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Delhi News: दिल्ली की रेडलाइट्स पर किन्नरों और उनके साथियों का आतंक! राहगीरों के लिए ...

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Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में रेडलाइट्स पर किन्नरों और उनके साथियों द्वारा राहगीरों से जबरन पैसे मांगने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। भारतीय जनता युवा मोर्चा (BJYM) की सदस्य अपूर्वा सिंह ने हाल ही में अपने ट्विटर हैंडल पर इस मुद्दे को उठाया है, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे किन्नर और उनके साथ जुड़े कुछ युवक लोगों से पैसे मांगते हैं, और न देने पर उन्हें छूते हैं और आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग करते हैं।

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अपूर्वा सिंह का अनुभव- Delhi News

अपूर्वा सिंह ने ट्वीट किया, “आज मेरे साथ बहुत हैरान कर देने वाली घटना हुई। दिल्ली की कुछ रेडलाइट्स पर किन्नर और किन्नरों की आड़ में उनके साथ ही गैंग में मिले हुए लड़के, पैसे माँगते हैं लोगों से। अगर पैसे नहीं देते तो टच करते हैं और बेहद आपत्तिजनक शब्द इस्तेमाल करते हैं। इस नेटवर्क पर सख्त कार्रवाई करे @DelhiPolice”।

रेडलाइट्स पर बढ़ती घटनाएं

दिल्ली में रेडलाइट्स पर किन्नरों द्वारा पैसे मांगना कोई नई बात नहीं है, लेकिन हाल के दिनों में इसमें शामिल युवकों की आक्रामकता और जबरदस्ती की घटनाएं बढ़ी हैं। राहगीरों का कहना है कि न देने पर उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, जिससे वे असुरक्षित महसूस करते हैं।

पुलिस की भूमिका और चुनौतियां

दिल्ली पुलिस के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन गई है। रेडलाइट्स पर होने वाली इन घटनाओं को नियंत्रित करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि ये समूह अचानक प्रकट होते हैं और घटना को अंजाम देकर तुरंत गायब हो जाते हैं। इसके अलावा, किन्नर समुदाय के प्रति समाज में संवेदनशीलता के कारण पुलिस कार्रवाई करने में संकोच करती है, जिससे अपराधियों को बढ़ावा मिलता है।

समाज की प्रतिक्रिया

समाज के विभिन्न वर्गों ने इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की है। लोगों का कहना है कि किन्नर समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा किए जा रहे ऐसे कृत्य पूरे समुदाय की छवि को धूमिल करते हैं। इसके अलावा, आम जनता के लिए यह एक बड़ी समस्या बनती जा रही है, जिससे उनकी दैनिक जिंदगी प्रभावित हो रही है।

आवश्यक कदम

  1. पुलिस कार्रवाई: दिल्ली पुलिस को चाहिए कि वे ऐसे समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और रेडलाइट्स पर गश्त बढ़ाएं।
  2. जनजागरूकता: लोगों को इस प्रकार की घटनाओं के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें सलाह दी जाए कि वे ऐसी परिस्थितियों में कैसे प्रतिक्रिया दें।
  3. किन्नर समुदाय का सहयोग: समुदाय के नेताओं को आगे आकर ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान करनी चाहिए और उन्हें रोकने के लिए पुलिस का सहयोग करना चाहिए।
  4. कानूनी प्रावधान: ऐसे कृत्यों के लिए सख्त कानूनी प्रावधान बनाए जाएं, जिससे अपराधियों को कड़ी सजा मिल सके।

दिल्ली की सड़कों पर बढ़ती इन घटनाओं ने सुरक्षा के प्रति गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आवश्यक है कि पुलिस, समाज और किन्नर समुदाय मिलकर इस समस्या का समाधान निकालें, ताकि राजधानी की सड़कों पर सभी नागरिक सुरक्षित महसूस कर सकें।

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China on India: डोनाल्ड ट्रंप के ‘टैरिफ प्रेम’ से दुनिया में हड़कंप, चीन-...

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China on India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ (आयात शुल्क) को लेकर लिए गए कड़े फैसलों ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। 2 अप्रैल से ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ (प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क) लागू करने की उनकी घोषणा ने वैश्विक बाजारों में तनाव बढ़ा दिया है। इस बीच, चीन और भारत ने व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने की इच्छा जताई है।

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चीन ने भारत से सहयोग की अपील की (China on India)

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने हाल ही में कहा कि भारत और चीन को प्रतिद्वंद्वी बनने के बजाय सहयोगी बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि ‘ड्रैगन’ और ‘हाथी’ जब साथ मिलकर कदमताल करेंगे, तो यह दोनों देशों और पूरी दुनिया के लिए फायदेमंद होगा।

China on India US President Donald Trump
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चीन का मानना है कि वैश्विक व्यापार को स्थिर बनाए रखने के लिए भारत और चीन को एक-दूसरे की राह में बाधा बनने की बजाय, एक-दूसरे के विकास में योगदान देना चाहिए। अगर दोनों देश मिलकर काम करें, तो उनके नागरिकों और वैश्विक अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

चीन-भारत की दोस्ती से ‘ग्लोबल साउथ’ होगा मजबूत

ग्लोबल साउथ (विकासशील देशों का समूह) के लिए भारत-चीन की मजबूत साझेदारी बेहद अहम मानी जा रही है। चीन के विदेश मंत्री का कहना है कि अगर दोनों देश मिलकर काम करेंगे, तो अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अधिक पारदर्शिता और स्थिरता आएगी।

उन्होंने कहा कि संवाद और सहयोग के बिना कोई भी लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता। यदि भारत और चीन एकजुट होकर आगे बढ़ते हैं, तो वे वैश्विक व्यवस्था में एक संतुलन बना सकते हैं और विकासशील देशों के हितों को सुरक्षित कर सकते हैं।

ट्रंप के टैरिफ फैसले ने दुनिया को ट्रेड वॉर के मुहाने पर ला दिया

डोनाल्ड ट्रंप के कड़े फैसलों से दुनिया में ट्रेड वॉर (व्यापार युद्ध) की शुरुआत हो गई है। उन्होंने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर भारी टैरिफ लागू किया है। हालांकि, मेक्सिको और कनाडा को कुछ आंशिक राहत दी गई है, लेकिन चीन को किसी भी तरह की छूट नहीं दी गई।

China on India US President Donald Trump
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ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा कि 2 अप्रैल से अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाएगा, तो अमेरिका भी उसी अनुपात में जवाबी टैरिफ लगाएगा।

ट्रंप ने अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा कि दशकों से यूरोपीय संघ, चीन, भारत और ब्राजील जैसे देश अमेरिका पर भारी शुल्क लगा रहे हैं। ट्रंप के अनुसार, भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% टैरिफ लगाता है, जो अनुचित है। अब अमेरिका भी उन्हीं देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने के लिए पूरी तरह तैयार है।

चीन ने दी सख्त चेतावनी: “अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, तो युद्ध ही सही”

ट्रंप के इस फैसले के बाद अमेरिका और चीन के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है। चीन के वॉशिंगटन स्थित दूतावास ने एक कड़ा बयान जारी किया जिसमें कहा गया,
“अगर अमेरिका युद्ध चाहता है, तो युद्ध ही सही। चाहे वह ट्रेड वॉर हो या कोई और, हम अंत तक लड़ने के लिए तैयार हैं।”

चीन ने यह संकेत दिया है कि अगर अमेरिका व्यापार युद्ध को बढ़ावा देता है, तो चीन भी अपने आर्थिक और कूटनीतिक हितों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

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Ghaziabad News: गाजियाबाद में सनसनीखेज खुलासा! खुद रचाई साजिश, गुरु बनने के लिए कटवाय...

Ghaziabad News: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जहां थाना वेव सिटी पुलिस ने एक युवक के प्राइवेट पार्ट काटने की चौंकाने वाली वारदात का खुलासा किया है। इस घटना के पीछे जो साजिश सामने आई है, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं लगती। तीन आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद यह साफ हुआ कि पीड़ित संजय यादव ने खुद अपने किन्नर साथियों के साथ मिलकर यह खतरनाक योजना बनाई थी।

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किन्नर गुरु बनने की थी चाहत, खुद रच डाली खौफनाक साजिश (Ghaziabad News)

दरअसल, संजय यादव इलाके के किन्नरों का गुरु बनना चाहता था। लेकिन इस क्षेत्र में पहले से ही पारो नामक किन्नर प्रभावशाली थी। संजय चाहता था कि किसी तरह पारो को जेल भिजवा दिया जाए, ताकि वह खुद इस इलाके का गुरु बन सके। इसी वजह से उसने एक चाल चली, जिसमें उसने अपने कुछ किन्नर साथियों के साथ खुद के प्राइवेट पार्ट को कटवाने की योजना बनाई।

Ghaziabad News crime news
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28 फरवरी को यह घटना ग्राम शाहपुर बम्हैटा के पास हुई थी, जब पुलिस को सूचना मिली कि संजय यादव बेहोश पड़ा है और उसका प्राइवेट पार्ट काट दिया गया है। मामला सामने आते ही पुलिस जांच में जुट गई और जल्द ही सच्चाई सामने आ गई।

कैसे रची गई यह साजिश?

संजय यादव ने अपने किन्नर साथियों के साथ योजना बनाई कि वह खुद ही अपना प्राइवेट पार्ट कटवाएगा। इस काम को अंजाम देने के लिए तानिया खान को ₹10,000 की रकम दी गई, जिसमें ₹5,000 Paytm से और ₹5,000 नकद दिए गए। संजय यादव ने पुलिस को भ्रमित करने के लिए किन्नर पारो का नाम इस अपराध में आरोपी के रूप में बताया, ताकि पारो को झूठे आरोप में फंसाकर जेल भेजा जा सके। योजना यह थी कि पारो के जेल जाने के बाद संजय खुद इस इलाके का किन्नर गुरु बन जाएगा।

तीन आरोपी गिरफ्तार, पुलिस ने ऐसे खोला राज

इस मामले की तह तक जाने के लिए गाजियाबाद पुलिस ने गहन जांच की। सीसीटीवी फुटेज और मैनुअल इनपुट के जरिए पुलिस को अहम सुराग मिले, जिसके बाद तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

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गिरफ्तार आरोपी इस प्रकार हैं:

  1. जोगेंद्र उर्फ मोहिनी
  2. तानिया खान उर्फ बंगालन
  3. ब्रह्म सिंह उर्फ अजय

एसीपी उपासना पांडेय ने बताया कि गिरफ्तारियां शाहपुर बम्हैटा में दिल्ली पुलिस कॉलोनी के पास से की गईं। जांच में यह भी सामने आया कि मुख्य आरोपी तानिया खान पर पहले से ही थाना निजामुद्दीन, दिल्ली में झगड़े का मामला दर्ज है। पुलिस अब उसके अन्य आपराधिक रिकॉर्ड की भी जांच कर रही है।

किन्नर समुदाय के नियम बने साजिश की वजह?

किन्नर समुदाय में गुरु बनने के लिए कुछ कड़े नियम होते हैं। इनमें से एक यह है कि बिना प्राइवेट पार्ट हटवाए कोई भी नया सदस्य नहीं बन सकता। संजय यादव ने इसी नियम का फायदा उठाते हुए खुद को किन्नरों के ग्रुप में शामिल करने और गुरु बनने की योजना बनाई थी।

बता दें, पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और अन्य संभावित साजिशकर्ताओं की तलाश जारी है। पुलिस को शक है कि इस षड्यंत्र में और भी लोग शामिल हो सकते हैं।

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Sunita Williams Update: 9 महीने तक मौत के मुंह से बचकर लौटेंगी सुनीता विलियम्स, जानिए...

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Sunita Williams Update: भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर केवल 8 दिनों के लिए भेजा गया था, लेकिन वह 9 महीने से अधिक समय तक वहां फंसी रहीं। अब, 12 मार्च 2025 को वह आखिरकार धरती पर लौटने वाली हैं। हालांकि, यह वापसी आसान नहीं होगी। लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने के कारण उनके शरीर में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जिससे पृथ्वी की सतह पर दोबारा चलना और सामान्य जीवन जीना उनके लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

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अंतरिक्ष में 9 महीने बिताने के प्रभाव (Sunita Williams Update)

जब अंतरिक्ष यात्री महीनों तक शून्य गुरुत्वाकर्षण (microgravity) में रहते हैं, तो उनके शरीर में कई बदलाव होते हैं:

  1. मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी – पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में मांसपेशियों और हड्डियों का कम इस्तेमाल होता है, जिससे वे कमजोर हो जाती हैं।
  2. हार्ट और ब्लड सर्कुलेशन पर असर – ग्रेविटी के बिना हार्ट को शरीर में रक्त पंप करने में उतनी मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम कमजोर हो सकता है।
  3. चलने और खड़े होने में कठिनाई – ज़मीन पर लौटने के बाद, सुनीता को फिर से चलना और संतुलन बनाए रखना सीखना होगा।
  4. विकिरण (Radiation) का खतरा – पृथ्वी के वायुमंडल से बाहर ब्रह्मांडीय किरणों की तीव्रता अधिक होती है, जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती हैं।

कब लौटेंगी घर?

नासा ने 19 या 20 मार्च को सुनीता और उनके साथी बैरी “बुच” विलमोर को वापस लाने की योजना बनाई है। लेकिन, धरती पर लौटने के तुरंत बाद वे अपने घर नहीं जा सकेंगी। अंतरिक्ष से लौटने के बाद सबसे पहले उन्हें विभिन्न चिकित्सीय परीक्षणों से गुजरना होगा, ताकि यह आकलन किया जा सके कि उनका शरीर पृथ्वी की स्थिति के लिए कैसे अनुकूल हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, पूरी तरह से सामान्य जीवन में लौटने में कम से कम 6 हफ्ते (42 दिन) लगेंगे।

Sunita Williams, Butch Wilmore
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“मैं चलना तक भूल गई हूँ”

हाल ही में सुनीता विलियम्स ने कहा,
“मैं याद करने की कोशिश कर रही हूँ कि चलते कैसे हैं, मैं कब से चली नहीं हूँ, कब से बैठी नहीं हूँ, कब से लेटी नहीं हूँ।”

उनके इस बयान से साफ है कि 9 महीने तक अंतरिक्ष में रहना कितना कठिन रहा। डॉक्टरों के मुताबिक, वापसी के बाद उन्हें फिर से खड़े होने और चलने की आदत डालनी होगी।

अंतरिक्ष से लौटने के बाद रिकवरी प्रक्रिया

  1. मांसपेशियों को फिर से मजबूत बनाना – उन्हें विशेष शारीरिक व्यायाम करने होंगे, ताकि उनका शरीर फिर से पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के अनुसार ढल सके।
  2. हार्ट को सामान्य कार्यप्रणाली में लाना – ग्रेविटी के बिना हार्ट को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती, जिससे वापसी पर ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव की संभावना रहती है।
  3. संतुलन और समन्वय में सुधार – माइक्रोग्रैविटी में रहने के कारण शरीर की नसों और मस्तिष्क के बीच संतुलन बिगड़ सकता है। इसके लिए विशेष प्रकार के फिजियोथेरेपी की आवश्यकता होगी।
  4. मानसिक और भावनात्मक अनुकूलन – इतने लंबे समय तक पृथ्वी से दूर रहने के कारण मानसिक बदलाव भी हो सकते हैं, जिससे व्यक्ति को सामान्य जीवन में ढलने में समय लगता है।

विकिरण (Radiation) का खतरा

सुनीता और उनके साथी लंबे समय तक ब्रह्मांडीय विकिरण के संपर्क में रहे हैं, जिससे कैंसर, जेनेटिक म्यूटेशन और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

एलन मस्क और नासा की भूमिका

स्पेसएक्स (SpaceX) के मालिक एलन मस्क और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ही अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी के लिए दबाव डाला था। एलन मस्क ने सुझाव दिया था कि नासा को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को 2031 तक ऑपरेट करने के बजाय 2027 तक बंद कर देना चाहिए। हालाँकि, सुनीता विलियम्स ने इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि ISS वैज्ञानिक शोधों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।

अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का रिकॉर्ड

अब तक अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा समय बिताने का रिकॉर्ड रूसी अंतरिक्ष यात्री ओलेग कोनोनेंको के नाम है, जिन्होंने 878 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं। महिला अंतरिक्ष यात्री में यह रिकॉर्ड क्रिस्टीना कोच के नाम दर्ज है, जिन्होंने 328 दिन तक अंतरिक्ष में रहने का कीर्तिमान स्थापित किया था।

भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री: कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स

वहीं, कल्पना चावला, भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिन्होंने दो बार अंतरिक्ष की यात्रा की थी। दुर्भाग्य से, 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। सुनीता विलियम्स, कल्पना चावला की तरह, भारतीय मूल की एक और प्रसिद्ध महिला अंतरिक्ष यात्री हैं, जिन्होंने तीन बार ISS में रहने का अनुभव प्राप्त किया है।

Sunita Williams Update kalpana chawla
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अब जब 19 या 20 मार्च को सुनीता विलियम्स धरती पर लौटेंगी, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती होगी – फिर से सामान्य जीवन में लौटना। हालांकि, वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की टीम उनकी रिकवरी के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। अंतरिक्ष की यह यात्रा उनके जीवन का सबसे कठिन लेकिन ऐतिहासिक अनुभवों में से एक रही है।

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Side effects of aluminium utensils: एलुमिनियम के बर्तन में खाना पकाने के नुकसान, जाने...

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Side effects of aluminium utensils: हर कोई चाहता है कि वह हमेशा स्वस्थ और फिट रहे। इसके लिए लोग योग, एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट को अपनाते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बर्तन भी आपकी सेहत को प्रभावित कर सकते हैं?

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बर्तन की गुणवत्ता और धातु का चुनाव उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि भोजन में पोषक तत्वों का संतुलन। भारतीय रसोई में एलुमिनियम, स्टेनलेस स्टील, तांबा, लोहा और टेफलॉन जैसे बर्तनों का उपयोग किया जाता है, लेकिन एलुमिनियम के बर्तनों में पकाया गया भोजन आपकी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।

एलुमिनियम के बर्तन क्यों हैं नुकसानदायक?

पोषण विशेषज्ञ गुड़िया श्रीवास्तव के अनुसार, एलुमिनियम बहुत जल्दी गर्म होता है, जिसके कारण इसमें मौजूद हानिकारक तत्व खाने के साथ प्रतिक्रिया कर सकते हैं। यह शरीर में कई खतरनाक बीमारियों को जन्म दे सकता है।

Side effects of aluminium utensils health issues
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एलुमिनियम के बर्तन में खाना बनाने से इसके कण भोजन में मिल जाते हैं, जिससे यह धीरे-धीरे शरीर में जमा होने लगता है और सेहत को नुकसान पहुंचाता है।

एलुमिनियम के बर्तनों से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम- Side effects of aluminium utensils

पेट की समस्याएं और पाचन तंत्र पर असर

अगर आप एलुमिनियम के बर्तन में खाना पकाते हैं, तो इसके सूक्ष्म कण भोजन के साथ मिलकर शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। यह हाइपर एसिडिटी, अपच, पेट फूलने और गैस जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है।

खट्टी चीजें पकाने से सेहत पर असर

एलुमिनियम के बर्तनों में टमाटर, नींबू, दही या अन्य खट्टी चीजें पकाने से यह तेजी से आयोनाइज होने लगता है, जिससे हानिकारक तत्व खाने में मिल जाते हैं। यह आंतों के संक्रमण और पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याओं को बढ़ा सकता है।

दिमाग और याददाश्त पर बुरा प्रभाव

शोध बताते हैं कि एलुमिनियम का अधिक सेवन मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यह याददाश्त को कमजोर कर सकता है और दिमागी कोशिकाओं पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

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एलुमिनियम ऑक्सीडेटिव फ्री रेडिकल की तरह काम करता है, जो धीरे-धीरे शरीर में विषाक्तता (टॉक्सिन) फैलाता है।

लंबे समय तक एलुमिनियम के संपर्क में रहने से अल्जाइमर और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।लिवर और किडनी पर असर

यदि शरीर में एलुमिनियम की मात्रा अधिक हो जाती है, तो यह लिवर और किडनी के फंक्शन को प्रभावित कर सकता है।

लिवर एंजाइम असंतुलित हो सकते हैं, जिससे पाचन क्रिया कमजोर होती है।

किडनी में टॉक्सिन्स बढ़ सकते हैं, जिससे किडनी फेल होने जैसी गंभीर समस्या हो सकती है।

बीमारियां जो एलुमिनियम के कारण हो सकती हैं

अगर लंबे समय तक एलुमिनियम युक्त भोजन का सेवन किया जाए, तो यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है:

अस्थि रोग (ऑस्टियोपोरोसिस) – हड्डियों की मजबूती कम होती है।
आंखों की समस्याएं – दृष्टि कमजोर हो सकती है।
खट्टी डकार और पेट में जलन – एसिडिटी बढ़ सकती है।
कोलाइटिस (आंत का संक्रमण) – पाचन तंत्र प्रभावित हो सकता है।
–  मुंह में बार-बार सूजन और त्वचा रोग (एक्जिमा)

क्या एलुमिनियम के बर्तन पूरी तरह से छोड़ने चाहिए?

विशेषज्ञों के अनुसार, एलुमिनियम के बर्तनों का उपयोग पूरी तरह से टालना चाहिए, खासकर खाना पकाने के लिए। यदि आप एलुमिनियम के बर्तनों का उपयोग कर रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि खट्टी चीजें इसमें न पकाई जाएं और बर्तन को सॉफ्ट स्पंज से धोया जाए ताकि उसकी परत न हटे।

कौन से बर्तन ज्यादा सुरक्षित हैं?

यदि आप एलुमिनियम के बर्तनों से बचना चाहते हैं, तो निम्नलिखित विकल्प बेहतर और सुरक्षित हैं:

– कांसा और पीतल के बर्तन – यह पाचन शक्ति को बढ़ाते हैं और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं।
– कच्चे लोहे के बर्तन – यह खून में हीमोग्लोबिन बढ़ाने में मदद करते हैं।
– स्टेनलेस स्टील के बर्तन – यह टॉक्सिन्स मुक्त होते हैं और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।
– मिट्टी के बर्तन – यह भोजन के पोषक तत्वों को बरकरार रखते हैं और पाचन में सहायक होते हैं।

डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। नेड्रिक इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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Malayalam Actress Urvashi Career: शराब की लत ने तबाह किया करियर, टॉलीवुड की मशहूर अभि...

Malayalam Actress Urvashi Career: फिल्म इंडस्ट्री में ग्लैमर, शोहरत और ऐशो-आराम जितना दिखता है, हकीकत उससे कहीं ज्यादा जटिल होती है। कई कलाकारों को सफलता और नाम कमाने के बाद ऐसी बुरी आदतों का शिकार होना पड़ा, जिसने उनका करियर और निजी जीवन दोनों बर्बाद कर दिए। इसी तरह, टॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री उर्वशी का नाम भी उन कलाकारों में शामिल हो गया, जिन्होंने अपनी शराब की लत के कारण फिल्मी करियर पर ग्रहण लगा लिया।

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एक चमकता सितारा, जो खो गयाMalayalam Actress Urvashi Career

मलयालम अभिनेत्री उर्वशी ने बहुत छोटी उम्र में बाल कलाकार के रूप में अपना करियर शुरू किया था। मलयालम के साथ-साथ उन्होंने तमिल, तेलुगु और कन्नड़ फिल्मों में भी शानदार अभिनय किया है। उनका असली नाम कविता रेन्जिनी है।

Malayalam Actress Urvashi Career
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तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने सुपरस्टार चिरंजीवी के साथ ‘रुस्तम’ फिल्म से डेब्यू किया। इसके बाद बालकृष्ण के साथ ‘भले थम्मुदु’ में अभिनय किया। उर्वशी को मुख्य रूप से सपोर्टिंग और कैरेक्टर रोल्स में देखा गया, जहां उन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाया। उन्होंने 1987 में रिलीज हुई हिंदी फिल्म ‘नई दिल्ली’ में भी अभिनय किया। 2006 में, उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।

उनकी गिनती दक्षिण भारतीय सिनेमा की बेहतरीन अभिनेत्रियों में होती थी, लेकिन निजी जीवन की परेशानियों ने उनके करियर पर नकारात्मक असर डाला।

शराब की लत और करियर का पतन

उर्वशी ने बेहद कम उम्र में स्टारडम की ऊंचाइयों को छुआ, लेकिन व्यक्तिगत समस्याओं के चलते उन्होंने शराब की लत को अपना लिया। 2000 में उन्होंने मनोज के. जयन से शादी की, लेकिन यह रिश्ता ज्यादा दिन नहीं चला। उनके पति के साथ लगातार विवाद होते रहे, जिसके चलते उन्हें मानसिक तनाव का सामना करना पड़ा। निजी जिंदगी में आई परेशानियों ने उनकी शराब की लत को और बढ़ा दिया। धीरे-धीरे उनकी फिल्म इंडस्ट्री में डिमांड कम होती गई और अच्छे रोल मिलना बंद हो गए। शराब की लत ने उनके स्वास्थ्य और करियर दोनों को बर्बाद कर दिया।

तलाक और एक नई शुरुआत

अपनी शादीशुदा जिंदगी में कई संघर्षों का सामना करने के बाद, उर्वशी ने तलाक ले लिया और अपनी बेटी के साथ सिंगल मदर के रूप में जिंदगी जीने लगीं।

Malayalam Actress Urvashi Career
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बाद में, 2016 में 44 साल की उम्र में, उन्होंने व्यवसायी शिवप्रसाद से दूसरी शादी की। इस शादी से उन्हें एक बेटा हुआ, जिसका नाम इहान प्रजापति है।

आज उर्वशी फिल्मी दुनिया से दूर, अपनी दूसरी शादी में खुशहाल जीवन बिता रही हैं।

उर्वशी की ज़िंदगी से सबक

उर्वशी की कहानी ग्लैमर वर्ल्ड की उस सच्चाई को उजागर करती है, जो दर्शकों को कम ही देखने को मिलती है। फिल्म इंडस्ट्री में शोहरत पाना जितना आसान लगता है, उसे संभालना उतना ही मुश्किल होता है। मानसिक तनाव और व्यक्तिगत समस्याओं से जूझ रहे सितारे कई बार गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। उर्वशी की तरह कई कलाकारों ने शराब और अन्य नशे की वजह से अपने करियर को बर्बाद कर लिया।

हालांकि, उन्होंने अपनी जिंदगी को दोबारा पटरी पर लाने के लिए संघर्ष किया और आज एक सामान्य जीवन जी रही हैं।

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Jammu and Kashmir 1931 incident: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 1931 की घटना को लेकर विवाद...

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Jammu and Kashmir 1931 incident: जम्मू-कश्मीर में इन दिनों 94 साल पुरानी 1931 की घटना को लेकर राजनीतिक बवाल मचा हुआ है। इस ऐतिहासिक घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के बीच तीखी बहस छिड़ गई, जिसके चलते भाजपा के 28 विधायकों ने विधानसभा से वाकआउट कर दिया।

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क्या है 1931 की घटना? (Jammu and Kashmir 1931 incident)

1931 में जम्मू-कश्मीर डोगरा शासक महाराजा हरि सिंह के अधीन एक रियासत थी। उस समय, मुस्लिम बहुसंख्यक समुदाय शासन के कठोर कानूनों और सामाजिक अन्याय से त्रस्त था।

Jammu and Kashmir 1931 incident
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इस दौरान एक युवक अब्दुल कादिर ने डोगरा शासन के खिलाफ एक भड़काऊ भाषण दिया, जिसके बाद उसे देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।

  • 13 जुलाई 1931 को, जब श्रीनगर के सेंट्रल जेल में अब्दुल कादिर की सुनवाई हो रही थी, तब हजारों कश्मीरी उनके समर्थन में जुट गए।
  • भीड़ अब्दुल कादिर की रिहाई की मांग कर रही थी, लेकिन जैसे-जैसे नारेबाजी बढ़ी, डोगरा प्रशासन ने सैनिकों को गोली चलाने का आदेश दे दिया।
  • इस गोलीबारी में 22 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई।
  • यह घटना कश्मीर के इतिहास में बड़े विद्रोह की चिंगारी साबित हुई और इसके बाद शेख अब्दुल्ला सहित कई नेता उभरकर सामने आए।

इस घटना की याद में हर साल 13 जुलाई को “कश्मीर शहीद दिवस” मनाया जाता था, लेकिन 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इस अवकाश को समाप्त कर दिया गया।

विधानसभा में उठा मुद्दा, भाजपा और पीडीपी आमने-सामने

मार्च 2025 में विधानसभा सत्र के दौरान, पीडीपी नेता वहीदुर्रहमान पारा ने 13 जुलाई को दोबारा सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग उठाई।

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इस पर भाजपा नेता और विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि 1931 के मारे गए लोग शहीद नहीं, बल्कि गद्दार थे। उन्होंने कहा कि यह घटना शहादत नहीं, बल्कि एक विद्रोह था, जिसे महिमामंडित किया जा रहा है।

शर्मा के इस बयान से सदन में हंगामा मच गया।

  • पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने इस बयान का कड़ा विरोध किया।
  • विपक्षी दलों ने इसे कश्मीर के इतिहास और पहचान का अपमान बताया।
  • भाजपा विधायक इस मुद्दे पर भारी विरोध के बीच विधानसभा से वॉकआउट कर गए।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी गर्म बहस छिड़ गई। पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं ने कहा कि भाजपा कश्मीर के इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। वहीद पारा ने कहा, “13 जुलाई 1931 को कश्मीरियों ने अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी थी। भाजपा इसे नकारकर इतिहास मिटाने की कोशिश कर रही है।” दूसरी ओर, भाजपा नेता सुनील शर्मा ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा कि यह कोई स्वतंत्रता संग्राम नहीं था, बल्कि विद्रोह था।

कई लोगों ने शर्मा के बयान को असंवेदनशील बताया, जबकि कुछ ने कहा कि इतिहास की अलग-अलग व्याख्याएं हो सकती हैं।

क्या है 13 जुलाई 1931 के शहीद दिवस का भविष्य?

2019 में जब अनुच्छेद 370 निरस्त किया गया, तब केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन ने 13 जुलाई के सार्वजनिक अवकाश को रद्द कर दिया था। इसके साथ ही शेख अब्दुल्ला की जयंती (5 दिसंबर) पर भी अवकाश रद्द कर दिया गया।

अब एक बार फिर इस अवकाश को बहाल करने की मांग उठी है, लेकिन भाजपा इसका कड़ा विरोध कर रही है।

इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों और कश्मीर की राजनीति पर भी पड़ सकता है।

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India Car imports Zero tariff: भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता! क्या कार आयात पर शून्य टै...

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India Car imports Zero tariff: भारत और अमेरिका के बीच संभावित व्यापार समझौते को लेकर चर्चाएं तेज हो रही हैं। इस समझौते के तहत, अमेरिका चाहता है कि भारत आयातित कारों पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ को पूरी तरह समाप्त कर दे। हालांकि, नई दिल्ली इस मांग को तुरंत स्वीकार करने के मूड में नहीं है, लेकिन टैरिफ में कुछ कटौती करने पर विचार कर सकता है।

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सूत्रों के अनुसार, यह मुद्दा आगामी औपचारिक द्विपक्षीय व्यापार वार्ता में प्रमुख विषयों में से एक रहेगा। यह चर्चा अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता टेस्ला के भारत में प्रवेश का मार्ग भी प्रशस्त कर सकती है, जो लंबे समय से भारतीय बाजार में आने की योजना बना रहा है लेकिन उच्च आयात शुल्क के कारण रुका हुआ है।

भारत में आयातित कारों पर ऊंचा कर, टेस्ला CEO एलन मस्क की चिंता- India Car imports Zero tariff

भारत में आयातित कारों पर 110% तक का टैरिफ लगाया जाता है, जिसे दुनिया में सबसे अधिक करों में से एक माना जाता है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने पहले भी इस भारी भरकम टैरिफ की आलोचना की थी, यह बताते हुए कि यह कंपनी के भारत में प्रवेश में सबसे बड़ी बाधा बन रहा है।

India Car imports Zero tariff
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मस्क को अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन मिला है, जो भारत के ऊंचे ऑटो टैरिफ की लगातार आलोचना कर रहे हैं। उन्होंने हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस में एक भाषण के दौरान फिर से इस मुद्दे को उठाया और कहा कि अगर भारत ने अपने टैरिफ को कम नहीं किया तो अमेरिका भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि क्षेत्र को छोड़कर अन्य लगभग सभी सेक्टरों में आयात शुल्क को शून्य या न्यूनतम स्तर पर ले आए। खासतौर पर ऑटो सेक्टर में टैरिफ समाप्त करने की मांग अधिक स्पष्ट रूप से रखी गई है।

भारत की प्रतिक्रिया: घरेलू उद्योग की सुरक्षा प्राथमिकता

भारत ने अभी तक इस मांग को सीधे तौर पर खारिज नहीं किया है, लेकिन स्थानीय उद्योगों से परामर्श के बाद ही कोई अंतिम निर्णय लेने की बात कही है।

पिछले महीने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई बैठक में दोनों नेताओं ने व्यापार शुल्क को लेकर बातचीत करने और 2025 के अंत तक एक व्यापक व्यापार समझौते तक पहुंचने पर सहमति जताई थी।

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भारतीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं और उन्होंने वहां के वाणिज्य सचिव हावर्ड लुटनिक और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि जेमीसन ग्रीर से मुलाकात की। इस दौरान भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को मजबूत करने और टैरिफ से जुड़े मुद्दों पर बातचीत की गई।

क्या भारत टैरिफ कम करने के लिए तैयार है?

हालांकि भारत तुरंत कारों के आयात शुल्क को शून्य करने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन सरकार धीरे-धीरे इस दिशा में कदम बढ़ा सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारतीय सरकार ने हाल ही में घरेलू ऑटोमोबाइल निर्माताओं के साथ बैठक की, जिसमें टैरिफ में संभावित कटौती पर चर्चा की गई और उनके विचार मांगे गए।

भारत का 4 मिलियन वाहनों का वार्षिक कार बाजार दुनिया के सबसे अधिक संरक्षित बाजारों में से एक है। घरेलू वाहन निर्माता, जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा, इस बात पर जोर दे रहे हैं कि आयात शुल्क में कटौती से घरेलू विनिर्माण प्रभावित होगा। इन कंपनियों का मानना है कि यदि आयातित कारें सस्ती हो जाएंगी, तो भारतीय कार उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

इलेक्ट्रिक वाहन बाजार और टैरिफ विवाद

भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। टाटा मोटर्स, महिंद्रा, ओला इलेक्ट्रिक जैसी कंपनियां देश में ही ईवी निर्माण के लिए भारी निवेश कर रही हैं।

इन कंपनियों को डर है कि यदि टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों को भारत में बिना शुल्क के कार बेचने की अनुमति दी जाती है, तो यह घरेलू ईवी निर्माताओं के लिए हानिकारक साबित होगा।

हालांकि, सरकार खुद को संरक्षणवाद से दूर दिखाने के लिए कुछ कदम उठा रही है। हाल ही में भारत ने लगभग 30 उत्पादों पर आयात शुल्क घटाया है, जिनमें हाई-एंड मोटरसाइकिलें और लग्जरी कारें भी शामिल हैं।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का भविष्य

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता में आयात शुल्क को लेकर सहमति बनाना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।

अगर भारत आयातित कारों पर टैक्स कम करता है, तो इससे टेस्ला और अन्य विदेशी वाहन कंपनियों के लिए भारतीय बाजार के दरवाजे खुल सकते हैं।

लेकिन अगर भारत अपने घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के नाम पर इस प्रस्ताव को खारिज करता है, तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई कर सकता है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार संबंधों पर असर पड़ सकता है।

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Vantara Controversy: गुजरात के वनतारा में हाथियों और अन्य वन्य जीवों की शिफ्टिंग पर ब...

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Vantara Controversy: जामनगर, गुजरात में स्थित वनतारा, जो कि अंबानी परिवार की वन्यजीव संरक्षण पहल का हिस्सा है, पिछले कुछ वर्षों से चर्चा में बना हुआ है। भारत के विभिन्न राज्यों से हाथियों, बाघों, गैंडों और अन्य वन्यजीवों को इस निजी अभयारण्य में स्थानांतरित किया जा रहा है, जिससे पर्यावरणविदों और पशु संरक्षण कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ रही है। हाल ही में, अरुणाचल प्रदेश, असम और महाराष्ट्र से कई हाथियों को गुजरात के इस सेंटर में भेजे जाने की खबरें सामने आई हैं, जिसके बाद इस मुद्दे पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

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महाराष्ट्र के ताडोबा और गढ़चिरौली से 12 हाथियों को गुजरात भेजा गया- Vantara Controversy

दिसंबर 2021 में द लाइव नागपुर की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र वन विभाग ने ताडोबा-अंधारी टाइगर रिजर्व (TATR) और गढ़चिरौली से 12 हाथियों को गुजरात के जामनगर स्थित रिलायंस के राधे कृष्ण एलिफेंट वेलफेयर सेंटर में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।

इस निर्णय के तहत, ताडोबा के बोटेजारी कैंप में मौजूद छह हाथियों को दिसंबर के अंत तक भेजा गया, जबकि गढ़चिरौली से छह और हाथियों को जनवरी 2022 में शिफ्ट किया गया। इनमें तीन हाथी पटनील (अल्लापल्ली) से और तीन कमलापुर (सिरोंचा डिवीजन) से थे।

महाराष्ट्र के प्रधान वन संरक्षक सुनील लिमये ने कहा कि ये हाथी जंगलों में किसी वन प्रबंधन कार्य के लिए उपयोग में नहीं थे और उनके रखरखाव पर लाखों रुपये खर्च हो रहे थे। वन विभाग ने इस कदम को हाथियों की बेहतरी के लिए उठाया गया कदम बताया।

लेकिन पर्यावरणविदों का कहना है कि इन हाथियों को एक निजी अभयारण्य में भेजने के पीछे कई अनुत्तरित सवाल हैं।

असम चिड़ियाघर से जानवरों की शिफ्टिंग पर बढ़ा विरोध

दिसंबर 2022 में प्रकाशित ETV भारत की रिपोर्ट के अनुसार, असम राज्य चिड़ियाघर से बाघ, बंदर, कछुए, आठ सींग वाले हिरण और गैंडे सहित कई प्रजातियों को अंबानी के निजी चिड़ियाघर में स्थानांतरित किया गया।

इस स्थानांतरण के खिलाफ कई कार्यकर्ता समूहों और राजनीतिक संगठनों ने गुवाहाटी में जोरदार प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि सरकार असम राज्य चिड़ियाघर का निजीकरण कर रही है और इसकी वन्य संपदा को एक निजी उद्योगपति के हवाले कर रही है। APWC की अध्यक्ष मीरा बोरठाकुर और प्रख्यात विचारक डॉ. हिरेन गोहेन ने इस फैसले की कड़ी निंदा की और सरकार से मांग की कि वन्यजीवों को वापस लाया जाए।

प्रदर्शनकारियों का दावा था कि 2018 से अब तक 1100 से अधिक वन्य जीवों को असम से अन्य स्थानों पर भेजा गया है, और सरकार इस प्रक्रिया को गुप्त रूप से आगे बढ़ा रही है।

अरुणाचल प्रदेश से 21 हाथियों की शिफ्टिंग पर सवाल

जनवरी 2025 में नॉर्थईस्ट नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, हाल ही में अरुणाचल प्रदेश से कम से कम 21 हाथियों को गुजरात के वनतारा सेंटर में भेजा गया। ये हाथी लोहित जिले के निजी मालिकों से खरीदे गए थे और 16 पशु एंबुलेंस के जरिए जामनगर ले जाए गए।

पर्यावरणविदों और पशु संरक्षण कार्यकर्ताओं ने इस ट्रांसपोर्टेशन को लेकर कई सवाल उठाए।

वन्यजीव कार्यकर्ता जयंत दास ने आरोप लगाया कि हाथियों को ले जाने के लिए जिन एंबुलेंस का उपयोग किया गया, उनके पास जरूरी प्रमाणपत्र (PUCC, बीमा, और फिटनेस प्रमाणपत्र) नहीं थे।

इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने इस बात की भी जांच की मांग की कि क्या इन हाथियों को वास्तव में कैद में पाला गया था या जंगल से पकड़ा गया था।

वन्यजीव संरक्षण समूहों ने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश और असम में लंबे समय से जंगल से हाथी पकड़कर उन्हें कैद में रखने की परंपरा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से इस मामले की स्वतंत्र जांच करने की मांग की।

वनतारा: दुनिया का सबसे बड़ा वन्यजीव संरक्षण केंद्र या एक निजी चिड़ियाघर?

वनतारा, जो रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी के बेटे अनंत अंबानी की पहल है, 3,500 एकड़ में फैला हुआ है। इसे दुनिया के सबसे बड़े वन्यजीव संरक्षण और पुनर्वास केंद्रों में से एक बताया जाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी वनतारा का दौरा किया और इसे वन्यजीव संरक्षण का एक आदर्श मॉडल बताया।

 

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वनतारा में कई दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां मौजूद हैं, जिनमें तेंदुए, जेब्रा, फ्लेमिंगो, दुर्लभ बोआ सांप और कई अन्य विदेशी प्रजातियां शामिल हैं।

हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह वास्तव में एक निजी चिड़ियाघर है, जहां जानवरों को रखकर मनोरंजन के लिए उपयोग किया जा रहा है।

सरकार और वन्यजीव कार्यकर्ताओं की चिंताएं

  • गुजरात के निजी जू में अन्य राज्यों के वन्यजीवों को स्थानांतरित करने का कारण क्या है?
  • क्या यह सरकारी चिड़ियाघरों और वन विभाग के संरक्षण प्रयासों को कमजोर करने की साजिश है?
  • क्या इन जानवरों को सही वातावरण और उचित देखभाल मिल रही है?
  • क्या यह व्यापार का एक नया रूप है, जहां वाइल्डलाइफ को निजी क्षेत्र के हवाले किया जा रहा है?

वन्यजीव कार्यकर्ताओं और पर्यावरणविदों ने सरकार से इस पूरे स्थानांतरण अभियान की पारदर्शी जांच की मांग की है।

वन्यजीव संरक्षण या निजी स्वामित्व की ओर बढ़ता कदम?

भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के नाम पर अगर राज्य सरकारें अपनी संपत्ति निजी हाथों में सौंप रही हैं, तो यह एक बड़ी चिंता का विषय है।

क्या यह वाकई वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक अच्छा कदम है या फिर एक बड़े उद्योगपति के निजी जू के लिए देश के वन्यजीवों को बेचा जा रहा है? यह सवाल अब सरकार और पर्यावरणविदों के बीच गंभीर बहस का मुद्दा बन गया है।

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Moradabad Dalit girl Rape Case: मुरादाबाद में नाबालिग से दो महीने तक दरिंदगी, तेजाब स...

Moradabad Dalit girl Rape Case: उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में 14 साल की एक दलित नाबालिग लड़की के साथ दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। चार युवकों ने मिलकर लड़की का अपहरण किया और दो महीने तक उसे बंधक बनाकर गैंगरेप किया। इस दौरान आरोपियों ने पीड़िता के हाथ पर बने ‘ॐ’ टैटू को तेजाब से जलाने की कोशिश की। इतना ही नहीं, जब भी पीड़िता खाने की मांग करती, तो उसे जबरन बीफ खिलाने की धमकी दी जाती और जबरदस्ती मांस खिलाया जाता था।

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कैसे हुआ अपहरण? बाजार से कार में खींचकर ले गए आरोपी- Moradabad Dalit girl Rape Case

पीड़िता की चाची ने पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में बताया कि 2 जनवरी को लड़की बाजार में कपड़े सिलवाने गई थी। तभी गांव के सलमान, जुबैर, राशिद और आरिफ नाम के चार युवकों ने उसे जबरदस्ती एक कार में खींच लिया।

इसके बाद उसे नशीला पदार्थ सुंघाकर बेहोश कर दिया गया और एक सुनसान जगह पर ले जाया गया। जब लड़की को होश आया, तो उसने खुद को निर्वस्त्र और कैद पाया। आरोपियों ने लगातार दो महीने तक उसके साथ क्रूरता की।

परिवार करता रहा तलाश, दो महीने बाद घर पहुंची पीड़िता

परिवार वालों ने 3 जनवरी को गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। 2 मार्च को लड़की किसी तरह घर पहुंची और अपनी आपबीती सुनाई। उसकी हालत बेहद नाजुक थी।

पीड़िता ने बताया कि जब भी उसे होश आता और वह खाने की मांग करती, तो आरोपी उसे जबरन बीफ खिलाने की कोशिश करते। अगर वह इनकार करती, तो उसे पीटा जाता और जबरदस्ती मांस खिलाया जाता।

तेजाब डालकर मिटाया गया ‘ॐ’ टैटू, धमकियां देकर किया गया प्रताड़ित

पीड़िता ने खुलासा किया कि उसके हाथ पर बने ‘ॐ’ टैटू को मिटाने के लिए आरोपियों ने तेजाब डाल दिया। वे उसे चेहरे पर तेजाब डालने की धमकी भी देते थे।

लगातार शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना देने के बाद आरोपियों ने उसे भोजपुर में छोड़ दिया और धमकी दी कि अगर उसने किसी को इस बारे में बताया, तो उसे और उसकी चाची को अगवा कर लेंगे।

पुलिस कार्रवाई: एक आरोपी गिरफ्तार, बाकी की तलाश जारी

लड़की के घर पहुंचने के बाद 3 मार्च को भगतपुर थाने में मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने IPC की धारा 137(2), 70(1), 123, 127(4), 299, 351(3), 124(1), पॉक्सो एक्ट की धारा 5 व 6 और एससी/एसटी एक्ट के तहत चारों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

पुलिस ने मुख्य आरोपी सलमान को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि बाकी तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। उनकी तलाश के लिए पुलिस की टीमें लगातार छापेमारी कर रही हैं।

पुलिस का बयान: जल्द होगी सभी आरोपियों की गिरफ्तारी

एसपी देहात कुंवर आकाश सिंह ने बताया कि पीड़िता के बयान दर्ज कर लिए गए हैं और आरोपियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी सजा दिलाई जाएगी।

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