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How to meet Swami Kailashananda Giri: स्वामी कैलाशानंद गिरि से कैसे मिलें? जानें संन्...

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How to meet Swami Kailashananda Giri: भारत के प्रतिष्ठित संतों में से एक स्वामी कैलाशानंद गिरि जी का नाम आध्यात्मिक जगत में विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है। वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं और हरिद्वार स्थित श्री सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर हैं। उनके दर्शन और दीक्षा प्राप्त करने की लालसा रखने वाले भक्तों के लिए यह लेख मार्गदर्शक साबित होगा।

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How to meet Swami Kailashananda Giri

स्वामी कैलाशानंद गिरि का जन्म 1 जनवरी 1976 को बिहार के जमुई जिले में हुआ था। वे एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते थे, लेकिन ईश्वर भक्ति की ओर आकर्षित होकर उन्होंने बचपन में ही घर-बार छोड़ दिया। वे भगवान की भक्ति में इतने तल्लीन हो गए कि उन्होंने फिर कभी पारिवारिक जीवन की ओर नहीं देखा। जूना अखाड़े से जुड़े संतों के अनुसार, एक बार जब कोई व्यक्ति संन्यास धारण कर लेता है, तो वह सांसारिक बंधनों से मुक्त हो जाता है।

निरंजनी अखाड़े से जुड़ाव

स्वामी कैलाशानंद गिरि निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं, जो हिंदू संतों की एक प्रतिष्ठित शाखा है। इस पद को प्राप्त करने के लिए गहन तपस्या और वेद, उपनिषद, पुराणों का विस्तृत ज्ञान आवश्यक होता है। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने इस कठिन परीक्षा को सफलतापूर्वक पार किया और 2013 के प्रयागराज महाकुंभ के दौरान उन्हें अग्नि अखाड़े के महामंडलेश्वर के रूप में प्रतिष्ठित किया गया। 2021 में वे निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बने।

हरिद्वार में आध्यात्मिक केंद्र

वर्तमान में स्वामी कैलाशानंद गिरि हरिद्वार के चंडी घाट स्थित काली मंदिर के प्रमुख हैं, जिसे दक्षिण काली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भक्तों के लिए एक प्रमुख आस्था केंद्र बन चुका है। हरिद्वार में स्थापित इस मंदिर का स्वरूप स्वामी जी के आगमन के बाद पूरी तरह से बदल गया, जिससे यह धार्मिक स्थल और भी अधिक आकर्षण का केंद्र बन गया।

स्वामी कैलाशानंद गिरि से मिलने का तरीका

अगर आप स्वामी कैलाशानंद गिरि से मिलना चाहते हैं, तो निम्नलिखित मार्गों का अनुसरण कर सकते हैं:

हरिद्वार के श्री सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर जाएं

swamikailashanandgiriji.in में उपलब्ध जानकारी के मुताबिक, स्वामी कैलाशानंद गिरि जी हरिद्वार स्थित श्री सिद्धपीठ दक्षिण काली मंदिर के पीठाधीश्वर हैं। उनसे मिलने के लिए आप इस मंदिर में जा सकते हैं।

पता:
सिद्धपीठ श्री दक्षिण काली मंदिर, चीला बांध – ऋषिकेश रोड, हरिद्वार, उत्तराखंड 249408

समय:
मंदिर में स्वामी जी नियमित रूप से प्रवचन और साधना सत्र आयोजित करते हैं।
भक्त उनके आश्रम में सुबह और शाम के समय जाकर दर्शन कर सकते हैं।

आधिकारिक वेबसाइट या संपर्क नंबर के माध्यम से अपॉइंटमेंट लें

स्वामी जी से मिलने के लिए पहले से संपर्क करना आवश्यक हो सकता है।

संपर्क करें:
📞 +91 75240 42567
📩 ईमेल: office@swamikailashanandgiri.com

यदि आप विशेष आध्यात्मिक परामर्श, दीक्षा, या किसी आयोजन में भाग लेना चाहते हैं, तो पहले संपर्क करना उचित रहेगा।

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स

स्वामी कैलाशानंद गिरी जी महाराज विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर सक्रिय हैं। आप उनके आधिकारिक फेसबुक पेज, इंस्टाग्राम प्रोफ़ाइल या यूट्यूब चैनल के माध्यम से उनसे संपर्क कर सकते हैं। इन प्लेटफ़ॉर्म्स पर उनके प्रवचनों, कार्यक्रमों और अन्य गतिविधियों की जानकारी भी उपलब्ध होती है।

स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा कैसे प्राप्त करें?

यदि आप स्वामी कैलाशानंद गिरि से दीक्षा लेना चाहते हैं, तो आपको अपने जीवन में कुछ बदलाव करने होंगे:

– मांसाहार और नशे का पूर्णतः त्याग करें।
–  21 दिनों तक लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
– स्वच्छता और सात्विक जीवनशैली अपनाएं।
– नियमित रूप से मंत्र जाप और ध्यान करें।

हरिद्वार जाकर दीक्षा समारोह में भाग लें

स्वामी कैलाशानंद गिरि जी दीक्षा समारोह का आयोजन करते हैं, जिसमें एक साथ सैकड़ों श्रद्धालुओं को दीक्षा दी जाती है।

– इस आयोजन में भाग लेने के लिए आपको पहले अपना नाम पंजीकृत करवाना होगा।
– दीक्षा समारोह की तारीखें और स्थान की जानकारी आपको आश्रम में संपर्क करके मिल सकती हैं।

कुछ भाग्यशाली श्रद्धालु व्यक्तिगत रूप से भी स्वामी जी से दीक्षा प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन यह पूरी तरह से स्वामी जी की इच्छा पर निर्भर करता है।

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Sadguru Riteshwar Ji Maharaj Biography: आध्यात्मिकता और समाजसेवा का प्रतीक सद्गुरु रि...

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Sadguru Riteshwar Ji Maharaj Biography: सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज भारत के एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक नेता, प्रेरक वक्ता और लेखक हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाओं के प्रबल समर्थक हैं और जीवन को आनंदमय बनाने के मार्ग पर कार्य कर रहे हैं। उनके विचारों और उपदेशों का प्रभाव न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी देखने को मिलता है। उन्होंने आध्यात्मिकता, शिक्षा, विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

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प्रारंभिक जीवन और शिक्षा (Sadguru Riteshwar Ji Maharaj Biography)

सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज का जन्म 5 जनवरी 1973 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ। उनके पिता विजय नारायण और माता मंजू देवी दोनों ही शिक्षक थे। एक कुलीन ब्राह्मण परिवार में जन्मे सद्गुरु का झुकाव बचपन से ही आध्यात्म और सनातन संस्कृति की ओर था।

उन्होंने वाराणसी से भूविज्ञान और संस्कृत में स्नातकोत्तर (Post Graduation) की पढ़ाई की। शिक्षा के दौरान ही उन्होंने आध्यात्मिकता की गहरी साधना शुरू कर दी। उन्होंने त्रिकूट पर्वत, उत्तराखंड के जंगल, ब्रज चौरासी कोस, काशी और वृंदावन में तपस्या की और देश के विभिन्न हिस्सों में धार्मिक यात्राएं कीं।

श्री आनंदम धाम: समाज सेवा का केंद्र

सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज ने उत्तर प्रदेश के वृंदावन में “श्री आनंदम धाम” की स्थापना की। यह एक अंतरराष्ट्रीय, शैक्षिक और गैर-लाभकारी संगठन है, जो समाज कल्याण से जुड़े कई महत्वपूर्ण अभियान चलाता है।

  • पर्यावरण संरक्षण: “पानी बचाओ, पेड़ बचाओ, भविष्य बचाओ” अभियान के तहत जल संरक्षण और हरित वातावरण को बढ़ावा दिया जाता है।
  • नशा मुक्ति अभियान: युवा पीढ़ी को नशे से बचाने के लिए शराब और मादक पदार्थों के विरुद्ध कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
  • नि:शुल्क भोजन सेवा: श्री आनंदम धाम में “लाडली प्रसादम” नामक नि:शुल्क भोजन केंद्र संचालित किया जाता है, जहां प्रतिदिन सैकड़ों लोगों को भोजन कराया जाता है।
  • भागवत शोध संस्थान: श्रीमद्भागवत महापुराण के गूढ़ रहस्यों पर शोध करने के लिए एक विशेष शोध संस्थान की स्थापना की गई है।

सनातन संस्कृति और शिक्षा में योगदान

सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज सनातन शिक्षा पद्धति के समर्थक हैं। उनका मानना है कि भारत की शिक्षा व्यवस्था में “सनातन बोर्ड” का गठन किया जाना चाहिए, ताकि भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों को संजोया जा सके।

वे मानते हैं कि “श्रीकृष्ण ही आनंद हैं, और आनंद ही श्रीकृष्ण हैं।” उनका संदेश है कि जो कुछ भी किया जाए, उसे भगवान को समर्पित किया जाए, जिससे व्यक्ति सदा जीवन-मुक्त का अनुभव कर सके।

आध्यात्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक उत्सव

सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज हर वर्ष विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किए जाते हैं।

  • राधा माधव महोत्सव और गुरु पूर्णिमा महोत्सव जैसे भव्य आयोजनों में वे हर साल हजारों लोगों को आध्यात्मिक संदेश देते हैं।
  • ये कार्यक्रम स्कॉटलैंड, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नेपाल और अन्य देशों में भी आयोजित किए जाते हैं।

पुरस्कार और सम्मान

उनके आध्यात्मिक और सामाजिक योगदान के लिए सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज को कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।

  • 2022 में उन्हें “सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक नेता” के रूप में 14वें न्यूज़मेकर्स अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।
  • यह पुरस्कार मुंबई के अंग्रेजी दैनिक ‘आफ्टरनून वॉयस’ द्वारा आयोजित किया गया था।

विचारधारा और शिक्षाएं

सद्गुरु रितेश्वर जी महाराज के अनुसार, संघर्ष में जीवन नहीं, बल्कि आनंद में जीवन है। उनका मानना है कि खुश रहकर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। वे भगवान कृष्ण के प्रेम और गीता के संदेश को जीवन में अपनाने पर जोर देते हैं।

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Who is Hussain Mansoori: सोशल मीडिया पर जरूरतमंदों की मदद करने वाला युवा कंटेंट क्रिए...

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Who is Hussain Mansoori: सोशल मीडिया आज केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं रह गया है, बल्कि यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन चुका है जहां लोग अपनी सोच, विचारधारा और नेक कार्यों को दुनिया के सामने ला सकते हैं। इसी राह पर चलते हुए इंस्टाग्राम कंटेंट क्रिएटर हुसेन मंसूरी न केवल मनोरंजक वीडियो बनाते हैं, बल्कि अपने प्लेटफॉर्म का उपयोग गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए कर रहे हैं।

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कौन हैं हुसेन मंसूरी? (Who is Hussain Mansoori)

हुसेन मंसूरी एक सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर और इंस्टाग्राम कंटेंट क्रिएटर हैं, जो अपने वीडियो में अक्सर गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करते हुए नजर आते हैं। उनका उद्देश्य सिर्फ वायरल वीडियो बनाना नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक बदलाव लाना और दयालुता को बढ़ावा देना है।

उनके द्वारा बनाए गए वीडियो न केवल लाखों लोगों तक पहुंचते हैं, बल्कि लोगों के दिलों को छू जाते हैं। वे अपने कंटेंट के माध्यम से यह संदेश देते हैं कि दूसरों की मदद करने के लिए अमीर होना जरूरी नहीं, बल्कि बड़ी सोच और उदार हृदय होना अधिक मायने रखता है।

गरीब बच्चों की मदद का वायरल वीडियो

हाल ही में हुसेन मंसूरी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें वे एक गरीब बच्चे की सहायता करते नजर आए। वीडियो में एक बच्चा बस स्टॉप की रेलिंग पर बैठकर साइकिल चलाने की नकल करता दिखता है। यह बच्चा इतना गरीब था कि उसके पैरों में चप्पल तक नहीं थी और उसके माता-पिता टोकरी बनाने का काम कर रहे थे।

 

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हुसेन पहले बच्चे को एक जोड़ी नई चप्पल पहनाते हैं और फिर उसकी आंखों पर पट्टी बांधकर उसे एक खास सरप्राइज देने की तैयारी करते हैं। जब बच्चे की आंखों से पट्टी हटती है, तो सामने एक नई साइकिल देखकर वह खुशी से झूम उठता है। उसकी मां की आंखों में भी खुशी झलकती है और यह दृश्य देखकर दर्शक भी भावुक हो जाते हैं। इस वीडियो को देखने के बाद हजारों लोगों ने हुसेन के इस नेक कार्य की प्रशंसा की।

हुसेन मंसूरी की इंस्टाग्राम जर्नी

हुसेन मंसूरी की सोशल मीडिया यात्रा आसान नहीं थी। उन्होंने शुरू में सिर्फ मनोरंजक वीडियो बनाकर अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पोस्ट किए, लेकिन समय के साथ उन्होंने महसूस किया कि सोशल मीडिया के जरिए समाज में बदलाव लाया जा सकता है।

इंस्टाग्राम पर उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई, और उन्होंने सकारात्मक कंटेंट बनाने पर ध्यान केंद्रित किया। वे ऐसे वीडियो बनाते हैं जो लोगों के दिलों को छू जाएं और उन्हें कुछ अच्छा करने के लिए प्रेरित करें। उनके फॉलोअर्स अब सिर्फ मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि प्रेरणा लेने के लिए भी उनके वीडियो देखते हैं।

सोशल मीडिया पर सकारात्मकता फैलाने का लक्ष्य

आज के दौर में जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नकारात्मकता और विवादस्पद सामग्री तेजी से वायरल होती है, वहीं हुसेन मंसूरी जैसे क्रिएटर्स ऐसे वीडियो बना रहे हैं जो समाज में सकारात्मकता का संचार कर रहे हैं। वे दिखाते हैं कि थोड़ी-सी उदारता किसी की पूरी जिंदगी बदल सकती है। वे अपने कंटेंट के जरिए समाज को यह संदेश देना चाहते हैं कि दूसरों की मदद करने के लिए करोड़पति होने की जरूरत नहीं, बल्कि नेकदिल होने की जरूरत है। उनके वीडियो देखने के बाद कई लोगों ने भी गरीबों की मदद करने के लिए प्रेरित होकर खुद आगे आने की बात कही।

हुसैन मंसूरी की नेट वर्थ

Youtubers.me की रिपोर्ट के मुताबिक, लोकप्रिय इंस्टाग्राम कंटेंट क्रिएटर और सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर हुसैन मंसूरी की अनुमानित नेट वर्थ $581K से $3.49M (लगभग 4.8 करोड़ से 29 करोड़ रुपये) के बीच आंकी गई है।

 

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कमाई के स्रोत:

  1. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स – इंस्टाग्राम, यूट्यूब और अन्य डिजिटल प्लेटफॉर्म से एड रेवेन्यू।
  2. ब्रांड प्रमोशन – बड़े ब्रांड्स के साथ कोलैबोरेशन और स्पॉन्सर्ड पोस्ट।
  3. एफिलिएट मार्केटिंग – विभिन्न प्रोडक्ट्स और सर्विसेज को प्रमोट करके कमाई।
  4. इवेंट और पब्लिक अपीयरेंस – सोशल वर्क और मोटिवेशनल टॉक से भी इनकम।

हुसैन मंसूरी अपनी सोशल मीडिया प्रसिद्धि और दयालुता से लोगों के दिलों में जगह बना चुके हैं, जिससे उनकी फॉलोइंग और नेट वर्थ दोनों तेजी से बढ़ रही हैं।

लोगों की प्रतिक्रिया और समाज पर प्रभाव

हुसेन मंसूरी के वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों व्यूज और हजारों लाइक्स बटोरते हैं। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि ये वीडियो सिर्फ मनोरंजन नहीं करते, बल्कि लोगों के सोचने का नजरिया भी बदल देते हैं।

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Premananda Maharaj Padayatra Update: होली तक नहीं होंगे संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन...

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Premananda Maharaj Padayatra Update: उत्तर प्रदेश के मथुरा में स्थित श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम के प्रमुख संत प्रेमानंद महाराज के भक्तों के लिए यह खबर निराशाजनक हो सकती है। उनकी नियमित पदयात्रा, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं, 10 मार्च से 14 मार्च तक स्थगित कर दी गई है। इस निर्णय का कारण होली के दौरान वृंदावन में उमड़ने वाली भारी भीड़ और महाराज के स्वास्थ्य को बताया जा रहा है।

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भक्तों के लिए बड़ी घोषणा- Premananda Maharaj Padayatra Update

श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम की ओर से आधिकारिक बयान जारी कर यह जानकारी दी गई कि महाराज की पदयात्रा चार दिनों तक नहीं निकाली जाएगी।

आश्रम प्रशासन की ओर से कहा गया:
“आप सभी प्रियजनों को सूचित किया जाता है कि होली के पावन पर्व के चलते और पूज्य महाराज जी के स्वास्थ्य की अनुकूलता को ध्यान में रखते हुए, 10 मार्च से 14 मार्च 2025, रात 2:00 बजे से पूज्य महाराज जी की पदयात्रा नहीं निकलेगी। कृपया इन दिनों दर्शन के लिए न आएं।”

पदयात्रा स्थगित करने की वजह

वृंदावन में होली का उत्सव दुनिया भर में प्रसिद्ध है। 10 मार्च को रंग भरनी एकादशी का आयोजन होगा, जिसमें ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए उमड़ेंगे। इस दौरान ब्रज क्षेत्र में अभूतपूर्व भीड़ होती है, जिससे सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। सड़कों पर भारी भीड़ को देखते हुए महाराज की पदयात्रा स्थगित करने का निर्णय लिया गया। स्वास्थ्य कारणों को भी ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया गया, ताकि भीड़भाड़ में किसी प्रकार की असुविधा न हो।

सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी

प्रेमानंद महाराज ने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट “भजन मार्ग” के माध्यम से भी यह जानकारी साझा की। पोस्ट में उनके अनुयायियों से समझदारी दिखाने और इन दिनों में दर्शन के लिए न आने की अपील की गई।

भक्तों की प्रतिक्रिया

यह घोषणा होते ही भक्तों ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त करनी शुरू कर दीं। कुछ भक्तों ने महाराज के अच्छे स्वास्थ्य की कामना की। एक यूजर ने लिखा, “गुरुजी स्वस्थ रहें, यही सबसे जरूरी है।” दूसरे ने कहा, “अल्लाह आपको सेहतमंद रखे और जल्द स्वस्थ कर दे।” कई लोगों ने महाराज के दर्शन स्थगित होने पर मायूसी जताई, लेकिन उनके निर्णय का समर्थन भी किया।

आश्रम प्रशासन का अनुरोध

श्री हित राधा केलि कुंज प्रशासन ने भक्तों से अपील की है कि वे महाराज के निर्देशों का पालन करें और इस दौरान आश्रम में अनावश्यक भीड़ न लगाएं।

क्या भक्त होली के बाद दर्शन कर पाएंगे?

सूत्रों के अनुसार, 15 मार्च से संत प्रेमानंद महाराज की पदयात्रा फिर से शुरू हो सकती है। हालांकि, अंतिम निर्णय महाराज के स्वास्थ्य और आश्रम प्रशासन के दिशानिर्देशों पर निर्भर करेगा।

संत प्रेमानंद महाराज के दर्शन स्थगित होने से उनके अनुयायियों में कुछ मायूसी जरूर है, लेकिन भक्तगण इस निर्णय को आवश्यक और उचित मान रहे हैं। अब सभी को 15 मार्च के बाद उनकी पदयात्रा दोबारा शुरू होने का इंतजार रहेगा।

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Madhya Pradesh Raisen Historical fort: रायसेन किले की ऐतिहासिक तोप, 305 साल पुरानी पर...

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Madhya Pradesh Raisen Historical fort: मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित ऐतिहासिक किला, जो अपने गौरवशाली अतीत और रहस्यमयी कहानियों के लिए प्रसिद्ध है, 305 साल पुरानी एक अनोखी परंपरा को आज भी निभा रहा है। रमजान के पवित्र महीने में इस किले की प्राचीर से तोप दागकर सेहरी और इफ्तार का समय बताया जाता है। यह परंपरा नवाबी शासनकाल से चली आ रही है और आज भी स्थानीय मुस्लिम समुदाय इसी तोप की आवाज को सुनकर रोजा खोलते हैं और सेहरी समाप्त करते हैं।

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305 साल पुरानी परंपरा और इसका महत्व- Madhya Pradesh Raisen Historical fort

रायसेन में रमजान के दौरान तोप चलाने की यह परंपरा 18वीं सदी से जारी है। शहर काजी ज़हीर उद्दीन के अनुसार, यह परंपरा नवाबी दौर में शुरू हुई थी और आज भी इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाया जा रहा है। यह तोप करीब 30 गांवों तक सुनाई देती है, जिससे दूर-दराज के रोजेदारों को भी रमजान के समय की सूचना मिलती है। हर साल जिला प्रशासन एक महीने का लाइसेंस जारी करता है, जिससे इस ऐतिहासिक परंपरा को कानूनी मान्यता मिलती है। तोप चलाने की जिम्मेदारी एक ही परिवार के लोग पीढ़ियों से निभा रहे हैं। रमजान समाप्त होने के बाद ईद के दिन इस तोप की सफाई कर इसे सरकारी गोदाम में जमा कर दिया जाता है। यह अनूठी परंपरा रायसेन को पूरे देश में एक अलग पहचान दिलाती है।

Madhya Pradesh Raisen Historical fort
Source: Google

तोप दागने की प्रक्रिया

इस परंपरा का संचालन एक सिग्नल सिस्टम के माध्यम से किया जाता है।

  • शहर की मार्कस वाली मस्जिद से संकेत भेजा जाता है।
  • मस्जिद की मीनार पर लाल बल्ब जलाकर सूचना दी जाती है।
  • संकेत मिलते ही किले से तोप दागी जाती है, जिसकी गूंज दूर-दूर तक सुनाई देती है।

काजी ज़हीर उद्दीन के मुताबिक, राजस्थान के बाद रायसेन दूसरा ऐसा शहर है, जहां रमजान की सूचना तोप से दी जाती है। यह परंपरा किले को रमजान के दौरान एक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र बना देती है।

इतिहास और रहस्यमयी कहानियां

रायसेन किला न केवल रमजान की इस परंपरा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका ऐतिहासिक महत्व भी बहुत बड़ा है। 16वीं सदी में यह किला वीरता और बलिदान का प्रतीक बना, जब 700 रानियों ने जौहर किया था। यह किला अपनी स्थापत्य कला और मजबूत किलेबंदी के लिए प्रसिद्ध है। पारस पत्थर की मौजूदगी के दावे इसे और भी रहस्यमयी बनाते हैं। आज भी यह किला राजस्थान और मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

Madhya Pradesh Raisen Historical fort
Source: Google

रमजान के दौरान जब इस किले से तोप की गूंज उठती है, तो यह इसकी ऐतिहासिक भव्यता को और भी अधिक बढ़ा देता है।

प्रशासन की भूमिका और सुरक्षा व्यवस्था

रायसेन में यह परंपरा धार्मिक आस्था और प्रशासनिक सहयोग का बेहतरीन उदाहरण है। जिला कलेक्टर की अनुमति के बाद इस परंपरा को निभाने के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है। प्रशासन सुरक्षा और कानून व्यवस्था सुनिश्चित करता है, ताकि किसी भी प्रकार की समस्या न हो। रमजान के दौरान इस परंपरा का पालन करने के लिए स्थानीय प्रशासन और धार्मिक समुदाय मिलकर काम करते हैं।

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Rajasthan Jojari river: राजस्थान में काले पानी वाली जोजरी नदी! जीवनदायिनी से प्रदूषित...

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Rajasthan Jojari river: राजस्थान के जोधपुर जिले में बहने वाली जोजरी नदी, जो कभी क्षेत्र के लिए जीवनदायिनी मानी जाती थी, आज गंभीर प्रदूषण के कारण मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई है। औद्योगिक अपशिष्ट और घरेलू सीवेज के अनियंत्रित निर्वहन ने इसे जहरीले नाले में बदल दिया है। इस प्रदूषण का असर केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं है, बल्कि कृषि, मानव स्वास्थ्य और वन्यजीवों पर भी गंभीर प्रभाव डाल रहा है। लेकिन हाल ही में सरकार ने इस नदी के पुनरुद्धार के लिए एक ठोस योजना की घोषणा की है, जिसमें 176 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

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प्रदूषण के कारण और प्रभाव- Rajasthan Jojari river

जोधपुर के औद्योगिक क्षेत्रों से प्रतिदिन 180 मिलियन लीटर से अधिक दूषित जल जोजरी नदी में छोड़ा जा रहा है। इसमें कपड़ा, रसायन और अन्य उद्योगों का अपशिष्ट शामिल है, जो बिना किसी शुद्धिकरण के सीधे नदी में बहाया जाता है। इससे नदी का पानी काला और जहरीला हो गया है, जिससे न केवल मानव जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि खेती और पशुपालन भी संकट में हैं।

Rajasthan Jojari river pollution
Source: Google

प्रदूषण के कारण:

जोधपुर, पाली और बालोतरा जिलों में फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। कृषि भूमि बंजर होती जा रही है, जिससे किसानों की आजीविका पर संकट बढ़ गया है। दूषित जल के कारण त्वचा संबंधी रोग, पेट के संक्रमण और सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। मनुष्यों और पशुओं में कई गंभीर बीमारियां फैल रही हैं, जिससे जनस्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।

वन्यजीवों पर संकट

जोजरी नदी का प्रदूषण धवा डोली ओरण जैसे वन्यजीव अभयारण्यों के लिए भी एक बड़ा खतरा बन गया है।

  • ब्लैक बक, चिंकारा और अन्य वन्यजीवों की संख्या में भारी गिरावट आई है।
  • जहरीले पानी और दूषित वातावरण के कारण जैव विविधता समाप्त हो रही है।
  • वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं, जिससे वे दूसरे क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं।

सरकार और प्रशासन के प्रयास

राज्य सरकार ने जोजरी नदी के पुनरुद्धार के लिए बजट आवंटित किया है, लेकिन अब तक जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

Rajasthan Jojari river pollution
Source: Google

महत्वपूर्ण घोषणाएं और विफलताएं:

  • 2013 में कांग्रेस शासन के दौरान “जोजरी रिवर फ्रंट परियोजना” प्रस्तावित की गई थी, लेकिन इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
  • 2023 में जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 400 करोड़ की परियोजना घोषित की, लेकिन राज्य सरकार से सहयोग न मिलने का आरोप लगाया।
  • 2024 में भाजपा सरकार ने 172.58 करोड़ की संशोधित योजना का शिलान्यास किया, जिसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाने का वादा किया गया।

स्थानीय लोगों का कहना है कि राजनीतिक मतभेदों और प्रशासनिक लापरवाही के कारण योजनाएं केवल घोषणाओं तक सीमित रह गई हैं।

न्यायिक हस्तक्षेप और स्थानीय विरोध

जोजरी नदी के प्रदूषण से परेशान स्थानीय निवासियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेशों के बावजूद सरकार ठोस कदम नहीं उठा रही।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर कहा:
“जोधपुर में जोजरी नदी का प्रदूषण किसानों, जीवों और पर्यावरण के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है। क्षेत्र की फैक्ट्रियों और उद्योगों द्वारा बिना शुद्धिकरण के अपशिष्ट जल छोड़ा जा रहा है। इससे जोधपुर, पाली और बालोतरा जिलों में फसलों को भारी नुकसान हो रहा है।”

पर्यावरण कार्यकर्ता श्रवण पटेल ने कहा:
“हमारी पीड़ा जारी है क्योंकि किसी भी राजनीतिक नेता ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा नहीं किया है। अनगिनत शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।”

जीर्णोद्धार की योजना और बजट

पिछले महीने राज्य विधानसभा में बजट प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री दीया कुमारी ने घोषणा की कि जोजरी नदी में बहाए जा रहे दूषित पानी को रोकने के लिए जोधपुर के नांदरी और झालामंड क्षेत्रों में नए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) स्थापित किए जाएंगे। साथ ही, पुराने सीवरेज ट्रंक लाइनों को सुधारने और नए पंप स्टेशन बनाने की भी योजना है।

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि यह परियोजना औद्योगिक इकाइयों के प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद करेगी, जिससे नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार होगा।

औद्योगिक प्रदूषण और सरकार की सख्ती

वन एवं पर्यावरण मंत्री संजय शर्मा ने जोजरी नदी में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जोधपुर कलेक्टर ने 21 फरवरी को एक विशेष कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी उन औद्योगिक इकाइयों की जांच करेगी जो बिना ट्रीटमेंट किए या आंशिक रूप से उपचारित जल को नदी में बहा रही हैं।

पर्यावरण मंत्री ने जानकारी दी कि वर्तमान में लगभग 110 एमएलडी दूषित जल बिना किसी ट्रीटमेंट के जोजरी नदी में छोड़ा जा रहा है। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस जल को साफ करने के लिए जल्द ही प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। दोषी पाए जाने वाले उद्योगों पर कड़ी कार्रवाई होगी और उन्हें कानूनी प्रावधानों के तहत दंडित किया जाएगा।

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Sambhal violence update: संभल हिंसा में निर्दोष साबित हुई फरहाना, 87 दिन जेल में बिता...

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Sambhal violence update: उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर 2024 को जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 25 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए थे। इस घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें 45 वर्षीय फरहाना भी शामिल थी। उस पर पुलिस पर पत्थरबाजी करने और दंगा भड़काने का आरोप लगाया गया था। लेकिन 87 दिन जेल में बिताने के बाद फरहाना निर्दोष साबित हुई और 20 फरवरी 2025 को रिहा कर दी गई।

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कैसे निर्दोष साबित हुई फरहाना? (Sambhal violence update)

पुलिस जांच में सामने आया कि फरहाना असली अपराधियों में शामिल नहीं थी। दरअसल, उसकी पड़ोस में रहने वाली एक महिला ने अपनी बहन को बचाने के लिए फरहाना का नाम भी आरोपियों में जुड़वा दिया था। लेकिन एक अहम तथ्य ने उसकी बेगुनाही को साबित कर दिया – उसका 120 किलो वजन।

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पुलिस जांच में पाया गया कि इतनी अधिक शारीरिक भार होने के कारण वह छत पर चढ़ ही नहीं सकती थी, जहां से पत्थरबाजी हुई थी।

गलत पहचान बनी जेल जाने की वजह

घटना के समय वायरल हुए 10 सेकंड के एक वीडियो में एक महिला पुलिस पर पत्थर फेंकते हुए दिख रही थी। वीडियो में पत्थरबाजी करने वाली महिला के चेहरे पर कपड़ा बंधा हुआ था, जिससे उसकी पहचान करना मुश्किल था।

26 नवंबर 2024 को पुलिस ने वीडियो के आधार पर फरहाना को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उसके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की 8 गंभीर धाराएं लगाई गईं। पड़ोस की एक और महिला जिकरा को भी पुलिस ने पकड़ा। जब जिकरा से पूछताछ हुई, तो उसने फरहाना को पत्थरबाजी में शामिल बताया।

पुलिस की दोबारा जांच से खुली सच्चाई

फरहाना के वकील जकी अनवर ने बरेली जोन के ADG रमित शर्मा और मुरादाबाद रेंज के DIG मुनीराज जी से मुलाकात कर उन्हें बताया कि जिस महिला को पत्थर फेंकते हुए देखा गया था, वह फरहाना नहीं थी।

इस पर DIG के निर्देश पर केस की दोबारा जांच शुरू हुई। संभल के अपर पुलिस अधीक्षक श्रीश चंद को जांच सौंपी गई। करीब दो महीने तक चली गहन जांच के बाद यह साबित हुआ कि पत्थर फेंकने वाली महिला फरहाना नहीं, बल्कि उसकी पड़ोसन जिकरा और उसकी बहन मरियम थीं।

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इसके बाद, 17 फरवरी 2025 को पुलिस ने फरहाना को निर्दोष मानते हुए उसकी रिहाई की सिफारिश की, और 19 फरवरी को CJM आदित्य सिंह की अदालत ने उसे एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया।

क्या था पुलिस की गलती का कारण?

  1. गलत पहचान: हिंसा के समय घूंघट और नकाब में मौजूद महिलाओं की पहचान करना मुश्किल था, जिससे पुलिस को भ्रम हुआ।
  2. गली की बनावट: फरहाना का घर पत्थरबाजी करने वाली महिला जिकरा के घर के ठीक सामने था। पुलिस को लगा कि पत्थर फरहाना के घर से फेंके गए हैं।
  3. वजन बना बेगुनाही का सबूत: फरहाना का 120 किलो वजन था, जिससे वह छत पर चढ़ने और इतनी तेजी से पत्थर फेंकने में असमर्थ थी।
  4. पड़ोसन की साजिश: जिकरा ने पुलिस को बताया कि उसने अपनी बहन मरियम को बचाने के लिए फरहाना का नाम लिया था।

गवाहों के बयान और पुलिस की नई रिपोर्ट

री-इन्वेस्टिगेशन के दौरान पुलिस ने CCTV फुटेज, वीडियो और 10 स्थानीय लोगों के बयान दर्ज किए।

  • सभी गवाहों ने हलफनामा देकर कहा कि फरहाना उस दिन छत पर नहीं थी।
  • जिकरा और मरियम ने भी स्वीकार किया कि पत्थर उन्होंने फेंके थे, फरहाना नहीं।
  • पुलिस अधिकारियों ने भी माना कि फरहाना के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं मिला।

20 फरवरी को घर लौटी फरहाना

फरहाना को जब जेल से रिहा किया गया, तो उसकी आंखों में आंसू थे। परिवार के लोग भी इंसाफ मिलने पर भावुक हो गए। हालांकि, 87 दिन तक जेल में बिताने का दर्द उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।

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CM Yogi News: सीएम योगी ने संभल सीओ के बयान का किया समर्थन, बोले – “होली ...

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CM Yogi News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होली के दिन जुमे की नमाज को लेकर दिए गए संभल के सीओ अनुज चौधरी के बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को रंग से परहेज है, तो वह घर में रहकर नमाज पढ़े, लेकिन अगर मस्जिद में जाकर नमाज पढ़नी है, तो रंग से परहेज न करे।

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“होली साल में एक बार आती है, जुमे की नमाज हर हफ्ते” – CM Yogi News

एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में बोलते हुए सीएम योगी ने कहा कि होली के अवसर पर सभी को एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने बताया कि मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी अपील की है कि लोग होली के बाद नमाज अदा करें क्योंकि जुमे की नमाज हर हफ्ते होती है, जबकि होली साल में केवल एक बार आती है।

उन्होंने कहा कि अगर कोई होली के दिन नमाज पढ़ना चाहता है, तो वह अपने घर पर नमाज अदा कर सकता है या फिर दोपहर 2 बजे के बाद मस्जिद में जाकर पढ़े। सीएम योगी ने यह भी कहा कि संभल के सीओ अनुज चौधरी ने जो कहा है, वह पूरी तरह से सही है और उनकी मंशा सौहार्द बनाए रखने की थी।

“संभल सीओ पहलवान है, बोलने का तरीका थोड़ा सख्त हो सकता है”

संभल के सीओ अनुज चौधरी की तारीफ करते हुए सीएम योगी ने कहा कि वह एक पूर्व ओलंपियन और अर्जुन अवॉर्ड विजेता हैं। उन्होंने कहा कि अगर एक पहलवान की भाषा थोड़ी सख्त होती है, तो लोगों को उसे उसी अंदाज में लेना चाहिए।

“हमारे पुलिस अधिकारी पहलवान हैं। अगर वह पहलवानी के लहजे में बोलेगा तो कुछ लोगों को बुरा लग सकता है, लेकिन सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए।”

मंत्री गुलाब देवी ने भी दिया सीओ का समर्थन

संभल के सीओ अनुज चौधरी के बयान का समर्थन उत्तर प्रदेश की माध्यमिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी ने भी किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी को अपनी बात रखने का अधिकार है और सीओ चौधरी ने किसी भी तरह की आपत्तिजनक बात नहीं कही।

“होली साल में एक बार आती है, जबकि जुमा 52 बार होता है। इसलिए होली के दिन सभी को मिलकर त्योहार मनाना चाहिए। अगर किसी को असहजता महसूस होती है, तो वह घर पर रह सकता है।”

गुलाब देवी ने यह भी कहा कि प्रदेश में रामराज्य स्थापित हो रहा है, और धर्मनिरपेक्षता और सामाजिक समरसता को बनाए रखना सभी की जिम्मेदारी है।

सीओ अनुज चौधरी का बयान – “धर्म से पहले इंसानियत”

संभल के सीओ अनुज चौधरी ने होली से पहले सदर कोतवाली में शांति समिति की बैठक में आमजन से सौहार्द बनाए रखने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि अगर हम अपने धर्म का सम्मान करते हैं, तो हमें दूसरों के धर्म का भी सम्मान करना चाहिए।

“अल्लाह और भगवान एक ही हैं। जब यह सोच विकसित होगी, तब समाज में प्रेम और भाईचारा बढ़ेगा। इस बार होली और जुमा एक ही दिन पड़ रहे हैं, यह मात्र संयोग है। जुमा साल में 52 बार आता है, जबकि होली साल में सिर्फ एक बार आती है। इसलिए सभी को मिलकर इसे मनाना चाहिए।”

उन्होंने सभी से सामाजिक सौहार्द बनाए रखने की अपील की और कहा कि जो लोग होली खेलना चाहते हैं, वे खुले मन से खेलें।

“अगर किसी को होली के रंगों से परेशानी है, तो वह उस दिन घर पर रहे। लेकिन जो लोग बाहर निकल रहे हैं, उन्हें व्यापक सोच रखनी चाहिए, क्योंकि त्योहारों को साथ मिलकर मनाना चाहिए।”

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Journalist Raghvendra Bajpai Murder: पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हुई दर्दनाक हत्या, ...

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Journalist Raghvendra Bajpai Murder: उत्तर प्रदेश के महोली तहसील से जुड़े दैनिक जागरण के संवाददाता राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चार गोलियां लगने की पुष्टि होने के बाद मामला और गंभीर हो गया है। हत्यारे उन्हें किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे, इसी कारण ताबड़तोड़ गोलियां दागकर उनकी हत्या कर दी गई।

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सच्चाई उजागर करने की कीमत चुकाई (Journalist Raghvendra Bajpai Murder)

दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के मुताबिक, राघवेंद्र वाजपेयी ने हाल ही में धान खरीद में हो रही अनियमितताओं का खुलासा किया था। उन्होंने अपनी रिपोर्ट्स के माध्यम से दिखाया था कि किस तरह लेखपालों और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी सत्यापन कर धान की खरीद-बिक्री हो रही थी। इसमें ऐसे लोगों के नाम पर धान सत्यापन किया गया, जिनके पास जमीन ही नहीं थी।

इसके अलावा, उन्होंने भूमि खरीद के मामलों में स्टांप चोरी को भी उजागर किया था। उनके खुलासों के बाद तहसील प्रशासन ने जांच शुरू की थी, और स्टांप चोरी की पुष्टि भी हुई थी, जिससे संबंधित लोगों पर कार्रवाई चल रही थी।

राघवेंद्र द्वारा इन घोटालों की पोल खोलने के बाद उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थीं। उन्होंने अपने कुछ सहयोगियों से इस बारे में चर्चा भी की थी कि वह कुछ प्रभावशाली लोगों के निशाने पर आ गए हैं।

धान खरीद घोटाले की जांच अब तक अधूरी

धान खरीद घोटाले की जांच अब भी अधूरी है। राघवेंद्र ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि कैसे दूसरे सर्किल में धान सत्यापन किया गया, जहां असल में धान की खेती हुई ही नहीं थी। यहां तक कि जिन खेतों में गन्ने की फसल थी, वहां भी धान सत्यापन दिखाया गया।

Journalist Raghvendra Bajpai Murder
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इस घोटाले में प्रशासन ने एसडीएम स्तर से नोटिस जारी कर लेखपालों से जवाब मांगा था, लेकिन जांच में अब तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि कहीं राघवेंद्र की हत्या इस घोटाले से जुड़े बड़े चेहरों को बचाने की साजिश तो नहीं थी?

पेशेवर अपराधियों ने अंजाम दिया हमला

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हत्या में 315 बोर और 311 बोर की बंदूकों का इस्तेमाल किया गया। अपराधियों ने चार गोलियां सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए मारीं कि राघवेंद्र की मौके पर ही मौत हो जाए। जिस तरह से उनकी हत्या को अंजाम दिया गया, वह पेशेवर अपराधियों की कार्यशैली को दर्शाता है।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

राघवेंद्र की हत्या से उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके माता-पिता, पत्नी और बच्चे शोक में डूबे हैं। उनके पिता महेंद्र बाजपेयी पहले से ही मानसिक रूप से अस्वस्थ थे और उनका इलाज लखनऊ में चल रहा था, जिसकी जिम्मेदारी राघवेंद्र ही निभा रहे थे।

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उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चे—10 वर्षीय बेटा आराध्य और 8 वर्षीय बेटी अस्मिता अब बेसहारा हो गए हैं। परिवार के हालात देखकर रिश्तेदार और परिचित भी अपनी भावनाएं नहीं रोक पा रहे हैं।

राजनीतिक बयानबाजी तेज

इस हत्याकांड को लेकर विपक्षी दलों ने योगी सरकार की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं।

समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस घटना को लेकर एक्स (Twitter) पर लिखा:

“क्या यही है ‘डबल इंजन’ सरकार की कानून व्यवस्था? पत्रकार राघवेंद्र बाजपेयी को सरेआम गोलियों से भून दिया गया और सरकार चुप है। अगर पत्रकार सुरक्षित नहीं हैं, तो आम जनता का क्या होगा?”

कांग्रेस ने भी उठाए सवाल

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने इस हत्या को सच्चाई उजागर करने की सजा करार दिया। उन्होंने कहा कि

“धान खरीद घोटाले का पर्दाफाश करने की वजह से राघवेंद्र की हत्या कर दी गई। सरकार को दोषियों को तुरंत गिरफ्तार कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

उन्होंने सरकार से पीड़ित परिवार को 1 करोड़ रुपये मुआवजा और पत्नी को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की है।

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Balesh Dhankhar arrested: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के नेता को 40 साल की सजा, कोर...

Balesh Dhankhar arrested: ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के एक प्रमुख नेता बालेश धनखड़ को पाँच कोरियाई महिलाओं के साथ सुनियोजित तरीके से बलात्कार करने के आरोप में 40 साल की जेल की सज़ा सुनाई गई है। इस सज़ा में 30 साल की गैर-पैरोल अवधि शामिल है, जिसका मतलब है कि उसे 2053 से पहले जेल से रिहा नहीं किया जा सकता। इस मामले को ऑस्ट्रेलिया के सबसे जघन्य यौन अपराधों में से एक माना जाता है।

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कैसे दिया जाता था अपराध को अंजाम? (Balesh Dhankhar arrested)

ऑस्ट्रेलियाई न्यूज़ वेबसाइट नाइन न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक, 43 वर्षीय बालेश धनखड़ महिलाओं को फंसाने के लिए फ़र्जी नौकरी के विज्ञापन पोस्ट करता था। वह इच्छुक उम्मीदवारों को इंटरव्यू के बहाने सिडनी या उसके आस-पास अपने घर पर बुलाता था। वहाँ वह पीड़ितों को बेहोशी की दवा देता था, जिससे वे बेहोश हो जाती थीं या विरोध करने की स्थिति में नहीं रहती थीं।

ऑस्ट्रेलियन एसोसिएटेड प्रेस (AAP) की रिपोर्ट के अनुसार, आईटी सेक्टर में काम कर चुके धनखड़ पीड़िताओं को नशे की हालत में अपनी हवस का शिकार बनाता था और इस जघन्य अपराध को कैमरे में रिकॉर्ड भी करता था। अदालत के सामने पेश किए गए साक्ष्यों से पता चला कि उसने इस आपराधिक प्रक्रिया को बेहद योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया।

कोर्ट का फैसला और जज की टिप्पणी

शुक्रवार को डाउनिंग सेंटर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज मिखाइल किंग ने फैसला सुनाते हुए कहा कि धनखड़ का व्यवहार क्रूरता की हदें पार कर चुका था। उन्होंने कहा:

“यह एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया जघन्य अपराध था। उसने महिलाओं की कमज़ोरियों का फायदा उठाया और अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए उन्हें शिकार बनाया।”

जज ने इस अपराध को “अत्यधिक हिंसक, पूर्व नियोजित और निर्मम” करार दिया और कहा कि यह महिलाओं पर लंबे समय तक चले हमले का हिस्सा था। रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िताओं की उम्र 21 से 27 साल के बीच थी और जब यह अपराध हुआ, वे या तो बेहोश थीं या फिर विरोध करने की स्थिति में नहीं थीं।

महिलाओं का विस्तृत डेटा रखता था अपराधी

मीडिया रिपोर्ट्स से पता चला है कि धनखड़ ने अपने कंप्यूटर पर एक एक्सेल स्प्रेडशीट बनाई थी जिसमें वह नौकरी के लिए आवेदन करने वाली महिलाओं को उनकी खूबसूरती और स्मार्टनेस के आधार पर रेटिंग देता था। इसके अलावा वह महिलाओं से अपनी बातचीत का ब्यौरा भी लिखता था और यह दर्ज करता था कि कौन सी महिला उसके अपराध को अंजाम देने के लिए ज़्यादा उपयुक्त होगी।

2018 में हुई थी गिरफ्तारी

धनखड़ को 2018 में सिडनी के सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट में उसके घर पर छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया गया था। उस समय तक वह एक पांचवीं महिला को अपने जाल में फंसा चुका था। छापेमारी के दौरान पुलिस ने उसके घर से डेट रेप ड्रग्स और एक खास तरह की घड़ी बरामद की थी, जो वीडियो रिकॉर्डिंग डिवाइस थी।

2023 में, एक ज्यूरी ने उसे 13 यौन अपराधों सहित 39 मामलों में दोषी ठहराया। हालांकि, धनखड़ लगातार इस बात से इनकार करता रहा कि उसने किसी महिला को बिना सहमति के कुछ किया। उसका कहना था कि “मेरी समझ में सहमति और कानून की नजर में सहमति में फर्क हो सकता है।”

बीजेपी कनेक्शन और विवाद

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गिरफ्तारी से पहले धनखड़ भारतीय-अमेरिकी समुदाय में एक सम्मानित नेता माना जाता था। वह बीजेपी समर्थित एक संगठन का संस्थापक था और हिंदू काउंसिल ऑफ़ ऑस्ट्रेलिया का प्रवक्ता भी रह चुका था। इसके अलावा, वो ब्रिटिश अमेरिकन टोबैको, टोयोटा और सिडनी ड्रेन्स जैसी कंपनियों में भी काम कर चुका था।

Balesh Dhankhar arrested BJP
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इस मामले के सामने आने के बाद कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधा। कांग्रेस ने एक 51-सेकंड का वीडियो जारी कर लिखा:

“महिला दिवस पर साफ संदेश, बीजेपी नेताओं से बेटी बचाओ!”

इसके अलावा, कांग्रेस ने एक और पोस्ट में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ धनखड़ की तस्वीरें साझा कीं और लिखा कि यह व्यक्ति बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं में से एक था।

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