Home Blog Page 33

Ratlam Hospital Viral Video: रतलाम अस्पताल का चौंकाने वाला मामला! ICU से रस्सियां तोड...

0

Ratlam Hospital Viral Video: मध्य प्रदेश के रतलाम जिले से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय गीता देवी अस्पताल में भर्ती एक मरीज ने खुद को ICU में रस्सियों से बंधा पाया, जबकि उसकी पत्नी अस्पताल के कहने पर बड़ी रकम इकट्ठा करने में लगी थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे लोगों में गुस्सा और नाराजगी देखने को मिल रही है।

और पढ़ें: Sambhal Violence में फेंके गए ईंट-पत्थर अब पुलिस चौकी के निर्माण में होंगे इस्तेमाल

इलाज के नाम पर पैसे ऐंठने का आरोप (Ratlam Hospital Viral Video)

मामले के मुताबिक, एक महिला ने अपने बीमार पति को इलाज के लिए गीता देवी अस्पताल में भर्ती कराया था। शुरुआती उपचार के बाद अस्पताल प्रबंधन ने पत्नी को बताया कि मरीज की हालत गंभीर है और उसे बचाने के लिए अधिक पैसों की जरूरत पड़ेगी। घबराई हुई पत्नी पैसों की व्यवस्था में जुट गई और उसने पहले ही ₹50,000 अस्पताल में जमा करा दिए थे।

हालांकि, अस्पताल का दबाव यहीं नहीं रुका। डॉक्टरों ने उसे सूचित किया कि मरीज कोमा में चला गया है, और उसे बचाने के लिए और अधिक पैसों की जरूरत होगी। बेबस पत्नी अपने पति की जान बचाने के लिए ₹1 लाख और लेकर अस्पताल पहुंची, लेकिन इससे पहले ही कहानी में बड़ा मोड़ आ गया।

मरीज ICU से भागा, खुद बताई सच्चाई

जब पत्नी अस्पताल पहुंची, तो ICU में भर्ती उसका पति रस्सियां तोड़कर बाहर सड़क पर आ गया। वह न केवल पूरी तरह होश में था, बल्कि उसने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए। मरीज ने बताया कि उसे जबरदस्ती ICU में बंधक बनाकर रखा गया था और झूठ बोलकर उसकी पत्नी से पैसे मांगे जा रहे थे। इस घटना के बाद अस्पताल के बाहर हंगामा मच गया और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

जनता में आक्रोश, सरकार ने दिए जांच के आदेश

वीडियो वायरल होने के बाद लोगों ने स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल उठाने शुरू कर दिए। कई लोगों ने इस घटना को अस्पताल प्रबंधन की लूट करार दिया और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। बढ़ते विवाद को देखते हुए रतलाम के कलेक्टर राजेश बाथम ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित कर दी।

स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल

यह मामला न केवल मरीजों के साथ होने वाली धोखाधड़ी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि निजी अस्पताल कैसे पैसे के लालच में मरीजों और उनके परिजनों को गुमराह करते हैं। अगर यह मरीज खुद ICU से बाहर नहीं निकलता, तो शायद उसकी पत्नी से और अधिक पैसे ऐंठ लिए जाते।

इस घटना ने सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की अपर्याप्तता पर भी सवाल उठाए हैं, जिससे आम जनता को निजी अस्पतालों की मनमानी का शिकार होना पड़ता है।

अस्पताल प्रशासन ने पेश की सफाई

हालांकि, घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने भी अपना पक्ष रखते हुए CCTV फुटेज जारी किए। फुटेज में मरीज ICU में डॉक्टरों से बहस करता और हंगामा करता दिख रहा है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि मरीज आदतन अपराधी है और उसके खिलाफ पहले से कई मुकदमे दर्ज हैं। अस्पताल ने इस मामले को लेकर स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत भी दर्ज कराई है।

और पढ़ें: Mizoram Liquor ban News: मिजोरम में शराबबंदी के बावजूद बीयर की बिक्री को मंजूरी देने की तैयारी, विधानसभा में पेश होगा संशोधन विधेयक

Sambhal Violence में फेंके गए ईंट-पत्थर अब पुलिस चौकी के निर्माण में होंगे इस्तेमाल

0

Sambhal Violence: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में पिछले साल जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा के दौरान उपद्रवियों द्वारा फेंके गए ईंट-पत्थरों का अब एक सकारात्मक उपयोग किया जाएगा। प्रशासन ने फैसला किया है कि इन ईंट-पत्थरों को नई पुलिस चौकियों के निर्माण में लगाया जाएगा।

और पढ़ें: Mizoram Liquor ban News: मिजोरम में शराबबंदी के बावजूद बीयर की बिक्री को मंजूरी देने की तैयारी, विधानसभा में पेश होगा संशोधन विधेयक

हिंसा में इस्तेमाल ईंट-पत्थरों का पुनः उपयोग (Sambhal Violence)

संभल में 24 नवंबर 2024 को एडवोकेट कमीशन सर्वे के दौरान हालात बिगड़ गए थे, जिसके कारण बड़ी संख्या में हिंसा हुई और उपद्रवियों ने पुलिस पर घंटों तक पत्थरबाजी की। इस घटना के बाद प्रशासन ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों से करीब 6 ट्रॉली ईंट-पत्थर एकत्रित किए थे। इन्हें हटवाने के बाद नगर पालिका के यार्ड में सुरक्षित रखा गया था।

Sambhal Violence Sambhal news
Source: Google

अब संभल पुलिस के एसपी केके बिश्नोई ने यह निर्णय लिया है कि इन पत्थरों का उपयोग जिले में बन रही नई पुलिस चौकियों के निर्माण में किया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि इन पत्थरों का उपयोग कानून व्यवस्था को मजबूत करने और सुरक्षा के उपायों को बढ़ाने के लिए किया जाना चाहिए।

किन जगहों पर बनेगी नई पुलिस चौकियां?

जिले में दीपा सराय और हिंदूपुराखेड़ा में नई पुलिस चौकियां बनाई जा रही हैं, जिनके निर्माण में इन्हीं ईंट-पत्थरों का उपयोग होगा। इसके अलावा, संभल जिले में कुल 38 नई पुलिस चौकियां स्थापित की जा रही हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाएगा।

‘SAFE SAMBHAL’ प्रोजेक्ट के तहत होगा सुरक्षा विस्तार

शहर में सुरक्षा व्यवस्था को और पुख्ता करने के लिए ‘SAFE SAMBHAL’ प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इस योजना के तहत संभल के 200 प्रमुख चौराहों पर फेस आइडेंटिफिकेशन तकनीक से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी जा सकेगी।

Sambhal Violence Sambhal news
Source: Google

प्रशासन का उद्देश्य और लोगों की सुरक्षा

पुलिस प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि हिंसा में इस्तेमाल किए गए पत्थरों को फेंकने की बजाय समाज की सुरक्षा के लिए उपयोग में लाना एक उचित कदम होगा। एसपी केके बिश्नोई के अनुसार, सरकार से मिले बजट के साथ-साथ इन पत्थरों का उपयोग करके पुलिस चौकियों का निर्माण किया जाएगा। इससे न केवल सुरक्षा बलों को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि अपराध पर भी प्रभावी नियंत्रण किया जा सकेगा।

स्थानीय प्रतिक्रिया और राजनीतिक पहलू

दीपा सराय में बन रही नई पुलिस चौकी का निर्माण मोहल्ला चौक क्षेत्र में हो रहा है, जहां मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी रहती है। इस निर्णय को लेकर स्थानीय स्तर पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे प्रशासन की चतुर रणनीति मान रहे हैं, तो कुछ इसे नई पुलिस व्यवस्था के तहत एक मजबूत कदम बता रहे हैं।

संभल में हुई हिंसा के बाद प्रशासन ने न केवल कानून व्यवस्था को बहाल किया बल्कि अब हिंसा में प्रयुक्त ईंट-पत्थरों को सकारात्मक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करने का फैसला लिया है। इससे यह संदेश भी दिया जा रहा है कि जो चीजें विध्वंस के लिए इस्तेमाल की गई थीं, अब वही समाज की सुरक्षा और व्यवस्था को बेहतर बनाने में योगदान देंगी।

और पढ़ें: Farmer Protest Updates: किसान आंदोलन पर सरकार का शिकंजा तेज! दलजिंदर गिरफ्तार, कुलवंत सिंह नजरबंद, चंडीगढ़ से पंजाब तक पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई

Gurudwara Nazarbagh Ayodhya: जानें गुरुद्वारा नज़रबाग़ अयोध्या की ऐतिहासिक गाथा, गुरु...

0

Gurudwara Nazarbagh Ayodhya: अयोध्या, जिसे भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाता है, केवल हिंदू धर्म के लिए ही नहीं, बल्कि सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी विशेष महत्व रखती है। इस पवित्र नगरी में स्थित गुरुद्वारा नज़रबाग़ सिख धर्म के दो महान गुरुओं—गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी के आगमन का साक्षी रहा है। यह ऐतिहासिक स्थल सिखों की आस्था और संस्कृति का प्रतीक है, जिसे अयोध्या रियासत के राजा मान सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह जी को भेंट किया था।

और पढ़ें: Sikhism in Cyprus: जानें साइप्रस में सिख समुदाय के इतिहास, संघर्ष और पहचान की अनोखी गाथा

गुरुद्वारा नज़रबाग़ का ऐतिहासिक महत्व (Gurudwara Nazarbagh Ayodhya)

गुरुद्वारा नज़रबाग़ का इतिहास 16वीं और 17वीं शताब्दी से जुड़ा हुआ है। अपनी तीसरी उदासी (धार्मिक यात्रा 1501 ई.) के दौरान गुरु नानक देव जी अयोध्या पधारे। उन्होंने अपने शिष्य भाई मरदाना को भगवान राम के जन्म की कहानी सुनाई थी। इस यात्रा के दौरान उन्होंने धर्म, एकता और प्रेम का संदेश दिया।

Gurudwara Nazarbagh Ayodhya
Source: Google

वहीं, 1673 ई. में गुरु गोबिंद सिंह जी का आगमन हुआ था।  गुरु गोबिंद सिंह जी, जो उस समय केवल 7 वर्ष के थे, पटना साहिब से आनंदपुर साहिब जाते हुए अयोध्या आए। यहां के राजा मान सिंह ने उन्हें एक सुंदर बाग भेंट किया, जिसे बाद में “नज़रबाग़” के नाम से जाना गया।

गुरुद्वारा नज़रबाग़ न केवल इन दो गुरुओं की चरणरज से पवित्र है, बल्कि संत बाबा सुंदर सिंह जी और बाबा राम सिंह जी जैसे महापुरुषों द्वारा भी इसकी सेवा की गई है।

गुरुद्वारा की आधारशिला

इस गुरुद्वारे के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व को देखते हुए 19 नवंबर 1997 को देश के प्रसिद्ध संतों एवं महापुरुषों द्वारा एक भाव गुरुद्वारा की आधारशिला रखी गई थी। इसकी कार सेवा ब्रह्मलीन 108 संत बाबा राम सिंह जी नानकसर सिंगदा, करनाल, हरियाणा के संरक्षण में शुरू हुई थी, जो जत्थेदार बाबा महेंद्र सिंह जी के प्रबंधन में 2008 से निरंतर आगे बढ़ाई जा रही है। वर्तमान में गुरुद्वारा साहिब में लंगर सेवा निरंतर चल रही है, तथा भवन का रखरखाव एवं समय-समय पर सेवा की जाती है। इस सेवा में हर कोई अपने श्रम, समर्पण एवं आर्थिक सहयोग से भाग ले सकता है।

Gurudwara Nazarbagh Ayodhya
Source: Google

अयोध्या में सिख विरासत और गुरुद्वारों का गायब होना

गुरुद्वारा नज़रबाग़ अयोध्या में मौजूद चार ऐतिहासिक सिख गुरुद्वारों में से एक है। पिछले 90 वर्षों में तीन गुरुद्वारे गायब हो चुके हैं, जिनका ऐतिहासिक महत्व रहा है। 1931 में धन्ना सिंह पटियालवी नामक एक सिख यात्री ने अयोध्या में सात गुरुद्वारों का उल्लेख किया था। समय के साथ तीन गुरुद्वारे लुप्त हो गए, जिनकी भूमि पर अवैध कब्जा कर लिया गया। वर्तमान में, केवल गुरुद्वारा नज़रबाग़ और तीन अन्य गुरुद्वारे ही अस्तित्व में हैं।

कैसे पहुंचे गुरुद्वारा नज़रबाग़?

अयोध्या के इस ऐतिहासिक गुरुद्वारे तक पहुंचने के लिए कई मार्ग उपलब्ध हैं:

  1. रेल मार्ग: अयोध्या रेलवे स्टेशन से गुरुद्वारा 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। स्टेशन से ऑटो, टैक्सी, या रिक्शा के माध्यम से मात्र 10-15 मिनट में पहुंचा जा सकता है।
  2. सड़क मार्ग: अयोध्या बस स्टेशन और फैजाबाद बस स्टेशन से गुरुद्वारा तक पहुंचना आसान है। फैजाबाद से अयोध्या की दूरी लगभग 7-8 किलोमीटर है।
  3. हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा महर्षि वाल्मीकि अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा अयोध्या है। यहां से टैक्सी या बस द्वारा अयोध्या पहुंच सकते हैं।
  4. स्थानीय परिवहन: अयोध्या शहर में घूमने के लिए रिक्शा, टैक्सी और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं।

गुरुद्वारा नज़रबाग़: आस्था और विरासत का प्रतीक

गुरुद्वारा नज़रबाग़ सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि सिख इतिहास और भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह स्थान गुरु नानक देव जी और गुरु गोबिंद सिंह जी की शिक्षाओं को संजोए हुए है, जो मानवता, प्रेम और शांति का संदेश देती हैं।

आज, जब कई ऐतिहासिक गुरुद्वारे विलुप्त हो चुके हैं, गुरुद्वारा नज़रबाग़ का अस्तित्व यह दर्शाता है कि सिखों की आस्था और उनकी समृद्ध विरासत अयोध्या में अब भी जीवित है। यह गुरुद्वारा न केवल सिख समुदाय के लिए बल्कि सभी श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक केंद्र बना हुआ है।

और पढ़ें: Sikhism in Denmark: डेनमार्क में सिख समुदाय! प्रवासन से पहचान तक, आस्था, संघर्ष और सांस्कृतिक विरासत की अनोखी कहानी

Ranya Rao Gold Smuggling: सोने की तस्करी में पकड़ी गईं कन्नड़-तमिल फिल्मों की अभिनेत्...

Ranya Rao Gold Smuggling: कन्नड़ और तमिल सिनेमा की लोकप्रिय अभिनेत्री रान्या राव को सोने की तस्करी के आरोप में बेंगलुरु एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया है। डायरेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (DRI) की टीम ने उन्हें दुबई से लौटते समय रंगे हाथों पकड़ लिया। पहले से ही मिली खुफिया जानकारी के आधार पर अधिकारियों ने पूरी तैयारी के साथ जाल बिछाया था, जिससे अभिनेत्री बच नहीं पाईं।

और पढ़ें: Jaya Prada Son Samrat: बॉलीवुड में एंट्री की तैयारी में जया प्रदा का बेटा, जानिए कौन हैं सम्राट?

बार-बार दुबई जाने से हुआ शक- Ranya Rao Gold Smuggling

DRI अधिकारियों के अनुसार, रान्या राव ने 15 दिनों में चार बार दुबई की यात्रा की थी, जिससे उन पर शक गहरा गया। इस दौरान उन्हें एयरपोर्ट पर एक पुलिस कांस्टेबल बसवराजू की मदद मिल रही थी, जो उन्हें सुरक्षा जांच से बचाने की कोशिश कर रहा था। हालांकि, पहले से ही निगरानी कर रही DRI की टीम ने उन्हें पकड़ लिया और सोने की खेप के साथ हिरासत में ले लिया।

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Mews.in (@mewsinsta)

जैकेट में छिपाया था 14 किलो से ज्यादा सोना

जब अधिकारियों ने अभिनेत्री की तलाशी ली, तो उनकी जैकेट के अंदर 14.2 किलोग्राम विदेशी सोना बरामद किया गया, जिसकी बाजार कीमत करीब 12.56 करोड़ रुपये आंकी गई। इसके तुरंत बाद उन्हें पूछताछ के लिए नागवरा स्थित DRI कार्यालय ले जाया गया।

IPS अधिकारी की सौतेली बेटी हैं रान्या राव

रान्या राव कर्नाटक राज्य पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन के महानिदेशक, IPS रामचंद्र राव की सौतेली बेटी हैं। उनकी बार-बार दुबई यात्राओं को लेकर पहले से ही अधिकारियों को संदेह था, क्योंकि दुबई में उनका कोई व्यवसाय या रिश्तेदार नहीं थे। जांच में पता चला कि वे एयरपोर्ट सुरक्षा से बचने के लिए पुलिस की मदद लेती थीं।

ब्लैकमेलिंग का दावा, घर से करोड़ों की संपत्ति जब्त

पूछताछ के दौरान रान्या राव ने दावा किया कि वह किसी के ब्लैकमेल करने की वजह से सोने की तस्करी कर रही थीं। हालांकि, अधिकारियों को इस बयान पर संदेह है। मामले में शामिल पुलिस कांस्टेबल बसवराजू को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।

इसके बाद, 4 मार्च को उनके घर पर छापा मारा गया, जहां से 2.67 करोड़ रुपये नकद और 2.06 करोड़ रुपये मूल्य का सोना बरामद किया गया। इसके अलावा, तीन बड़े बॉक्स भी जब्त किए गए, जिनमें अन्य अवैध सामान होने की संभावना जताई जा रही है। इस छापेमारी के बाद कुल जब्ती मूल्य 17.29 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।

14 दिन की न्यायिक हिरासत, जमानत याचिका दाखिल

DRI अधिकारियों ने 1962 के कस्टम्स एक्ट के तहत रान्या राव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। फिलहाल, वह परप्पाना अग्रहरा सेंट्रल जेल के क्वारंटाइन सेल में हैं। अभिनेत्री ने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की है, लेकिन इस मामले में DRI ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।

क्या है आगे की कार्रवाई?

DRI की टीम अब यह जांच कर रही है कि क्या रान्या राव के तस्करी नेटवर्क से और लोग भी जुड़े हैं? पुलिस कांस्टेबल बसवराजू के संबंध में भी जांच की जा रही है कि क्या वह किसी बड़े गिरोह का हिस्सा था या सिर्फ अभिनेत्री की मदद कर रहा था?

फिलहाल, पूरे मामले की छानबीन जारी है और जांच के बाद कई और खुलासे हो सकते हैं।

और पढ़ें: Aashiqui 2 Facts: जब छोटे बजट और फ्लॉप एक्टर्स की जोड़ी ने बॉलीवुड में रचा इतिहास

5 CNG cars under 10 lakh: 10 लाख से कम कीमत में सबसे बेहतरीन 5 CNG कारें, जानिए कौन-स...

0

5 CNG cars under 10 lakh: भारत में सीएनजी कारों की मांग तेजी से बढ़ रही है, खासकर पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और सीएनजी स्टेशनों के बढ़ते नेटवर्क के कारण। इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता भी बढ़ रही है, लेकिन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और रेंज को लेकर लोगों की चिंताओं के कारण कई खरीदार अब भी सीएनजी कारों को प्राथमिकता दे रहे हैं। सीएनजी कारों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनमें डुअल-फ्यूल तकनीक होती है, जिससे जरूरत पड़ने पर पेट्रोल और सीएनजी के बीच आसानी से स्विच किया जा सकता है।

और पढ़ें: Maruti Alto K10: मारुति ऑल्टो K10 बनी और भी सुरक्षित, अब मिलेगी 6 एयरबैग की सुरक्षा, जानें कीमत

अगर आप ₹10 लाख से कम कीमत में एक अच्छी सीएनजी कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो यहां हम आपको भारत की 5 बेहतरीन और किफायती सीएनजी कारों के बारे में बता रहे हैं।

मारुति सुजुकी ऑल्टो K10 (Maruti Suzuki Alto K10 CNG)- 5 CNG cars under 10 lakh

कीमत: ₹5.83 लाख से ₹6.04 लाख (एक्स-शोरूम)
इंजन: 998cc, 3-सिलेंडर
पावर: 56 bhp @ 5300 rpm
टॉर्क: 82.1 Nm @ 3400 rpm
माइलेज: 33.85 km/kg
गियरबॉक्स: 5-स्पीड मैनुअल

Maruti Alto K10 maruti suzuki
source: google

मारुति की Alto K10 भारत की सबसे किफायती सीएनजी कारों में से एक है। इसकी किफायती कीमत, शानदार माइलेज और कॉम्पैक्ट साइज इसे शहरी उपयोग के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाते हैं। यह कार LXI (O) और VXI (O) दो वेरिएंट में उपलब्ध है और बेहतरीन ईंधन दक्षता के साथ आती है।

मारुति सुजुकी एस-प्रेसो (Maruti Suzuki S-Presso CNG)

कीमत: ₹5.91 लाख से ₹6.11 लाख (एक्स-शोरूम)
इंजन: 998cc, 3-सिलेंडर
पावर: 56 bhp @ 5300 rpm
टॉर्क: 82.1 Nm @ 3400 rpm
माइलेज: 32.73 km/kg
गियरबॉक्स: 5-स्पीड मैनुअल

अगर आप कॉम्पैक्ट एसयूवी जैसी डिजाइन वाली एक बजट फ्रेंडली सीएनजी कार चाहते हैं, तो Maruti S-Presso एक बेहतरीन विकल्प है। इसकी ग्राउंड क्लीयरेंस अधिक है, जिससे खराब सड़कों पर भी चलाना आसान होता है। यह कार LXI (O) और VXI (O) वेरिएंट्स में उपलब्ध है।

Maruti Suzuki S-Presso CNG
Source: Google

टाटा टियागो iCNG (Tata Tiago iCNG)

कीमत: ₹6 लाख से ₹8.74 लाख (एक्स-शोरूम)
इंजन: 1.2-लीटर, 3-सिलेंडर
पावर: 72.3 bhp @ 6000 rpm
टॉर्क: 95 Nm @ 3500 rpm
माइलेज: 26.49 km/kg (मैनुअल) | 28.06 km/kg (AMT)
गियरबॉक्स: 5-स्पीड मैनुअल और ऑटोमैटिक (AMT)

Tata Tiago iCNG
Source: Google

Tata Tiago iCNG इस सूची में एकमात्र सीएनजी कार है जो ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन (AMT) विकल्प के साथ आती है। इसमें डायरेक्ट CNG स्टार्ट और ट्विन सिलेंडर तकनीक जैसी एडवांस सुविधाएं मिलती हैं। जो लोग बजट में एक स्टाइलिश और सुरक्षित सीएनजी कार चाहते हैं, उनके लिए यह एक शानदार विकल्प है।

मारुति सुजुकी वैगनआर (Maruti Suzuki WagonR CNG)

कीमत: ₹6.54 लाख से ₹6.99 लाख (एक्स-शोरूम)
इंजन: 998cc, 3-सिलेंडर
पावर: 56 bhp @ 5300 rpm
टॉर्क: 82.1 Nm @ 3400 rpm
माइलेज: 33.47 km/kg
गियरबॉक्स: 5-स्पीड मैनुअल

अगर आपको अधिक स्पेस, शानदार माइलेज और भरोसेमंद परफॉर्मेंस वाली कार चाहिए, तो WagonR CNG एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। इसमें ज्यादा जगह, हाई सीटिंग पोजिशन और दमदार इंजन दिया गया है, जो इसे फैमिली कार के रूप में भी परफेक्ट बनाता है।

Maruti Suzuki WagonR CNG
Source: Google

मारुति सुजुकी सेलेरियो (Maruti Suzuki Celerio CNG)

कीमत: ₹6.90 लाख (एक्स-शोरूम)
इंजन: 998cc, 3-सिलेंडर
पावर: 55.92 bhp @ 5300 rpm
टॉर्क: 82.1 Nm @ 3400 rpm
माइलेज: 34 km/kg (भारत में सबसे ज्यादा)
गियरबॉक्स: 5-स्पीड मैनुअल

Maruti Suzuki Celerio CNG
Source: Google

अगर आपको भारत में सबसे ज्यादा माइलेज देने वाली सीएनजी कार चाहिए, तो Maruti Suzuki Celerio CNG सबसे अच्छा विकल्प है। इसका क्लेम्ड माइलेज 34 km/kg है, जिससे यह सबसे ज्यादा ईंधन-किफायती कार बन जाती है। यह केवल VXI वेरिएंट में उपलब्ध है।

कौन-सी CNG कार आपके लिए सही?

अगर आप बजट फ्रेंडली सीएनजी कार चाहते हैं, तो Alto K10 या S-Presso एक अच्छा विकल्प हो सकती हैं।
अगर आपको अधिक फीचर्स और ऑटोमैटिक ऑप्शन चाहिए, तो Tata Tiago iCNG बेस्ट रहेगा।
अगर आप फैमिली कार की तलाश में हैं, तो WagonR CNG सबसे उपयुक्त होगी।
अगर सबसे ज्यादा माइलेज चाहिए, तो Celerio CNG एक बढ़िया चुनाव होगा।

और पढ़ें: Honda India January sales fall: होंडा कार्स इंडिया की बिक्री में गिरावट, घरेलू और निर्यात बाजार में मांग घटी 

Mizoram Liquor ban News: मिजोरम में शराबबंदी के बावजूद बीयर की बिक्री को मंजूरी देने ...

0

Mizoram Liquor ban News: मिजोरम में शराबबंदी के बावजूद स्थानीय रूप से उत्पादित बीयर और शराब की बिक्री को अनुमति देने की तैयारी चल रही है। इसके लिए राज्य सरकार बुधवार को विधानसभा में एक संशोधन विधेयक पेश करने जा रही है। अगर यह विधेयक पारित होता है, तो राज्य में चावल और फलों से बनी बीयर और शराब की बिक्री को कानूनी मंजूरी मिल जाएगी। हालांकि, मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी को हटाने का कोई इरादा नहीं है।

और पढ़ें: How to book a entire bogie: शादी या ग्रुप यात्रा के लिए पूरी ट्रेन बुक करना हुआ आसान, जानिए पूरी प्रक्रिया

स्थानीय शराब और बीयर की बिक्री को मिलेगी मंजूरी (Mizoram Liquor ban News)

मिजोरम में सत्तारूढ़ जोरम पीपल्स मूवमेंट (ZPM) सरकार मौजूदा मिजोरम शराब (प्रतिबंध) अधिनियम, 2019 में संशोधन के लिए यह विधेयक ला रही है। प्रस्तावित बदलाव के तहत, चावल और फलों से बनी बीयर और शराब के उत्पादन, वितरण और बिक्री को लाइसेंसधारियों के लिए अनुमति दी जाएगी। साथ ही, पारंपरिक मिजो देशी शराब की बिक्री को भी कानूनी रूप से मान्यता देने की योजना है।

Mizoram Liquor ban News
Source: Google

विधानसभा में पेश होगा विधेयक

राज्य के उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्री लालनगिहलोवा हमार इस विधेयक को विधानसभा में पेश करेंगे। सरकार का कहना है कि यह निर्णय राज्य की स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और शराब की अवैध तस्करी को रोकने के लिए लिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी, लेकिन स्थानीय स्तर पर उत्पादित शराब और बीयर की बिक्री को नियंत्रित करने की व्यवस्था की जाएगी।

मुख्यमंत्री लालदुहोमा ने मंगलवार को 2025-26 के बजट को पेश करने के बाद पत्रकारों से कहा, “हम राज्य में शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति नहीं देंगे, लेकिन स्थानीय स्तर पर तैयार की गई शराब और बीयर की बिक्री पर नियंत्रण रखा जाएगा।”

चर्चों से परामर्श के बाद लिया गया फैसला

राज्य सरकार ने इस फैसले को लागू करने से पहले चर्चों और धार्मिक संगठनों से चर्चा की है। मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने इस विषय पर चर्चों से सलाह ली है, और उन्होंने इस फैसले पर सहमति जताई है।”

पहले भी हो चुकी है शराब नीति की समीक्षा

सरकार ने मार्च 2024 में विधानसभा में जानकारी दी थी कि वह मिजोरम में लागू शराबबंदी कानून की समीक्षा कर रही है। राज्य में कई समूह शराब की बिक्री और दुकानें खोलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि सरकार इन मांगों पर विचार नहीं करेगी।

Mizoram Liquor ban News
Source: Google

मिजोरम में शराबबंदी का इतिहास

  • 1984: राज्य में पहली बार शराब की दुकानों को खोलने की अनुमति मिली थी।
  • 1987: कुछ वर्षों के बाद, शराबबंदी फिर से लागू कर दी गई।
  • 1995: मिजोरम में पूर्ण शराबबंदी लागू करने के लिए मिजोरम पूर्ण शराब प्रतिबंध अधिनियम लागू किया गया, जिसके तहत 20 फरवरी 1997 से राज्य में पूरी तरह शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • 2015: सरकार ने नए कानून के तहत शराब की बिक्री को फिर से अनुमति दी और राज्य में शराब की दुकानें खुलने लगीं।
  • 2019: सत्ता में आई MNF सरकार ने चुनावी वादे के तहत शराबबंदी फिर से लागू कर दी।

सरकार का मकसद: अवैध शराब पर रोक और राजस्व वृद्धि

मिजोरम सरकार का मानना है कि शराबबंदी के बावजूद अवैध शराब की बिक्री बढ़ रही है, जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, पड़ोसी राज्यों से शराब की तस्करी भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है। सरकार का मानना है कि स्थानीय रूप से निर्मित शराब और बीयर की बिक्री को नियंत्रित करने से इस समस्या को कम किया जा सकता है और राज्य की अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा।

और पढ़ें: Farmer Protest Updates: किसान आंदोलन पर सरकार का शिकंजा तेज! दलजिंदर गिरफ्तार, कुलवंत सिंह नजरबंद, चंडीगढ़ से पंजाब तक पुलिस की ताबड़तोड़ कार्रवाई

Congress leader Alka Lamba: महिला सुरक्षा पर सरकार की नाकामी पर कांग्रेस का हमला, भाज...

Congress leader Alka Lamba: देश में महिला सुरक्षा को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर सीधा निशाना साधा है। पार्टी की महिला मोर्चा अध्यक्ष अलका लांबा ने भाजपा की “डबल इंजन” सरकारों को महिलाओं के लिए अभिशाप करार दिया। महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री की बेटी के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना को लेकर कांग्रेस ने भाजपा को घेरा और आरोप लगाया कि अपराधियों को सत्ता का संरक्षण मिल रहा है।

और पढ़ें: Abu Azmi on Aurangzeb: अबू आजमी के औरंगजेब संबंधी बयान पर बवाल, बीजेपी ने की निंदा, कांग्रेस नेताओं ने किया समर्थन

महाराष्ट्र में भाजपा नेता पर आरोप- Congress leader Alka Lamba

अलका लांबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महाराष्ट्र में केंद्रीय मंत्री की बेटी और उसकी सहेलियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाला व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि भाजपा का पूर्व पार्षद पियूष मोरे था। उन्होंने कहा, “इस आरोपी की तस्वीरें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और अन्य भाजपा नेताओं के साथ मौजूद हैं। अगर केंद्रीय मंत्री खुद अपनी बेटी को न्याय नहीं दिला पा रही हैं, तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देकर अपनी बेटी की लड़ाई लड़नी चाहिए।”

यह घटना 28 फरवरी को महाराष्ट्र के जलगांव जिले के कोठली गांव में संत मुक्ताई यात्रा के दौरान हुई थी। पुलिस ने इस मामले में अब तक सात लोगों को आरोपी बनाया है। शुरुआती जांच में सामने आया कि आरोपी युवकों ने न सिर्फ पीड़िताओं के साथ दुर्व्यवहार किया, बल्कि उनके सुरक्षाकर्मियों के साथ भी हाथापाई की।

महिला सुरक्षा पर भाजपा सरकारों की विफलता

अलका लांबा ने कहा कि यह कोई अलग मामला नहीं है, बल्कि देशभर में भाजपा शासित राज्यों में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि:

  • गुजरात: पिछले नौ वर्षों में 17,000 महिलाओं के खिलाफ अपराध दर्ज हुए। हर महीने करीब 200 महिलाएं न्याय की गुहार लगाने पुलिस थाने पहुंचती हैं।
  • राजस्थान: केवल छह महीनों में 20,000 महिलाओं के उत्पीड़न के मामले दर्ज हुए।
  • पुणे: 19 साल की लड़की के साथ चाकू की नोंक पर गैंगरेप हुआ, अपराधियों ने वीडियो बनाया लेकिन पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की।
  • हरियाणा और मध्य प्रदेश: महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है।

महिला कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि इन आंकड़ों से साफ है कि भाजपा शासित राज्य महिलाओं के लिए असुरक्षित होते जा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकारें अपराधियों को सजा देने में नाकाम रहती हैं, तो क्या ऐसे पदों पर बने रहने का अधिकार उनके पास है?

गुजरात में भाजपा विधायक पर बलात्कार का आरोप

प्रेस कॉन्फ्रेंस में अलका लांबा ने गुजरात से जुड़ा वो मुद्दा भी उठाया जो ठंडे बस्ते मे था। दरअसल, 19 अक्टूबर 2024 को गुजरात में भाजपा के एक विधायक गजेंद्र सिंह परमार के खिलाफ दलित महिला से बलात्कार और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज हुआ है। गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के बाद गांधीनगर के सेक्टर 21 पुलिस थाने में यह एफआईआर दर्ज की गई।

एफआईआर के अनुसार, यह घटना जुलाई 2020 की है, जब विधायक ने महिला को अपने सरकारी आवास पर बुलाया और शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता का आरोप है कि बाद में जब उसने संपर्क करने की कोशिश की, तो विधायक ने जातिसूचक टिप्पणी करते हुए धमकी दी कि अगर उसने किसी से इस बारे में बात की, तो उसका अपहरण करवा दिया जाएगा।

पीड़िता को पुलिस से न्याय नहीं मिला, जिसके बाद उसने 2021 में गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने गुजरात पुलिस से जवाब मांगते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था।

कांग्रेस का संकल्प: महिलाओं की सुरक्षा पर सरकार को जवाबदेह बनाएंगे

अलका लांबा ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस और महिला कांग्रेस किसी भी हाल में भाजपा सरकार को महिलाओं की सुरक्षा के मुद्दे पर लापरवाह नहीं रहने देगी। उन्होंने कहा, “हमारी लड़ाई सिर्फ सरकार के खिलाफ नहीं, बल्कि उस मानसिकता के खिलाफ है, जो अपराधियों को सत्ता का संरक्षण देती है। जब तक दोषियों को सजा नहीं मिलेगी, हम सरकार को चैन से बैठने नहीं देंगे।”

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भाजपा सरकार से सवाल

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) से पहले कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर सवाल उठाए हैं कि वे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर क्या ठोस कदम उठा रही हैं? क्या सरकार दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी या फिर उन्हें राजनीतिक संरक्षण देती रहेगी?

और पढ़ें: Bihar Budget 2025-26: बिहार सरकार ने पेश किया 2025-26 का बजट, चुनाव से पहले विकास पर जोर

Holi of Barsana-Nandgaon: जब प्रेम और भक्ति में बदल जाती हैं गालियां, जानिए कृष्ण को ...

0

Holi of Barsana-Nandgaon: होली का रंग जहां पूरे भारत में उमंग और उल्लास से भरा होता है, वहीं ब्रज की होली की बात ही अलग है। यहां न सिर्फ गुलाल उड़ता है और लट्ठ बरसते हैं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण और उनके परिवार को प्रेम से गालियां भी दी जाती हैं! आपने कभी सोचा है कि भगवान को भी गालियां दी जा सकती हैं? और वह भी भक्तों द्वारा बड़े हर्षोल्लास के साथ? लेकिन नंदगांव और बरसाना की परंपरा यही कहती है। यहां होली के दौरान कृष्ण, यशोदा माता, सुभद्रा, काकी, बुआ और नानी तक को गालियों से नवाजा जाता है।

और पढ़ें: Who is Swami Kailashanand Giri: स्वामी कैलाशानंद गिरि का बिहार से आध्यात्मिक शिखर तक का सफर, उनका आशीर्वाद पाकर स्टीव जॉब्स की पत्नी बनीं शिष्या

गालियों में भक्ति का रस (Holi of Barsana-Nandgaon)

बरसाना और नंदगांव की होली केवल रंगों की नहीं, बल्कि शब्दों की भी होती है। यह परंपरा किसी अनादर या अशिष्टता से नहीं, बल्कि प्रेम, हंसी-मजाक और भक्ति से जुड़ी है। बरसाना के लोग कृष्ण को अपना जमाई मानते हैं और जिस तरह किसी परिवार में ससुराल में दामाद को मजाक में प्रेम भरी गालियां दी जाती हैं, वैसे ही यहां कृष्ण के प्रति यह भाव प्रकट किया जाता है।

Holi of Barsana-Nandgaon
Source: Google

होली पर नंदगांव के लोग जब बरसाना आते हैं, तो उनकी अगवानी गालियों और ठिठोली भरी होली से होती है। यह नोकझोंक कृष्ण और राधा के प्रेम की याद दिलाती है।

कृष्ण और राधा के गांवों का अनोखा रिश्ता

नंदगांव और बरसाना का रिश्ता केवल होली तक सीमित नहीं है। इन दोनों गांवों के बीच सदियों से एक अनोखी परंपरा चली आ रही है—आज तक यहां के लोगों के बीच वैवाहिक संबंध नहीं होते।

राधा-कृष्ण की अमर प्रेमगाथा को जीवंत बनाए रखने के लिए यह परंपरा निभाई जाती है। नंदगांव के लोग राधा को अपनी बहू और बरसाना के लोग कृष्ण को अपना जमाई मानते हैं। इसलिए, होली के दौरान जब कृष्ण के गांव से लोग आते हैं, तो बरसाना वाले उनका प्रेम से स्वागत गालियों और लट्ठमार होली से करते हैं।

बरसाना-नंदगांव होली की तैयारियां जोरों पर

बरसाना की लट्ठमार होली, जो 8 मार्च को खेली जाएगी, दुनिया भर में मशहूर है। इसके अलावा, 7 मार्च की शाम को लड्डू होली भी होगी, जिसमें भक्त भगवान पर मिठाइयों की वर्षा करते हैं।

Holi of Barsana-Nandgaon
Source: Google

बरसाना और नंदगांव में इस उत्सव का उल्लास चरम पर है। भक्त राधारानी मंदिर की ओर बढ़ रहे हैं, हाथों में गोमुखी माला और झोली लिए हुए।

देश-विदेश से श्रद्धालु इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिए पहुंच रहे हैं। गेस्ट हाउस और धर्मशालाएं पहले ही बुक हो चुकी हैं, और हर ओर राधे-राधे के जयकारे गूंज रहे हैं।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

होली के दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के लिए विशेष व्यवस्था की है। राधारानी मंदिर तक पहुंचने के लिए कई बैरियर लगाए गए हैं, ताकि किसी भी अव्यवस्था से बचा जा सके।

मंदिर में जाने के लिए श्रद्धालुओं को पुराना अड्डा, सुदामा चौक, दादी-बाबा मंदिर, सिंहपौर और सफे छतरी के पास से होकर गुजरना होगा।

ब्रज की होली: आस्था, प्रेम और परंपरा का संगम

नंदगांव और बरसाना की होली केवल रंगों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें संस्कृति, इतिहास और प्रेम की गहरी जड़ें हैं। कृष्ण और राधा की प्रेमकथा को जीवंत बनाए रखने के लिए यहां गालियों तक को भक्ति का रूप दे दिया गया है।

यह परंपरा यह संदेश देती है कि भक्ति केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं होती, बल्कि उसमें हंसी-मजाक, प्रेम और आत्मीयता भी होती है। यही कारण है कि ब्रज की होली न केवल अद्वितीय है, बल्कि इसे देखने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु यहां खिंचे चले आते हैं।

और पढ़ें: Premanand Ji Maharaj Real Name: क्या आप जानते हैं प्रेमानंद जी महाराज का असली नाम, जानिए वृंदावन वाले महाराज की संन्यासी बनने की कहानी

Abu Azmi on Aurangzeb: अबू आजमी के औरंगजेब संबंधी बयान पर बवाल, बीजेपी ने की निंदा, क...

Abu Azmi on Aurangzeb: महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक अबू आजमी के मुगल शासक औरंगजेब की तारीफ में दिए गए बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। बीजेपी ने उनके बयान की कड़ी आलोचना की, जबकि कांग्रेस के कई नेता उनके समर्थन में उतर आए। इस पूरे विवाद की शुरुआत हाल ही में रिलीज हुई फिल्म “छावा” से हुई, जिसमें छत्रपति संभाजी महाराज के संघर्ष और औरंगजेब के शासन को दिखाया गया है। फिल्म में यह बताया गया है कि औरंगजेब ने संभाजी महाराज को 40 दिनों तक प्रताड़ित किया और फिर उनकी हत्या कर दी थी।

और पढ़ें: Bihar Budget 2025-26: बिहार सरकार ने पेश किया 2025-26 का बजट, चुनाव से पहले विकास पर जोर

औरंगजेब को लेकर क्यों बढ़ा विवाद? (Abu Azmi on Aurangzeb)

अबू आजमी ने अपने बयान में कहा था कि वह औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानते। उन्होंने तर्क दिया कि उस दौर की राजनीति धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता संघर्ष पर आधारित थी। उन्होंने यह भी कहा कि औरंगजेब की सेना में हिंदू भी थे, ठीक वैसे ही जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना में मुस्लिम शामिल थे।

Abu Azmi on Aurangzeb
Source: Google

उनके इस बयान के बाद महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और विधानसभा में उनकी सदस्यता रद्द करने की मांग कर दी। महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि “अबू आजमी को उनके बयान की कीमत चुकानी पड़ेगी और महाराष्ट्र की जनता उन्हें माफ नहीं करेगी।”

कांग्रेस नेताओं का समर्थन, BJP का विरोध

जहां एक ओर बीजेपी ने इस बयान पर सख्त रुख अपनाया, वहीं कुछ कांग्रेस नेताओं ने अबू आजमी के बयान का समर्थन किया।

Abu Azmi on Aurangzeb
Source: Google

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा, “औरंगजेब 49 साल तक भारत का शासक रहा, वह आतताई कैसे हो सकता है? उसके शासन काल में भारत की जीडीपी दुनिया में शीर्ष पर थी।”

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, “औरंगजेब पर मंदिरों को तोड़ने का आरोप है, लेकिन उसने मंदिरों को दान भी दिया था। यह इतिहास का हिस्सा है, इसे तोड़ा-मरोड़ा नहीं जा सकता।”

कांग्रेस नेता दानिश अली ने इसे सत्ता संघर्ष करार देते हुए कहा, “हर राजा का शासन करने का तरीका अलग होता था। इसे धर्म से जोड़कर नहीं देखना चाहिए।”

AIMIM नेता इम्तियाज जलील ने कहा, “यह पूरा विवाद बीजेपी और शिवसेना का ध्यान भटकाने का तरीका है। अबू आजमी के बयान को बेवजह बड़ा किया जा रहा है।”

शिवसेना का कड़ा विरोध, राज्यभर में प्रदर्शन की तैयारी

शिवसेना ने अबू आजमी के बयान की तीखी निंदा की और पूरे महाराष्ट्र में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा की। पार्टी ने अबू आजमी के खिलाफ देशद्रोह का केस दर्ज करने और उन्हें विधानसभा से निलंबित करने की मांग की।

बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “जिस शासक ने अपने ही भाइयों को मारा, अपने पिता को जेल में डाला और हिंदू मंदिरों को नष्ट करने का आदेश दिया, उसकी प्रशंसा करना क्या छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत का अपमान नहीं है?”

उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा, “सपा के अंदर औरंगजेब की आत्मा घुस गई है। अखिलेश यादव को इस पर माफी मांगनी चाहिए और अबू आजमी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”

अबू आजमी ने दी सफाई, मांगी माफी

बढ़ते विवाद को देखते हुए अबू आजमी ने सफाई दी और कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाएं आहत करने का नहीं था। उन्होंने कहा, “मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मैंने वही कहा जो इतिहास में दर्ज है। लेकिन अगर किसी को मेरी बात से ठेस पहुंची है, तो मैं अपना बयान वापस लेता हूं।”

इसके साथ ही, अबू आजमी ने दावा किया कि उनके खिलाफ नफरत फैलाई जा रही है और अगर उनके साथ कुछ होता है, तो इसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी।

क्या राजनीतिक मुद्दा बन गया इतिहास?

यह विवाद इस बात को दर्शाता है कि इतिहास की व्याख्या कैसे राजनीति का हिस्सा बन जाती है। जहां कुछ लोग इसे ऐतिहासिक तथ्यों का हिस्सा मानते हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ इसे छत्रपति शिवाजी और संभाजी महाराज का अपमान मान रहे हैं।

और पढ़ें: Sam Pitroda Land Controversy: बेंगलुरु सरकारी जमीन विवाद, बीजेपी नेता ने लगाए गंभीर आरोप, सैम पित्रोदा ने दी सफाई

What is Reciprocal Tariff: ट्रंप की रेसिप्रोकल टैरिफ नीति! भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश...

0

What is Reciprocal Tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल 2025 से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लागू करने की घोषणा की है। उनका तर्क है कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% से अधिक टैक्स लगाता है, जबकि अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर अपेक्षाकृत कम शुल्क लगाया है। इस नीति के लागू होने के बाद, अमेरिका अब भारतीय उत्पादों पर वही कर लगाएगा, जो भारत अमेरिकी सामानों पर लगाता है। इससे दोनों देशों के व्यापारिक समीकरण प्रभावित हो सकते हैं और भारत के लिए नए आर्थिक मोर्चे खुल सकते हैं।

और पढ़ें: Trump-Putin Friendship: ट्रंप-पुतिन की बढ़ती नजदीकियां! क्या बदल जाएगा वैश्विक सत्ता संतुलन, या बस अस्थायी विराम?

क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ नीति? (What is Reciprocal Tariff)

“रेसिप्रोकल” का अर्थ “जैसे को तैसा” होता है। इस नीति के तहत, यदि कोई देश दूसरे देश के उत्पादों पर अधिक शुल्क लगाता है, तो जवाब में वह देश भी इसी अनुपात में शुल्क बढ़ा सकता है। यह व्यापारिक संतुलन बनाए रखने और स्थानीय उद्योगों की रक्षा के लिए एक रणनीतिक कदम होता है।

What is Reciprocal Tariff india
Source: Google

रेसिप्रोकल टैरिफ के प्रमुख उद्देश्य:

  1. व्यापार संतुलन बनाए रखना:
    • यह सुनिश्चित करता है कि किसी एक देश को अनुचित व्यापारिक लाभ न मिले।
  2. स्थानीय उद्योगों को संरक्षण:
    • विदेशी उत्पादों की कीमत बढ़ने से घरेलू उत्पादों की मांग बढ़ सकती है।
  3. व्यापारिक वार्ता का दबाव:
    • कई बार, इस तरह की नीतियां कूटनीतिक वार्ताओं को मजबूती देने के लिए अपनाई जाती हैं।

क्या होंगे भारत पर असर?

– स्वदेशी उत्पादों की बिक्री बढ़ सकती है: जब अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पाद महंगे होंगे, तो भारत में घरेलू उत्पादों की मांग बढ़ सकती है।

–  व्यापार वार्ता का अवसर: भारत को अमेरिका के साथ नई व्यापारिक संधियों पर चर्चा करने का मौका मिल सकता है।

संभावित नुकसान:

इससे भारतीय निर्यातकों को मुनाफे में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) जैसी स्थिति बन सकती है। अमेरिकी कंपनियों के लिए भारतीय कच्चे माल की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उत्पादन लागत प्रभावित हो सकती है।

What is Reciprocal Tariff india
Source: Google

भारत-अमेरिका व्यापार पर संभावित प्रभाव

अमेरिका भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है और दोनों देशों के बीच सालाना अरबों डॉलर का व्यापार होता है। यदि यह नीति लागू होती है, तो इससे उन भारतीय कंपनियों को नुकसान हो सकता है जो अमेरिका में बड़े पैमाने पर निर्यात करती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए कूटनीतिक प्रयास कर सकती है। व्यापारिक वार्ता के जरिए टैरिफ कम करने के समझौते किए जा सकते हैं, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते संतुलित रह सकें।

अमेरिका में बढ़ सकती हैं भारतीय उत्पादों की कीमतें

विशेषज्ञों का कहना है कि रेसिप्रोकल टैरिफ लागू होने के बाद, भारतीय वस्त्र, ऑटोमोबाइल पार्ट्स, स्टील, दवा और आईटी उत्पाद महंगे हो सकते हैं।

इसके अलावा, भारतीय कंपनियों के लिए अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो सकता है। हालांकि, इस चुनौती से निपटने के लिए भारत सरकार व्यापारिक वार्ताओं के जरिए एक नई रणनीति बना सकती है।

रेसिप्रोकल टैरिफ के नुकसान

1860 में ब्रिटेन और फ्रांस के बीच कोबडेन-शेवेलियर संधि हुई। इस संधि के तहत दोनों देशों ने आपसी सहमति से अपनी टैरिफ दरों को कम किया, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिला। यह पहला बड़ा समझौता था जिसने द्विपक्षीय व्यापार को विनियमित करने के लिए पारस्परिक टैरिफ नीति को अपनाया। 19वीं सदी के अंत में अमेरिका और यूरोप के बीच व्यापार संधियों में भी इस नीति को लागू किया गया था। 1930 में, अमेरिका ने “स्मूट-हॉले टैरिफ एक्ट” लागू किया। जिससे वैश्विक व्यापार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा और महामंदी (Great Depression) में वृद्धि हुई थी।

महामंदी के दौरान, अमेरिकी सरकार ने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए विदेशी उत्पादों पर उच्च टैरिफ लगाए। जवाब में, यूरोपीय देशों ने भी अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए, जिससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में गिरावट आई। नतीजतन, वैश्विक अर्थव्यवस्था और भी मंदी में चली गई। हाल ही में ट्रम्प प्रशासन ने चीन, यूरोपीय संघ और अन्य देशों पर टैरिफ लगाया, जिसके जवाब में उन देशों ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर कर लगाया।

और पढ़ें: Trump vs Zelensky: ओवल ऑफिस में ट्रंप-ज़ेलेंस्की के बीच गरमागरम बहस! क्या इसकी तुलना मोदी के दौरे से की जा सकती है?