहुत आगे नहीं बढ़ सकता है.
  • मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता। मैं फैसले लेता हूं और फिर उन्हें सही साबित कर देता हूं.
  • ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने का मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करूंगा. लेकिन मैं पीछे मुड़कर यह नहीं देखना चाहूंगा कि मैं क्या नहीं कर पाया.
  • ऐसी कई चीजें हैं, जो अगर मुझे दोबारा जीने का मौका मिले तो शायद मैं अलग ढंग से करूंगा. लेकिन मैं पीछे मुड़कर यह नहीं देखना चाहूंगा कि मैं क्या नहीं कर पाया.

Inspirational and Motivational Quotes by Ratan Tata

  • “None can destroy iron, but its own rust can! Likewise, none can destroy a person, but their own mindset can.”
  • “Take the stones people throw at you and use them to build a monument.”
  • “I don’t believe in taking right decisions. I take decisions and then make them right.”
  • “The day I am not able to fly will be a sad day for me.”
  • “The strongest thing I ever did was to show my emotions to the world.”
  • Ratan Tata Passed Away
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  • “In the end, we only regret the chances we didn’t take.”
  • “Ups and downs in life are very important to keep us going because a straight line even in an ECG means we are not alive.”
  • “I do not know what the future holds, but I do know that I’m going to be positively surprised.”
  • “If you want to walk fast, walk alone. But if you want to walk far, walk together.”
  • “The only way to win is to not be afraid of losing.”

Ratan Tata Death: अलविदा ‘टाटा’! 86 साल की उम्र में ली आखिरी सांस, कुछ यूं बीता उनका जीवन

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Ratan Tata Passed Away
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मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Passed Away) हो गया है। बुधवार को 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बढ़ती उम्र के कारण उन्‍हें कई तरह की परेशानियां थीं। काफी समय से उन्‍हें देश के सर्वोच्‍च सम्‍मान भारत रत्‍न देने की मांग की जा रही थी। रतन टाटा के लिए देशभर के लोगों में असीम सम्‍मान था। उनके निधन की पुष्टि टाटा समूह ने की है। राजनीति, उद्योग और फिल्म जगत की हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। अपने एक पोस्ट में उन्होंने रतन टाटा को दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु व्यक्ति और असाधारण इंसान बताया।

रतन टाटा की मौत के बाद लोग उनके जीवन के संघर्ष के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक हैं। तो चलिए आपको उनकी निजी जिंदगी के बारे में बताते हैं।

रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा- Early Life and Education of Ratan Tata

रतन नवल टाटा (Ratan Naval Tata) का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। वे नवल टाटा और सोनू टाटा के पुत्र थे। रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया, क्योंकि उनके माता-पिता का तलाक तभी हो गया था, जब वे बहुत छोटे थे।

शिक्षा की बात करें तो रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई से की और फिर उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएसए से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम भी पूरा किया।

टाटा समूह में योगदान- Ratan Tata’s contribution to the Tata Group

रतन टाटा ने 1962 में टाटा समूह से जुड़कर अपने करियर की शुरुआत की। शुरुआत में उन्हें विभिन्न कंपनियों में काम करने का अनुभव मिला, जिससे उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने की समझ विकसित करने में मदद मिली। 1991 में उन्हें टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया और अपने नेतृत्व में उन्होंने इसे एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में तब्दील कर दिया।

उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई उल्लेखनीय कदम उठाए, जैसे:

– टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण (2008)

– टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण (2007)

– टाटा टेटली का अधिग्रहण, जिससे यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी बन गई।

रतन टाटा ने टाटा नैनो जैसी क्रांतिकारी कार लॉन्च करके भारत में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण कारों के सपने को साकार किया, जिसका उद्देश्य आम भारतीयों की पहुँच में कार लाना था।

रतन टाटा और परोपकार

रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने हमेशा सामाजिक और परोपकारी गतिविधियों को प्राथमिकता दी है। वे खुद भी व्यक्तिगत स्तर पर समाज सेवा में गहरी रुचि रखते हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई परोपकारी परियोजनाओं का समर्थन किया है। उनके कई उल्लेखनीय कार्यों में से एक टाटा ट्रस्ट के माध्यम से समाज सेवा है, जो देश भर में स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर रहा है।

रत्न टाटा को सम्मान और पुरस्कार- Ratan Tata Honours and Awards

रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:

– पद्म भूषण (2000)

– पद्म विभूषण (2008), जो भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

– एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर (2007)

– रॉकफेलर फाउंडेशन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

व्यक्तिगत जीवन और व्यक्तित्व

रतन टाटा अपने सादगी भरे जीवन के लिए मशहूर हैं। उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत ही सरल और विनम्र व्यक्ति माना जाता है। उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपना जीवन पूरी तरह से उद्योग और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। रतन टाटा अपने जीवन और काम के प्रति इतने समर्पित हैं कि उन्होंने उद्योग जगत में एक नया मानदंड स्थापित किया है, उन्हें न केवल व्यावसायिक सफलता के लिए बल्कि नैतिकता, परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए भी जाना जाता है।

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तंबाकू सेवन करने वालों में बढ़ रहा है Oesophagus Cancer? जानिए कितना घातक है और क्या है इसका इलाज

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एसोफैगस कैंसर (Oesophagus Cancer) वह कैंसर है जो अन्नप्रणाली की कोशिकाओं में शुरू होता है। अन्नप्रणाली एक लंबी नली होती है जो भोजन को गले से पेट तक ले जाती है। एसोफैजियल कैंसर तब होता है जब अन्नप्रणाली की अंदरूनी परत में कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ती हैं और कैंसरयुक्त हो जाती हैं। एसोफैगस कैंसर एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर इसका समय रहते पता चल जाए और इसका इलाज हो जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

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एसोफैगस कैंसर के प्रकार- Types of Oesophagus Cancer

एसोफैगस कैंसर मुख्य रूप से दो प्रकार का होता है। इनमें से एक है एडेनोकार्सिनोमा (Adenocarcinoma)। यह प्रकार एसोफैगस की निचली परत की ग्रंथियों में होता है, जो अक्सर एसिड रिफ्लक्स (गैस्ट्रोएसोफेगल रिफ्लक्स) से जुड़ा होता है। यह ज़्यादातर पश्चिमी देशों में पाया जाता है।

वहीं इसका दूसरा प्रकार है स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा (Squamous Cell Carcinoma)। यह प्रकार अन्नप्रणाली की परत की फ्लैट कोशिकाओं (स्क्वैमस सेल) में होता है। यह ज्यादातर अन्नप्रणाली के ऊपरी या मध्य भाग में होता है और इसे विकासशील देशों में अधिक पाया जाता है।

एसोफैगस कैंसर के लक्षण- Oesophagus cancer symptoms

एसोफैगस कैंसर के शुरुआती चरणों में कोई स्पष्ट लक्षण नहीं हो सकते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह बढ़ता है, लक्षण अधिक स्पष्ट होने लगते हैं। कुछ सामान्य लक्षण हैं:

– यह ओसोफैगल कैंसर का सबसे आम लक्षण है। भोजन निगलने में कठिनाई होती है, और यह धीरे-धीरे बढ़ती जाती है। ठोस भोजन के बाद तरल पदार्थों को निगलने में भी कठिनाई हो सकती है।

– बिना किसी स्पष्ट कारण के अचानक वजन कम हो सकता है।

– खाना निगलने के दौरान या सीने के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है।

– अक्सर गैस्ट्रोएसोफैगल रिफ्लक्स डिजीज (GERD) या एसिड रिफ्लक्स के कारण सीने में जलन हो सकती है।

– लगातार खांसी या आवाज में बदलाव ओसोफैगल कैंसर का लक्षण हो सकता है, विशेषकर जब कैंसर अन्नप्रणाली के ऊपरी हिस्से में होता है।

एसोफैगस कैंसर के कारण और जोखिम कारक- Causes and risk factors of Oesophagus cancer

– तंबाकू और शराब का अत्यधिक सेवन अन्नप्रणाली के कैंसर का सबसे बड़ा कारण होता है।

– लंबे समय तक एसिड रिफ्लक्स की समस्या (GERD) अन्नप्रणाली की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे एडेनोकार्सिनोमा का खतरा बढ़ता है।

– GERD से पीड़ित व्यक्तियों में बैरिट्स ओसोफैगस हो सकता है, जो अन्नप्रणाली में कैंसर का खतरा बढ़ाता है।

– मोटापे से ग्रस्त लोगों में ओसोफैगल कैंसर का खतरा अधिक होता है।

– लंबे समय तक तले और मसालेदार भोजन का सेवन अन्नप्रणाली में जलन पैदा कर सकता है, जिससे कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

– कुछ मामलों में, परिवार में कैंसर का इतिहास होने से भी ओसोफैगल कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।

एसोफैगस कैंसर का निदान (Diagnosis)

एसोफैगस कैंसर का निदान कई तरीकों से किया जा सकता है:

एंडोस्कोपी: मुंह के माध्यम से एसोफैगस में एक लंबी, पतली ट्यूब (एंडोस्कोप) डाली जाती है ताकि अंदर की कोशिकाओं की जांच की जा सके।

बायोप्सी: एंडोस्कोपी के दौरान एसोफैगस से संदिग्ध कोशिकाओं का एक छोटा सा नमूना लिया जाता है और कैंसर की जांच की जाती है।

इमेजिंग टेस्ट: कैंसर के स्थान और फैलाव की जांच के लिए सीटी स्कैन, एमआरआई या पीईटी स्कैन का उपयोग किया जाता है।

एसोफैगस कैंसर का उपचार- Oesophagus cancer treatment

एसोफैगस कैंसर का उपचार कैंसर के प्रकार, चरण, और मरीज की समग्र स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है। सामान्य उपचार विकल्पों में शामिल हैं:

सर्जरी

अन्नप्रणाली के कैंसर को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है। इसके अंतर्गत ओसोफैगेक्टॉमी (अन्नप्रणाली का एक हिस्सा निकालना) शामिल है।

कीमोथेरेपी

कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है, जिसे कीमोथेरेपी कहा जाता है।

रेडिएशन थेरेपी

रेडिएशन (विकिरण) का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए किया जाता है।

इम्यूनोथेरेपी

इम्यूनोथेरेपी से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर से लड़ने के लिए प्रेरित किया जाता है।

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1978 का वो स्कैंडल जिसने जगजीवन राम को पीएम बनने से रोक दिया, पूरा किस्सा यहां पढ़ें

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Congress senior leader Jagjivan Ram
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नीरजा चौधरी ने “हाउ प्राइम मिनिस्टर्स डिसाइड” नामक पुस्तक लिखी है, जो छह भारतीय प्रधानमंत्रियों के जीवन की घटनाओं का एक दिलचस्प संग्रह है। विवेचना के इस अंक में रेहान फ़ज़ल ने बताया है कि कैसे इंदिरा गांधी 1977 की चुनावी हार से 2.5 साल से भी कम समय में उबर गईं और कैसे जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम (Suresh Ram) से जुड़े एक स्कैंडल ने उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को खत्म कर दिया। दरअसल, उस समय के उप प्रधानमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जगजीवन राम (Congress senior leader Jagjivan Ram) के प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को 1978 में तब गहरा झटका लगा जब भारतीय राजनीति में एक बड़ा सेक्स स्कैंडल सामने आया। इस विवाद में उनके बेटे सुरेश राम भी शामिल थे।

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सेक्स स्कैंडल का विवरण- 1978 sex scandal

1978 में जब देश में जनता पार्टी की सरकार थी और आपातकाल के बाद के राजनीतिक परिदृश्य में कई बड़े नेता राजनीति में सक्रिय थे, जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम से जुड़ा एक सेक्स स्कैंडल सुर्खियों में आया। इंदिरा गांधी की बहू मेनका गांधी द्वारा संपादित एक हिंदी पत्रिका ‘सूर्या’ ने सुरेश राम और एक महिला के अंतरंग संबंधों की तस्वीरें प्रकाशित कीं।

1978 sex scandal
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इस कांड की तस्वीरें जैसे ही पत्रिका में छपीं, भारतीय राजनीति में भूचाल आ गया। इन तस्वीरों में सुरेश राम को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था, जो उस समय भारतीय समाज और राजनीति के लिए बेहद संवेदनशील मुद्दा था।

जगजीवन राम की राजनीतिक स्थिति

जगजीवन राम एक प्रमुख दलित नेता (Prominent Dalit leader Jagjivan Ram) और स्वतंत्रता सेनानी थे, जो इंदिरा गांधी की सरकार में एक महत्वपूर्ण मंत्री थे। उन्होंने देश के कई महत्वपूर्ण विभागों में काम किया और जनता पार्टी की सरकार में उप प्रधानमंत्री भी रहे। आपातकाल के बाद जब इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हो गई, तो माना जा रहा था कि जगजीवन राम प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में हैं।

1978 sex scandal
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हालांकि इस सेक्स स्कैंडल के सामने आने के बाद जगजीवन राम की छवि को बड़ा झटका लगा। इस घटना का उनके राजनीतिक करियर पर गहरा असर पड़ा और प्रधानमंत्री बनने की उनकी संभावनाएं लगभग खत्म हो गईं।

स्कैंडल का राजनीतिक प्रभाव

यह कांड उस समय भारतीय राजनीति में जनता पार्टी और इंदिरा गांधी तथा उनकी कांग्रेस पार्टी के विरोधियों के लिए एक बड़ा हथियार बन गया था। इस घटना ने न केवल जगजीवन राम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया बल्कि उनके समर्थकों और पार्टी के भीतर भी भ्रम की स्थिति पैदा कर दी। दलित राजनीति के प्रमुख नेता जगजीवन राम ने इस घटना के बाद प्रधानमंत्री बनने की उम्मीद खो दी थी। हालांकि यह कांड उनके बेटे की निजी जिंदगी के कारण सामने आया, लेकिन इसने जगजीवन राम के राजनीतिक करियर को भी प्रभावित किया।

मेनका गांधी और सूर्यापत्रिका की भूमिका

खबरों की मानें तो, मेनका गांधी (Maneka Gandhi) द्वारा संपादित सूर्या पत्रिका ने तस्वीरें प्रकाशित करके इस सेक्स स्कैंडल को सार्वजनिक कर दिया था। उस समय इसे इंदिरा गांधी और उनके समर्थकों की एक राजनीतिक चाल माना गया था, क्योंकि जगजीवन राम इंदिरा गांधी के खिलाफ प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में से एक थे और उन्हें उनका संभावित प्रतिद्वंद्वी माना जाता था।

जगजीवन राम के बेटे सुरेश राम से जुड़ा यह सेक्स स्कैंडल भारतीय राजनीति का एक काला अध्याय माना जाता है, जिसने न सिर्फ़ जगजीवन राम की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया बल्कि उनके प्रधानमंत्री बनने की संभावनाओं को भी खत्म कर दिया। इस घटना ने उस समय की राजनीति को हिलाकर रख दिया और भारतीय समाज में राजनीति, नैतिकता और सार्वजनिक जीवन में शुचिता को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए।

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भगवान बुद्ध ने कभी मांसाहारी भोजन खाने को नहीं कहा, फिर बौद्ध धर्म में मांसाहारी भोजन की अनुमति क्यों है?

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Buddhism and non-vegetarian food
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भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायियों को अहिंसा का मार्ग दिखाया, जो बौद्ध धर्म का एक प्रमुख सिद्धांत है। बुद्ध ने कभी भी मांस खाने की सीधे तौर पर सलाह नहीं दी, लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह से प्रतिबंधित भी नहीं किया। हालांकि, इस मुद्दे पर बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों में मतभेद हैं और मांस खाने को लेकर कुछ जटिलताएं भी हैं। सीधे तौर पर कहें तो बुद्ध ने मांस खाने के बारे में स्पष्ट रूप से कोई सख्त नियम नहीं बनाए, लेकिन उन्होंने जानवरों को मारने या मारने के लिए प्रेरित करने पर रोक लगाई। बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदायों में मांसाहार के विषय पर अलग-अलग दृष्टिकोण हैं, तथा इसका पालन क्षेत्रीय और सांस्कृतिक आधार पर किया जाता है। आइए आपको बताते हैं कि भगवान बुद्ध मांसाहारी भोजन खाने के बारे में क्या सोचते थे।

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भगवान बुद्ध और मांस खाना – Lord Buddha and non-vegetarian food

त्रिपिटक यानि बौद्ध धर्मग्रंथ (Buddhist Scriptures) में वर्णित एक नियम के अनुसार, भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायियों से कहा कि वे अपने लिए जानवरों को न मारें और न ही किसी को मारने के लिए कहें। हालाँकि, अगर कोई भिक्षु (साधु) भिक्षाटन के दौरान भोजन प्राप्त करता है, तो उसे यह जाँचने की ज़रूरत नहीं है कि भोजन कैसे प्राप्त किया गया है, बशर्ते मांस तीन शर्तों को पूरा करता हो:

Buddha diet of Buddhism
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– मांस जानबूझकर (भिक्षु के लिए) नहीं मारा गया है

– मांस को भिक्षु के सामने नहीं मारा गया है

– भिक्षु को यह नहीं पता कि मांस उसके लिए मारा गया है

यह व्यवस्था इसलिए लागू की गई थी क्योंकि बौद्ध भिक्षुओं (Buddhist Monks) को समाज से भिक्षा के रूप में प्राप्त भोजन को ही स्वीकार करना आवश्यक था। यदि उन्हें मांस दिया जाता तो वे उसे खा सकते थे, लेकिन मांस खाने के लिए किसी जानवर को मारना वर्जित था।

बौद्ध धर्म के विभिन्न संप्रदाय और मांसाहार

बौद्ध धर्म में मांसाहार के विषय पर विभिन्न संप्रदायों में अलग-अलग विचार हैं। कुछ प्रमुख संप्रदायों में मांसाहार के बारे में निम्नलिखित विचार हैं:

– थेरवाद संप्रदाय, जो मुख्य रूप से श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार और कंबोडिया में प्रचलित है, मांसाहार की अनुमति देता है, बशर्ते कि ऊपर बताई गई तीन शर्तें पूरी हों। मठों में रहने वाले भिक्षु भिक्षा में प्राप्त कोई भी भोजन खाने के लिए बाध्य हैं, चाहे वह मांस हो या शाकाहारी।

– महायान बौद्ध धर्म, जो मुख्य रूप से चीन, जापान, कोरिया और तिब्बत में प्रचलित है, मांसाहार का विरोध करता है। महायान शास्त्रों में मांसाहार को स्पष्ट रूप से हानिकारक और अहिंसा के सिद्धांत के विपरीत बताया गया है। इसलिए, महायान संप्रदाय के अनुयायी आम तौर पर शाकाहारी होते हैं।

BUDDHA
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– वज्रयान बौद्ध धर्म, जो मुख्य रूप से तिब्बत और हिमालयी क्षेत्रों में प्रचलित है, मांसाहार को अस्वीकार नहीं करता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ ठंडे मौसम और कठोर परिस्थितियों के कारण शाकाहारी भोजन उपलब्ध नहीं है। फिर भी, अनुयायियों को अनावश्यक हिंसा से बचने और जानवरों को न मारने की सलाह दी जाती है।

आधुनिक बौद्ध समाज पर मांस खाने का प्रभाव

वर्तमान में, बौद्ध धर्म के अनुयायी अपने भौगोलिक और सांस्कृतिक संदर्भ के अनुसार मांस या शाकाहार का पालन करते हैं। कुछ बौद्ध देशों में, मांस खाना एक आम प्रथा है, जबकि अन्य में शाकाहार अधिक महत्वपूर्ण है। यह ध्यान देने योग्य है कि बौद्ध धर्म का मुख्य सिद्धांत अहिंसा है, और भिक्षुओं से अपेक्षा की जाती है कि वे हिंसा से बचें और उन्हें जो भोजन दिया जाए, उसे खाएं। बौद्ध धर्म में मांस पर पूर्ण प्रतिबंध नहीं होने का कारण यह था कि बुद्ध ने अपने अनुयायियों के लिए व्यावहारिकता को ध्यान में रखा, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ शाकाहारी भोजन आसानी से उपलब्ध नहीं था।

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सूख रही हैं गंगा समेत दुनिया की बाकी नदियां, काफी डराने वाली है संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

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United Nations report on Ganga
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वैश्विक जल संसाधनों की वर्तमान स्थिति पर संयुक्त राष्ट्र विश्व मौसम विज्ञान संगठन (United Nations World Meteorological Organization) द्वारा जारी रिपोर्ट चिंताजनक है। इस रिपोर्ट में भारत की गंगा समेत दुनिया की प्रमुख नदियों के सूखने और उनके जल प्रवाह में गंभीर कमी की ओर इशारा किया गया है। रिपोर्ट में जलवायु परिवर्तन, अत्यधिक दोहन और मानवीय गतिविधियों के कारण नदियों की बिगड़ती स्थिति पर प्रकाश डाला गया है। नदियों के सूखने से न केवल पर्यावरण संतुलन प्रभावित हो रहा है, बल्कि इसका सीधा असर उन अरबों लोगों पर भी पड़ रहा है जो अपनी आजीविका, जल स्रोत और कृषि के लिए इन नदियों पर निर्भर हैं।

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सुख रही है गंगा- Ganga is drying up

विश्लेषण के अनुसार, 2023 में, दुनिया भर की अधिकांश नदियाँ ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर का अनुभव करेंगी। “स्टेट ऑफ़ ग्लोबल वाटर रिसोर्सेज” रिपोर्ट, जो 33 वर्षों के डेटा की जांच करती है, यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट करती है कि लंबे समय तक सूखा पड़ने से प्रमुख नदी घाटियों पर कितना गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। दुनिया की दो सबसे बड़ी नदियाँ, मिसिसिपी और अमेज़न बेसिन, पिछले साल रिकॉर्ड निम्न जल स्तर पर पहुँच गईं। गंगा और मेकांग नदी घाटियों में भी जल स्तर में गिरावट आई है।

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ज़्यादातर नदियों में पानी कम हो रहा

दुनिया के आधे से ज़्यादा वर्षा आधारित क्षेत्रों में असामान्य परिस्थितियाँ बनी हुई हैं। ज़्यादातर नदियों में पानी कम हो गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस स्थिति ने कृषि और उद्योगों के लिए पानी की उपलब्धता को कम कर दिया है। WMO की महासचिव सेलेस्टे सोलो ने कहा कि यह हमारे जलवायु संकट का सबसे महत्वपूर्ण संकेतक बन रहा है। उन्होंने कहा कि जल भंडार को संरक्षित करने और अनियंत्रित रूप से बदलते जल चक्रों को ट्रैक करने और उनका जवाब देने के लिए हाइड्रोलॉजिकल निगरानी बढ़ाने के लिए तत्काल कदम उठाने की ज़रूरत है।

rivers are drying
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WMO के जल विज्ञान निदेशक की चेतावनी

सबसे बड़े ग्लेशियरों ने 50 वर्षों में रिकॉर्ड मात्रा में द्रव्यमान खो दिया है। हर साल 600 गीगाटन पानी की हानि होती है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि हालांकि यूरोप और स्कैंडिनेविया में ग्लेशियर से पोषित नदियों में अस्थायी रूप से उच्च प्रवाह का अनुभव हो रहा है, लेकिन ग्लेशियरों का आकार लगातार घट रहा है, जिससे आने वाले वर्षों में मात्रा में उल्लेखनीय कमी आएगी। WMO के जल विज्ञान निदेशक स्टीफन उहलेनब्रुक ने चेतावनी दी है कि इस साल उच्च तापमान दर्ज करने वाले क्षेत्रों में पानी की कमी और भी अधिक होगी। उन्होंने कहा कि अमेज़न में लगातार सूखा 2024 में पड़ सकता है।

सीधे तौर पर कहें तो संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट दुनिया के जल संसाधनों की भयावह स्थिति को उजागर करती है और नदियों की रक्षा के लिए तत्काल कार्रवाई की मांग करती है।

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Top Car Companies: ये हैं दुनिया की टॉप 5 कार कंपनियां, लिस्ट में टेस्ला और फेरारी का नाम भी शामिल

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world top five car companies
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दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे सफल कार कंपनियां अपनी इनोवेटिव टेक्नोलॉजी, हाई-क्वालिटी प्रोडक्ट और ग्लोबल मार्केट पर अपनी पकड़ के लिए जानी जाती हैं। इन कारों की सबसे खास बात यह है कि ये कारें आपको लग्जरी फील भी देती हैं। आज हम आपको दुनिया की 5 ऐसी टॉप कार कंपनियों के बारे में बताएंगे जिनका नाम ऑटो मार्केट में काफी मशहूर है। फिलहाल 2024 में दुनिया की टॉप 10 कार कंपनियों (world’s Top 5 Car Companies) की लिस्ट में टेस्ला, टोयोटा, BYD, फेरारी, पोर्शे, मर्सिडीज-बेंज, BMW, वोक्सवैगन और जनरल मोटर्स शामिल हैं।

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टोयोटा (Toyota car)

दुनिया की सबसे बड़ी ऑटोमेकर कंपनियों में से एक यह जापानी उद्यम है। इसका मुख्य कार्यालय टोयोटा सिटी में स्थित है। दुनिया भर में, टोयोटा ऑटोमोटिव अपनी विश्वसनीयता और प्रभावशीलता के लिए प्रसिद्ध है। दुनिया की सबसे बड़ी कार कंपनियों में से एक टोयोटा, टुंड्रा जैसे टिकाऊ ट्रक और प्रियस जैसे ईंधन-कुशल हाइब्रिड सहित कई तरह की कारें बनाती है। टोयोटा अभी भी नवाचार और उत्कृष्टता के प्रति अपने समर्पण के साथ परिवहन की दिशा को प्रभावित कर रही है।

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टेस्ला (Tesla car)

एलन मस्क टेस्ला के निर्माता हैं, वह ऑटोमेकर जिसने ऑटोमोटिव उद्योग को बदल दिया। ऑस्टिन, यूएसए में टेस्ला का मुख्यालय है। एलन मस्क की कंपनी टेस्ला ने अपनी इलेक्ट्रिक कारों और अक्षय ऊर्जा पेशकशों की श्रृंखला के साथ ऑटोमोबाइल उद्योग को बदल दिया है। टेस्ला, अपनी अत्याधुनिक तकनीक के लिए प्रसिद्ध कंपनी है, जिसने स्वायत्त ड्राइविंग और बैटरी के क्षेत्र में काफी प्रगति की है। यह साइबरट्रक, मॉडल एस, मॉडल 3, मॉडल एक्स और मॉडल वाई जैसे प्रसिद्ध मॉडल बनाती है।

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शाओमी (Xiaomi)

बीजिंग में इस चीनी ऑटोमेकर का मुख्यालय है। चीन की सबसे बड़ी ऑटोमेकर कंपनियों में से एक Xiaomi ऑटोमोबाइल कंपनी लिमिटेड है, जिसे Xiaomi Auto के नाम से भी जाना जाता है, जिसकी इलेक्ट्रिक कारें दुनिया भर के खरीदारों की दिलचस्पी का केंद्र हैं। Xiaomi Auto, बाज़ार में सबसे हाल ही में आए ब्रांडों में से एक है, जिसे 10 बिलियन चीनी युआन के शुरुआती निवेश के साथ पेश किया गया था। यह अब दुनिया की सबसे मशहूर कंपनियों में से एक है।

Xiaomi car
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फेरारी (Ferrari car)

इटली की कंपनी फेरारी अपने हाई-एंड मॉडल के लिए प्रसिद्ध है। फेरारी का मुख्यालय एमिलिया-रोमाग्ना के मारानेलो में स्थित है। ऑटोमोबाइल की दुनिया में, फेरारी सीधे जुनून, प्रदर्शन और विशिष्टता से जुड़ी हुई है। इतालवी ऑटोमोटिव कौशल का शिखर, फेरारी पौराणिक रेस कारों और प्रसिद्ध सुपरकारों का निर्माता है। अपने असाधारण शिल्प कौशल और रेसिंग विरासत के कारण, फेरारी ऑटोमोबाइल दुनिया भर में अत्यधिक मांग में हैं।

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 बिल्ड योर ड्रीम्स (BYD)

चीनी कंपनी बिल्ड योर ड्रीम्स (BYD) का मुख्यालय शेन्ज़ेन, गुआंग्डोंग में है। BYD (बिल्ड योर ड्रीम्स) एक प्रमुख चीनी वाहन निर्माता है जो इलेक्ट्रिक वाहनों, बैटरी और अक्षय ऊर्जा समाधानों में विशेषज्ञता रखता है। इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है। BYD का लक्ष्य इलेक्ट्रिक कारों को सभी के लिए सुलभ बनाना है। यह इलेक्ट्रिक कारों, बसों से लेकर ऊर्जा भंडारण समाधानों तक कई हरित परियोजनाओं के साथ आगे बढ़ रहा है।

BYD car
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