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अरविंद केजरीवाल: भारतीय राजनीति का अब तक का सबसे बड़ा ‘ठग’!

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ये क्या हो रहा है जी, यहां तो धुंआ धुंआ फैला हुआ है, इसमें भ्रष्टाचारियों का हाथ है जी. हम ईमानदार हैं जी, कट्टर ईमानदार. हमें मौका दीजिए, हम एक एक भ्रष्टाचारियों की लंका लगा देंगे, उनकी पुंगी बजा देंगे! ईमानदारी का चोला ओढ़कर कुछ इसी तरह से अरविंद केजरीवाल ने अन्ना आंदोलन के समय बिगुल फूंका था. फटे पुराने कपड़े, एक सस्ता और पतला सा शर्ट, ढ़ीला ढ़ाला काला पैंट और एक हवाई चप्पल..यही केजरीवाल की पहचान थी. उन्होंने अपनी ऐसी छवि बनाई कि लोगों को लगने लगा कि अरे ये तो हमारे बीच से ही निकला हुआ एक पढ़ा लिखा आदमी है, जिसे मौका मिल गया तो सचमुच कमाल कर देगा. लेकिन जनता फटे पुराने कपड़े के पीछे छिपे उस चेहरे को नहीं देख पाई, जो केजरीवाल का वास्तविक चेहरा था. जनता धोखा खा गई और केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता मिल गई.

जैसे ही केजरीवाल को सत्ता मिली, उन्होंने दिल्ली की जनता को ठगने या यूं कहें कि बेवकूफ बनाने की तरकीबों पर काम करना शुरु कर दिया. कहा जाता है कि अगर किसी को गुलाम बनाना हो,किसी की बोलती बंद करनी हो या किसी के सवालों से बचना हो तो उसके हक में इतनी चीजें कर दो कि लोग सबकुछ जानते और समझते हुए भी, आपके खिलाफ बोलने से बचने का प्रयास करें. केजरीवाल ने भी काफी हद तक इसी सिद्धांत पर चलने का काम किया और काफी हद तक सफल भी रहें. केजरीवाल ने जनता के हक में छोड़िए उन्हें फ्री में चीजें मुहैया करानी शुरु कर दी और फ्री बी का ऐसा लत लगाया कि अब जब दिल्ली से फ्री बिजली मॉडल हटाया गया है, तो लोगों के लिए चीजें आसान नहीं रह गई हैं.

केजरीवाल ने सीएम बनने के बाद तमाम फ्री की योजनाएं लागू की लेकिन फ्री की योजनाओं के पीछे वो अपना घृणित खेल खेलते रहे. एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले सामने आने लगे. आम आदमी पार्टी के कई नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे. जनता को लगा कि केजरीवाल तो कट्टर ईमानदार हैं, ऐसे भ्रष्ट नेताओं पर कार्रवाई करेंगे लेकिन जनता को क्या पता था कि केजरीवाल ने तो केवल सत्ता में आने के लिए एक स्क्रिप्ट तैयार की थी, जिसमें ‘ईमानदारी’ और मासूम दिखना महज एक रोल की भांति था!

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केजरीवाल ने जब भ्रष्टाचारियों को बचाना शुरु किया

जब केजरीवाल ने अपने भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ एक्शन न लेकर उन्हें बचाने का प्रयास करना शुरु कर दिया, उनके समर्थन में बयान देना शुरु कर दिया, सभी चीजें क्लीयर होते हुए भी मामले को षड्यंत्र बताने लग गए तब जनता को केजरीवाल के असली चेहरे का आभास हुआ. हालांकि, तमाम मामलों के बावजूद भी फ्री का राग गाकर, इमोशनल कार्ड का पासा फेंक कर, खुद को कट्टर ईमानदार बताकर केजरीवाल फिर से सत्ता में आ गए.

दूसरी बार सत्ता में आते ही आम आदमी पार्टी की रंगत बदल गई. केजरीवाल ने अपनी जो पहचान बनाई थी, जो छवि बनाई थी, उससे स्वयं केजरीवाल ने ही दूरी बना ली. दिल्ली में केजरीवाल का दूसरा कार्यकाल आने के बाद आम आदमी पार्टी अब बड़े स्तर पर अपना विस्तार करने के प्रयासों में लग गई. लेकिन विस्तार के लिए फंड होना सबसे जरुरी है. आम आदमी पार्टी के पास अब फंड आए कहां से यह बड़ा सवाल था.

हालांकि, केजरीवाल ने भ्रष्टाचार के रुप में इसका भी उपाय ढूंढ लिया! पहले कार्यकाल में तमाम नेताओं पर घोटाले के आरोप लगने के बाद दूसरे कार्यकाल में तो केजरीवाल के राइटहैंड और लेफ्टहैंड ने ही घोटाला करने का बेड़ा उठा लिया. अब आप भी सोच रहे होंगे कि केजरीवाल के राइटहैंड और लेफ्टहैंड कौन थे? आप अपने हिसाब से नाम सोच लीजिए, हम अपने हिसाब से बताते हैं. आप निश्चित तौर पर सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया का नाम ही सोच रहे थे न? आप सही हैं, हम भी इन्हीं की बात कर रहे हैं.

सत्येंद्र जैन जेल कैसे पहुंच गए?

पहले बात सत्येंद्र जैन (Satyendar Jain Case details) की करते हैं. जब आम आदमी पार्टी पहली बार दिल्ली की सत्ता में आई तो सत्येंद्र जैन को कई मंत्रालयों की जिम्मेदारी दी गई. उनमें एक स्वास्थ्य मंत्रालय भी था. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के रुप में कार्य करते हुए उन्होंने मोहल्ला क्लीनिक जैसी नई चीज दिल्ली वालों को दी. दिल्ली के हर इलाके में मोहल्ला क्लीनिक खोली गई. ऐसा प्रचार किया गया कि अब दिल्ली की जनता को वर्ल्ड क्लास की सुविधाएं मिलेंगी. शुरुआती दिनों में काफी हद तक चीजें सही भी रही लेकिन धीरे धीरे यह भी एक बवंडर ही साबित हुआ. जिन मोहल्ला क्लीनिकों के नाम पर केजरीवाल ने दिल्लीवालों को बेवकूफ बनाया, करोड़ों के विज्ञापन देकर अपनी नाकामी को छिपाने की कोशिश की, अब वही मोहल्ला क्लीनिक धराशायी होने की कगार पर खड़े हैं.

Mohalla Clinic fraud, अरविंद केजरीवाल सरकार
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कई मोहल्ला क्लीनिक की दीवारें गिर गई हैं, कई मोहल्ला क्लीनिक में डॉक्टर्स नहीं हैं, कई मोहल्ला क्लीनिक में कुत्ते बैठे रहते हैं. यानी मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर केजरीवाल ने दिल्ली वालों को ठगने के अलावा और कुछ नहीं किया. कुछ लोग तो ऐसा भी कहते हैं कि मोहल्ला क्लीनिक के नाम पर केजरीवाल ने काफी पैसे अंदर भी कर लिए. हालांकि, इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है.

Mohalla clinic scam, अरविंद केजरीवाल सरकार
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अब आपके मन में भी सवाल आ रहा होगा कि क्या सत्येंद्र जैन इसी मामले में नपे थे? जवाब है- बिल्कुल नहीं. अरविंद केजरीवाल की नजर में विश्व के सबसे बेहतर स्वास्थ्य मंत्री रहे सत्येंद्र जैन भ्रष्टाचार के अन्य कई मामलों में नपे हैं. सीबीआई के अनुसार, सीबीआई का आरोप है कि जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 की अवधि में सरकार में मंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित की थी.

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उसके बाद ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग केस (PMLA) मामले में सत्येंद्र जैन को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद से वो जेल में बंद हैं. ईडी के अनुसार, सत्येंद्र जैन के पास मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चार शेल कंपनियों का वास्तविक नियंत्रण था. वहीं, इस मामले में जिन्हें सह आरोपी बनाया गया था वो सिर्फ डमी थे. मामले पर आगे कार्रवाई करते हुए ईडी ने अस्थायी रूप से सत्येंद्र जैन के स्वामित्व वाली और नियंत्रित कंपनियों से संबंधित 4.81 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी सीज कर दी. उसके बाद जांच एजेंसी ने सत्येंद्र जैन, उनकी पत्नी और सहयोगियों से संबंधित कई स्थानों पर छापे मारे.छापे के दौरान 2.85 करोड़ रुपए नकद और 1.80 किलोग्राम वजन के 133 सोने के सिक्के बरामद किए गए.

इन सब के अलावा जैन पर गलत तरीके से कृषि भूमि खरीदने का भी आरोप है और इस मामले में अभी भी जांच जारी है. मौजूदा समय में उपर्युक्त मामलों में ही सत्येंद्र जैन तिहाड़ में बंद हैं लेकिन ‘कट्टर ईमानदार’  अरविंद केजरीवाल की ओर से उन्हें लगातार ईमानदार बताया जाता रहा है. अरविंद केजरीवाल ने यह कई बार दोहराया है कि उनपर राजनीतिक षड्यंत्र के कारण कार्रवाई की गई है. सत्येंद्र जैन का यही काला चिट्ठा है, वो कितने बड़े ईमानदार है इसका फैसला आप पर है.

दिल्ली का ‘वर्ल्ड क्लास’ शिक्षा मॉडल

अब आते हैं अरविंद केजरीवाल के खासमखास और ‘विश्व के सबसे बेहतरीन शिक्षा मंत्री’ मनीष सिसोदिया पर. सिसोदिया के पास शिक्षा मंत्रालय के अलावा अन्य भी कई विभाग थे. केजरीवाल के मुताबिक सिसोदिया ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को वर्ल्ड क्लास का बना दिया. सभी सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा दोनों बदल दी लेकिन जब हाल ही में सिसोदिया को मंत्री पद से हटाया गया और आतिशी मार्लेना को दिल्ली का शिक्षा मंत्री बनाया गया, तो उसके ठीक दूसरे या तीसरे दिन उन्होंने एक ट्वीट किया था, जिसमें वो दिल्ली के स्कूलों का सर्वे करने पहुंची थी.

उस वीडियो ट्वीट में दिख रहा है कि कैसे आतिशी अधिकारियों को डांट लगा रही हैं. स्कूलों की लैब में पानी/बिजली के कनेक्शन तक नहीं हैं. यहां तक कि नई बन रही बिल्डिंग के प्लास्टर झड़ रहे हैं. उन्होंने कॉन्ट्रेक्टर को ब्लैक लिस्ट कर दिया. लेकिन सवाल यह है कि जब मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के स्कूलों को वर्ल्ड क्लास का बना दिया था तो फिर ऐसी चीजें कैसे हो सकती हैं. हालांकि, इसका जवाब मनीष सिसोदिया और आतिशी मार्लेना ही बेहतर दे सकते हैं.

https://twitter.com/DineshRawat888/status/1639486702157983745?s=20

इसके अलावा दिल्ली के कई अन्य सरकारी स्कूलों को लेकर भी तमाम चीजें सामने आ चुकी हैं. हालांकि, अरविंद केजरीवाल की ओर से हमेशा ऐसी चीजों को भ्रामक बताया गया है और उन्होंने विज्ञापन के जरिए वर्ल्ड क्लास शिक्षा व्यवस्था को दिल्ली वालों के सामने परोसा है. लेकिन आतिशी मार्लेना की वीडियो से दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत काफी हद तक क्लीयर हो जाती है.

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हालांकि, मनीष सिसोदिया पर शिक्षा व्यवस्था को लेकर नहीं बल्कि शराब स्कैम (Delhi Liquor Scam) को लेकर शिकंजा कसा गया है. दरअसल, अरविंद केजरीवाल सरकार दिल्ली में नई शराब नीति लेकर आई, जिसके तहत कई कानूनों में बदलाव किए गए. पूरी दिल्ली को 32 जोन में बांटकर हर जोन में 27 लिक्वर वेंडर रखने की बात कही गई. यह तय हुआ कि दिल्ली सरकार अब शराब नहीं बेचेगी. दिल्ली में शराब बेचने का काम केवल प्राइवेट दुकानें करेंगी. इसके तहत हर वार्ड में 2 से 3 वेंडर्स को शराब बेचने की अनुमति दे दी गई. शराब दुकानों के लिए लाइसेंस बनाने के प्रोसेस को आसान कर दिया गया. नई शराब नीति के लागू होने के साथ ही उसमें हुए भ्रष्टाचार को लेकर चीजें उठने लगी. प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस मामले को जोर शोर से उठाया.

मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी से जुड़ी एक-एक बात

सिसोदिया पर आरोप लगे कि नई शराब नीति (New Excise Policy Delhi) बनाने में व्यापारियों से सिसोदिया ने 100 करोड़ की रिश्वत ली और उस पैसे का उपयोग गोव विधानसभा चुनाव 2022 में किया गया. उसके बाद राज्यपाल ने इस मामले की जांच के आदेश दिए. CBI ने 17 अगस्त 2022 को सिसोदिया समेत 13 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज किया. 19 अगस्त 2022 को CBI ने सिसोदिया और AAP के 3 नेताओं के आवास पर छापा मारा. उसके बाद 22 अगस्त को ED ने CBI से पूरे मामले की जानकारी ली और सिसोदिया पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया. उसके बाद 30 अगस्त को सिसोदिया के बैंक लॉकर्स की तलाशी ली गई.

Manish Sisodia CBI
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इस मामले में जांच एजेंसिया जांच करती रहीं और 27 सितंबर को AAP प्रवक्ता विजय नायर के रुप में इस मामले में पहली गिरफ्तारी हुई. उसके अगले ही दिन 28 सितंबर को ED ने शराब घोटाले के आरोपियों में शामिल शराब कारोबारी समीर महेंद्रू को गिरफ्तार किया. इस मामले में 16 नवंबर 2022 को पहली बार CBI ने सिसोदिया से 9 घंटे पूछताछ की. उसके बाद 10 अक्टूबर को CBI ने अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार किया, जो दक्षिण भारत के शराब कारोबारियों की पैरवी कर रहा था.

25 नवंबर 2022 को CBI ने 7 लोगों के खिलाफ चार्टशीट पेश की, जिसमें सिसोदिया का नाम शामिल नहीं था. उसके बाद 30 नवंबर को सिसोदिया के करीबी अमित अरोड़ा को गिरफ्तार किया गया. वहीं, ED ने इस मामले में तेलंगाना के सीएम केसीआर की बेटी एसली कलवकुंतला कविता को नामजद किया. इसके बाद 14 जनवरी 2023 को सिसोदिया के ऑफिस पर रेड पड़ी और उनका कंप्यूटर जब्त किया गया. 19 फरवरी को सीबीआई ने सिसोदिया को पूछताछ के लिए बुलाया लेकिन वो नहीं गए. उसके बाद 26 फरवरी को सीबीआई ने उनसे 8 घंटे पूछताछ की और उसके बाद उनकी गिरफ्तारी की गई. फिलहाल वह तिहाड़ में बंद हैं.

Manish sisodia CBI 1
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मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia case details hindi) पर दायर चार्टशीट में सीबीआई ने स्पष्ट किया था कि सीबीआई ने जीएनसीटीडी की आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं से संबंधित एक मामले की चल रही जांच में दिल्ली के उप मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया गया. केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं के मामले की जांच के लिए उपमुख्यमंत्री और प्रभारी आबकारी मंत्री, दिल्ली के जीएनसीटीडी और अन्य के खिलाफ तत्काल मामला दर्ज किया गया था.

इसमें कुछ निजी लोगों को टेंडर के बाद के फायदा पहुंचाया गया था. इसके अलावा सिसोदिया की गिरफ्तारी का एक बड़ा कारण यह भी रहा कि वो सही तरीके से एजेंसी के सवालों पर जवाब नहीं दे रहे थे. खुद सीबीआई की ओर से ऐसी बातें कही गई है. ऐसे में सवाल यही है कि यदि आप कट्टर ईमानदार हैं, आपने ईमानदारी की सारी पराकाष्ठा पार कर दी है तो फिर आप सवालों के जवाब देने से क्यों बच रहे थे. फिलहाल ‘ईमानदार’ सिसोदिया भी तिहाड़ में बंद हैं.

ये रहा अरविंद केजरीवाल की ‘ईमानदारी’ का सबूत

अब आते हैं ‘आम आदमी’ अरविंद केजरीवाल पर. केजरीवाल खुद को एक सामान्य आदमी बताते हैं, आम आदमी की बातें करते हैं लेकिन अब टाइम्स नाउ के ऑपरेशन शीशमहल (Operation Sheeshmahal) में जो बातें खुलकर सामने आई है, वह कहीं से भी अरविंद केजरीवाल को आम आदमी प्रदर्शित नहीं करती है. दरअसल, इस ऑपरेशन में दिखाया गया है कि सीएम के सरकारी बंगले पर किस तरह पानी की तरह पैसा बहाया गया है.सरकारी बंगले के रेनोवेशन पर 45 करोड़ रुपये खर्च हुए.सबसे बड़ी बात यह है कि इस रकम को कोरोना काल के दौरान खर्च किया गया. केजरीवाल कभी कहते थे कि उन्‍हें बहुत ज्‍यादा चीजों की जरूरत नहीं है,चार-पांच कमरों का मकान उनके लिए काफी है.लेकिन, ‘ऑपरेशन शीशमहल’ में सबकुछ इसके उलट दिख रहा है.

टाइम्स नाउ की ओर से जो ऑपरेशन (Operation Sheeshmahal full details) किया गया उसमें ये चीजें सामने आई है कि सीएम आवास में आठ-आठ लाख रुपए तक का एक पर्दा लगाया गया. सीएम आवास में पर्दे पर कुल 1 करोड़ रुपये खर्च हुए. यहां समझिए-

  • 23 पर्दों का ऑर्डर – एक करोड़ से अधिक
  • वियतनाम का डियोर मार्बल – करीब तीन करोड़
  • वॉर्डरोब (अलमारी) – लगभग 40 लाख
  • इंटीरियर डेकोरेशन 11.30 करोड़ रुपए
  • सुपीरियर कंसल्टेंसी – एक करोड़
  • दीवार की साज-सज्जा – चार करोड़ से अधिक
  • घरों के खंभे – 21 लाख से अधिक
  • रसोई (दो किचन) – 63 लाख 75 हजार
  • छह कालीनें – लगभग 20 लाख रुपए

टाइम्स नाउ नवभारत की रिपोर्ट के मुताबिक, केजरीवाल का आवास किसी महल से कम नहीं है। बंगले के ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद सुविधाएं ही होश उड़ाने वाली हैं. इस बंगले में 2 फ्लोर हैं। इन दो फ्लोर में 7 बेडरूम हैं. इसमें दो डाइनिंग रूम, जिम और रिसेप्‍शन भी हैं.

  • बिजली के विभिन्न सामान – 2.58 करोड़ रुपए
  • किचन और अप्लायंस पर 1.10 करोड़ रुपए
  • इंटीरियर डेकोरेशन – 11.30 करोड़ रुपए
  • हॉट वॉटर जनरेटर – 25 लाख रुपए
  • सुपीरियर कंसल्टेंसी – एक करोड़ रुपए

दो टॉयलेट में ऐसे स्मार्ट टॉयलेट कमोड सीट (सेंसर वाले, जो रिमोट से चलते हैं…एक का दाम- चार लाख 27 हजार 872 रुपए ) हैं, जिनकी कुल कीमत आठ लाख 55 हजार 744 रुपए हैं. ध्यान देने योग्य बात यह है कि ये सारे काम कोरोना काल में कराए गए थे. जब देश या यूं कहें कि दिल्ली की जनता कोरोनो से त्रस्त थी वैसे समय में अरविंद केजरीवाल वियतनाम से मार्बल मंगाने में व्यस्त थे. हर छोटी छोटी बात पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाले अरविंद केजरीवाल ने इस मामले पर अभी तक कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया है. ऐसे में अरविंद केजरीवाल कितने आम हैं और कितने ईमानदार, यह अब आप बेहतर समझ चुके होंगे.

और पढ़ें: अगर पवार BJP के साथ आ गए तो विपक्ष ‘अनाथ’ हो जाएगा

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