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जानिए  कौन है Tulsi Gabbard? ट्रंप ने सौंपी अहम जिम्मेदारी? हैरिस के खिलाफ प्रेसिडेंशियल डिबेट में की थी डोनाल्ड की मदद

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Who is Tulsi Gabbard, Donald trump
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Who is Tulsi Gabbard: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अपनी आगामी प्रशासनिक टीम का गठन शुरू कर दिया है। उन्होंने नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर (DNI) के पद के लिए पूर्व सांसद और लेफ्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड के चयन की घोषणा की है। इस नियुक्ति को लेकर ट्रंप ने गबार्ड की निडरता और समर्पण पर भरोसा जताया है। इस घोषणा को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर ‘ट्रंप वॉर रूम’ के जरिए साझा किया गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में उनकी नई टीम को लेकर चर्चा तेज हो गई है।

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जानिए कौन हैं तुलसी गबार्ड? (Who is Tulsi Gabbard)

तुलसी गबार्ड पहले डेमोक्रेटिक पार्टी में कार्यरत थीं। उन्होंने 2013 से 2021 तक अपने कर्तव्यों का प्रभावी ढंग से पालन किया। 2020 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। हालांकि, बिडेन की जीत के बाद उन्होंने उनका समर्थन किया। 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी और बिडेन की कट्टर आलोचक बन गईं। 2022 में उन्होंने निर्दलीय के तौर पर चुनाव भी लड़ा। उन्हें ट्रंप के लिए संभावित उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर भी देखा जा रहा था।

भारत से क्या रिश्ता? (Tulsi Gabbard connection with india)

तुलसी गबार्ड को अक्सर उनके नाम की वजह से भारतीय (Tulsi Gabbard hindu connection) समझ लिया जाता है, लेकिन यह सच नहीं है। उनका भारत से कोई संबंध नहीं है। हालाँकि, उनकी माँ ने हिंदू धर्म अपनाने के बाद अपने बच्चों के हिंदू नाम रखे। पहली हिंदू अमेरिकी कांग्रेसवुमन तुलसी गबार्ड भी हिंदू के रूप में पहचान रखती हैं। अमेरिकी समोआ वंश की होने के बावजूद, तुलसी ने पद की शपथ लेते समय अपने हाथ में भगवद गीता पकड़ी थी।

प्रेसिडेंशियल डिबेट के लिए ट्रंप को किया था तैयार

जब डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच प्रेसिडेंशियल डिबेट हुई थी, तो तुलसी गबार्ड ने ही ट्रंप को तैयार किया था। इसकी वजह यह थी कि जब साल 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से तुलसी गबार्ड ने राष्ट्रपति पद के लिए अपनी उम्मीदवारी पेश की थी, उस समय कमला हैरिस भी दावेदारों की रेस में थीं। तुलसी गबार्ड और कमला हैरिस के बीच पार्टी में अंदरूनी बहस हुई थी, जिसमें तुलसी गबार्ड ने बाजी मार ली थी। तुलसी गबार्ड ने अपने जवाब से कमला हैरिस को चुप करा दिया था। यही वजह थी कि जब ट्रंप और कमला हैरिस के बीच बहस होनी थी, तो ट्रंप को तैयार करने वाले प्रमुख लोगों में तुलसी गबार्ड भी शामिल थीं।

डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड की जमकर की तारीफ

डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘पूर्व सांसद लेफ्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड डीएनआई के रूप में काम करेंगी। मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है। उन्होंने हमारे देश और सभी अमेरिकियों की स्वतंत्रता के लिए दो दशकों से अधिक समय तक लड़ाई लड़ी है। वह हम सभी को गौरवान्वित करेंगी!’

तुलसी गबार्ड ने डोनाल्ड ट्रंप को कहा- थैंक्स

तुलसी गबार्ड ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, ‘शुक्रिया… मुझे अमेरिकी लोगों की सुरक्षा और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए कैबिनेट के सदस्य के रूप में सेवा करने का अवसर दिया गया। मुझे अवसर देने के लिए डोनाल्ड ट्रम्प का धन्यवाद… मैं काम करने के लिए उत्सुक हूँ।’

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बिहार से सामने आया धर्म परिवर्तन का चौंकाने वाला मामला, गंगा स्नान के बाद हिंदू महिलाओं का धुलवाया जा रहा सिंदूर

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Bihar religious conversion case, Buxar News
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Buxar News Today: बिहार के बक्सर जिले से धर्म परिवर्तन का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। बताया जा रहा है कि ईसाई समुदाय के लोग ग्रामीण इलाकों में धर्म प्रचार के लिए एक विशेष अभियान चला रहे हैं। इस दौरान, गंगा नदी में लोगों को नहलाकर धर्म परिवर्तन कराने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हालांकि, इस वीडियो की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है, लेकिन इस पर हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया है।

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मामले की हो रही है जांच- Buxar News Today

बक्सर एसपी शुभम आर्य के अनुसार, पूरे मामले की जांच की जा रही है और यह बक्सर जिले के सिमरी थाना क्षेत्र का मामला है। कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों को पुलिस थाने ले गई। वायरल वीडियो में चर्च का पादरी सिर पर हाथ रखकर गंगा में डुबकी लगाता हुआ दिखाई दे रहा है और कई महिलाओं को जबरन गंगा में स्नान कराकर उनका सिंदूर धुलवा रहा है। फुटेज के अनुसार, सभी को सिमरी थाने ले जाया गया।

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धर्म परिवर्तन की खबर से हड़कंप- Bihar religious conversion case

बिहार धर्म परिवर्तन की खबर ने हड़कंप मचा दिया है। यह मामला सिमरी थाने के अंतर्गत आने वाले नागपुरा गांव में मेथोडिस्ट चर्च ऑफ इंडिया (Methodist Church of India) द्वारा किए जा रहे व्यापक धर्मांतरण प्रयासों से जुड़ा है। आरोप है कि ये लोग ग्रामीणों को गंगा नदी में स्नान कराकर महिलाओं का सिंदूर धो रहे हैं। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें कुछ लोग गंगा में डुबकी लगा रहे हैं और कोई उन्हें “प्रभु यीशु” की माला पहना रहा है (Buxar Christian missionary)। जब हिंदू संगठन पहुंचे तो उन्होंने इसका कड़ा विरोध किया।

Bihar religious conversion case, Buxar News
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विरोध में उतरा हिन्दू संगठन

वीडियो से यह साफ पता चलता है कि गंगा नदी में स्नान कराकर लोगों का धर्म परिवर्तन (Bihar religious conversion case) कराया जा रहा है। घटना की जानकारी मिलते ही हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और पुलिस को सूचना दी। इस मामले में थाने में लिखित शिकायत भी दर्ज कराई गई है। सिमरी प्रखंड के नागपुर गंगा घाट पर कथित तौर पर 60-70 लोगों को एक साथ स्नान कराया गया, महिलाओं के माथे से सिंदूर मिटाया गया और उन्हें जबरन प्रभु यीशु का हार पहनाया गया। इस घटना के बाद वहां भीड़ जमा हो गई, जिससे पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल गई। प्रशासन के संज्ञान में मामला आने के बाद जांच शुरू कर दी गई है।

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Deepinder Goyal: अरबपति क्लब में शामिल हैं जोमैटो के दीपिंदर गोयल, 11000 करोड़ से ज्यादा है नेटवर्थ

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Zomato, Deepinder Goyal net worth
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Deepinder Goyal Net Worth: Zomato के सह-संस्थापक और सीईओ दीपिंदर गोयल (CEO Deepinder Goyal) ने भारतीय स्टार्टअप जगत में एक अहम स्थान स्थापित किया है। उनके नेतृत्व और दूरदर्शिता के परिणामस्वरूप, जोमैटो ने फ़ूड डिलीवरी इंडस्ट्री में एक प्रमुख स्थान प्राप्त किया है, जिससे उनकी व्यक्तिगत संपत्ति (Deepinder Goyal Net Worth) में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। दरअसल, पिछले साल से Zomato के शेयरों में रिकॉर्ड उछाल आया है। जोमैटो के शेयरों में इस उछाल के कारण दीपिंदर गोयल अरबपति बन गए हैं। जुलाई 2023 के स्तर से Zomato का शेयर 300 प्रतिशत से अधिक उछल गया है।

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जोमैटो की स्थापना

26 जनवरी 1983 को पंजाब के मुक्तसर में जन्मे दीपिंदर गोयल ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) दिल्ली से गणित और कंप्यूटिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 2008 में दीपिंदर गोयल और पंकज चड्ढा ने मिलकर फूडीबे (Foodiebay) की स्थापना की, जो बाद में जोमैटो के नाम से मशहूर हुआ। शुरुआत में यह प्लेटफॉर्म रेस्टोरेंट के मेन्यू और रिव्यू के बारे में जानकारी देता था, लेकिन समय के साथ यह ऑनलाइन फूड डिलीवरी के क्षेत्र में अग्रणी बन गया।

 

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नेट वर्थ में वृद्धि- Deepinder Goyal Net Worth

2024 में, जोमैटो के शेयरों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जिससे कंपनी का बाजार पूंजीकरण ₹1.8 लाख करोड़ से अधिक हो गया। दीपिंदर गोयल के पास जोमैटो में लगभग 4.24% हिस्सेदारी है, जो 36.95 करोड़ शेयरों के बराबर है। फोर्ब्स के अनुसार, गोयल की कुल संपत्ति 2.51% बढ़कर $1.4 बिलियन या लगभग 1,17,00 करोड़ रुपये हो गई।

 

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दीपिंदर गोयल की लग्जरी कारों के कलेक्शन

आपको बता दें कि दीपिंदर गोयल के पास कई हाई-एंड गाड़ियां हैं, जिसमें फेरारी रोमा स्पोर्ट्स कार भी शामिल है, जिसकी कीमत सड़क पर 4 करोड़ रुपये से अधिक है। दीपिंदर के पास पोर्श 911 टर्बो एस भी है, जिसकी ऑन रोड प्राइस लगभग 3.9 करोड़ रुपये है। दीपिंदर गोयल की प्रीमियम गाड़ियों में से एक पोर्श कैरेरा एस है, जो एक सुपरकार है जिसकी कीमत 2.3 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके अलावा, लेम्बोर्गिनी उरुस, जिसकी कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये है, जो ज़ोमैटो के निर्माता के पास है। इसके अलावा, ज़ोमैटो के संस्थापक के पास एक लेम्बोर्गिनी उरुस भी है, जिसकी कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये है।

कंपनी का आईपीओ- Zomato company IPO

ज़ोमैटो दिसंबर 2022 में सार्वजनिक होने वाली देश की पहली यूनिकॉर्न फ़र्म बन गई। 2006 में आईआईटी से स्नातक होने के बाद, एक मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले दीपिंदर गोयल ने “बेन एंड कंपनी” के लिए काम किया। वे FoodieBay.com के संस्थापक थे, जिसने बाद में अपना नाम बदलकर Zomato.com कर लिया। व्यवसाय को 2011 में Info Edge से फंडिंग मिली और 2018 में यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त हुआ। इसके 2022 IPO के लिए 38.25 गुना से अधिक लोगों ने सदस्यता ली। कंपनी के शेयर की घोषित कीमत उसके जारी मूल्य से 53% अधिक थी। इसे पहले दिन ही देश की शीर्ष 100 कंपनियों में शामिल कर लिया गया था।

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फिल्म “विद्या” – जाति को चुनौती देने वाली आजाद भारत की पहली फिल्म

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Vidya 1948 film, dalit film
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Vidya 1948 film: आज़ादी के बाद के भारत में सिनेमा समाज में बदलाव लाने का एक अहम ज़रिया बनकर उभरा। 1948 में रिलीज़ हुई फ़िल्म विद्या ने जातिवाद के मुद्दे पर खुलकर बात की और इसे चुनौती देने का एक साहसिक कदम उठाया। यह फ़िल्म हिंदी सिनेमा में सामाजिक अन्याय और भेदभाव के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाली पहली फ़िल्मों में से एक थी। इसे आज भी एक क्रांतिकारी फ़िल्म माना जाता है, जिसने न सिर्फ़ फ़िल्म जगत में बल्कि समाज में भी गहरा असर छोड़ा।

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फिल्म का परिचय और कथानक- Vidya 1948 film

“विद्या” का निर्देशन 1948 में गिरीश त्रिवेदी ने किया था, फिल्म में देव आनन्द, सुरैया, मदन पुरी, कुक्कू और माया बैनर्जी ने अभिनय किया था। फिल्म की कहानी कुछ यूं है: चमारों (मोची) के एक निम्न जाति के परिवार में जन्मे चंदू उर्फ ​​चंद्रशेखर (देव आनंद) अपने पिता के जूते और अन्य फुटवियर की मरम्मत में थोड़े से पैसे खर्च करके मदद करते हैं। एक दिन एक अमीर और धनी परिवार की लड़की विद्या (सुरैया) अपने जूते की मरम्मत करवाने के लिए आती है। वह चाहती है कि चंदू यह घटिया काम करना छोड़ दे और स्कूल जाए, पढ़ाई करे और कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति बने। वह आर्थिक मदद करती है और चंदू को स्कूल भेजती है। दोनों बड़े होते हैं और एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होते हैं। दोनों शादी करना चाहते हैं, लेकिन हैरी उर्फ ​​हरिलाल (मदन पुरी) और विद्या के शराबी पिता के रूप में बाधाएं सामने आती हैं, जो अपनी बेटी को निचली जाति के लड़के के साथ घुलने-मिलने की अनुमति नहीं देते।

सामाजिक प्रभाव

विद्या ने अपने समय के समाज में नई बहस और चर्चा को जन्म दिया। इस फिल्म को स्वतंत्र भारत में जातिवाद के खिलाफ सिनेमा के माध्यम से किया गया पहला प्रयास माना जाता है। इसके संदेश ने कई दर्शकों को प्रेरित किया और समाज में शिक्षा और समानता की आवश्यकता के बारे में एक नई सोच को प्रोत्साहित किया। इस फिल्म ने शिक्षा के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया और इस मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया कि जाति और वर्ग भेदभाव शिक्षा और समान अवसरों के रास्ते में बाधा नहीं बनना चाहिए।

फिल्म के रिलीज के समय भारत में जातिवाद एक गहरी समस्या थी, जो आजादी के बाद भी समाज के हर स्तर पर मौजूद थी। इस फिल्म के माध्यम से निर्देशक गिरीश त्रिवेदी ने एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि अगर समाज में समानता और न्याय लाना है, तो जातिवाद को समाप्त करना होगा। इस फिल्म ने दर्शकों को यह सोचने पर मजबूर किया कि जाति आधारित भेदभाव कैसे किसी के जीवन और अवसरों को प्रभावित करता है और इसे बदलने के लिए शिक्षा कितना महत्वपूर्ण है।

सिनेमा में क्रांति का आरंभ

“विद्या” भारतीय सिनेमा (Indian dalit film) की उन पहली फिल्मों में से एक थी जिसने समाज में व्याप्त जाति व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाई थी। इसके बाद फिल्म इंडस्ट्री के दूसरे निर्देशकों ने भी सामाजिक मुद्दों को उठाते हुए कई फिल्में बनाईं, जिससे सामाजिक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का एक नया चलन शुरू हुआ। यह फिल्म उस समय के लिए बहुत क्रांतिकारी थी, जब ज्यादातर फिल्में मनोरंजन और पारंपरिक कहानियों पर आधारित होती थीं। “विद्या” जैसी फिल्म ने सिनेमा को समाज में बदलाव लाने का माध्यम बनाया और इसके बाद भारतीय सिनेमा में सामाजिक सुधार की दिशा में कई प्रयास किए गए।

विद्या (Film based on dalit community) सिर्फ़ एक फ़िल्म नहीं थी, बल्कि समाज सुधार का एक माध्यम थी। इसने भारतीय सिनेमा में एक नई सोच को जन्म दिया और दर्शकों को जातिवाद जैसी बुराइयों के खिलाफ़ सोचने पर मजबूर किया। इस फ़िल्म का संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना तब था और यह फ़िल्म हमें याद दिलाती है कि सिनेमा के ज़रिए समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की कोशिश की जा सकती है। “विद्या” का महत्व सिर्फ़ अपने समय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह फ़िल्म आज भी जातिवाद और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर जागरूकता फैलाने का प्रतीक बनी हुई है।

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LOC पर बसे टीटवाल गांव में गुरुद्वारे के पुनर्निर्माण की कहानी हर किसी को पता होनी चाहिए

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Teetwal village Gurdwara story, Gurdwara near LOC
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Teetwal village Gurdwara: टीटवाल, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में स्थित एक सीमावर्ती गांव है, जो भारत-पाकिस्तान नियंत्रण रेखा (LOC) के पास बसा हुआ है। किशनगंगा नदी के किनारे बसे इस गांव का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। यहां का गुरुद्वारा धार्मिक सौहार्द और सांप्रदायिक एकता का प्रतीक है, जिसे भारतीय और पाकिस्तानी दोनों क्षेत्रों से श्रद्धालुओं द्वारा देखा जाता है।

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अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, ‘सेव शारदा कमेटी’ के अध्यक्ष रविंदर पंडिता के नेतृत्व में स्थानीय निवासी एजाज खान की देखरेख में बने इस गुरुद्वारा साहिब (Teetwal village Gurdwara story) को स्थानीय सिख समुदाय को सौंप दिया गया। इसका निर्माण कार्य 2 दिसंबर 2021 को शुरू किया गया था, इस बीच तंगधार निवासी और कमेटी के सदस्य जोगिंदर सिंह ने कहा कि हमने इसे 11 दिसंबर 2022 को अपने अधीन ले लिया।

Teetwal village Gurdwara story, Gurdwara near LOC
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गुरुद्वारा का ऐतिहासिक महत्व- Teetwal village Gurdwara

टीटवाल गांव का यह गुरुद्वारा विभाजन से पहले के समय से ही लोगों के लिए एक पवित्र स्थल था। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के बाद, टीटवाल एलओसी के पास स्थित होने के कारण संघर्षों का केंद्र बन गया। स्थानीय समिति के सदस्य एजाज खान ने कहा कि 1947 से पहले यहां मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा था। 1947 के बाद के कबाइली हमले के दौरान कबाइलियों ने इस टिटवाल गांव को आग के हवाले कर दिया था। हमारा मानना ​​है कि हमें एक बार फिर धर्म से ऊपर उठकर एक नया मानव धर्म स्थापित करना चाहिए। हम इस संदेश को पूरी दुनिया में फैलाना चाहते हैं, इसलिए हमने इसकी शुरुआत की।

पुनर्निर्माण और स्थानीय सहयोग

इस क्षेत्र में धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण में स्थानीय समुदाय, विशेषकर मुस्लिम निवासियों का अहम योगदान है। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने इस गुरुद्वारे के पुनर्निर्माण में सहायक भूमिका निभाई, जोकि सांप्रदायिक सौहार्द का एक अनूठा उदाहरण प्रस्तुत करता है। वहीं, जोगिंदर सिंह के अनुसार, उन्होंने 19 वर्षों से अवैध रूप से कब्जाई गई भूमि को पुनः प्राप्त किया और अब यह गुरुद्वारा का स्थल है। जोगिंदर सिंह के अनुसार, टिटवाल में कोई सिख आवास नहीं है, लेकिन त्रिभुनि गांव, जो लगभग 7 किमी दूर है, में लगभग 88 घर और 500 सिख निवासी हैं। उन्होंने कहा कि त्रिभुनि गांव का अतीत भी समृद्ध है। 1947 से पहले यहां दो गुरुद्वारा साहिब और लगभग 300 सिख घर थे। बाद में, आदिवासी हमले के परिणामस्वरूप सिखों की शहादत हुई। जोगिंदर सिंह के अनुसार, त्रिभुनि गांव में 150 सिख शहीद हुए थे।

Teetwal village Gurdwara story, Gurdwara near LOC
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धार्मिक पर्यटन का बढ़ता आकर्षण

2023 में पुनर्निर्माण के बाद इस गुरुद्वारे को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया। इस काम में स्थानीय प्रशासन और सैन्य अधिकारियों ने भी मदद की है। पुनर्निर्माण के दौरान गुरुद्वारे के मूल स्वरूप को बरकरार रखा गया ताकि इसकी ऐतिहासिकता और सांस्कृतिक पहचान बरकरार रहे। टिटवाल का गुरुद्वारा धार्मिक पर्यटन का एक प्रमुख स्थल बनने की क्षमता रखता है। सीमा के पास स्थित होने के कारण यह स्थल भारतीय और पाकिस्तानी श्रद्धालुओं के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र है।

सांस्कृतिक महत्व

टिटवाल का यह गुरुद्वारा (Teetwal village Gurdwara) भारतीय इतिहास और संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। यह स्थान सीमावर्ती गांवों के निवासियों के बीच सांस्कृतिक एकता और सहयोग का प्रतीक है। टिटवाल का गुरुद्वारा धार्मिक सद्भाव, सांस्कृतिक विविधता और स्थानीय एकता का प्रतीक है। इसका पुनर्निर्माण एक ऐसा कदम है जो भविष्य में इस क्षेत्र को शांति, विकास और सहयोग की ओर ले जाएगा। टिटवाल का गुरुद्वारा न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सांप्रदायिक सद्भाव और धार्मिक स्वतंत्रता के प्रति लोगों की प्रतिबद्धता का भी प्रमाण है।

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Mahindra Scorpio खरीदने की सोच रहे हैं तो जानें डाउन पेमेंट से लेकर EMI तक क्या है पूरा प्रोसेस?

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Mahindra Scorpio features: अगर आप एक दमदार और स्टाइलिश SUV की तलाश में हैं, तो महिंद्रा स्कॉर्पियो एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह गाड़ी अपने बेहतरीन परफॉरमेंस और दमदार लुक की वजह से भारतीय बाजार में काफी लोकप्रिय है। लेकिन स्कॉर्पियो खरीदने की प्रक्रिया क्या है? डाउन पेमेंट से लेकर EMI तक के सभी स्टेप्स जानना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। इस लेख में हम महिंद्रा स्कॉर्पियो खरीदने की पूरी प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानेंगे, ताकि आपका खरीदारी का अनुभव आसान और समझने लायक हो।

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महिंद्रा स्कॉर्पियो N- Mahindra Scorpio features

देश की सबसे शानदार एसयूवी में से एक है महिंद्रा स्कॉर्पियो N (Mahindra Scorpio N On EMI)। हर वर्ग के लोग इस कार के दीवाने हैं। इस महिंद्रा वाहन के छह-सीटर और सात-सीटर संस्करण उपलब्ध हैं। यह ऑटोमोबाइल छह अलग-अलग रंगों में उपलब्ध है। भारतीय बाजार में इस वाहन के लिए पेट्रोल और डीजल दोनों पावरट्रेन उपलब्ध हैं। महिंद्रा स्कॉर्पियो एन की एक्स-शोरूम कीमत 13.85 लाख रुपये से लेकर 24.54 लाख रुपये तक है।

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महिंद्रा स्कॉर्पियो N की-फीचर

  • एलईडी प्रोजेक्टर हेडलैंप
  • इलेक्ट्रिक सनरूफ
  • पुश स्टार्ट/स्टॉप बटन
  • फ्रंट और रियर कैमरा
  • डिजिटल ड्राइवर डिस्प्ले

EMI पर कैसे खरीदें महिंद्रा स्कॉर्पियो N? (Mahindra Scorpio N On EMI)

इस गाड़ी को खरीदने से पहले महिंद्रा स्कॉर्पियो एन मॉडल का चयन करना एक महत्वपूर्ण कदम है। मान लीजिए कि आपको इस महिंद्रा वाहन का Z2 पेट्रोल संस्करण मिलता है, जिसकी कीमत 16.20 लाख रुपये है। इस वाहन को खरीदने के लिए आपको 14.70 लाख रुपये का ऋण मिलेगा। इस ऑटो लोन से जुड़ी ब्याज दर ऋण की अवधि पर निर्भर करती है। ऑटो लोन की अवधि के आधार पर, आपको मासिक ईएमआई जमा करने की आवश्यकता होगी।

Mahindra Scorpio N features, Mahindra Scorpio
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– अगर आप इस कार को खरीदने के लिए 1 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करते हैं, तो आपको 9 प्रतिशत ब्याज दर पर पांच साल तक हर महीने लगभग 31,500 रुपये का भुगतान करना होगा।

– दूसरी ओर, अगर आप 2 लाख रुपये का डाउन पेमेंट करते हैं, तो आपको 9 प्रतिशत ब्याज दर पर पांच साल के ऑटो लोन के लिए हर महीने बैंक में 29,500 रुपये का भुगतान करना होगा।

– अगर आप छह साल के लिए यह लोन लेते हैं, तो आपको हर महीने 25,600 रुपये का भुगतान करना होगा। अगर आप 3 लाख रुपये के डाउन पेमेंट के साथ महिंद्रा स्कॉर्पियो खरीदते हैं, तो आपको 9 प्रतिशत ब्याज दर पर हर महीने लगभग 27,400 रुपये जमा करने होंगे।

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जानें कौन हैं ट्रंप कैबिनेट में अहम पद पाने वाले अरबपति विवेक रामास्वामी? भारत से रहा गहरा नाता

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Vivek Ramaswamy Net Worth
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Vivek Ramaswamy Net Worth: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जीत दर्ज करने वाले डोनाल्ड ट्रंप अगले साल 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। मगर, इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप (Donald trump cabinet) ने अपने विभागों का बंटवारा कर दिया है। इसमें भारतीय मूल के विवेक रामास्वामी को भी अहम जिम्मेदारी दी गई है। उद्यमी रामास्वामी अब सरकारी दक्षता विभाग (डीओजीई) का नेतृत्व करेंगे। विवेक रामास्वामी, एक भारतीय-अमेरिकी व्यवसायी और राजनेता हैं, जिनका नाम 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान खासा चर्चा में रहा। उन्होंने रिपब्लिकन पार्टी की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की थी। हालांकि, प्राथमिक दौर में आयोवा कॉकस में उन्हें सफलता नहीं मिली और उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस लेकर डोनाल्ड ट्रंप का समर्थन करने का फैसला किया। आइए जानते हैं इनके बारे में सबकुछ।

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इस तरह है भारत से नाता

वर्ष 1985 में दक्षिण-पश्चिमी ओहियो के सिनसिनाटी में रामास्वामी का जन्म हुआ। उनके पिता वी.जी. रामास्वामी मूल रूप से केरल के पलक्कड़ से हैं। उनके पिता वी.जी. रामास्वामी केरल के एक छोटे से कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद ओहियो के इवेनडेल में जनरल इलेक्ट्रिक सुविधा में काम करने चले गए। सिनसिनाटी में, विवेक की माँ एक मनोचिकित्सक के रूप में काम करती थीं। उनकी पत्नी अपूर्वा तिवारी रामास्वामी ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनर मेडिकल सेंटर में चिकित्सा का अभ्यास करती हैं।

 

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शिक्षा पर एक नजर

रामास्वामी (Billionaire Vivek Ramaswami) ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सिनसिनाटी के सेंट जेवियर हाई स्कूल से प्राप्त की। उच्च शिक्षा के लिए, वे हार्वर्ड और येल लॉ स्कूल गए। रामास्वामी ने हार्वर्ड से स्नातक की डिग्री और येल से कानून की डिग्री हासिल की। ​​उन्होंने कॉलेज में जीव विज्ञान का अध्ययन किया।

इस कारोबार के लिए जाना-माना चेहरा

विवेक रामास्वामी बायोटेक उद्योग में एक प्रसिद्ध नाम हैं। दवाइयाँ बनाने के लिए, रामास्वामी बायोटेक व्यवसाय रोइवेंट साइंसेज के सीईओ हैं। 2016 में, उन्होंने सबसे बड़ी बायोटेक्नोलॉजी कंपनी, मायोवेंट साइंसेज की स्थापना की। उन्होंने अप्रैल में व्यवसाय स्थापित करने के बाद महिला बांझपन और प्रोस्टेट कैंसर की दवा के लिए टेकेडा फार्मास्यूटिकल्स के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए।

मायोवेंट साइंसेज, यूरोवेंट साइंसेज, एंजिवेंट थेरेप्यूटिक्स, अल्टावेंट साइंसेज और स्पिरोवेंट साइंसेज उनके द्वारा स्थापित बायोफार्मा फर्मों में से कुछ हैं। थोड़े समय में, 37 वर्षीय दूसरी पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी ने खुद को बायोटेक उद्योग में स्थापित कर लिया है। 2015 में, वह फोर्ब्स पत्रिका के कवर पर दिखाई दिए। 2014 में, विवेक को फोर्ब्स पत्रिका द्वारा 30 वर्ष से कम आयु के 30वें सबसे अमीर उद्यमी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था। उन्हें 2016 में 40 वर्ष से कम आयु के 24वें सबसे अमीर उद्यमी के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

विवेक रामास्वामी की संपत्ति- Vivek Ramaswamy Net Worth

विवेक रामास्वामी की कुल संपत्ति (Vivek Ramaswamy Net Worth) को लेकर विभिन्न आंकड़े सामने आते हैं। फोर्ब्स की रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में उनकी संपत्ति लगभग 950 मिलियन डॉलर आंकी गई थी, जो कि राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान बढ़कर 960 मिलियन डॉलर के आसपास पहुंच गई। अगर रुपये में इसका हिसाब निकाला जाए तो यह 9,96,99,24,000 रुपये होते हैं।

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X को लेकर द गार्जियन ने लिया बड़ा फैसला, कहा- टॉक्सिक हो गया है मस्क का प्‍लेटफॉर्म

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British newspaper The Guardian, Elon Musk
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The Guardian vs Elon Musk: डोनाल्ड ट्रंप की चुनावी जीत के बाद एलन मस्क मुश्किल में फंसते नजर आ रहे हैं। ट्रंप की जीत के बाद X पर एकतरफा होने के आरोप लग रहे हैं। एक तरफ ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने X (The Guardian leave X) को ‘टॉक्सिक’ बताते हुए इसका इस्तेमाल बंद करने का फैसला किया है, वहीं दूसरी तरफ लग्जरी ब्रांड लुई वुइटन के प्रमुख बर्नार्ड अर्नाल्ट मस्क की कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं। इसके अलावा फ्रांसीसी अखबार समूह ने ‘एक्स’ पर उनके कंटेंट का इस्तेमाल करने लेकिन बदले में उन्हें भुगतान न करने का भी आरोप लगाया है।

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द गार्जियन के एक्स पर 27 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर्स- The Guardian vs Elon Musk

द गार्जियन के एक्स पर 20 मिलियन से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। अब इसके एक्स हैंडल को आर्काइव कर दिया गया है। ब्रिटिश अखबार गार्जियन ने एक्स पर नफरत फैलाने का आरोप लगाते हुए इसका इस्तेमाल करने से इनकार कर दिया है। इसके साथ ही गार्जियन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स से भी किनारा कर लिया है। गार्जियन ने एलन मस्क पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया है।

गार्जियन (British newspaper The Guardian) ने कहा कि एक्स अब एक टॉक्सिक प्लेटफ़ॉर्म बन गया है। यहाँ बहुत ज़्यादा ज़हरीला कंटेंट है। ऐसे में बेहतर है कि हम अपने कंटेंट को बढ़ावा देने का कोई बेहतर तरीक़ा खोजें। एलन मस्क ने इस प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल अपनी राजनीतिक विचारधारा को धार देने के लिए किया है।

ट्रंप के चुनावी अभियान में मस्क की अहम भूमिका

ट्रम्प के अभियान में मस्क के महत्वपूर्ण योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अब वे ट्रम्प के विशेष दल में भी शामिल होंगे। 13 नवंबर के एक लेख में, द गार्जियन ने कहा कि एक्स को ज़्यादा नुकसान हुआ और कम लाभ। हमें अपनी ख़बरों को कहीं और विज्ञापित करना चाहिए। ब्रिटिश टैब्लॉइड के अनुसार, मस्क ने एक्स के साथ एक राजनीतिक एजेंडा तय किया। ट्रॉपिकल बर्डिंग, एक्स पर गार्जियन के सबसे हालिया लेख का विषय था। ब्रिटिश अख़बार ने अमेरिकी चुनावों के दौरान कई लेखों में ट्रम्प अभियान और भावी सरकार में मस्क की भूमिका पर सवाल उठाए।

फ्रांस में एक्स पर कानूनी कारवाई

फ्रांस में, एक्स को कानूनी मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ, बड़े व्यवसायी मस्क से अदालत में लड़ने के लिए तैयार हो रहे हैं। यूरोपीय संघ का निर्देश, जिसके अनुसार डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को समाचार संगठनों को उनकी सामग्री के उपयोग के लिए मुआवज़ा देना आवश्यक है, इस कानूनी विवाद का आधार है। Google और मेटा जैसे फ्रांसीसी प्रकाशकों का दावा है कि एक्स मुआवज़ा देने के लिए तैयार नहीं है।

बता दें, 200 साल पुराना दिग्गज मीडिया संस्थान द गार्जियन (British newspaper The Guardian) काफी समय से एक्स से बाहर निकलने के बारे में सोच रहा था। आपको बता दें कि गार्जियन दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और पुराने अखबारों में से एक है। इसकी स्थापना 1821 में हुई थी। उस समय इसका नाम मैनचेस्टर था लेकिन 1959 में इसका नाम बदलकर गार्जियन कर दिया गया।

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रातोंरात हुए कंगाल, मां ने बनाए दूसरों के टिफिन, कपूर खानदान का ये ‘पड़ोसी’ अब करता है छप्परफाड़ कमाई

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विक्रांत मैसी, Bollwood Star
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Who Is This Actor: बॉलीवुड में आज कई ऐसे एक्टर है जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत टीवी सीरियल से की है. आज हम आपको बॉलीवुड के एक ऐसे ही एक्टर के बारे में बताते हैं जिनके पास कभी खाना तो छोड़ों सोने के लिए भी सिर के ऊपर छत नहीं थी. लेकिन आज ये एक्टर करोड़पति बनकर राज कर रहा है. ये एक्टर कोई और नहीं बल्कि विक्रांत मैसी है. विक्रांत मैसी इन दिनों अपनी अपकमिंग फ़िल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को लेकर सुर्खियों में है. इस फिल्म के प्रमोशन इन दोनों एक्टर जमकर कर रहे हैं. इसी दौरान इन्होंने कई राज खोले. तो चलिए आपको इस लेख में उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारें में बताते हैं.

कौन है ये एक्टर?

विक्रांत मैसी एक भारतीय फिल्म एक्टर हैं, जो मुख्य रूप से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हैं. विक्रांत ने अपने करियर की शुरुआत टीवी सीरियल “बालिका वधू” से की थी, जिसमें उन्होंने महत्वपूरण भूमिका निभाई थी. इसके बाद उन्होंने कई टीवी शोज़ में अभिनय किया, जिनमें “कुंडली भाग्य” और “साथ निभाना साथिया” जैसे शो शामिल हैं. लेकिन आज के समय में वो फ़िल्मी जगत में छाए हुए हैं. विक्रांत मैसी इन दिनों अपनी अपकमिंग फिल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ को लेकर सुर्खियों में है. ये फिल्म 15 नवंबर को रिलीज हो रही है जो गोधरा कांड पर बेस्ड है. इस फिल्म के प्रमोशन इन दोनों एक्टर जमकर कर रहे हैं. इसी दौरान इन्होंने कई राज खोले.

दरअसल हाल ही विक्रांत मैसी ने हाल ही में दिए इंटरव्यू में बताया कि उनका बचपन काफी गरीबी में बीता. उनके परिवार को तो ऐसा दिन भी देखा पड़ा कि जब उनको गोडाउन में सोना पड़ा. हालांकि पहले उनका परिवार कपूर खानदान का पड़ोसी था. लेकिन परिवार में आपसी कलह की वजह से उन्हें घर से बाहर निकाल दिया गया था. वो लोग सड़क पर आ गए थे और फिर उन्हें भंडारघर में सोना पड़ा था. उस वक्त उनका भाई काफी ज्यादा छोटा था.

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टिफिन बनाने का काम करती थी मां

आगे बात करते हुए विक्रांत मैसी ने बताया कि उस वक्त घर की हालत इतनी ज्यादा खराब थी कि मां को घर का खर्चा पानी चलाने के लिए टिफिन का काम करना पड़ा. वो ऑफिस जाने वाले लोगों के लिए टिफ़िन बनती थी. विक्रांत ने बताया उनकी मां सुबह 3 बजे चली जाती थीं और रात में करीबन 12-1 बजे आती थीं. मेरे पिता ने वक्त से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया था और मैंने और मेरे भाई ने काफी जल्दी काम करना शुरू कर दिया था. विक्रांत का परिवार में आपको हर धर्म के लोग मिल जाएंगे. वो ऐसे कि उनके पिता ईसाई हैं और मां सिख है. जबकि भाई ने मुस्लिम धर्म अपना लिया और उनकी वाइफ हिंदू हैं.

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वर्कफ्रंट पर विक्रांत मैसी

अगर विक्रांत मैसी के करियर की बात करें तो वो आखिरी बार ये फिल्म ‘सेक्टर 36’ में नजर आए थे. वह जल्द ही फ़िल्म ‘द साबरमती रिपोर्ट’ में नजर आने वाले हैं. वहीं इनकी नेटवर्थ करीबन 20 से 26 करोड़ है.

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Uttar Pradesh Western Electricity Distribution Department
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उत्तर प्रदेश के बिजली विभाग (Uttar Pradesh Western Electricity Distribution Department) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। बिजली विभाग के एक अधीक्षण अभियंता के विवादित बयान ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है। बकाया बिलों की वसूली के लिए आयोजित एक बैठक में अभियंता धीरज जायसवाल ने कथित तौर पर कहा कि बिजली बिल न चुकाने वालों के घरों में आग लगा देनी चाहिए। इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिस पर लोग अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। ज्यादातर लोग इस बयान की कड़ी आलोचना कर रहे हैं और इसे असंवेदनशील बता रहे हैं।

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बिल बकायेदार के घर में आग लगा दो- UP Western Electricity Distribution Department

दरअसल धीरज कुमार जायसवाल विद्युत वितरण खंड द्वितीय सहारनपुर में अधीक्षण अभियंता के पद पर कार्यरत रहते हुए अपने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों से संवाद करने के लिए वीडियो कांफ्रेंसिंग पर थे। जिसमें उनके अधीनस्थों ने अधीक्षण अभियंता धीरज कुमार जायसवाल को बिजली बिल जमा न करने वाले बकायेदारों के बारे में सूचना भेजी। इस दौरान एक अधीनस्थ ने अधीक्षण अभियंता धीरज कुमार जायसवाल को बताया कि एक घर का बिजली बिल बकाया है और घर में ताला लगा हुआ है।

Uttar Pradesh Western Electricity Distribution Department
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घर को जलाने की धमकी

यह सुनते ही अधीक्षण अभियंता धीरज कुमार जायसवाल काफी नाराज हो गए और बिल डिफॉल्टर के घर को जलाने की धमकी दी। अधीक्षण अभियंता धीरज कुमार जायसवाल अपने अधीनस्थ को बिल डिफॉल्टर के घर को जलाने का निर्देश देते हुए यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्चुअल मीटिंग के दौरान अधीनस्थ अधिकारियों ने अधीक्षण अभियंता को बताया कि जब वे पहुंचे तो बिल डिफॉल्टर का घर बंद था और ताला लगा हुआ था, क्योंकि कनेक्शनधारक दूसरे राज्य में काम कर रहा था, जिससे बकाया राशि जमा नहीं हो पा रही थी। जिस पर अधीक्षण अभियंता धीरज कुमार जायसवाल ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को बिल बकाएदार के घर में आग लगाने को कहा।

इंजीनियर धीरज हुए सस्पेंड

वीडियो वायरल होने के बाद एमडी ईशा दुहन ने अधिकारी के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की। इंजीनियर धीरज को निलंबित कर दिया गया। ईशा दुहन के अनुसार, बिजली उपभोक्ताओं के प्रति आपत्तिजनक और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना समझदारी नहीं है। ऐसा करने वाला कोई भी कर्मचारी बच नहीं पाएगा। इंजीनियर ने अपने अधीनस्थों को बैठक के दौरान विधायक का फोन न उठाने का निर्देश भी दिया।

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क्‍या बोलीं एमडी ईशा दुहन?

पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम की एमडी ईशा दुहन ने बताया कि धीरज ने वर्चुअल समीक्षा बैठक में अपने अधीनस्थों से कहा था कि अगर कोई बिजली बिल नहीं चुकाता है तो उसके घर की बिजली जला दी जाए (Electricity Department Superintending Controversial Statement)। उनके बयान से विभाग की छवि को ठेस पहुंची है। उनके बयान सरकार की मंशा और निगम के हितों के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए उन्हें निलंबित कर दिया गया है और अनुशासनात्मक जांच का विषय बनाया गया है। निलंबन के दौरान धीरज को मुरादाबाद मुख्य अभियंता (वितरण) कार्यालय में तैनात किया जाएगा।

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