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Ankita Bhandari CBI inquiry rejected: महिला दिवस पर न्याय की पुकार, अंकिता भंडारी केस...

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Ankita Bhandari CBI inquiry rejected: महिला सशक्तिकरण और न्याय की आवाज बुलंद करने वाले इस दौर में, जब हम अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, वहीं उत्तराखंड की बेटी अंकिता भंडारी के लिए न्याय की राह मुश्किल होती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने चर्चित अंकिता हत्याकांड की सीबीआई जांच की याचिका को खारिज कर दिया, जिससे न्याय की उम्मीद लगाए संगठनों को बड़ा झटका लगा है।

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न्याय के लिए संघर्ष और अधूरा सच (Ankita Bhandari CBI inquiry rejected)

वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्विस, जो इस केस में सीबीआई जांच की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे थे, ने कोर्ट के फैसले के बाद अंकिता के नाम एक बेहद भावुक पत्र लिखा। उन्होंने लिखा, “मुझे माफ करना, अंकिता! मैं दुखी हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने तुम्हारे केस की सीबीआई जांच की याचिका खारिज कर दी और हम अब तक मुख्य अपराधी को पकड़ नहीं पाए।”

Ankita Bhandari CBI inquiry rejected crime news
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उन्होंने पत्र में अंकिता की माँ सोनी देवी के दर्द को भी साझा किया, जिनकी बेटी की हत्या एक वीआईपी द्वारा “विशेष सेवाएं” मांगने से इनकार करने के कारण कर दी गई। गोंजाल्विस ने पुलिस की लापरवाही पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने अंकिता और उसके दोस्त पुष्पदीप के बीच की व्हाट्सएप चैट को चार्जशीट से हटाने, वीआईपी के सहयोगी की पहचान छिपाने और साक्ष्यों को नष्ट करने की घटनाओं पर कड़ी आपत्ति जताई।

पत्रकार पर कार्रवाई, सच्चाई दबाने की कोशिश?

न्याय की इस लड़ाई में सिर्फ़ अंकिता ही नहीं बल्कि इस मामले को उजागर करने वाले पत्रकार भी निशाने पर आ गए हैं। इस केस में आशुतोष नेगी नाम के पत्रकार ने भी न्याय दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, लेकिन उनकी आवाज़ दबाने के लिए उनके खिलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर दी गई और उन्हे हिरासत मे ले लिया गया। अंकिता के गांव के ही रहने वाले पत्रकार आशुतोष नेगी को इसलिए गिरफ़्तार कर लिया गया क्योंकि वो लगातार अंकिता भंडारी हत्याकांड के मुद्दे को सरकार के सामने मजबूती से उठा रहे थे। यह घटना दिखाती है कि किस तरह महिला सुरक्षा और न्याय के लिए आवाज़ उठाने वालों को भी सज़ा मिल रही है।

मुख्य अपराधी का नाम अब भी गुमनाम

18 सितंबर 2022 को उत्तराखंड में गंगा-भोगपुर स्थित वनंतरा रिज़ॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट अंकिता भंडारी की हत्या कर दी गई थी। आरोप है कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य, जो भाजपा नेता का बेटा और रिज़ॉर्ट का मालिक था, ने अंकिता को “वीआईपी” के लिए विशेष सेवा देने का दबाव डाला। जब उसने इनकार किया, तो उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।

इस केस में पुलकित आर्य, रिज़ॉर्ट के सहायक प्रबंधक अंकित गुप्ता और प्रबंधक सौरभ भास्कर को गिरफ्तार किया गया, लेकिन वीआईपी की पहचान अब भी रहस्य बनी हुई है। गोंजाल्विस का कहना है कि होटल कर्मियों के मोबाइल डेटा और सीसीटीवी फुटेज को जब्त नहीं किया गया, जिससे मुख्य अपराधी को बचाने की कोशिश की गई।

नार्को टेस्ट खारिज, ट्रायल कोर्ट का अजीब फैसला

गोंजाल्विस ने अपने पत्र में इस बात पर भी नाराजगी जताई कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य ने खुद के नार्को विश्लेषण की अनुमति मांगी थी, जिससे वीआईपी की सच्चाई उजागर हो सकती थी। लेकिन ट्रायल कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया, जिससे सच सामने आने का एक और मौका गवां दिया गया।

महिला दिवस और न्याय की लड़ाई

महिला दिवस हमें महिलाओं के अधिकारों और उनके प्रति समाज की जिम्मेदारी का स्मरण कराता है। लेकिन अंकिता भंडारी को न्याय दिलाने की इस लंबी लड़ाई में बार-बार रुकावटें आ रही हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता ने अपने पत्र में लिखा, “मुझे खेद है, अंकिता! यह भारत है, जहां आम महिलाओं की ज़िंदगी मायने नहीं रखती और उच्च पदों पर बैठे लोग बार-बार बच निकलते हैं।”

क्या न्याय मिलेगा?

हर साल जब देश महिला दिवस मनाता है तो सवाल उठता है कि क्या अंकिता जैसी बेटियों को न्याय मिलेगा? क्या वीआईपी की पहचान उजागर होगी? क्या सच को छिपाने की इस साजिश को तोड़ा जा सकेगा? ये सवाल न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश की न्याय प्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रहे हैं।

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RPF constable exam cheating case: RPF भर्ती परीक्षा में हाईटेक नकल का भंडाफोड़, 4 लाख...

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RPF constable exam cheating case: नोएडा में रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (RPF) कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान हाईटेक नकल करने की कोशिश कर रहे दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। ये आरोपी ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए बाहर से प्रश्नों के उत्तर प्राप्त कर रहे थे। पुलिस ने इस गिरोह का पर्दाफाश कर नकल करने की इस आधुनिक तकनीक पर लगाम लगाई है।

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कैसे हुआ नकल का भंडाफोड़? (RPF constable exam cheating case)

नोएडा के सेक्टर 58 पुलिस ने सेक्टर 62 स्थित आईडीजेड-2 परीक्षा केंद्र में इस धोखाधड़ी का खुलासा किया। 7 मार्च 2025 को परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक छत्रपाल को एक उम्मीदवार, आजाद, की गतिविधियां संदिग्ध लगीं। निरीक्षण के दौरान उसकी बेंच के नीचे एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और उसके कान में ब्लूटूथ ईयरपीस मिला। तुरंत परीक्षा केंद्र के स्टाफ वीके शर्मा, आदित्य चौधरी और आशीष रस्तोगी को सूचित किया गया, जिन्होंने मौके पर डिवाइस को जब्त कर लिया और उम्मीदवार से पूछताछ शुरू की।

RPF constable exam cheating case
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कैसे हुई नकल की योजना?

पूछताछ में आरोपी आजाद ने खुलासा किया कि उसके भाई असलम ने परीक्षा पास कराने के लिए मेरठ निवासी राहुल और मुजफ्फरनगर निवासी पंकज से संपर्क किया था। इन दोनों ने बागपत के नगला बड़ी गांव के निवासी सुमित के माध्यम से परीक्षा केंद्र में ब्लूटूथ डिवाइस सेटअप कराने की योजना बनाई थी। सुमित का संपर्क सीधे परीक्षा केंद्र में कार्यरत अर्जुन डागर से था, जिसने अंदर डिवाइस पहुंचाने में मदद की।

यह सौदा कुल 4 लाख रुपये में तय हुआ था, जिसमें से 50 हजार रुपये एडवांस में दिए जा चुके थे। योजना के तहत, परीक्षा केंद्र की 7वीं मंजिल पर स्थित ए-7 लैब के बाथरूम में ब्लूटूथ डिवाइस छिपाकर रखी गई थी, जिसे बाद में परीक्षा हॉल में ले जाया गया और नकल के लिए इस्तेमाल किया गया।

ब्लूटूथ डिवाइस के जरिए कैसे हो रही थी नकल?

आरोपियों ने परीक्षा हॉल में अपने टेबल के नीचे एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस सेटअप कर रखा था, जिससे ब्लूटूथ ईयरपीस के जरिए बाहर किसी व्यक्ति से उत्तर मांगे जा रहे थे। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि बाहर से उत्तर कौन दे रहा था।

RPF constable exam cheating case
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पुलिस कर रही है गहराई से जांच

नोएडा पुलिस इस पूरे नकल गिरोह की जड़ों तक पहुंचने के लिए गहन जांच कर रही है। पुलिस ने बताया कि इस मामले में शामिल अन्य आरोपियों की पहचान कर उन्हें जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा। सेक्टर 58 थाना पुलिस इस रैकेट से जुड़े सभी संभावित लिंक को खंगाल रही है ताकि परीक्षा में नकल कराने वाले नेटवर्क का पूरी तरह से भंडाफोड़ किया जा सके।

शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

यह घटना एक बार फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि परीक्षा प्रणाली में किस तरह से टेक्नोलॉजी का दुरुपयोग किया जा रहा है। नकल के लिए हाईटेक साधनों का इस्तेमाल अब एक संगठित अपराध का रूप लेता जा रहा है, जिसे रोकने के लिए प्रशासन को और कड़े कदम उठाने होंगे।

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Holi 2025 Rashi Anusar Upay: होली पर लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानें आपकी राशि क...

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Holi 2025 Rashi Anusar Upay: इस वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा पर होलिका दहन का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा, जिसके अगले दिन प्रतिपदा तिथि को रंगों की होली खेली जाएगी। भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में यह पर्व उल्लास और उमंग से मनाया जाता है। इस बार होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण भी पड़ने जा रहा है। हालांकि, यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से इसका प्रभाव सभी 12 राशियों पर पड़ेगा।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चंद्र ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए राशि अनुसार विशेष उपाय किए जा सकते हैं। इन उपायों से पितृ दोष, ग्रह दोष, और अन्य नकारात्मक प्रभावों को दूर किया जा सकता है, जिससे जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहे। आइए जानते हैं कि इस बार होली पर लग रहे चंद्र ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए कौन-से उपाय किए जाएं।

मेष और वृश्चिक राशि (Holi 2025 Rashi Anusar Upay)

इन राशियों के स्वामी मंगल ग्रह हैं, इसलिए ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए मसूर दाल, सौंफ, गेहूं, गुड़, तांबे की वस्तुएं और माचिस का दान करें। होली के दिन सबसे पहले भगवान कृष्ण को रंग अर्पित करें और देसी घी से बनी मिठाई का भोग लगाएं।

वृषभ और तुला राशि

इन राशियों के स्वामी शुक्र ग्रह हैं, इसलिए सफेद चीजों जैसे सफेद चंदन, चीनी, दूध, दही, चावल और सफेद मिठाई का दान करना लाभदायक रहेगा। भगवान कृष्ण और राधा रानी को सबसे पहले रंग लगाएं और ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ मंत्र का जाप करें।

मिथुन और कन्या राशि

इन राशियों के स्वामी बुध ग्रह हैं, इसलिए हरे रंग से जुड़े उपाय करना शुभ रहेगा। ग्रहण के बाद हरे फल, हरा कपड़ा आदि चीजों का दान करें और गाय को हरी घास खिलाएं। होली पर पीले रंग से खेलें और भगवान कृष्ण एवं राधा रानी को केसर का तिलक लगाएं।

कर्क राशि

चंद्रमा इस राशि के स्वामी हैं, और इस बार ग्रहण भी चंद्रमा पर ही लग रहा है। इसलिए कर्क राशि के जातकों को चांदी की कोई वस्तु जैसे चेन या अंगूठी धारण करनी चाहिए। ग्रहण के बाद दूध, चावल, मोती, चांदी, सफेद वस्त्र और दही का दान करें। भगवान कृष्ण को माखन का भोग लगाएं।

सिंह राशि

सूर्य इस राशि के स्वामी हैं, इसलिए ग्रहण के प्रभाव को कम करने के लिए अनाज, गुड़, पीतल, केले, दूध, फल, दाल, लाल फूल और लाल कपड़ा दान करें। होली पर लाल रंग से खेलें और सबसे पहले भगवान कृष्ण व राधा रानी को लाल गुलाल अर्पित करें।

धनु और मीन राशि

इन राशियों के स्वामी बृहस्पति ग्रह हैं, इसलिए ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए पीली वस्तुओं जैसे पीले फल, केले, हल्दी, पीले वस्त्र आदि का दान करें। गाय की सेवा करें और पीले रंग से होली खेलें। सबसे पहले माता-पिता के चरणों पर रंग लगाना शुभ रहेगा।

मकर और कुंभ राशि

शनि देव इन राशियों के स्वामी हैं, इसलिए ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए काले वस्त्र, लोहे की वस्तुएं, सरसों का तेल, काले चने या उड़द की दाल आदि चीजों का दान करें। नीले रंग से होली खेलें और पीपल के पेड़ की पूजा करें।

डिस्क्लेमर: यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें। नेड्रिक इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

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KTM Duke 160: KTM भारत में 125 Duke और RC 125 को बंद कर 160cc वेरिएंट लाएगा, Yamaha R...

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KTM Duke 160: KTM भारत में अपने एंट्री-लेवल मॉडल्स में बड़ा बदलाव करने जा रहा है। कंपनी 125 Duke और RC 125 को बंद कर इनकी जगह ज़्यादा पावरफुल 160cc वर्शन लाने की तैयारी कर रही है। इस कदम का उद्देश्य यामाहा के 155cc मॉडल, R15 V4 और MT-15 को कड़ी टक्कर देना है, जो हर महीने लगभग 20,000 यूनिट्स की बिक्री कर रहे हैं। KTM की यह नई पेशकश 150-160cc सेगमेंट में ग्राहकों के लिए बेहतर विकल्प और बढ़िया मूल्य प्रदान करने की रणनीति का हिस्सा है।

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डिज़ाइन और स्टाइलिंग में बड़ा अपडेट (KTM Duke 160)

आने वाली KTM 160 Duke और RC 160 अपने 200cc मॉडल्स से कई मामलों में अलग होंगी। 160 Duke, 200 Duke की ही आक्रामक डिज़ाइन लैंग्वेज को बरकरार रखेगी, जबकि RC 160 में RC 200 और RC 390 जैसी शार्प और एयरोडायनामिक फेयरिंग देखने को मिलेगी।

 

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दोनों बाइक्स KTM के ट्रेडमार्क ट्रेलिस फ्रेम पर आधारित होंगी और इनमें 43mm USD फोर्क्स, मोनोशॉक सस्पेंशन, डुअल-चैनल ABS और डिजिटल LCD इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर मिलने की उम्मीद है। इससे राइड क्वालिटी और हैंडलिंग बेहतर होगी, जिससे यह यामाहा R15 और MT-15 को कड़ी टक्कर दे सकेगी।

इंजन और परफॉर्मेंस में जबरदस्त बढ़ोतरी

KTM 160 Duke और RC 160 को 200 Duke के इंजन प्लेटफॉर्म से विकसित एक नया 160cc लिक्विड-कूल्ड इंजन पावर देगा। इस इंजन से लगभग 19-20hp पावर जनरेट होने की संभावना है, जो मौजूदा 125cc वेरिएंट के 14.5hp की तुलना में काफी अधिक है।

यह आंकड़ा यामाहा के 155cc लिक्विड-कूल्ड इंजन से भी बेहतर है, जो 18.4hp का पावर आउटपुट देता है। अधिक पावर और बेहतर हार्डवेयर के साथ, KTM अपनी बाइक्स को इस सेगमेंट में अधिक प्रभावी विकल्प के रूप में पेश कर सकता है।

मूल्य निर्धारण और लॉन्च टाइमलाइन

KTM 160 Duke और RC 160 की कीमतें यामाहा के R15 V4 (₹1.83-2.1 लाख) और MT-15 (₹1.69-1.74 लाख) के मुकाबले प्रतिस्पर्धी रहने की संभावना है। हालांकि, KTM अपनी नई बाइक्स को इससे बहुत कम कीमत पर लॉन्च करेगी, यह देखते हुए कि वर्तमान में 125 Duke ₹1.81 लाख और RC 125 ₹1.92 लाख में बेची जा रही हैं।

इस नई सीरीज की लॉन्चिंग 2025 के मध्य तक होने की उम्मीद है, जिसमें सबसे पहले 160 Duke आ सकती है और उसके तुरंत बाद RC 160 को पेश किया जा सकता है। पावर में बढ़ोतरी और अधिक प्रीमियम फीचर्स के साथ, KTM 160cc सेगमेंट में एक मजबूत दावेदार के रूप में उभर सकती है।

बजाज का आधिकारिक बयान

हालांकि इस बदलाव को लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में काफी चर्चा है, लेकिन बजाज ऑटो ने इस खबर की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। कंपनी ने कहा है, “हम स्पष्ट करना चाहेंगे कि न तो KTM और न ही बजाज ऑटो ने आधिकारिक रूप से इस खबर की घोषणा की है।” फिर भी, मौजूदा ट्रेंड्स और बाजार की प्रतिस्पर्धा को देखते हुए यह कदम KTM के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।

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Mauritius PM Navinchandra Ramgoolam: 1896 में भोजपुर से हुई शुरुआत, फिर कैसे रामगुलाम...

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Mauritius PM Navinchandra Ramgoolam: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम ने किया। दिलचस्प बात यह है कि रामगुलाम का भारत से विशेष संबंध है। उनके परिवार की जड़ें बिहार के भोजपुर जिले से जुड़ी हुई हैं और उनके पूर्वजों का मॉरीशस पहुंचने का इतिहास स्वतंत्रता संग्राम से भी जुड़ा है। आइए जानते हैं उनके परिवार की यात्रा और मॉरीशस की राजनीति में उनकी भूमिका।

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गुलाम परिवार की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Mauritius PM Navinchandra Ramgoolam)

मॉरीशस एक छोटा सा द्वीपीय देश है, जिसकी कुल आबादी करीब 12 लाख है। इतिहास की बात करें तो 1715 में इस पर फ्रांस का कब्जा था, लेकिन 1803 में हुए युद्ध के बाद ब्रिटिश शासन ने इसे अपने अधीन कर लिया। इसके बाद, अंग्रेजों ने भारत से बड़ी संख्या में मजदूरों को मॉरीशस भेजा।

Mauritius PM Navinchandra Ramgoolam
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1834 से 1924 तक लाखों भारतीय मजदूर मॉरीशस पहुंचे। इसी दौरान, 1896 में ‘द हिंदुस्तान’ जहाज के जरिए बिहार के भोजपुर जिले के हरिगांव से 18 वर्षीय मोहित रामगुलाम को मॉरीशस ले जाया गया।

रामगुलाम परिवार की संघर्षमयी यात्रा

मोहित रामगुलाम के भाई भी मॉरीशस आए थे। मोहित ने शुरू में एक साधारण मजदूर के रूप में काम किया, लेकिन बाद में उन्हें क्वीन विक्टोरिया सुगर इस्टेट में नौकरी मिल गई। वहीं उनकी मुलाकात विधवा बासमती से हुई, जिनसे उन्होंने 1898 में शादी कर ली। इस दंपति के बेटे शिवसागर का जन्म 1900 में हुआ। मोहित ने मॉरीशस में भोजपुरी भाषा और हिंदू रीति-रिवाजों को बढ़ावा देने का कार्य किया।

शिवसागर रामगुलाम: मजदूर से नेता बनने तक की कहानी

शिवसागर महज 12 साल के थे, जब उनके पिता मोहित का निधन हो गया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मां से छिपाकर स्कूल में दाखिला लिया और बाद में इंग्लैंड जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त की। वहीं, उनकी मुलाकात भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं से हुई और वे उनके विचारों से प्रभावित हुए।

मॉरीशस लौटकर मजदूरों के अधिकारों की लड़ाई

1935 में शिवसागर मॉरीशस लौटे और मजदूरों के हक के लिए लड़ाई शुरू की। उन्होंने वोटिंग राइट्स के लिए आंदोलन किया और मॉरीशस लेबर पार्टी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई। 1940 से 1953 के बीच उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शन किए और श्रमिक वर्ग के अधिकारों की रक्षा की।

मॉरीशस को आजादी दिलाने में अहम भूमिका

शिवसागर रामगुलाम के नेतृत्व में मॉरीशस की जनता को संगठित किया गया और 12 मार्च 1968 को मॉरीशस को स्वतंत्रता मिली। उन्हें मॉरीशस का राष्ट्रपिता घोषित किया गया और स्वतंत्रता के बाद वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपने शासनकाल में मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की शुरुआत की, जिससे वे जनता में ‘अंकल रामगुलाम’ के नाम से मशहूर हो गए।

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परिवार की राजनीतिक विरासत

1982 तक शिवसागर की पार्टी का प्रभाव बना रहा, लेकिन बाद में उनकी पार्टी चुनाव हार गई। शिवसागर के निधन के बाद उनके बेटे नवीनचंद्र रामगुलाम ने राजनीतिक विरासत संभाली। नवीनचंद्र 1995-2000 और 2005-2014 तक मॉरीशस के प्रधानमंत्री रहे। 2024 में वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। आज भी रामगुलाम परिवार का मॉरीशस की राजनीति में गहरा प्रभाव है।

भारतीय मूल के लोगों का मॉरीशस पर प्रभाव

मॉरीशस की करीब 70% आबादी भारतीय मूल की है, जिसमें भोजपुरी भाषा प्रमुखता से बोली जाती है। धार्मिक दृष्टि से करीब 50% हिंदू, 32% ईसाई और 15% मुस्लिम समुदाय के लोग यहां निवास करते हैं। भारतीय संस्कृति और परंपराओं का मॉरीशस की सामाजिक व्यवस्था पर गहरा प्रभाव देखा जाता है।

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Ayodhya Mystery Murder Update: सुहागरात पर दूल्हा-दुल्हन की रहस्यमयी मौत, पुलिस जांच ...

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Ayodhya Mystery Murder Update: अयोध्या में एक दर्दनाक और रहस्यमयी घटना ने सभी को चौंका दिया है। सुहागरात पर नवविवाहित जोड़े की मौत का रहस्य अभी भी बरकरार है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने इस घटना में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, दुल्हन शिवानी की मौत गला घोटने से हुई, जबकि दूल्हे प्रदीप की मौत फांसी लगाने से हुई। पुलिस इस रहस्य को सुलझाने के लिए कई संभावित पहलुओं की जांच कर रही है।

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रात में आया मैसेज बना मौत की वजह? (Ayodhya Mystery Murder Update)

पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह आशंका जताई जा रही है कि प्रदीप के मोबाइल पर रात में कोई संदिग्ध मैसेज या फोटो आया होगा, जिससे स्थिति बिगड़ गई। हालांकि, यह केवल एक संभावना है और इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है। इस घटना को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया है।

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कमरे की कुंडी अंदर से थी बंद

परिजनों के अनुसार, जिस कमरे में दोनों की मौत हुई, उसकी कुंडी अंदर से बंद थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कोई बाहरी व्यक्ति अंदर नहीं गया था। इस कारण पुलिस को संदेह है कि प्रदीप ने पहले शिवानी का गला घोंटा और फिर खुद फांसी लगा ली। एसएसपी राज करन नैय्यर ने दोनों के माता-पिता से अलग-अलग पूछताछ कर मामले की कड़ियों को जोड़ने की कोशिश की है।

खुशियों से मातम तक का सफर

यह शादी बेहद सामान्य तरीके से संपन्न हुई थी। शादी की रस्में पूरी होने तक सबकुछ ठीक था। बारात में जमकर नाच-गाना हुआ, हंसी-ठिठोली का माहौल था, और दूल्हा-दुल्हन भी बेहद खुश नजर आ रहे थे। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि महज 24 घंटे के भीतर यह खुशी मातम में बदल जाएगी।

कमरे में जाते ही क्या हुआ?

जैसे ही शादी की पहली रात दूल्हा-दुल्हन अपने कमरे में गए, उसके बाद क्या हुआ यह अभी भी रहस्य बना हुआ है। पुलिस अभी तक इस सवाल का जवाब नहीं ढूंढ पाई है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसने इस शादी को एक दर्दनाक अंत दे दिया।

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शिवानी के पास क्यों नहीं था मोबाइल?

शिवानी का परिवार दिल्ली में रहता था और इस शादी की योजना पिछले एक साल से बन रही थी। यह भी सामने आया है कि शादी से पहले शिवानी और प्रदीप के बीच बातचीत होती थी, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि शिवानी के पास खुद का मोबाइल फोन नहीं था। अब यह सवाल उठ रहा है कि ऐसा क्यों था? क्या यह परिवार की कोई सख्ती थी या इसके पीछे कोई और वजह थी?

मौत से पहले प्रदीप के मोबाइल पर आया था कोई संदेश?

एक और जांच पहलू यह है कि क्या प्रदीप के फोन पर कोई ऐसा मैसेज या फोटो आया जिससे उसकी मानसिक स्थिति बदल गई? पुलिस का मानना है कि यह संभव है कि किसी गहरी नाराजगी या गुस्से के कारण प्रदीप ने शिवानी का गला दबा दिया हो और गलती से उसकी मौत हो गई हो। जब उसे एहसास हुआ कि शिवानी अब इस दुनिया में नहीं रही, तो उसने खुद को भी समाप्त करने का फैसला कर लिया होगा। लेकिन यह अभी तक महज एक थ्योरी है और इसकी पुष्टि के लिए और जांच की जरूरत है।

परिवार और पुलिस की चुप्पी से बढ़ रहा रहस्य

इस पूरे मामले में सबसे बड़ी बात यह है कि परिवार के सदस्य कुछ भी खुलकर कहने से बच रहे हैं। खासकर शिवानी के मोबाइल न होने की बात ने मामले को और पेचीदा बना दिया है। पुलिस अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है और जांच जारी है।

क्या है आगे की जांच का रुख?

फिलहाल पुलिस सभी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर फोन रिकॉर्ड्स तक की बारीकी से जांच की जा रही है।

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BJP leader Gulfam Singh Yadav murder: संभल में बीजेपी नेता गुलफाम सिंह यादव की दिनदहा...

BJP leader Gulfam Singh Yadav murder: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में हाल ही में एक दिल दहला देने वाली घटना घटी, जिसने राजनीतिक गलियारों से लेकर प्रशासन तक को झकझोर कर रख दिया। जिले के दबथरा गांव में दिन-दहाड़े बीजेपी नेता गुलफाम सिंह यादव की जहरीला इंजेक्शन देकर हत्या कर दी गई। इस निर्मम हत्याकांड ने इलाके में तनाव फैला दिया है और पुलिस प्रशासन को हत्यारों की तलाश में जुटा दिया है।

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हत्या का खौफनाक तरीका (BJP leader Gulfam Singh Yadav murder)

सोमवार को 70 वर्षीय गुलफाम सिंह यादव अपने घर के पास बैठे थे, तभी बाइक सवार तीन युवक वहां पहुंचे। उन्होंने पहले गुलफाम सिंह से बातचीत करने की कोशिश की और फिर अचानक उनके पेट में जहरीला इंजेक्शन घोंप दिया। जब तक वे कुछ समझ पाते, हमलावर तेजी से मौके से फरार हो गए। इस हमले के बाद गुलफाम सिंह अचेत होकर गिर पड़े। परिजनों ने तुरंत उन्हें गुन्नौर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया, लेकिन हालत बिगड़ने पर उन्हें अलीगढ़ रेफर कर दिया गया। दुर्भाग्यवश, रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई।

BJP leader Gulfam Singh Yadav murder
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घटनास्थल पर पुलिस का त्वरित एक्शन

बीजेपी नेता की हत्या की खबर मिलते ही पुलिस-प्रशासन सतर्क हो गया। पुलिस बल घटनास्थल पर पहुंचा और इलाके की घेराबंदी कर जांच शुरू कर दी गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए अलीगढ़ भेजा गया और मौके से बरामद साक्ष्यों की जांच की गई। फॉरेंसिक टीम ने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और अहम सुराग इकट्ठा किए। पुलिस को वहां से एक नीडल और एक हेलमेट बरामद हुआ, जिससे मामले को सुलझाने में मदद मिल सकती है।

प्रत्यक्षदर्शियों के बयान और पुलिस की जांच

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, तीनों हमलावर बाइक पर सवार होकर आए थे। उन्होंने पहले गुलफाम सिंह से हाथ मिलाया और उनके पैर भी छुए, जिससे किसी को उन पर शक नहीं हुआ। इसके बाद अचानक एक हमलावर ने उनके पेट में इंजेक्शन घोंप दिया और तेजी से वहां से भाग निकले।

BJP leader Gulfam Singh Yadav murder
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संभल के एसपी केके बिश्नोई और सीओ दीपक तिवारी ने घटना स्थल का दौरा किया और मृतक के परिजनों से मुलाकात की। पुलिस ने इलाके के सीसीटीवी फुटेज की जांच शुरू कर दी है और कुछ अहम सुराग मिलने का दावा किया है। एसपी बिश्नोई ने कहा कि पुलिस जल्द ही अपराधियों को गिरफ्तार कर मामले का खुलासा करेगी।

राजनीतिक हलकों में हलचल

बीजेपी नेता की हत्या से राजनीतिक माहौल गरमा गया है। गुलफाम सिंह यादव लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे थे। वर्ष 2004 में उन्होंने गुन्नौर विधानसभा उपचुनाव में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बीजेपी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। इसके अलावा, वह आरएसएस के जिला कार्यवाह, बीजेपी के जिला महामंत्री और पश्चिमी यूपी में बीजेपी के उपाध्यक्ष भी रह चुके थे। उनके बेटे दिव्य प्रकाश संभल जिले के जनाबई ब्लॉक के ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं।

हत्या का कारण: राजनीतिक रंजिश या कुछ और?

मृतक के परिजनों का कहना है कि इस हत्या के पीछे राजनीतिक रंजिश हो सकती है। गुलफाम सिंह यादव का राजनीतिक कद बड़ा था और कई लोगों से उनकी प्रतिद्वंद्विता थी। पुलिस इस एंगल के साथ-साथ अन्य संभावित कारणों की भी जांच कर रही है।

इलाके में दहशत, पुलिस पर सवाल

इस हत्या के बाद इलाके में दहशत का माहौल है। लोग भयभीत हैं और कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठा रहे हैं। पुलिस ने हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए आधा दर्जन से अधिक टीमें गठित की हैं और जांच तेज कर दी गई है।

जल्द होगा खुलासा?

संभल पुलिस का दावा है कि इस मामले में उन्हें कुछ अहम सुराग मिले हैं, जिनके आधार पर आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जा सकता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट और फॉरेंसिक जांच से भी हत्यारों के खिलाफ सबूत जुटाने में मदद मिलेगी। फिलहाल, पुलिस की टीमें पूरी तरह से हत्यारों की तलाश में जुटी हुई हैं और जल्द ही पूरे मामले का खुलासा करने का आश्वासन दे रही हैं।

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Odisha Conversion Laws: धर्मांतरण कानून से दलितों के संवैधानिक अधिकारों पर संकट? जानि...

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Odisha Conversion Laws: ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने धर्मांतरण विरोधी कानून को विकल्प विरोधी कानून करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह कानून विशेष रूप से दलित समुदाय को निशाना बनाता है और उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन करता है। पूर्व जस्टिस मुरलीधर ने 28 फरवरी को ‘एडीएफ इंडिया पैनल चर्चा’ में भाग लेते हुए इस कानून की खामियों को उजागर किया और इसे लोकतांत्रिक अधिकारों के विपरीत बताया।

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कानून में निहित पूर्वाग्रह (Odisha Conversion Laws)

मुरलीधर का कहना है कि यह कानून इस धारणा पर आधारित है कि कोई भी धर्मांतरण डर, भय या धमकी का परिणाम होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सभी धर्मांतरण जबरन या प्रलोभन से प्रेरित नहीं होते, बल्कि कुछ लोग अपनी स्वेच्छा से भी धर्म परिवर्तन करते हैं। उनका मानना है कि यह कानून उन लोगों को भी अपराधी ठहराता है जो अपनी मर्जी से धर्म बदलते हैं और उन्हें सरकारी प्रक्रियाओं में उलझा देता है।

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संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, पूर्व जस्टिस मुरलीधर ने जोर देकर कहा कि धर्मांतरण विरोधी कानून जबरन धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए नहीं हैं, बल्कि ये संविधान द्वारा प्रदत्त धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ हैं। उन्होंने बताया कि इन कानूनों में यह पहले से मान लिया जाता है कि यदि कोई व्यक्ति अपने जन्मजात धर्म को छोड़कर किसी अन्य धर्म को अपनाने का निर्णय लेता है, तो यह निर्णय किसी न किसी दबाव के कारण ही हुआ होगा। इस धारणा के आधार पर कानून का बोझ उस व्यक्ति पर डाल दिया जाता है, जिस पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाया गया हो।

दलित और अल्पसंख्यक समुदायों पर प्रभाव

पूर्व चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि इस कानून का सबसे अधिक प्रभाव दलित समुदाय पर पड़ रहा है, क्योंकि वे अक्सर अपने अधिकारों की रक्षा और सामाजिक भेदभाव से बचने के लिए धर्मांतरण करते हैं। उन्होंने बताया कि यह कानून केवल एक विशेष समुदाय को लक्षित करता है और उनके धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को बाधित करता है। इसके अलावा, यह अल्पसंख्यक समुदायों के लिए भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है और उन्हें सार्वजनिक रूप से अपमानित करने का माध्यम बन जाता है।

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धर्म की पसंद को सार्वजनिक करना अनिवार्य

मुरलीधर ने इस कानून की एक अन्य महत्वपूर्ण खामी को उजागर करते हुए कहा कि यदि कोई दलित बौद्ध धर्म अपनाने की इच्छा रखता है, तो उसे पहले जिला मजिस्ट्रेट को इसकी सूचना देनी होगी। उन्होंने इस प्रक्रिया को संविधान प्रदत्त अधिकारों का उल्लंघन बताया। उनका कहना है कि धर्मांतरण का निर्णय अत्यंत निजी मामला होना चाहिए, लेकिन इस कानून के तहत लोगों को अपने धार्मिक विकल्पों को सार्वजनिक रूप से घोषित करने के लिए बाध्य किया जा रहा है। उन्होंने इसे पसंद की स्वतंत्रता, गोपनीयता और धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया।

लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा

मुरलीधर का कहना है कि संविधान ने हमें पोशाक, भोजन और प्रार्थना की स्वतंत्रता दी है, लेकिन अब धर्मांतरण विरोधी कानूनों के कारण ये स्वतंत्रताएँ प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने इस कानून को चुनाव की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया और कहा कि यह लोकतांत्रिक समाज के मूल्यों को कमजोर करता है। उन्होंने सरकार और न्यायपालिका से इस कानून की समीक्षा करने और इसे संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप बनाने की अपील की।

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Sikhism in Germany: जर्मनी में सिखों का बढ़ता प्रभाव, धार्मिक अल्पसंख्यक से मजबूत समु...

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Sikhism in Germany: सिख समुदाय जर्मनी में तेजी से बढ़ता हुआ धार्मिक अल्पसंख्यक है। अधिकांश जर्मन सिखों की जड़ें भारत के पंजाब में हैं, जबकि कुछ अफ़गान सिख समुदाय से या धर्मांतरण के माध्यम से इस धर्म को अपनाते हैं। जर्मनी में रहने वाले सिखों की संख्या लगभग 25,000 के करीब मानी जाती है, जिससे यह यूरोप में सिखों की आबादी के मामले में यूनाइटेड किंगडम (524,000), इटली (220,000), पुर्तगाल (35,000) और स्पेन (26,000) के बाद पांचवें स्थान पर आता है।

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प्रमुख सिख आबादी वाले शहर (Sikhism in Germany)

जर्मनी में सिख समुदाय प्रमुख रूप से बर्लिन, कोलोन, हैम्बर्ग, फ्रैंकफर्ट और म्यूनिख में बसा हुआ है। इन शहरों में बड़ी संख्या में पंजाबी सिख रहते हैं, जिनकी कुल संख्या लगभग 15,000 से 21,000 के बीच आंकी जाती है। यहाँ पर कई गुरुद्वारे भी स्थापित हैं, जो सिख धर्म के प्रचार-प्रसार और समुदाय के धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण केंद्र हैं।

 

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जर्मनी में प्रमुख गुरुद्वारे

सिख समुदाय की धार्मिक आस्था और पहचान बनाए रखने के लिए जर्मनी में कई गुरुद्वारे स्थापित किए गए हैं। इन गुरुद्वारों में धार्मिक अनुष्ठानों के साथ-साथ सामुदायिक सेवा भी प्रदान की जाती है।

  • गुरुद्वारा श्री गुरु नानक सभा, म्यूनिख
  • गुरुद्वारा सिंह सभा, बर्लिन
  • गुरुद्वारा सिंह सभा, कोलोन
  • गुरुद्वारा श्री गुरु नानक दरबार, हैम्बर्ग
  • गुरुद्वारा गुरु नानक मिशन, नूर्नबर्ग
  • गुरुद्वारा सिंह सभा, फ्रैंकफर्ट
  • गुरुद्वारा दशमेश दरबार, एस्सेन
  • गुरुद्वारा गुरु नानक देव जी, सोएस्ट
  • गुरुद्वारा नानक दरबार, ऑफेनबैक एम मेन
  • गुरुद्वारा सिंह सभा, उल्म
  • गुरुद्वारा गोबिंद सागर, वुर्जबर्ग

ये गुरुद्वारे न केवल धार्मिक केंद्र हैं, बल्कि सामुदायिक मेलजोल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन करते हैं, जिससे सिख धर्म को बढ़ावा मिलता है।

जर्मन सिखों का योगदान

जर्मनी में रहने वाले सिख विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। इनमें व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और खेल जैसे क्षेत्र शामिल हैं। उल्लेखनीय रूप से, हरमनजोत सिंह जर्मनी की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के सदस्य हैं और उन्होंने सिख समुदाय को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गौरवान्वित किया है।

सिख समुदाय पर हमले और सुरक्षा चिंताएं

हालांकि, जर्मनी में सिख समुदाय को कई बार धार्मिक असहिष्णुता का भी सामना करना पड़ा है। अप्रैल 2016 में, दो 16 वर्षीय मुस्लिम युवकों ने जर्मन शहर एसेन में एक गुरुद्वारे पर हमला किया। उन्होंने आग बुझाने वाले यंत्रों को विस्फोटक उपकरणों में बदलकर बम विस्फोट किया, जिससे एक सिख पुजारी गंभीर रूप से घायल हो गए और दो अन्य को मामूली चोटें आईं। इस घटना में गुरुद्वारे की इमारत को भी गंभीर क्षति पहुँची।

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हालांकि आरोपियों ने इस हमले को धार्मिक रूप से प्रेरित नहीं बताया और इसे महज़ आतिशबाज़ी के रूप में वर्णित किया, लेकिन इस घटना ने जर्मनी में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। इस घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने गुरुद्वारों और अन्य धार्मिक स्थलों की निगरानी बढ़ा दी।

जर्मनी में सिख समुदाय एक मजबूत और बढ़ता हुआ धार्मिक अल्पसंख्यक है, जिसने देश की विविधता में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। हालांकि, धार्मिक हमलों और असहिष्णुता की घटनाओं ने समुदाय को सुरक्षा संबंधी चिंताओं से अवगत कराया है। इस प्रकार, जर्मनी में सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित रखने के लिए सरकार और समाज को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। गुरुद्वारों की स्थापना और सामुदायिक सेवा इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं, जो सिख धर्म की मूल शिक्षाओं – सेवा, समानता और एकता – को प्रतिबिंबित करते हैं।

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Jaipur Crime News: बयान दर्ज करने के बहाने होटल में ले जाकर कांस्टेबल ने किया दुष्कर्...

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Jaipur Crime News: राजस्थान की राजधानी जयपुर से इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है, जहां सांगानेर पुलिस थाने में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल पर शादीशुदा महिला से दुष्कर्म का गंभीर आरोप लगा है। यह घटना तब सामने आई जब पीड़िता के पति ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी कांस्टेबल भगाराम को पुलिस ने रविवार को हिरासत में ले लिया और उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।

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क्या है पूरा मामला? (Jaipur Crime News)

जयपुर पुलिस के अनुसार, पीड़िता के पति ने शनिवार रात को शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें बताया गया कि उसकी पत्नी के साथ कांस्टेबल भगाराम ने दुष्कर्म किया।

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पीड़िता ने अपने पड़ोसी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी, और उसी केस में बयान लेने के बहाने कांस्टेबल भगाराम ने महिला को घर से कुछ दूरी पर बुलाया। इसके बाद, वह महिला और उसके तीन साल के बेटे को बाइक पर बैठाकर एक होटल ले गया। होटल में उसने स्टाफ से यह कहकर कमरा लिया कि महिला को कपड़े बदलने हैं। लेकिन कमरे में ले जाकर उसने महिला के साथ जबरदस्ती की।

पति को जेल भेजने की धमकी देकर किया दुष्कर्म

पीड़िता का कहना है कि घटना के बाद आरोपी ने उसे धमकी दी कि अगर उसने किसी को इस बारे में बताया, तो वह उसके पति को झूठे केस में फंसा कर जेल भेज देगा। इस धमकी से डरी हुई महिला ने पहले किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन बाद में उसने हिम्मत जुटाई और अपने पति को आपबीती सुनाई। इसके बाद, महिला और उसके पति ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

रातभर बंधक बनाकर किया शोषण

सूत्रों के अनुसार, कांस्टेबल भगाराम ने महिला को होटल में रातभर बंधक बनाकर रखा और उसके साथ कई बार दुष्कर्म किया। इस दौरान, उसका तीन साल का बेटा भी वहां मौजूद था। आरोपी ने पीड़िता के मुंह में कपड़ा ठूंस दिया, ताकि उसकी चीखें कोई ना सुन सके। इसके बाद, उसने पीड़िता को धमकी दी कि अगर उसने किसी से इस बारे में बात की, तो वह उसे और उसके बच्चे को जान से मार देगा।

पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लिया

घटना के बाद, पीड़िता ने साहस दिखाते हुए पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ से संपर्क किया। उन्होंने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी कांस्टेबल के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया।

सहायक पुलिस आयुक्त (ACP) विनोद शर्मा ने बताया कि पुलिस ने आरोपी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। साथ ही, पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया जा रहा है, ताकि घटना की पुष्टि की जा सके। पुलिस मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए सभी सबूतों की जांच कर रही है।

राजस्थान में कानून व्यवस्था की बदहाल स्थिति

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने महिला दिवस पर मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में हुई एक शर्मनाक घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा कि इस घटना से राजस्थान में कानून व्यवस्था की बदतर स्थिति उजागर होती है। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब भाजपा सरकार IIFA अवॉर्ड्स के आयोजन और मनोरंजन में व्यस्त थी, उसी समय मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में एक दलित गर्भवती महिला के साथ उसके तीन साल के बच्चे के सामने एक पुलिसकर्मी ने दुष्कर्म किया। IIFA जैसे आयोजनों का अपना महत्व है, लेकिन आमजन की सुरक्षा की अनदेखी किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है।

अगर रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे, तो प्रदेश का क्या होगा?

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि महिला दिवस पर सरकार ने बड़े-बड़े दावे किए थे, लेकिन मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र में ही एक गर्भवती महिला के साथ कांस्टेबल द्वारा बलात्कार की घटना सामने आई। यह प्रदेश को शर्मसार करने वाली घटना है। भाजपा “नहीं सहेगा राजस्थान” के नारे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन महिला दिवस के दिन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के विधानसभा क्षेत्र में इतनी गंभीर घटना होने के बावजूद सरकार की चुप्पी चिंताजनक है। अगर रक्षक ही भक्षक बन जाएंगे, तो प्रदेश की सुरक्षा का क्या होगा?

Leader of Opposition Tikaram Julie
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