जीवन में सफलता और असफलता किन कारणों से होती है? प्रेमानंद जी महाराज से जानिए

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वृन्दावन के श्रीहित प्रेमानन्द महाराज जी के बारे में कौन नहीं जानता? देश-दुनिया में मशहूर प्रेमानंद महाराज वृन्दावन में रहकर सिर्फ कृष्ण नाम का जाप करते हैं और भक्ति का उपदेश देते हैं। प्रेम मंदिर के बाद वृन्दावन में सबसे ज्यादा भीड़ प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए आती है। उनके अच्छे विचारों से लोग काफी प्रेरित हो रहे हैं। परम पूज्य प्रेमानंद महाराज जी, श्री हित प्रेमानंद ने नौवीं कक्षा में ही तय कर लिया था कि वह आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने 13 साल की उम्र में अपनी मां को यह कहकर घर छोड़ दिया कि वह जा रहे हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे। वर्तमान में महाराज जी वृन्दावन में रहते हैं और अपने पास आने वाले भक्तों को जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। हाल ही में प्रेमानंद महाराज जी ने जीवन में सफलता और असफलता के कारणों के बारे में प्रवचन दिया। आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।

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ऐसे मिलती है सफलता

महाराज जी कहते हैं कि किसी भी काम में आपको सफलता मिलेगी या असफलता, ये कभी भी भगवान के हाथ में नहीं होता। क्योंकि ये बात कर्म पर निर्भर करती है। महाराज जी कहते हैं कि जिस तरह एक शिक्षक एक कक्षा में सभी छात्रों को समान रूप से देखता है और सभी को समान शिक्षा देता है, तो परिणाम स्वरूप वो विद्यार्थी प्रथम आता है जिसने मेहनत की होती है और पढ़ाई पर ध्यान दिया होता है। उसी तरह भगवान भी सभी को समान रूप से देखते हैं, ये हम इंसानों पर निर्भर करता है कि हम अपने काम को कितने अच्छे से समझ पाते हैं। अगर हम प्रयास करेंगे तो हमें सफलता जरूर मिलेगी, लेकिन अगर हम ये सोचकर बैठ जाएंगे कि ये सब भाग्य का खेल है, तो सफलता मिलना नामुमकिन है। क्योंकि काम में सफलता पाने के लिए भाग्य से ज्यादा प्रयास जरूरी है। अगर प्रयास 40% है और भाग्य 60% है, तो भी सफलता मिलना बहुत दुर्लभ है।

हालांकि अगर आपके पिछले प्रयास मिलकर आपको सफलता दिलाते हैं तो इसमें कोई संदेह नहीं है। क्योंकि आपको प्रयास करते रहना चाहिए चाहे आपको सफलता मिले या न मिले क्योंकि ये प्रयास भविष्य में आपके काम आएंगे। महाराज जी कहते हैं कि अगर प्रयास 80% और भाग्य 20% भी हो तो भी व्यक्ति को सफलता जरूर मिलेगी। क्योंकि प्रयास ही भाग्य को तोड़ सकता है। इसलिए अच्छे कर्म करते रहना चाहिए और प्रभु का नाम लेते रहना चाहिए। लेकिन हमें कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि हम कुछ नहीं करेंगे और जो करना है वह भगवान ही करेगा। अगर हम ऐसा सोचकर आगे बढ़ेंगे तो हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी।

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