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Solar Storm: अमेरिका पर मंडरा रहा है ब्लैकआउट का खतरा! 20 लाख घरों की बिजली गुल

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Solar storm Vs America
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तूफान हेलेन के बाद अब तूफान मिल्टन (Hurricane Milton) ने अमेरिका को और मुश्किल में डाल दिया है। अमेरिका में भयानक तूफान देखने को मिला है। इससे भारी तबाही मची है। तूफान मिल्टन की वजह से अमेरिका (America) में 10 लोगों की मौत हो गई है। इस तूफान को लेकर सरकार पहले से ही सतर्क थी और लोगों को रेस्क्यू किया गया। 20 लाख घरों की बिजली गायब हैं। सैकड़ों लोगों ने शरण ली है। तूफान मिल्टन से पहले ही फ्लोरिडा राज्य के कई हिस्सों में बिजली कट गई थी। मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका के राष्ट्रीय महासागरीय और वायुमंडलीय प्रशासन (एनओएए) के अनुसार गुरुवार (11 अक्टूबर 2024) को एक शक्तिशाली सौर तूफान पृथ्वी से टकराया। एजेंसियों को चिंता है कि इससे तूफान हेलेन और मिल्टन से निपटने के लिए किए जा रहे रिकवरी प्रयास प्रभावित हो सकते हैं।

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अमेरिका में भयानक तूफान- Hurricane Milton in America

अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा तूफ़ान “मिल्टन” फ्लोरिडा के सिएस्टा शहर के पास आया। माना जा रहा है कि यह सदी का सबसे भयानक तूफ़ान है। अब तक दस लोगों की मौत हो चुकी है। फ्लोरिडा में तूफ़ान ने तबाही का मंज़र छोड़ दिया है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि तूफ़ान “मिल्टन” ने सैकड़ों घरों को तबाह कर दिया है। इसके अलावा, 20 लाख से ज़्यादा घरों की बिजली चली गई है।

पृथ्वी से टकरा सकता सौर तूफान- Solar storm vs Earth

दूसरी ओर, एजेंसियों ने कहा कि बड़े पैमाने पर सौर विस्फोटों के परिणामस्वरूप विनाशकारी सौर तूफान आएंगे जो पृथ्वी से टकरा सकता है और विनाशकारी क्षति का कारण बन सकते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने वैश्विक चेतावनी जारी की है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि सूर्य कभी भी फट सकता है और अगर इससे होने वाला तूफान ग्रह पर आता है तो पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र बाधित हो जाएगा। नतीजतन, रेडियो और बिजली दोनों ब्लैकआउट की संभावना बनी हुई है। इंटरनेट, कंप्यूटर और मोबाइल सेवाएं काम करना बंद कर सकती हैं। पृथ्वी पर भूकंप और समुद्र में तूफान का निर्माण दोनों ही संभावित परिणाम हैं।

क्या भारत पर भी पड़ेगा असर?

लद्दाख में अपने बेस से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) सौर गतिविधियों के साथ-साथ सूर्य पर होने वाली गतिविधियों पर भी नज़र रखता है। केंद्र से सबसे ताज़ा अपडेट के अनुसार, एक सौर तूफान आने वाला है जो भारतीय उपग्रहों को नुकसान पहुंचा सकता है, इसलिए उन पर नज़र रखना ज़रूरी है। नासा के वैज्ञानिकों ने भी चेतावनी जारी की है कि भारत सौर तूफान से प्रभावित हो सकता है। भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की निदेशक डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम का दावा है कि कणों, ऊर्जा, चुंबकीय क्षेत्रों और सामग्रियों के मिश्रण से उत्पन्न गर्मी के कारण सूर्य में विस्फोट होता है। विस्फोट के बाद 250 से 3000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाला सौर तूफान उठता है, जो पृथ्वी के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

उत्तरी गोलार्ध में दिखेगा अरोरा

मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि अक्टूबर में एक सौर तूफान आया था। सूर्य की सतह पर दो बहुत बड़े विस्फोट हुए। वैज्ञानिकों ने इन दो सौर ज्वालाओं को X7 और X9 नाम दिया। कोरोनल मास इजेक्शन शब्द का इस्तेमाल सूर्य (CME) में विस्फोटक स्थिति का वर्णन करने के लिए किया जाता है। सूर्य ने सात वर्षों में सबसे शक्तिशाली विस्फोट का अनुभव किया है, जिसे X9 के रूप में जाना जाता है। अपनी गर्मी के कारण, ये दोनों सौर तूफान पृथ्वी की ओर बढ़ रहे हैं और एक और सौर विस्फोट का कारण बन सकते हैं। हम इस विस्फोट के परिणामस्वरूप बनने वाले तूफान को भू-चुंबकीय तूफान (G3) के रूप में संदर्भित करेंगे। पृथ्वी की कक्षा में उपग्रह G3 तूफान के प्रभावों के प्रति संवेदनशील हैं। आप आकाश में ऑरोरा या रंगीन प्रकाश प्रदर्शन भी देख सकते हैं।

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5 प्रेमी, फिर की शादी पर जिंदगी भर रहीं तन्हां, ऐसी है रतन टाटा की EX लवर की लव-लाइफ

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Simi Grewaal
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बिज़नेस टाइकून रतन टाटा अब इस दुनिया में नहीं रहे. उनकी मौत की खबर सुन हर कोई शोक में है. उनकी यह कमी को कोई पूरी नहीं कर सकता. लेकिन उनके कई किस्से आज भी चर्चा में है. उनके परिवार से लेकर उनकी लव लाइफ के किस्सों को दुनिया ने जाना और पढ़ा, लेकिन क्या आप उनकी गर्लफ्रेंड की लवलाइफ के बारे में जानते हैं? अगर नहीं तो चलिए आपको इस लेख में बताते बॉलीवुड की उस हसीना के बारे में, जिसको नाम दिया गया ‘द लेडी इन व्हाइट’.

कौन है वो एक्ट्रेस जिसको नाम दिया गया ‘द लेडी इन व्हाइट’

बॉलीवुड में आज कई ऐसी एक्ट्रेस हैं जो अपनी एक्टिंग और ख़ूबसूरती के साथ अपनी लव लाइफ को लेकर भी काफी चर्चा में रही थी. ऐसी ही एक एक्ट्रेस जिन्होंने दुनिया की परवाह नहीं की और आज से 50 साल पहले भी ऐसे बोल्ड सीन्स दिए की देखने वाले भी हैरान रह गए. वो खूबसूरत होने के साथ एलिगेंट और डीसेंट नजर आती थीं. हम जिस एक्ट्रेस की बात कर रहे है उनके 5-5 कथित अफेयर्स की चर्चाएं आज भी होती है. जिसमें रतन टाटा का नाम भी शामिल है. ये एक्ट्रेस कोई और नहीं बल्कि सिमी ग्रेवाल हैं. ‘द लेडी इन व्हाइट’ सिमी ग्रेवाल ने अपने करियर की शुरुआत हिंदी फिल्मों से नहीं बल्कि अंग्रेजी फिल्म ‘टार्जन गोज टू इंडिया’ से की थी.

वही एक इंटरव्यू में सिमी ग्रेवाल ने बताया था कि जब वो 5 साल की थी तब उन्होंने स्टार राज कपूर की एक फिल्म आवारा देखी और इसके बाद उनके अंदर फिल्मों में करियर बनने की लत लग गई. सिमी एक्टिंग में ही करियर बनाना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता को ये मंजूर नहीं था. सिमी स्वाभाव से जिद्दी थी और जिद्द मनवाने के लिए भूख हडताल पर बैठ गईं. पिता की बेटी की जिद्द के आगे एक नहीं चली और सिर्फ 15 साल की उम्र में वह मुंबई आ गई और फिल्मे करने लगी. उन्होंने राज कपूर और सत्यजीत रे जैसे शानदार निर्देशकों के साथ काम किया.

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शादी के बाद भी रही अकेले

सादे लिभास में नजर आने वाली सिमी ग्रेवाल की पर्सनल लाइफ की बात करे तो उनका नाम कभी राज कपूर के साथ तो कभी मनमोहन देसाई के साथ जोड़ा गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कि उस दौर में कई फिल्मी मैग्जीन्स ने राज कपूर के साथ उनके अफेयर के किस्सों को छापा था. 1981 में मनमोहन देसाई के साथ उनका नाम तब जुड़ा जब उनकी एक फिल्म में वह कैमियो रोल में नजर आईं. उनके सीरियस अफेयर्स की बातें सिमी ने अपने ही शो में फैंस के साथ शेयर की थी, जिसमें अपनी जिंदगी राज भी खोले थे. इंटरव्यू में उन्होंने ये खुलासा किया था कि 17 का उम्र में उन्होंने पहली बार प्यार हुआ था और ये रिश्ता 3 साल तक रहा था. इसके बाद मंसूर अली खान पटौदी के साथ उन्हें प्यार हुआ. दोनों एक-दूसरे प्यार में पागल थे. पटौदी साहब सिमी को लेकर सीरियस थे और इसलिए उन्हें अपने घरवालों से मिलवाने का फैसला भी कर चुके थे. लेकिन इसी बीच उनकी मुलाकात शर्मिला से हुई और फिर दोनों के रास्ते जुदा हो गए.

तीसरा वो शख्स जिसको सिमी ने अपना हमसफर बनाया. 1970 रवि मोहन से उन्होंने शादी कर ली. ये शादी महज 3 साल में ही टूट गयी. खूबसूरत और बिंदास एक्ट्रेस के पास न पैसे की कमी है ना शोहरत की. 75 साल की सिमी ग्रेवाल के पास सब कुछ है, अगर कुछ नहीं है तो औलाद का सुख नहीं है. सिमी को बच्चा ना होने का अफसोस रहता है. इसके अलवा सिमी ने फिल्मफेयर को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि ‘मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा अफसोस है कि मेरा कोई बच्चा नहीं है. मैं एक अनाथालय से एक बेटी गोद लेने वाली थी, लेकिन वो मुझे नहीं मिल पाई दरअसल, जिस बच्ची को में गोद लेने वाली थी उसके घरवालों ने उसे रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया था. नियम के हिसाब से मुझे उसकी फोटो न्यूजपेपर में छपवानी पड़ी. 3 महीने तक किसी ने बच्चे की सुध नहीं ली लेकिन जैसे ही मुझे उसकी कस्टडी मिलने वाली थी, बच्ची के माता-पिता सामने आ गए…मेरा दिल टूट गया’.

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वर्क फ्रंट पर सिमी ग्रेवाल

अगर सिमी ग्रेवाल के वर्कफ्रंट की बात करें वह अपने सेलिब्रिटी टॉक शो, रेन्जेव्यू विद सिमी ग्रेवाल के लिए पॉपुलर हैं.

Tata Group Chairman: टाटा को आखिरकार मिल ही गया अपना नया ‘रतन’, जानिए नोएल टाटा के टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन बनने की वजह

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Noel Tata new Tata Trust chairman
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टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा (Tata Sons former chairman Ratan Tata) का बुधवार (9 अक्टूबर 2024) को निधन हो गया। उनके निधन के बाद से सबसे बड़ा सवाल यही था कि अब टाटा ग्रुप की बागडोर कौन संभालेगा (Ratan Tata Successor)। लेकिन अब इस सवाल का जवाब मिल गया है। टाटा ट्रस्ट को नया चेयरमैन मिल गया है। सूत्रों के मुताबिक, ट्रस्ट ने रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को चेयरमैन नियुक्त किया है। आज टाटा ट्रस्ट की बैठक हुई जिसमें नोएल टाटा को रतन टाटा का उत्तराधिकारी चुनने का फैसला लिया गया।

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नोएल टाटा बने नए चेयरमैन- Noel Tata became the new chairman

रतन टाटा के सौतेले भाई और नवल एच. और साइमन एन. टाटा के बेटे। पारसी समुदाय ने नोएल के नाम पर सहमति जताई और तय किया कि टाटा परिवार से ही कोई उत्तराधिकारी होगा। नोएल की कार्यशैली रतन टाटा से अलग मानी जाती है। वह लाइमलाइट से दूर काम करना पसंद करते हैं। नोएल 40 से ज़्यादा सालों से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं। वह वर्तमान में टाटा समूह की कई कंपनियों के बोर्ड में हैं। वह टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन और टाटा स्टील और टाइटन कंपनी लिमिटेड के वाइस चेयरमैन हैं।

 

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रतन टाटा ट्रस्ट में ट्रस्टी है नोएल- Noel Ratan Tata Trust trustee

नोएल पहले से ही सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट और सर रतन टाटा ट्रस्ट (Sir Ratan Tata Trust) के ट्रस्टी हैं। इन दोनों के पास टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस में 66 प्रतिशत की हिस्सेदारी है। इस नियुक्ति के साथ, नोएल सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के 11वें अध्यक्ष और सर रतन टाटा ट्रस्ट के छठे अध्यक्ष बन गए हैं। टाटा समूह के साथ उनका सफर 1999 में शुरू हुआ था। उन्होंने समूह की रिटेल कंपनी ट्रेंट के विस्तार में अहम भूमिका निभाई है। नोएल टाटा 2019 में सर रतन टाटा ट्रस्ट बोर्ड में शामिल हुए और 2018 में टाइटन कंपनी के वाइस चेयरमैन बने। इसके बाद मार्च 2022 में वह टाटा स्टील के वाइस चेयरमैन बने। वह इससे पहले टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड का नेतृत्व कर चुके हैं। वह 11 साल से ज्यादा समय तक ट्रेंट के एमडी रहे। आज यह 2.8 लाख करोड़ रुपये की कंपनी है।

नोएल का टाटा में योगदान

अगस्त 2010 से नवंबर 2021 तक, नोएल टाटा ने टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड के एमडी के रूप में काम किया। इस दौरान कंपनी का टर्नओवर 500 मिलियन डॉलर से बढ़कर 3 बिलियन डॉलर हो गया। उनके निर्देशन में, ट्रेंट ने बहुत विकास किया है। ज़ारा और मासिमो जैसे अंतरराष्ट्रीय व्यवसायों के अलावा, वह वर्तमान में वेस्टसाइड, स्टार बाज़ार और ज़ूडियो सहित कई ब्रांडों का प्रबंधन करती हैं। FY24 के लिए, व्यवसाय ने 12,669 करोड़ रुपये का समेकित राजस्व दर्ज किया। नोएल ने 2010 में टाटा इंटरनेशनल के लिए काम करना शुरू किया और 2021 तक वहीं रहे।

नोएल का परिवार

नोएल ने INSEAD इंटरनेशनल एग्जीक्यूटिव प्रोग्राम पूरा किया और ससेक्स यूनिवर्सिटी से स्नातक किया। नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा ने 2016 में ट्रेंट में काम करना शुरू किया और हाल ही में स्टार बाज़ार का नेतृत्व संभाला। नोएल टाटा की बेटियाँ भी टाटा समूह की कंपनियों में काम करती हैं। 39 वर्षीय लीह टाटा को हाल ही में इंडियन होटल्स के गेटवे ब्रांड की देखरेख के लिए नियुक्त किया गया था। 36 वर्षीय माया टाटा की रुचि तकनीक और एनालिटिक्स दोनों में है। उनका नियोक्ता टाटा डिजिटल है।

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Chinese Garlic: यूपी में 13 टन चाइनीज लहसुन नष्ट, शरीर के लिए है बेहद हानिकारक, ऐसे करें भारतीय और चीनी लहसुन की पहचान?

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Indian garlic and Chinese garlic
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भारतीय बाजार में चीनी उत्पादों (Chinese products) की घुसपैठ कोई नई बात नहीं है। सस्ते होने के कारण ये उत्पाद देश में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं। सरकार समय-समय पर इन उत्पादों पर प्रतिबंध लगाती रहती है। लेकिन फिर भी चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। हाल ही में यूपी के महाराजगंज में कस्टम विभाग की टीम को भारी मात्रा में चीनी लहसुन (Chinese Garlic) मिला था। दिल्ली की आजादपुर मंडी में देश के अलग-अलग राज्यों के साथ-साथ दूसरे देशों से भी लहसुन आता है। ये लहसुन सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक होता है।

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यूपी में चीनी लहसुन- Chinese Garlic in UP

बरामद माल की जांच के दौरान घटिया किस्म के चीनी खाद्य पदार्थ पाए गए, जिन्हें बाद में जला दिया गया। कार्रवाई के दौरान 3800 किलोग्राम चीनी किबी, 1.5 टन चीनी आम और 13 टन चीनी लहसुन नष्ट किया गया। मौके पर महाराजगंज, नौतनवा, सोनौली में सीमा शुल्क कार्यालय की संयुक्त टीम मौजूद थी।

Indian garlic and Chinese garlic
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वहीं इस मामले में कस्टम विभाग के डिप्टी कमिश्नर वैभव सिंह का बयान भी सामने आया है। उन्होंने कहा कि बॉर्डर एरिया में चाइना से आए काफी सामान को नष्ट किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस तरह के सामान को मानव उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं माना गया है, इसलिए इसे नष्ट करवाया जा रहा है।

भारत में चाइनीज लहसुन- Chinese Garlic in India

कुछ महीने पहले नेपाल से भारत में तस्करी करके लाया जा रहा चीनी लहसुन पकड़ा गया था और उसे नष्ट कर दिया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार के खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के नामित अधिकारी को हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तलब किया था और पूछा था कि प्रतिबंधित चीनी लहसुन अभी भी बाजार में क्यों है। न्यायालय की लखनऊ पीठ ने केंद्र के वकील से देश में ऐसी चीजों के प्रवेश को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा, क्या प्रवेश के बिंदु को ट्रैक करने के लिए कोई ऐसे प्रयास किए गए हैं और सरकार इसे कैसे रोकने की योजना बना रही है।

इस वजह से खतरनाक माना जाता है चीनी लहसुन- Chinese garlic is dangerous

खबरों की मानें तो, चीनी लहसुन में एक फंगस होने की अफवाह है जो भयावह बीमारियों का कारण बन सकता है। यह भी दिखाया गया है कि चीनी लहसुन में कीटनाशकों की एक महत्वपूर्ण मात्रा होती है। कीड़ों को दूर रखने के लिए मिथाइल ब्रोमाइड से उपचारित लहसुन खाने से अल्सर और संक्रमण सहित जठरांत्र संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब इस जहरीले लहसुन का सेवन किया जाता है, तो गुर्दे से संबंधित विकार उत्पन्न होते हैं। चीनी लहसुन को प्रतिबंधित किए जाने के बावजूद बाज़ारों में खुलेआम बेचा जा रहा है क्योंकि यह स्थानीय लहसुन से सस्ता है। यह मुनाफ़ा बढ़ाने के प्रयास में किया जाता है।

भारतीय और चाइनीज लहसुन में अंतर

अब सवाल यह है कि दोनों लहसुनों को कैसे पहचाना जाए। आपको बता दें कि अगर आप चीनी लहसुन को देखें तो उसे आसानी से पहचाना जा सकता है। आकार, रंग और गंध के मामले में यह भारतीय लहसुन से काफी अलग है। चीनी लहसुन का रंग हल्का सफेद और हल्का गुलाबी होता है। इसके विपरीत, भारतीय लहसुन का आकार छोटा होता है और इसका रंग सफेद या क्रीम रंग का होता है। दोनों की खुशबू भी एक-दूसरे से अलग होती है। चीनी लहसुन की खुशबू भारतीय लहसुन की तुलना में हल्की होती है, जो कि अधिक तीखी होती है।

Indian garlic and Chinese garlic
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चाइनीज लहसुन की पहचान

चीनी लहसुन मुख्य रूप से चीन में उत्पादित किया जाता है और दुनिया भर के अन्य देशों को आपूर्ति की जाती है। चीनी लहसुन में अक्सर छोटे बल्ब होते हैं जो गुलाबी या हल्के सफेद रंग के हो सकते हैं। चीनी लहसुन एक फूल की तरह खिलता है और स्थानीय किस्मों से बड़ा होता है। चीनी लहसुन में नियमित लहसुन की तुलना में काफी मोटे लौंग भी होते हैं। हालांकि, इसकी बनावट भ्रामक है। वास्तव में इसका स्वाद भयानक है। इसमें मौजूद दूषित पदार्थों के कारण इसका स्वाद नहीं होता। इन यौगिकों में सिंथेटिक घटक भी होते हैं। अगर मीडिया की कहानियों पर विश्वास किया जाए तो यह किसी व्यक्ति में कैंसर का कारण भी बन सकता है।

देसी लहसुन की पहचान

अब सवाल यह है कि आपको कौन सा लहसुन खरीदना चाहिए? इस सवाल का जवाब देसी लहसुन है। देसी लहसुन बाजार में अपनी मध्यम आकार की और छोटी कलियों के कारण पहचाना जाता है। हालांकि, देसी लहसुन की कलियों पर नकली लहसुन के विपरीत कई धब्बे होते हैं। लहसुन की खुशबू बहुत तेज होती है और इसका छिलका पूरी तरह से सफेद नहीं होता। अगर आप बाजार से लहसुन खरीदते समय अपने हाथ पर कुछ कलियाँ रगड़ते हैं, तो आपके हाथ चिपचिपे हो जाएँगे। अगर ऐसा होता है तो पहचान लें कि यह देसी लहसुन है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्राकृतिक खेती के तरीकों को प्राथमिकता दी जाती है और भारतीय लहसुन उगाने के दौरान कीटनाशकों और उर्वरकों का कम से कम इस्तेमाल किया जाता है।

भारत में चाइनीज लहसुन पर प्रतिबंध 

खबरों की मानें तो, देश में फंगस से संक्रमित लहसुन के प्रवेश की चिंताओं के जवाब में, भारत ने 2014 में चीनी लहसुन के आयात पर प्रतिबंध (India ban Chinese garlic) लगा दिया था। चीनी लहसुन में कीटनाशकों की महत्वपूर्ण सांद्रता होने की संभावना के बारे में भी चिंता व्यक्त की गई है। ऐसा कहा जाता है कि चीनी लहसुन पर मिथाइल ब्रोमाइड युक्त एक फफूंदनाशक का इस्तेमाल छह महीने तक फफूंद की वृद्धि को रोकने के लिए किया जाता है। इसके अलावा, लहसुन के चीनी रूप में एलिसिन बहुत कम होता है, एक ऐसा पदार्थ जो रक्तचाप को नियंत्रित करने और एक प्राकृतिक जीवाणुरोधी और प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले के रूप में कार्य करने के लिए माना जाता है।

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PM मोदी का दिया गिफ्ट भी नहीं संभाल सकी युनूस सरकार, जेशोरेश्वरी मंदिर से देवी काली का मुकुट चोरी

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Jeshoreshwari Temple
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इन दिनों भारत के कई राज्यों में दुर्गा पूजा मनाई जा रही है, वही बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस की सरकार जब से आई है, तब से ही हिंदुओं के साथ अत्याचार बढ़ गया है और अब फिर से बड़ी खबर सामने आई है कि बांग्लादेश के प्रसिद्ध जेशोरेश्वरी मंदिर से मां देवी काली का कीमती मुकुट चोरी हो गया. ये मुकुट भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2021 में अपने दौरे के दौरान भेंट किया था. ऐसे में यह मुकुट केवल धार्मिक प्रतीक नहीं बल्कि भारत और बांग्लादेश के बीच सांस्कृतिक संबंधों का भी प्रतीक था.

क्या है पूरा मामला

बांग्लादेश में यूनुस सरकार से पीएम मोदी का दिया खास तोहफा भी सही से संभाला नहीं गया. दरअसल, बांग्‍लादेश के सतखीरा स्थित जेशोरेश्‍वरी मंदिर में देवी काली का मुकुट चोरी हो गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मुकुट साल 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने दौरे के दौरान गिफ्ट में दिया था. वही बांग्लादेशी अखबार डेली स्टार के मुताबिक, सोने चांदी से बना हुआ यह मुकुट गुरुवार को दोपहर 2:00 बजे से 2:30 बजे के बीच चोरी हो गया. उस समय मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी पूजा के बाद मंदिर से बाहर जा चुके थे. बाद में सफाई कर्मचारियों ने पाया कि देवी के सिर से मुकुट गायब है. तभी से ये खबर सोशल मीडिया पर हवा से भी तेज वायरल हो रही है.

हालाँकि मामले की जांच की जारी है. इसके अलवा श्यामनगर पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर तैजुल इस्लाम ने बताया कि ‘हम मंदिर के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं ताकि चोर की पहचान हो सके और अपराधी को जल्द-से जल्द पकड़ा जा सकें. चोरी हुआ मुकुट भक्तों के लिए काफी धार्मिक महत्व रखता है क्योंकि जेशोरेश्वरी मंदिर भारत और पड़ोसी देशों में फैले 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है और यह घटना नवरात्रि के दौरान हुई है, जो कि एक हिंदू त्योहार है. इसमें देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें मां काली के रूप में भी पूजा जाता है.

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जेशोरेश्वरी मंदिर का इतिहास 

हिन्दू धर्म में देवी के कई शक्तिपीठ है. उन्हीं में से मां दुर्गा का एक शक्तिपीठ बांग्लादेश में भी है, जिसे जशोरेश्वरी काली मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर 400 साल पुराना है. इस मंदिर में 100 दरवाजे है. इस मंदिर को 12वीं शताब्दी एक ब्राह्मण द्वारा बनवाया गया था. बाद में इसका जीर्णोद्धार 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने करवाया था और अंततः 16 वीं शताब्दी में राजा प्रतापदित्य ने मंदिर का पुनर्निर्माण करवाया था. वैसे इतिहास में इस मंदिर के निर्माता को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं है. वहीं कहा जाता है कि 1971 के युद्ध में इस मंदिर को काफी नुकसान पहुंचा था. इसके बाद मुख्य मंदिर के पास एक मंच बनाया गया, जिसे नटमंडिर नाम दिया गया। इस मंच से आज मां काली के दर्शन किए जाते हैं. पुराने मंदिर में आज सिर्फ खंभे देखे जा सकते हैं.

इसके अलावा PM मोदी ने 2021 में बांग्लादेश दौरे पर एक वादा किया था. यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि भारत इस मंदिर में एक बहुउद्देशीय सामुदायिक हॉल का निर्माण करेगा. स्थानीय लोगों के लिए सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक आयोजनों के लिए इसके उपयोग पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि यह चक्रवात जैसी आपदाओं के समय सभी के लिए एक आश्रय स्थल के रूप में कार्य करेगा.

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ये हैं वो 6 कारण जिनकी वजह से फ्लॉप हो गया Shamita Shetty का करियर, शादीशुदा एक्टर से प्यार करना पड़ा भारी

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Shamita Shetty and Manoj Bajpayee
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बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी(Shilpa Shetty) का करियर जितना हिट रहा, उनकी छोटी बहन शमिता का करियर उतना ही फ्लॉप रहा। शमिता शेट्टी का बॉलीवुड करियर (Shamita Shetty’s career) शुरुआती सफल शुरुआत के बाद ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाया। इसकी मुख्य वजह सीमित भूमिकाएं, टाइपकास्टिंग और फिल्म इंडस्ट्री में लगातार सक्रियता की कमी थी। हालांकि, रियलिटी शो और दूसरे टीवी प्रोजेक्ट के जरिए उन्होंने अपनी पहचान बनाए रखी है। शमिता शेट्टी का बॉलीवुड करियर उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं रहा और इसके कई कारण हैं। आइए आपको उन कारणों के बारे में बताते हैं.

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सफल शुरुआत, लेकिन सीमित अवसर- Shamita Shetty’s career

शमिता शेट्टी ने 2000 में फिल्म “मोहब्बतें” से बॉलीवुड में डेब्यू किया था, जो एक बड़ी हिट साबित हुई। फिल्म में उनके अभिनय की सराहना की गई और इसके लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू अवॉर्ड भी मिला। हालांकि, इसके बाद वह उसी स्तर की फिल्मों में नजर नहीं आईं। उन्हें फिल्मों में ज्यादातर सपोर्टिंग रोल या ग्लैमरस रोल ही दिए गए, जिसकी वजह से उनका करियर ज्यादा आगे नहीं बढ़ सका।

टाइपकास्ट रोल्स

शमिता को कई फिल्मों में केवल ग्लैमरस और डांस आधारित भूमिकाएं ही मिलीं। उदाहरण के लिए, उनके गाने “शरारा शरारा” को तो खूब सराहा गया, लेकिन उन्हें ऐसे दमदार रोल नहीं मिले जो उन्हें अभिनय की नई ऊंचाइयों पर ले जा सकें। इस वजह से उन्हें टाइपकास्ट कर दिया गया और उनकी एक्टिंग स्किल्स का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाया।

प्रतिस्पर्धा का दबाव

शमिता शेट्टी का करियर उस समय शुरू हुआ जब बॉलीवुड में पहले से ही कई स्थापित अभिनेत्रियाँ थीं, और नई अभिनेत्रियाँ भी लगातार आ रही थीं। शमिता का करियर इस प्रतिस्पर्धा में खुद को बनाए रखने में सक्षम नहीं था। इसके आलवा शमिता ने अपने करियर में कम ही फिल्मों का चयन किया। उन्होंने लगभग 10-12 फिल्मों में काम किया, जो एक लंबी अवधि में फिल्म इंडस्ट्री में सफल करियर बनाने के लिए पर्याप्त नहीं था।

फिल्म इंडस्ट्री में सीमित सक्रियता

शमिता ने अपने करियर के शुरुआती सालों में कुछ फ़िल्में कीं, लेकिन बाद में वे फ़िल्मों से दूर हो गईं। उन्होंने रियलिटी शो और टीवी पर ज़्यादा ध्यान दिया, ख़ास तौर पर “बिग बॉस” और “झलक दिखला जा” जैसे शो। फ़िल्मों में कम सक्रियता के कारण उनका करियर फ़िल्म इंडस्ट्री में आगे नहीं बढ़ पाया।

शिल्पा शेट्टी से तुलना- Shamita Shetty Comparison with Shilpa Shetty

शमिता की बड़ी बहन शिल्पा शेट्टी बॉलीवुड में पहले से ही एक सफल अभिनेत्री थीं। कई बार तुलना के कारण भी शमिता के करियर को नुकसान हो सकता है, क्योंकि दर्शकों की अपेक्षाएँ बहुत अधिक थीं, और उनकी फिल्मों में उन्हें उस स्तर की भूमिकाएं नहीं मिलीं।

मनोज बाजपेयी संग रिलेशनशिप- Shamita Shetty Relationship with Manoj Bajpayee

शमिता के करियर के फ्लॉप होने के पीछे कई कारण थे लेकिन एक कारण ये भी था कि उन्हें एक ऐसे एक्टर से प्यार हो गया था जो शादीशुदा था। शादीशुदा एक्टर से प्यार होने की वजह से शमिता के करियर को काफी नुकसान हुआ। दरअसल ये एक्टर मनोज बाजपेयी थे, शमिता शेट्टी और मनोज बाजपेयी के रिलेशनशिप (Shamita Shetty and Manoj Bajpayee relationship) की खबरें एक समय मीडिया में खूब सुर्खियों में रही थीं। कहा जाता है कि मनोज के साथ फिल्म ‘फरेब’ और ‘बेवफा’ में नजर आईं शमिता शूटिंग के दौरान एक दूसरे के प्यार में पड़ गई थीं, हालांकि दोनों ने हमेशा इन खबरों पर चुप्पी साधे रखी। इन खबरों के सामने आने के बाद शमिता विवादों से घिर गईं। इसकी वजह थी शादीशुदा एक्टर से अफेयर।

हालांकि, यह रिश्ता ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और दोनों का ब्रेकअप हो गया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मनोज ने शमिता के लिए अपने परिवार को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया था, जिसके चलते दोनों का ब्रेकअप हो गया। बताया जाता है कि शमिता मनोज से इतना प्यार करती थीं कि उन्होंने अभी तक शादी नहीं की।

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Lucknow News: जेपी की जयंती पर लखनऊ में मचा हंगामा, भारी फोर्स की तैनाती के बीच क्या नजरबंद रहेंगे अखिलेश यादव?

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Akhilesh Yadav and JN birth anniversary Controversy
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समाजवादी चिंतक जयप्रकाश नारायण की जयंती (Jay Prakash Narayan’s birth anniversary) से पहले राजधानी लखनऊ का सियासी तापमान बढ़ गया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Samajwadi Party chief Akhilesh Yadav) शुक्रवार सुबह गोमती नगर स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) में लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती के कार्यक्रम में बिना अनुमति शामिल होने पर अड़े हैं। इसके लिए उन्हें प्रशासन से अनुमति नहीं मिली। सपा प्रमुख को घर से निकलने से रोकने के लिए लखनऊ प्रशासन ने घेराबंदी शुरू कर दी है। उनके घर के बाहर की सड़क को बैरिकेडिंग लगाकर सील कर दिया गया है। एक तरह से उन्हें नजरबंद करने की तैयारी है।

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इस मौके पर अखिलेश यादव ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर योगी सरकार पर हमला बोलते हुए लिखा, ये भाजपा राज में आजादी का दिखावटी अमृतकाल है, जनता श्रद्धांजलि न दे सके इसके लिए दीवार खड़ी कर दी गई।

सपा का योगी सरकार पर हमला- SP vs Yogi government

इस पूरे मामले पर सपा ने सीएम योगी (CM Yogi) से सवाल किया है। पार्टी ने सवाल किया कि क्या अखिलेश को नजरबंद किया जा रहा है? योगी जी को इस पर विस्तार से बताना होगा। समाजवादी आंदोलन के प्रेरणास्रोत, लोकतंत्र के लोकनायक और स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी जेपी जी की प्रतिमा को सजाने से सरकार क्यों रोक रही है? सपा के अनुसार, कायस्थ समाज के प्रतिष्ठित नेता जयप्रकाश नारायण जी को भाजपा सरकार (BJP Government) अपमानित कर रही है। जातिवादी ठाकुर योगी शासन में सेंगर और चिन्मयानंद जैसे बलात्कार करने वाले उसी जाति के लोगों का सम्मान किया जाता है जबकि क्रांतिकारियों और डेमोक्रेट्स का उपहास किया जाता है। क्या सीएम और सरकार को अब भी कोई शर्म बची है?

 “सरकार क्या छिपा रही है”

इसके अलावा अखिलेश यादव ने कहा, “यह जेपीएनआईसी समाजवादियों का संग्रहालय है, इसके अंदर जयप्रकाश नारायण की मूर्ति है और ऐसी प्रदर्शनी है जो समाजवाद को समझने में हमारी मदद करती है।” इन टिन की चादरों के साथ सरकार क्या छिपा रही है? क्या यह किसी को उपहार देने का इरादा है या जेपीएनआईसी को बेचने की तैयारी है? लोकनायक जयप्रकाश नारायण (Loknayak Jayprakash Narayan) की जयंती पर क्रांतिकारी नायक के इर्द-गिर्द राजनीति गरमा गई है। अखिलेश यादव एक तरफ दावा कर रहे हैं कि केंद्र के बाहर टिन की चादरें लगाई जा रही हैं और भाजपा सरकार उन्हें जेपीएनआईसी में जाने से रोक रही है। हालांकि, एलडीए ने जेपीएनआईसी बंद करने के पीछे की वजहें बताई हैं।

LDA का बयान आया सामने

जयप्रकाश नारायण की जयंती पर जेपीएनआईसी जाने की अखिलेश यादव की योजना के बारे में लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) ने एक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि जेपीएनआईसी में अभी निर्माण कार्य चल रहा है, निर्माण सामग्री लापरवाही से बिखरी हुई है और हाल ही में हुई बारिश के कारण बड़ी संख्या में कीड़े होने की संभावना है। पत्र के अनुसार, सपा प्रमुख अखिलेश यादव को जेड प्लस सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए सुरक्षा कारणों से जेपीएनआईसी जाना और स्मारक पर माल्यार्पण करना उनके लिए न तो उचित है और न ही सुरक्षित।

अखिलेश यादव ने शेयर की तस्वीरें

गुरुवार को जब अखिलेश यादव जेपीएनआईसी के गेट पर पहुंचे तो वहां टिन की चादरें लगाई गई थीं। उसके बाद एक वीडियो सामने आया जिसमें अखिलेश यादव ने पेंटर से टिन पर ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद’ लिखने को कहा, जिसके बाद अखिलेश यादव ने एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें टिन पर ‘समाजवादी पार्टी जिंदाबाद’ लिखा हुआ था।

2016 में बनवाया गया था केंद्र

इससे पहले पिछले साल भी सपा को जेपी जयंती पर माल्यार्पण नहीं करने दिया गया था, जिसके बाद अखिलेश यादव ने दीवार से कूदकर माल्यार्पण किया था। अखिलेश यादव ने 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए जेपीएनआईसी का उद्घाटन किया था। हालांकि, 2017 में जब सत्ता बदली और योगी सरकार बनी तो भवन का काम रोक दिया गया। इस केंद्र में जयप्रकाश नारायण संग्रहालय के साथ-साथ अन्य सुविधाएं भी हैं।

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Mahesh Langa case: मशहूर अखबार के पत्रकार महेश लांगा को क्राइम ब्रांच ने किया गिरफ्तार, लगे गंभीर आरोप

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journalist Mahesh Langa arrested
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वरिष्ठ पत्रकार महेश लांगा (Senior Journalist Mahesh Langa) को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच (Ahmedabad Crime Branch) ने फर्जी कंपनियों के जरिए फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) हासिल करने से जुड़े जीएसटी धोखाधड़ी मामले में मंगलवार को गिरफ्तार किया। लांगा का नाम सीधे तौर पर एफआईआर में नहीं था, लेकिन उनकी पत्नी और उनके एक रिश्तेदार का नाम कथित धोखाधड़ी वाले लेनदेन में शामिल कंपनियों से जुड़ा पाया गया। सूत्रों ने बताया कि लांगा के घर से 20 लाख रुपये नकद, कुछ सोने के आभूषण और जमीन के कागजात भी बरामद किए गए हैं।

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अभी तक की रिपोर्ट के मुताबिक लैंगा के खिलाफ आरोपों की जांच अभी भी जारी है। यह मामला आर्थिक अपराध से जुड़ा है और इसमें कई अन्य लोगों से भी पूछताछ की जा रही है। इस मामले से जुड़ा कोई अंतिम फैसला अभी तक सामने नहीं आया है।

महेश लांगा केस- Journalist Mahesh Langa case

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय जीएसटी विभाग ने शिकायत दर्ज की और इसके परिणामस्वरूप अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में 14 स्थानों पर तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप गिरफ्तारियां हुईं। क्राइम ब्रांच के अनुसार, उन्हें व्यापक धोखाधड़ी के बारे में पता चला है। क्राइम ब्रांच का दावा है कि इसमें 200 से अधिक बेनामी संस्थाओं का नेटवर्क शामिल है। कहा जाता है कि इन कंपनियों ने फर्जी नामों और दस्तावेजों का उपयोग करके कर चोरी को सक्षम किया है। इसके अतिरिक्त, यह दावा किया जाता है कि यह नेटवर्क “इनपुट टैक्स क्रेडिट” का लाभ उठाने और सरकार के खजाने को चुराने के लिए फर्जी लेनदेन का उपयोग कर रहा था।

इसके अलावा, महेश लंगा के पिता और पत्नी के नाम से फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं। ऐसी अफवाहें हैं कि इन फर्जी कंपनियों में संदिग्ध लेनदेन के लिए इनका इस्तेमाल किया गया था। क्राइम ब्रांच की ओर से जारी बयान के अनुसार, “शुरुआती जांच से पता चलता है कि फर्जी बिलिंग, फर्जी दस्तावेज और झूठे बयानों के जरिए सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाने की साजिश रची गई थी।” पुलिस उपायुक्त (अपराध) के अनुसार, ‘द हिंदू’ अखबार के वरिष्ठ पत्रकार अजीत राजियन को गहन पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया। मामले के संबंध में, क्राइम ब्रांच ने ध्रुवी एंटरप्राइज, ओम कंस्ट्रक्शन, राज इंफ्रा, हरीश कंस्ट्रक्शन कंपनी और डीए एंटरप्राइज सहित कई व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ औपचारिक शिकायत (एफआईआर) भी दर्ज की है।

 द हिंदू की ओर से आया रिएक्शन

मामले में ‘द हिंदू’ के संपादक सुरेश नंबथ ने सोशल मीडिया ब्लू स्काई पर अपनी प्रतिक्रिया साझा की है। उन्होंने कहा- ‘हमारे एक पत्रकार महेश लांगा को अहमदाबाद सिटी पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सेंट्रल जीएसटी की शिकायत पर गिरफ्तार किया है। हमें मामले की मेरिट के बारे में जानकारी नहीं है। हालांकि, यह द हिंदू में प्रकाशित उनकी रिपोर्ट से जुड़ा मामला नहीं है।’

One of our journalists, Mahesh Langa, has been arrested by the Crime Branch of the Ahmedabad City Police on a complaint registered by the Central GST. While we have no details about the merits of the case, we are given to understand that this is not related to his reports published in The Hindu.

— Suresh Nambath (@nambath.bsky.social) October 9, 2024 at 11:35 AM

सुरेश नंबथ ने आगे कहा- हम अहमदाबाद स्थित गुजरात संवाददाता के रूप में द हिंदू के लिए उनके (महेश लंगा) पेशेवर काम की सराहना करते हैं। हमें उम्मीद है कि कहीं भी किसी पत्रकार को उसके काम के लिए निशाना नहीं बनाया जाएगा, और हमें उम्मीद है कि जांच निष्पक्ष और तेजी से की जाएगी। सुरेश नंबथ, संपादक

इनपुट टैक्स क्रेडिट क्या है?

अब सवाल यह है कि इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) क्या है? दरअसल, इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) वह टैक्स है जो एक कारोबारी अपनी खरीद पर चुकाता है और जिसका इस्तेमाल वह बेचते समय अपने टैक्स को कम करने के लिए कर सकता है।

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ये हैं भारत में बौद्ध धर्म के विनाश के 6 कारण, जिनकी वजह से देश में इसका प्रभाव धीरे-धीरे कम होता गया

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Buddhism destruction vs India
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प्राचीन काल में बौद्ध धर्म भारत का एक प्रमुख धर्म था, लेकिन धीरे-धीरे इसका प्रभाव कम होता गया और यह लगभग लुप्त हो गया। बौद्ध धर्म के अनुयायी भारत के कोने-कोने में थे लेकिन फिर अचानक बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या कम होने लगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में बौद्ध धर्म का विनाश (Destruction of Buddhism) कई सामाजिक, राजनीतिक, धार्मिक और आर्थिक कारणों का परिणाम था। हिंदू धर्म का पुनरुत्थान, मुस्लिम आक्रमण, बौद्ध संस्थाओं का पतन और आंतरिक मतभेद जैसे कारकों ने धीरे-धीरे बौद्ध धर्म को विलुप्त (The extinction of Buddhism) कर दिया। हालांकि, आज भी दक्षिण एशिया और अन्य देशों में बौद्ध धर्म का प्रभाव देखा जा सकता है। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

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हिंदू धर्म का पुनरुत्थान- Revival of Hinduism

आदि शंकराचार्य जैसे हिंदू धर्म के प्रमुख संतों ने अद्वैत वेदांत की स्थापना के माध्यम से बौद्ध धर्म के विचारों को चुनौती दी। शंकराचार्य ने हिंदू धर्म के वैदिक विचारों को पुनर्जीवित किया और बौद्ध धर्म के अस्तित्व (The existence of Buddhism) को कमजोर किया। उन्होंने बौद्ध धर्म की आलोचना की और हिंदू धर्म के वेदांत दर्शन का प्रचार किया, जिससे बौद्ध धर्म के अनुयायियों में कमी आई।

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गुप्त और मौर्य काल के बाद हिंदू राजाओं का उदय

मौर्य और कुछ अन्य शासकों ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, लेकिन गुप्त साम्राज्य के उदय के साथ, हिंदू धर्म को फिर से शाही संरक्षण मिला। गुप्त काल में हिंदू धर्म सुरक्षित रहा, जबकि बौद्ध धर्म के प्रति शासकों की उदासीनता बढ़ती गई। इससे बौद्ध धर्म के प्रभाव में कमी आई।

मुस्लिम आक्रमण- Muslim Invasions in India

भारत में बौद्ध धर्म के विनाश का एक प्रमुख कारण मुस्लिम आक्रमण भी थे। 11वीं और 12वीं शताब्दी में महमूद गजनवी, मोहम्मद गौरी और अन्य मुस्लिम शासकों के आक्रमणों के दौरान कई बौद्ध मठों और संस्थानों को नष्ट कर दिया गया था। नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसे बौद्ध शिक्षा केंद्रों को लूट लिया गया और जलाकर राख कर दिया गया। परिणामस्वरूप, बौद्ध धर्म के अनुयायियों में गिरावट आई और इसका प्रभाव कमज़ोर हो गया।

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संस्थागत और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धा

बौद्ध धर्म के मठ और शैक्षणिक केंद्र जैसी संस्थाएँ धीरे-धीरे अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभावशीलता खोती चली गईं। कुछ बौद्ध मठ धीरे-धीरे भ्रष्ट हो गए और सामाजिक और धार्मिक संगठनों के रूप में कमज़ोर हो गए। इसके कारण लोगों का बौद्ध धर्म में विश्वास खत्म हो गया और इसके अनुयायी धीरे-धीरे हिंदू धर्म में लौटने लगे।

बौद्ध धर्म का विभाजन

समय के साथ बौद्ध धर्म में महायान और हीनयान जैसे कई संप्रदाय बन गए। इन विभाजनों ने बौद्ध धर्म की एकता को भी कमजोर कर दिया। आंतरिक मतभेदों और धार्मिक विभाजनों ने बौद्ध धर्म के प्रभाव को और कमजोर कर दिया।

आर्थिक और सामाजिक कारण

बौद्ध मठों और भिक्षुओं पर समाज की बढ़ती आर्थिक निर्भरता भी एक कारण थी। धीरे-धीरे बौद्ध भिक्षु समाज से अलग-थलग पड़ गए और आर्थिक संसाधनों के अभाव में बौद्ध मठ और संस्थाएं कमजोर हो गईं।

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सपने में बारिश को देखने का क्या होता है मतलब? जानिए स्वप्न शास्त्र में इसे शुभ माना जाता है या अशुभ

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सपने देखना आम बात है। लेकिन इन सपनों के पीछे छिपे रहस्य को समझ पाना एक आम इंसान के लिए संभव नहीं है। कई बार आपने सपने में ऐसी चीजें देखी होंगी, जिन्हें देखने के बाद आपके मन में कई सवाल उठे होंगे कि इन सपनों का क्या मतलब है और ये सपने क्यों आए, तो आज हम आपको इस सवाल का जवाब बताएंगे। दरअसल कुछ लोगों को बारिश से जुड़े सपने(Seeing rain in a dream) भी आते हैं, जो एक आम बात है लेकिन यह एक गहरा प्रतीक है जिसकी कई तरह से व्याख्या की जा सकती है। यह सपना जीवन में बदलाव, शुद्धि या भावनाओं के प्रवाह का संकेत हो सकता है। आइए जानते हैं कि ऐसे सपने देखने का क्या मतलब होता है। इस तरह सपने शुभ या अशुभ होते हैं।

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सपने में बारिश देखना-Seeing Rain in a Dream

बारिश को अक्सर सफाई और शुद्धिकरण का प्रतीक माना जाता है। अगर आप सपने में बारिश (Rain Dream)देखते हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपका जीवन किसी भी नकारात्मक अनुभव या भावनाओं से मुक्त हो रहा है और आप एक नई शुरुआत की ओर बढ़ रहे हैं।

भावनाओं का प्रकटीकरण

बारिश को भावनाओं का प्रतीक भी माना जाता है, खासकर तब जब हम आंतरिक भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थ होते हैं। सपने में बारिश देखना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की आवश्यकता महसूस हो रही है या आपके भीतर कोई गहरी भावना छिपी हुई है जिसे आप खुलकर व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं।

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सकारात्मक बदलाव और समृद्धि

बारिश का एक और सकारात्मक अर्थ यह हो सकता है कि जीवन में समृद्धि और उन्नति के संकेत हैं। यह सपना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपके जीवन में कुछ अच्छा और सकारात्मक बदलाव होने वाला है, जैसे कि पेशेवर या व्यक्तिगत सफलता।

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तनाव या उदासी का संकेत

दूसरी ओर, अगर बारिश भारी और लगातार हो रही है, तो यह चिंता, तनाव या उदासी का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में किसी चुनौतीपूर्ण स्थिति या भावनात्मक दबाव का सामना कर रहे हैं।

बाधाएँ और रुकावटें

कभी-कभी सपने में बारिश देखना इस बात का भी प्रतीक हो सकता है कि आपके जीवन में कोई कार्य या उद्देश्य बाधित हो रहा है। खासकर अगर बारिश तूफानी हो, तो यह संकेत दे सकता है कि आपको मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

प्राकृतिक संबंध और शांति

अगर बारिश हल्की और शांत है, तो यह आंतरिक शांति और प्राकृतिक संबंध का संकेत हो सकता है। यह दर्शाता है कि आप अपने जीवन में संतुलन और शांति महसूस कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं। नेड्रिक न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है। इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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